hotaks444
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"आईईईईई !! चूस बेटा. पूरा चूस डाल अपनी आंटी को" हाहाकार करती नीमा ज़ोर से चीखती है. निकुंज की इस प्राणघातक क्रिया ने उसके रोंगटे खड़े कर दिए थे और वह मदहोशी में अपने नुकीले दांतो से अपने कोमल होंठ काटने लगी थी, उन्हें चबाने लगी थी.
अपनी यौवन से भरपूर आंटी की चूत को अपने होंठो के दरमियाँ ताक़त से भींचने के साथ ही निकुंज अपनी दोनो उंगलियों से उसकी सन्कीर्न परतें अत्यंत बेरहमी से चोदना शुरू कर देता है. वह अपनी लंबी लपलपाटी जीभ को नीमा के गीले ओर सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल रहा था और जो छेद के भीतर उमड़ते गाढ़े रस को खीचते हुए बाहर ला कर, उसके होंठो के सुपुर्द कर रही थी.
"उन्न्ह उन्न्ह" नीमा की आँखें नातियाने लगती हैं. वह पूर्व से ही बहुत ज़्यादा कामोउत्तेजित थी और अभी उसकी दोस्त का बेटा निकुंज मात्र अपनी जीभ और होंठो के इस्तेमाल से ही उसकी संकुचित चूत को और भी ज़्यादा कुलबुला रहा था. तो जब उसका विशाल लंड उसकी चूत में घुसेगा तब नीमा की क्या हालत होगी. वह यह सोच-सोच कर सिहर्ती जा रही थी.
निकुंज ने कहीं सुना था. एक निश्चित उम्र के पार निकलने के उपरांत भारतीय नारी अपनी चूत पर उगने वाले बालो की सफाई करना छोड़ देती है. या तो अपनी अधेड़ उम्र का ख़याल कर वह इसे उचित नही समझती या फिर अपनी काम-इक्षाओं के घटने की वहज से उसका ध्यान इस ओर नही जा पाता.
"मगर नीमा आंटी की चूत इस वक़्त बिल्कुल चिकनी है. ऐसा क्यों ?" चूत चाटने में व्यस्त निकुंज का मन इस बात पर भी विचार कर रहा था "उनके पति तो बरसो से विदेश में रह रहे हैं. लौट कर आते होंगे तो भी दोनो मिया-बीवियों के बीच संतुष्टि-पूर्वक चुदाई का होना संभव नही हो पाता होगा. फिर क्यों आंटी अपनी झान्टे बना कर रखती हैं. इन का कहीं और लफडा तो नही चल रहा. मों कह भी रही थी कि नीमा नॉर्मल नही है और मैं उसके जैसी नही बन सकती" निकुंज की सोच के घोड़े किसी भी नतीजे पर नही पहुच पाते हैं "मोम से ही पुछुन्गा और इसी बहाने उनके साथ वक़्त बिताने का मौका भी मिल जाएगा" ऐसा ख़याल मन में आते ही वह वापस चूत चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर देता है.
"आंटी !! इतनी कोमल चूत तो मैने आज तक नही चूसी" तारीफ़ करने के बाद निकुंज उस गुलाबी चूत के ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर, दाएँ-बाएँ लगभग हर जगह अपनी खुरदूरी जीभ को तेज़ी से रगड़ता है "चाट-ते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन की टिकिया पर मैं अपनी जीभ घुमा रहा हूँ" वह चूत की फांको के ऊपर उभर आए भंगूर को हसरत भरी निगाहों से देख कर कहता है.
"ओह्ह्ह बेटा !! चूत तो हर औरत की एक-समान ही होती है बस रंग का अंतर उन्हे एक दूसरे से अलग करता है" निकुंज द्वारा मिली अपनी चूत की प्रशन्शा से नीमा गदगद हो उठी.
"निकुंज !! मैने तुम्हे बचपन से ले कर तुम्हारी जवानी तक बढ़ता देखा है. तुम्हे कभी पराया नही समझा, बेनाम रिश्ते की एक डोर हमारे बीच बँधी थी लेकिन आज हम दोनो वे सारी मर्यादें लाँघ कर बिल्कुल नंगे हैं, अभी तुम मेरी चूत चाट रहे हो, मैने भी कुच्छ देर पहले तुम्हारा लंड चूसा था. यह बात हमेशा याद रखना कि जिन रिश्तो के तुम सबसे ज़्यादा क्लोज़ होगे, उनके संग ऐसे पल बिताने से ज़्यादा मज़ा तुम्हे कहीं और नही मिल पाएगा. उसने जुड़ी हर चीज़, हर बात तुम्हे पसंद आएगी, अत्यधिक रोमांच महसूस होगा और शायद यही वह वजह है कि तुम्हारी आंटी की चूत तुम्हे अब तक की सबसे अच्छी चूत लगी" इतना कह कर नीमा चुप हो जाती है, उसके कथन में जो ग़ूढ रहस्य छुपा था वह निकुंज कयि दिनो से महसूस कर रहा था और उसे फॉरन समझ आ जाता है कि क्यों वह अपनी सग़ी मा और बहेन के बारे में सोच कर हर पल उत्तेजित बना रहता है मगर वह नीमा पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देता और सब कुच्छ भूल कर पुनः अपनी मंज़िल की ओर प्रस्थान कर लेता है.
अपनी यौवन से भरपूर आंटी की चूत को अपने होंठो के दरमियाँ ताक़त से भींचने के साथ ही निकुंज अपनी दोनो उंगलियों से उसकी सन्कीर्न परतें अत्यंत बेरहमी से चोदना शुरू कर देता है. वह अपनी लंबी लपलपाटी जीभ को नीमा के गीले ओर सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल रहा था और जो छेद के भीतर उमड़ते गाढ़े रस को खीचते हुए बाहर ला कर, उसके होंठो के सुपुर्द कर रही थी.
"उन्न्ह उन्न्ह" नीमा की आँखें नातियाने लगती हैं. वह पूर्व से ही बहुत ज़्यादा कामोउत्तेजित थी और अभी उसकी दोस्त का बेटा निकुंज मात्र अपनी जीभ और होंठो के इस्तेमाल से ही उसकी संकुचित चूत को और भी ज़्यादा कुलबुला रहा था. तो जब उसका विशाल लंड उसकी चूत में घुसेगा तब नीमा की क्या हालत होगी. वह यह सोच-सोच कर सिहर्ती जा रही थी.
निकुंज ने कहीं सुना था. एक निश्चित उम्र के पार निकलने के उपरांत भारतीय नारी अपनी चूत पर उगने वाले बालो की सफाई करना छोड़ देती है. या तो अपनी अधेड़ उम्र का ख़याल कर वह इसे उचित नही समझती या फिर अपनी काम-इक्षाओं के घटने की वहज से उसका ध्यान इस ओर नही जा पाता.
"मगर नीमा आंटी की चूत इस वक़्त बिल्कुल चिकनी है. ऐसा क्यों ?" चूत चाटने में व्यस्त निकुंज का मन इस बात पर भी विचार कर रहा था "उनके पति तो बरसो से विदेश में रह रहे हैं. लौट कर आते होंगे तो भी दोनो मिया-बीवियों के बीच संतुष्टि-पूर्वक चुदाई का होना संभव नही हो पाता होगा. फिर क्यों आंटी अपनी झान्टे बना कर रखती हैं. इन का कहीं और लफडा तो नही चल रहा. मों कह भी रही थी कि नीमा नॉर्मल नही है और मैं उसके जैसी नही बन सकती" निकुंज की सोच के घोड़े किसी भी नतीजे पर नही पहुच पाते हैं "मोम से ही पुछुन्गा और इसी बहाने उनके साथ वक़्त बिताने का मौका भी मिल जाएगा" ऐसा ख़याल मन में आते ही वह वापस चूत चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर देता है.
"आंटी !! इतनी कोमल चूत तो मैने आज तक नही चूसी" तारीफ़ करने के बाद निकुंज उस गुलाबी चूत के ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर, दाएँ-बाएँ लगभग हर जगह अपनी खुरदूरी जीभ को तेज़ी से रगड़ता है "चाट-ते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन की टिकिया पर मैं अपनी जीभ घुमा रहा हूँ" वह चूत की फांको के ऊपर उभर आए भंगूर को हसरत भरी निगाहों से देख कर कहता है.
"ओह्ह्ह बेटा !! चूत तो हर औरत की एक-समान ही होती है बस रंग का अंतर उन्हे एक दूसरे से अलग करता है" निकुंज द्वारा मिली अपनी चूत की प्रशन्शा से नीमा गदगद हो उठी.
"निकुंज !! मैने तुम्हे बचपन से ले कर तुम्हारी जवानी तक बढ़ता देखा है. तुम्हे कभी पराया नही समझा, बेनाम रिश्ते की एक डोर हमारे बीच बँधी थी लेकिन आज हम दोनो वे सारी मर्यादें लाँघ कर बिल्कुल नंगे हैं, अभी तुम मेरी चूत चाट रहे हो, मैने भी कुच्छ देर पहले तुम्हारा लंड चूसा था. यह बात हमेशा याद रखना कि जिन रिश्तो के तुम सबसे ज़्यादा क्लोज़ होगे, उनके संग ऐसे पल बिताने से ज़्यादा मज़ा तुम्हे कहीं और नही मिल पाएगा. उसने जुड़ी हर चीज़, हर बात तुम्हे पसंद आएगी, अत्यधिक रोमांच महसूस होगा और शायद यही वह वजह है कि तुम्हारी आंटी की चूत तुम्हे अब तक की सबसे अच्छी चूत लगी" इतना कह कर नीमा चुप हो जाती है, उसके कथन में जो ग़ूढ रहस्य छुपा था वह निकुंज कयि दिनो से महसूस कर रहा था और उसे फॉरन समझ आ जाता है कि क्यों वह अपनी सग़ी मा और बहेन के बारे में सोच कर हर पल उत्तेजित बना रहता है मगर वह नीमा पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देता और सब कुच्छ भूल कर पुनः अपनी मंज़िल की ओर प्रस्थान कर लेता है.