hotaks444
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हम सब कॉफी हाउस के बाहर निकले और वहाँ से बाहर निकलते ही मैं अपना पूरा दम लगाकर दौड़ते हुए बोला"भागो बीसी,वरना बिल ना भरने के कारण गान्ड मे डंडे पड़ेंगे..."
"अब तो सुलभ और राजश्री पांडे भी गये और यहाँ अब सिर्फ़ हम तीनो ही बचे है...."अरुण ने मुझे दिव्या के बारे मे सब कुच्छ बताने के लिए कहा....
कॉफी हाउस से हम सब लौट कर सीधे अपने कॅंप आ गये थे और फिर बाकी का समय कॅंप के अंदर ही बिताया था.इस वक़्त हमारे कॅंप मे सिर्फ़ तीन ही लोग मौजूद थे..मैं,अरुण और सौरभ....क्यूंकी कुच्छ देर पहले ही वॉर्डन ने सबको टेलिस्कोप से आकाश दर्शन करने के लिए बाहर बुलाया था जिसके चलते नवीन, सुलभ और राजश्री पांडे कॅंप मे नही थे...आकाश-दर्शन के लिए जाते वक़्त सुलभ ने हम तीनो से भी बाहर चलने के लिए कहा ,लेकिन हम तीनो ने मना कर दिया ताकि हम तीनो बात कर सके.....
"जल्दी बक बे, अभी 9 बज रहे है और एक घंटे बाद आकाश दर्शन बंद हो जाएगा.,फिर हिलाते रहना पकड़ के.."हमारे बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए सौरभ बोला"तुझे दिव्या पर शक़ कैसे हुआ..."
"शक़ तो उसपर मुझे तभी हुआ था,जब पहली बार वो मुझसे बॅस्केटबॉल ग्राउंड के बाहर मिली थी.वो मिलने मुझसे आई थी,लेकिन जब मैने उसे कोई भाव नही दिया तो उसने अरुण पर डोरे डाले...."
"और वो ऐसा क्यूँ करेगी.."अरुण ने मुझे बीच मे रोका...
"क्यूंकी उसे गौतम ने ये सब करने के लिए कहा होगा...."
"और गौतम अपनी बहन को ये करने के लिए क्यूँ कहेगा ,क्यूंकी जनरली हम लोग ये देखते है कि एक भाई,अपनी बहन को सती-सावित्री देखना चाहता है...फिर गौतम जान बूझकर ऐसा क्यूँ करेगा ,जिससे उसकी बदनामी हो..."
"तुम लोगो ने क्या कभी गौतम को ध्यान से अब्ज़र्व किया है,जब वो मेरे आस-पास से गुज़रता है."
"उस साले मे ऐसा है ही क्या जो हम लोग उसे ध्यान से देखे..."बुरा सा मुँह बनाते हुए अरुण बोला"सब तेरी तरह गे नही है..."
"अरुण ,मैं यहाँ मज़ाक कर रहा हूँ क्या"
"सॉरी,आगे बोल...."
"तो इसकी शुरुआत गौतम से हुई थी...मैने गौतम को देखकर एक चीज़ नोटीस की है वो ये कि मुझे देखते ही उसके दिमाग़ मे कुच्छ ना कुच्छ चलने लगता है और यदि मैं सही हूँ तो वो हर वक़्त सिर्फ़ मुझे नीचा दिखाने की सोचता रहता है...मतलब कि मेरे लिए उसके अंदर एक सुलगता हुआ ज्वालामुखी है और जब बॅस्केटबॉल के मॅच मे मैने उसे टक्कर दी तो उसका सुलगता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा और तभी उसने अपना पहला दाँव खेला..."
"और वो दाँव एश थी..."सवालिया निगाह मुझपर डालते हुए अरुण ने पुछा...
"बक्चोद ही रहेगा ज़िंदगी भर....कितनी देर से मैं गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहा हूँ कि वो लड़की दिव्या थी और तू साले एश का नाम ले रहा है.2 मीटर दूर खिसक मुझसे "अरुण को बत्ती देते हुए मैं आगे बोला"जब दिव्या ने देखा कि उसका मुझपर कोई असर नही हो रहा है तो उसने तुझ जैसे चोदु पर अपना जाल बिच्छाया ,जिसमे तू तुरंत फँस गया...शुरू-शुरू मे तो मुझे दिव्या एक दम नीट आंड क्लीन लगी...लेकिन फिर जब उसने तेरा प्रपोज़ल जो मैने तेरी मोबाइल से मेस्सेज के रूप मे उसके मोबाइल मे भेजा था,उसे उसने तुरंत आक्सेप्ट कर लिया तो मेरा माथा ठनका...."
"सॉरी यार,पर माथा तो अब मेरा ठनक रहा है बोले तो ,दिव्या ने मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर लिया था...उसमे क्या ग़लत था और वैसे भी तूने ही तो उसे वो मेस्सेज किया था...."
"बेटा जिस तरह का वो बर्ताव करती है ,उसके हिसाब से तुझे लगता है कि वो इतनी बड़ी बात किसी को नही बताएगी...चल मान भी लेते है कि दिव्या ने बात दबा ली ,लेकिन गौतम जो कि हमेशा कॉलेज मे उसके आस-पास ही रहता है ,उसे एक पल के लिए भी दिव्या पर शक़ क्यूँ नही हुआ ?कॉलेज मे सारा दिन दिव्या या तो क्लास मे बिताती है या अपने भाई के साथ घूमती रहती है...लेकिन जब तेरी और उसकी सेट्टिंग हुई तो उसके पास अचानक इतना टाइम कहाँ से आ गया जो वो तेरे साथ छुप-छुप के मिलने लगी थी...."
"ये भी तो हो सकता है कि वो गौतम से कोई बहाना मार के मुझसे मिलने आ रही थी..."अरुण ने फिर मेरी थियरी पर सवाल खड़ा किया....
.
"चल मान लेते है कि दिव्या ,गौतम से कोई बहाना मार कर तुझसे मिलने आती थी लेकिन हर दिन बहाना मारकर तुझसे मिलने आना...ये थोड़ा डाउटफुल हो जाता है और वैसे भी गौतम इतना चोदु नही था...जो दिव्या के बहानो को हर दिन मान जाए....यदि दिव्या ,गौतम के प्लान मे शामिल नही थी तो तुम दोनो को बहुत पहले ही पकड़ा जाना चाहिए था...जबकि ऐसा नही हुआ इसका सॉफ मतलब है कि दिव्या ,गौतम के साथ मिली हुई थी और वो उसी की मर्ज़ी पर तुझसे मिलने आती थी...."
"अच्छा बेटा,तो फिर ये बता कि ,जब तुझे ये सब पहले से ही मालूम था तो तूने मुझे पहले ही दिव्या के बारे मे क्यूँ नही बताया था..."
"क्यूंकी मैं वो वजह ढूँढ रहा था ,जिसके कारण गौतम ये सारा खेल रच रहा था और ये वजह मुझे तब मालूम चला जिस दिन तू और दिव्या चुम्मा-चाटी करते हुए पकड़े गये थे....तब मुझे समझ आया कि आख़िर गौतम चाहता क्या है...."बोलते हुए मैं चुप हो गया...
"आगे बोल चंदू,रुक क्यूँ गया..."अबकी बार सौरभ बोला"वो वजह क्या थी ,जिसकी वजह से गौतम ने इतना बड़ा चूतियापा किया था..."
"असल मे गौतम को एक रीज़न चाहिए था,जिसकी वजह से वो हम पर अटॅक कर सके और गौतम को ये मालूम था कि हमे मारने के बाद उसका बाप उसे इन झमेलो से बचा लेगा...."
"लेकिन उस दिन ठीक इसके उल्टा हुआ, वो ना तो अरुण को मार पाया और ना ही तुझे...बल्कि वो खुद मार खा गया,हॉस्टिल मे...एक दम सही बोला ना अपुन..."
"एक दम सही बोला चंदू.गौतम को ये लगा था कि उसके बाप के डर से कोई उसकी गॅंग पर हाथ नही डालेगा और वो हम दोनो को मारकर बड़ी आसानी से निकल जाएगा...लेकिन यही पर उसकी सोच उसे धोखा दे गयी और वो कुत्तो की तरह मार खा गया..."अपनी जगह पर खड़े होते हुए मैने एक सिगरेट सुलगई और आगे बोलना शुरू किया"साले सब खुद को अरमान समझते है...सब सोचते है कि जैसे मेरी थिंकिंग,थॉट्स एक दम फिट बैठते है उसी तरह उनकी भी सोच एक दम करेक्ट फिट होगी...पर ऐसा नही होता क्यूंकी अपनी तो बात ही अलग है.अब उन एमबीबीएस वाली छोरियो को ही ले लो,उन लोगो ने वहाँ कॉफी हाउस मे ये सोचा कि बिल मैं पे करूँगा,लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही हुआ...फॅट के हाथ मे आ गयी होगी उनकी जब उन्होने देखा कि मैं वहाँ से भाग चुका हूँ.सालियो ने मुझे गाजर-मूली समझ लिया था जो जब चाहे चूत मे डाल ले और जब चाहे बाहर निकाल ले..."
.
"यदि ऐसा है मेरे भाई तो फिर अपने 1400 ग्राम के दिमाग़ का यूज़ करके ये भी बता दे कि क्या दिव्या अब भी कोई जाल बिच्छा रही है या सुधर चुकी है..."
"मैं अभी उसी मिशन पर हूँ,लेकिन दिव्या की अभी तक की हरकतों को देखकर तो यही लगता है कि शी ईज़ स्टिल ऑन हर मिशन....लेकिन उस बीसी को ये मालूम नही कि जितना चालाक वो खुद को समझती है ,उतना वो है नही..उसकी हालत तो मैं दीपिका रंडी से भी बुरी करूँगा..."
"तुझे कैसे मालूम चला कि वो अब भी हमारे लिए जाल बुन रही है...मतलब कि उसने अभी तक तो मुझे अट्रॅक्ट करने की कोशिश नही की..."
"तू साले चंदू ही रहेगा हमेशा...ज़रा सोच कि सुलभ से सीधी मुँह बात ना करने वाली लड़की अचानक उससे बस मे हंस-हंस कर बाते करने लगती है ,जिसके बाद सुलभ मुझे वहाँ बुलाता है और एश मुझे कहती है कि मैं गौतम के साथ एक मॅच खेलु..."
" तो फिर तेरी इस थियरी का मतलब ये है कि अबकी बार एश और मेघा भी उसके साथ शामिल है..."
"ऐसा नही है चंदू...मैने ऐसा कब कहा कि एश और मेघा ,दिव्या के साथ शामिल है... मेरी थियरी के अनुसार ,दिव्या ने मेघा को फोर्स किया होगा कि वो सुलभ से किसी टॉपिक पर बात करे और जब मैं सुलभ के बुलाने पर वहाँ गया तो मैने देखा कि एश के पहले ,दिव्या ने धीमी आवाज़ मे एश से कहा होगा की यदि मुझमे इतना ही दम है तो मैं उसके भाई के साथ बॅस्केटबॉल का कोई मॅच क्यूँ नही खेलता....जिसके बाद एश ने दिव्या की उन्ही लाइन को रिपीट किया..."
"ये भी तो हो सकता है कि एश ,सच मे दिव्या के साथ शामिल हो...क्यूंकी जो लड़का बदला लेने के लिए अपनी बहन का इस्तेमाल कर सकता है...वो अपनी गर्ल फ्रेंड का इस्तेमाल नही करेगा,इसकी क्या गॅरेंटी है...."
"ये भी हो सकता है और ये भी हो सकता है कि मैं शुरू से ही ग़लत रहूं...बोले तो दिव्या अंदर से भी वही बेवकूफ़ लड़की हो,जो वो बाहर से दिखती है....होने को क्या नही हो सकता,कुच्छ भी हो सकता है, होने को तो ये भी हो सकता है कि आज रात जब तू गान्ड उठाकर सोया होगा तो तेरी कोई गान्ड मार कर चला जाएगा"
"चूस ले फिर, जब तुझे खुद पर ही कॉन्फिडेन्स नही है तो फिर हमारा इतना समय क्यूँ बर्बाद किया...लवडे"
"टेन्षन मत ले,..मुझे इस एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट,रिक्वाइयर्ड अप्रटस, थियरी और प्रोसीजर मालूम है...बस दिव्या पर एक्सपेरिमेंट करना बाकी है ,जो कि मैं बहुत जल्द करूँगा और रिज़ल्ट तुम दोनो को बता दूँगा...लेकिन फिलहाल तो मैं उस एमबीबीएस वाली के बारे मे सोच रहा हूँ कि उसके दिल पर उस वक़्त क्या बीती होगी ,जब वेटर ने उसे बिल थमाया होगा..."
"पक्का तुझे,माँ-बहन की गालियाँ बाकी होगी "सौरभ बोला.
जैसा कि मैने पहले भी कहा था कि 'लड़कियो के बारे मे मेरी थियरी अक्सर ग़लत हो जाती है..'. जिसकी वजह शायद ये थी कि मैं कभी इन ब्रेनलेस हमन्स के झमेले मे नही पड़ा था...यानी कि आज तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बनी थी..जिसके कारण मैं उन्हे ठीक से समझ सकूँ.
स्कूल के दीनो मे मैने किसी भी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड केवल इसलिए नही बनाया क्यूंकी तब मैं बेहद शरीफ हुआ करता था और मैं नही चाहता था कि एक दिन कोई मेरे घर आए और मेरे घरवालो को 'मेरा किसी लड़की के साथ चक्कर चल रहा है'इसकी इन्फर्मेशन दे...
आज तक कोई लड़की ना तो मेरी गर्लफ्रेंड बनी और ना ही किसी लड़की ने मुझे कभी प्रपोज़ किया,जबकि मुझे हमेशा से यही लगता था कि 'मोस्ट एलिजिबल बाय्फ्रेंड ' तो मैं ही हूँ....फिर ये सारी लौंडिया मुझे 'आइ लव यू' क्यूँ नही कहती .
ये सब तो मैं फिर भी बर्दाश्त कर लूँ लेकिन मुझे लड़कियो के उपर जोरो का गुस्सा और जबर्जस्त हैरानी तब होती है ,जब मैं हमारे 'कल्लू कंघी चोर' जैसे लड़को को एक दम से माल लेकर घूमते हुए देखता हूँ और तब अंदर से एक ही आवाज़ आती है की 'बीसी ,हमारे लंड मे काँटे गढ़े थे,जो इस कल्लू से पट गयी..." उस कल्लू ,कंघी चोर का नाम मैने यहाँ इसलिए लिया क्यूंकी रीसेंट्ली मिली इन्फर्मेशन के मुताबिक़ कल्लू अब तक दो जूनियर को भस्का चुका था और यहाँ कॉलेज मे इतना पॉपुलर होने के बावजूद कोई जूनियर लौंडिया अपुन को फ्रेंड रिक्वेस्ट तक नही भेजती .
कॉलेज मे पॉपुलर होने से मेरा मतलब था बदनामी से...क्यूंकी पिछले दो सालो मे मैने जो-जो कांड कॉलेज मे किए थे वैसा कांड सिर्फ़ एक निहायत ही बर्बाद लड़का कर सकता था. खैर मुझे मेरी बदनामी की कोई परवाह नही क्यूंकी कॅप्टन जॅक स्पेरो ने कहा है कि'यदि बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा...'
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दिव्या पर मेरा जो शक़ था ,वो सही भी हो सकता था और साथ ही साथ इसकी भी संभावना थी कि मैं इस बार पूरी तरह ग़लत साबित हो जाउ...संभावना इसकी भी थी कि एश ,दिव्या के साथ मिली हुई हो या फिर उस बिल्ली को कुच्छ पता ही ना हो....सच चाहे जो भी हो...लेकिन मुझे इस बार दिव्या और गौतम के बिच्छाए जाल को जला कर राख करना था पर उससे पहले ये जानना ज़रूरी था कि एश उनके साथ शामिल है या नही....
"अब तो सुलभ और राजश्री पांडे भी गये और यहाँ अब सिर्फ़ हम तीनो ही बचे है...."अरुण ने मुझे दिव्या के बारे मे सब कुच्छ बताने के लिए कहा....
कॉफी हाउस से हम सब लौट कर सीधे अपने कॅंप आ गये थे और फिर बाकी का समय कॅंप के अंदर ही बिताया था.इस वक़्त हमारे कॅंप मे सिर्फ़ तीन ही लोग मौजूद थे..मैं,अरुण और सौरभ....क्यूंकी कुच्छ देर पहले ही वॉर्डन ने सबको टेलिस्कोप से आकाश दर्शन करने के लिए बाहर बुलाया था जिसके चलते नवीन, सुलभ और राजश्री पांडे कॅंप मे नही थे...आकाश-दर्शन के लिए जाते वक़्त सुलभ ने हम तीनो से भी बाहर चलने के लिए कहा ,लेकिन हम तीनो ने मना कर दिया ताकि हम तीनो बात कर सके.....
"जल्दी बक बे, अभी 9 बज रहे है और एक घंटे बाद आकाश दर्शन बंद हो जाएगा.,फिर हिलाते रहना पकड़ के.."हमारे बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए सौरभ बोला"तुझे दिव्या पर शक़ कैसे हुआ..."
"शक़ तो उसपर मुझे तभी हुआ था,जब पहली बार वो मुझसे बॅस्केटबॉल ग्राउंड के बाहर मिली थी.वो मिलने मुझसे आई थी,लेकिन जब मैने उसे कोई भाव नही दिया तो उसने अरुण पर डोरे डाले...."
"और वो ऐसा क्यूँ करेगी.."अरुण ने मुझे बीच मे रोका...
"क्यूंकी उसे गौतम ने ये सब करने के लिए कहा होगा...."
"और गौतम अपनी बहन को ये करने के लिए क्यूँ कहेगा ,क्यूंकी जनरली हम लोग ये देखते है कि एक भाई,अपनी बहन को सती-सावित्री देखना चाहता है...फिर गौतम जान बूझकर ऐसा क्यूँ करेगा ,जिससे उसकी बदनामी हो..."
"तुम लोगो ने क्या कभी गौतम को ध्यान से अब्ज़र्व किया है,जब वो मेरे आस-पास से गुज़रता है."
"उस साले मे ऐसा है ही क्या जो हम लोग उसे ध्यान से देखे..."बुरा सा मुँह बनाते हुए अरुण बोला"सब तेरी तरह गे नही है..."
"अरुण ,मैं यहाँ मज़ाक कर रहा हूँ क्या"
"सॉरी,आगे बोल...."
"तो इसकी शुरुआत गौतम से हुई थी...मैने गौतम को देखकर एक चीज़ नोटीस की है वो ये कि मुझे देखते ही उसके दिमाग़ मे कुच्छ ना कुच्छ चलने लगता है और यदि मैं सही हूँ तो वो हर वक़्त सिर्फ़ मुझे नीचा दिखाने की सोचता रहता है...मतलब कि मेरे लिए उसके अंदर एक सुलगता हुआ ज्वालामुखी है और जब बॅस्केटबॉल के मॅच मे मैने उसे टक्कर दी तो उसका सुलगता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा और तभी उसने अपना पहला दाँव खेला..."
"और वो दाँव एश थी..."सवालिया निगाह मुझपर डालते हुए अरुण ने पुछा...
"बक्चोद ही रहेगा ज़िंदगी भर....कितनी देर से मैं गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहा हूँ कि वो लड़की दिव्या थी और तू साले एश का नाम ले रहा है.2 मीटर दूर खिसक मुझसे "अरुण को बत्ती देते हुए मैं आगे बोला"जब दिव्या ने देखा कि उसका मुझपर कोई असर नही हो रहा है तो उसने तुझ जैसे चोदु पर अपना जाल बिच्छाया ,जिसमे तू तुरंत फँस गया...शुरू-शुरू मे तो मुझे दिव्या एक दम नीट आंड क्लीन लगी...लेकिन फिर जब उसने तेरा प्रपोज़ल जो मैने तेरी मोबाइल से मेस्सेज के रूप मे उसके मोबाइल मे भेजा था,उसे उसने तुरंत आक्सेप्ट कर लिया तो मेरा माथा ठनका...."
"सॉरी यार,पर माथा तो अब मेरा ठनक रहा है बोले तो ,दिव्या ने मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर लिया था...उसमे क्या ग़लत था और वैसे भी तूने ही तो उसे वो मेस्सेज किया था...."
"बेटा जिस तरह का वो बर्ताव करती है ,उसके हिसाब से तुझे लगता है कि वो इतनी बड़ी बात किसी को नही बताएगी...चल मान भी लेते है कि दिव्या ने बात दबा ली ,लेकिन गौतम जो कि हमेशा कॉलेज मे उसके आस-पास ही रहता है ,उसे एक पल के लिए भी दिव्या पर शक़ क्यूँ नही हुआ ?कॉलेज मे सारा दिन दिव्या या तो क्लास मे बिताती है या अपने भाई के साथ घूमती रहती है...लेकिन जब तेरी और उसकी सेट्टिंग हुई तो उसके पास अचानक इतना टाइम कहाँ से आ गया जो वो तेरे साथ छुप-छुप के मिलने लगी थी...."
"ये भी तो हो सकता है कि वो गौतम से कोई बहाना मार के मुझसे मिलने आ रही थी..."अरुण ने फिर मेरी थियरी पर सवाल खड़ा किया....
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"चल मान लेते है कि दिव्या ,गौतम से कोई बहाना मार कर तुझसे मिलने आती थी लेकिन हर दिन बहाना मारकर तुझसे मिलने आना...ये थोड़ा डाउटफुल हो जाता है और वैसे भी गौतम इतना चोदु नही था...जो दिव्या के बहानो को हर दिन मान जाए....यदि दिव्या ,गौतम के प्लान मे शामिल नही थी तो तुम दोनो को बहुत पहले ही पकड़ा जाना चाहिए था...जबकि ऐसा नही हुआ इसका सॉफ मतलब है कि दिव्या ,गौतम के साथ मिली हुई थी और वो उसी की मर्ज़ी पर तुझसे मिलने आती थी...."
"अच्छा बेटा,तो फिर ये बता कि ,जब तुझे ये सब पहले से ही मालूम था तो तूने मुझे पहले ही दिव्या के बारे मे क्यूँ नही बताया था..."
"क्यूंकी मैं वो वजह ढूँढ रहा था ,जिसके कारण गौतम ये सारा खेल रच रहा था और ये वजह मुझे तब मालूम चला जिस दिन तू और दिव्या चुम्मा-चाटी करते हुए पकड़े गये थे....तब मुझे समझ आया कि आख़िर गौतम चाहता क्या है...."बोलते हुए मैं चुप हो गया...
"आगे बोल चंदू,रुक क्यूँ गया..."अबकी बार सौरभ बोला"वो वजह क्या थी ,जिसकी वजह से गौतम ने इतना बड़ा चूतियापा किया था..."
"असल मे गौतम को एक रीज़न चाहिए था,जिसकी वजह से वो हम पर अटॅक कर सके और गौतम को ये मालूम था कि हमे मारने के बाद उसका बाप उसे इन झमेलो से बचा लेगा...."
"लेकिन उस दिन ठीक इसके उल्टा हुआ, वो ना तो अरुण को मार पाया और ना ही तुझे...बल्कि वो खुद मार खा गया,हॉस्टिल मे...एक दम सही बोला ना अपुन..."
"एक दम सही बोला चंदू.गौतम को ये लगा था कि उसके बाप के डर से कोई उसकी गॅंग पर हाथ नही डालेगा और वो हम दोनो को मारकर बड़ी आसानी से निकल जाएगा...लेकिन यही पर उसकी सोच उसे धोखा दे गयी और वो कुत्तो की तरह मार खा गया..."अपनी जगह पर खड़े होते हुए मैने एक सिगरेट सुलगई और आगे बोलना शुरू किया"साले सब खुद को अरमान समझते है...सब सोचते है कि जैसे मेरी थिंकिंग,थॉट्स एक दम फिट बैठते है उसी तरह उनकी भी सोच एक दम करेक्ट फिट होगी...पर ऐसा नही होता क्यूंकी अपनी तो बात ही अलग है.अब उन एमबीबीएस वाली छोरियो को ही ले लो,उन लोगो ने वहाँ कॉफी हाउस मे ये सोचा कि बिल मैं पे करूँगा,लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही हुआ...फॅट के हाथ मे आ गयी होगी उनकी जब उन्होने देखा कि मैं वहाँ से भाग चुका हूँ.सालियो ने मुझे गाजर-मूली समझ लिया था जो जब चाहे चूत मे डाल ले और जब चाहे बाहर निकाल ले..."
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"यदि ऐसा है मेरे भाई तो फिर अपने 1400 ग्राम के दिमाग़ का यूज़ करके ये भी बता दे कि क्या दिव्या अब भी कोई जाल बिच्छा रही है या सुधर चुकी है..."
"मैं अभी उसी मिशन पर हूँ,लेकिन दिव्या की अभी तक की हरकतों को देखकर तो यही लगता है कि शी ईज़ स्टिल ऑन हर मिशन....लेकिन उस बीसी को ये मालूम नही कि जितना चालाक वो खुद को समझती है ,उतना वो है नही..उसकी हालत तो मैं दीपिका रंडी से भी बुरी करूँगा..."
"तुझे कैसे मालूम चला कि वो अब भी हमारे लिए जाल बुन रही है...मतलब कि उसने अभी तक तो मुझे अट्रॅक्ट करने की कोशिश नही की..."
"तू साले चंदू ही रहेगा हमेशा...ज़रा सोच कि सुलभ से सीधी मुँह बात ना करने वाली लड़की अचानक उससे बस मे हंस-हंस कर बाते करने लगती है ,जिसके बाद सुलभ मुझे वहाँ बुलाता है और एश मुझे कहती है कि मैं गौतम के साथ एक मॅच खेलु..."
" तो फिर तेरी इस थियरी का मतलब ये है कि अबकी बार एश और मेघा भी उसके साथ शामिल है..."
"ऐसा नही है चंदू...मैने ऐसा कब कहा कि एश और मेघा ,दिव्या के साथ शामिल है... मेरी थियरी के अनुसार ,दिव्या ने मेघा को फोर्स किया होगा कि वो सुलभ से किसी टॉपिक पर बात करे और जब मैं सुलभ के बुलाने पर वहाँ गया तो मैने देखा कि एश के पहले ,दिव्या ने धीमी आवाज़ मे एश से कहा होगा की यदि मुझमे इतना ही दम है तो मैं उसके भाई के साथ बॅस्केटबॉल का कोई मॅच क्यूँ नही खेलता....जिसके बाद एश ने दिव्या की उन्ही लाइन को रिपीट किया..."
"ये भी तो हो सकता है कि एश ,सच मे दिव्या के साथ शामिल हो...क्यूंकी जो लड़का बदला लेने के लिए अपनी बहन का इस्तेमाल कर सकता है...वो अपनी गर्ल फ्रेंड का इस्तेमाल नही करेगा,इसकी क्या गॅरेंटी है...."
"ये भी हो सकता है और ये भी हो सकता है कि मैं शुरू से ही ग़लत रहूं...बोले तो दिव्या अंदर से भी वही बेवकूफ़ लड़की हो,जो वो बाहर से दिखती है....होने को क्या नही हो सकता,कुच्छ भी हो सकता है, होने को तो ये भी हो सकता है कि आज रात जब तू गान्ड उठाकर सोया होगा तो तेरी कोई गान्ड मार कर चला जाएगा"
"चूस ले फिर, जब तुझे खुद पर ही कॉन्फिडेन्स नही है तो फिर हमारा इतना समय क्यूँ बर्बाद किया...लवडे"
"टेन्षन मत ले,..मुझे इस एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट,रिक्वाइयर्ड अप्रटस, थियरी और प्रोसीजर मालूम है...बस दिव्या पर एक्सपेरिमेंट करना बाकी है ,जो कि मैं बहुत जल्द करूँगा और रिज़ल्ट तुम दोनो को बता दूँगा...लेकिन फिलहाल तो मैं उस एमबीबीएस वाली के बारे मे सोच रहा हूँ कि उसके दिल पर उस वक़्त क्या बीती होगी ,जब वेटर ने उसे बिल थमाया होगा..."
"पक्का तुझे,माँ-बहन की गालियाँ बाकी होगी "सौरभ बोला.
जैसा कि मैने पहले भी कहा था कि 'लड़कियो के बारे मे मेरी थियरी अक्सर ग़लत हो जाती है..'. जिसकी वजह शायद ये थी कि मैं कभी इन ब्रेनलेस हमन्स के झमेले मे नही पड़ा था...यानी कि आज तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बनी थी..जिसके कारण मैं उन्हे ठीक से समझ सकूँ.
स्कूल के दीनो मे मैने किसी भी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड केवल इसलिए नही बनाया क्यूंकी तब मैं बेहद शरीफ हुआ करता था और मैं नही चाहता था कि एक दिन कोई मेरे घर आए और मेरे घरवालो को 'मेरा किसी लड़की के साथ चक्कर चल रहा है'इसकी इन्फर्मेशन दे...
आज तक कोई लड़की ना तो मेरी गर्लफ्रेंड बनी और ना ही किसी लड़की ने मुझे कभी प्रपोज़ किया,जबकि मुझे हमेशा से यही लगता था कि 'मोस्ट एलिजिबल बाय्फ्रेंड ' तो मैं ही हूँ....फिर ये सारी लौंडिया मुझे 'आइ लव यू' क्यूँ नही कहती .
ये सब तो मैं फिर भी बर्दाश्त कर लूँ लेकिन मुझे लड़कियो के उपर जोरो का गुस्सा और जबर्जस्त हैरानी तब होती है ,जब मैं हमारे 'कल्लू कंघी चोर' जैसे लड़को को एक दम से माल लेकर घूमते हुए देखता हूँ और तब अंदर से एक ही आवाज़ आती है की 'बीसी ,हमारे लंड मे काँटे गढ़े थे,जो इस कल्लू से पट गयी..." उस कल्लू ,कंघी चोर का नाम मैने यहाँ इसलिए लिया क्यूंकी रीसेंट्ली मिली इन्फर्मेशन के मुताबिक़ कल्लू अब तक दो जूनियर को भस्का चुका था और यहाँ कॉलेज मे इतना पॉपुलर होने के बावजूद कोई जूनियर लौंडिया अपुन को फ्रेंड रिक्वेस्ट तक नही भेजती .
कॉलेज मे पॉपुलर होने से मेरा मतलब था बदनामी से...क्यूंकी पिछले दो सालो मे मैने जो-जो कांड कॉलेज मे किए थे वैसा कांड सिर्फ़ एक निहायत ही बर्बाद लड़का कर सकता था. खैर मुझे मेरी बदनामी की कोई परवाह नही क्यूंकी कॅप्टन जॅक स्पेरो ने कहा है कि'यदि बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा...'
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दिव्या पर मेरा जो शक़ था ,वो सही भी हो सकता था और साथ ही साथ इसकी भी संभावना थी कि मैं इस बार पूरी तरह ग़लत साबित हो जाउ...संभावना इसकी भी थी कि एश ,दिव्या के साथ मिली हुई हो या फिर उस बिल्ली को कुच्छ पता ही ना हो....सच चाहे जो भी हो...लेकिन मुझे इस बार दिव्या और गौतम के बिच्छाए जाल को जला कर राख करना था पर उससे पहले ये जानना ज़रूरी था कि एश उनके साथ शामिल है या नही....