hotaks444
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"नही मज़ाक कर रहा हूँ, अबे चल जा..."
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अरुण चुपके से उठा और मिठाई का डिब्बा उठाकर वापस आया...
"अबे अरमान,बड़े भैया कही जाग तो नही रहे..."एक मिठाई अपने मुँह मे भरकर अरुण अजीब सी आवाज़ मे बोला...
"बड़े भैया,शुरू मे सोने का नाटक कर रहे थे...लेकिन पिछले 5 मिनिट्स से वो सो रहे है..इसलिए बिंदास होकर अपनी टंकी भर..."अरुण के नक्शे कदम पर चलते हुए मैने भी एक मिठाई उठाई और उसे खाते हुए अजीब सी आवाज़ मे बोला...
" ये तुझे कैसे मालूम..."अरुण ने एक और पीस उठाते हुए पुछा..
"आज से लगभग दो साल पहले एक न्यूज़ पेपर मे एक आर्टिकल आया था ,जिसमे ये बताया गया था कि आप आँख मूंद कर लेटे हुए एक शक्स को देखकर कैसे मालूम करोगे कि वो सोने का नाटक कर रहा है या सच मे सो रहा है...."मैने भी मिठाई का दूसरा पीस उठाते हुए जवाब दिया...
"कमाल है.."अबकी बार अरुण ने तीसरा पीस उठाया और कहा"मैं क्या बोलता हूँ कि अपुन दोनो ही मिलकर ये डिब्बा खाली कर देते है,वरना बड़े भैया के जाते ही लौन्डे टूट पड़ेंगे और हम दोनो घंटा हिलाते रह जाएँगे"
"एक दम करेक्ट बात बोली है तूने..."
"वो तो अपुन हमेशा बोलता है...बोल पापा इसी बात पर "
"मम्मी बोलू...ये चलेगा क्या "
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एक घंटे बाद बड़े भैया की आँख खुली और उन्होने हॉस्टिल वॉर्डन से मुलाक़ात की और मेरे बारे मे,मेरी हरकतों के बारे मे वॉर्डन से बात-चीत की...अब एक कॉलेज हॉस्टिल का वॉर्डन हॉस्टिल मे रहने वाले सभी लड़को के बारे मे कैसे जान सकता है...लेकिन हमारा वॉर्डन मेरे बारे मे बहुत कुच्छ जानता था...मेरी हरकतों के बारे मे वो मेरे भाई को सब कुच्छ बता सकता था...लेकिन उसने ऐसा नही किया और उसने ऐसा क्यूँ नही किया ,इसका रीज़न भी मैं ही था...हुआ कुच्छ यूँ कि जब से बड़े भैया ने फोन मे बताया था की वो यहाँ आकर मेरे टीचर्स से मिलेंगे तभिच से मैने सीडार को बोलकर अपने वॉर्डन को समझा दिया था कि वो मेरे बड़े भैया से मेरी कोई शिकायत ना करे...और हुआ भी वैसा ही, वॉर्डन ने बड़े भैया से कुछ नही कहा.....
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उन दिनो मेरी किस्मत भी कुच्छ ज़्यादा ही मुझपर मेहरबान चल रही थी, जहाँ कल रात मैने कॉलेज की सबसे हॉट लौंडी को उसी के घर मे उसी के बिस्तर पर चोदा था वही कल की फेरवेल पार्टी के चलते आज कॉलेज बंद था...जिससे बड़े भैया को मेरे टीचर्स से मिलने का कोई मौका नही मिला...अब मैं प्राइम मिनिस्टर का कोई रिश्तेदार तो था नही कि कॉलेज का स्टाफ मेरे विपिन भैया से मिलने के लिए आए इसलिए बड़े भैया को फिलहाल वॉर्डन के मुँह से मेरी झूठी तारीफ सुनकर ही जाना पड़ा..
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"आप कहो तो रेलवे स्टेशन तक छोड़ देता हूँ, बाइक का जुगाड़ है..."हॉस्टिल से बाहर निकलते वक़्त मैने कहा...
"कोई ज़रूरत नही है और बाइक कम चलाया कर..."डाँट लगाते हुए वो बोले
"बड़े भैया आपने ठीक से सुना नही शायद....मैने कहा कि मैं आपको रेलवे स्टेशन तक छुड़वा देता हूँ,मेरे किसी सीनियर के साथ..."अपनी बात को तुरंत पलट कर मैने कहा...
"वो सब छोड़ और ये बता की अरुण की कितने सब्जेक्ट मे बॅक लगी है..."
"आपके कान किसने भरे अरुण के खिलाफ वो तो टॉपर है क्लास का"पहले मैं बुरी तरह हड़बड़ाया लेकिन बाद मे संभालते हुए जवाब दिया...
मेरी बात सुनकर बड़े भैया वही रुक गये और मेरी तरफ देखते हुए बोले"अरमान, जिस दो साल पहले की आर्टिकल का हवाला देकर तू अरुण से बिंदास होकर बात कर रहा था, वो आर्टिकल मैने भी पढ़ा था और मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि सोने की आक्टिंग कैसे करनी है...."
ये मेरी लिए करेंट के किसी झटके की तरह था..क्यूंकी यदि ऐसा था तो बड़े भैया ने फिर हमारी सारी बाते सुन ली होगी और साथ मे मैं खुद को शाबाशी भी दे रहा था कि अच्छा हुआ जो मैने उस वक़्त अपने बारे मे कोई बात नही की...वरना अभी ही मेरी टी.सी. निकल जाती....
"अब जर्मन मे बोलेगा या हिन्दी मे ही जवाब देगा..."मुझे भौचक्के खड़ा देखकर बड़े भैया ने अपना सवाल दागा...
"एक ही सब्जेक्ट मे बॅक है अरुण की..."
"और तूने वरुण नाम के सीनियर को क्यूँ पीटा था, मना किया था ना लड़ाई झगड़े के लिए..."
ये मेरे लिए पहले वाले झटके से भी बड़ा झटका था...बोले तो डबल शॉक....
ये मेरे लिए डबल शॉक इसलिए था क्यूंकी इस बारे मे मैने रूम मे अरुण से कोई डिस्कशन नही किया था लेकिन फिर भी विपिन भैया को ये मालूम चला...मतलब पक्का किसी ने अपनी काली ज़ुबान बड़े भैया के आगे खोली थी....
"उस म्सी वॉर्डन ने बताया होगा..."मैने अंदाज़ा लगाया...
"आपको ये किसने बताया..."
"जब मैं यहाँ आ रहा था तभी तेरे एक सीनियर से मेरी मुलाक़ात हुई और मैने तेरे बारे मे पुछा और जानता है क्या हुआ..."
"क्या "
"मैं अपनी बात भी ख़त्म नही कर पाया था कि वो बोल पड़ा.....आप उसी अरमान की बात कर रहे है ना जिसने वरुण वेर्मा को ठोका था...तो फिर मैने जवाब दिया कि...हां मैं उसी अरमान की बात कर रहा हूँ और मैं उसका बड़ा भाई हूँ..."
"उसके बाद क्या हुआ..."मेरी आवाज़ अब दबने लगी थी...मेरी हालत अब ऐसी थी जैसे कि मेरा बहुत बड़ा जुर्म सामने आ गया हो....
"जैसे ही तेरे उस सीनियर को पता चला कि मैं तेरा बड़ा भाई हूँ...तो वो एक दम से चुप हो गया और तुरंत ही वहाँ से खिसक लिया..."
"ऐसे ही छोटी-मोटी बहस हुई थी वरुण से...कुछ खास नही हुआ..."
"कुछ खास होना भी नही चाहिए...."मैं हाइवे से हमारे हॉस्टिल को जोड़ने वाली रोड पर आकर बड़े भैया ने कहा"देख अरमान, ये उम्र का वो दौर है,जब सारी अच्छी नसीहत खराब लगती है...बंदा ये सोचने लगता है कि ये सारे नियम ,क़ायदे-क़ानून उसे बंदिशो मे क़ैद करने के लिए बनाए गये है...लेकिन हक़ीक़त ये नही होती, हम सारी चीज़ो को तब समझते है,जब सब कुछ हमारे हाथो से निकल चुका होता है....मैं ये नही कह रहा कि तू कोई आदर्शवादी बन, कोई मिसाल कायम कर...लेकिन इस बात का भी ध्यान रख कि हम मिड्ल क्लास के लोग जिस सोसाइटी मे रहते है...वो बड़ी खराब है...यहाँ लोग अपने बारे मे सोचने से ज़्यादा दूसरो की बुराई करने मे ज़्यादा ध्यान देते है...यू डॉन'ट नो कि तेरे फर्स्ट सेमेस्टर मे इतने कम मार्क्स लाने से कैसी-कैसी बाते उड़ रही है...."
विपिन भैया की बाते मैं चुप-चाप सुन रहा था ,तभी मुझे दूर से सिटी बस आती हुई दिखाई दी...जिसे देखकर बड़े भैया ने बॅग मेरे हाथ से अपने हाथ मे लिया और बोले...
"एक आख़िरी बात अरमान...एंजाय युवर लाइफ फुल्ली..लेकिन इतना नही कि अदर्स एंजाय ऑन युवर लाइफ....बाइ,"
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विपिन भैया के जाने के बाद भी उनकी बात मेरे कानो मे मंदिर के घंटो की तरह रही...मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुआ ही हॉस्टिल आया और अपने रूम मे घुसते ही अरुण से पुछा की एग्ज़ॅम्स की डेट कब से है....और इस साल ये पहला मौका था जब मैने एग्ज़ॅम के पहले बुक खोलकर पढ़ने की जहमत की थी...लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण को शायद ये पसंद नही आया इसीलिए वो बार-बार खाने के समान का पॅकेट ज़ोर से खोलते हुए मेरा कॉन्सेंट्रेशन पढ़ाई से हटाना चाहता था...लेकिन मैं भी कोई कमज़ोर खिलाड़ी नही था...मैने कान मे हेडफोन फसाया और पढ़ाई फिर से शुरू कर दी....और सच मे बताऊ तो उस रात मुझे बहुत दिनो बाद सुकून की नींद आई..इतनी शानदार नींद तो कल रात दीपिका मॅम को चोदने के बाद भी नही आई थी....बेसिक एलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग सब्जेक्ट के दो चॅप्टर एक ही दिन मे पढ़ने के बाद सोते वक़्त एश के बारे मे सोचना सच मे मुझे बहुत ज़्यादा सुकून देने वाला था....
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दूसरे दिन मेरी नींद अरुण से पहले खुली, जिसका एक रीज़न शायद ये भी हो सकता था कि अरुण ने रात-भर फ़ेसबुक पर किसी लौंडिया से चाटिंग की होगी...कॉलेज के लिए देर हो रही थी,लेकिन अरुण तो भजिए तल के सो रहा था....
"जागो मोहन प्यारे, सवेरा हो गया, सुर्य आकाश मे अपनी लालिमा बिखेर रहा है और आप है कि यहाँ अपने शयन कक्ष मे चिर निंद्रा मे खोए हुए है...आज महाविद्यालय की तरफ प्रस्थान करने के बारे मे आपका क्या विचार है..."
"तूने कुछ कहा क्या..."आँखे मलते हुए वो उठा और उठने के तुरंत बाद ही बिना ब्रश किए कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा....
"अबे लोडू, ब्रश तो कर ले कम से कम..."
"शेर कभी ब्रश नही करता, खून हमेशा उनके दांतो मे लगा रहता है "
"ग़ज़ब...."
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आज मैं पहली बार कॉलेज मे पढ़ने की उम्मीद लिए जा रहा था, मैने बहुत कुच्छ सोच रखा था,जैसे कि कुच्छ भी हो जाए,मैं क्लास मे एक लफ्ज़ भी अपने मुँह से नही निकालूँगा, टीचर्स जो पढ़ाएँगे वो समझ मे आए चाहे ना आए मैं फिर भी पढ़ुंगा...और हुआ भी ऐसा ही , मैने शुरू के फाइव पीरियड्स बिना किसी धमाके के निकाल लिए थे...आज किसी भी टीचर ने मुझे किसी भी बात के लिए नही टोका, और फाइनली मैं आज बहुत खुश था....सबको मेरे इस नये बर्ताव से थोड़ी हैरानी तो हुई लेकिन उन सबसे ज़्यादा हैरान और परेशान मेरा खास दोस्त अरुण था और उससे भी ज़्यादा हैरान और परेशान मैं खुद था....
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"ओये अरमान, ये क्या लौंदियो की तरह डर कर चुप चाप बैठा है...मर्द बन और पहले की तरह बक्चोदि कर..."
"अभी तो फिलहाल मुझे स्टूडेंट बनना है और मर्द तो मैं हूँ ही..."
"मेरा कहने का मतलब था रियल मर्द बन..."
"चुप कर लवडे,आज मैं पढ़ने के मूड मे हूँ..."
"क्या पढ़ेगा इस बकवास पीरियड मे,"जमहाई लेते हुए अरुण ने कहा"एक तो वैसे भी ये ग्रूप डिस्कशन सब्जेक्ट सबसे बोरिंग सब्जेक्ट है उपर से ये भावना माँ को देखकर नींद और आ जाती है...यदि तू अपने बड़े भैया की नसीहत को इस पीरियड मे छोड़ देगा तो तेरा ही फ़ायदा होगा..."
"अबे बाहर कर देगी ये मोटी..."
"घंटा बाहर करेगी, ज़रा एक नज़र पूरी क्लास मे घुमा कर देख...सब टाइम पास कर रहे है..."
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अरुण के कहने पर मैने अपनी नज़र एक बार पूरी क्लास मे दौड़ाई,वो सही बोल रहा था...जहाँ भावना माँ एक तरफ किसी टॉपिक पर लेक्चर दे रही थी वही दूसरी तरफ क्लास के सभी स्टूडेंट्स खुद का लेक्चर चला रहे थे...मैने सोचा की इस पीरियड मे अपने दिमाग़ को तोड़ा आराम दिया जाए....
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"चल आजा लड़कियो के बारे मे बात करते है..."जमहाई मरते हुए मैने कहा...
"वो सब तो ठीक है लेकिन इस फटतू नवीन को इधर से भगा...साला खुद तो डरता रहता है उपर से हमे भी डरता है..."
"रहने दे ,मैं खुद ही यहाँ से चला जाता हूँ..."हम दोनो की बक बक से परेशान होकर नवीन ने कहा....
नवीन मौका देख कर पीछे वाली सीट पर समा गया और नवीन के जाते ही मेरे और अरुण के बीच पढ़ाई की बाते शुरू हो गयी...भावना मॅम का स्लीपिंग लेक्चर अब भी चालू था...भावना मॅम की क्लास को हम दोनो ने इस कदर भुला दिया कि हमे याद तक नही रहा कि अभी हम दोनो कॉलेज मे है...
"अरुण आंड अरमान..क्या चल रहा है उधर.."
"कुछ नही...कुच्छ भी तो नही माँ.."मैने तुरंत मोबाइल बॅग मे डाला और खड़ा हो गया...
"मोबाइल लाओ इधर और होड़ के पास चलने को तैयार हो जाओ"
"सॉरी मॅम,वो किसी की कॉल आ रही थी..."
"इतना एमर्जेन्सी कॉल था तो पर्मिशन लेकर बाहर जा सकते थे,इस तरह से क्लास को चिड़िया घर बनाने की क्या ज़रूरत थी..."
"नेक्स्ट टाइम से बिल्कुल भी ऐसा नही करूँगा..."एक दम प्यार से माफी मॅगने वाले अंदाज़ मे मैने कहा...
"अच्छा ये बताओ,जो सवाल मैने पुचछा था उसका जवाब क्या होगा..."
"रिपीट दा क्वेस्चन प्लीज़ "
भावना मॅम ने क्वेस्चन रिपीट किया लेकिन सब कुछ पानी की तरह मेरे सर के उपर से गया "मॅम, एक बार ग्रूप डिस्कशन का टॉपिक बताओ ना ..."
उसके बाद भावना मॅम मुझे खा जाने वाली नॅज़ारो से देखने लगी और गुस्से से चीखते हुए बोली"निकल जाओ मेरे क्लास से..."
"म्सी चिल्ला मत, वरना एक बार लंड फेकुंगा तो पूरा खानदान चुद जाएगा..."उनकी आँखो मे देखते हुए मैने अपनी आँखो से ही कह दिया और पैर पटकते हुए क्लास से बाहर आया....
क्लास से बाहर निकाले जाने के कुच्छ ही देर बाद ही कुच्छ ऐसा हुआ कि जहाँ कुच्छ देर पहले मैं भावना मॅम को गालियाँ दे रहा था अब वही मैं उनके मोबाइल पर थॅंक यू का मेस्सेज भेजना चाहता था...थॅंक यू का मेस्सेज मोबाइल पर इसलिए क्यूंकी भावना मॅम के सामने जाकर थॅंक यू बोलने की हिम्मत नही थी
"एश....रुक"एश जब क्लास से अकेली निकली तो मैने उसे आवाज़ दी लेकिन उसने मुझे पूरी तरह से इग्नोर किया और आगे चल दी...
"ओये चुड़ैलिन रुक..."
"क्या है "गुस्से से पलट कर वो बोली..
"तुझे भी क्लास से निकाल दिया क्या"उसे हल्का सा धक्का देते हुए मैने कहा..
.जिससे वो भड़क उठी और दूर होते हुए बोली
"माइंड युवर बिहेवियर..."
"चल चुड़ैल,ज़्यादा भाव मत खा...और ये बता कि तुझे क्लास से क्यूँ निकाला है..."
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क्लासस अभी भी चल रही थी इसलिए कॉरिडर अभी पूरा खाली था,जिसमे मैं एश को परेशान कर रहा था...और दिल ही दिल मे ये भी सोच रहा था कि आज तो मस्त मौका मिला है....
"अरमान, मेरा मूड इस वक़्त बहुत खराब है...दूर रहो मुझसे..."
"ईईईईईई....."
"क्या ईईईई.."
"कुछ नही "उदास होते हुए मैने सोचा कि शायद मैं कभी एश को आइ लव यू नही बोल पाउन्गा...साला वैसे तो बहुत शेर बनता हूँ लेकिन जब इस चुड़ैल को आइ लव यू बोलने की बारी आती है तो हवा टाइट हो जाती है....फिर मैने सोचा कि आइ लव यू बोलने की इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो सेकेंड सेमेस्टर ही चल रहा है....
"अब मेरे पीछे मत आना..."कॉरिडर मे आगे बढ़ते हुए एश बोली...
वैसे तो एश ने मुझे उसको फॉलो करने के लिए मना किया था लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे अपने साथ चलने का इन्विटेशन दे रही हो....मेरी सोच सही थी या फिर मैं ग़लत था,ये मुझे नही पता...लेकिन उस दिन मैं एश के पीछे-पीछे गया...शुरू मे तो वो गुस्सा हुई लेकिन फिर चुप हो गयी और कॅंटीन के पास पहुचते ही वो मुझपर मुस्कुराने लगी....
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"तुम पर केस कर दूँगी..."हँसते हुए उसने कहा...
कॅंटीन मे वो जिस टेबल पर बैठी थी मैं भी अब वही बैठ गया था...
"तुम्हे मालूम है एश ,यू आर लाइक माइ कॅट...बोले तो एक दम सेम टू सेम.."
"तुम्हारा दिमाग़ सही नही है,तुम बिल्कुल पागल हो,मैं जा रही हूँ यहाँ से.."तुनक कर एसा वहाँ से उठी और जाने लगी...
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मैं चाहता तो एश का हाथ पकड़ कर रोक सकता था...लेकिन मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझसे कहा कि "बेटा फ़िल्मो की कॉपी मत कर...वरना तिलमिलाई हुई एश लाफा तो मारेगी ही साथ मे गौतम के साथ पंगा अलग...."
मैने अपने सिक्स्त सेन्स की बात मान ली और एश को एक शब्द भी नही कहा मेरे ऐसा करने की एक और वजह ये थी की....अपुन की भी कोई इज़्ज़त है, अब वो बार-बार मुँह फूलकर भागे तो भाग जाए... उसके बाद मैं लगभग आधे घंटे तक और कॅंटीन मे बैठा रहा और जो मन मे आया उसे माँगा कर खाया और पैसे सीडार के अकाउंट मे एड करा दिए....
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"आई साला...मज़ा आ गया आज तो..." हॉस्टिल वाली सड़क पर चलते हुए मैने कहा..
मैं अब हॉस्टिल जाकर सीधे सोने के मूड मे था जिससे रात को रिलॅक्स होकर पढ़ सकूँ...लेकिन उसी समय मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा...
"एमटीएनएल भाई को आज मेरी याद कैसे आ गयी..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए मैने कॉल रिसेव की"हेलो..."
"हाई...हेलो छोड़ और ये बता बॅस्केटबॉल खेल लेता है ना..."
"एक दम झक्कास प्लेयर हूँ..."
"तो आजा बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर,एक प्रॅक्टीस मॅच चल रहा है..."
"अभी..."
"हां अभी..."
"लेकिन अभी तो मैं तैयार नही हूँ, एक तो मैने अभी ही जानवरो की तरह पेट भरा है और दूसरा मैं जीन्स पैंट मे बॅस्केटबॉल कैसे खेलूँगा..."
"जल्दी से इधर पहुच सब जुगाड़ है..."
"आता हूँ "
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मॅच खेलने का मन तो नही था लेकिन सीडार भाई की बात को टालना मैने मुनासिब नही समझा...बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर पहुचा तो मालूम चला कि मामला एक प्रॅक्टीस मॅच से कहीं ज़्यादा है....जिसकी कहानी मुझे सीडार ने बताई...हुआ कुच्छ यूँ कि हॉस्टिल के किसी सीनियर ने किसी बात पर सिटी वालो को बॅस्केटबॉल मॅच खेलने का चॅलेंज दे दिया और मॅच स्टार्ट होने के कुछ ही देर बाद हॉस्टिल वालो मे से दो प्लेयर जो की मॅच विन्नर थे वो ज़ख़्मी हो गये....इसलिए सीडार ने मुझे मॅच खेलने के लिए बुलाया....इतने लोगो मे से उसने मुझे ही कॉल किया इसकी वजह शायद ये थी कि मैने कुछ दिन पहले सीनियर हॉस्टिल मे बॅस्केटबॉल का नॅशनल प्लेयर होने की हुंकार मारी थी...
"अरमान देख कर,इन मुस्टांडो मे बहुत दम है...वो 4 पायंट्स से लीड कर रहे है..."
"ओके..."
किट पहनकर मैं बॅस्केटबॉल के कोर्ट मे एक प्लेयर को रीप्लेस करके आया और मॅच देख रहे लोगो पर एक नज़र दौड़ाई...वैसे कहने को तो ये एक प्रॅक्टीस मॅच था लेकिन मॅच सिटी वाले और हॉस्टिल वाले के बीच मे होने के चलते इसे खाम्खाम हाइपर बना दिया था...बॅस्केटबॉल कोर्ट के बाहर मॅच देखने वाले स्टूडेंट की गिनती लगातार बढ़ रही थी...जहाँ एक तरफ हमारी टीम को सपोर्ट करने के लिए हॉस्टिल के लड़के थे तो वही दूसरी तरफ कॉलेज की लड़किया सिटी वालो की टीम को सपोर्ट कर रही थी...जिसमे से एश,विभा और दूसरी खूबसूरत चुदैले भी थी....मुझे बॅस्केटबॉल खेलने का अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था लेकिन पिछले 8 महीनो से मैने कोर्ट मे कदम तक नही रखा था इसलिए मैं थोड़ा नर्वस था....
"खेलना आता भी है या ऐसे ही अंदर आ गया...."मेरे पास आकर गौतम ने कहा"एक बात दिमाग़ मे भर ले कि तू इस कॉलेज के सबसे शानदार प्लेयर के खिलाफ खेल रहा है...."
"ओके अंकल...अब जा के मर्वाओ अपनी..."
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एक तरफ एश...गौतम का नाम लेकर उच्छल रही थी वही मैं बॅस्केटबॉल पर ग्रिप बनाने की कोशिश कर रहा था...एक दो बार मैने बॅस्केटबॉल को ड्रिब्ब्ल भी किया लेकिन बॅस्केटबॉल पर मेरी पकड़ अब पहले जैसे नही थी और जैसे ही मैं बॅस्केटबॉल को लेकर आगे बढ़ा तो बॉल मेरे हाथ से किसी रेत की तरह फिसल गयी....
"कंचे खेल घर जाकर..."गौतम मुस्कुराते हुए बोला...
"थोड़ा सा कॅल्षियम कारबनेट लाना तो..."हॉस्टिल के एक लड़के की तरफ मैने इशारा किया जिसके जवाब मे वो अपना सर खुजाने लगा....
"अबे चुना ला थोड़ा सा उल्लू
"थोड़ा सा कॅल्षियम कारबनेट लाना तो..."हॉस्टिल के एक लड़के की तरफ मैने इशारा किया जिसके जवाब मे वो अपना सर खुजाने लगा....
"अबे चुना ला थोडा सा उल्लू"
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एक तो मैं वैसे भी इतने दिन बाद खेल रहा था उपर से आस-पास जमा हो चुकी भयंकर भीड़ ने भी प्रेशर डाल दिया था और उपर से मेरा दुश्मन गौतम मुझपर कॉमेंट किए जा रहा था और हर बार उसके कॉमेंट के बाद उसकी तरफ के प्लेयर्स और उनके दिए हार्ड फँस मुझ पर हँसते हुए नज़र आते....
"तेरा हर शॉट ब्रिक होगा...जिसका बास्केट होने का दूर-दूर तक कोई चान्स नही होता..."गौतम बोला..
"तुझे भविष्यवाणी हुई क्या कि मेरा हर शॉट ब्रिक होगा,एक बार सेट हो जाने दे फिर तो मैं डीओजी लगा कर मार लूँगा तुम सबकी..."
"वो तो वक़्त ही बताएगा..."
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रेफरी बने माइनिंग ब्रांच के एक सर ने गेम दोबारा शुरू करने का इशारा किया...
"यू आर राइट,वो तो वक़्त ही बताएगा..."
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मैं चाहे गौतम से कितनी भी लड़ाई कर लूँ या फिर मैं उसे कितनी भी गालियाँ दूं पर मैं एक चीज़ कभी नही बदल सकता कि वो बॅस्केटबॉल का एक मंझा हुआ खिलाड़ी है...उसे बॅस्केटबॉल के हर तरफ खेलना आता है...मतलब कि वो बॅस्केटबॉल पास करने के साथ-साथ खुद रिंग मे बॅस्केटबॉल घुसा सकता है...उसके अंदर उस दिन मैने रिबाउंडर और डिफेंडर स्किल भी देखी...इतनी क्वालिटी बॅस्केटबॉल के ग्राउंड मे एक ही प्लेयर के पास होना बहुत बड़ी बात होती है...गौतम अपना गेम बहुत चालाकी से खेलता था,ड्रिब्ब्ल करते वक़्त वो सामने वाली टीम को बुरी तरह से चौका देता था..उस दिन कुच्छ पल के लिए मुझे ऐसा भी लगने लगा ,जैसे कि मैं गौतम के सामने नौसीखिया हूँ...उसने कयि बार मेरे हाथ से बॅस्केटबॉल अपने हाथ मे ले ली थी...वो भी बड़ी आसानी से
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"व्हाट आ शॉट ! "जब गौतम ने कोर्ट के बीच-ओ-बीच से बोले तो हाफ कोर्ट से बॅस्केटबॉल को रिंग मे डाल दिया तो मुझे ये कहना ही पड़ा...
किसी खेल मे आप एक चीज़ नही बदल सकते और वो ये कि एक शानदार खिलाड़ी का सम्मान करना...उस मॅच के दौरान मैं गौतम के प्लेयिंग स्किल्स से ख़ासा प्रभावित हुआ था और उस 1 पॉइंट बोनस लेने वाले शॉट को देखकर मेरे मुँह से उसके लिए तारीफ के शब्द अपने आप ही निकल गये...
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लेकिन अब बारी मेरी थी ,अब तक मैं दो बार फाउल हो चुका था और साथ मे बीते दिन भी याद आ रहे थे...गौतम के पास भले ही कुच्छ अच्छी टेक्नीक्स थी लेकिन डीओजी फ़ॉर्मूला तो मेरे ही पास था...
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"मैं इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर हूँ और अभी तो आधा घंटा बाकी है,तू देखते जा मैं तेरा क्या हाल करता...थोड़ी ही देर मे तुझसे 5 फाउल करवा कर मॅच ख़त्म होने पहले ही तुझे मॅच से बाहर करवा दूँगा..."गौतम अपने दाँत चबाते हुए बोला...
"इंसान को कभी अपनी औकात नही भूलनी चाहिए ,तू आज तक डिस्ट्रिक्ट लेवेल से आगे नही गया होगा और मैं यहाँ एसजीएफआइ खेल कर बैठा हूँ,मेरे ख़याल से तुझे तो एसजीएफआइ का फुल फॉर्म तक नही पता होगा ,चल मैं ही बता देता हूँ एसजीएफआइ का मतलब होता है...स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया....और एक बात तू मॅच मे खुद अच्छा खेलेगा ,इट ईज़ पासिबल...लेकिन तू मुझे अच्छा खेलने से रोक लेगा इट ईज़ नोट पासिबल..."
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अरुण चुपके से उठा और मिठाई का डिब्बा उठाकर वापस आया...
"अबे अरमान,बड़े भैया कही जाग तो नही रहे..."एक मिठाई अपने मुँह मे भरकर अरुण अजीब सी आवाज़ मे बोला...
"बड़े भैया,शुरू मे सोने का नाटक कर रहे थे...लेकिन पिछले 5 मिनिट्स से वो सो रहे है..इसलिए बिंदास होकर अपनी टंकी भर..."अरुण के नक्शे कदम पर चलते हुए मैने भी एक मिठाई उठाई और उसे खाते हुए अजीब सी आवाज़ मे बोला...
" ये तुझे कैसे मालूम..."अरुण ने एक और पीस उठाते हुए पुछा..
"आज से लगभग दो साल पहले एक न्यूज़ पेपर मे एक आर्टिकल आया था ,जिसमे ये बताया गया था कि आप आँख मूंद कर लेटे हुए एक शक्स को देखकर कैसे मालूम करोगे कि वो सोने का नाटक कर रहा है या सच मे सो रहा है...."मैने भी मिठाई का दूसरा पीस उठाते हुए जवाब दिया...
"कमाल है.."अबकी बार अरुण ने तीसरा पीस उठाया और कहा"मैं क्या बोलता हूँ कि अपुन दोनो ही मिलकर ये डिब्बा खाली कर देते है,वरना बड़े भैया के जाते ही लौन्डे टूट पड़ेंगे और हम दोनो घंटा हिलाते रह जाएँगे"
"एक दम करेक्ट बात बोली है तूने..."
"वो तो अपुन हमेशा बोलता है...बोल पापा इसी बात पर "
"मम्मी बोलू...ये चलेगा क्या "
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एक घंटे बाद बड़े भैया की आँख खुली और उन्होने हॉस्टिल वॉर्डन से मुलाक़ात की और मेरे बारे मे,मेरी हरकतों के बारे मे वॉर्डन से बात-चीत की...अब एक कॉलेज हॉस्टिल का वॉर्डन हॉस्टिल मे रहने वाले सभी लड़को के बारे मे कैसे जान सकता है...लेकिन हमारा वॉर्डन मेरे बारे मे बहुत कुच्छ जानता था...मेरी हरकतों के बारे मे वो मेरे भाई को सब कुच्छ बता सकता था...लेकिन उसने ऐसा नही किया और उसने ऐसा क्यूँ नही किया ,इसका रीज़न भी मैं ही था...हुआ कुच्छ यूँ कि जब से बड़े भैया ने फोन मे बताया था की वो यहाँ आकर मेरे टीचर्स से मिलेंगे तभिच से मैने सीडार को बोलकर अपने वॉर्डन को समझा दिया था कि वो मेरे बड़े भैया से मेरी कोई शिकायत ना करे...और हुआ भी वैसा ही, वॉर्डन ने बड़े भैया से कुछ नही कहा.....
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उन दिनो मेरी किस्मत भी कुच्छ ज़्यादा ही मुझपर मेहरबान चल रही थी, जहाँ कल रात मैने कॉलेज की सबसे हॉट लौंडी को उसी के घर मे उसी के बिस्तर पर चोदा था वही कल की फेरवेल पार्टी के चलते आज कॉलेज बंद था...जिससे बड़े भैया को मेरे टीचर्स से मिलने का कोई मौका नही मिला...अब मैं प्राइम मिनिस्टर का कोई रिश्तेदार तो था नही कि कॉलेज का स्टाफ मेरे विपिन भैया से मिलने के लिए आए इसलिए बड़े भैया को फिलहाल वॉर्डन के मुँह से मेरी झूठी तारीफ सुनकर ही जाना पड़ा..
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"आप कहो तो रेलवे स्टेशन तक छोड़ देता हूँ, बाइक का जुगाड़ है..."हॉस्टिल से बाहर निकलते वक़्त मैने कहा...
"कोई ज़रूरत नही है और बाइक कम चलाया कर..."डाँट लगाते हुए वो बोले
"बड़े भैया आपने ठीक से सुना नही शायद....मैने कहा कि मैं आपको रेलवे स्टेशन तक छुड़वा देता हूँ,मेरे किसी सीनियर के साथ..."अपनी बात को तुरंत पलट कर मैने कहा...
"वो सब छोड़ और ये बता की अरुण की कितने सब्जेक्ट मे बॅक लगी है..."
"आपके कान किसने भरे अरुण के खिलाफ वो तो टॉपर है क्लास का"पहले मैं बुरी तरह हड़बड़ाया लेकिन बाद मे संभालते हुए जवाब दिया...
मेरी बात सुनकर बड़े भैया वही रुक गये और मेरी तरफ देखते हुए बोले"अरमान, जिस दो साल पहले की आर्टिकल का हवाला देकर तू अरुण से बिंदास होकर बात कर रहा था, वो आर्टिकल मैने भी पढ़ा था और मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि सोने की आक्टिंग कैसे करनी है...."
ये मेरी लिए करेंट के किसी झटके की तरह था..क्यूंकी यदि ऐसा था तो बड़े भैया ने फिर हमारी सारी बाते सुन ली होगी और साथ मे मैं खुद को शाबाशी भी दे रहा था कि अच्छा हुआ जो मैने उस वक़्त अपने बारे मे कोई बात नही की...वरना अभी ही मेरी टी.सी. निकल जाती....
"अब जर्मन मे बोलेगा या हिन्दी मे ही जवाब देगा..."मुझे भौचक्के खड़ा देखकर बड़े भैया ने अपना सवाल दागा...
"एक ही सब्जेक्ट मे बॅक है अरुण की..."
"और तूने वरुण नाम के सीनियर को क्यूँ पीटा था, मना किया था ना लड़ाई झगड़े के लिए..."
ये मेरे लिए पहले वाले झटके से भी बड़ा झटका था...बोले तो डबल शॉक....
ये मेरे लिए डबल शॉक इसलिए था क्यूंकी इस बारे मे मैने रूम मे अरुण से कोई डिस्कशन नही किया था लेकिन फिर भी विपिन भैया को ये मालूम चला...मतलब पक्का किसी ने अपनी काली ज़ुबान बड़े भैया के आगे खोली थी....
"उस म्सी वॉर्डन ने बताया होगा..."मैने अंदाज़ा लगाया...
"आपको ये किसने बताया..."
"जब मैं यहाँ आ रहा था तभी तेरे एक सीनियर से मेरी मुलाक़ात हुई और मैने तेरे बारे मे पुछा और जानता है क्या हुआ..."
"क्या "
"मैं अपनी बात भी ख़त्म नही कर पाया था कि वो बोल पड़ा.....आप उसी अरमान की बात कर रहे है ना जिसने वरुण वेर्मा को ठोका था...तो फिर मैने जवाब दिया कि...हां मैं उसी अरमान की बात कर रहा हूँ और मैं उसका बड़ा भाई हूँ..."
"उसके बाद क्या हुआ..."मेरी आवाज़ अब दबने लगी थी...मेरी हालत अब ऐसी थी जैसे कि मेरा बहुत बड़ा जुर्म सामने आ गया हो....
"जैसे ही तेरे उस सीनियर को पता चला कि मैं तेरा बड़ा भाई हूँ...तो वो एक दम से चुप हो गया और तुरंत ही वहाँ से खिसक लिया..."
"ऐसे ही छोटी-मोटी बहस हुई थी वरुण से...कुछ खास नही हुआ..."
"कुछ खास होना भी नही चाहिए...."मैं हाइवे से हमारे हॉस्टिल को जोड़ने वाली रोड पर आकर बड़े भैया ने कहा"देख अरमान, ये उम्र का वो दौर है,जब सारी अच्छी नसीहत खराब लगती है...बंदा ये सोचने लगता है कि ये सारे नियम ,क़ायदे-क़ानून उसे बंदिशो मे क़ैद करने के लिए बनाए गये है...लेकिन हक़ीक़त ये नही होती, हम सारी चीज़ो को तब समझते है,जब सब कुछ हमारे हाथो से निकल चुका होता है....मैं ये नही कह रहा कि तू कोई आदर्शवादी बन, कोई मिसाल कायम कर...लेकिन इस बात का भी ध्यान रख कि हम मिड्ल क्लास के लोग जिस सोसाइटी मे रहते है...वो बड़ी खराब है...यहाँ लोग अपने बारे मे सोचने से ज़्यादा दूसरो की बुराई करने मे ज़्यादा ध्यान देते है...यू डॉन'ट नो कि तेरे फर्स्ट सेमेस्टर मे इतने कम मार्क्स लाने से कैसी-कैसी बाते उड़ रही है...."
विपिन भैया की बाते मैं चुप-चाप सुन रहा था ,तभी मुझे दूर से सिटी बस आती हुई दिखाई दी...जिसे देखकर बड़े भैया ने बॅग मेरे हाथ से अपने हाथ मे लिया और बोले...
"एक आख़िरी बात अरमान...एंजाय युवर लाइफ फुल्ली..लेकिन इतना नही कि अदर्स एंजाय ऑन युवर लाइफ....बाइ,"
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विपिन भैया के जाने के बाद भी उनकी बात मेरे कानो मे मंदिर के घंटो की तरह रही...मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुआ ही हॉस्टिल आया और अपने रूम मे घुसते ही अरुण से पुछा की एग्ज़ॅम्स की डेट कब से है....और इस साल ये पहला मौका था जब मैने एग्ज़ॅम के पहले बुक खोलकर पढ़ने की जहमत की थी...लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण को शायद ये पसंद नही आया इसीलिए वो बार-बार खाने के समान का पॅकेट ज़ोर से खोलते हुए मेरा कॉन्सेंट्रेशन पढ़ाई से हटाना चाहता था...लेकिन मैं भी कोई कमज़ोर खिलाड़ी नही था...मैने कान मे हेडफोन फसाया और पढ़ाई फिर से शुरू कर दी....और सच मे बताऊ तो उस रात मुझे बहुत दिनो बाद सुकून की नींद आई..इतनी शानदार नींद तो कल रात दीपिका मॅम को चोदने के बाद भी नही आई थी....बेसिक एलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग सब्जेक्ट के दो चॅप्टर एक ही दिन मे पढ़ने के बाद सोते वक़्त एश के बारे मे सोचना सच मे मुझे बहुत ज़्यादा सुकून देने वाला था....
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दूसरे दिन मेरी नींद अरुण से पहले खुली, जिसका एक रीज़न शायद ये भी हो सकता था कि अरुण ने रात-भर फ़ेसबुक पर किसी लौंडिया से चाटिंग की होगी...कॉलेज के लिए देर हो रही थी,लेकिन अरुण तो भजिए तल के सो रहा था....
"जागो मोहन प्यारे, सवेरा हो गया, सुर्य आकाश मे अपनी लालिमा बिखेर रहा है और आप है कि यहाँ अपने शयन कक्ष मे चिर निंद्रा मे खोए हुए है...आज महाविद्यालय की तरफ प्रस्थान करने के बारे मे आपका क्या विचार है..."
"तूने कुछ कहा क्या..."आँखे मलते हुए वो उठा और उठने के तुरंत बाद ही बिना ब्रश किए कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा....
"अबे लोडू, ब्रश तो कर ले कम से कम..."
"शेर कभी ब्रश नही करता, खून हमेशा उनके दांतो मे लगा रहता है "
"ग़ज़ब...."
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आज मैं पहली बार कॉलेज मे पढ़ने की उम्मीद लिए जा रहा था, मैने बहुत कुच्छ सोच रखा था,जैसे कि कुच्छ भी हो जाए,मैं क्लास मे एक लफ्ज़ भी अपने मुँह से नही निकालूँगा, टीचर्स जो पढ़ाएँगे वो समझ मे आए चाहे ना आए मैं फिर भी पढ़ुंगा...और हुआ भी ऐसा ही , मैने शुरू के फाइव पीरियड्स बिना किसी धमाके के निकाल लिए थे...आज किसी भी टीचर ने मुझे किसी भी बात के लिए नही टोका, और फाइनली मैं आज बहुत खुश था....सबको मेरे इस नये बर्ताव से थोड़ी हैरानी तो हुई लेकिन उन सबसे ज़्यादा हैरान और परेशान मेरा खास दोस्त अरुण था और उससे भी ज़्यादा हैरान और परेशान मैं खुद था....
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"ओये अरमान, ये क्या लौंदियो की तरह डर कर चुप चाप बैठा है...मर्द बन और पहले की तरह बक्चोदि कर..."
"अभी तो फिलहाल मुझे स्टूडेंट बनना है और मर्द तो मैं हूँ ही..."
"मेरा कहने का मतलब था रियल मर्द बन..."
"चुप कर लवडे,आज मैं पढ़ने के मूड मे हूँ..."
"क्या पढ़ेगा इस बकवास पीरियड मे,"जमहाई लेते हुए अरुण ने कहा"एक तो वैसे भी ये ग्रूप डिस्कशन सब्जेक्ट सबसे बोरिंग सब्जेक्ट है उपर से ये भावना माँ को देखकर नींद और आ जाती है...यदि तू अपने बड़े भैया की नसीहत को इस पीरियड मे छोड़ देगा तो तेरा ही फ़ायदा होगा..."
"अबे बाहर कर देगी ये मोटी..."
"घंटा बाहर करेगी, ज़रा एक नज़र पूरी क्लास मे घुमा कर देख...सब टाइम पास कर रहे है..."
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अरुण के कहने पर मैने अपनी नज़र एक बार पूरी क्लास मे दौड़ाई,वो सही बोल रहा था...जहाँ भावना माँ एक तरफ किसी टॉपिक पर लेक्चर दे रही थी वही दूसरी तरफ क्लास के सभी स्टूडेंट्स खुद का लेक्चर चला रहे थे...मैने सोचा की इस पीरियड मे अपने दिमाग़ को तोड़ा आराम दिया जाए....
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"चल आजा लड़कियो के बारे मे बात करते है..."जमहाई मरते हुए मैने कहा...
"वो सब तो ठीक है लेकिन इस फटतू नवीन को इधर से भगा...साला खुद तो डरता रहता है उपर से हमे भी डरता है..."
"रहने दे ,मैं खुद ही यहाँ से चला जाता हूँ..."हम दोनो की बक बक से परेशान होकर नवीन ने कहा....
नवीन मौका देख कर पीछे वाली सीट पर समा गया और नवीन के जाते ही मेरे और अरुण के बीच पढ़ाई की बाते शुरू हो गयी...भावना मॅम का स्लीपिंग लेक्चर अब भी चालू था...भावना मॅम की क्लास को हम दोनो ने इस कदर भुला दिया कि हमे याद तक नही रहा कि अभी हम दोनो कॉलेज मे है...
"अरुण आंड अरमान..क्या चल रहा है उधर.."
"कुछ नही...कुच्छ भी तो नही माँ.."मैने तुरंत मोबाइल बॅग मे डाला और खड़ा हो गया...
"मोबाइल लाओ इधर और होड़ के पास चलने को तैयार हो जाओ"
"सॉरी मॅम,वो किसी की कॉल आ रही थी..."
"इतना एमर्जेन्सी कॉल था तो पर्मिशन लेकर बाहर जा सकते थे,इस तरह से क्लास को चिड़िया घर बनाने की क्या ज़रूरत थी..."
"नेक्स्ट टाइम से बिल्कुल भी ऐसा नही करूँगा..."एक दम प्यार से माफी मॅगने वाले अंदाज़ मे मैने कहा...
"अच्छा ये बताओ,जो सवाल मैने पुचछा था उसका जवाब क्या होगा..."
"रिपीट दा क्वेस्चन प्लीज़ "
भावना मॅम ने क्वेस्चन रिपीट किया लेकिन सब कुछ पानी की तरह मेरे सर के उपर से गया "मॅम, एक बार ग्रूप डिस्कशन का टॉपिक बताओ ना ..."
उसके बाद भावना मॅम मुझे खा जाने वाली नॅज़ारो से देखने लगी और गुस्से से चीखते हुए बोली"निकल जाओ मेरे क्लास से..."
"म्सी चिल्ला मत, वरना एक बार लंड फेकुंगा तो पूरा खानदान चुद जाएगा..."उनकी आँखो मे देखते हुए मैने अपनी आँखो से ही कह दिया और पैर पटकते हुए क्लास से बाहर आया....
क्लास से बाहर निकाले जाने के कुच्छ ही देर बाद ही कुच्छ ऐसा हुआ कि जहाँ कुच्छ देर पहले मैं भावना मॅम को गालियाँ दे रहा था अब वही मैं उनके मोबाइल पर थॅंक यू का मेस्सेज भेजना चाहता था...थॅंक यू का मेस्सेज मोबाइल पर इसलिए क्यूंकी भावना मॅम के सामने जाकर थॅंक यू बोलने की हिम्मत नही थी
"एश....रुक"एश जब क्लास से अकेली निकली तो मैने उसे आवाज़ दी लेकिन उसने मुझे पूरी तरह से इग्नोर किया और आगे चल दी...
"ओये चुड़ैलिन रुक..."
"क्या है "गुस्से से पलट कर वो बोली..
"तुझे भी क्लास से निकाल दिया क्या"उसे हल्का सा धक्का देते हुए मैने कहा..
.जिससे वो भड़क उठी और दूर होते हुए बोली
"माइंड युवर बिहेवियर..."
"चल चुड़ैल,ज़्यादा भाव मत खा...और ये बता कि तुझे क्लास से क्यूँ निकाला है..."
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क्लासस अभी भी चल रही थी इसलिए कॉरिडर अभी पूरा खाली था,जिसमे मैं एश को परेशान कर रहा था...और दिल ही दिल मे ये भी सोच रहा था कि आज तो मस्त मौका मिला है....
"अरमान, मेरा मूड इस वक़्त बहुत खराब है...दूर रहो मुझसे..."
"ईईईईईई....."
"क्या ईईईई.."
"कुछ नही "उदास होते हुए मैने सोचा कि शायद मैं कभी एश को आइ लव यू नही बोल पाउन्गा...साला वैसे तो बहुत शेर बनता हूँ लेकिन जब इस चुड़ैल को आइ लव यू बोलने की बारी आती है तो हवा टाइट हो जाती है....फिर मैने सोचा कि आइ लव यू बोलने की इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो सेकेंड सेमेस्टर ही चल रहा है....
"अब मेरे पीछे मत आना..."कॉरिडर मे आगे बढ़ते हुए एश बोली...
वैसे तो एश ने मुझे उसको फॉलो करने के लिए मना किया था लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे अपने साथ चलने का इन्विटेशन दे रही हो....मेरी सोच सही थी या फिर मैं ग़लत था,ये मुझे नही पता...लेकिन उस दिन मैं एश के पीछे-पीछे गया...शुरू मे तो वो गुस्सा हुई लेकिन फिर चुप हो गयी और कॅंटीन के पास पहुचते ही वो मुझपर मुस्कुराने लगी....
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"तुम पर केस कर दूँगी..."हँसते हुए उसने कहा...
कॅंटीन मे वो जिस टेबल पर बैठी थी मैं भी अब वही बैठ गया था...
"तुम्हे मालूम है एश ,यू आर लाइक माइ कॅट...बोले तो एक दम सेम टू सेम.."
"तुम्हारा दिमाग़ सही नही है,तुम बिल्कुल पागल हो,मैं जा रही हूँ यहाँ से.."तुनक कर एसा वहाँ से उठी और जाने लगी...
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मैं चाहता तो एश का हाथ पकड़ कर रोक सकता था...लेकिन मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझसे कहा कि "बेटा फ़िल्मो की कॉपी मत कर...वरना तिलमिलाई हुई एश लाफा तो मारेगी ही साथ मे गौतम के साथ पंगा अलग...."
मैने अपने सिक्स्त सेन्स की बात मान ली और एश को एक शब्द भी नही कहा मेरे ऐसा करने की एक और वजह ये थी की....अपुन की भी कोई इज़्ज़त है, अब वो बार-बार मुँह फूलकर भागे तो भाग जाए... उसके बाद मैं लगभग आधे घंटे तक और कॅंटीन मे बैठा रहा और जो मन मे आया उसे माँगा कर खाया और पैसे सीडार के अकाउंट मे एड करा दिए....
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"आई साला...मज़ा आ गया आज तो..." हॉस्टिल वाली सड़क पर चलते हुए मैने कहा..
मैं अब हॉस्टिल जाकर सीधे सोने के मूड मे था जिससे रात को रिलॅक्स होकर पढ़ सकूँ...लेकिन उसी समय मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा...
"एमटीएनएल भाई को आज मेरी याद कैसे आ गयी..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए मैने कॉल रिसेव की"हेलो..."
"हाई...हेलो छोड़ और ये बता बॅस्केटबॉल खेल लेता है ना..."
"एक दम झक्कास प्लेयर हूँ..."
"तो आजा बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर,एक प्रॅक्टीस मॅच चल रहा है..."
"अभी..."
"हां अभी..."
"लेकिन अभी तो मैं तैयार नही हूँ, एक तो मैने अभी ही जानवरो की तरह पेट भरा है और दूसरा मैं जीन्स पैंट मे बॅस्केटबॉल कैसे खेलूँगा..."
"जल्दी से इधर पहुच सब जुगाड़ है..."
"आता हूँ "
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मॅच खेलने का मन तो नही था लेकिन सीडार भाई की बात को टालना मैने मुनासिब नही समझा...बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर पहुचा तो मालूम चला कि मामला एक प्रॅक्टीस मॅच से कहीं ज़्यादा है....जिसकी कहानी मुझे सीडार ने बताई...हुआ कुच्छ यूँ कि हॉस्टिल के किसी सीनियर ने किसी बात पर सिटी वालो को बॅस्केटबॉल मॅच खेलने का चॅलेंज दे दिया और मॅच स्टार्ट होने के कुछ ही देर बाद हॉस्टिल वालो मे से दो प्लेयर जो की मॅच विन्नर थे वो ज़ख़्मी हो गये....इसलिए सीडार ने मुझे मॅच खेलने के लिए बुलाया....इतने लोगो मे से उसने मुझे ही कॉल किया इसकी वजह शायद ये थी कि मैने कुछ दिन पहले सीनियर हॉस्टिल मे बॅस्केटबॉल का नॅशनल प्लेयर होने की हुंकार मारी थी...
"अरमान देख कर,इन मुस्टांडो मे बहुत दम है...वो 4 पायंट्स से लीड कर रहे है..."
"ओके..."
किट पहनकर मैं बॅस्केटबॉल के कोर्ट मे एक प्लेयर को रीप्लेस करके आया और मॅच देख रहे लोगो पर एक नज़र दौड़ाई...वैसे कहने को तो ये एक प्रॅक्टीस मॅच था लेकिन मॅच सिटी वाले और हॉस्टिल वाले के बीच मे होने के चलते इसे खाम्खाम हाइपर बना दिया था...बॅस्केटबॉल कोर्ट के बाहर मॅच देखने वाले स्टूडेंट की गिनती लगातार बढ़ रही थी...जहाँ एक तरफ हमारी टीम को सपोर्ट करने के लिए हॉस्टिल के लड़के थे तो वही दूसरी तरफ कॉलेज की लड़किया सिटी वालो की टीम को सपोर्ट कर रही थी...जिसमे से एश,विभा और दूसरी खूबसूरत चुदैले भी थी....मुझे बॅस्केटबॉल खेलने का अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था लेकिन पिछले 8 महीनो से मैने कोर्ट मे कदम तक नही रखा था इसलिए मैं थोड़ा नर्वस था....
"खेलना आता भी है या ऐसे ही अंदर आ गया...."मेरे पास आकर गौतम ने कहा"एक बात दिमाग़ मे भर ले कि तू इस कॉलेज के सबसे शानदार प्लेयर के खिलाफ खेल रहा है...."
"ओके अंकल...अब जा के मर्वाओ अपनी..."
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एक तरफ एश...गौतम का नाम लेकर उच्छल रही थी वही मैं बॅस्केटबॉल पर ग्रिप बनाने की कोशिश कर रहा था...एक दो बार मैने बॅस्केटबॉल को ड्रिब्ब्ल भी किया लेकिन बॅस्केटबॉल पर मेरी पकड़ अब पहले जैसे नही थी और जैसे ही मैं बॅस्केटबॉल को लेकर आगे बढ़ा तो बॉल मेरे हाथ से किसी रेत की तरह फिसल गयी....
"कंचे खेल घर जाकर..."गौतम मुस्कुराते हुए बोला...
"थोड़ा सा कॅल्षियम कारबनेट लाना तो..."हॉस्टिल के एक लड़के की तरफ मैने इशारा किया जिसके जवाब मे वो अपना सर खुजाने लगा....
"अबे चुना ला थोड़ा सा उल्लू
"थोड़ा सा कॅल्षियम कारबनेट लाना तो..."हॉस्टिल के एक लड़के की तरफ मैने इशारा किया जिसके जवाब मे वो अपना सर खुजाने लगा....
"अबे चुना ला थोडा सा उल्लू"
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एक तो मैं वैसे भी इतने दिन बाद खेल रहा था उपर से आस-पास जमा हो चुकी भयंकर भीड़ ने भी प्रेशर डाल दिया था और उपर से मेरा दुश्मन गौतम मुझपर कॉमेंट किए जा रहा था और हर बार उसके कॉमेंट के बाद उसकी तरफ के प्लेयर्स और उनके दिए हार्ड फँस मुझ पर हँसते हुए नज़र आते....
"तेरा हर शॉट ब्रिक होगा...जिसका बास्केट होने का दूर-दूर तक कोई चान्स नही होता..."गौतम बोला..
"तुझे भविष्यवाणी हुई क्या कि मेरा हर शॉट ब्रिक होगा,एक बार सेट हो जाने दे फिर तो मैं डीओजी लगा कर मार लूँगा तुम सबकी..."
"वो तो वक़्त ही बताएगा..."
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रेफरी बने माइनिंग ब्रांच के एक सर ने गेम दोबारा शुरू करने का इशारा किया...
"यू आर राइट,वो तो वक़्त ही बताएगा..."
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मैं चाहे गौतम से कितनी भी लड़ाई कर लूँ या फिर मैं उसे कितनी भी गालियाँ दूं पर मैं एक चीज़ कभी नही बदल सकता कि वो बॅस्केटबॉल का एक मंझा हुआ खिलाड़ी है...उसे बॅस्केटबॉल के हर तरफ खेलना आता है...मतलब कि वो बॅस्केटबॉल पास करने के साथ-साथ खुद रिंग मे बॅस्केटबॉल घुसा सकता है...उसके अंदर उस दिन मैने रिबाउंडर और डिफेंडर स्किल भी देखी...इतनी क्वालिटी बॅस्केटबॉल के ग्राउंड मे एक ही प्लेयर के पास होना बहुत बड़ी बात होती है...गौतम अपना गेम बहुत चालाकी से खेलता था,ड्रिब्ब्ल करते वक़्त वो सामने वाली टीम को बुरी तरह से चौका देता था..उस दिन कुच्छ पल के लिए मुझे ऐसा भी लगने लगा ,जैसे कि मैं गौतम के सामने नौसीखिया हूँ...उसने कयि बार मेरे हाथ से बॅस्केटबॉल अपने हाथ मे ले ली थी...वो भी बड़ी आसानी से
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"व्हाट आ शॉट ! "जब गौतम ने कोर्ट के बीच-ओ-बीच से बोले तो हाफ कोर्ट से बॅस्केटबॉल को रिंग मे डाल दिया तो मुझे ये कहना ही पड़ा...
किसी खेल मे आप एक चीज़ नही बदल सकते और वो ये कि एक शानदार खिलाड़ी का सम्मान करना...उस मॅच के दौरान मैं गौतम के प्लेयिंग स्किल्स से ख़ासा प्रभावित हुआ था और उस 1 पॉइंट बोनस लेने वाले शॉट को देखकर मेरे मुँह से उसके लिए तारीफ के शब्द अपने आप ही निकल गये...
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लेकिन अब बारी मेरी थी ,अब तक मैं दो बार फाउल हो चुका था और साथ मे बीते दिन भी याद आ रहे थे...गौतम के पास भले ही कुच्छ अच्छी टेक्नीक्स थी लेकिन डीओजी फ़ॉर्मूला तो मेरे ही पास था...
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"मैं इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर हूँ और अभी तो आधा घंटा बाकी है,तू देखते जा मैं तेरा क्या हाल करता...थोड़ी ही देर मे तुझसे 5 फाउल करवा कर मॅच ख़त्म होने पहले ही तुझे मॅच से बाहर करवा दूँगा..."गौतम अपने दाँत चबाते हुए बोला...
"इंसान को कभी अपनी औकात नही भूलनी चाहिए ,तू आज तक डिस्ट्रिक्ट लेवेल से आगे नही गया होगा और मैं यहाँ एसजीएफआइ खेल कर बैठा हूँ,मेरे ख़याल से तुझे तो एसजीएफआइ का फुल फॉर्म तक नही पता होगा ,चल मैं ही बता देता हूँ एसजीएफआइ का मतलब होता है...स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया....और एक बात तू मॅच मे खुद अच्छा खेलेगा ,इट ईज़ पासिबल...लेकिन तू मुझे अच्छा खेलने से रोक लेगा इट ईज़ नोट पासिबल..."