hotaks444
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. एश अपने डॅड के साथ सीधे कॉलेज के अंदर गयी तो मैने भी उनका पीछा किया और उन दोनो को प्रिन्सिपल के ऑफीस मे जाता देख समझ गया कि अंदर क्या बाते हो रही होगी...मेरे ख़याल से एश का बाप अंदर प्रिन्सिपल से एश के बारे मे बात कर रहा होगा कि उसकी नाज़ुक सी लौंडिया...ओह सॉरी मेरा मतलब है कि उसकी नाज़ुक सी बेटी को इस कॅंप मे कुच्छ नही होना चाहिए...वगेरह-वगेरह.
.
एश अपने डॅड के साथ 10-15 मिनिट तक प्रिन्सिपल के ऑफीस मे रही और जब वो दोनो प्रिन्सिपल ऑफीस से निकले तो मैं भी उधर से काट लिया और उनकी कार से थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया....
"ओके डॅडी, अब आप जाइए.."ससुर जी के गले लगकर एश बोली...
"ठीक है बेटा, अब तुम भी अपने फ्रेंड्स के साथ जाओ और अपना ख़याल रखना..."
दोनो बाप-बेटी का हगिंग-हगिंग का खेल ख़त्म होने के बाद ,एश के पॅपा जी वहाँ से चलते बने...लेकिन मैं अब भी वही खड़ा था...एश के बाप के जाने के बाद एक और महँगी कार सेम तो सेम प्लेस पर आकर रुकी,जिसमे से दिव्या और उसका बाप निकला....एक बार फिर से वही सेम टू सेम ड्रामा हुआ,जो कुच्छ देर पहले हुआ था बोले तो दिव्या अपने बाप के साथ प्रिन्सिपल के पास गयी और फिर सबके सामने उसने और उसके बाप ने एक-दूसरे को हग किया....
"साले कितने बोरिंग लोग है "
.
मैं पता नही वहाँ क्यूँ खड़ा था,जबकि वहाँ तेज धूप थी और पसीने से मेरे कपड़े भीग रहे थे...लेकिन मैं था कि वही खड़ा था,बस खड़ा था....पता नही ये एसा का जादू था या फिर मेरे दिल की बेबसी जो मुझे कुच्छ सूझ ही नही रहा था. और एक पल को मुझे ना जाने कैसे पता चल गया कि एश अब मेरी तरफ पलटी मारेगी लेकिन वो मेरी तरफ मुड़ती उससे पहले ही मैं लेफ्ट साइड मे 90 डिग्री पर घूम गया और अपना मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने का झूठा नाटक करने लगा.
गॉगल्स पहनने के कयि फ़ायदे है लेकिन सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आप गॉगल्स पहनकर किसी भी लड़की की तरफ अपना चेहरा किए बिना तिरछि नज़र से उसे देख सकते है और उस लड़की को पता भी नही चलता. उस वक़्त मेरी आँखो मे एक काला धाँसू चश्मा था और मैं अपनी आँखे तिरछि किए हुए एश को देख रहा था....
एश शांत होकर बहुत देर तक मुझे देखती रही और फिर दिव्या के साथ बस के अंदर चली गयी...एश दूसरी बस मे बैठी थी और उसके वहाँ से जाने के बाद मैं भी अपने बस की तरफ बढ़ा ये सोचते हुए कि"एक समय कैसे मैं उसे बहुत परेशान करता था और हर बार वो पहले गुस्सा होती और फिर एक मस्त स्माइल पास करती थी...लेकिन वो सब कुच्छ जैसे कि मेरा उसको हर दिन परेशान करना...उसका मुझपर गुस्सा होना और फिर मुझे देखकर उसकी प्यारी सी मुस्कान...अब ये सब बीते जमाने की बात हो चुकी थी. हम दोनो अक्सर जब भी एक-दूसरे के आमने-सामने आते तो ऐसे बिहेव करते जैसे हम दोनो एक-दूसरो को जानते तक नही और आज भी ऐसा ही हुआ था.
वो तो मुझसे बात करने से रही और इधर मेरे घमंड ने मुझे कोई पहल करने से रोक रखा था,मैं यही चाहता था कि शुरुआत वो करे...जो मुझे इस जनम मे मुश्किल ही लग रहा था.
यही सब सोचते हुए मैं बस के अंदर गया और अपने दोस्तो को आवाज़ दी...
"सब चलो बे,दूसरी वाली बस मे बैठेंगे..."
"लेकिन वो तो लड़कियो की बस है...प्रिन्सिपल का ऑर्डर भूल गया क्या..."
"उस टकले की माँ की आँख, तुम सब चलो मेरे साथ..."मैने कहा और इसी के साथ मेरा पहला रूल"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स(X)" की माँ-बहन हुई
मैने कभी सपने मे भी या फिर कहे कि ग्रूप डिस्कशन की बोरिंग क्लास मे भी नही सोचा था कि जिन प्लॅन्स को बनाने के लिए मैने अपना सर खपाया था ,उन प्लॅन्स को एक दिन मैं ही अर्थी पर लेटा दूँगा...वो भी एक साथ.
मेरे अब तक के तीनो प्लॅन्स ,जो कि मुझे एक अच्छा स्टूडेंट और एग्ज़ॅम मे मेरे अच्छे मार्क्स ला सकते है,उन्हे मैं पिछले आधे घंटे के अंदर तोड़ चुका था.
हॉस्टिल जाकर मैने दो सिगरेट पिए इससे मेरा 'प्लान नो. 2-क्विट स्मोकिंग' तुरंत अर्थि पर लेट गया . कुच्छ देर पहले मैने प्रिन्सिपल को गाली बाकी जिससे मेरे 'प्लान नंबर. 1 -रेस्पेक्ट युवर टीचर्स' की धज्जिया उड़ी और अब लड़कियो वाली बस मे जाकर मैं अपने प्लान नंबर.3'स्टे अवे फ्रॉम गर्ल्स' को तोड़ने जा रहा था. मेरा ऐसा बिहेवियर किसी भी लिहाज से सही नही था सिवाय इसके कि मैं खुद अपने प्लान तोड़ रहा था ना कि कोई दूसरा.....
.
"प्रिन्सिपल चोदेगा हम सबको ,यदि उसे पता चल गया कि हम लोग उसके ऑर्डर को फॉलो नही मान रहे है तो..."
"टेन्षन मत ले बेबी.प्रिन्सिपल भी एक जमाने मे जवान लौंडा रहा होगा इसलिए वो हमारी भावनाओ को समझ जाएगा और वैसे भी उसे कौन बताने जा रहा है कि लड़कियो वाली बस मे मुझ जैसा एक हॅंडसम लड़का था...."अरुण की बकवास को बीच मे ही रोक कर मैने कहा"उस बस मे दिव्या भी है ,सोच ले..."
"अरे गान्ड मराए दिव्या,.उस साली के चक्कर मे इतना बड़ा कांड हो गया और तू चाहता है कि मैं उसके बारे मे सोचु...कभी नही,बिल्कुल नही. "
"बात तो तेरी सही है और जब तुझे उससे कोई मोह-माया नही है तो फिर तुझे उस वक़्त बिल्कुल भी बुरा नही लगेगा,जब मैं उसे गाली बकुँगा..."
"बुरा वो मानता है जिसके पास बुर होता है और मेरे पास लंड है..."
"ओके..तो मैं ये कहना चाहता हूँ कि वो साली दिव्या ,एक नंबर. 1 की बक्चोद है...हॉस्पिटल से वापस आने के बाद शुरू-शुरू मे सोचा कि उसे भी दीपिका और नौशाद की तरह लपेटे मे ले लूँ...लेकिन फिर एक लौंडिया है,सोचकर जाने दिया और लौन्डो को देखकर जैसे वो अपना मुँह फाड़ती है ना ,उससे तो मुझे यही लगता है कि पक्का उसने आज तक कम से कम 10 लंड तो ज़रूर लिया होगा,एक तू ही चोदु था जो किस के चक्कर मे पकड़ा गया.जब पकड़ना ही था तो दिव्या को चोदते वक़्त पकड़ता...मुझे तो ये भी लगता है कि वो तेरे ज़रिए मुझपर डोरे डाल रही थी क्यूंकी मैं तुझसे ज़्यादा स्मार्ट और हॅंडसम हूँ..."
"अबे तू दिव्या की बुराई कर रहा है या मेरी..."
"दिव्या की...तू तो भाई है मेरा ,वैसे तो मैं तुझे इनडाइरेक्ट्ली चोदु कहना चाहता था,लेकिन देख मैने कहा क्या...नही कहा ना. वैसे तो मैं इनडाइरेक्ट्ली तुझे बदसूरत भी कहना चाहता था ,लेकिन देख मैने ऐसा कुच्छ भी कहा क्या...नही कहा ना. अरे पगले तू भाई है मेरा "
"ह्म बेटा, इनडाइरेक्ट्ली बोल-बोल कर डाइरेक्ट्ली मुझे चोदु और बदसूरत बोल रहा है...लवडे के बाल... "
"चल आजा ,अब लड़कियो वाले बस मे चलते है..."
बस से अपनी छोटी सी मंडली के साथ उतर कर मैं दूसरे वाली बस की तरफ चल पड़ा.
"अबे, उस बस मे एसा के साथ पक्का गौतम होगा....कही कुच्छ लफडा ना हो जाए..."लड़कियो वाली बस की तरफ मेरे कदम से कदम मिलकर चलते हुए अरुण ने कहा...
"अबे बक्चोद, भूल गया क्या...प्रिन्सिपल ने फाइनल एअर वालो को कॅंप पर जाने के लिए मना कर रखा है..."
"प्रिन्सिपल के कहने से क्या होता है.क्यूंकी यदि गौतम एश के साथ जाना चाहे तो वो अपने बाप की पॉवर का यूज़ करके बड़ी आसानी से जा सकता है और जहाँ तक मेरा मानना है उसके हिसाब से गौतम अपने बाप की पहुच का इस्तेमाल करके ,एश के साथ ज़रूर इस पिक्निक कम कॅंप मे जाएगा..."
"चल इसी बात पर लगाता है क्या हज़ार-हज़ार की शर्त..."मैने कहा...
बेट का अमाउंट मैने हज़ार रुपये इसलिए रखा क्यूंकी मुझे मालूम था कि ये शर्त मैं ही जीतने वाला हूँ क्यूंकी मुझे पहले से ही इस शर्त का नतीजा मालूम था.
"हज़ार रुपये क्या तेरे पॅपा मुझे देंगे...शर्त लगानी है तो 100-100 की लगा,वरना गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के गान्ड मे जा..."
"चल ठीक है...100 डन."मैने अपना हाथ अरुण की तरफ बढ़ाया
"मेरी तरफ से भी डन..."मेरे हाथ मे अपना हाथ देते हुए अरुण ने कहा...
और जब शर्त को दोनो तरफ से हरी झंडी मिल गयी तो मैने और अरुण ने 100-100 निकाल कर सौरभ के हाथ मे दे दिए क्यूंकी हम दोनो ही जानते थे कि यदि शर्त के पैसे हमारे पास रहे तो जितने वाले को इनाम के तौर पर सिवाय बाबाजी के घंटा के आलवा और कुच्छ नही मिलेगा...
.
जिस बस मे हमारे कॉलेज की लड़किया बैठी थी ,उसके अंदर घुसकर मैने अरुण को दिखाया कि एश कैसे दिव्या के साथ बैठी है और इसी के साथ मैं अरुण से 100 जीत गया
हमारी मंडली के उस बस मे आने से सभी लड़कियो का मुँह 3 इंच फट गया.सभी आइटम हैरान थी,परेशान थी कि मैं और मेरे दोस्त कैसे उनके बस मे आ टपके...शुरू की लगभग आधी सीट लड़कियो से भर चुकी थी लेकिन पीछे तरफ की सीट अब भी खाली थी,इसलिए बिना किसी लड़की की तरफ देखे हम लोग सीधे पीछे की तरफ बढ़ गये....
"अरमान भाई, वो आपका वॉर्डन पीछे गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के साथ बैठा है...मैं क्या बोलता हूँ ,अपन सब अभिच इस बस से खिसक लेते है वरना भारी बेज़्जती करेंगे वो दोनो..."पीछे की तरफ बढ़ते हुए राजश्री पांडे ने मेरे कान मे कानाफुसी की ,जिसके बाद मेरी नज़र पीछे की सीट पर बैठे हमारे वॉरडन्स पर गयी...
"तुम लोग बैठो ,मैं उसे चोदु बनाकर आता हूँ..."धीरे से बोलते हुए मैं उन्दोनो की तरफ गया....
मुझे बस मे देखकर उन्दोनो का भी पहले वही हाल हुआ, जो की कुच्छ देर पहले लड़किया का हुआ था..बोले तो उन दोनो का भी मुँह 3 इंच खुल गया था...मुझे अपने सामने देखते ही जहाँ गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन किसी सोच मे डूब गयी वही हमारे हॉस्टिल के वॉर्डन की आँख मे ज्वालामुखी तैर रहा था,जो कभी भी फट सकता था.....
"सर.."अपने हॉस्टिल के वॉर्डन की तरफ मुखातिब होते हुए मैं बोला"वो हमारे बस की सभी सीट फुल हो गयी है...इसलिए हम लोग इस बस मे आ गये ,लेकिन यदि आप कहे तो हमलोग अभी इस बस से उतर जाएँगे और पहली वाली बस मे खड़े-खड़े ही चले जाएँगे "
"कोई बात नही बेटा, तुम लोग कोई बाहरी आवारा लड़के थोड़े ही हो...तुम लोग आराम से बैठो...बस इसका ख़याल रखना की यहाँ लड़किया भी बैठी हुई है."
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से ये सुनकर मेरा रोम-रोम खुशी से झूम उठा और दिल किया कि अभिच उस वॉर्डन को एक 'वरदान' माँगने के लिए कह दूं लेकिन फिर ख़याल आया कि वो 'वरदान' तो पूरा होगा नही तो ऐसे बोलने का क्या फ़ायदा....
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से हमे जैसे ही हरी झंडी मिली,हमारा वॉर्डन कुच्छ कहने के मूड मे था , उसके आँखो की चाल और फेस का रिक्षन देखकर मैं समझ गया कि वो पक्का हमारी बुराई गर्ल्स हॉस्टिल के वॉर्डन से करेगा लेकिन वो कुच्छ बोलता उसके पहले ही मैं बोल उठा...
"थॅंक यू सर, थॅंक यू मॅम..."
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एश अपने डॅड के साथ 10-15 मिनिट तक प्रिन्सिपल के ऑफीस मे रही और जब वो दोनो प्रिन्सिपल ऑफीस से निकले तो मैं भी उधर से काट लिया और उनकी कार से थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया....
"ओके डॅडी, अब आप जाइए.."ससुर जी के गले लगकर एश बोली...
"ठीक है बेटा, अब तुम भी अपने फ्रेंड्स के साथ जाओ और अपना ख़याल रखना..."
दोनो बाप-बेटी का हगिंग-हगिंग का खेल ख़त्म होने के बाद ,एश के पॅपा जी वहाँ से चलते बने...लेकिन मैं अब भी वही खड़ा था...एश के बाप के जाने के बाद एक और महँगी कार सेम तो सेम प्लेस पर आकर रुकी,जिसमे से दिव्या और उसका बाप निकला....एक बार फिर से वही सेम टू सेम ड्रामा हुआ,जो कुच्छ देर पहले हुआ था बोले तो दिव्या अपने बाप के साथ प्रिन्सिपल के पास गयी और फिर सबके सामने उसने और उसके बाप ने एक-दूसरे को हग किया....
"साले कितने बोरिंग लोग है "
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मैं पता नही वहाँ क्यूँ खड़ा था,जबकि वहाँ तेज धूप थी और पसीने से मेरे कपड़े भीग रहे थे...लेकिन मैं था कि वही खड़ा था,बस खड़ा था....पता नही ये एसा का जादू था या फिर मेरे दिल की बेबसी जो मुझे कुच्छ सूझ ही नही रहा था. और एक पल को मुझे ना जाने कैसे पता चल गया कि एश अब मेरी तरफ पलटी मारेगी लेकिन वो मेरी तरफ मुड़ती उससे पहले ही मैं लेफ्ट साइड मे 90 डिग्री पर घूम गया और अपना मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने का झूठा नाटक करने लगा.
गॉगल्स पहनने के कयि फ़ायदे है लेकिन सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आप गॉगल्स पहनकर किसी भी लड़की की तरफ अपना चेहरा किए बिना तिरछि नज़र से उसे देख सकते है और उस लड़की को पता भी नही चलता. उस वक़्त मेरी आँखो मे एक काला धाँसू चश्मा था और मैं अपनी आँखे तिरछि किए हुए एश को देख रहा था....
एश शांत होकर बहुत देर तक मुझे देखती रही और फिर दिव्या के साथ बस के अंदर चली गयी...एश दूसरी बस मे बैठी थी और उसके वहाँ से जाने के बाद मैं भी अपने बस की तरफ बढ़ा ये सोचते हुए कि"एक समय कैसे मैं उसे बहुत परेशान करता था और हर बार वो पहले गुस्सा होती और फिर एक मस्त स्माइल पास करती थी...लेकिन वो सब कुच्छ जैसे कि मेरा उसको हर दिन परेशान करना...उसका मुझपर गुस्सा होना और फिर मुझे देखकर उसकी प्यारी सी मुस्कान...अब ये सब बीते जमाने की बात हो चुकी थी. हम दोनो अक्सर जब भी एक-दूसरे के आमने-सामने आते तो ऐसे बिहेव करते जैसे हम दोनो एक-दूसरो को जानते तक नही और आज भी ऐसा ही हुआ था.
वो तो मुझसे बात करने से रही और इधर मेरे घमंड ने मुझे कोई पहल करने से रोक रखा था,मैं यही चाहता था कि शुरुआत वो करे...जो मुझे इस जनम मे मुश्किल ही लग रहा था.
यही सब सोचते हुए मैं बस के अंदर गया और अपने दोस्तो को आवाज़ दी...
"सब चलो बे,दूसरी वाली बस मे बैठेंगे..."
"लेकिन वो तो लड़कियो की बस है...प्रिन्सिपल का ऑर्डर भूल गया क्या..."
"उस टकले की माँ की आँख, तुम सब चलो मेरे साथ..."मैने कहा और इसी के साथ मेरा पहला रूल"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स(X)" की माँ-बहन हुई
मैने कभी सपने मे भी या फिर कहे कि ग्रूप डिस्कशन की बोरिंग क्लास मे भी नही सोचा था कि जिन प्लॅन्स को बनाने के लिए मैने अपना सर खपाया था ,उन प्लॅन्स को एक दिन मैं ही अर्थी पर लेटा दूँगा...वो भी एक साथ.
मेरे अब तक के तीनो प्लॅन्स ,जो कि मुझे एक अच्छा स्टूडेंट और एग्ज़ॅम मे मेरे अच्छे मार्क्स ला सकते है,उन्हे मैं पिछले आधे घंटे के अंदर तोड़ चुका था.
हॉस्टिल जाकर मैने दो सिगरेट पिए इससे मेरा 'प्लान नो. 2-क्विट स्मोकिंग' तुरंत अर्थि पर लेट गया . कुच्छ देर पहले मैने प्रिन्सिपल को गाली बाकी जिससे मेरे 'प्लान नंबर. 1 -रेस्पेक्ट युवर टीचर्स' की धज्जिया उड़ी और अब लड़कियो वाली बस मे जाकर मैं अपने प्लान नंबर.3'स्टे अवे फ्रॉम गर्ल्स' को तोड़ने जा रहा था. मेरा ऐसा बिहेवियर किसी भी लिहाज से सही नही था सिवाय इसके कि मैं खुद अपने प्लान तोड़ रहा था ना कि कोई दूसरा.....
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"प्रिन्सिपल चोदेगा हम सबको ,यदि उसे पता चल गया कि हम लोग उसके ऑर्डर को फॉलो नही मान रहे है तो..."
"टेन्षन मत ले बेबी.प्रिन्सिपल भी एक जमाने मे जवान लौंडा रहा होगा इसलिए वो हमारी भावनाओ को समझ जाएगा और वैसे भी उसे कौन बताने जा रहा है कि लड़कियो वाली बस मे मुझ जैसा एक हॅंडसम लड़का था...."अरुण की बकवास को बीच मे ही रोक कर मैने कहा"उस बस मे दिव्या भी है ,सोच ले..."
"अरे गान्ड मराए दिव्या,.उस साली के चक्कर मे इतना बड़ा कांड हो गया और तू चाहता है कि मैं उसके बारे मे सोचु...कभी नही,बिल्कुल नही. "
"बात तो तेरी सही है और जब तुझे उससे कोई मोह-माया नही है तो फिर तुझे उस वक़्त बिल्कुल भी बुरा नही लगेगा,जब मैं उसे गाली बकुँगा..."
"बुरा वो मानता है जिसके पास बुर होता है और मेरे पास लंड है..."
"ओके..तो मैं ये कहना चाहता हूँ कि वो साली दिव्या ,एक नंबर. 1 की बक्चोद है...हॉस्पिटल से वापस आने के बाद शुरू-शुरू मे सोचा कि उसे भी दीपिका और नौशाद की तरह लपेटे मे ले लूँ...लेकिन फिर एक लौंडिया है,सोचकर जाने दिया और लौन्डो को देखकर जैसे वो अपना मुँह फाड़ती है ना ,उससे तो मुझे यही लगता है कि पक्का उसने आज तक कम से कम 10 लंड तो ज़रूर लिया होगा,एक तू ही चोदु था जो किस के चक्कर मे पकड़ा गया.जब पकड़ना ही था तो दिव्या को चोदते वक़्त पकड़ता...मुझे तो ये भी लगता है कि वो तेरे ज़रिए मुझपर डोरे डाल रही थी क्यूंकी मैं तुझसे ज़्यादा स्मार्ट और हॅंडसम हूँ..."
"अबे तू दिव्या की बुराई कर रहा है या मेरी..."
"दिव्या की...तू तो भाई है मेरा ,वैसे तो मैं तुझे इनडाइरेक्ट्ली चोदु कहना चाहता था,लेकिन देख मैने कहा क्या...नही कहा ना. वैसे तो मैं इनडाइरेक्ट्ली तुझे बदसूरत भी कहना चाहता था ,लेकिन देख मैने ऐसा कुच्छ भी कहा क्या...नही कहा ना. अरे पगले तू भाई है मेरा "
"ह्म बेटा, इनडाइरेक्ट्ली बोल-बोल कर डाइरेक्ट्ली मुझे चोदु और बदसूरत बोल रहा है...लवडे के बाल... "
"चल आजा ,अब लड़कियो वाले बस मे चलते है..."
बस से अपनी छोटी सी मंडली के साथ उतर कर मैं दूसरे वाली बस की तरफ चल पड़ा.
"अबे, उस बस मे एसा के साथ पक्का गौतम होगा....कही कुच्छ लफडा ना हो जाए..."लड़कियो वाली बस की तरफ मेरे कदम से कदम मिलकर चलते हुए अरुण ने कहा...
"अबे बक्चोद, भूल गया क्या...प्रिन्सिपल ने फाइनल एअर वालो को कॅंप पर जाने के लिए मना कर रखा है..."
"प्रिन्सिपल के कहने से क्या होता है.क्यूंकी यदि गौतम एश के साथ जाना चाहे तो वो अपने बाप की पॉवर का यूज़ करके बड़ी आसानी से जा सकता है और जहाँ तक मेरा मानना है उसके हिसाब से गौतम अपने बाप की पहुच का इस्तेमाल करके ,एश के साथ ज़रूर इस पिक्निक कम कॅंप मे जाएगा..."
"चल इसी बात पर लगाता है क्या हज़ार-हज़ार की शर्त..."मैने कहा...
बेट का अमाउंट मैने हज़ार रुपये इसलिए रखा क्यूंकी मुझे मालूम था कि ये शर्त मैं ही जीतने वाला हूँ क्यूंकी मुझे पहले से ही इस शर्त का नतीजा मालूम था.
"हज़ार रुपये क्या तेरे पॅपा मुझे देंगे...शर्त लगानी है तो 100-100 की लगा,वरना गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के गान्ड मे जा..."
"चल ठीक है...100 डन."मैने अपना हाथ अरुण की तरफ बढ़ाया
"मेरी तरफ से भी डन..."मेरे हाथ मे अपना हाथ देते हुए अरुण ने कहा...
और जब शर्त को दोनो तरफ से हरी झंडी मिल गयी तो मैने और अरुण ने 100-100 निकाल कर सौरभ के हाथ मे दे दिए क्यूंकी हम दोनो ही जानते थे कि यदि शर्त के पैसे हमारे पास रहे तो जितने वाले को इनाम के तौर पर सिवाय बाबाजी के घंटा के आलवा और कुच्छ नही मिलेगा...
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जिस बस मे हमारे कॉलेज की लड़किया बैठी थी ,उसके अंदर घुसकर मैने अरुण को दिखाया कि एश कैसे दिव्या के साथ बैठी है और इसी के साथ मैं अरुण से 100 जीत गया
हमारी मंडली के उस बस मे आने से सभी लड़कियो का मुँह 3 इंच फट गया.सभी आइटम हैरान थी,परेशान थी कि मैं और मेरे दोस्त कैसे उनके बस मे आ टपके...शुरू की लगभग आधी सीट लड़कियो से भर चुकी थी लेकिन पीछे तरफ की सीट अब भी खाली थी,इसलिए बिना किसी लड़की की तरफ देखे हम लोग सीधे पीछे की तरफ बढ़ गये....
"अरमान भाई, वो आपका वॉर्डन पीछे गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के साथ बैठा है...मैं क्या बोलता हूँ ,अपन सब अभिच इस बस से खिसक लेते है वरना भारी बेज़्जती करेंगे वो दोनो..."पीछे की तरफ बढ़ते हुए राजश्री पांडे ने मेरे कान मे कानाफुसी की ,जिसके बाद मेरी नज़र पीछे की सीट पर बैठे हमारे वॉरडन्स पर गयी...
"तुम लोग बैठो ,मैं उसे चोदु बनाकर आता हूँ..."धीरे से बोलते हुए मैं उन्दोनो की तरफ गया....
मुझे बस मे देखकर उन्दोनो का भी पहले वही हाल हुआ, जो की कुच्छ देर पहले लड़किया का हुआ था..बोले तो उन दोनो का भी मुँह 3 इंच खुल गया था...मुझे अपने सामने देखते ही जहाँ गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन किसी सोच मे डूब गयी वही हमारे हॉस्टिल के वॉर्डन की आँख मे ज्वालामुखी तैर रहा था,जो कभी भी फट सकता था.....
"सर.."अपने हॉस्टिल के वॉर्डन की तरफ मुखातिब होते हुए मैं बोला"वो हमारे बस की सभी सीट फुल हो गयी है...इसलिए हम लोग इस बस मे आ गये ,लेकिन यदि आप कहे तो हमलोग अभी इस बस से उतर जाएँगे और पहली वाली बस मे खड़े-खड़े ही चले जाएँगे "
"कोई बात नही बेटा, तुम लोग कोई बाहरी आवारा लड़के थोड़े ही हो...तुम लोग आराम से बैठो...बस इसका ख़याल रखना की यहाँ लड़किया भी बैठी हुई है."
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से ये सुनकर मेरा रोम-रोम खुशी से झूम उठा और दिल किया कि अभिच उस वॉर्डन को एक 'वरदान' माँगने के लिए कह दूं लेकिन फिर ख़याल आया कि वो 'वरदान' तो पूरा होगा नही तो ऐसे बोलने का क्या फ़ायदा....
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से हमे जैसे ही हरी झंडी मिली,हमारा वॉर्डन कुच्छ कहने के मूड मे था , उसके आँखो की चाल और फेस का रिक्षन देखकर मैं समझ गया कि वो पक्का हमारी बुराई गर्ल्स हॉस्टिल के वॉर्डन से करेगा लेकिन वो कुच्छ बोलता उसके पहले ही मैं बोल उठा...
"थॅंक यू सर, थॅंक यू मॅम..."