hotaks444
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कम्मो का मूह खुला का खुला रह गया और आँखें फटी की फटी. बाबूजी ने जो कहा उसका मतलब साफ था कि उन्हे रमेश के बारे में पता था. पर कैसे...... ???? कम्मो का दिमाग़ घूम गया और सोचने समझने की शक्ति जैसे ख़तम सी हो गई. बाबूजी उसके सब रिक्षन्स को नोटीस कर रहे थे.
''तुझे क्या लगा कि मैं तेरे बारे में खबर नही रखता हूँ......मुझे तब से शक हुआ जब से तूने राजू से सब करवाया. राजू मेरा बेटा है और मुझसे कोई बात नही छुपा सकता. बाकी सब भी नही. जब उसने बताया तभी मैं समझ गया था कि तुझे लौडे की आदत पड़ रही है. इसी लिए कई कई बार मौका होने पर भी मैने तुझे तृप्त नही किया. मुझे तेरे पति से पता चला कि रमेश की शादी में तूने बहुत मज़ाक मस्ती की. फिर उसने ये भी बताया कि रमेश बहुत शरीफ लड़का है और उसे अगर मैं कोई नौकरी दिलवा दूं तो उसके बाप पे एहसान हो जाएगा. और बात चीत से पता चला कि वो तुम लोगों के घर अक्सर आता है. उसी को मिलने आज दोपहर को मैं उसके घर गया था और उसकी कद काठी देखते ही समझ गया कि वो तेरे घर क्या करने जाता है. मैने ही उसे कहा कि अगले हफ्ते से वो हमारे यहाँ काम पे आ जाए और अगर चाहे तो अपनी लुगाई के साथ कुच्छ दिन ससुराल घूम आए. एक बार नौकरी पे लग गया तो उसको ससुराल जाने की भी फ़ुर्सत नही मिलेगी.......तो मेरी चोदु कुतिया.....ये जो तेरी जवानी का भोग उसने आज रात को लगाना था ....वो अब मैं लगाउंगा............समझी....'' और ये कहते हुए एक हैरान परेशान कम्मो को बाजुओं से पकड़ के उन्होने अपनी तरफ खींच लिया और उसकी पीठ पे अपने हाथ चलाने लगे.
कम्मो के कानो को यकीन नही हो रहा था. बाबूजी ने कितनी आसानी से उससे सब बातें निकलवा ली और उसके बिना बताए हुए भी सब कुच्छ समझ लिया. उसकी आँखों में आँसू आ गए. जैसे ही बाबूजी ने उसे बाहों में लिया वो उनके कंधे पे सिर रख के सूबक पड़ी. उसके मन से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. अब वो आज़ाद थी. बाबूजी उसकी पीठ पे हाथ सहला रहे थे तो एक हल्की हल्की आग बदन में लग रही थी. बाबूजी की गर्दन पे दोनो हाथ डाल के वो उनसे लिपट गई और अपने मोटे मम्मे उनकी छाती में चुभो दिए. बाबूजी ने उसके सिर पे प्यार से हाथ फेरा और उसके चेहरे को उपर की तरफ किया. फिर बाबूजी ने उसे एक बहुत ही प्यारा सा चुंबन दिया. 2 - 3 मिनिट तक दोनो पति पत्नी की तरह एक दूसरे के चुंबन में खोए रहे. फिर बाबूजी ने उसे पिछे हटाया और आगे बात कही.
''देख कम्मो तूने सब सच कहा तो मैं अब बहुत खुश हूँ...पर अभी हमारी एक समस्या है और वो है सरला..... सरला मुझपे डोरे डालती है पर सम्धन होने की वजह से अभी तक मैने कुच्छ नही किया है. जैसे तू भूखी है उससे कहीं ज़ियादा वो भूखी है. उसकी चूत शायद तेरे से कहीं जीयादा तरसी हुई है.....तू समझ रही है ना....आख़िर एक विधवा को अगर इतने समय तक अपनी बेटी के ससुराल में बँधे बँधे रहना पड़े तो उसका क्या हाल होगा.'' बाबूजी ने कहा.
''हां बाबूजी आप सही कह रहे हो.....मुझे कई बार लगता है कि वो तो इस घर के सभी मर्दों को अपने में लेना चाहती हैं...पर शायद रिश्ते की वजह से कुच्छ नही कर पाती.....'' कम्मो की आँखों में एक चमक थी.
''तो मेरी छिनाल बन्नो अब मेरी बात ध्यान से सुन. अभी सब जा रहे हैं......तू भी पिछे पिछे चली जाना. पर घर का दरवाज़ा खुला छोड़ना...... मुझे लगता है कि वो आज इस मौका का फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगी. घर में कोई नही होगा तो शायद मुझपे डोरे डालेगी. पिच्छली बार उसने ऐसा करने की कोशिश की थी तो घर पे बहुओं के चलते बात रुक गई थी. पर अगर आज उसने कुच्छ किया तो मैं भी पिछे नही रहूँगा. तू यहीं दरवाज़े के नज़दीक बाहर छुप जाना. अगर उसकी और मेरी कोई बात आगे बढ़ी तो मैं उसे ड्रॉयिंग रूम में ले आउन्गा और तब तू ऐसे आना जैसे तू कुच्छ भूल गई. बस उसी समय मैं तुझे भी किसी बहाने से हमारे साथ शामिल कर लूँगा. फिर तो हमे आज़ादी मिल जाएगी सब करने की....'' कहते हुए बाबूजी ने कम्मो की कछि में हाथ डाल दिया.
''ओओओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबूजी आप कितने समझदार हो........मुझे तो आप की बात सुन के ही बेसब्री हो रही है.....आप जैसा बोलो मैं वैसे करती हूँ ...और फिर आपको दो चूतो का रस मिलेगा और मुझे भी एक नई चूत मिलेगी.....हाअए वैसे भी कितने दिन हो गए........म्म्म्मममम बाबूजी....अभी कर दो ना.....'' कम्मो उनकी बाहों में कसमसा रही थी.
''नही अभी तू जा सबके जाने का समय हो गया है.'' बाबूजी ने ये कहते हुए उसे बाहर भेज दिया.
10 - मिनट में ही सब बहुएँ और बच्चे रेडी हो गए और राजू और संजय सबको 2 कार्स में बिठा के ले गए. सुजीत उनको रेस्टोरेंट पे ही मिलने वाला था. उनके जाते ही कम्मो झट से बाबूजी के पास आई और पहली बार बिना पुच्छे ज़बरदस्ती उनके लंड के चुप्पे लिए और फिर घर से बाहर चली गई. दरअसल उसने ये इसलिए किया था कि बाबूजी का खड़ा लंड देख के सरला पागल हो जाए. पर उसे क्या पता था कि इस सब की ज़रूरत नही थी.
''तुझे क्या लगा कि मैं तेरे बारे में खबर नही रखता हूँ......मुझे तब से शक हुआ जब से तूने राजू से सब करवाया. राजू मेरा बेटा है और मुझसे कोई बात नही छुपा सकता. बाकी सब भी नही. जब उसने बताया तभी मैं समझ गया था कि तुझे लौडे की आदत पड़ रही है. इसी लिए कई कई बार मौका होने पर भी मैने तुझे तृप्त नही किया. मुझे तेरे पति से पता चला कि रमेश की शादी में तूने बहुत मज़ाक मस्ती की. फिर उसने ये भी बताया कि रमेश बहुत शरीफ लड़का है और उसे अगर मैं कोई नौकरी दिलवा दूं तो उसके बाप पे एहसान हो जाएगा. और बात चीत से पता चला कि वो तुम लोगों के घर अक्सर आता है. उसी को मिलने आज दोपहर को मैं उसके घर गया था और उसकी कद काठी देखते ही समझ गया कि वो तेरे घर क्या करने जाता है. मैने ही उसे कहा कि अगले हफ्ते से वो हमारे यहाँ काम पे आ जाए और अगर चाहे तो अपनी लुगाई के साथ कुच्छ दिन ससुराल घूम आए. एक बार नौकरी पे लग गया तो उसको ससुराल जाने की भी फ़ुर्सत नही मिलेगी.......तो मेरी चोदु कुतिया.....ये जो तेरी जवानी का भोग उसने आज रात को लगाना था ....वो अब मैं लगाउंगा............समझी....'' और ये कहते हुए एक हैरान परेशान कम्मो को बाजुओं से पकड़ के उन्होने अपनी तरफ खींच लिया और उसकी पीठ पे अपने हाथ चलाने लगे.
कम्मो के कानो को यकीन नही हो रहा था. बाबूजी ने कितनी आसानी से उससे सब बातें निकलवा ली और उसके बिना बताए हुए भी सब कुच्छ समझ लिया. उसकी आँखों में आँसू आ गए. जैसे ही बाबूजी ने उसे बाहों में लिया वो उनके कंधे पे सिर रख के सूबक पड़ी. उसके मन से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. अब वो आज़ाद थी. बाबूजी उसकी पीठ पे हाथ सहला रहे थे तो एक हल्की हल्की आग बदन में लग रही थी. बाबूजी की गर्दन पे दोनो हाथ डाल के वो उनसे लिपट गई और अपने मोटे मम्मे उनकी छाती में चुभो दिए. बाबूजी ने उसके सिर पे प्यार से हाथ फेरा और उसके चेहरे को उपर की तरफ किया. फिर बाबूजी ने उसे एक बहुत ही प्यारा सा चुंबन दिया. 2 - 3 मिनिट तक दोनो पति पत्नी की तरह एक दूसरे के चुंबन में खोए रहे. फिर बाबूजी ने उसे पिछे हटाया और आगे बात कही.
''देख कम्मो तूने सब सच कहा तो मैं अब बहुत खुश हूँ...पर अभी हमारी एक समस्या है और वो है सरला..... सरला मुझपे डोरे डालती है पर सम्धन होने की वजह से अभी तक मैने कुच्छ नही किया है. जैसे तू भूखी है उससे कहीं ज़ियादा वो भूखी है. उसकी चूत शायद तेरे से कहीं जीयादा तरसी हुई है.....तू समझ रही है ना....आख़िर एक विधवा को अगर इतने समय तक अपनी बेटी के ससुराल में बँधे बँधे रहना पड़े तो उसका क्या हाल होगा.'' बाबूजी ने कहा.
''हां बाबूजी आप सही कह रहे हो.....मुझे कई बार लगता है कि वो तो इस घर के सभी मर्दों को अपने में लेना चाहती हैं...पर शायद रिश्ते की वजह से कुच्छ नही कर पाती.....'' कम्मो की आँखों में एक चमक थी.
''तो मेरी छिनाल बन्नो अब मेरी बात ध्यान से सुन. अभी सब जा रहे हैं......तू भी पिछे पिछे चली जाना. पर घर का दरवाज़ा खुला छोड़ना...... मुझे लगता है कि वो आज इस मौका का फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगी. घर में कोई नही होगा तो शायद मुझपे डोरे डालेगी. पिच्छली बार उसने ऐसा करने की कोशिश की थी तो घर पे बहुओं के चलते बात रुक गई थी. पर अगर आज उसने कुच्छ किया तो मैं भी पिछे नही रहूँगा. तू यहीं दरवाज़े के नज़दीक बाहर छुप जाना. अगर उसकी और मेरी कोई बात आगे बढ़ी तो मैं उसे ड्रॉयिंग रूम में ले आउन्गा और तब तू ऐसे आना जैसे तू कुच्छ भूल गई. बस उसी समय मैं तुझे भी किसी बहाने से हमारे साथ शामिल कर लूँगा. फिर तो हमे आज़ादी मिल जाएगी सब करने की....'' कहते हुए बाबूजी ने कम्मो की कछि में हाथ डाल दिया.
''ओओओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबूजी आप कितने समझदार हो........मुझे तो आप की बात सुन के ही बेसब्री हो रही है.....आप जैसा बोलो मैं वैसे करती हूँ ...और फिर आपको दो चूतो का रस मिलेगा और मुझे भी एक नई चूत मिलेगी.....हाअए वैसे भी कितने दिन हो गए........म्म्म्मममम बाबूजी....अभी कर दो ना.....'' कम्मो उनकी बाहों में कसमसा रही थी.
''नही अभी तू जा सबके जाने का समय हो गया है.'' बाबूजी ने ये कहते हुए उसे बाहर भेज दिया.
10 - मिनट में ही सब बहुएँ और बच्चे रेडी हो गए और राजू और संजय सबको 2 कार्स में बिठा के ले गए. सुजीत उनको रेस्टोरेंट पे ही मिलने वाला था. उनके जाते ही कम्मो झट से बाबूजी के पास आई और पहली बार बिना पुच्छे ज़बरदस्ती उनके लंड के चुप्पे लिए और फिर घर से बाहर चली गई. दरअसल उसने ये इसलिए किया था कि बाबूजी का खड़ा लंड देख के सरला पागल हो जाए. पर उसे क्या पता था कि इस सब की ज़रूरत नही थी.