hotaks444
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मैं उसे हल्के हल्के मुस्कुराकर देखने लगी
“क्या करेगी ??/”
“प्यारे से आपके लिए बात करू “
वो जोरो से हँसने लगी
“तू फिर से शुरू हो गई ना ,मेरे पति के सामने वो क्या है …??”
“सच में दीदी ऐसे आप हो बड़ी किश्मत वाली जो ऐसे पति मिले है सच में साहब बहुत ही बढ़िया है काश मेरे पति भी ऐसे होते,मुझे इतना प्यार करते ??”
रेणु ये सच में कह रही थी या मुझे मस्का लगा रही थी ये तो नही कहा जा सकता लेकिन सच में विकास जी थे तो कमाल के जब भी प्यार करते दिलो जान लगा देते थे,इतनी खुसी तो मुझे कोई भी नही दे पाया ,अगर उनकी जगह कोई और होता तो मैं शायद कब की बहक गई होती ,आग तो मेरे अंदर भी थी वो भी बाकियों से कुछ ज्यादा ,लेकिन फिर भी मैं उनके प्यार के सहारे ही अपने को सम्हाल पाती थी ,
“तो मेडम मैं जाऊ”
“कहा ???”
“प्यारे के पास वो नाराज बैठा है आज “
मुझे हँसी आ गई .
“हा ठीक है जा मना अपने प्यारे को “
रेणु के जाने के बाद ही मैं आदत के मुताबित उसके कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गई,वही उसका रोल प्ले और वही मेरा मचल जाना ,पता नही क्यो लेकिन मुझे भी इसमें बहुत ही मजा आने लगा था,प्यारे कुछ कुछ फिर से सामान्य हो गया मैं भी उससे खुल के बात किया करती लेकिन कभी उसे इतना आगे बढ़ने नही देती की मेरे शरीर से खेले ,
तभी मेरी जिंदगी में एक तूफान आया ………….
उस दिन विकास जी काम में गए हुए थे,मैं तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकली,मेरे बाल अब भी गीले थे ,मैं हमेशा ही नई दुल्हन की तरह सज कर रहती थी ,अभी शादी को भी ज्यादा वक्त नही बिता था ,मुझे घर में भी साड़ी पहनना और चूड़ियां सिंदूर लगाकर रखना अच्छा लगता,मैं श्रृंगार कर अपने कमरे से बाहर निकली ,लगा जैसे की कोई आया हुआ है ,मैं बाहर आयी तो देखकर दंग रह गई ये तो मिश्रा जी थे,ये यहां क्या कर रहे है और इन्हें मेरे घर का पता कहा से चला ,मुझे देखकर वो खड़े हो गए,प्यारे उन्हें चाय पिला रहा था,
मिश्रा जी मुझे देखते ही खड़े हो गए ,
“आप यहां ??????”
मेरी नजर प्यारे पर पड़ी वो मेरे चहरे के भावों को नापने की कोसीसे कर रहा था लेकिन मैने तुरंत खुद को सम्हाला
“अरे आप बैठिये ना बहुत दिनों बाद याद आयी आपको मेरी ,”मैं झूठी मुस्कुराहट अपने चहरे में लाते हुए कहा
“हा बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा मिलता चलू ,विकास कहा है “
“बहुत अच्छा किया ,विकास जी तो आफिस गए हुए है ,काका आप जाइये जरूरत होगी तो आपको बुला लुंगी “मैं प्यारे की तरफ घूमी वो भी चुपचाप ही वहां से चला गया….
“क्या लेने आये है आप यहां “मैंने मिश्रा को गुस्से से देखा
“काजल तुम अब भी मुझसे नाराज हो ,मैं तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हु “
“देखिए मिश्रा जी मेरा दिमाग खराब मत कीजिए ,निकल जाइये मेरे घर से मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुस हु और आपको यहां का पता किसने दिए मेरे भइया ने ???”
मिश्रा जी ने एक गहरी सांस ली
“काजल तुम मुझसे अलग हो गई थी लेकिन मैं तुमसे कभी भी अलग नही हुआ ,विकास से तुम्हारी शादी करवाने वाला भी मैं हु और तुम्हे यंहा लाने वाला भी मैं हु ,मैं अब रिटायर हो चुका हु और यही रहता हु ,जो हुआ उसे मैं बदल तो नही सकता काजल लेकिन …तुम चाहो मुझे जो सजा दो लेकिन कम से कम मुझसे बात तो करो सालो से तुमने मुझसे बात ही नही की है “
मिश्रा जी रोने लगे थे ,उनके रोने में एक पीड़ा थी ,वो बुजुर्ग आदमी मेरे बाप की उम्र का था और मेरे सामने इस तरह रो रहा था,कभी वो मेरे लिए भगवान हुआ करता था,मैं उससे प्यार किया करती थी ,वो ही तो मेरा पहला प्यार था,जिसकी हो जाने के कभी सपने देखे थे ,जिसकी बांहो में पूरी जिंदगी गुजरना चाहती थी,आज ओ ही मेरे सामने बैठा ऐसे रो रहा था,भले ही उसने मेरे साथ कुछ भी किया हो लेकिन मेरे दिल में उसके लिए प्यार खत्म तो नही हो गया,दिल के किसी कोने में वो आज भी जिंदा था,मैं सोफे में उसके बाजू में जाकर बैठ गई,मुझे सचमे बहुत बुरा लग रहा था,उसने जो किया उसकी सजा तो मैंने उसे दे दी थी,सालो से मैंने उनसे बात भी नही किया था,अब शायद समय आ चुका था की मैं अपने जख्मो को भुला कर उनसे बात करू ,मैंने अपना हाथ उनके बालो में रखकर सहलाया ,वो मुझसे लिपट गए ………
“काजल मुझे माफ कर दो मैं सच में बड़ा ही स्वार्थी हो गया था,लेकिन ये सच है की मैंने तुमसे दिलो जान से प्यार किया है ,लेकिन मैं भी अपने फर्ज और राजनीतिक दबाव में मजबूर था,मेरे फर्ज ने मुझे बांध रखा था,मेरा कैरियर भी बड़े खतरे में था काजल ,अगर मैं रोबर्टो का नाम उछाल देता तो वंहा मार्किट में बड़ा प्रभाव पड़ता और साथ ही कई नेता जिनके शेयर रोबर्टो से जुड़े हुए कंपनी में थे उसके भाव गिर जाते,मेरे ऊपर उस समय बड़ा प्रेशर था की मै इस खेल को खत्म भी करू और रोबर्टो का नाम भी उछलने ना पाए….मेरी समझ में कुछ भी नही आया था काजल ….”
वो मुझसे लिपटे हुए थी थे मैं भी उन्हें अपने से अलग नही कर रही थी ,बीती बातो को याद करके मेरे आंखों में भी आंसू आ गए थे,मेरे साथ हो हुआ वो तो हो गया लेकिन नेहा ????क्या वो वापस आ पाएगी ,मेरे दिमाग में उसकी एक तस्वीर घूम गई ,
“मैं जानता हु काजल की तुम क्या सोच रही हो ...नेहा का दुख तो मुझे भी होता है ,वही तो है जिसने हमे मिलाया था,जिसने तुम्हारे मन में मेरे लिए प्यार के बीज बोए थे ,सच मानो काजल मैं भी उसे बहुत चाहता था,उसके साथ जो भी हुआ वो मैं कभी नही भूल पाऊंगा ,”
मिश्रा जी का चहरा मेरे सीने में दबा हुआ था ,उनके आंसू मेरे अब भी बह रहे थे ,मैं अभी अभी नहा कर निकली थी ,मेरे शरीर में गीलापन अब भी था शायद वो मिश्रा जी के चहरे पर भी लग रहा होगा,उनके आंसू मेरे उजोरो के बीच से होते हुए नीचे को बह रहे थे ,इस समय हमारे मन में कोई भी वासना तो नही थी लेकिन सालो बाद हमारे शरीर एक दूजे के संपर्क में आये थे,
मेरे मन में एक रुदन गूंज गया था ,बीती बातो को मैं जितना भुलाने की कोसीसे करती वो उतना ही सर उठाकर मेरे सामने आ जाता था,मैं तो अपने दुनिया में खुस थी लेकिन ये मिश्रा जी ने आकर मुझे फिर से उसी यादो के देश में धकेल दिया था,मैं सोचती रही और मेरा सर भारी होने लगा,चिंता दुख ये ही तो मेरे दुश्मन थे ,मैं फिर से बेचैन होने लगी ,और इसका एक ही इलाज मुझे पता था वो था नशा या सेक्स लेकिन किसीसे ,मिश्रा जी से????
नही इनसे तो मैं मरकर भी सेक्स नही करना चाहती थी ,लेकिन मेरे आँसू भी अभी बंद नही हुए थे मैं फ्रस्ट्रेशन में आ गई थी मैं मिश्रा को दिखाना चाहती थी की उसके कारण मैं क्या से क्या बन गई हु ,उसने मुझसे जो चीज छीनी थी वो था मेरा इनोसेंटनेस मेरी मासूमियत ,सभी चीजे मेरे दिमाग में ही चल रही थी मेरे जिस्म में कोई भी हरकत अभी तक नही हुई थी मैं ऊपर निगाह करके देखा मुझे प्यारे दिखाई दिया वो खिड़की में खड़े होकर हमारी बात सुन रहा था, साला हरामी मेरे मन एक उसके लिए एक गाली निकली ,मैं अभी और भी गुस्से में आ गई
“ये इधर आ “
मैं जोरो से चिल्लाई ,प्यारे कांपता हुआ मेरे पास आया उसने मेरे गुस्से का नमूना तो देखा ही था ,मैं अब मिश्रा जी के सीने से निकालकर अलग हो चुकी थी ,प्यारे मेरे सामने आकर खड़ा हो गया ,
“मादरचोद क्या देख रहा था तू खिड़की से ,की मैं इससे चुदवा रही हु की नही “
गुस्से में मेरे मुह से ऐसी गालिया निकली जिसके बारे में अभी तक मिश्रा जी और प्यारे दोनो ने ही कल्पना नही की होगी ,मैं गुस्से में कांप रही थी ,सालो का गुस्सा था ,जो मैं कभी मिश्रा के ऊपर निकलना चाहती थी वो सभी जमा हो कर मेरे अवचेतन में भरा हुआ था आज मौका देखकर अचानक ही निकल रहा था मेरे स्वभाव में ये गुस्सा ही शायद उसी अवचेतन की दमित भावनाओ का नतीजा था,मेरी आंखे लाल होने लगी थी ,रोंगटे खड़े हो रहे थे,शरीर और मन दोनो में एक अनजानी सी जलन फैल रही थी ,
मेरे कदम आप ही आप प्यारे के पास चले गए और एक जोर का थप्पड़ मैंने उसके गालो में लगा दिया ,वो आंखे फाडे मुझे देखने लगा ,
“घूर क्या रहा है मादरचोद आंखे निकाल लुंगी “प्यारे जैसा ताकती मर्द भी मेरी बात से कांप गया ,मिश्रा जी भी कांप रहे थे ,एक नाजुक सी लड़की का ख़ौफ़ दो मर्दो के चहरो पर साफ झलक रहा था ,तभी रेणु की इंट्री हुई उसने भी मुझे प्यारे को मारते और गली देते सुन लिया था वो स्तब्ध सी दरवाजे में आकर ही रुक गई ,मेरे नजर उसपर पड़ी ,
“लो आ गई तेरी रांड “मैंने रेणु को देखते हुए ,रेणु वहां से उल्टे पाव भागने को हुई लेकिन मैंने फिर से चिल्लाया ,
“रुक साली आयी है तो चुद के ही जाएगी तू यहां से इधर आ “वो नजर झुकाए हुए हमारे पास आयी,वो एक सस्ती सी साड़ी में थी लेकिन गजब की सेक्सी लग रही थी ,उसके जिस्म का भराव मर्दो को हिलाने पर मजबूर कर देने वाला था ,
“अबे कुत्ते चल सुरु हो जा अपनी रांड के साथ “
“क्या करेगी ??/”
“प्यारे से आपके लिए बात करू “
वो जोरो से हँसने लगी
“तू फिर से शुरू हो गई ना ,मेरे पति के सामने वो क्या है …??”
“सच में दीदी ऐसे आप हो बड़ी किश्मत वाली जो ऐसे पति मिले है सच में साहब बहुत ही बढ़िया है काश मेरे पति भी ऐसे होते,मुझे इतना प्यार करते ??”
रेणु ये सच में कह रही थी या मुझे मस्का लगा रही थी ये तो नही कहा जा सकता लेकिन सच में विकास जी थे तो कमाल के जब भी प्यार करते दिलो जान लगा देते थे,इतनी खुसी तो मुझे कोई भी नही दे पाया ,अगर उनकी जगह कोई और होता तो मैं शायद कब की बहक गई होती ,आग तो मेरे अंदर भी थी वो भी बाकियों से कुछ ज्यादा ,लेकिन फिर भी मैं उनके प्यार के सहारे ही अपने को सम्हाल पाती थी ,
“तो मेडम मैं जाऊ”
“कहा ???”
“प्यारे के पास वो नाराज बैठा है आज “
मुझे हँसी आ गई .
“हा ठीक है जा मना अपने प्यारे को “
रेणु के जाने के बाद ही मैं आदत के मुताबित उसके कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गई,वही उसका रोल प्ले और वही मेरा मचल जाना ,पता नही क्यो लेकिन मुझे भी इसमें बहुत ही मजा आने लगा था,प्यारे कुछ कुछ फिर से सामान्य हो गया मैं भी उससे खुल के बात किया करती लेकिन कभी उसे इतना आगे बढ़ने नही देती की मेरे शरीर से खेले ,
तभी मेरी जिंदगी में एक तूफान आया ………….
उस दिन विकास जी काम में गए हुए थे,मैं तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकली,मेरे बाल अब भी गीले थे ,मैं हमेशा ही नई दुल्हन की तरह सज कर रहती थी ,अभी शादी को भी ज्यादा वक्त नही बिता था ,मुझे घर में भी साड़ी पहनना और चूड़ियां सिंदूर लगाकर रखना अच्छा लगता,मैं श्रृंगार कर अपने कमरे से बाहर निकली ,लगा जैसे की कोई आया हुआ है ,मैं बाहर आयी तो देखकर दंग रह गई ये तो मिश्रा जी थे,ये यहां क्या कर रहे है और इन्हें मेरे घर का पता कहा से चला ,मुझे देखकर वो खड़े हो गए,प्यारे उन्हें चाय पिला रहा था,
मिश्रा जी मुझे देखते ही खड़े हो गए ,
“आप यहां ??????”
मेरी नजर प्यारे पर पड़ी वो मेरे चहरे के भावों को नापने की कोसीसे कर रहा था लेकिन मैने तुरंत खुद को सम्हाला
“अरे आप बैठिये ना बहुत दिनों बाद याद आयी आपको मेरी ,”मैं झूठी मुस्कुराहट अपने चहरे में लाते हुए कहा
“हा बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा मिलता चलू ,विकास कहा है “
“बहुत अच्छा किया ,विकास जी तो आफिस गए हुए है ,काका आप जाइये जरूरत होगी तो आपको बुला लुंगी “मैं प्यारे की तरफ घूमी वो भी चुपचाप ही वहां से चला गया….
“क्या लेने आये है आप यहां “मैंने मिश्रा को गुस्से से देखा
“काजल तुम अब भी मुझसे नाराज हो ,मैं तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हु “
“देखिए मिश्रा जी मेरा दिमाग खराब मत कीजिए ,निकल जाइये मेरे घर से मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुस हु और आपको यहां का पता किसने दिए मेरे भइया ने ???”
मिश्रा जी ने एक गहरी सांस ली
“काजल तुम मुझसे अलग हो गई थी लेकिन मैं तुमसे कभी भी अलग नही हुआ ,विकास से तुम्हारी शादी करवाने वाला भी मैं हु और तुम्हे यंहा लाने वाला भी मैं हु ,मैं अब रिटायर हो चुका हु और यही रहता हु ,जो हुआ उसे मैं बदल तो नही सकता काजल लेकिन …तुम चाहो मुझे जो सजा दो लेकिन कम से कम मुझसे बात तो करो सालो से तुमने मुझसे बात ही नही की है “
मिश्रा जी रोने लगे थे ,उनके रोने में एक पीड़ा थी ,वो बुजुर्ग आदमी मेरे बाप की उम्र का था और मेरे सामने इस तरह रो रहा था,कभी वो मेरे लिए भगवान हुआ करता था,मैं उससे प्यार किया करती थी ,वो ही तो मेरा पहला प्यार था,जिसकी हो जाने के कभी सपने देखे थे ,जिसकी बांहो में पूरी जिंदगी गुजरना चाहती थी,आज ओ ही मेरे सामने बैठा ऐसे रो रहा था,भले ही उसने मेरे साथ कुछ भी किया हो लेकिन मेरे दिल में उसके लिए प्यार खत्म तो नही हो गया,दिल के किसी कोने में वो आज भी जिंदा था,मैं सोफे में उसके बाजू में जाकर बैठ गई,मुझे सचमे बहुत बुरा लग रहा था,उसने जो किया उसकी सजा तो मैंने उसे दे दी थी,सालो से मैंने उनसे बात भी नही किया था,अब शायद समय आ चुका था की मैं अपने जख्मो को भुला कर उनसे बात करू ,मैंने अपना हाथ उनके बालो में रखकर सहलाया ,वो मुझसे लिपट गए ………
“काजल मुझे माफ कर दो मैं सच में बड़ा ही स्वार्थी हो गया था,लेकिन ये सच है की मैंने तुमसे दिलो जान से प्यार किया है ,लेकिन मैं भी अपने फर्ज और राजनीतिक दबाव में मजबूर था,मेरे फर्ज ने मुझे बांध रखा था,मेरा कैरियर भी बड़े खतरे में था काजल ,अगर मैं रोबर्टो का नाम उछाल देता तो वंहा मार्किट में बड़ा प्रभाव पड़ता और साथ ही कई नेता जिनके शेयर रोबर्टो से जुड़े हुए कंपनी में थे उसके भाव गिर जाते,मेरे ऊपर उस समय बड़ा प्रेशर था की मै इस खेल को खत्म भी करू और रोबर्टो का नाम भी उछलने ना पाए….मेरी समझ में कुछ भी नही आया था काजल ….”
वो मुझसे लिपटे हुए थी थे मैं भी उन्हें अपने से अलग नही कर रही थी ,बीती बातो को याद करके मेरे आंखों में भी आंसू आ गए थे,मेरे साथ हो हुआ वो तो हो गया लेकिन नेहा ????क्या वो वापस आ पाएगी ,मेरे दिमाग में उसकी एक तस्वीर घूम गई ,
“मैं जानता हु काजल की तुम क्या सोच रही हो ...नेहा का दुख तो मुझे भी होता है ,वही तो है जिसने हमे मिलाया था,जिसने तुम्हारे मन में मेरे लिए प्यार के बीज बोए थे ,सच मानो काजल मैं भी उसे बहुत चाहता था,उसके साथ जो भी हुआ वो मैं कभी नही भूल पाऊंगा ,”
मिश्रा जी का चहरा मेरे सीने में दबा हुआ था ,उनके आंसू मेरे अब भी बह रहे थे ,मैं अभी अभी नहा कर निकली थी ,मेरे शरीर में गीलापन अब भी था शायद वो मिश्रा जी के चहरे पर भी लग रहा होगा,उनके आंसू मेरे उजोरो के बीच से होते हुए नीचे को बह रहे थे ,इस समय हमारे मन में कोई भी वासना तो नही थी लेकिन सालो बाद हमारे शरीर एक दूजे के संपर्क में आये थे,
मेरे मन में एक रुदन गूंज गया था ,बीती बातो को मैं जितना भुलाने की कोसीसे करती वो उतना ही सर उठाकर मेरे सामने आ जाता था,मैं तो अपने दुनिया में खुस थी लेकिन ये मिश्रा जी ने आकर मुझे फिर से उसी यादो के देश में धकेल दिया था,मैं सोचती रही और मेरा सर भारी होने लगा,चिंता दुख ये ही तो मेरे दुश्मन थे ,मैं फिर से बेचैन होने लगी ,और इसका एक ही इलाज मुझे पता था वो था नशा या सेक्स लेकिन किसीसे ,मिश्रा जी से????
नही इनसे तो मैं मरकर भी सेक्स नही करना चाहती थी ,लेकिन मेरे आँसू भी अभी बंद नही हुए थे मैं फ्रस्ट्रेशन में आ गई थी मैं मिश्रा को दिखाना चाहती थी की उसके कारण मैं क्या से क्या बन गई हु ,उसने मुझसे जो चीज छीनी थी वो था मेरा इनोसेंटनेस मेरी मासूमियत ,सभी चीजे मेरे दिमाग में ही चल रही थी मेरे जिस्म में कोई भी हरकत अभी तक नही हुई थी मैं ऊपर निगाह करके देखा मुझे प्यारे दिखाई दिया वो खिड़की में खड़े होकर हमारी बात सुन रहा था, साला हरामी मेरे मन एक उसके लिए एक गाली निकली ,मैं अभी और भी गुस्से में आ गई
“ये इधर आ “
मैं जोरो से चिल्लाई ,प्यारे कांपता हुआ मेरे पास आया उसने मेरे गुस्से का नमूना तो देखा ही था ,मैं अब मिश्रा जी के सीने से निकालकर अलग हो चुकी थी ,प्यारे मेरे सामने आकर खड़ा हो गया ,
“मादरचोद क्या देख रहा था तू खिड़की से ,की मैं इससे चुदवा रही हु की नही “
गुस्से में मेरे मुह से ऐसी गालिया निकली जिसके बारे में अभी तक मिश्रा जी और प्यारे दोनो ने ही कल्पना नही की होगी ,मैं गुस्से में कांप रही थी ,सालो का गुस्सा था ,जो मैं कभी मिश्रा के ऊपर निकलना चाहती थी वो सभी जमा हो कर मेरे अवचेतन में भरा हुआ था आज मौका देखकर अचानक ही निकल रहा था मेरे स्वभाव में ये गुस्सा ही शायद उसी अवचेतन की दमित भावनाओ का नतीजा था,मेरी आंखे लाल होने लगी थी ,रोंगटे खड़े हो रहे थे,शरीर और मन दोनो में एक अनजानी सी जलन फैल रही थी ,
मेरे कदम आप ही आप प्यारे के पास चले गए और एक जोर का थप्पड़ मैंने उसके गालो में लगा दिया ,वो आंखे फाडे मुझे देखने लगा ,
“घूर क्या रहा है मादरचोद आंखे निकाल लुंगी “प्यारे जैसा ताकती मर्द भी मेरी बात से कांप गया ,मिश्रा जी भी कांप रहे थे ,एक नाजुक सी लड़की का ख़ौफ़ दो मर्दो के चहरो पर साफ झलक रहा था ,तभी रेणु की इंट्री हुई उसने भी मुझे प्यारे को मारते और गली देते सुन लिया था वो स्तब्ध सी दरवाजे में आकर ही रुक गई ,मेरे नजर उसपर पड़ी ,
“लो आ गई तेरी रांड “मैंने रेणु को देखते हुए ,रेणु वहां से उल्टे पाव भागने को हुई लेकिन मैंने फिर से चिल्लाया ,
“रुक साली आयी है तो चुद के ही जाएगी तू यहां से इधर आ “वो नजर झुकाए हुए हमारे पास आयी,वो एक सस्ती सी साड़ी में थी लेकिन गजब की सेक्सी लग रही थी ,उसके जिस्म का भराव मर्दो को हिलाने पर मजबूर कर देने वाला था ,
“अबे कुत्ते चल सुरु हो जा अपनी रांड के साथ “