hotaks444
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कम्मो कुछ देर के लिए रुक गयी ..निकुंज एक दम शांत बैठा था ..लेकिन मा के मूँह से निकले शब्द सुन कर वो थोड़ा उत्तेजित भी था ..निक्की के बदन की गर्मी, उसका पागल पन ..बहेन-भाई के रिश्ते को तोड़ने की लालसा ..यहाँ तक की कल उसकी बहेन ने अपनी चूत मे उसके नाम की ही उंगली की थी और बाद मे कितने सरल शब्दो मे अपने पापी प्यार का इज़हार भी कर दिया था
निकुंज के मन मे हलचल सी मच गयी .. ' चोर मोम के दिल मे नही मेरे दिल मे है '
वहीं कम्मो ने उसे एक और झटका देने का फ़ैसला कर लिया ..अब उसे ये जान ना था कि उसके बेटे के शॉर्ट्स मे बहेन की पैंटी कैसे आई ..निकुंज का चेहरा कैसा होगा जब उसे कम्मो की अगली बात समझ आएगी
" निम्मी मुझसे खुली हुई है और मैं हर तरह की बात उससे शेर कर लेती हूँ ..लेकिन निक्की का नेचर ना तो मैं आज तक जान पाई ना कभी जान पाउन्गि ..कल रात जब मैं उसके कमरे मे गयी उस वक़्त तू घर पर मौजूद नही था ..घुटने की चोट पर हाथ रखते ही निक्की ने अपनी टांगे फैला ली, और उस वक़्त फ्रोक के नीचे उसने पैंटी नही पहनी थी .. ( पॉज़ ) .. ( निकुंज के बदन मे लगे झटके को कम्मो ने फॉरन महसूस कर लिया / लेकिन डाइरेक्ट्ली पॉच पाना, अब भी संभव नही था ) ..पहले तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया, क्यों कि तेरा उसके कमरे मे आना जाना सबसे ज़्यादा है ( पॉज़ ) ..( उसने निकुंज का घबराया चेहरा देखा ) ..लेकिन फिर ज़्यादा ना सोचते हुए मैं बाथ-रूम मे एंटर हो गयी ..ज़मीन पर पड़े गंदे कपड़ो मे मुझे उसकी यूज़्ड पैंटी दिखाई दी .. लेकिन उस पर वो दाग थे जिसने मेरी रूह कपा दी ..बस मैं समझ गयी आगे कुछ ग़लत हो सकता है और मैं बिना पैंटी लिए कमरे मे लौट आई ..मैने एक पल नही गवाया और अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए ..लेकिन जीभ बाहर निकालते ही तू दरवाज़े पर खड़ा दिखाई दे गया ..मैं उस वक़्त भी नही रुकती, क्यों मैं ग़लत नही थी ..अरे लड़की की बात छोड़, तेरी नीमा आंटी ने तो वो झेला है ..जिसकी तू कल्पना तक नही कर सकता "
इस टॉपिक का एंड करते हुए कम्मो ने अपने पैरो को मोड़ कर सीट पर रख लिया और कार के गेट से अपनी पीठ टिका कर, निकुंज की तरफ टर्न हो गयी ..अब उसके बेटे की हर हरक़त से वो फॉरन रूबरू हो सकती थी
" निकुंज मैं तुझ पर कोई आरोप नही लगा रही ..लेकिन निक्की से थोड़ा दूरियाँ बनाना तेरे लिए सही रहेगा ..कल को अगर नींद मे उसने तेरे सामने अपनी टांगे फैलाई होती ...... "
कम्मो ने पूरी बात नही कही, इस अधूरी बात से उसने हिंट किया कि भाई-बहेन अब बच्चे नही रहे ..एक गॅप होना ज़रूरी है ..माना दोनो मे बहुत प्यार है ..लेकिन उमर का क्या, कोई भी पिघल सकता है
अगले ही पल घबराहट मे जहाँ निकुंज ने अपनी गान्ड ऊपर उठा कर सीट को बॅलेन्स किया वहीं कम्मो को उसके जीन्स मे बने तंबू का दीदार हो गया ..और इसके साथ ही उसकी चूत मे भी सरसराहट मचने लगी ..लगा जैसे उसके बंदन मे किसी तरह के ज्वर का उठना शुरू हो गया हो
निकुंज को भी एहसास था उसकी मा किस बात की तरफ हिंट कर रही है, और वो खुद भी तो यही चाहता है, निक्की से दूरियाँ बढ़ा ले ..लेकिन जाने किस तरह का अट्रॅक्षन है भाई-बहेन के बीच, जो उसे निक्की से दूर कभी नही जाने देता
निकुंज को अपनी हालत का पूरा अनुमान था कि उसका लंड जीन्स मे की कदर तंन कर खड़ा हो गया है, लेकिन चाह कर भी उसका हाथ स्टियरिंग-व्हील से हट कर लंड को अड्जस्ट करने के लिए नीचे नही आ पा रहा था ..इस वक़्त उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हुआ कि जब कम्मो ने लाइट बंद करने को कहा था, तब उसने अपनी मोम की बात क्यों नही मानी ..और बातचीत का सिलसिला इतना आगे बढ़ चुका है, जिसे ना तो अब कम्मो रोक सकती थी ना ही निकुंज
बस अब तो उसने ऊपरवाले से यही प्रार्थना की .. ' मोम को मेरे खड़े लंड के बारे मे पता नही चले ' ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसकी सोच लंड की सिचुयेशन पर गौर करती, वो और भी ज़्यादा तंन कर दर्द का एहसास करवाने लगता
निकुंज के मन मे हलचल सी मच गयी .. ' चोर मोम के दिल मे नही मेरे दिल मे है '
वहीं कम्मो ने उसे एक और झटका देने का फ़ैसला कर लिया ..अब उसे ये जान ना था कि उसके बेटे के शॉर्ट्स मे बहेन की पैंटी कैसे आई ..निकुंज का चेहरा कैसा होगा जब उसे कम्मो की अगली बात समझ आएगी
" निम्मी मुझसे खुली हुई है और मैं हर तरह की बात उससे शेर कर लेती हूँ ..लेकिन निक्की का नेचर ना तो मैं आज तक जान पाई ना कभी जान पाउन्गि ..कल रात जब मैं उसके कमरे मे गयी उस वक़्त तू घर पर मौजूद नही था ..घुटने की चोट पर हाथ रखते ही निक्की ने अपनी टांगे फैला ली, और उस वक़्त फ्रोक के नीचे उसने पैंटी नही पहनी थी .. ( पॉज़ ) .. ( निकुंज के बदन मे लगे झटके को कम्मो ने फॉरन महसूस कर लिया / लेकिन डाइरेक्ट्ली पॉच पाना, अब भी संभव नही था ) ..पहले तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया, क्यों कि तेरा उसके कमरे मे आना जाना सबसे ज़्यादा है ( पॉज़ ) ..( उसने निकुंज का घबराया चेहरा देखा ) ..लेकिन फिर ज़्यादा ना सोचते हुए मैं बाथ-रूम मे एंटर हो गयी ..ज़मीन पर पड़े गंदे कपड़ो मे मुझे उसकी यूज़्ड पैंटी दिखाई दी .. लेकिन उस पर वो दाग थे जिसने मेरी रूह कपा दी ..बस मैं समझ गयी आगे कुछ ग़लत हो सकता है और मैं बिना पैंटी लिए कमरे मे लौट आई ..मैने एक पल नही गवाया और अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए ..लेकिन जीभ बाहर निकालते ही तू दरवाज़े पर खड़ा दिखाई दे गया ..मैं उस वक़्त भी नही रुकती, क्यों मैं ग़लत नही थी ..अरे लड़की की बात छोड़, तेरी नीमा आंटी ने तो वो झेला है ..जिसकी तू कल्पना तक नही कर सकता "
इस टॉपिक का एंड करते हुए कम्मो ने अपने पैरो को मोड़ कर सीट पर रख लिया और कार के गेट से अपनी पीठ टिका कर, निकुंज की तरफ टर्न हो गयी ..अब उसके बेटे की हर हरक़त से वो फॉरन रूबरू हो सकती थी
" निकुंज मैं तुझ पर कोई आरोप नही लगा रही ..लेकिन निक्की से थोड़ा दूरियाँ बनाना तेरे लिए सही रहेगा ..कल को अगर नींद मे उसने तेरे सामने अपनी टांगे फैलाई होती ...... "
कम्मो ने पूरी बात नही कही, इस अधूरी बात से उसने हिंट किया कि भाई-बहेन अब बच्चे नही रहे ..एक गॅप होना ज़रूरी है ..माना दोनो मे बहुत प्यार है ..लेकिन उमर का क्या, कोई भी पिघल सकता है
अगले ही पल घबराहट मे जहाँ निकुंज ने अपनी गान्ड ऊपर उठा कर सीट को बॅलेन्स किया वहीं कम्मो को उसके जीन्स मे बने तंबू का दीदार हो गया ..और इसके साथ ही उसकी चूत मे भी सरसराहट मचने लगी ..लगा जैसे उसके बंदन मे किसी तरह के ज्वर का उठना शुरू हो गया हो
निकुंज को भी एहसास था उसकी मा किस बात की तरफ हिंट कर रही है, और वो खुद भी तो यही चाहता है, निक्की से दूरियाँ बढ़ा ले ..लेकिन जाने किस तरह का अट्रॅक्षन है भाई-बहेन के बीच, जो उसे निक्की से दूर कभी नही जाने देता
निकुंज को अपनी हालत का पूरा अनुमान था कि उसका लंड जीन्स मे की कदर तंन कर खड़ा हो गया है, लेकिन चाह कर भी उसका हाथ स्टियरिंग-व्हील से हट कर लंड को अड्जस्ट करने के लिए नीचे नही आ पा रहा था ..इस वक़्त उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हुआ कि जब कम्मो ने लाइट बंद करने को कहा था, तब उसने अपनी मोम की बात क्यों नही मानी ..और बातचीत का सिलसिला इतना आगे बढ़ चुका है, जिसे ना तो अब कम्मो रोक सकती थी ना ही निकुंज
बस अब तो उसने ऊपरवाले से यही प्रार्थना की .. ' मोम को मेरे खड़े लंड के बारे मे पता नही चले ' ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसकी सोच लंड की सिचुयेशन पर गौर करती, वो और भी ज़्यादा तंन कर दर्द का एहसास करवाने लगता