hotaks444
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"आह मोम !! आप को मुझे नंगा देखना अच्छा लगता है ना तो अब आप जब चाहो मुझे अपने हाथो से नंगा कर सकती हो. मुझे कभी कोई आपत्ति नही होगी" निकुंज अपने हाथ को अपनी मा के मुलायम गाल पर रख कर उसे थपथपाया और महसूस करता है कि उसकी मा के मूँह को उसके लंड की मोटाई ने पूरा भर दिया है "कहीं मा को तक़लीफ़ तो नही हो रही मेरे लंड से" जाने कैसे उसके मन में यह बात आ जाती और वा फॉरन अपना लंड अपनी मा के मूँह से बाहर खींच लेता है.
निकुंज की इस क्रिया से कम्मो सन्न रह गयी और अपनी आँखों की भावों को ऊपर-नीचे हिला कर उससे इस बात का कारण पूछती है. शायद अपने शब्दो का इस्तेमाल वह अपनी निर्लज्जता छुपाने के लिए नही कर पा रही थी.
"मैं जानता हूँ मोम !! आप को इसे चूसने में दर्द महसूस हो रहा है और मैं आप को इस हालत में नही देख सकता" इतना कह कर निकुंज अपने कदम वॉर्डरोब की तरफ बढ़ने लगता है मगर उसकी मा उसका हाथ पकड़ कर उसे उस ओर जाने से रोक लेती है.
"निकुंज" कम्मो ने अपना थूक निगल कर कहा जिस में उसे स्वयं की लार से कहीं ज़्यादा स्वाद अपने पुत्र के मर्दाने रस का आता है "क्या तू अपनी मा से नाराज़ है ?" वह पूछती है.
"मोम !! आप से नाराज़ तो मैं कभी हो ही नही सकता" निकुंज हौले से फुसफुसाया.
"तो फिर क्या बात है बेटे ?" उसने फिर सवाल किया मगर इस बार भी सॉफ लफ़ज़ो में अपनी बात पुच्छने की हिम्मत नही जुटा पाती.
"मोम !! आप मेरी खातिर इसे चूस तो रही थी मगर आप का दर्द मुझसे सहेन नही होता" निकुंज ने सेम टोन में कहा.
"बेटा !! पहली बात तो यह कि मेरा बेटा अपनी मा को सपने में भी कभी दर्द नही देगा, मैं जानती हूँ और दूसरी बात जिस एहसास को मैं तुझे देने की कोशिश कर रही थी उस में इतना दर्द तो हर स्त्री को होगा" कम्मो मुस्कुराते हुए बोली.
"और सबसे बड़ी बात जब इस दर्द में प्यार शामिल हो तो दर्द देने वाले और दर्द सहने वाले दोनो ही प्राणियों को अधभूत सुख की प्राप्ति होती है" इतना कह कर वह मा अपने अपने पुत्र का लंड अपने हाथ की मुट्ठी में अपनी मर्ज़ी से कस लेती है और तत-पश्चात अपने होंठो को फाड़ कर उसका मोटा सुपाडा वापस अपने मूँह के भीतर ठूँसती हुई बेहद प्रचंडता के साथ उसकी चुसाई करना आरंभ कर देती है.
"ह्म्म्म" दो तरफ़ा सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से जान-बूझ कर निकुंज ने वह बाधा उत्पन्न की थी और जब उसकी मा ने बल-पूर्वक अपनी इक्षा-अनुसार उसका लंड पुनः अपने मूँह के भीतर परवेश करवाया तो उसका संपूर्ण जिस्म नयी स्फूर्ति और उल्लास के आनंद से अभिभूत हो कर गन्गना उठता है.
निकुंज की इस क्रिया से कम्मो सन्न रह गयी और अपनी आँखों की भावों को ऊपर-नीचे हिला कर उससे इस बात का कारण पूछती है. शायद अपने शब्दो का इस्तेमाल वह अपनी निर्लज्जता छुपाने के लिए नही कर पा रही थी.
"मैं जानता हूँ मोम !! आप को इसे चूसने में दर्द महसूस हो रहा है और मैं आप को इस हालत में नही देख सकता" इतना कह कर निकुंज अपने कदम वॉर्डरोब की तरफ बढ़ने लगता है मगर उसकी मा उसका हाथ पकड़ कर उसे उस ओर जाने से रोक लेती है.
"निकुंज" कम्मो ने अपना थूक निगल कर कहा जिस में उसे स्वयं की लार से कहीं ज़्यादा स्वाद अपने पुत्र के मर्दाने रस का आता है "क्या तू अपनी मा से नाराज़ है ?" वह पूछती है.
"मोम !! आप से नाराज़ तो मैं कभी हो ही नही सकता" निकुंज हौले से फुसफुसाया.
"तो फिर क्या बात है बेटे ?" उसने फिर सवाल किया मगर इस बार भी सॉफ लफ़ज़ो में अपनी बात पुच्छने की हिम्मत नही जुटा पाती.
"मोम !! आप मेरी खातिर इसे चूस तो रही थी मगर आप का दर्द मुझसे सहेन नही होता" निकुंज ने सेम टोन में कहा.
"बेटा !! पहली बात तो यह कि मेरा बेटा अपनी मा को सपने में भी कभी दर्द नही देगा, मैं जानती हूँ और दूसरी बात जिस एहसास को मैं तुझे देने की कोशिश कर रही थी उस में इतना दर्द तो हर स्त्री को होगा" कम्मो मुस्कुराते हुए बोली.
"और सबसे बड़ी बात जब इस दर्द में प्यार शामिल हो तो दर्द देने वाले और दर्द सहने वाले दोनो ही प्राणियों को अधभूत सुख की प्राप्ति होती है" इतना कह कर वह मा अपने अपने पुत्र का लंड अपने हाथ की मुट्ठी में अपनी मर्ज़ी से कस लेती है और तत-पश्चात अपने होंठो को फाड़ कर उसका मोटा सुपाडा वापस अपने मूँह के भीतर ठूँसती हुई बेहद प्रचंडता के साथ उसकी चुसाई करना आरंभ कर देती है.
"ह्म्म्म" दो तरफ़ा सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से जान-बूझ कर निकुंज ने वह बाधा उत्पन्न की थी और जब उसकी मा ने बल-पूर्वक अपनी इक्षा-अनुसार उसका लंड पुनः अपने मूँह के भीतर परवेश करवाया तो उसका संपूर्ण जिस्म नयी स्फूर्ति और उल्लास के आनंद से अभिभूत हो कर गन्गना उठता है.