hotaks444
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"मोम !! नीमा आंटी का ड्रेसिंग सेन्स कितना ज़बरदस्त है ना. आइ मीन उनका लिविंग स्टाइल, फ्रॅंक नेचर, उनकी चाय्स सब पर्फेक्ट है. पहली मुलाक़ात में तो कोई पहचान ही नही सकेगा कि वे दो बच्चो की मा होंगी और यहाँ तक कि कल मैं खुद हैरत में पड़ गया था" निकुंज ने अपने डगमगाते सैयम को काबू में करने का प्रयत्न शुरू किया और जैसे उसकी मा की नज़र किधर है उसे पता ही ना हो एक दम नॉर्मल टोन में वह बोला.
"अच्छा !! लेकिन वह तो मुझसे सिर्फ़ 4 साल ही छोटी है" कम्मो ने फॉरन निकुंज के कथन पर गौर किया और फ्रेंची के तंबू पर जमी उसकी आँखें पल भर में वापस अपने बेटे के चेहरे पर लौट आई.
"फिर भी मोम !! वे काफ़ी यंग दिखती हैं" कम्मो का रिक्षन देख निकुंज समझ गया कि उसकी मा को नीमा आंटी की प्रशन्षा पच नही पा रही "उस जीन्स-टॉप में उनका फिगर बहुत हॉट नज़र आ रहा था ना ?" चतुरता से उसने इस विवादित विषय पर स्वयं अपनी मा की राय जाननी चाही जो इस वक़्त क्रोध में तिलमिलाती उसे बेहद खूबसूरत नज़र आ रही थी.
"अगर कोई औरत सरे बाज़ार नंगी घूमेगी तो तुम मर्दो का उसकी ओर आकर्षित होना जायज़ है" कम्मो ने नीमा के साथ अपनी ईर्ष्या की जलन में निकुंज को भी लपेट लिया.
"आप की सोच का नज़रिया ही ग़लत है मोम !! आप आंटी के फॅशन की समझ को नग्नता का रूप दे रही हो" निकुंज इस वार्तालाप से मन ही मन मुस्कुरा रहा था और बीच-बीच में अपनी मा का ध्यान अपने खड़े लंड की तरफ मोड़ने हेतु कभी अपना पेट सहलाता तो कभी फ्रेंची की दोनो कीनोर से बाहर निकल आई अपनी झाँटे खुजाने लगता.
"नीमा का पति उसके साथ यहीं इंडिया में रहता होता तो मैं मानती उसके फैशन को मगर यह क्या बात हुई कि पति विदेश में मेहनत करे, पैसा कमाए और उन्ही पैसो से तुम छोटे-छोटे कपड़े खरीद कर मर्दो को रिझाती फ़िरो" वह भूंभूनाई "थोड़ा और खिसक !! मुझे भी ऊपर ठीक से बैठने दे" काफ़ी समय से बिस्तर के नीचे पैर लटकाए बैठी कम्मो की पीठ में अब दर्द होने लगा था तो वा निकुंज से डिमॅंड करती है.
"हां हां मोम !! आप रिलॅक्स हो कर बेड पर बैठ जाओ" निकुंज बिस्तर के सेंटर में खिसक कर बोलता है. उसका तो जैसे बिन माँगे जॅक पॉट लगा गया था, अब उसकी मा बड़े आराम और स्पष्ट रूप से उसकी टाँगो की जड़ को निहार सकती थी.
"तो क्या नीमा आंटी अपने हज़्बेंड की गैर-हाज़री में गुलच्छर्रे उड़ाती हैं. मैं नही मानता मोम" कहने के उपरांत वह पुनः अपनी झाँटे खुजाता है और इस बार उसके हाथ के साथ उसकी मा की आँखें भी उसके बड़े से तंबू पर पहुँच जाती हैं.
"मैने ऐसा तो नही कहा !! हां पहले मैं थोड़ा नाराज़ थी लेकिन नीमा को सोचना चाहिए. उसके दो जवान बच्चे हैं और वह अगर फैशन के नाम पर भी छोटे कपड़े पहने कर घर से बाहर निकलेगी तो अपने आप मर्दो की जमात में चर्चा का विषय बनेगी. जैसे तुम बेशर्मी से उसे हॉट आंटी की संगया दे रहे थे वैसे ही ना जाने कितने लोग देते होंगे" कम्मो ने अपनी बात का स्पष्टीकरण किया और कामुकतावश अपने होंठ चबाने लगती है. उसकी कछि सामने से गीली हो कर उसकी काँपती चूत के मुख से बुरी तरह चिपक चुकी थी.
"मानता हूँ मोम !! आप अपनी जगह सही हो बट नीमा आंटी भी ग़लत नही हैं. अगर ग़लत कोई है तो वह है लोगो की गंदी सोच" निकुंज ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अपने कान पकड़ने का अभिनय किया "सॉरी मों !! जो मैने आप पर उन अंडरगार्मेंट्स को पहेन्ने के लिए ज़बरदस्ती प्रेशर डाला, वैसे मुझे तो उनमें कुच्छ ग़लत नही लगा लेकिन अगर आप कंफर्टबल ना हो तो मत पहेनना" निकुंज बोला और फॉरन कराह कर अपनी फ्रेंची अड्जस्ट करने का भ्रम पैदा करते हुए उसकी दाईं कीनोर नीचे खीचने लगता है और उसके ऐसा करते ही कम्मो को उसके टट्टो की हल्की सी झलक देखने को मिल जाती है.
"क्या हुआ निकुंज !! कोई दिक्कत है क्या ?" जान-बूझ कर अंजान बनने का नाटक तो स्वयं कम्मो भी कब से कर रही थी जब कि उसे अच्छे से मालूम था कि उसके बेटे को उसकी झान्टो ने परेशान कर रखा है.
"कुच्छ नही मोम !! आज सुबह से यहाँ बहुत खुजली हो रही है" कह कर वह अत्यधिक पीड़ा के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए अपनी मा की आँखों के सामने ही बिना किसी अतिरिक्त शरम के अपना हाथ फ्रेंची के अंदर डाल लेता है और फिर मनचाहे ढंग अपनी झाँटे खुजलाना आरंभ देता है.
"अच्छा !! लेकिन वह तो मुझसे सिर्फ़ 4 साल ही छोटी है" कम्मो ने फॉरन निकुंज के कथन पर गौर किया और फ्रेंची के तंबू पर जमी उसकी आँखें पल भर में वापस अपने बेटे के चेहरे पर लौट आई.
"फिर भी मोम !! वे काफ़ी यंग दिखती हैं" कम्मो का रिक्षन देख निकुंज समझ गया कि उसकी मा को नीमा आंटी की प्रशन्षा पच नही पा रही "उस जीन्स-टॉप में उनका फिगर बहुत हॉट नज़र आ रहा था ना ?" चतुरता से उसने इस विवादित विषय पर स्वयं अपनी मा की राय जाननी चाही जो इस वक़्त क्रोध में तिलमिलाती उसे बेहद खूबसूरत नज़र आ रही थी.
"अगर कोई औरत सरे बाज़ार नंगी घूमेगी तो तुम मर्दो का उसकी ओर आकर्षित होना जायज़ है" कम्मो ने नीमा के साथ अपनी ईर्ष्या की जलन में निकुंज को भी लपेट लिया.
"आप की सोच का नज़रिया ही ग़लत है मोम !! आप आंटी के फॅशन की समझ को नग्नता का रूप दे रही हो" निकुंज इस वार्तालाप से मन ही मन मुस्कुरा रहा था और बीच-बीच में अपनी मा का ध्यान अपने खड़े लंड की तरफ मोड़ने हेतु कभी अपना पेट सहलाता तो कभी फ्रेंची की दोनो कीनोर से बाहर निकल आई अपनी झाँटे खुजाने लगता.
"नीमा का पति उसके साथ यहीं इंडिया में रहता होता तो मैं मानती उसके फैशन को मगर यह क्या बात हुई कि पति विदेश में मेहनत करे, पैसा कमाए और उन्ही पैसो से तुम छोटे-छोटे कपड़े खरीद कर मर्दो को रिझाती फ़िरो" वह भूंभूनाई "थोड़ा और खिसक !! मुझे भी ऊपर ठीक से बैठने दे" काफ़ी समय से बिस्तर के नीचे पैर लटकाए बैठी कम्मो की पीठ में अब दर्द होने लगा था तो वा निकुंज से डिमॅंड करती है.
"हां हां मोम !! आप रिलॅक्स हो कर बेड पर बैठ जाओ" निकुंज बिस्तर के सेंटर में खिसक कर बोलता है. उसका तो जैसे बिन माँगे जॅक पॉट लगा गया था, अब उसकी मा बड़े आराम और स्पष्ट रूप से उसकी टाँगो की जड़ को निहार सकती थी.
"तो क्या नीमा आंटी अपने हज़्बेंड की गैर-हाज़री में गुलच्छर्रे उड़ाती हैं. मैं नही मानता मोम" कहने के उपरांत वह पुनः अपनी झाँटे खुजाता है और इस बार उसके हाथ के साथ उसकी मा की आँखें भी उसके बड़े से तंबू पर पहुँच जाती हैं.
"मैने ऐसा तो नही कहा !! हां पहले मैं थोड़ा नाराज़ थी लेकिन नीमा को सोचना चाहिए. उसके दो जवान बच्चे हैं और वह अगर फैशन के नाम पर भी छोटे कपड़े पहने कर घर से बाहर निकलेगी तो अपने आप मर्दो की जमात में चर्चा का विषय बनेगी. जैसे तुम बेशर्मी से उसे हॉट आंटी की संगया दे रहे थे वैसे ही ना जाने कितने लोग देते होंगे" कम्मो ने अपनी बात का स्पष्टीकरण किया और कामुकतावश अपने होंठ चबाने लगती है. उसकी कछि सामने से गीली हो कर उसकी काँपती चूत के मुख से बुरी तरह चिपक चुकी थी.
"मानता हूँ मोम !! आप अपनी जगह सही हो बट नीमा आंटी भी ग़लत नही हैं. अगर ग़लत कोई है तो वह है लोगो की गंदी सोच" निकुंज ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अपने कान पकड़ने का अभिनय किया "सॉरी मों !! जो मैने आप पर उन अंडरगार्मेंट्स को पहेन्ने के लिए ज़बरदस्ती प्रेशर डाला, वैसे मुझे तो उनमें कुच्छ ग़लत नही लगा लेकिन अगर आप कंफर्टबल ना हो तो मत पहेनना" निकुंज बोला और फॉरन कराह कर अपनी फ्रेंची अड्जस्ट करने का भ्रम पैदा करते हुए उसकी दाईं कीनोर नीचे खीचने लगता है और उसके ऐसा करते ही कम्मो को उसके टट्टो की हल्की सी झलक देखने को मिल जाती है.
"क्या हुआ निकुंज !! कोई दिक्कत है क्या ?" जान-बूझ कर अंजान बनने का नाटक तो स्वयं कम्मो भी कब से कर रही थी जब कि उसे अच्छे से मालूम था कि उसके बेटे को उसकी झान्टो ने परेशान कर रखा है.
"कुच्छ नही मोम !! आज सुबह से यहाँ बहुत खुजली हो रही है" कह कर वह अत्यधिक पीड़ा के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए अपनी मा की आँखों के सामने ही बिना किसी अतिरिक्त शरम के अपना हाथ फ्रेंची के अंदर डाल लेता है और फिर मनचाहे ढंग अपनी झाँटे खुजलाना आरंभ देता है.