hotaks444
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पापी परिवार--43
सेम पोज़िशन में कम्मो ने निकुंज के चेहरे को देखा ...वह अपलक उसकी ओर ही देख रहा था, पर एक दम शांत ...जैसे उसके पंख - पखेरू उड़ चुके हों, अपने आप कम्मो के होंठ हिलने लगे और उसकी जीब ने मुरझाए सुपाडे पर गोल - गोल घूमना शुरू कर दिया ...एक अजीब सी गंध उसने अपनी सांसो में फैलती महसूस की और इसके बाद उसके आँखें पनिया गयी ...एक हाथ से उसने लंड को अपनी मुट्ठी में जाकड़ लिया और फिर शुरू हुआ सिलसिला लंड चुसाई का.
निकुंज को होश में लाने के लिए उसने तीसरी बार उसके अंडकोष दबाए और इस बार भी लगभग चीखते हुए वह यथार्थ में लौट आया ...कितना आनंदतीरेक नज़ारा बन गया था ....... " घबरा मत !!! मैं सब सही कर दूँगी " .......फॉरन कम्मो ने लंड को अपने मूँह से बाहर निकाल कर उसे साहस दिया और उसकी आँखों में देखते हुए सुपाडे को जीभ से चाटने लगी
बेटे के लंड का गुलाबी अग्र भाग और उसकी मा की उतनी ही गुलाबी जीब, दोनो में एक द्वंद सा छिड़ गया ...कम्मो अपनी जीभ को नचाने में पारंगत होती जा रही थी और निकुंज यह नज़ारा बड़े गौर से देख रहा था ...आगे को झुकी होने से उसकी मोम के चूतड़ हवा में काफ़ी ऊँचे उठ चुके थे और सरक कर कुर्ता, कब उसकी कमर तक खिच आया उसे होश नही था.
लंड मुठियाने में भी कम्मो ने कोई कमी नही छोड़ी और एक बार फिर उसे अपने मूँह में ठूंस लिया ...धीरे - धीरे उसके होंठ अपने बेटे के लंड की कोमल त्वचा पर फिसलने लगे और वह लगभग आधा उसके मूँह में प्रवेश कर गया ...हलाकी अब भी लंड में बिल्कुल उबाल नही था पर कम्मो तीव्रता से उसे चूस्ति रही, शायद इस आशा में ..... " कभी तो उसकी मेहनत सफल होगी "
" मोम !!! हम कल डॉक्टर को दिखा लेंगे ..आआहह " ......बोलते ही निकुंज की आह से पूरा कमरा गूँज उठा, वजह अंजाने में उसकी मा के दांतो का लंड पर ज़ोर से गढ़ जाना था और इसके फॉरन बाद एक चमत्कार हो गया, कुछ लिसलिसा सा गाढ़ा पदार्थ सुपाडे के छेद से बाहर आते ही ...लंड फूलने लगा.
एक - दम से कम्मो को अपना सर ऊपर की तरफ उठाना पड़ा क्यों कि ढीलेपन से मुक्ति पा कर, लंड अब विकराल होने लगा था ...कम्मो ने निकुंज की आँखों में झाँका, जो बहने लगी थी और यह देख कर उसकी भी आँखें छलक उठी.
असली खुशी क्या होती है, अब कम्मो को समझ आ गयी और उसने रुंधने की परवाह ना करते हुए ...खड़े होते लंड के साथ भी अपने मूँह को अड्जस्ट करना शुरू कर दिया ........ " उमल्ल्लप्प्प्प्प !!! " ........सुपाडे से हल्का नीचे उतर कर वह उसके मूँह में फँसने लगा, लेकिन उसने हार नही मानी और सुड़कते हुए अपना सर ज़बरदस्ती और नीचे को ठेलने लगी ...जब आधा लंड उसके मूँह में समा गया वह रुक गयी और थोड़ी देर तक गहरी साँसे लेने लगी ...वह जानती थी इससे ज़्यादा लिंग वह अपने मूँह में नही ले सकती है, वरना उसका गला अवरुद्ध हो जाएगा और उसका दम भी घुट सकता है.
इसके बाद वह अपने बेटे की आँखों में देखते हुए लंड को अत्यधिक कठोरता से चूसने लगी ...बार - बार उसका हाथ अपनी योनि दिशा में जाता और उतनी ही तेज़ी से वापस भी लौट आता, वह चाह कर भी खुद की पीड़ा के साथ न्याय नही कर पा रही थी ...उसकी बंद होती कामोत्तेजित आँखें सन्तुस्तिपुर्वक उस आकड़े लंड को और ज़्यादा विकराल बना रही थी, लेकिन अबकी बार कम्मो को अपनी तत्परता और लंड चूसने की तेज़ी पर अचंभा होने लगा ....... " वह यह क्या कर रही है, अब तो लिंग में तनाव भी आ गया है ..फिर क्यों वह उसे चूसने में इतनी मगन है " .......सोचते ही उसने अपने होंठ खोल दिए और ठीक इसी वक़्त निकुंज के मूँह से कुछ शब्द फूट पड़े ....... " नही मोम !!! चूसो प्लीज़ " .......अत्यधिक आनंद की प्राप्ति ने उसके बेटे से अपने आप यह शब्द कहलवा दिए, जिसे सुनते ही कम्मो का चेहरा शरम से बेहद लाल हो गया और सकुचाते हुए वह वापस उसका लंड निगलने लगी ...लेकिन अब उसके अंदर उत्साह समा चुका था इसलिए वह निकुंज की बात टाल नही पाई थी.
सेम पोज़िशन में कम्मो ने निकुंज के चेहरे को देखा ...वह अपलक उसकी ओर ही देख रहा था, पर एक दम शांत ...जैसे उसके पंख - पखेरू उड़ चुके हों, अपने आप कम्मो के होंठ हिलने लगे और उसकी जीब ने मुरझाए सुपाडे पर गोल - गोल घूमना शुरू कर दिया ...एक अजीब सी गंध उसने अपनी सांसो में फैलती महसूस की और इसके बाद उसके आँखें पनिया गयी ...एक हाथ से उसने लंड को अपनी मुट्ठी में जाकड़ लिया और फिर शुरू हुआ सिलसिला लंड चुसाई का.
निकुंज को होश में लाने के लिए उसने तीसरी बार उसके अंडकोष दबाए और इस बार भी लगभग चीखते हुए वह यथार्थ में लौट आया ...कितना आनंदतीरेक नज़ारा बन गया था ....... " घबरा मत !!! मैं सब सही कर दूँगी " .......फॉरन कम्मो ने लंड को अपने मूँह से बाहर निकाल कर उसे साहस दिया और उसकी आँखों में देखते हुए सुपाडे को जीभ से चाटने लगी
बेटे के लंड का गुलाबी अग्र भाग और उसकी मा की उतनी ही गुलाबी जीब, दोनो में एक द्वंद सा छिड़ गया ...कम्मो अपनी जीभ को नचाने में पारंगत होती जा रही थी और निकुंज यह नज़ारा बड़े गौर से देख रहा था ...आगे को झुकी होने से उसकी मोम के चूतड़ हवा में काफ़ी ऊँचे उठ चुके थे और सरक कर कुर्ता, कब उसकी कमर तक खिच आया उसे होश नही था.
लंड मुठियाने में भी कम्मो ने कोई कमी नही छोड़ी और एक बार फिर उसे अपने मूँह में ठूंस लिया ...धीरे - धीरे उसके होंठ अपने बेटे के लंड की कोमल त्वचा पर फिसलने लगे और वह लगभग आधा उसके मूँह में प्रवेश कर गया ...हलाकी अब भी लंड में बिल्कुल उबाल नही था पर कम्मो तीव्रता से उसे चूस्ति रही, शायद इस आशा में ..... " कभी तो उसकी मेहनत सफल होगी "
" मोम !!! हम कल डॉक्टर को दिखा लेंगे ..आआहह " ......बोलते ही निकुंज की आह से पूरा कमरा गूँज उठा, वजह अंजाने में उसकी मा के दांतो का लंड पर ज़ोर से गढ़ जाना था और इसके फॉरन बाद एक चमत्कार हो गया, कुछ लिसलिसा सा गाढ़ा पदार्थ सुपाडे के छेद से बाहर आते ही ...लंड फूलने लगा.
एक - दम से कम्मो को अपना सर ऊपर की तरफ उठाना पड़ा क्यों कि ढीलेपन से मुक्ति पा कर, लंड अब विकराल होने लगा था ...कम्मो ने निकुंज की आँखों में झाँका, जो बहने लगी थी और यह देख कर उसकी भी आँखें छलक उठी.
असली खुशी क्या होती है, अब कम्मो को समझ आ गयी और उसने रुंधने की परवाह ना करते हुए ...खड़े होते लंड के साथ भी अपने मूँह को अड्जस्ट करना शुरू कर दिया ........ " उमल्ल्लप्प्प्प्प !!! " ........सुपाडे से हल्का नीचे उतर कर वह उसके मूँह में फँसने लगा, लेकिन उसने हार नही मानी और सुड़कते हुए अपना सर ज़बरदस्ती और नीचे को ठेलने लगी ...जब आधा लंड उसके मूँह में समा गया वह रुक गयी और थोड़ी देर तक गहरी साँसे लेने लगी ...वह जानती थी इससे ज़्यादा लिंग वह अपने मूँह में नही ले सकती है, वरना उसका गला अवरुद्ध हो जाएगा और उसका दम भी घुट सकता है.
इसके बाद वह अपने बेटे की आँखों में देखते हुए लंड को अत्यधिक कठोरता से चूसने लगी ...बार - बार उसका हाथ अपनी योनि दिशा में जाता और उतनी ही तेज़ी से वापस भी लौट आता, वह चाह कर भी खुद की पीड़ा के साथ न्याय नही कर पा रही थी ...उसकी बंद होती कामोत्तेजित आँखें सन्तुस्तिपुर्वक उस आकड़े लंड को और ज़्यादा विकराल बना रही थी, लेकिन अबकी बार कम्मो को अपनी तत्परता और लंड चूसने की तेज़ी पर अचंभा होने लगा ....... " वह यह क्या कर रही है, अब तो लिंग में तनाव भी आ गया है ..फिर क्यों वह उसे चूसने में इतनी मगन है " .......सोचते ही उसने अपने होंठ खोल दिए और ठीक इसी वक़्त निकुंज के मूँह से कुछ शब्द फूट पड़े ....... " नही मोम !!! चूसो प्लीज़ " .......अत्यधिक आनंद की प्राप्ति ने उसके बेटे से अपने आप यह शब्द कहलवा दिए, जिसे सुनते ही कम्मो का चेहरा शरम से बेहद लाल हो गया और सकुचाते हुए वह वापस उसका लंड निगलने लगी ...लेकिन अब उसके अंदर उत्साह समा चुका था इसलिए वह निकुंज की बात टाल नही पाई थी.