hotaks444
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चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है
गन्ने की मिठास--1
Author-RKS
रामू अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने खेत की खटिया पर बैठे हुए हरिया काका ने उसे आवाज़ दी
हरिया- अरे रामू बेटवा कहा चले जा रहे हो, आजकल तो तुमने मेरे पास आना ही बंद कर दिया,
रामू- अरे काका, ठहरो अभी आ रहा हू,
दोपहर के 2 बज रहे थे रामू अपने गन्नो के खेतो की ओर चला जा रहा था लेकिन उसके खेत से थोड़ी पहले ही हरिया काका का खेत आ जाता था जहाँ हरिया काका ने बहुत सारी हरी सब्जिया लगा रखी थी और दिन रात वह उन सब्जियो की रखवाली के लिए वही पड़ा रहता था, हरिया काका के खेत से थोड़ा आगे ही रामू का गन्नो का खेत था वही रामू ने अपने सोने के लिए एक झोपड़ी बना रखी थी उसी झोपड़ी के भीतर उसने बोरिंग करवा रखी थी,
हरिया उस गाँव का सबसे चुड़क्कड़ आदमी था और ना जाने कितनी औरतो को चोद चुका था आज वह 45 साल का था लेकिन आज भी उसका लंड चोदने के लिए खड़ा ही रहता था, लेकिन हरिया की एक बात यह भी थी कि वह गाँव मे किसी से ज़्यादा बातचीत नही करता था पर ना जाने क्यो हरिया को रामू से कुछ ज़्यादा ही लगाव था, रामू एक 24 साल का हॅटा कॅटा जवान लड़का था और उसकी जिंदगी अपने खेतो से लेकर अपने घर तक ही रहती थी,
इसका कारण यह था कि रामू के बाप को मरे 8 साल हो चुके थे और रामू के घर मे उसकी मा सुधिया और उसकी दो बहने रमिया और निर्मला थी, रमिया रामू से करीब 4 साल छोटी लगभग 20 बरस की जवान लोंड़िया हो चुकी थी लेकिन रमिया को देख कर यही कहेगे कि उसका शरीर तो पूरा भर चुका था लेकिन उसमे अकल बच्चो जैसी ही थी इसलिए उसके घर के खास कर रामू उसे बहुत प्यार करता था, निर्मला करीब 26 साल की एक मस्त औरत की तरह नज़र आने लगी थी लेकिन अभी तक शादी नही हो पाई थी, रामू की मा सुधिया 46 साल की बहुत ही सख़्त औरत थी उसके सामने गाँव का कोई भी ज़्यादा बोलने की हिम्मत नही करता था लेकिन सुधिया को देख कर अछो-अच्चो के लंड खड़े हो जाया करते थे,
जब रामू हरिया काका के पास जाकर बैठ जाता है तो हरिया काका अपनी खत के नीचे से चिलम निकाल कर पीते हुए कहा तो रामू आजकल का चल रहा है तुम तो कुछ दिनो से यहाँ फटकते भी नही हो, का दिन भर घरे मे घुसे रहते हो,
रामू- अरे नही काका घर मे रुकने की फ़ुर्सत कहाँ है, बस यह इतफ़ाक़ है कि मे इधर से जब भी गुज़रता हू तुम नज़र नही आते,
हरिया- चलो कोई बात नही बेटवा, और फिर चिलम का गहरा कस खीच कर रामू को देते हुए, ले बेटा तू भी आज तो लगा ले
रामू- अरे नही काका हम इसे पी लेते है तो फिर काम मे मन नही लगता है
हरिया- मुस्कुराते हुए, पर बेटा इसको पी कर एक काम मे बड़ा मन लगता है
रामू- वो कौन से काम मे
हरिया- मुस्कुराते हुए अरे वही चुदाइ के काम मे
रामू- काका अब अपनी उमर का भी लिहाज करो 45 साल के हो गये हो फिर भी मन नही भरा है
हरिया- अरे बेटवा इन चीज़ो से किसी का कभी मन भरा है भला, अब तुमका देखो इस उमर मे तुमका एक मस्त चूत मिल जाना चाहिए तो तुम्हारे चेहरे पर कुछ निखार आए पर तुम हो की बस काम के बोझ के तले दबे जा रहे हो,
गन्ने की मिठास--1
Author-RKS
रामू अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने खेत की खटिया पर बैठे हुए हरिया काका ने उसे आवाज़ दी
हरिया- अरे रामू बेटवा कहा चले जा रहे हो, आजकल तो तुमने मेरे पास आना ही बंद कर दिया,
रामू- अरे काका, ठहरो अभी आ रहा हू,
दोपहर के 2 बज रहे थे रामू अपने गन्नो के खेतो की ओर चला जा रहा था लेकिन उसके खेत से थोड़ी पहले ही हरिया काका का खेत आ जाता था जहाँ हरिया काका ने बहुत सारी हरी सब्जिया लगा रखी थी और दिन रात वह उन सब्जियो की रखवाली के लिए वही पड़ा रहता था, हरिया काका के खेत से थोड़ा आगे ही रामू का गन्नो का खेत था वही रामू ने अपने सोने के लिए एक झोपड़ी बना रखी थी उसी झोपड़ी के भीतर उसने बोरिंग करवा रखी थी,
हरिया उस गाँव का सबसे चुड़क्कड़ आदमी था और ना जाने कितनी औरतो को चोद चुका था आज वह 45 साल का था लेकिन आज भी उसका लंड चोदने के लिए खड़ा ही रहता था, लेकिन हरिया की एक बात यह भी थी कि वह गाँव मे किसी से ज़्यादा बातचीत नही करता था पर ना जाने क्यो हरिया को रामू से कुछ ज़्यादा ही लगाव था, रामू एक 24 साल का हॅटा कॅटा जवान लड़का था और उसकी जिंदगी अपने खेतो से लेकर अपने घर तक ही रहती थी,
इसका कारण यह था कि रामू के बाप को मरे 8 साल हो चुके थे और रामू के घर मे उसकी मा सुधिया और उसकी दो बहने रमिया और निर्मला थी, रमिया रामू से करीब 4 साल छोटी लगभग 20 बरस की जवान लोंड़िया हो चुकी थी लेकिन रमिया को देख कर यही कहेगे कि उसका शरीर तो पूरा भर चुका था लेकिन उसमे अकल बच्चो जैसी ही थी इसलिए उसके घर के खास कर रामू उसे बहुत प्यार करता था, निर्मला करीब 26 साल की एक मस्त औरत की तरह नज़र आने लगी थी लेकिन अभी तक शादी नही हो पाई थी, रामू की मा सुधिया 46 साल की बहुत ही सख़्त औरत थी उसके सामने गाँव का कोई भी ज़्यादा बोलने की हिम्मत नही करता था लेकिन सुधिया को देख कर अछो-अच्चो के लंड खड़े हो जाया करते थे,
जब रामू हरिया काका के पास जाकर बैठ जाता है तो हरिया काका अपनी खत के नीचे से चिलम निकाल कर पीते हुए कहा तो रामू आजकल का चल रहा है तुम तो कुछ दिनो से यहाँ फटकते भी नही हो, का दिन भर घरे मे घुसे रहते हो,
रामू- अरे नही काका घर मे रुकने की फ़ुर्सत कहाँ है, बस यह इतफ़ाक़ है कि मे इधर से जब भी गुज़रता हू तुम नज़र नही आते,
हरिया- चलो कोई बात नही बेटवा, और फिर चिलम का गहरा कस खीच कर रामू को देते हुए, ले बेटा तू भी आज तो लगा ले
रामू- अरे नही काका हम इसे पी लेते है तो फिर काम मे मन नही लगता है
हरिया- मुस्कुराते हुए, पर बेटा इसको पी कर एक काम मे बड़ा मन लगता है
रामू- वो कौन से काम मे
हरिया- मुस्कुराते हुए अरे वही चुदाइ के काम मे
रामू- काका अब अपनी उमर का भी लिहाज करो 45 साल के हो गये हो फिर भी मन नही भरा है
हरिया- अरे बेटवा इन चीज़ो से किसी का कभी मन भरा है भला, अब तुमका देखो इस उमर मे तुमका एक मस्त चूत मिल जाना चाहिए तो तुम्हारे चेहरे पर कुछ निखार आए पर तुम हो की बस काम के बोझ के तले दबे जा रहे हो,