hotaks444
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" तू समझती क्यों नही ..सब मेरी ग़लती नही है ..यार मैने भी वही किया जो इस टीनेज मे सबके साथ होता है "
निम्मी ने अपनी बात जारी रखी
" अशोक को मैं भुला चुकी हूँ ..प्लीज़ निम्मी वापस मुझे कमज़ोर मत कर ..मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "
शिवानी बेड से उठ कर सामने बनी खिड़की की तरफ चली गयी ..बाहर उसे मेन रोड का नज़ारा दिखाई दे रहा था ..रफ़्तार के साथ चेहरे बदलते जाते ..लेकिन उन चेहरो मे जो चेहरा उसे देखना हमेशा से पसंद था वो अब शायद ही उसे कभी दिखाई दे पाता
" सुन ..लेट मी एक्सप्लेन ..हां मानती हूँ ग़लती मेरी भी है ..लेकिन तू ही बता ..जब एक लड़का हज़ार बार किसी लड़की को अपने प्यार का इज़हार करेगा ..घंटो उसकी तारीफो के पुल बाँधेगा ..हर वक़्त बेबसी की दलीलें ..यार फिर मैं कैसे पीछे हट जाती ..आइ मीन लाइफ मे 1स्ट टाइम इतना ज़्यादा अट्रॅक्षन झेला था मैने ..मानती हूँ जान बूझ कर मैने तुझे इग्नोर किया ..बट तू समझ यार एक लड़की कब तक अपनी फीलिंग्स छुपा कर रख सकती है "
निम्मी काफ़ी दिनो बाद सच बोली ..अशोक से मिल कर ही उसने जाना था प्यार क्या होता है ..इन्स्टिट्यूट के बाहर अक्सर दोनो घूमने जाते ..पार्टीस ..मौज मस्ती ..रात के 3 - 3 बजे तक फोन पर बातें करना ..शायद यही रीज़न था जो निम्मी ने शिवानी के सच्चे प्यार पर कभी ध्यान नही दिया और फिर बात यहाँ तक बढ़ गयी कि दोनो मे बेट लगने लगी ..कौन जीतेगा
निम्मी काफ़ी फॅशनबल कपड़ो मे अशोक से मिलने जाती ..सुंदर दिखने के लिए उसने हर वो चीज़ की जिससे शिवानी का पत्ता कट हो सके ..लेकिन दिन पर दिन उसे महसूस होने लगा कि उसका प्यार सिर्फ़ पैसो और उसके बदन पर ज़िंदा है
बात करते वक़्त अशोक की नज़रें हमेशा निम्मी के बूब्स और जाते वक़्त उसकी गांद पर जमी रहती ..घड़ी - घड़ी उसके कोमल बदन को छूना .. फिर चाहे हाथ हो ..गाल हो या चुचियाँ ..एक दिन तो हद हो गयी ..अशोक ने उसे अपने दोस्त के फ्लॅट पर बुलाया और कुछ देर तक प्यार भरे सपने दिखाने के बाद अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया
निम्मी इसके लिए बिल्कुल तैयार नही थी ..वो मना कर पाती इससे पहले ही अशोक ने पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..1स्ट टाइम किसी मर्द का हाथ वहाँ तक पहुचा था ..निम्मी टूटने लगी ..खुमारी मे अपना हाथ उसके हाथ पर दबाते हुए ज़ोरों से आहें भरने लगी ..उसने तय कर लिया कि वो अब नही रुकेगी और जैसे ही दोनो के होंठ जुड़े ..अशोक का फोन बजने लगा
" फक !!!! "
तिलमिला कर उसने नंबर. देखा ..जो उसी दोस्त का था जिसके फ्लॅट पर दोनो अभी बैठे थे
" दो मिनट जान ..मैं अभी आया "
इतना कह कर अशोक ने अपने खड़े लंड को जीन्स के ऊपर से मसला और बात करने के लिए दूसरे कमरे मे चला गया
उसके रूम से बाहर जाते ही निम्मी ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर ..पैंटी चेक की जो फ्रंट से काफ़ी गीली हो गयी थी
" शिट !!!!! मुझे सूसू आया है शायद "
अंजान निम्मी के कदम बाथ - रूम की तरफ बढ़ गये ..लेकिन दूसरे कमरे के सामने से गुज़रते वक़्त उसने कुछ ऐसी बातें सुन ली जिससे वो तुरंत ही फ्लॅट छोड़ कर अपने घर वापस लौट आई
" अब तुझे क्या हुआ ? "
खिड़की से लौट कर ..निम्मी को ख्वाब मे डूबा देख शिवानी ने पूछा ..उसे बड़ी हैरानी हुई ..निम्मी की आँखों मे गीला पन आ गया था ..हमेशा दूसरो को रुलाने वाली आज खुद रोने वाली है ..शिवानी को झटका लगा
" क ..कुछ नही ..चल आज मैं तुझसे प्रॉमिस करती हूँ ..अब कभी नही लड़ूँगी ..बल्कि एक अच्छी फ्रेंड बन कर रहूंगी "
इतना बोल कर निम्मी वहाँ से जाने लगी ..लेकिन शिवानी ने आगे बढ़ कर उसका रास्ता रोक लिया
" बैठ यहीं ..पहले ये बता तू रो क्यों रही है ? "
उसका हाथ मजबूती से पकड़ कर शिवानी ने वापस उसे बेड पर बिठा लिया
" कोई बात नही है ..मुझे जाने दे "
निम्मी ने अपने आँसुओ को रोकने की भरकस कोशिस की लेकिन वो नही माने ..छलक कर उसके गालो को भिगाना शुरू कर दिया
" कोई तो बात है ..मुझसे मत छुपा ..जब इतने बड़े - बड़े एहसान किए हैं ..तो एक और कर दे "
अनायास ही शिवानी ने उसका लेफ्ट गाल पोंछ दिया ..वो हैरत भरी निगाहों से निम्मी का चेहरा देख रही थी
" अशोक मेरे साथ सिर्फ़ सेक्स करना चाहता था शिवानी ..इसी लिए मैं हमारे लव ट्राइंगल से अलग हो गयी ..चाहती तो तुझे बता देती ..पर शायद तेरा दिल इस बात को नही मानता ..तुझे लगता मेरी कोई नयी चाल है "
सुबक्ते हुए निम्मी ने कहा ..शिवानी को एक और झटका दे कर वो तेज़ी से रोने लगी
" रो मत ..क्या तेरे साथ भी उसने ज़बरदस्ती की ? "
शिवानी ने उसका चेहरा थाम कर कहा
" ह्म्म्म्मम !!!!! "
हां मे अपना सर हिला कर निम्मी कंट्रोल नही कर पाई और शिवानी के गले से चिपक गयी ..बड़े दिनो बाद वो रोई थी ..चाहती थी आज उसे संभालने वाला उसे समझे ..वो ऐसी नही जैसी दिखती है ..सिर्फ़ खाल ओढ़ लेने से कोई शेर नही बन जाता ..आन्द्रूनि रूह ही इंसान की सच्चाई का परिचय करवाती है
" जानती थी ..मेरे साथ भी उसने यही किया था ..लेकिन दर्द मुझसे सहा नही गया और मैने आगे कुछ भी करने से मना कर दिया ..शायद ये वजह भी हो सकती है जो उसने तुझे अपने जाल मे फसाया होगा "
शिवानी ने अपनी बात पूरी की ..इस वक़्त उसे बिल्कुल रोना नही आया ..बल्कि उसका चेहरा काफ़ी सीरीयस हो गया था
" सुन तू घर जा ..अब मैं वापस नही जाउन्गि ..यहीं रह कर जॉब करूँगी बट इन्स्टिट्यूट से कुछ ऐसी यादें जुड़ी है ..जो मैं वापस वहाँ नही जाना चाहती "
शिवानी ने उसे खुद से अलग करते हुए कहा ..निम्मी का पूरा चेहरा उसके आँसुओ से तर था ..अपना दुपट्टा उतार कर शिवानी ने उसका फेस सॉफ किया और गालो पर हल्की सी चपत लगा कर मुकुराने लगी
" बड़ी छुपि रुस्तम निकली तू तो ..ऐसे रोएगी तो तेरा ये महेंगा मेक - अप धूल जाएगा ..फिर बाहर लड़को पर बिजली कैसे गिराएगी ..बोल ? "
निम्मी शर्मा कर नीचे देखने लगी ..कभी कभी ग़लतफहमियो के मिटने के बाद बहुत कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी आप कतयि उम्मीद नही कर पाते
" छोड़ ये सब ..मैं आज डॅड से बात करूँगी ..शायद उनकी फर्म मे तुझे जॉब मिल जाए ..हमारा फॅमिली बिज़्नेस तो तुझे पता ही है "
निम्मी ने उसकी हेल्प करने का मन बनाया और बेड से उठने लगी ..शिवानी ने भी इस बार उसे नही रोका ..लेकिन निम्मी के मूँह से उसके डॅड का नाम सुन कर वो सकते मे ज़रूर आ गयी
" रहने दे मैं खुद ट्राइ कर लूँगी ..खेर ये बता जब तू इतनी रोट्लु है तो अब तक शेरनी बनी क्यों घूमती रही "
शिवानी की बात सुन कर निम्मी ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए ..वो अब काफ़ी नॉर्मल थी
" अपने जिस्म पर गुमान करना सीख ले ..प्यार - व्यार सब फालतू की बातें हैं मैं जान गयी हूँ ..अरे लड़की चाहे तो बाहरवालो को तो छोड़ घरवालो तक की फाड़ सकती है "
जल्दबाज़ी मे निम्मी के मूँह से ग़लत बात निकल गयी ..शिवानी का मूँह भी हैरत से खुला रह गया
" म ..मेरा मतलब है ..घर मे काम करने वाले नौकर ..ड्राइवर माली वगेरा वगेरा ..चल अब मैं चलती हूँ ..कल सुबह मिलने आउन्गि "
निम्मी अपने घबराए चेहरे को छुपा कर तेज़ी से दौड़ती हुई रूम से बाहर निकल गयी
" घरवाले !!!!! "
जाने क्यों शिवानी के चेहरे पर एक शैतानी भरी मुस्कान तैर गयी
" अशोक तू सद - सड़ कर मरेगा "
रूम का गेट लॉक कर शिवानी कमरे के अंदर चली गयी
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हॉस्टिल से बाहर आने पर निम्मी ने चैन की साँस ली
" गॉड ..अच्छा हुआ ये मेरे घरवालो को नही जानती वरना आज तो गजब हो जाता "
निम्मी अक्टिवा स्टार्ट करने लगी ..आज उसने जो भी बातें शिवानी से शेर की थी इसका मतलब तो यही था कि वो जान कर मर्दो को परेशान करती है
" वैसे मैने कुछ ग़लत भी तो नही कहा ..उस दिन डॅड मेरी पुसी लिक्क कर रहे थे ..यहाँ तक की आस होल भी नही छोड़ा ..अगर मैं खुद पर कंट्रोल नही करती तो ..फक !!!!! "
सोचते ही निम्मी को करेंट लगा ..उसके गालो पर लाली छा गयी
" पॅंट के अंदर कितना बड़ा हो गया था डॅड का "
निम्मी की गाड़ी बहेक ने लगी ..रह - रह कर बीता पूरा सीन उसकी आँखों के सामने घूमने लगा
" क्या सच मे डॅड उस दिन मेरे साथ सेक्स कर लेते ..जबकि मैं तो उनकी सग़ी बेटी हूँ "
निम्मी ने खुद से ऐसा सवाल किया जिसका जवाब उसे पता था
" हां - हां कर लेते ..क्यों कि बेटी होने से पहले मैं एक लड़की हूँ ..उन्होने खुद कहा था "
दाँत निकालते हुए वो घर की पार्किंग मे पहुच गयी
" एक और बार ट्राइ करती हूँ ..काफ़ी दिन हो गये मज़े किए "
निम्मी ने अपनी बात जारी रखी
" अशोक को मैं भुला चुकी हूँ ..प्लीज़ निम्मी वापस मुझे कमज़ोर मत कर ..मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "
शिवानी बेड से उठ कर सामने बनी खिड़की की तरफ चली गयी ..बाहर उसे मेन रोड का नज़ारा दिखाई दे रहा था ..रफ़्तार के साथ चेहरे बदलते जाते ..लेकिन उन चेहरो मे जो चेहरा उसे देखना हमेशा से पसंद था वो अब शायद ही उसे कभी दिखाई दे पाता
" सुन ..लेट मी एक्सप्लेन ..हां मानती हूँ ग़लती मेरी भी है ..लेकिन तू ही बता ..जब एक लड़का हज़ार बार किसी लड़की को अपने प्यार का इज़हार करेगा ..घंटो उसकी तारीफो के पुल बाँधेगा ..हर वक़्त बेबसी की दलीलें ..यार फिर मैं कैसे पीछे हट जाती ..आइ मीन लाइफ मे 1स्ट टाइम इतना ज़्यादा अट्रॅक्षन झेला था मैने ..मानती हूँ जान बूझ कर मैने तुझे इग्नोर किया ..बट तू समझ यार एक लड़की कब तक अपनी फीलिंग्स छुपा कर रख सकती है "
निम्मी काफ़ी दिनो बाद सच बोली ..अशोक से मिल कर ही उसने जाना था प्यार क्या होता है ..इन्स्टिट्यूट के बाहर अक्सर दोनो घूमने जाते ..पार्टीस ..मौज मस्ती ..रात के 3 - 3 बजे तक फोन पर बातें करना ..शायद यही रीज़न था जो निम्मी ने शिवानी के सच्चे प्यार पर कभी ध्यान नही दिया और फिर बात यहाँ तक बढ़ गयी कि दोनो मे बेट लगने लगी ..कौन जीतेगा
निम्मी काफ़ी फॅशनबल कपड़ो मे अशोक से मिलने जाती ..सुंदर दिखने के लिए उसने हर वो चीज़ की जिससे शिवानी का पत्ता कट हो सके ..लेकिन दिन पर दिन उसे महसूस होने लगा कि उसका प्यार सिर्फ़ पैसो और उसके बदन पर ज़िंदा है
बात करते वक़्त अशोक की नज़रें हमेशा निम्मी के बूब्स और जाते वक़्त उसकी गांद पर जमी रहती ..घड़ी - घड़ी उसके कोमल बदन को छूना .. फिर चाहे हाथ हो ..गाल हो या चुचियाँ ..एक दिन तो हद हो गयी ..अशोक ने उसे अपने दोस्त के फ्लॅट पर बुलाया और कुछ देर तक प्यार भरे सपने दिखाने के बाद अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया
निम्मी इसके लिए बिल्कुल तैयार नही थी ..वो मना कर पाती इससे पहले ही अशोक ने पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..1स्ट टाइम किसी मर्द का हाथ वहाँ तक पहुचा था ..निम्मी टूटने लगी ..खुमारी मे अपना हाथ उसके हाथ पर दबाते हुए ज़ोरों से आहें भरने लगी ..उसने तय कर लिया कि वो अब नही रुकेगी और जैसे ही दोनो के होंठ जुड़े ..अशोक का फोन बजने लगा
" फक !!!! "
तिलमिला कर उसने नंबर. देखा ..जो उसी दोस्त का था जिसके फ्लॅट पर दोनो अभी बैठे थे
" दो मिनट जान ..मैं अभी आया "
इतना कह कर अशोक ने अपने खड़े लंड को जीन्स के ऊपर से मसला और बात करने के लिए दूसरे कमरे मे चला गया
उसके रूम से बाहर जाते ही निम्मी ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर ..पैंटी चेक की जो फ्रंट से काफ़ी गीली हो गयी थी
" शिट !!!!! मुझे सूसू आया है शायद "
अंजान निम्मी के कदम बाथ - रूम की तरफ बढ़ गये ..लेकिन दूसरे कमरे के सामने से गुज़रते वक़्त उसने कुछ ऐसी बातें सुन ली जिससे वो तुरंत ही फ्लॅट छोड़ कर अपने घर वापस लौट आई
" अब तुझे क्या हुआ ? "
खिड़की से लौट कर ..निम्मी को ख्वाब मे डूबा देख शिवानी ने पूछा ..उसे बड़ी हैरानी हुई ..निम्मी की आँखों मे गीला पन आ गया था ..हमेशा दूसरो को रुलाने वाली आज खुद रोने वाली है ..शिवानी को झटका लगा
" क ..कुछ नही ..चल आज मैं तुझसे प्रॉमिस करती हूँ ..अब कभी नही लड़ूँगी ..बल्कि एक अच्छी फ्रेंड बन कर रहूंगी "
इतना बोल कर निम्मी वहाँ से जाने लगी ..लेकिन शिवानी ने आगे बढ़ कर उसका रास्ता रोक लिया
" बैठ यहीं ..पहले ये बता तू रो क्यों रही है ? "
उसका हाथ मजबूती से पकड़ कर शिवानी ने वापस उसे बेड पर बिठा लिया
" कोई बात नही है ..मुझे जाने दे "
निम्मी ने अपने आँसुओ को रोकने की भरकस कोशिस की लेकिन वो नही माने ..छलक कर उसके गालो को भिगाना शुरू कर दिया
" कोई तो बात है ..मुझसे मत छुपा ..जब इतने बड़े - बड़े एहसान किए हैं ..तो एक और कर दे "
अनायास ही शिवानी ने उसका लेफ्ट गाल पोंछ दिया ..वो हैरत भरी निगाहों से निम्मी का चेहरा देख रही थी
" अशोक मेरे साथ सिर्फ़ सेक्स करना चाहता था शिवानी ..इसी लिए मैं हमारे लव ट्राइंगल से अलग हो गयी ..चाहती तो तुझे बता देती ..पर शायद तेरा दिल इस बात को नही मानता ..तुझे लगता मेरी कोई नयी चाल है "
सुबक्ते हुए निम्मी ने कहा ..शिवानी को एक और झटका दे कर वो तेज़ी से रोने लगी
" रो मत ..क्या तेरे साथ भी उसने ज़बरदस्ती की ? "
शिवानी ने उसका चेहरा थाम कर कहा
" ह्म्म्म्मम !!!!! "
हां मे अपना सर हिला कर निम्मी कंट्रोल नही कर पाई और शिवानी के गले से चिपक गयी ..बड़े दिनो बाद वो रोई थी ..चाहती थी आज उसे संभालने वाला उसे समझे ..वो ऐसी नही जैसी दिखती है ..सिर्फ़ खाल ओढ़ लेने से कोई शेर नही बन जाता ..आन्द्रूनि रूह ही इंसान की सच्चाई का परिचय करवाती है
" जानती थी ..मेरे साथ भी उसने यही किया था ..लेकिन दर्द मुझसे सहा नही गया और मैने आगे कुछ भी करने से मना कर दिया ..शायद ये वजह भी हो सकती है जो उसने तुझे अपने जाल मे फसाया होगा "
शिवानी ने अपनी बात पूरी की ..इस वक़्त उसे बिल्कुल रोना नही आया ..बल्कि उसका चेहरा काफ़ी सीरीयस हो गया था
" सुन तू घर जा ..अब मैं वापस नही जाउन्गि ..यहीं रह कर जॉब करूँगी बट इन्स्टिट्यूट से कुछ ऐसी यादें जुड़ी है ..जो मैं वापस वहाँ नही जाना चाहती "
शिवानी ने उसे खुद से अलग करते हुए कहा ..निम्मी का पूरा चेहरा उसके आँसुओ से तर था ..अपना दुपट्टा उतार कर शिवानी ने उसका फेस सॉफ किया और गालो पर हल्की सी चपत लगा कर मुकुराने लगी
" बड़ी छुपि रुस्तम निकली तू तो ..ऐसे रोएगी तो तेरा ये महेंगा मेक - अप धूल जाएगा ..फिर बाहर लड़को पर बिजली कैसे गिराएगी ..बोल ? "
निम्मी शर्मा कर नीचे देखने लगी ..कभी कभी ग़लतफहमियो के मिटने के बाद बहुत कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी आप कतयि उम्मीद नही कर पाते
" छोड़ ये सब ..मैं आज डॅड से बात करूँगी ..शायद उनकी फर्म मे तुझे जॉब मिल जाए ..हमारा फॅमिली बिज़्नेस तो तुझे पता ही है "
निम्मी ने उसकी हेल्प करने का मन बनाया और बेड से उठने लगी ..शिवानी ने भी इस बार उसे नही रोका ..लेकिन निम्मी के मूँह से उसके डॅड का नाम सुन कर वो सकते मे ज़रूर आ गयी
" रहने दे मैं खुद ट्राइ कर लूँगी ..खेर ये बता जब तू इतनी रोट्लु है तो अब तक शेरनी बनी क्यों घूमती रही "
शिवानी की बात सुन कर निम्मी ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए ..वो अब काफ़ी नॉर्मल थी
" अपने जिस्म पर गुमान करना सीख ले ..प्यार - व्यार सब फालतू की बातें हैं मैं जान गयी हूँ ..अरे लड़की चाहे तो बाहरवालो को तो छोड़ घरवालो तक की फाड़ सकती है "
जल्दबाज़ी मे निम्मी के मूँह से ग़लत बात निकल गयी ..शिवानी का मूँह भी हैरत से खुला रह गया
" म ..मेरा मतलब है ..घर मे काम करने वाले नौकर ..ड्राइवर माली वगेरा वगेरा ..चल अब मैं चलती हूँ ..कल सुबह मिलने आउन्गि "
निम्मी अपने घबराए चेहरे को छुपा कर तेज़ी से दौड़ती हुई रूम से बाहर निकल गयी
" घरवाले !!!!! "
जाने क्यों शिवानी के चेहरे पर एक शैतानी भरी मुस्कान तैर गयी
" अशोक तू सद - सड़ कर मरेगा "
रूम का गेट लॉक कर शिवानी कमरे के अंदर चली गयी
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हॉस्टिल से बाहर आने पर निम्मी ने चैन की साँस ली
" गॉड ..अच्छा हुआ ये मेरे घरवालो को नही जानती वरना आज तो गजब हो जाता "
निम्मी अक्टिवा स्टार्ट करने लगी ..आज उसने जो भी बातें शिवानी से शेर की थी इसका मतलब तो यही था कि वो जान कर मर्दो को परेशान करती है
" वैसे मैने कुछ ग़लत भी तो नही कहा ..उस दिन डॅड मेरी पुसी लिक्क कर रहे थे ..यहाँ तक की आस होल भी नही छोड़ा ..अगर मैं खुद पर कंट्रोल नही करती तो ..फक !!!!! "
सोचते ही निम्मी को करेंट लगा ..उसके गालो पर लाली छा गयी
" पॅंट के अंदर कितना बड़ा हो गया था डॅड का "
निम्मी की गाड़ी बहेक ने लगी ..रह - रह कर बीता पूरा सीन उसकी आँखों के सामने घूमने लगा
" क्या सच मे डॅड उस दिन मेरे साथ सेक्स कर लेते ..जबकि मैं तो उनकी सग़ी बेटी हूँ "
निम्मी ने खुद से ऐसा सवाल किया जिसका जवाब उसे पता था
" हां - हां कर लेते ..क्यों कि बेटी होने से पहले मैं एक लड़की हूँ ..उन्होने खुद कहा था "
दाँत निकालते हुए वो घर की पार्किंग मे पहुच गयी
" एक और बार ट्राइ करती हूँ ..काफ़ी दिन हो गये मज़े किए "