hotaks444
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उसका चहरा वाह….वो अब मासूम नही सेक्सी लग रही थी शायद यही कारण था की वो अपने कपड़े चेंज करने चले गई ,लेकिन मेरे लिए वो इतनी मेहरबान कैसे हो रही थी,...??????
वो शर्माते हुए मेरे पास आयी और फिर से बिस्तर में लेट गई ,इसबार वो खुलकर कुछ भी नही कर रही थी,लेकिन मुझे उसके इस रूप को देखकर कुछ हिम्मत सी आयी,मैं फिर से उसके ऊपर आया और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया ,उसकी सांसे उखड़ी हुई थी मेरे हाथ नीचे गए और उसकी पेंटी के गीलेपन से ही मैंने उसके मन को पढ़ लिया,
वो मेरी हर छुवन पर सिसकिया ले रही थी,....
“हमारे बीच की सभी दीवारे थोड़ दो विकाश ,मैं तुम्हारी होना चाहती हु….”
उसके काँपते हुए होठो ने मुझसे कहा ...और मैं उसके रसभरे होठो को अपने होठो में लेकर उसका रस निचोड़ने लगा….वो और भी मुझे अपनी ओर भिच लेती वो अपने चरम पर थी ,
प्यार की यही खासियत है की जिस्म के मिलान से बढ़कर भी मजा उसमे आता है,वो अहसास ही वो सुकून दिला देता है,सबकुछ दूसरे के ऊपर छोड़ देना,अपने को किसी और का कर देना,पूर्ण समर्पण यही वो प्यार है जिसमे जिस्मो की मिलान की जरूरत नही होती,,,,...वो खुद को मेरे ऊपर छोड़ने लगी ,शायद ये उसका पहला अनुभव रहा हो ,क्योकि मेरी हर छुवन से उसके जिस्म में एक हलचल सी पैदा हो जाती थी,वो एक नशे में थी जो धीरे धीरे मुझे भी घेर रहा था…
मैं भी कब अपने कपड़ो को त्याग कर उसके बांहो में समा गया मुझे पता नही चला….जब मेरा नंगा लिंग उसकी योनि की दीवारों पर उसके पेंटी के ऊपर से रगड़ाया तो मुझे भी उसके गीलेपन का अहसास हुआ,
“आह जान “उसने मुझे कस लिया,मैंने अपने हाथ को नीचे कर उसके योनि को पेंटी के बंधन से आजाद किया ,उसका गोरा बदन एक उमंग से नाच रहा था वो लाल हो चुकी थी ,अभी तो उसे बहुत कुछ सहना बाकी था पर वो कभी भी चरम पर पहुच सकती थी,उसकी गीली योनि में एक उंगली घुसते ही मुझे उसके कौमार्य (वर्जिनिटी) का अहसास हो गया….
मेरे मन में एक बात अनायास ही उभर कर आयी,कि मैंने अभी तक किसी भी लड़की का कौमार्य नही लूटा है,और इत्तफाक से मैं उसी शख्स की बेटी का कौमार्य लूटने जा रहा हु जिसने मेरी बीवी का कौमार्य भंग किया था ,मिश्रा और काजल का ख्याल आते ही मेरे मन का वो राक्षस जाग गया जिसे मैंने इतने समय से खुद से भी छिपा के रखा था...मैं उसके ऊपर टूटा और एक ही झटके में अपना पूरे का पूरा लिंग उसके अंदर पूरी ताकत से घुसा दिया ….
“नहीईईईईई “एक जोर की चीख उसके मुह से निकली पर मेरे जागे हुए शैतान ने उसके मुह पर अपना हाथ रख दिया और फिर से झटका दिया ,अभी भी पूरा लिंग अंदर नही गया था,ऐसे तो उसकी योनि बहुत गीली थी पर फिर भी वो पहली बार का अहसास था और मेरे अंदर शैतान सवार हो चुका था,उसके आंखों से आंसू की कुछ बूंदे गिरी उसके मुह में मेरा हाथ था और वो थोडा छटपटा कर शांत भी हो गयी थी ,उसकी आंखे मुझे साफ कह रही थी उसे दर्द हो रहा है और उसे आराम चाहिये लेकिन मेरे सामने काजल की तस्वीर घूम गयी ,शायद मिश्रा ने ऐसे ही उसका कौमार्य लिया होगा,मैं एक जलन से जल उठा और मेरा अगला धक्का और भी तेज हो गया ,मैंने एक साथ ही 3 धक्के लगाए और वो छटपटाते हुए निढल हो गई उसकी गु गु की आवाज मेरे हाथो में ही दबकर रह गई,जब मैंने उसके आंसुओ और उसके चहरे को देखा तब जाकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी मैंने उसके मुह से अपना हाथ हटाया …
वो रोने लगी ,लेकिन उसके गीले नयन मुझे ही देखे जा रहे थे …
“आप शैतान हो …”
“सॉरी जान सॉरी ….”
मैं उसके गालो से ढलते हुए आंसुओ को अपने होठो में लेकर पीने लगा,कुछ ही देर में वो मेरे बालो को पकड़कर मुझे अपनी ओर खिंची और मेरे होठो को अपने होठो से मिला लिया,मैं जैसे ही अपने लिंग में हरकत की वो फिर से मुझे रोक दी …
“रुको ना दर्द में मार ही डालोगे क्या,आदमी हो की शैतान हो ,”
वो लगभग रोते हुए बोली ,लेकिन उसकी ये बात इतनी प्यारी थी की मैं उसके होठो को अपने दांतो में भर कर भिच लिया…
“नही ना “
मैंने अपनी जीभ उसके जीभ से मिला दी और वो मेरे प्यार के अंतहीन खाई में गिरने लगी ,हम एक दूजे को बेतहाशा चूमने लगे,हमारे हाथ एक दूजे के सर पर थे और उंगलिया बालो में फंसी थी…..
मेरे कमर ने भी धीरे धीरे से चलना शुरू किया पर इस बार मलीना बस सिसकिया ले रही थी और उसके योनि में एक रस का रिसाव होने लगा था जिसे हम कामरस कहते है,उससे उसकी योनि मेरे लिंग के लिए रास्ता आसान कर रही थी और हम दोनो को मजे के सागर में उतारने लगी थे जिसकी गहराई हमे भी नही पता थी,हमे एक दूजे को कहा चुम रहे थे ,कहा चाट रहे थे ,हमारे दांत कहा गड रहे थे ,थूक कहा छोड़े जा रहे थे ,हाथ किस जगह को निचोड़ रहे थे ,हमे कुछ भी आभास नही था,बस वो मजा बस वो अहसास ,बस वो जिस्म और वो कोमलता ,वो गर्मी ,वो नरमी …
वो सिसकिया और वो पसीने की फिसलन...बस यही रह गया था,मुझे तो पता भी नही चला की कब मैंने उसे अपने वीर्य की धार से भर दिया और कितने बार भर दिया हम लगभग बेहोश से थे ,या उन्मादी से ..कभी हम तेज होते तो कभी इतने धीरे ही पता ही नही चलता की कुछ हो रहा है...ये प्यार का नया अहसास था मेरे लिए भी और शायद मलीना के लिए भी ...वीर्य और कामरस मिलकर चादर को गिला कर रहे थे और साथ ही मलीना के कौमार्य की निशानी कुछ खून की बूंदे भी थी ,लेकिन किसे परवाह थी और किसकी परवाह थी….उसी गीले योनि में मैंने उसे दुबारा भीगा दिया...आंखे भी बंद हो रही थी पर कमर की चलन रुक नही रही थी,ना जाने वो कब खत्म हुई ना मुझे कुछ पता चला ना ही उसे बस हमारी आंखे बंद हो गई…………...
घर जाकर मैंने देखा रेणु अपना समान प्यारे के कमरे में शिफ्ट कर चुकी थी और एक नया लड़का वरुण नाम से ड्राइवर का चार्ज ले चुका था,ये मिश्रा के कारण ही हो रहा था की मेरे हर काम इतनी जल्दी ही हो जा रहे थे.मैं जब घर पहुचा तो वरुण रेणु के साथ गप्पे लड़ा रहा था,इसे आये एक दिन भी नही हुआ और वो ऐसे रेणु से बात कर रहा था जैसे की वो सालो से उसे जानता हो,वरुण एक कम उम्र का लड़का था,कुछ 20-21 की उम्र रही होगी,दिखने में बड़ा ही प्यारा सा था,और बचपने से भरा हुआ था,शायद उसकी ये पहली ही पोस्टिंग थी….
रेणु को देखकर ऐसा नही लग रहा था की आज ही उसकी जिंदगी में इतना बड़ा परिवर्तन आया हो,,,वो मुझे देखकर खड़े हो गयी और बड़ी ही प्यार भरी नजरो से मुझे देखा,
“आप बैठिए मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हु “
वरुण भी खड़ा हो चुका था उसे मैंने बैठने को कहा …
“तो क्या नाम है तुम्हारा “
“जी सर वरुण “
“कही पहले काम किये हो “
“नही सर ये पहली पोस्टिंग है “
“अच्छा और पढ़ाई कितनी कीये हो “
“सर ग्रेजुएशन अभी कंपलीट किया हु…”
“अच्छा है ,फिर ड्राइवर की नॉकरी कैसे “
“सर सरकारी नॉकरी तो सरकारी होती है ना,और यहां तो छोटी छोटी नॉकरी के लिए भी कितनी मारा मारी है भला हो मिश्रा जी का की मुझे ये नॉकरी दिला दी “
मिश्रा का नाम लेते हुए उसके चहरे पर एक आभार का भाव आया,और मेरे चहरे पर एक मुस्कान ….
“तो मिश्रा जी ने लगवाया है तुम्हारा जॉब”
“जी सर वो मेरे पिता जी पहले मिश्रा जी के ड्राइवर थे…”
“अच्छा तब तो तुम बहुत अच्छे से जानते होंगे मिश्रा जी को “
“जी कभी कभी जाता था ,पापा के साथ उनके घर...ज्यादा नही “
“अच्छा है,और घर में कौन कौन है तुम्हारे “
“जी मा पापा और एक बहन है उनकी शादी हो चुकी है….”
“ओह यार फिर तो तुम घर के इकलौते लड़के हो तुम्हारी हिफाजत करनी पड़ेगी…”
मैं हँस पड़ा वही वो थोड़ा शर्मा गया…
रेणु चाय लेकर आयी ,
“ठीक है सर मैं चलता हु कल कितने समय आना है गाड़ी लेकर …”
“बैठो ना यार यही खाना खा के जाओ कहा अभी खाना बनाओगे ,”
“नही सर मेरी मा -पापा भी अभी साथ आये है,वही खाना खाना है….”
“ओह चलो अच्छा है,कभी लाना उन्हें भी मिलाने और कल 9-10 बजे तक आ जाओ …”
“जी ठीक है सर “
उसके जाने के बाद मैं रेणु के साथ बैठकर आज उसके साथ होने वाली सभी घटनाओं को सुनने लगा,रेणु बहुत ही खुस थी ,जैसे की वो आजाद हो गई हो किसी बर्षो पुरानी बेड़ियों से,उसके चहरे में आयी ख़ुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा,
तभी काजल भी आ गई साथ में रॉकी था,खाना खाकर हम बिस्तर में गए,
आज काजल के बारे में मुझे जो पता चला था मैं उसके चहरे से कुछ पड़ने की कोशिस कर रहा था ,पर उसके चहरे पर कोई भी भाव कभी नही आता मानो वो एक बाहत अच्छी एक्ट्रेस थी,
“क्या हुआ ऐसे क्यो देख रहे हो…”
“बस कुछ जानने की कोसिस कर रहा हु,”
वो हल्के से हँसी ,
“क्या जानना चाहते हो आप “
वो मेरे पास खिसकी ,उसकी आंखों में मैंने हमेशा से ही बस प्यार देखा था,जो असीमित था,जिसमे मैं शायद डूब ही जाता अगर वो फिर से ना कहती ..
“बताओ ना क्या हुआ है “
“छोड़ो ना जान “
“बताओ ना जी ,क्या हो गया “
“सोचता हु तुम इतना काम कैसे कर लेती हो,पता नही तुम्हे क्या क्या सहन करना पड़ता होगा ..,,,,”
उसके चहरे में एक मुस्कुराहट आ गई
“आप भी ना ,आपका साथ और प्यार बस मेरे साथ रहे तो मुझे और कुछ भी नही चाहिए कुछ भी नही होगा मुझे आप फिक्र मत करो ,मैं सब सम्हाल लुंगी ….”
क्या सम्हाल रही हो जान वो तो समझ आ रहा है,मैने मन में कहा..
“फिर भी अगर कुछ प्रॉब्लम हो तो मुझे जरूर बताना “
मैंने उसके चहरे को देखते हुए कहा ,वो मेरे गले से लग गयी,
“आप पर कोई भी आंच नही आने दूंगी जान,आप बस खुश रहो,मेरे लिए यही बहुत है,आप किसी भी चीज की फिक्र मत करो सब कुछ ठीक है,”
“ये मेरा फर्ज है जान की मैं तुम्हारी हिफाजत करू “
मैं उसके गालो को चूमते हुए कहा …
“और ये मेरा फर्ज है की मैं आपको हर मुसिबित से दूर रखु “
“यानी की मुसिबित है …”
“नही जान बस कुछ काम के लफड़े होते है ,मैं उसे आराम से हैंडल कर लुंगी ,लेकिन आज आपको क्या हो गया है.ऐसा क्यो लगाकि मैं किसी मुसिबित में हु”
“बस तुम्हे थका हुआ देखा ,और ऐसा भी तुम्हारी तकलीफ का मुझे कुछ तो आभास हो जाता है”
काजल के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी,
“अच्छा तो बताओ की मैं अभी क्या चाहती हु “
मेरे चहरे पर भी एक शरारती सी मुस्कान आयी ….
“ह्म्म्म तुम “मैंने उसे जोरो से कसा और उसके होठो पर अपने होठो को धकेल दिया ...उसकी बालो में फसी मेरी उंगलियों ने उसका सर मेरी तरफ धकेला ….और मेरी कमर ने उसके कमर पर एक धक्का दिया,
“तुम ये चाहती हो….”
वो मेरे आंखों में देख रही थी,बिल्कुल साफ और निश्चल आंखे...मैने उसकी कमर को पकड़कर अपनी ओर खिंचा ,
उसके गोल नितम्भो का स्पर्श ही मेरे लिंग को अकड़ाने को काफी था,
“आउच ,बहुत बदमाश हो गए हो आप “
“जब बीवी ही इतनी मस्त हो तो आदमी बदमाशी तो करेगा ही ना “वो फिर से मुझसे सट गयी आज उसने साड़ी पहने हुए थी,
वो शर्माते हुए मेरे पास आयी और फिर से बिस्तर में लेट गई ,इसबार वो खुलकर कुछ भी नही कर रही थी,लेकिन मुझे उसके इस रूप को देखकर कुछ हिम्मत सी आयी,मैं फिर से उसके ऊपर आया और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया ,उसकी सांसे उखड़ी हुई थी मेरे हाथ नीचे गए और उसकी पेंटी के गीलेपन से ही मैंने उसके मन को पढ़ लिया,
वो मेरी हर छुवन पर सिसकिया ले रही थी,....
“हमारे बीच की सभी दीवारे थोड़ दो विकाश ,मैं तुम्हारी होना चाहती हु….”
उसके काँपते हुए होठो ने मुझसे कहा ...और मैं उसके रसभरे होठो को अपने होठो में लेकर उसका रस निचोड़ने लगा….वो और भी मुझे अपनी ओर भिच लेती वो अपने चरम पर थी ,
प्यार की यही खासियत है की जिस्म के मिलान से बढ़कर भी मजा उसमे आता है,वो अहसास ही वो सुकून दिला देता है,सबकुछ दूसरे के ऊपर छोड़ देना,अपने को किसी और का कर देना,पूर्ण समर्पण यही वो प्यार है जिसमे जिस्मो की मिलान की जरूरत नही होती,,,,...वो खुद को मेरे ऊपर छोड़ने लगी ,शायद ये उसका पहला अनुभव रहा हो ,क्योकि मेरी हर छुवन से उसके जिस्म में एक हलचल सी पैदा हो जाती थी,वो एक नशे में थी जो धीरे धीरे मुझे भी घेर रहा था…
मैं भी कब अपने कपड़ो को त्याग कर उसके बांहो में समा गया मुझे पता नही चला….जब मेरा नंगा लिंग उसकी योनि की दीवारों पर उसके पेंटी के ऊपर से रगड़ाया तो मुझे भी उसके गीलेपन का अहसास हुआ,
“आह जान “उसने मुझे कस लिया,मैंने अपने हाथ को नीचे कर उसके योनि को पेंटी के बंधन से आजाद किया ,उसका गोरा बदन एक उमंग से नाच रहा था वो लाल हो चुकी थी ,अभी तो उसे बहुत कुछ सहना बाकी था पर वो कभी भी चरम पर पहुच सकती थी,उसकी गीली योनि में एक उंगली घुसते ही मुझे उसके कौमार्य (वर्जिनिटी) का अहसास हो गया….
मेरे मन में एक बात अनायास ही उभर कर आयी,कि मैंने अभी तक किसी भी लड़की का कौमार्य नही लूटा है,और इत्तफाक से मैं उसी शख्स की बेटी का कौमार्य लूटने जा रहा हु जिसने मेरी बीवी का कौमार्य भंग किया था ,मिश्रा और काजल का ख्याल आते ही मेरे मन का वो राक्षस जाग गया जिसे मैंने इतने समय से खुद से भी छिपा के रखा था...मैं उसके ऊपर टूटा और एक ही झटके में अपना पूरे का पूरा लिंग उसके अंदर पूरी ताकत से घुसा दिया ….
“नहीईईईईई “एक जोर की चीख उसके मुह से निकली पर मेरे जागे हुए शैतान ने उसके मुह पर अपना हाथ रख दिया और फिर से झटका दिया ,अभी भी पूरा लिंग अंदर नही गया था,ऐसे तो उसकी योनि बहुत गीली थी पर फिर भी वो पहली बार का अहसास था और मेरे अंदर शैतान सवार हो चुका था,उसके आंखों से आंसू की कुछ बूंदे गिरी उसके मुह में मेरा हाथ था और वो थोडा छटपटा कर शांत भी हो गयी थी ,उसकी आंखे मुझे साफ कह रही थी उसे दर्द हो रहा है और उसे आराम चाहिये लेकिन मेरे सामने काजल की तस्वीर घूम गयी ,शायद मिश्रा ने ऐसे ही उसका कौमार्य लिया होगा,मैं एक जलन से जल उठा और मेरा अगला धक्का और भी तेज हो गया ,मैंने एक साथ ही 3 धक्के लगाए और वो छटपटाते हुए निढल हो गई उसकी गु गु की आवाज मेरे हाथो में ही दबकर रह गई,जब मैंने उसके आंसुओ और उसके चहरे को देखा तब जाकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी मैंने उसके मुह से अपना हाथ हटाया …
वो रोने लगी ,लेकिन उसके गीले नयन मुझे ही देखे जा रहे थे …
“आप शैतान हो …”
“सॉरी जान सॉरी ….”
मैं उसके गालो से ढलते हुए आंसुओ को अपने होठो में लेकर पीने लगा,कुछ ही देर में वो मेरे बालो को पकड़कर मुझे अपनी ओर खिंची और मेरे होठो को अपने होठो से मिला लिया,मैं जैसे ही अपने लिंग में हरकत की वो फिर से मुझे रोक दी …
“रुको ना दर्द में मार ही डालोगे क्या,आदमी हो की शैतान हो ,”
वो लगभग रोते हुए बोली ,लेकिन उसकी ये बात इतनी प्यारी थी की मैं उसके होठो को अपने दांतो में भर कर भिच लिया…
“नही ना “
मैंने अपनी जीभ उसके जीभ से मिला दी और वो मेरे प्यार के अंतहीन खाई में गिरने लगी ,हम एक दूजे को बेतहाशा चूमने लगे,हमारे हाथ एक दूजे के सर पर थे और उंगलिया बालो में फंसी थी…..
मेरे कमर ने भी धीरे धीरे से चलना शुरू किया पर इस बार मलीना बस सिसकिया ले रही थी और उसके योनि में एक रस का रिसाव होने लगा था जिसे हम कामरस कहते है,उससे उसकी योनि मेरे लिंग के लिए रास्ता आसान कर रही थी और हम दोनो को मजे के सागर में उतारने लगी थे जिसकी गहराई हमे भी नही पता थी,हमे एक दूजे को कहा चुम रहे थे ,कहा चाट रहे थे ,हमारे दांत कहा गड रहे थे ,थूक कहा छोड़े जा रहे थे ,हाथ किस जगह को निचोड़ रहे थे ,हमे कुछ भी आभास नही था,बस वो मजा बस वो अहसास ,बस वो जिस्म और वो कोमलता ,वो गर्मी ,वो नरमी …
वो सिसकिया और वो पसीने की फिसलन...बस यही रह गया था,मुझे तो पता भी नही चला की कब मैंने उसे अपने वीर्य की धार से भर दिया और कितने बार भर दिया हम लगभग बेहोश से थे ,या उन्मादी से ..कभी हम तेज होते तो कभी इतने धीरे ही पता ही नही चलता की कुछ हो रहा है...ये प्यार का नया अहसास था मेरे लिए भी और शायद मलीना के लिए भी ...वीर्य और कामरस मिलकर चादर को गिला कर रहे थे और साथ ही मलीना के कौमार्य की निशानी कुछ खून की बूंदे भी थी ,लेकिन किसे परवाह थी और किसकी परवाह थी….उसी गीले योनि में मैंने उसे दुबारा भीगा दिया...आंखे भी बंद हो रही थी पर कमर की चलन रुक नही रही थी,ना जाने वो कब खत्म हुई ना मुझे कुछ पता चला ना ही उसे बस हमारी आंखे बंद हो गई…………...
घर जाकर मैंने देखा रेणु अपना समान प्यारे के कमरे में शिफ्ट कर चुकी थी और एक नया लड़का वरुण नाम से ड्राइवर का चार्ज ले चुका था,ये मिश्रा के कारण ही हो रहा था की मेरे हर काम इतनी जल्दी ही हो जा रहे थे.मैं जब घर पहुचा तो वरुण रेणु के साथ गप्पे लड़ा रहा था,इसे आये एक दिन भी नही हुआ और वो ऐसे रेणु से बात कर रहा था जैसे की वो सालो से उसे जानता हो,वरुण एक कम उम्र का लड़का था,कुछ 20-21 की उम्र रही होगी,दिखने में बड़ा ही प्यारा सा था,और बचपने से भरा हुआ था,शायद उसकी ये पहली ही पोस्टिंग थी….
रेणु को देखकर ऐसा नही लग रहा था की आज ही उसकी जिंदगी में इतना बड़ा परिवर्तन आया हो,,,वो मुझे देखकर खड़े हो गयी और बड़ी ही प्यार भरी नजरो से मुझे देखा,
“आप बैठिए मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हु “
वरुण भी खड़ा हो चुका था उसे मैंने बैठने को कहा …
“तो क्या नाम है तुम्हारा “
“जी सर वरुण “
“कही पहले काम किये हो “
“नही सर ये पहली पोस्टिंग है “
“अच्छा और पढ़ाई कितनी कीये हो “
“सर ग्रेजुएशन अभी कंपलीट किया हु…”
“अच्छा है ,फिर ड्राइवर की नॉकरी कैसे “
“सर सरकारी नॉकरी तो सरकारी होती है ना,और यहां तो छोटी छोटी नॉकरी के लिए भी कितनी मारा मारी है भला हो मिश्रा जी का की मुझे ये नॉकरी दिला दी “
मिश्रा का नाम लेते हुए उसके चहरे पर एक आभार का भाव आया,और मेरे चहरे पर एक मुस्कान ….
“तो मिश्रा जी ने लगवाया है तुम्हारा जॉब”
“जी सर वो मेरे पिता जी पहले मिश्रा जी के ड्राइवर थे…”
“अच्छा तब तो तुम बहुत अच्छे से जानते होंगे मिश्रा जी को “
“जी कभी कभी जाता था ,पापा के साथ उनके घर...ज्यादा नही “
“अच्छा है,और घर में कौन कौन है तुम्हारे “
“जी मा पापा और एक बहन है उनकी शादी हो चुकी है….”
“ओह यार फिर तो तुम घर के इकलौते लड़के हो तुम्हारी हिफाजत करनी पड़ेगी…”
मैं हँस पड़ा वही वो थोड़ा शर्मा गया…
रेणु चाय लेकर आयी ,
“ठीक है सर मैं चलता हु कल कितने समय आना है गाड़ी लेकर …”
“बैठो ना यार यही खाना खा के जाओ कहा अभी खाना बनाओगे ,”
“नही सर मेरी मा -पापा भी अभी साथ आये है,वही खाना खाना है….”
“ओह चलो अच्छा है,कभी लाना उन्हें भी मिलाने और कल 9-10 बजे तक आ जाओ …”
“जी ठीक है सर “
उसके जाने के बाद मैं रेणु के साथ बैठकर आज उसके साथ होने वाली सभी घटनाओं को सुनने लगा,रेणु बहुत ही खुस थी ,जैसे की वो आजाद हो गई हो किसी बर्षो पुरानी बेड़ियों से,उसके चहरे में आयी ख़ुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा,
तभी काजल भी आ गई साथ में रॉकी था,खाना खाकर हम बिस्तर में गए,
आज काजल के बारे में मुझे जो पता चला था मैं उसके चहरे से कुछ पड़ने की कोशिस कर रहा था ,पर उसके चहरे पर कोई भी भाव कभी नही आता मानो वो एक बाहत अच्छी एक्ट्रेस थी,
“क्या हुआ ऐसे क्यो देख रहे हो…”
“बस कुछ जानने की कोसिस कर रहा हु,”
वो हल्के से हँसी ,
“क्या जानना चाहते हो आप “
वो मेरे पास खिसकी ,उसकी आंखों में मैंने हमेशा से ही बस प्यार देखा था,जो असीमित था,जिसमे मैं शायद डूब ही जाता अगर वो फिर से ना कहती ..
“बताओ ना क्या हुआ है “
“छोड़ो ना जान “
“बताओ ना जी ,क्या हो गया “
“सोचता हु तुम इतना काम कैसे कर लेती हो,पता नही तुम्हे क्या क्या सहन करना पड़ता होगा ..,,,,”
उसके चहरे में एक मुस्कुराहट आ गई
“आप भी ना ,आपका साथ और प्यार बस मेरे साथ रहे तो मुझे और कुछ भी नही चाहिए कुछ भी नही होगा मुझे आप फिक्र मत करो ,मैं सब सम्हाल लुंगी ….”
क्या सम्हाल रही हो जान वो तो समझ आ रहा है,मैने मन में कहा..
“फिर भी अगर कुछ प्रॉब्लम हो तो मुझे जरूर बताना “
मैंने उसके चहरे को देखते हुए कहा ,वो मेरे गले से लग गयी,
“आप पर कोई भी आंच नही आने दूंगी जान,आप बस खुश रहो,मेरे लिए यही बहुत है,आप किसी भी चीज की फिक्र मत करो सब कुछ ठीक है,”
“ये मेरा फर्ज है जान की मैं तुम्हारी हिफाजत करू “
मैं उसके गालो को चूमते हुए कहा …
“और ये मेरा फर्ज है की मैं आपको हर मुसिबित से दूर रखु “
“यानी की मुसिबित है …”
“नही जान बस कुछ काम के लफड़े होते है ,मैं उसे आराम से हैंडल कर लुंगी ,लेकिन आज आपको क्या हो गया है.ऐसा क्यो लगाकि मैं किसी मुसिबित में हु”
“बस तुम्हे थका हुआ देखा ,और ऐसा भी तुम्हारी तकलीफ का मुझे कुछ तो आभास हो जाता है”
काजल के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी,
“अच्छा तो बताओ की मैं अभी क्या चाहती हु “
मेरे चहरे पर भी एक शरारती सी मुस्कान आयी ….
“ह्म्म्म तुम “मैंने उसे जोरो से कसा और उसके होठो पर अपने होठो को धकेल दिया ...उसकी बालो में फसी मेरी उंगलियों ने उसका सर मेरी तरफ धकेला ….और मेरी कमर ने उसके कमर पर एक धक्का दिया,
“तुम ये चाहती हो….”
वो मेरे आंखों में देख रही थी,बिल्कुल साफ और निश्चल आंखे...मैने उसकी कमर को पकड़कर अपनी ओर खिंचा ,
उसके गोल नितम्भो का स्पर्श ही मेरे लिंग को अकड़ाने को काफी था,
“आउच ,बहुत बदमाश हो गए हो आप “
“जब बीवी ही इतनी मस्त हो तो आदमी बदमाशी तो करेगा ही ना “वो फिर से मुझसे सट गयी आज उसने साड़ी पहने हुए थी,