Porn Sex Kahani पापी परिवार - Page 14 - SexBaba
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Porn Sex Kahani पापी परिवार

दीप ने सोचा, तोड़ा एमोशनल हो कर कहेगा तो शायद निम्मी मान जाएगी ..उसने अपना मूँह शरम से नीचे झुका लिया ..बस एक ही चिंता उसे बार बार खाए जा रही थी ..कहीं इस वक़्त निक्की अपने कमरे से बाहर ना निकल आए

" इलाज !!!! चलो ठीक है डॅड ..उस दिन आपने मेरी हेल्प की ..आज मैं आप की कर देती हूँ ..बताओ ये कैसे छोटा होगा ? "

निम्मी मुस्कुरा दी ..दीप फुल उसके क़ब्ज़े मे था ..अब चाहे तो वो उसके इशारे पर नाचने तक को राज़ी हो जाता

" क्या कहा ? "

दीप बेहोश होते - होते बचा ..लगातार खड़े लंड पर बेटी के हाथो का घर्षण उसे सीत्कार करने को मजबूर करने लगा

" मैं हाथ हटा रही हूँ डॅड ..कोई चालाकी मत करना ..मैने नेट पर हर तरह के पेनिस देखे हैं,बड़े छोटे काले गोरे ..लेकिन आज रियल मे देखना है "

इतना कह कर उसने अपने हाथो की पकड़ ढीली कर दी ..लेकिन कहीं दीप उसे धोखा ना दे दे उसने अपना चेहरा निक्की के दरवाज़े की तरफ घुमा लिया, ताकि अगले ही पल कोई नया विस्फोट कर सके

" बेशरम ..मैं तेरा डॅड हूँ "

मौका मिलते ही दीप सोफे से उठने को तैयार हो गया ..निम्मी के बोल्ड पने पर उसे बड़ी हैरानी हुई ..कितनी आसानी से एक बेटी ने अपने बाप से कह दिया, वो पॉर्न देखती है और अब लाइव देखना चाहती है ..वो भी अपने सगे बाप का खड़ा लॉडा

" अच्छा मैं बेशरम !!!! मोम को बोला ना तो आप की खटिया खड़ी हो जाएगी ..डॅड मेरे 3 गिनने से पहले आप का शॉर्ट्स नीचे हो जाना चाहिए ..1 ..... "

निम्मी ने उसे अंतिम चेतावनी दे कर कहा ..दीप को लगा जैसे अभी थप्पड़ से उसका गाल लाल कर दे ..लेकिन वो खुद ग़लती मे था, जब उसने अपनी बेटी को नंगा देखा था तो अब उसकी बेटी भी अपने बाप को नंगा देखना चाहती है ..ये तो गिव &; टेक वाली बात हो गयी

" 2 .... "

दीप पागल सा हो गया ..अगर इसी वक़्त उसने अपने लंड को शॉर्ट्स से आज़ाद नही किया तो पक्का पुणे टूर के बाद, उसकी आत्मा उसके शरीर से आज़ाद हो जायगी ..निम्मी ज़रूर कम्मो को उसका सच बात देगी ये उसे पता था ..बदला लेने मे तो उसकी बेटी से बड़ा कमीन सारे संसार मे मिलना मुश्क़िल होगा

" 3 .... "

टोटल काउंटिंग हुई और दीप ने मजबूर हो कर खड़े लंड को शॉर्ट्स से बाहर निकाल दिया ..निम्मी का चेहरा उसकी टाँगो की जड़ से थोड़ा ही ऊपर था ..लंड नेकेड होते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली

" हो गया ..चल अब हट जाने दे "

दीप ने खुश हो कर कहा कहा क्यों कि निम्मी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी, उसने लंड को वापस शॉर्ट्स मे डालना चाहा ..लेकिन ठीक इसी वक़्त निम्मी ने उसे फिर से टोक दिया

" डॅड लाइफ मे 1स्ट टाइम रियल मे देखूँगी ..समझो बात को ..थोड़ा स्ट्रॉंग तो हो जाउ "

निम्मी ने अपनी उंगलियों से शॉर्ट्स की एलास्टिक टटोली ..और कामयाबी के बाद दोनो हाथो की मुट्ठी मे इलास्टिक को कस कर पकड़ लिया ..फॉर शुवर अब दीप का सोफे से उतना नामुमकिन था

" डॅड आँखें खोल रही हूँ "

निम्मी के दिल की धड़कने दीप सॉफ सुन सकता था ..सिर्फ़ इसी सोच से की उसकी बेटी जिस लंड से दुनिया मे आई है आज उसी का दीदार करने को पागल हुई जा रही है ..लंड फूल कर लोहा हो गया

" ओह माइ गॉड ..डॅड ये तो मॉन्स्टर है ..फक !!!! "
 
निम्मी की आँखें बड़ी हो कर काँचों मे तब्दील हो गयी ..शॉर्ट्स के अंदर खड़ा लंड इतना बड़ा होगा ..उसे चक्कर आने लगे ..गुलाबी सुपाडे की गोलाई और नसों का तनाव इतना भयानक था ..निम्मी अपने होंठो को चबाने लगी ..उसकी गरम साँसे लंड की नाज़ुक चमड़ी पर महसूस होते ही दीप मदहोशी से भर गया ..और सुपाडे पर प्री कम का जमावड़ा इकट्ठा होने लगा

" डॅड इसकी स्मेल बहुत स्ट्रेंज है "

निम्मी की चूत अब किसी भी पल झाड़ सकती थी ..उसके बूब्स सख़्त और निपल नुकीले पर नुकीले होने लगे ..थोड़ा सा चेहरा और नीचे झुका कर निम्मी लंड के सुपाडे को सूंघने लगी ..कयि बार ज़ोरदार साँसें अंदर बाहर करने के बाद लंड की खुश्बू जैसे उसकी रूह मे समा गयी

" आहह निम्मी बस कर ..म ..मैं झाड़ जाउन्गा "

दीप का कंट्रोल टूटने लगा, उसकी बेटी के नॅचुरल होंठ इस वक़्त सुपाडे के बेहद नज़दीक थे ..सिर्फ़ ख़याल मात्र से, कहीं निम्मी उसे चूसने ना लग जाए दीप की कमर अपने आप ऊपर उठ गयी ..नतीजा सुपाड़ा निम्मी के होंठो से रगड़ खा गया

" डॅड ये क्या किया ..छ्हीई !!!! "

निम्मी थोड़ा ऊपर हुई ..सुपाडे पर लगे प्रेकुं की बूँद तार बनाते हुए उसके गुलाबी होंठो से चिपक गयी ..बड़ी कातिल अदा से उसने अपनी जीभ को होंठो पर घुमाया और पिता के लंड से निकले स्वाद को चखने लगी

" निम्मी देख लिया ना ..अब बस कर ..निक्की बाहर आ गयी तो पंगा हो जाएगा "

दीप एक तरफ तो लंड को छुपाना चाहता था ..लेकिन दूसरी तरफ अपने आप उसका हाथ निम्मी के सर पर चला गया ..निम्मी तुरंत समझ गयी दीप उससे क्या करवाना चाहता है ..वो खुद भी इसी के लिए बेचैन थी ..चाहती थी हर बंदिश मिटा कर डॅड के लंड को चूसना शुरू कर दे ..लेकिन कितना भी बोल्ड पन लड़की मे क्यों ना हो, अट लास्ट झीजक आना लाज़मी है

" डॅड सिर्फ़ किस करूँगी "

इतना कह कर निम्मी ने अपने होंठ सुपाडे पर रख दिए ..दीप के मूँह से मोनिंग होने लगी और फॉरन निम्मी के होंठो ने सुपाडे को चूमना शुरू कर दिया ..लिसलिसे पदार्थ से सराबोर उसके होंठो ने जादू कर दिया, बड़े प्यार से हौले - हौले वो लंड टिप को होंठो से काटने लगी

इसी पोजिशन मे उसने दीप की आँखों मे झाँका, जिसमे वासना के डोरे सॉफ नज़र आ रहे थे ..लग रहा था जैसे वो कह रही हों .. ' निम्मी प्लीज़ अब तड़पाना छोड़ ..और चूसने लग जा अपने डॅड का लंड '

निम्मी से भी कंट्रोल नही हुआ और उसने स्माइल करते हुए अपने होंठो को खोल दिया

" निम्मी मैं कॉलेज जा रही हूँ ..तू घर पर रुकना "

निक्की की आवाज़ सुन कर दोनो चौंक पड़े ..दीप सोफे उठने को हुआ पर निम्मी के मन ने तो जैसे ठान लिया था, अभी नही तो कभी नही ..वो अपने खुले होंठो के अंदर सुपाड़ा डालने ही वाली थी, कि निक्की के कमरे से उसके बाहर निकलने की आवाज़ें आना तेज़ हो गयी

दीप की आँखों के आगे अंधेरे छा गया ..उसे लगा उसकी ज़िंदगी ख़तम ..लेकिन ठीक इसी पल निम्मी ने उसके शॉर्ट्स की एलास्टिक को छोड़ दिया और .. ' रन डॅड ' .. कह कर नीचे पड़ी झाड़ू अपने हाथ मे पकड़ ली

दीप सोफे से कूदा और निक्की अपने कमरे से बाहर निकल आई

" कहाँ जा रहे हो डॅड ? "

दीप की चाल मेन गेट की तरफ बढ़ते देख निक्की ने पूछा ..सही मायने मे दीप अब तक लंड को शॉर्ट्स के अंदर नही डाल पाया था ..वो तो अच्छा हुआ उसकी पीठ निक्की की तरफ थी वरना आज बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता

" व ..वो मेरी एक इम्पोर्टेंट. मीटिंग है बेटा ..मैं थोड़ी देर मे लौट आउन्गा "

दीप मेन गेट तक पहुच गया

" लेकिन डॅड "

निक्की ने हैरान हो कर उसे रोका

" बेटा मीटिंग बहुत बड़े लोगो से है ..समझा कर "

और इतना बोल कर दीप टी-शर्ट &; शॉर्ट्स मे मेन गेट के बाहर चला गया

" डॅड कपड़े तो सही पहेन कर जाओ "

निक्की ने इस बार ज़ोर से चिल्लाया तो ज़मीन पर बैठी निम्मी वहीं फर्श पर लॉट-पोट होने लगी ..अपने सर पर 5-6 बार उंगलियो के राउंड देती हुई उसने दीप को पागल करार दे दिया

" तू सही कह रही है निम्मी ..डॅड पागल हो गये हैं "

इसके साथ ही निक्की भी हँसते हुए सोफे पर गिर पड़ी .....
 
पापी परिवार--40

बेड पर अचेत लेटी कम्मो बड़े पशो-पेश मे फसि थी, रोते हुए सिर्फ़ उसे वही बात याद आती रही जो उसके बेटे ने बाथ-रूम मे कॉल कट करते हुए कही थी .. ' आगे जो भी होगा आख़िर भुगतना तो मुझे ही है '

दूसरा झटका उसे नीमा से बात-चीत के दौरान लगा ..उसकी दोस्त के मूँह से उस वक़्त ज़ोरदार सिसकियाँ निकल रही थी, जैसे उसकी धुवांधार चुदाई चल रही हो ..और शायद तभी नीमा ने उसे 30 मीं. से रिटर्न कॉल करने को कहा होगा

एक एक पल सदियों सा बीतने लगा, हलाकी कम्मो ने कॉल पर जो भी जानकारी पूछि ..वो उसकी घबराहट या जल्दबाज़ी कह सकते हैं, वो चाह कर भी निकुंज के दुख मे शरीक नही हो पाती ..बेटे के लंड को छुना या चूसना तो बहुत दूर की बात ..उसके लिए तो ऐसा सोचना तक पाप था

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30 मीं. पश्चात उसने अपने सेल को देखा, बेजान हाथ उसे उठाने तक को मजबूर लगे ..जिस ख़तरनाक मोड़ पर कम्मो खड़ी थी ..उसके एक तरफ खाई ( निकुंज ) और अब दूसरी तरफ कुँवा ( नीमा ) थी

" कॉल पर उससे क्या कहूँगी, मैं ये जानकारियाँ किस लिए ले रही हूँ ? "

खुद के सवाल पर उसकी आँखें बंद हो गयी, जिनकी किनोरो से आँसुओ की बूँदो का निकलना फिर से जारी हो गया ..लज्जा का अनुभव ज़रूरी नही तब ही हो, जब कोई आप के मूँह पर थप्पड़ मार जाए ..असल बेज़्जती तो तब महसूस होती है जब आप का मन बार-बार उसी बात का चिंतन करे

" माना उसने मुझे अपने बेटे के विषय मे बता दिया था, पर मैं नही बता सकती ..एक तो उमर मे वो मुझसे छोटी है, फिर घर समहालने वाली भी तो खुद वही है ..अगर उसका पति दूर ना होता तो यक़ीनन वो वर्तमान हालात के आगे कभी नही झुकती "

कम्मो सोचने मे व्यस्त थी तभी उसका सेल बजने लगा ..उसने पलकें खोल कर स्क्रीन की तरफ देखा ..कॉलिंग नीमा लिखा आ रहा था

" इनके ( दीप ) बारे मे बोल दूँगी "

आँसू पोंछ कर उसने अपने भरे गले को खकारा, ताकि कॉल पर उसके रोने का नीमा को अनुमान ना हो सके

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" हेलो "

कम्मो ने कॉल पिक किया

" हां कम्मो ..सॉरी यार उस वक़्त थोड़ा बिज़ी थी ..हां अब फ्री हूँ ..बोल क्या बात पूच्छना था ? "

नीमा ने जवाब मे कहा ..फॉरन कम्मो की भोएँ तंन गयी ..बीते चार दिन पहले नीमा कितनी गुम्सुम थी, अगर कम्मो उसे समझाने नही जाती, यक़ीनन उसने शूसाइड कर लिया होता ..लेकिन अभी कॉल के वक़्त उसकी आवाज़ मे बेहद उत्साह था, चहेक थी, खुशी थी

कम्मो ( अपने मन मे ) :- " दो ही कारण हो सकते हैं ..या तो विक्की पूरी तरह से ठीक हो गया है, या तो नीमा हालात के हाथो हार गयी है ..थोड़ी देर पहले जो सिसकियाँ मैने सुनी थी, प्रमाण स्वरूप काफ़ी है "

" तुझे सच मे नही पता मैने क्या पूछा था ..ऐसा क्या ज़रूरी काम कर रही थी उस वक़्त ? "

कम्मो ने सवाल किया

" तुझसे कुछ छुपा नही रही, पर ये सच है उस टाइम मैं अपने होश मे नही थी ..क्या पूछा था अब बोल ? "

नीमा ने जवाब दिया

" पहले बता होश कहाँ था तेरा ..मुझे कुछ अजीबो-ग़रीब आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी "

कम्मो ने उसकी चुटकी ली, अब ये क्लियर हो गया उस वक़्त नीमा चुदाई मे बिज़ी थी

" कम्मो मैने तुझसे कहा था ना, मैं ज़्यादा दिन ज़िंदा नही रहूंगी, हां मैने अपने अंदर की मा को विक्की के लिए मार लिया है ..जब तेरा कॉल आया, हम सेक्स कर रहे थे "

नीमा ने जवाब दिया बुत इस बार उसकी आवाज़ मे कंपन था, ग्लानि थी ..फिर भी बिना किसी हिचकिचाहट के उसने सच बोल दिया

" ह्म्‍म्म्म !!!! तेरी आवाज़ जब मेरे कानो मे पड़ी, मैं तभी समझ गयी थी, कॉल की दूसरी तरफ क्या चल रहा होगा ..अभी कहाँ हैं दोनो बच्चे ? "

कम्मो ने भी नॉर्मली जवाब दिया ..अगर वो शॉक्ड हो का रिप्लाइ करती, नीमा को ज़रूर हर्ट हो जाता

नीमा :- " स्नेहा तो अपनी मौसी के घर गयी है और विक्की अभी-अभी मेडिकल गया है ..मेरे लिए पेन किल्लर लेने "

कम्मो :- " पेन किल्लर ..किसलिए ? "

" अब जब रात भर मे 6 बार चुदाई हुई होगी ..तो पेन किल्लर तो खानी ही पड़ेगी "

नीमा ने धीमे स्वर मे कहा, बोलते वक़्त उसके गालो पर लाली छा गयी

" 6 बार ..क्या बात कर रही है ..तेरी च ..च ..चूत तो बुरी तरह फट गयी होगी "

इस बार कम्मो बेड पर उच्छल पड़ी ..' एक रात मे 6 बार चुदाई ' ..सुन कर उसके तोते उड़ गये ..सेक्स मे इंटेरेस्ट ना के बराबर होने से वो सिर्फ़ एक राउंड मे ही पस्त हो जाती थी, और नीमा ने एक ही रात मे ' 6 बार ' सेक्स कर लिया वो भी अपने सगे बेटे विक्की के साथ

कम्मो को महसूस हुआ कल रात से उसकी चूचियों मे भारी पन आया है, निपल भी कल रात से ही तने थे, ब्लाउस के अंदर सिर्फ़ पसीना ही पसीना भरा हुआ था , अजीब सी घुटन महसूस कर फॉरन उसने ब्लाउस के ऊपरी दो बटनो को खोल दिया ..असर पड़ा लेकिन नाम मात्र का

" क्या हुआ तू चुप क्यों हो गयी ? "

नीमा हस्ते हुए बोली ..दोनो दोस्त के बीच सेक्स टॉपिक कभी कभार ही हुआ होगा ..लेकिन एक लिमिट से बाहर दोनो ही नही निकल पाए ..पर आज तो जैसे कमाल ही हो गया था ..चूत, चुदाई जैसे शब्द खुल कर मूँह से बोले जा रहे थे

" कुछ नही थोड़ा ब्लाउस अड्जस्ट कर रही थी ..खेर तू बोल क्या बोल रही थी ? "

कम्मो की चढ़ती साँसे नीमा से नही छुप सकी ..बात वो अपने बेटे के साथ हुए सेक्स की कर रही थी, और उसका असर कम्मो पर दिखाई दे रहा था ..शैतानी मे भर कर तुरंत नीमा ने उसके मन की थाह लेने का सोचा

" तो उतार दे ना ब्लाउस को, कौन सा तुझे कोई देख रहा होगा ..मैं तो अभी भी नंगी पड़ी हूँ बेड पर, उठा तक नही जा रहा, विक्की ने हड्डी - हड्डी का चूरमा बना कर रख दिया है ..और चूत तो जैसे फट कर भोसड़ा बन गयी है "

नीमा ने उसे छेड़ते हुए कहा, वो जानती थी एक मा के लिए ये सब सुनना कितना स्ट्रेंज फीलिंग से भरा हो सकता है ..कुछ वक़्त पहले तक तो वो खुद भी यही सोच कर पानी हो जाती थी, लेकिन आज कयि महीनो बाद उसे असीम आनंद की प्राप्ति हुई है, उसका रोम - रोम पुलकित था

" बस कर नीमा शरम नही आती तुझे, मेरी उमर का तो ख़याल कर "

कम्मो से रहा नही गया उसने दो पल को सेल हाथ से छोड़ कर, फुर्ती से अपना ब्लाउस उतार कर बेड पर गिरा दिया ..कुछ गहरी साँसें लेने के बाद उसने वापस सेल अपने कान से चिपकाया

" क्या करूँ कम्मो, आज तो जैसे मैं स्वर्ग मे पहुच गयी हूँ ..कल तक सिवाए किस्मत को दोष देने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा चारा नही था, लेकिन आज मैं उसी किस्मत की शुक्रगुज़ार हूँ, जो मुझे चन्द घंटो मे ही इतना सुख मिल गया "

नीमा बोलती रही, और कम्मो बड़े गौर से उसकी बातों को सुनने मे व्यस्त हो गयी ..उसकी चूत मे सिकुड़न आना लाज़मी था, और हुआ भी यही ..अपनी टाँगो को पूरा फैला कर भी कम्मो को चैन नही मिल पाया

" जानती है कम्मो, 3 दिनो से विक्क अपने स्कूल प्रॅक्टिकल मे बिज़ी रहा, मैं जब भी उसके कमरे मे जाती, उसे किताबो मे उलझा पाती ..एक पल को तो मुझे लगता जैसे मैने इस जंग को जीत लिया है, मेरा बेटा अब मास्टरबेट की बुरी लत से आज़ाद हो गया है ..लेकिन दूसरे ही पल मैं उदास हो जाती, शरम नही करूँगी बताने मे ..पर मेरी उदासी की असली वजह थी उसका लंड, जिसे मैने बीते 5 महीनो मे लगातार देखा था ..एक तरह से उसे चूसना मेरे जीवेन की दिनचर्या मे शामिल हो गया था ..कयि - कयि बार तो रात - रात भर मुझे नींद नही आती थी, बस जी मे आता अभी उसके कमरे मे जाउ और सारी रात मज़े से चूसू, उससे खेलु ..आख़िर कब तक एक औरत प्यासी रह सकती है ..मेरे हज़्बेंड के साथ लास्ट चुदाई मैने 10 महीने पहले की थी, वो भी सिर्फ़ एक छोटा सा राउंड

कम्मो पिच्छले कयि महीनो से मेरी चूत मे भयानक आग लगी थी, ऐसी आग जो अब सिर्फ़ लंड से ही बुझ पाती ..मैने बहुत सोचा पर अपना मन नही बदल सकी ..कल जब विक्कीी स्कूल से लौटने वाला था, मैने अपने रूम का गेट खुला छोड़ दिया और सारे कपड़े उतार कर खुद को संवारने लगी, मैने फ़ैसला कर लिया था आज रात मैं उससे से चुद कर ही दम लूँगी

वो घर आने के फॉरन बाद मेरे कमरे मे आ गया, गेट से अंदर झाँकते ही मैं उसे नंगी शीशे के सामने बैठी दिखाई दी, जाने क्यों उसके कदम पीछे हटने लगे और वो मेरे कमरे से बाहर जाने लगा ..लेकिन तभी मैने उसे रोका और अपने पास बुलाया, हौले हौले कदमो से चलता हुआ वो मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया, हमारी नज़रें मिली ..हम दोनो की धड़कने तेज़ रफ़्तार से चल रही थी, कम्मो उस वक़्त मेरे हाथ मे कैंची थी, मैं अपनी झाँते काट रही थी

मैं :- " बेटा कुछ काम था क्या ? "

" नो मोम, मैं तो...... "

वो इससे ज़्यादा कुछ नही बोल पाया, लेकिन उसकी नज़र जल्द ही मेरी टाँगो की जड़ को घूर्ने लगी ..मैने लाज़ाकर उसकी आँखों मे देखा, जिनमे बड़ी उत्सुकता थी, उसकी लाल आँखों मे अजीब सी बैचैनि दिखाई दे रही थी ..पहली बार अपनी मा को नंगा देख रहा था, या शायद किसी भी औरत को

वो खड़ा था और मैं चेर पर बैठी थी, पॅंट के अंदर खड़े लंड का फुलाव देखते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, मैने देर ना करते हुए उसके पॅंट की बेल्ट खोली दी, और अगले ही पल मेरे हाथो मे वापस मेरा खिलौना लौट आया, जिसे मैं 3 दिनो से बहुत मिस कर रही थी

विक्की के लंड मे इतना ज़्यादा तनाव शायद ही मैने कभी देखा होगा, या यूँ कह ले ..उसे अपनी मा का नंगा बदन पसंद आया ..फटी आँखों से अब भी वो सिर्फ़ मेरी चूत को ही निहार रहा था

मैने अपने खुश्क होंठ उसके सूजे सुपाडे पर रख दिए, दोनो ही चीज़ें उस वक़्त अंगार थी ..वो सिसक उठा, और फॉरन मैने अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर घुसा ली, साथ ही सुपाडे के छेद पर अपनी पायंटेड जीभ चुभाते हुए, उसे तड़पाने लगी ..कल तक जो लंड मेरे लिए बेटे का था, आज मुझे वो किसी गबरू जवान लड़के का दिखाई दे रहा था

उससे सहेन नही हो पाया और उसके हाथो ने मेरे बालो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया ..वो चाहता था, मैं फॉरन लंड चूसने लगू पर मैं अगले 5 मिनट तक सिर्फ़ उसे उकसाती रही ..आज शायद उसके मूँह से सुनने को बेताब थी ' मोम चूसो ना '

जल्द ही उसका सबर टूट गया और चिल्लाते हुए उसने ज़बरदस्ती आधा लंड मेरे मूँह के अंदर कर दिया ..मुझे अपना बचाव करने की कोई आज़ादी नही मिल पाई, ज़्यादा वक़्त नही लगा और वो लगभग पूरा लंड मेरे गले के आर - पार निकालने की कोशिश करने लगा ..मैं बार-बार चोक हो जाती, मूँह से बहकर लार मेरी चुचियों तक पहुच गयी थी ..आज पहली बार मैने खुद से सवाल किया .. ' उसका लंड मेरे मूँह मे समा क्यों नही पा रहा ..जिसे मैं आसानी से पूरा निगल लेती थी, आज बड़ा कष्टकारी क्यों लग रहा था '
 
कम्मो तू यकीन नही करेगी, विक्की का ऐसा वहशी रूप मैने 1स्ट टाइम देखा ..अब तक जो भी होता आया था, मेरी मर्ज़ी से ..मैं रोज़ उसके कमरे मे उसे ब्लोवजोब देती, और वो चुपचाप अपनी आँखें बंद किए लेटा रहता था ..काई - काई बार मन के हाथो विवश हो कर मैं घंटे भर तक उसके लंड से खेलती रहती, बिना परवाह किए कि मेरा बेटा उस दौरान कितनी बार झाड़ा और कितनी बार उसकी मा ने उसके वीर्य से अपना गला तर किया ..जब अत्यधिक दर्द से वो बहाल जो जाता, मैं उसे छोड़ देती ..पर एक बार भी उसने मुझसे कोई ज़्यादती नही की ..उस दिन तेरे सामने जो मैं रोई थी, ये उसका ही परिणाम था ..मैं अपनी चूत मे उठती अगन को ज़रा भी शांत नही कर पा रही थी, लग रहा था शूसाइड कर लूँ और सब यहीं ख़तम हो जाए

तूने मुझे साहस तो दिया पर मेरी जगह अगर तू खुद इस जंग से लड़ रही होती ..मजबूरन तुझे भी वही करना पड़ता जो मैने किया

कम्मो विक्की लगातार मेरे मूँह को चोद्ता रहा, मैने भी हार नही मानी और अपना दर्द चूत को सहलाने मे बात लिए ..यहाँ उसकी कमर का एक झटका लगता और वहाँ मेरी उंगलियाँ चूत के और भी ज़्यादा अंदर हो जाती

कुछ देर बाद विक्की झुंझलाने लगा और मैं समझ गयी, मेरा काम अब आसान है ..मैने इशारों से उसे बेड पर चलने को कहा ..फॉरन उसने अपना लंड मेरे मूँह से बाहर निकाला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड की तरफ ले गया ..अपनी पीठ के बल लेट कर विक्की ने मेरे उसी हाथ को वापस अपने लंड पर रख दिया और एक ऐसी नज़र से मुझे देखा .. ' जिसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ वासना भरी थी, तड़प भरी थी ' ..वो कह तो नही पाया पर उसका आशय मुझे पता था ..यक़ीनन वो चाहता था जल्द ही उसे, उसके लंड के तनाव से मुक्ति मिल जाए ..मैने मुस्कुरा कर अपना ढेर सारा थूक लंड पर छोड़ दिया और जीभ से फैला कर उसे चिकनाई से भरने लगी

बस कम्मो यही वो पल था जब मेरे अंदर की मा मर गयी और उसके तुरंत बाद ही मैं अपनी मर्ज़ी से उसके खड़े लंड पर बैठती चली गयी ..शुरूवात मे कयि मुश्क़िलें आई, हज़ार सवालो से विक्की का चेहरा घंभीर होता गया ..लेकिन मैने काम ज़ारी रखते हुए, अपनी कमर उसके लंड पर ज़ोरो से पटाकने लगी ..सही मायने मे दर्द तो उस वक़्त मुझे महसूस हो रहा था, इन 10 महीनो मे मेरी चूत सिकुड कर काफ़ी टाइट जो हो गयी थी

थोड़ी देर बाद विक्की की कमर भी मेरी ताल से ताल मिलाने लगी और बीती रात पूरे 6 दफ़ा हमने अपने रिश्ते को दागदार किया ..या शायद हमेशा करते रहेंगे, अब ये पाप हमे कहाँ तक ले जाएगा पता नही ..पर मुझे सब मज़ूर है "

इतना कह कर नीमा शांत हो गयी, इन आख़िरी दो पंक्तियों मे उसने असल जीवन के सारे राज़ खोल दिए ..माना उसने 10 महीने बाद अपनी चूत मे आराम पाया था, लेकिन वो जानती थी ये आराम जल्द हराम मे बदल जाना है ..जब मा के साथ बेटे ने संसर्ग स्थापित कर लिया, तो यक़ीनन अपनी बहेन के लिए भी उसके विचार मैले हुए बिना नही रह पाएँगे

वहीं होटेल के कमरे मे तो जैसे भूचाल मच गया ..ब्लाउस के ऊपर कम्मो की गीली महरूण पैंटी पड़ी थी और साड़ी अपने पेट पर लेपेटे उसकी उंगलियाँ, अपनी सूजी चूत को और सुजाने मे व्यस्त थी ..वो ज़रा भी होश मे नही थी, एक हाथ से सेल अपने कान पर लगाए और दूसरे की 3 उंगलियों से योनि का मर्दन करते हुए उसे यह भी ध्यान नही रहा, कॉल पर नीमा उसकी आहों को बखूबी सुन रही होगी

" कहाँ खो गयी कम्मो, और तेरी आवाज़ को क्या हुआ ? "

आख़िरकार नीमा ने पूछ लिया, कम्मो की बंद आँखें एक झटके मे खुल गयी ..खुद की हालात देख उसे अचरज तो हुआ पर उसकी उंगलियाँ ज्यों की त्यों चूत के अंदर - बाहर होती रही ..मदहोशी का आलम उस पर ऐसा छाया की अचानक से उसने कॉल पर ऐसी बात कह दी जिसे सुन कर नीमा के भी होश उड़ गये

" अहह !!!! नीमा तूने मेरी चूत मे आग लगा कर रख दी ..खुद तो अपने बेटे से चुद कर शांत हो गयी, अब मैं क्या करूँ ? "

बात कहने के बाद भी कम्मो नही जान पाई उसके मूँह से क्या निकल गया ..वहीं कॉल की दूसरी तरफ नीमा मुस्कुरा दी, वजह कल तक वो खुद इस आग को मिटाने मे असमर्थ थी

" कम्मो बुरा मत मान ना ..पर क्या दीप जी तेरी प्यास नही बुझा पाते ? "

नीमा ने सवाल किया ..हलाकी उसके सवाल का आशय दीप के ऊपर सीधा - सीधा इल्ज़ाम लगाना था, नामार्दी का ..पर फिर भी कम्मो की आहों ने उसका धैर्य तोड़ दिया ..आख़िर लंड की प्यास क्या होती है ये नीमा से बेहतर कौन जान सकता था

" ऐसी बात नही है नीमा, वो तो चाहते हैं रोज़ मुझे चोदे ..पर मैं ही कमज़ोर पड़ जाती हूँ ..आज पहली बार मुझे एहसास हो रहा है कि मैं भी एक औरत हूँ ..चाहती हूँ वो जी भर के मुझे चोदे "

कामो का ये रूप बड़ा भयानक बन गया ..बिखरे बाल, आँखों मे सुर्खियाँ, ब्रा से बाहर निकली दोनो चूचियाँ, पेट पर लिपटी सारी, भारी साँसें ..यक़ीनन वो तड़प रही थी ..अगर इस वक़्त निकुंज कमरे मे आ जाता, तो भी उसे कोई ख़ास फरक नही पड़ना था, वो पूरी तरह अपने होश से बाहर निकल चुकी थी

" कम्मो औरत चाहे लाख अपनी चूत को खुजा ले पर असल खुजली लंड ही मिटा पाता है ..फिर चाहे उस लंड के अनेकों नाम हों ..अच्छा तूने किसी सवाल के मक़सद से कॉल किया था ..बातों मे इतनी उलझ गयी, ध्यान ही नही रहा "

नीमा को उसकी तड़प मे अपनी तड़प का एहसास हुआ, दोनो मे दोस्ती बहुत गहरी थी ..खेर इस मामले मे वो उसकी ज़्यादा कोई मदद तो नही कर पाती ..लेकिन आश्वासन ज़रूर दिया

" कुछ नही नीमा मेरे सारे सवालो के जवाब मिल गये ..मगर ये निगोडी झड़ने का नाम ही नही ले रही ..देख ना पिच्छले 15 मिनट से उंगली कर रही हूँ ..पानी तो बह रहा है, पर जलन नही जा रही "

कम्मो ने बेशर्मी से जवाब दिया, ऐसी तो वो कभी नही थी ..लेकिन इन दो दिनो मे उसके मश्तिश्क मे सिवाए उथल - पुतल के कुछ नही हुआ था

" चल रखती हूँ ..दीप जी का इंतज़ार कर ले, फिर जी भर के शांत कर लेना अपनी निगोडी को ..विक्की भी लौट आया है ..एक आख़िरी राउंड के बाद हम भी सोएंगे ..अपना ख़याल रखना, और निगोडी चूत का भी "

इतना कह कर हँसते हुए नीमा ने कॉल कट कर दिया, पर बेचारी कम्मो की हालत मे सुधार की गुंजाइश ना के बराबर थी ..अगले 15 मिनट तक उसने बिना रुके पूरी तेज़ी से अपनी चूत को रोंदा ..पर चूत का झड़ना नही हो पाया ..मन मसोस कर उसने अपनी साड़ी को घुटनो से नीचे कर दिया और आँखें बंद कर के लेट गयी ..उसका दिमाग़ तो अशांत था ही, शरीर की सारी ताक़त भी अब पस्त हो चुकी थी

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रिसेप्षन पर पहुच कर निकुंज ने आस पास के किसी पार्क की इन्फर्मेशन ली और सफ़ारी से वहाँ के लिए निकल पड़ा

अभी वो आधे रास्ते पहुचा ही था कि उसके सेल की मसेज टोन बीप हुई, देखा तो मसेज निक्की का था ..फॉरन उसने मसेज ओपन किया, लेकिन मसेज ब्लॅंक निकला

दो पल मे उसके चेहरे पर आई सारी मुस्कान मानो झाड़ सी गयी, कितना सुकून मिला था सिर्फ़ ये देख कर की उसके सेल पर आया मसेज उसकी प्यारी बहेन निक्की का है, पर मसेज के ब्लॅंक होने की वजह उससे छुपि नही थी ..वो जानता था घर पर उसकी बहेन सिर्फ़ अपनी भाई के बारे मे ही सोच रही होगी और बिना कुछ लिखे ही, ब्लॅंक मसेज के ज़रिए उसने अपने सूनेपन को निकुंज पर ज़ाहिर कर दिया

" मैने कल रात से एक पल को भी उसे याद नही किया ..और वो मुझे हर पल याद करती होगी "

खुद को दोषी करार देने के बाद उसने निक्की का नंबर सेल स्क्रीन पर ला दिया ..पर उसके अंगूठे मे ज़रा भी दम नही आ पाया ..बस ये सोच कर, बात होने के बाद दोनो की तड़प कम होने के बजाए बढ़ेगी ही, वो कॉल बटन प्रेस नही का पा रहा था

कुछ देर बाद निकले सल्यूशन मे उसने भी एक ब्लॅंक मसेज निक्की के सेल पर सेंड कर दिया और ड्राइव करते हुए जल्द ही पार्क पहुच गया
 
घूमने का रियल मक़सद था, थोड़ी देर फ्रेश एर मे साँसे ले सके पर पार्क मे आ कर तो जैसे उसकी घुटन और बढ़ गयी ..मुंबई मे तो हर रोज़ सुबह वो इस वक़्त निक्की के साथ होता था पर आज जैसे किस्मत ने दोनो को कोसो दूर फेक दिया ..निकुंज से सबर नही हो पाया, वो निक्की की आवाज़ सुनने को मचल उठा और इसके फॉरन बाद उसके हाथो ने वापस उसका नंबर डाइयल किया

" हेलो निक्की "

पहली रिंग मे ही उसकी बहेन ने कॉल पिक कर लिया जैसे इसी बात के इंतज़ार मे बैठी हो ..निकुंज ने बात शुरू की

" कैसे हो भाई ..मों कैसी हैं ..भैया से मिले की नही ..सब ठीक है ना वहाँ ? "

एक के बाद एक सवालो की झड़ी लगाते हुए निक्की ने रिटर्न मे पूछा ..लेकिन इन सब सवालो के बीच वो असली सवाल नही पूच्छ पाई .. ' आप को मेरी ज़रा सी भी याद नही आई, हमे बिछड़े पूरे 12 घंटे से ज़्यादा बीत चुके हैं "

" यहाँ सब ठीक है निक्की ..हम रात मे पुणे पहुच गये थे, मोम अभी होटेल मे हैं ..रघु से मिलने 11 के बाद जाएँगे ..तब तक डॉक्टर्स भी हॉस्पिटल आ चुके होंगे "

सेम टोन मे निकुंज बोला ..दोनो की आवाज़ो मे तड़प सॉफ दिखाई पड़ रही थी

निक्की :- " आप कहाँ हो अभी ? "

निकुंज :- " बस ऐसे ही थोड़ा टहलने के लिए होटेल से बाहर निकल आया था "

" किसी पार्क मे बैठे हो ना ? "

अचानक से पूच्छे सवाल से निकुंज घबडा गया, उसकी निगाहें गार्डेन के चारो तरफ घूमने लगी जैसे सच मे उसकी बहेन यही आस - पास कहीं छुपि हो

" तुझे तो सब पता है "

अपनी हरकत पर मुस्कुराते हुए निकुंज ने कहा

" आप को ये पूच्छना चाहिए था था .. ' मुझे कैसे पता आप अभी पार्क मे हो ' ..भाई क्या आप नही जानते मुझे आप की सांसो की रफ़्तार तक का पता है, फिर छोटी-मोटी बातें तो इसकी गिनती मे आती ही नही हैं "

निक्की बोलते-बोलते रुक गयी, उसका गला शायद बहुत ज़्यादा भारी हो गया था

" बस कर बेटा ..मैं और सुन नही पाउन्गा, और ध्यान रखना मैं रो भी सकता हूँ "

बोलते वक़्त सच मे निकुंज की आँखें भर आई ..अब तक उसने खुद को बहुत स्ट्रॉंग किया हुआ था, बट कल रात अपनी मोम के साथ हुई कॉन्वर्सेशन से वो अंदर तक टूट चुका था ..रोने के लिए उसे अपने किसी ख़ास के कंधे की ज़रूरत महसूस हुई, पर वो कंधा उससे मीलों दूर मुंबई मे था

" आप क्यों रोते हो ..रोना तो मुझे चाहिए ..दो दिन पहले मैने अपने प्यार का इज़हार किया था, पर जिससे किया ..उसने अब तक कोई जवाब नही दिया ..मुझे तो लगता है उसे मुझसे प्यार है ही नही, वरना अब तक मुझसे रूठा नही रहता ..भाई मैने जो शर्मनाक हरक़त की थी बाथ-रूम मे ..उसके लिए माफी चाहती हूँ ..अपना ख़याल रखना "

इतना कह कर निक्की ने कॉल कट कर दिया ..अब वो खुल कर रो भी सकती थी और उसके भाई को पता भी नही चलता

" हेलो ..हेलो ..हेलो ..... निक्की मेरी बात सुन "

जान कर, की कॉल कट हो चुका है, निकुंज चिल्लाता रहा ..निक्की ने जो भी बात कही, 100 फीसदी सच थी ..उसे बाथ-रूम वाली बात पर दुख था, जो निकुंज को उसकी बातों से समझ आ गया ..लेकिन जो बात उसके दिल मे टीस कर गयी ..वो थी निक्की का कहना .. ' निकुंज को उससे प्यार नही है "

" अब मैं तुझे कैसे बताऊ बेटा ..मुझसे ज़्यादा प्यार तुझे ना कभी किसी ने किया होगा ..ना कर पाया है ..और ना कभी कर पाएगा ..लेकिन चाह कर भी मैं अपनी नीयत मे खोट नही ला पा रहा हूँ ..और वैसे भी जिस तरह का प्यार तू मुझसे चाहती है ..मैं उस प्यार के काबिल नही रहा, नामार्द हो गया है तेरा भाई "

निकुंज रोने लगा ..किसी मर्द के लिए ये बात कितनी घृणा पैदा करने वाली होगी, की भरी जवानी मे उसका लंड काम करना बंद कर दे

वहीं निक्की खुद की हालत को सुधार कर हॉल मे आई, वो कॉलेज के लिए निकल ही रही थी कि दीप केवल स्टॉर्ट्स &; टी-शर्ट मे ऑफीस जाने का बोल कर घर से बाहर चला गया ..कुछ पल के लिए जैसे निक्की के उदास चेहरे पर स्माइल आ गयी और सोफे पर बैठ कर वो निम्मी के साथ बातें करने मे व्यस्त हो गयी .....
 
पापी परिवार--41

इन पुणे :-
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काफ़ी देर तक पार्क में समय बिताने के बाद निकुंज वापस होटेल की तरफ लौटने लगा ...हॉस्पिटल जाने का टाइम नज़दीक था और शायद उससे पहले कम्मो शॉपिंग करने जाती.
कार में बैठ कर वो मेन रोड पर आ गया, उसका पीड़ित मन बार - बार उससे कह रहा था ...... " मत जा होटेल !!! कहीं भाग जा, तेरी पूरी फ्यूचर लाइफ स्पायिल हो गयी है ..अब तू किसी काम का नही रहा " ......सहसा उसे गालो पर आँसुओ की धार बहने लगी ...जिनमे कुछ बूँदें उसकी बहेन निक्की के पागलपन की भी साक्षी थी.
" तनवी से शादी के लिए मना करना पड़ेगा, वरना उस बेचारी की ज़िंदगी भी नर्क में तब्दील हो जाएगी ..बहुत बड़ा अन्याय हो जाएगा उसके साथ " ........निकुंज सोचने लगा, जब वो उससे पहली बार मिला था ...कितना मासूम भोला चेहरा, शरारती आँखें ...कैसे उसने निकुंज की बोलती बंद कर दी थी यह कह कर कि ...... " उसे खाना बनाना तो नही आता पर बना खाना ज़रूर आता है " ........उसकी बात सुनकर तो जैसे निकुंज के कानो से धुआ निकल गया था, एक पल तो लगा वहाँ से भाग जाए ...पर अगले ही पल जब वो ज़ोरो से हसी, निकुंज उसकी मुस्कुराहट पर मर मिटा था.
बाद में वे दोनो ज्यूयलरी शॉप पहुचे, तनवी के लाख मना करने के बावजूद उसने उसे कर्ध्नी गिफ्ट की ...यहाँ तक कि अपने हाथो से पहनाई भी, कितना कोमल बदन है उसका ...सोचने मात्र से भी मैला हो जाने वाला जिस्म और तो और शॉप से बाहर आते वक़्त कैसे उस अंजान लड़की ने, उसके डॅड के दोस्त के पैर छु कर आशीर्वाद माँगा था ...वो नज़ारा देख कर वाकाई निकुंज का सीना फक्र से चौड़ा हो गया था.
वहाँ से निकलने के बाद तनवी ने उसे बताया कि यह उनकी आख़िरी मुलाक़ात है ...अब वो सीधे शादी के मंडप में मिलेंगे, उससे पहले ना कोई फोन कॉल ना कोई डेट ...सिर्फ़ हिचक़ियों में एक दूसरे को याद करेंगे.
" मगर मैने उसे याद ही कहाँ किया, कभी निक्की और कभी मोम ..इनसे उबर पाउ तो याद करू भी " ......एक चिड के साथ निकुंज ने खुद से कहा, निक्की के रूप में उसकी एक परेशानी ख़तम नही हो पाई थी कि दूसरी ... कम्मो के रूप में चली आई.
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इन्ही सोचो के बीच वो होटेल पहुच गया ...लगभग 15 मिनिट तक खुद को नॉर्मल करने के बाद, लिफ्ट से वो अपने रूम कॉरिडर में आया और 2न्ड के से दरवाज़ा खोलने लगा.
गेट अनलॉक कर वो कमरे में एंटर हुआ, पर अंदर का नज़ारा देखते ही उसकी आँखें चौंधिया गयी, उसकी मा बेड पर करवट लिए लेटी थी और उसकी पीठ निकुंज की तरफ थी ...इस वक़्त कम्मो के ऊपरी बदन पर सिवाए ब्रा के कुछ और नही था, एक पतली सी स्ट्रीप के अलावा उसकी पूरी पीठ नेकेड थी ... 1स्ट टाइम ऐसा मौका आया जब निकुंज ने अपनी मोम की अधनंगी बॅक का दीदार किया, चाह कर भी कुछ पल के लिए उसकी निगाहें मा के गोरे बदन से ना हट सकी ... ब्रा स्ट्रीप ब्लॅक थी और अस्तव्यस्त साड़ी में कम्मो के चूतड़ो की स्टार्टिंग दरार सॉफ दिखाई पड़ रही थी ... एक भारी औरत के बदन में जितनी कशिश और सुदोलता होती है उतनी नौजवान लड़कियों में कहाँ, निकुंज के कदम जहाँ थे वही जमे रह गये.
अचानक से कम्मो ने करवट बदली और अपनी पीठ के बल लेट गयी, पिछले 1 घंटे से सिवाए करवट बदलने के वो और कर भी क्या रही थी ... हड़बड़ा कर निकुंज फॉरन फ्लोर पर लेट गया ताकि कम्मो, कमरे में उसकी मौजूदगी को महसूस ना कर सके ...डर तो आख़िर डर होता है, निकुंज की सोच में अगर मोम जान जाती, उनका बेटा इस वक़्त कमरे में उनके साथ मौजूद है ... वाकाई वो उससे और भी ज़्यादा खफा हो जाती और ऐसा सोचने के बाद निकुंज के माइंड में छुप्ने के अलावा और कोई बात नही आ सकी.
5 मिनिट तक वो ज़मीन पर ऐसे लेटा रहा जैसे कमरे में कोई बॉम्ब लगा हो ...साँसे तक थम सी गयी थी, जब उसने कोई और हरक़त की आवाज़ नही सुनी ...उठ कर वापस खड़ा हुआ, पर इस बार का नज़ारा तो कामुक़पन्न की सारी हदें पार करने लायक था.
 
पीठ के बल लेटी उसकी मा इस वक़्त तेज़ी से अपनी साँसे अंदर बाहर कर रही थी, जैसे नींद में कोई डरावना सपना देख रही हो, उसके ऐसा करने से ब्रा में क़ैद उसकी पहाड़ सी चूचियों का यौवन चरम पर पहुच कर वापस लौट आता ...निकुंज तो जैसे पत्थर बन गया और आँखों के साथ मूँह फेड एक - टक उसकी चूचियों में खो कर रह गया, अपने आप उसकी नज़र फिसलती हुई मा के नंगे पेट पर पहुचि, जो थोड़ा उभरा था और दूर से भी उसकी नाभि का गहरापन सॉफ दिखाई पड़ रहा था.
निकुंज को यह सीन देखते हुए पसीने आ रहे थे उसे यह भी ग्यान नही रहा ....... " अगर मा उठ गयी तो उसकी आँखों में उतरा वहशिपन देख सकती है "
उसे असली झटका तब लगा जब उसने बेड पर उतरे पड़े ब्लाउस को देखा और इसके साथ ही उसका हाथ अपने खुले मूँह को बंद करने की गर्ज से चेहरे पर पहुच गया ...वजह वो ब्लाउस ना हो कर उसके ऊपर पड़ी महरूण पैंटी थी, जो कम्मो ने नीमा से बातें करने के दौरान उतार कर फैंक दी थी.
" मोम ने ब्लाउस के साथ पैंटी भी उतार दी " .........उसके मूँह से यह शब्द निकले और ठीक इसी वक़्त कम्मो ने साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को खुजाना शुरू कर दिया ...उसके चेहरे को देख कर लग रहा था वो कितनी प्यासी है, निकुंज किसी हरक़त में आ पाता इससे पहले ही कम्मो ने एक मादक सिसकी ली और जुंझलाहट भरा चेहरा बना कर अपना एक हाथ पेट पर रगड़ते हुए साड़ी के अंदर डाल दिया.
" नही !!! यह सरासर ग़लत है " ........फॉरन निकुंज पलटा और अपना मोबाइल सोफे पर फैकते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगा ...मगर जाते - जाते उसने एक नज़र कम्मो को फिर से देखा, अब उसके चेहरे के हाव - भाव पूरी तरह बदल चुके थे और साड़ी के अंदर उसका हिलता हुआ हाथ यह ज़ाहिर करने को काफ़ी था कि वो अपनी चूत से खेल रही है, उसे मसल रही है और इसके साथ ही बौखलाया निकुंज बाथ - रूम में परवेश कर गया.
बाथ - रूम का गेट बंद हुआ ...हैरान - परेशान निकुंज हथ्प्रद बस अपनी मा और उसकी हरक़तों से झूझे जा रहा था ...बोझिल कदमो से वो आगे बढ़ा और सीध शवर के नीचे खड़ा हो गया, एक पल की भी देरी नही हुई और भर - भर करता पानी उसके कपड़ो को भिगोने लगा.
" डॅड के बगैर मोम परेशान होंगी " ........उसने खुद को सांत्वना दी, ठंडे पानी के प्रेशर ने उसके पूरे बदन की गर्मी बहा दी थी ...अब वो काफ़ी नॉर्मल हो गया था और किसी तरह का कोई रोमांच बाकी नही रहा, उसकी नज़रो में कम्मो ने जो किया हर औरत की नीद होती है ...यही सोचते - सोचते उसने अपने भीगे कपड़े उतार दिए और जैसे ही उसकी नज़र छुहारे की भाँति ढीले पड़े अपने लंड पर गयी ....वापस उसके दिल में पीड़ा का ज्वर समाया और वो दीवार के सहारे फ्लोर पर बैठ कर आँसू बहाने लगा.
वहीं दूसरी तरफ कम्मो अपने कान बाथ - रूम के गेट से टिकाए खड़ी थी ...आक्चुयल में जब उसका बेटा कमरे का गेट अनलॉक कर रहा था उसकी आहट से कम्मो की नींद टूट गयी और उसने यह सब निकुंज को उत्तेजित करने के लिए किया था ...या शायद इस चक्कर में उसने अपनी उत्तेजना को बढ़ा लिया, अब वो की होल से बाथ - रूम के वर्तमान हालात जान'ना चाहती थी ...पर यह उसकी हिम्मत से परे जान पड़ा.
" मुझे यह तो जान'ना पड़ेगा कि निकुंज के लंड में तनाव आया या नही ...क्यों कि मैने एक नज़र भी उसकी हरक़त पर गौर नही कर पाई थी " ........आख़िर उसके मन ने उसे मजबूर कर ही दिया और वो घुटने के बल बैठ कर के होल से अंदर झाँकने लगी.
निकुंज उसे अपना सर नीचे झुकाए बैठा दिखाई दिया ...होल से कम्मो बेहद क्लियर व्यू से उसे देख पा रही थी ...अब बारी थी अपने सगे बेटे की टाँगो की जड़ में तान्क - झाक करने की ...कम्मो ने अपना थूक गट्का और होंठो को तीव्रता से चबाने लगी, परंतु उसकी नज़र अपने बेटे के झुके सर से नीचे जाने को तैयार नही हुई ...शवर ठीक दरवाज़े के सामने था और कम्मो किसी दूरदर्शी यन्त्र की तरह अपनी दाँयी आँख के होल से चिपकाई बैठी थी.
" कम्मो !!! सोच क्या रही है, यह सब तेरी ही ग़लती का नतीज़ा है ..जो निकुंज को जीवन पर्यंत भुगतना पड़ेगा " ........अंतर्मन की तोचना उससे सहन ना हो सकी और आँख की पुतली हौले - हालूए नीचे झुकती चली गयी.
" इचह !!! " ......एक ज़ोरदार हिचकी से उसका सामना हुआ और उसके होश उड़ गये ...निकुंज पूर्न नागन हालत में अपनी गान्ड ज़मीन पर टिकाए बैठा था साथ ही उसकी टांगे विपरीत दिशा मैं फैली थी ...उसका झुका सर इस बात का सबूत था, वो अपने ढीले लंड को देख कर उदासी में कुछ बड़बड़ा रहा है ...हलाकी कम्मो को उसके मूँह से निकलते स्वर शवर की तेज़ आवाज़ में सुनाई नही दे पाए, परंतु वा अंजान नही थी ....... " ज़रूर इसी बात से दुखी होगा कि भरी जवानी में यह अन्याय झेलना पड़ रहा है " .......मन मसोस कर कम्मो ने उसके लंड पर अपनी नज़रें गढ़ा दी, इस वक़्त यदि कोई और औरत यह नज़ारा देख रही होती, ज़रूर इस अकल्पनीया दृश्य में खोकर अपनी योनि सहलाने लगती ...अपने खुश्क होंठो पर जीब फेरने लगती पर ना तो कम्मो को कोई हैरानी हुई और ना ही उसे उत्तेजना का कोई अनुभव हुआ ...क्यों कि यहाँ बात दिल से जुड़ी थी ना कि किसी वासना के.
कम्मो ने सॉफ देखा उसके बेटे के लंड में कोई उबाल नही था ...उसके बड़े - बड़े परंतु ढीले अंडकोष ज़मीन पर टिके हुए थे, एक वक़्त को तो उसके ज़ख़्मी दिल में आया, इसी वक़्त दरवाज़ खटखटा दे और अंदर जा कर कोई भी ऐसा जतन करे जिससे उसके बेटे की बर्बाद ज़िंदगी में वापस रंग उमड़ पड़ें.
 
लंड के आस पास बालो का कोई नाम - ओ - निशान नही था ...ढीले पन में भी उसकी लंबाई और गोलाई दीप के लंड से बड़ी आसानी से मान्पि जा सकती थी ...अग्र भाग की खाल से बाहर को निकलता सुपाडा बेहद गुलाबी और एक - दम छोटे आलू बुखारे की भाँति नज़र आ रहा था.
" नीमा ने कहा था, उसे अपने बेटे का लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है ...पर जब उसे इतना मज़ा आता है तो फिर उसके बेटे विक्की को कितना मज़ा आता होगा " .......यह बात सोचते ही कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ...उसने फॉरन अपनी आँख के होल से हटाई और अपनी उखड़ती सांसो पर क़ब्ज़ा करने लगी ...यहाँ लंड चुसाई के मज़े से उसका तात्पर्य कुछ भी कर अपने बेटे के ढीले व मृत लंड को खड़ा करना था, फिर चाहे इस कुकर्म को करने के बाद वो कभी अपना सर उठा कर खड़ी ना रह पाती ...परंतु उसके बेटे के दुखी चेहरे पर लौट'ती मुस्कुराहट की मात्र एक झलक देखने के लिए वह आज हर हद्द से गुज़रने को तैयार जान पड़ी.
" मुझे करना होगा ...वो भी इसी पल " .........कम्मो खड़ी हो गयी ...दो चार बार अपने सुन्न हाथो को झटकने के उपरांत उसने दरवाज़े को खटखटाने की गार्ज से हाथ ऊपर उठाया और तभी सोफे पर पड़ा निकुंज का सेल फोन बजने लगा.
कम्मो फॉरन पलटी और दौड़ कर सीधे बेड पर लेटने लगी ...उसे डर महसूस हुआ कि निकुंज कमरे में ना आ जाए, यहाँ एक बात तो थी ....... " औरत चाहे कितना भी कठोर दिल पा ले, परंतु एक वक़्त उसे नरम होना ही पड़ता है ..ऐसा कतयि नही कि जिगरे वाली औरतें संसार में पैदा नही होती, लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में भी डर व्याप्त होता है " ......कम्मो !!! जो अभी थोड़ी देर पहले बाथ - रूम के अंदर जाने का पक्का मन बना चुकी थी ...और अभी एक हल्की से आहट पर कैसे दम - दबाकर बेड पर वापस लेट गयी कि कहीं उसका बेटा उसे बाथ - रूम के इर्द - गिर्द, तान्क - झाँक करते ना देख ले.
सेल पूरी रिंग दे कर बंद हो गया ...निकुंज बाथ - रूम दरवाज़े पर ही खड़ा था, पर उसके पास ना तो सूखे कपड़े थे और ना ही जल्दबाज़ी में टवल अपने साथ ले गया था ...कम्मो भी इस बात को समझ गयी और फॉरन बेड से नीचे उतर कर उसने आए कॉल का नंबर देखने की कोशिश की ...मगर सेल हाथो में उठाते ही वो वापस रिंग करने लगा और इस बार कम्मो ने बिना नंबर या नाम देखे कॉल पिक कर लिया.
" हेलो !!! साले अभी भी मूठ मा रहा है क्या ...अच्छा सुन, मैने मेरी एक पुरानी गर्ल फ्रेंड को पटा लिया है और वो तेरी मदद करने को तैयार भी हो गयी है ..भेन्चोद !!! ग़ज़ब की गर्मी है उसमें, और क्या मस्त लंड चूस्ति है यार ..मैं तो कहता हूँ, खड़ा होते ही पटक लेना साली को ..रुक मैं नंबर देता हूँ, लाइन होल्ड कर निकालने में टाइम लगेगा " ........कम्मो ने स्पीकार पर अपना हाथ रख रखा था ...तभी बाथ - रूम का गेट खुला और निकुंज गीले निक्कर में बाहर आ गया ...उसकी मा बिना किसी पल्लू के केवल ब्लॅक ब्रा में सोफे पर बैठी दिखाई दी, थिटाक कर वो वापस बाथ - रूम के अंदर जाने लगा.
" सुन बेटा !!! तेरे किसी दोस्त का फोन है और वो तुझसे कुछ ज़रूरी बातें करना चाहता है " .......कम्मो ने कोई भी अजीब रिक्षन नही दिया बल्कि मुस्कुराती हुई सेम पोज़ीशन में बैठी रही ...मजबूरन निकुंज को ही उसके पास आना पड़ा ...उसकी मा ने अपना हाथ स्पीकर से हटाया और ऊपर उठाते हुए निकुंज के सामने कर दिया ...इसी के साथ कुछ पल के लिए दोनो आमने सामने आ गये.
" उफ्फ !!! क्या नज़ारा था " .......कम्मो अपना एक हाथ ऊपर उठाए हुए थी जिससे कुछ पल के लिए निकुंज को उसका नेकेड आर्म्पाइट काफ़ी क्लियर दिखाई दिया ...वहाँ बालो का अंबार था और ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी - बड़ी चूचियाँ मानो ब्रा को फाड़ बाहर आने के लिए मचल रही थी.
उस दौरान कम्मो ने यह सॉफ महसूस किया ...जितना वो अपने अंदर साहस समेटे हुए थी, इस वक़्त उसका बेटा उतने ही डर में उसे अधनंगा देख रहा था ...अपनी भोयें उछालते हुए उसने निकुंज को होश में लाया और अपनी ग़लती पर शर्मिंदा होते हुए निकुंज बाथ - रूम की तरफ मूड गया.
" मैं जाउन्गि !!! " .......कम्मो ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया, उसने ध्यान रखा था कि फोन के दूसरी तरफ उसकी आवाज़ ना जा सके ...निकुंज वहीं रुक गया और उसकी मा सोफे से उठ कर बेड पर पहुच गयी.
" हां लिख !!! " .......नंबर मिलते ही फोन पर निकुंज को यह आवाज़ सुनाई थी और आवाज़ पहचानते ही वो बुरी तरह से घबरा गया ....... " कहीं मोम ने ? " .......एक अंजाने डर के साथ उसका हाथ अपने दिल पर पहुच गया, पर फोन पर आती लगातार आवाज़ें सुनकर उसे बोलना ही पड़ा.
" कहाँ खो जाता है चूतिए ..ले नंबर लिख " .........उसके दोस्त ने उसे डाँट लगाते हुए कहा.
" किसका नंबर ? " ........निकुंज को पता तो था नही आख़िर बात क्या है और उसके इस रिप्लाइ को सुन कर ...जहाँ उसका दोस्त उसे गालियाँ बकने लगा वहीं कम्मो के चेहरे पर स्माइल आ गयी ...वो बेड पर पड़ी अपनी पैंटी उठाने का नाटक कर रही थी और उसके झुकने मात्र से निकुंज को उसके चूतड़ो का सही आकार दिखाई देने लगा, फुल नेकेड बॅक के साथ, कुछ सोच कर उसने खुद पर कंट्रोल किया और पलट कर खड़ा हो गया ...वो अकेले में अपने दोस्त से बातें करना चाहता था पर कम्मो थी, जो लागातार देरी किए जा रही थी.
 
" फिर खो गया भेन्चोद !!! " .......एक और गाली सुनने के बाद निकुंज ने हार मान ली ....... " पहले बता तो सही नंबर किस का है " .......तैश में आ कर निकुंज ने जवाब दिया.
" गान्डू हो गया है तू !!! लंड की चोट कहीं दिमाग़ पर तो नही पहुच गयी ना ..साले अभी तो बताया, मेरी एक्स गर्ल फ्रेंड है, जो तेरी हेल्प करने के लिए राज़ी हो गयी है ..वो लंड भी चूसेगी और उसके बाद चुदवायेगि भी ..अब नंबर लिखेगा या कॉल कट कर दूं " ........यह बात सुनते ही निकुंज की गान्ड फट गयी ..... " यानी मोम को पता है " ......इस बार वो जान कर कम्मो की तरफ पलटा, उसकी मा अपनी पैंटी हाथ में पकड़े बाथ - रूम की तरफ बढ़ चुकी थी ..... नही चाहिए " ......एका - एक उसके मूँह से ना शब्द निकले और कम्मो जहाँ तक पहुचि थी झटके के साथ वहीं रुक गयी ...निकुंज ने कॉल कट कर दिया.
" बेटा !!! मेरी साड़ी और अंडरगार्मेंट्स खराब हो चुके हैं, अब मैं क्या पहन कर हॉस्पिटल जाउन्गि ? " ......कम्मो ने बिना किसी हिचकिचाट के यह बात कही और निकुंज के जवाब का इंतज़ार करने लगी ...हाथ में पकड़ी पैंटी छुपाने की कोई कोशिश ना करते हुए उसने मुस्कुराहट के साथ उससे पूछा, शायद यह वो खुशी थी जो उसके बेटे ने किसी अंजान रंडी का सहारा लेने से मना करने के बाद उसे पहुचाई थी.
" ह्म्म्म !!! आप पहले फ्रेश हो जाइए बाद में सोचेंगे " .......कोई जवाब ना सूझा तो निकुंज के मूँह से यही बात निकली ...... " ठीक है " ......और इतना कह कर कम्मो बाथ - रूम के अंदर चली गयी.
" ये क्या किया मैने ..मोम क्या सोच रही होंगी मेरे बारे में " .......किस्मत के हाथो हर बार चुतियापा झेलने से निकुंज थक चुका था ...गीले निक्कर में सोफे पर बैठने के बाद उसे कुछ भान नही रहा और रह - रह कर उसके दिमाग़ में उसकी मा का नया चरित्र घूमे लगा ...... " इतनी ओपन तो मोम कभी ना थी " .......एक प्रश्नवाचक एक्सप्रेशन चेहरे पर लाते हुए वो बीते 10 - 12 दिनो के हलातो पर गौर फरमाने लगा.
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बाथ - रूम में जल्द ही कम्मो नहा धो कर फ़ुर्सत हो गयी ...पिच्छले कयि सालो बाद उसने अपने बदन को इस तरह रगड़ - रगड़ कर धोया था, जैसे आज उसकी चुदाई निश्चित हो ...... " टवल !!! " ......उसने हर तरफ नज़र दौड़ाई पर टवल होती तो निकुंज नही पहन लेता.
" बेटा !!! अपना टवल पास कर दे ..मेरा बेग तो घर पर ही छूट गया था " ........हल्का सा गेट खोल कर उसने निकुंज को सपने की दुनिया से बाहर लाया ...वो तुरंत सोफे से उठा और बेग से अपना टवल निकाल कर गेट के नज़दीक पहुचा ...दरवाज़े से बाहर निकला कम्मो का हाथ शोल्डर तक नंगा था, निकुंज ने तेज़ी से उसके हाथ में टवल थमाया और पलट गया.
" बस एक आख़िरी ट्राइ करूँगी ..अगर हुआ तो ठीक वरना मुझे " ........कम्मो इससे ज़्यादा कुछ और ना सोच सकी, अपने बदन को पोंच्छ कर उसने निचले धड़ पर टवल लपेट लिया और ब्रा से चूचियों को कवर करने के बाद निकुंज को फिर से आवाज़ दी ...... " बेटा टवल तो बहुत छ्होटा है, अगर तुझे दिक्कत ना हो तो बाहर आ जाउ " .......उसके गाल टमाटर से लाल हुए जा रहे थे.
 
" ब ..ब ..बाहर !!! लेकिन मोम आप ने कुछ पहना तो है ना ? " .........निकुंज घबरा गया, उसे अपनी मा के इतने खुले पन की आशा बिल्कुल नही थी ...वहीं कम्मो ने उसकी आवाज़ में सॉफ कंपन महसूस किया और कहा ....... " हां पहेन रखा है ..आ जाउ बाहर " ......कम्मो के जवाब देते ही निकुंज अपने बेग की तरफ दौड़ा, शायद खुद का बदन ढँकने के पश्चात वो कमरे से बाहर जाना चाहता था.
" बोल ना !!! फिर मुझे तैयार भी तो होना है ? " ......इस सवाल को कहने के बाद कम्मो ने जवाब का कोई इंतज़ार नही किया और बाथ - रूम से बाहर आ गयी.
" तू इतना छोटा टवल क्यों यूज़ करता है ? " .......बेटे को अपनी तरफ देखने की गरज से मजबूर करते हुए कम्मो बोली ...पलट कर निकुंज ने देखा, उसे तो झटके पर झटके लग रहे थे ....... " वो मोम !!! मेल टवल इसी साइज़ के आते हैं " ......इसके फॉरन बाद उसने अपनी नज़रें मा के बदन से दूसरी तरफ मोड़ ली, पर आँखों में उतरा सीन नही भूल पाया.
कम्मो केवल ब्रा और टवल में उसके सामने खड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे ब्रा के साथ उसने स्कर्ट पहेन रखी हो ...खुले गीले बालो से टपकता पानी हौले - हौले ब्रा को भिगोता जा रहा था.
" अब बोल क्या करना है ..मैं तो मार्केट जाने से रही " .......बार - बार कम्मो वही हरक़त दोहरा देती और ना चाहते हुए भी निकुंज को उसकी तरफ देखना पड़ता ...उसकी कमर पर लिपटी टवल मात्र घुटनो तक सीमित थी और ऊपरी बदन तो लगभग पूरा नंगा था.
" आप मुझे बता दो ..मैं ले आउन्गा " ......निकुंज शर्ट पहेन कर बोला और गीले निक्कर पर जीन्स चढ़ाते देख कम्मो ने उसे टोक दिया ....... " तो अंडरवेर साथ नही लाया क्या, जो इस पर जीन्स पहेन रहा है ? " .....बोलने के साथ ही वो ज़ोरो से हंस दी, उसका मैं मोटो माहौल को खुशनुमा बनाना और हैरत पन दूर करना था.
" हां लाया हूँ ..सॉरी " .....एका - एक निकुंज को भी इस बात का एहसास हो गया कि वो क्या ग़लती करने जा रहा था और उसके उदास चेहरे पर भी कुछ पॅलो के लिए मुस्कुराहट तैर गयी.
" जा बाथ रूम फ्री है और मेरा ब्लाउस साथ लेते जाना, दुकान दार सेम नाप का ब्लाउस दे देगा ..बाकी साड़ी अपनी पसंद की ले आना " ......कम्मो की बात सुन वो बाथ - रूम चला गया ..अंडरवेर पहेन कर जल्दी से जीन्स डाला और फिर बिना पिछे मुड़े, ब्लाउस हाथ में पकड़े तेज़ी से कमरे के बाहर निकल गया.
 
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