hotaks444
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इतना कह कर शिवानी आपे से बाहर हो गयी ..तेज़ी से उसने अपना हाथ सलवार के अंदर डाला और डाइरेक्ट 2 उंगलियाँ बड़ी बेरहमी से चूत की गहराई मे उतार ली
" ऊऊऊऊऊऊओ !!!!! "
होंठ राउंड शेप्ड बना कर उसने सांसो को अंदर - बाहर खीचना शुरू कर दिया ..जैसे कोई गरम पदार्थ फूक मार कर ठंडा कर रही हो
" कोई बात नही ..मैं आँखें बंद कर लेता हूँ "
अपने प्लान का लास्ट राउंड खेलते हुए दीप बेड पर लेट गया ..यहाँ तक कि करवट भी उसने ऐसी ली जिससे शिवानी उसकी बॅक साइड मे आ जाए
बड़े अचंभे से शिवानी ने उसकी इस हरक़त पर गौर किया ..विश्वास करना उसके लिए काफ़ी मुश्क़िल था ..2 दिन पहले ही वो इस इंसान की ज़्यादती का शिकार हुई थी ..लेकिन आज .. ' क्या सिर्फ़ मेरी वजह से ..मुहब्बत '
जितनी तेज़ी से उसकी उंगलियाँ चूत पर वार कर रही थी उतनी ही गति से दीप की हर बात उसके जहेन मे भ्रमण करने लगी
" मेरा बड़ा बेटा एक धोखे - बाज़ लड़की के झूठे प्यार का शिकार हुआ था ..जानते हुए भी ..लड़की चीटर है दिलो जाने से उसे चाहा ..लेकिन दिन पर दिन वो अंदर से खोखला होता गया ..एक रोज़ घर वापस लौट - ते वक़्त उसका माइंड डाइवर्ट हुआ ..नतीजा आज वो ज़िंदा लाश बन कर रह गया है "
बोलते - बोलते दीप रुक गया ..जाने क्यों शिवानी की उंगलियों ने भी अपना काम बंद कर दिया ..हाथ सलवार से बाहर खीचने के तुरंत बाद ..वो दीप को पलटाने लगी
" ज़िंदा लाश !!!! "
पलट कर सीधा लेटने पर भी दीप ने अपनी आँखें नही खोली
" हां ज़िंदा लाश ..पिच्छले 4 सालो से पुणे के फेमस मेंटल हॉस्पिटल मे भरती है ..कल उसकी मा उसे हमेशा के लिए घर वापस लाने जाएगी ..हम आज जो भी हैं सब उसकी बदोलत है ..एक वक़्त था जब कोई नया काम मिले 6 - 6 महीने बीत जाते ..पर रघु ने एक दिन के लिए भी अपने परिवार को ग़रीबी का मूँह नही देखने दिया ..जानती हो सब उसे रघु भाई कह कर बुलाते थे ..वजह थी उसका जिगर और हर - पल सच पर टिके रहने की आदत ..शायद ऊपर वाले ने मेरे कुकर्मो का बदला मेरे बेटे से लिया ..खेर तुम्हारी हां होने के बाद ही वो यहाँ आएगा ..क्यों कि उसकी देख - भाल करने मे हम सभी असमर्थ हैं ..डॉक्टर'स का तो हमेशा से कहना रहा है वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा ..लेकिन.... "
आख़िरी शब्द पर दीप वापस रुक गया ..महसूस करना चाहता था की शिवानी उसकी बातों मे कोई इंटेरेस्ट ले भी रही है ..या वो खुद से ही बातें किए जा रहा है
" लेकिन क्या !!!!! आगे भी तो कहिए और अपनी आँखें खोल लीजिए ..मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ "
शिवानी के कहने पर दीप ने अपनी आँखें खोल ली ..हलाकी जब - जब वो इस हादसे के बारे मे सोचता है ..हर बार खुद को रोने से नही रोक पाता ..आज भी उसकी आँखें नम थी
शिवानी ने एक पिता के मन की पीड़ा को महसूस करते हुए ..उसका आंकलन खुद के दर्द से किया और यहाँ वो दीप से हार गयी
" उसकी बॉडी का कोई भी पार्ट काम नही करता ..ना वो बोल पाता है ..ना चल पाता है ..ना सुन सकता है ..जहाँ बिठा दो बैठ जाएगा ..लेटा . लेट जाएगा ..माफ़ करना जो मैने तुम्हारे साथ उसकी शादी की बात छेड़ी ..वैसे सही भी तो है ..ऐसे पागल इंसान के कौन अपनी ज़िंदगी बर्बाद करना चाहेगा "
दीप ने टॉपिक का एंड करते हुए अपनी गीली आँखें वापस बंद कर ली और नींद के आगोश मे जाने की कोशिश करने लगा
वहीं शिवानी उसके द्वारा कही बातों को सोचने मे व्यस्त हो गयी ..अब आख़िरी फ़ैसला उसे करना था ..हां कहे या ना कह दे ....
थका हारा दीप कब गहरी नींद मे चला गया, पता नही ..शिवानी काफ़ी हद्द तक खुमारी की पकड़ से आज़ाद हो चुकी थी, और बेहद गंभीरता पूर्वक दीप की कही हर बात को अनलाइज़ करने मे व्यस्त थी
कुछ देर बाद जब दीप की स्नोरिंग से रूम मे आवाज़ उठना शुरू हुई तो शिवानी का ध्यान अपनी सोच से हट कर उसके सोते चेहरे पर चला गया
" इतने जल्दी किसी इंसान मे चेंजस कैसे आ सकते हैं ? "
सहसा उसके मूँह से ये सवाल निकला और उसका क्वेस्चन बिल्कुल भी ग़लत नही ..इसी कमरे मे दो दिन पहले हैवानियत का ऐसा तांडव मचा था, जिस के डर से शिवानी अब तक उबर नही पाई थी और आज जब दीप ने उसे नाइट स्टे की बात कही ..उसे लगा, जैसे दीप बीते मंज़र का बदला लेने के लिए उसे बुला रहा हो ..जो बात उनके दरमियाँ उस दिन अधूरी रह गयी थी, आज पूरी करना चाहता हो ..दीप उसे रोन्द कर रख देगा, सोच - सोच कर शिवानी पागल सी हो गयी थी
फिर शॉपिंग, उसके मूँह से निकली बातें, उसके फेस एक्सप्रेशन ..सब शिवानी की घबराहट को और भी ज़्यादा बढ़ाने लगे थे
' लेकिन ये क्या ' यहाँ तो सब कुछ उल्टा हो गया
आज दीप ने एक नज़र भी उसे ग़लत भावना से नही देखा ..वो उत्तेजित हुई थी, अगर दीप अपनी तरफ से हलका सा भी ज़ोर लगाता, वो खुद को रोक नही पाती ..कामुकता के चलते अपना सब कुछ उसके हवाले कर देती
इन सब बातों से परे दीप ने अपने हाथो से उसे खाना खिलाया, उसका सर अपनी गोद मे रख कर बॉम की मालिस दी
" यहाँ मेरी ग़लती है जो मैने, इनके सामने बेशर्मो की तरह अपनी चूत खुज़ाई ..थोड़ा तो कंट्रोल कर ही सकती थी "
खुद को डाँट लगा कर उसने आगे सोचना शुरू किया
" मुझे मास्टरबेट करते देख इन्होने अपनी आँखें बंद कर ली थी ..यहाँ तक कि अपनी पीठ मेरी तरफ करते हुए करवट ली ..ये सब कैसे ? "
अब उसकी सोच दो तरफ़ा हो गयी थी ..एक तरफ दीप, दूसरी तरफ रघु ..जहाँ दीप के बदलाव ने उसके दिल को धड़काना शुरू किया ..वहीं रघु की हालत पर उसे तरस आ रहा था
गर्मी की मार्मिक पीड़ा को दूर करने के लिए उसके हाथो की उंगलियाँ, कमीज़ के निच्छले हिस्से को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगी ..अब तो दीप भी सो चुका था
" ऊऊऊऊऊऊओ !!!!! "
होंठ राउंड शेप्ड बना कर उसने सांसो को अंदर - बाहर खीचना शुरू कर दिया ..जैसे कोई गरम पदार्थ फूक मार कर ठंडा कर रही हो
" कोई बात नही ..मैं आँखें बंद कर लेता हूँ "
अपने प्लान का लास्ट राउंड खेलते हुए दीप बेड पर लेट गया ..यहाँ तक कि करवट भी उसने ऐसी ली जिससे शिवानी उसकी बॅक साइड मे आ जाए
बड़े अचंभे से शिवानी ने उसकी इस हरक़त पर गौर किया ..विश्वास करना उसके लिए काफ़ी मुश्क़िल था ..2 दिन पहले ही वो इस इंसान की ज़्यादती का शिकार हुई थी ..लेकिन आज .. ' क्या सिर्फ़ मेरी वजह से ..मुहब्बत '
जितनी तेज़ी से उसकी उंगलियाँ चूत पर वार कर रही थी उतनी ही गति से दीप की हर बात उसके जहेन मे भ्रमण करने लगी
" मेरा बड़ा बेटा एक धोखे - बाज़ लड़की के झूठे प्यार का शिकार हुआ था ..जानते हुए भी ..लड़की चीटर है दिलो जाने से उसे चाहा ..लेकिन दिन पर दिन वो अंदर से खोखला होता गया ..एक रोज़ घर वापस लौट - ते वक़्त उसका माइंड डाइवर्ट हुआ ..नतीजा आज वो ज़िंदा लाश बन कर रह गया है "
बोलते - बोलते दीप रुक गया ..जाने क्यों शिवानी की उंगलियों ने भी अपना काम बंद कर दिया ..हाथ सलवार से बाहर खीचने के तुरंत बाद ..वो दीप को पलटाने लगी
" ज़िंदा लाश !!!! "
पलट कर सीधा लेटने पर भी दीप ने अपनी आँखें नही खोली
" हां ज़िंदा लाश ..पिच्छले 4 सालो से पुणे के फेमस मेंटल हॉस्पिटल मे भरती है ..कल उसकी मा उसे हमेशा के लिए घर वापस लाने जाएगी ..हम आज जो भी हैं सब उसकी बदोलत है ..एक वक़्त था जब कोई नया काम मिले 6 - 6 महीने बीत जाते ..पर रघु ने एक दिन के लिए भी अपने परिवार को ग़रीबी का मूँह नही देखने दिया ..जानती हो सब उसे रघु भाई कह कर बुलाते थे ..वजह थी उसका जिगर और हर - पल सच पर टिके रहने की आदत ..शायद ऊपर वाले ने मेरे कुकर्मो का बदला मेरे बेटे से लिया ..खेर तुम्हारी हां होने के बाद ही वो यहाँ आएगा ..क्यों कि उसकी देख - भाल करने मे हम सभी असमर्थ हैं ..डॉक्टर'स का तो हमेशा से कहना रहा है वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा ..लेकिन.... "
आख़िरी शब्द पर दीप वापस रुक गया ..महसूस करना चाहता था की शिवानी उसकी बातों मे कोई इंटेरेस्ट ले भी रही है ..या वो खुद से ही बातें किए जा रहा है
" लेकिन क्या !!!!! आगे भी तो कहिए और अपनी आँखें खोल लीजिए ..मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ "
शिवानी के कहने पर दीप ने अपनी आँखें खोल ली ..हलाकी जब - जब वो इस हादसे के बारे मे सोचता है ..हर बार खुद को रोने से नही रोक पाता ..आज भी उसकी आँखें नम थी
शिवानी ने एक पिता के मन की पीड़ा को महसूस करते हुए ..उसका आंकलन खुद के दर्द से किया और यहाँ वो दीप से हार गयी
" उसकी बॉडी का कोई भी पार्ट काम नही करता ..ना वो बोल पाता है ..ना चल पाता है ..ना सुन सकता है ..जहाँ बिठा दो बैठ जाएगा ..लेटा . लेट जाएगा ..माफ़ करना जो मैने तुम्हारे साथ उसकी शादी की बात छेड़ी ..वैसे सही भी तो है ..ऐसे पागल इंसान के कौन अपनी ज़िंदगी बर्बाद करना चाहेगा "
दीप ने टॉपिक का एंड करते हुए अपनी गीली आँखें वापस बंद कर ली और नींद के आगोश मे जाने की कोशिश करने लगा
वहीं शिवानी उसके द्वारा कही बातों को सोचने मे व्यस्त हो गयी ..अब आख़िरी फ़ैसला उसे करना था ..हां कहे या ना कह दे ....
थका हारा दीप कब गहरी नींद मे चला गया, पता नही ..शिवानी काफ़ी हद्द तक खुमारी की पकड़ से आज़ाद हो चुकी थी, और बेहद गंभीरता पूर्वक दीप की कही हर बात को अनलाइज़ करने मे व्यस्त थी
कुछ देर बाद जब दीप की स्नोरिंग से रूम मे आवाज़ उठना शुरू हुई तो शिवानी का ध्यान अपनी सोच से हट कर उसके सोते चेहरे पर चला गया
" इतने जल्दी किसी इंसान मे चेंजस कैसे आ सकते हैं ? "
सहसा उसके मूँह से ये सवाल निकला और उसका क्वेस्चन बिल्कुल भी ग़लत नही ..इसी कमरे मे दो दिन पहले हैवानियत का ऐसा तांडव मचा था, जिस के डर से शिवानी अब तक उबर नही पाई थी और आज जब दीप ने उसे नाइट स्टे की बात कही ..उसे लगा, जैसे दीप बीते मंज़र का बदला लेने के लिए उसे बुला रहा हो ..जो बात उनके दरमियाँ उस दिन अधूरी रह गयी थी, आज पूरी करना चाहता हो ..दीप उसे रोन्द कर रख देगा, सोच - सोच कर शिवानी पागल सी हो गयी थी
फिर शॉपिंग, उसके मूँह से निकली बातें, उसके फेस एक्सप्रेशन ..सब शिवानी की घबराहट को और भी ज़्यादा बढ़ाने लगे थे
' लेकिन ये क्या ' यहाँ तो सब कुछ उल्टा हो गया
आज दीप ने एक नज़र भी उसे ग़लत भावना से नही देखा ..वो उत्तेजित हुई थी, अगर दीप अपनी तरफ से हलका सा भी ज़ोर लगाता, वो खुद को रोक नही पाती ..कामुकता के चलते अपना सब कुछ उसके हवाले कर देती
इन सब बातों से परे दीप ने अपने हाथो से उसे खाना खिलाया, उसका सर अपनी गोद मे रख कर बॉम की मालिस दी
" यहाँ मेरी ग़लती है जो मैने, इनके सामने बेशर्मो की तरह अपनी चूत खुज़ाई ..थोड़ा तो कंट्रोल कर ही सकती थी "
खुद को डाँट लगा कर उसने आगे सोचना शुरू किया
" मुझे मास्टरबेट करते देख इन्होने अपनी आँखें बंद कर ली थी ..यहाँ तक कि अपनी पीठ मेरी तरफ करते हुए करवट ली ..ये सब कैसे ? "
अब उसकी सोच दो तरफ़ा हो गयी थी ..एक तरफ दीप, दूसरी तरफ रघु ..जहाँ दीप के बदलाव ने उसके दिल को धड़काना शुरू किया ..वहीं रघु की हालत पर उसे तरस आ रहा था
गर्मी की मार्मिक पीड़ा को दूर करने के लिए उसके हाथो की उंगलियाँ, कमीज़ के निच्छले हिस्से को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगी ..अब तो दीप भी सो चुका था