Sex Hindi Kahani गहरी चाल - Page 9 - SexBaba
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Sex Hindi Kahani गहरी चाल

सोफे के उपर जो खजुराहो की मूर्तियो की नकल थी उनमे से 1 खड़ी हुई नंगी लड़की की चूचियो को सहारे के लिए कामिनी ने थाम लिया.ठुकराल किसी दूध पीते कुत्ते की तरह उसकी चूत चाट रहा था.कामिनी मूर्ति की चूचियो को पकड़े बेचैनी से पानी कमर हिला रही थी.ठुकराल ने अपनी जीभ की रफ़्तार बढ़ा दी & उसके दाने पे गोल-2 चलाने लगा.कामिनी जैसे ही झड़ने को हुई उसने दाने को छ्चोड़ जीभ को चूत के अंदर घुसा दिया & घुमाने लगा.कामिनी उसकी इस हरकत से पागल हो गयी & मूर्ति को पकड़े हुए अपनी कमर आगे-पीच्चे करते हुए उसके मुँह पे झाड़ गयी.

ठुकराल ने उसका सारा पानी पी लिया & निढाल होकर उसकी गोद मे बैठती हुई कामिनी की कमर को थाम उसकी चूत को सीधा अपने लंड पे लगा दिया.जैसे-2 कामिनी नीचे होते गयी उसका मोटा लंड उसकी चूत मे घुसता गया,"..ऊओवव्व...!",कामिनी अभी-2 झड़ी थी & इतनी जल्दी लंड घुसने से उसकी चूत मे खलबली मच गयी.वो आगे हो ठुकराल के गले लग गयी & कमर हिलाने लगी.ठुकराल का लंड बहुत मोटा था & ना केवल उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था बल्कि उसकी मोटाई ने चूत को कुच्छ ज़्यादा ही फैला दिया था.

कामिनी के लिए इस वक़्त ठुकराल केवल 1 मर्द था-1 तगड़े लंड वाला मर्द & वो उसके जिस्म का पूरा मज़ा उठाना चाहती थी.ठुकराल के सर को अपनी बाहो मे भर वो आगे-पीछे हो उसे चोदने लगी तो ठुकराल ने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी गंद को थाम लिया & फिर उठ खड़ा हुआ.कामिनी उसे चूमने लगी तो वो उसे लिए हुए अपने बड़े से गोल बिस्तर पे आके बैठ गया.बैठते ही कामिनी फिर से कमर हिलाकर चुदाई करने लगी.

ठुकराल के हाथ उसकी पूरी पीठ & चौड़ी गंद को मसला रहे थे & उसके जिस्म मे 1 बार फिर फुलझाड़ियाँ छूटने लगी थी.उसने धकेल कर ठुकराल को बिस्तरा पे लिटा दिया & उसके सीने पे हाथ जमा कर उचक-2 कर चुदाई करने लगी.ठुकराल बदस्तूर उसकी गंद मसले जा रहा था.कामिनी मस्ती मे डूबी हुई आहे भरते हुए बस लंड पे कूदे जा रही थी.चूत मे तनाव बहुत बढ़ गया तो वो थोडा पीछे झुक गयी & बाए हाथ को ठुकराल की जाँघ पे रखा दिया & दाए को वैसे ही उसकी छाती पे रखे ज़ोर-2 से कमर हिलाने लगी.

ठुकराल ने बाए हाथ से उसकी गंद की फाँक को मसल्ते हुए दाए को उसके पेट पे रखा & उस हाथ के अंगूठे से उसके दाने को रगड़ने लगा.अब तो कामिनी की खुमारी बिल्कुल आख़िरी मंज़िल पे पहुँच गयी.उसकी आहे अब बहुत तेज़ हो गयी & उसकी कमर झटके खाने लगी-वो तीसरी बार झाड़ रही थी.

ठुकराल फ़ौरन उठ बैठा & उसकी कमर को जकड़ते हुए अपने होंठ पहली बार उसकी चूचियो से लगा दिए.झड़ती हुई कामिनी के लिए ये बहुत मज़ेदार एहसास था लेकिन उसका जिस्म 1 बारी मे इतने मज़े को जैसे बर्दाश्त नही कर पाया & वो ठुकराल को पीछे धकेलने लगी मगर ठुकराल उसकी अनसुनी करते हुए उसकी मोटी चूचियो को चूसने लगा.कामिनी अभी भी पहले की खुमारी से बाहर आई नही थी & अब 1 बार फिर ठुकराल उसे स्वर्ग की ओर ले जा रहा था.

ठुकराल के हाथ उसके पूरी पीठ पे से फिसलते हुए आगे आए & उसकी चूचियो को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.उसके होंठ चूमती हुई कामिनी करही & फिर से अपनी कमर हिलाने लगी.उसकी किस का जवाब देते हुए ठुकराल ने उसकी गंद को थामा & उसे पलट के अपने नीचे बिस्तरा पे लिटा दिया & उसपे चढ़ के उसकी चूचियो को मसलते हुए उसकी चूत मे बड़े गहरे धक्के लगाने लगा.

वो उसके चेहरे & गर्दन को चूमते हुए उसके सीने के उभारो पे अपनी जीभ फिराते हुए उन्हे अपने मुँह मे भरने लगा तो कामिनी & मदमस्त हो गयी & अपनी टाँगे हवा मे उठा दी.ठुकराल ने जी भर के उसकी कसी हुई,मोटी चूचियो को मसला & चूसा & फिर अपने घुटनो पे खड़ा हो उसके हवा मे उठाए पैरो को पकड़ कर चोदने लगा.चोद्ते हुए उसने कामिनी की टांगो को आपस मे सटा कर सीधा खड़ा कर दिया.ऐसा करने से उसकी पहले से ही कसी चूत जैसे और कस गयी & उसका मोटा लंड उसकी चूत की दीवारो को और ज़्यादा रगड़ने लगा.

"हाइईईईई....आऐईयईईई....ऊऔुउईई....ऊओफफफफ्फ़....!",कामिनी अब आहे नही भर रही थी बल्कि चिल्ला रही थी.ठुकराल ने उसकी टाँगे पकड़ी & दोनो को दाई तरफ गिरा दिया,अब कामिनी का कमर से नीचे का हिस्सा मानो दाई करवट पे लेटा हुआ था & उपरी बदन सीधा.थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद ठुकराल ने पैंतरा बदला & कामिनी को पूरी तरह से दाई करवट पे करते हुए उसके पीछे खुद भी करवट से लेट गया & वैसे ही चोदने लगा.

उसने कामिनी की दाई टांग उठा के उसके नीचे से अपना दाया हाथ घुसा के उसकी जाँघ को उठा के बहुत ज़ोर से गहरे धक्के मारने लगा.ठुकराल इतनी ज़ोर से धक्के मार रहा था की वो पीछे होके बिस्तर पे लेट सा गया था.कामिनी ने अपना उपरी बदन घुमाया & दाए हाथ मे उसकी गर्दन को पकड़ कर खुद की ओर खींचा तो ठुकराल उसका इशारा समझते हुए उसे चूमने लगा.अब ठुकराल की भी मस्ती बहुत बढ़ गयी थी.उसने अपना दाया हाथ कामिनी की चूत के दाने पे लगा के रगड़ा तो कामिनी फिर से झाड़ गयी.

ठुकराल बिना लंड खींचे फिर से अपने घुटनो पे आ गया.अब कामिनी करवट पे थी & ठुकराल उसकी गंद पकड़े उसे चोद रहा था.कामिनी थोड़ा घूमते हुए आहे भरती हुई उसके सीने के बाल बेचैनी से नोचने लगी & वो कभी उसकी मोटी गंद तो कभी उसकी चूचियो को मसलते हुए धक्के मार रहा था.उसके आंडो मे मे अब मीठा दर्द होने लगा था मगर वो कामिनी को 1 बार और झाड़वाना चाहता था.

कामिनी ने भी उसे ज़्यादा इंतेज़ार नही कराया,उसकी चूत का तो बुरा हाल था.इस मोटे लंड ने उसे जैसे मस्ती मे उड़ाया था वैसे तो षत्रुजीत सिंग ने भी नही किया था.उसके चूत से लेके गले तक मानो कुच्छ भर सा गया था जोकि बाहर आना चाहता था.उसने दाया हाथ बढ़ा के ठुकराल को अपने उपर खींचा & उसके होंठो से अपने होठ सटा दिए.उसकी चूत मे खलबली मच गयी & वो सारा तनाव वो भरा हुआ एहसास जैसे बाहर आने लगा.ठुकराल बाए हाथ से उसकी गंद को दबाते हुए बाए से उसकी चूचियो को मसलते हुए उसे चूम रहा था जब कामिनी की चूत उसके लंड पे बहुत कस गयी & उसके गले से सिसकारिया निकलने लगी.

ठुकराल समझ गया की वो झाड़ रही है.कामिनी के नाख़ून उसकी पीठ छेद रहे थे & तभी उसके अंदो का मीठा दर्द भी जैसे बिल्कुल चरम पे पहुँच गया.उसके जिस्म के बाँध खुल गये & उसके आंडो मे उबाल रहा लावा बलबला के बाहर आ गया & कामिनी की चूत मे भरने लगा.दोनो बहुत ज़ोर से आहे भरते हुए 1 दूसरे से चिपके झाड़ रहे थे.दोनो ने अपने जिस्मो मे ऐसा एहसास पहले कभी नही महसूस किया था & दोनो ही जानते थे की ये तो बस शुरुआत है अभी उनके पास पूरे 2 दिन पड़े थे.

क्रमशः........................
 
गहरी चाल पार्ट--35

गतान्क से आगे...............

"आनन्नह...उउउन्न्ह...!"

"ऊहह...आहह..!"

1 बार फिर कामिनी & ठुकराल 1 साथ झाड़ रहे थे.

"कामिनी..",ठुकराल बिस्तर पे लेटी कामिनी के उपर चढ़ा हुआ था & उसके गाल सहला रहा था.

"हूँ.",कामिनी की आँखे बंद थी & चेहरे पे बहुत ही संतोष का भाव था.

"मैने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत & मस्त लड़की नही देखी!",ठुकराल ने आज तक ना जाने ये बात कितनी ही लड़कियो से कही थी मगर कहते वक़्त उसके दिल मे सच्चाई शायद आज से पहले कभी नही थी.उसने अपने दिल मे तय कर लिया था की उसे वो अपनी रानी बना के रखेगा.आजतक उसके हराम मे सैकड़ो लड़किया आई थी मगर उसने किसी को भी अपनी बाँदी से ज़्यादा नही समझा था.ये पहली लड़की थी जिसके लिए उसके दिल मे ऐसा ख़याल आया था.उसने सोच लिया था की षत्रुजीत सिंग के जैल जाते ही वो शॅरन को किनारे कर कामिनी को अपने इस घर मे ले आएगा.ऐसा नही था कि अब वो दूसरी लड़कियो को नही चोदेगा मगर दिल ही दिल मे उसे पता था कि कामिनी को इस बात पे कोई ऐतराज़ नही होगा बल्कि वो तो शायद इसमे उसका साथ भी दे.

"मैने भी तुम्हारे जैसे जोशीले मर्द से आजतक नही मिली,जगबीर.",ठुकराल के होंठो पे मुस्कान फैल गयी & वो उठने को हुआ,"..कहा जा रहे हो?",कामिनी ने उसकी बाहे पकड़ ली,"..ऐसे ही रहो ना..कितना सुकून मिल रहा है..आज तक कोई मर्द मेरे जिस्म की उन गहराइयो तक नही पहुँचा जहा तुम पहुँचे हो.",कामिनी ने अपनी बाहे उसकी पीठ पे कस दी तो ठुकराल 1 बार फिर उसके उपर लेट गया,"..हां..ऐसे ही रहो..हमेशा मुझे इसी तरह अपनी बाहो मे रखना,जगबीर..हमेशा!",ठुकराल झुक कर उसके गुलाबी होंठो को चूमने लगा & दोनो 1 बार फिर से मस्ती के समंदर मे गोते लगाने लगे.

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"मिस्टर.मुकुल?"

"जी,हां.कहिए?"

"मैं संजीव मेहरा बोल रहा हू."

"हां,मेहरा साहब,कहिए."

"मैने कामिनी जी का फोन ट्राइ किया था मगर उनसे बात नही हो सकी.उन्होने मुझसे कहा था कि शायद वीकेंड पे उनसे बात ना हो पाए & इसलिए उन्होने मुझे आपका नंबर दिया था."

"जी,मेहरा साहब,मुझे पता है.मेडम आज शहर से बाहर हैं इसलिए आपसे बात नही हो पाई.कहिए क्या कहना था आपको?"

"उन्होने मुझे 1 काम दिया था,वो हो गया है."

"यानी की सर,आपको कॉल डीटेल्स मिल गयी हैं?"

"जी,अब ये बताइए कि उन्हे आप तक कैसे पहुचाऊं?"

"सर,आप हमारे ऑफीस क्यू नही आ जाते?"

"अभी आ जाऊं?"

"ज़रूर,सर."

"ठीक है.मैं थोड़ी देर मे पहुँचता हू."

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"मेहरा साहब,थोड़ी मेरी मदद कीजिए.",ऑफीस मे संजीव मेहरा के लाए काग़ज़ो को मुकुल पलट रहा था.

"हां,बोलिए."

"आप इनमे से जिन फोन नंबर्स के बारे मे जानते हैं उनके बारे मे इस पॅड पे लिख दीजिए."

"ओके.",5 मिनिट के अंदर ही मेहरा साहब ने ये काम कर दिया.

"थॅंक्स,सर..",मुकुल पॅड को & कॉल डीटेल्स को मिलाने लगा,"..ये आपका नंबर है,ये करण जी का..ये आवंतिपुर मे शीना जी के पापा का है..ये उनकी बुआ का..ह्म्म....सर,ये नंबर भी इंडिया का ही लगता है,है ना?",उसने कॉल डीटेल्स मे से 1 नंबर के नीचे पेन से लाइन खींची.

"हां,लगता तो है..& इस्पे शीना लगभग रोज़ बात भी करती रही है."

"जी,सर & या तो वो फोने करती थी या इस नंबर से फोन उन्हे किया जाता था मगर लंडन से यहा आने से 10 दिन पहले से इस नंबर पे कोई फोन नही किया गया ना ही नंबर से कोई फोन हुआ."

"इसका क्या मतलब है,मुकुल जी?"

"सर,असली मतलब तो थोड़ी और छानबीन के बाद पता चलेगा,मैं अभी आपको केवल इतना बता सकता हू कि बहुत जल्द करण जी लॉक-अप के बाहर आपके साथ होंगे."

"सच?"

"हाँ,सर.मगर प्लीज़ भूल कर भी आप उनसे या शीना जी से या फिर किसी और से इस बात का ज़िक्र मत कीजिएगा.केस जीतने के लिए ये बहुत ज़रूरी है."

"आप बेफ़िक्र रहें मुकुल जी,मेरे होठ सिले हुए हैं..अच्छा अब मैं चलु."

"ओके,सर."

उनके निकलते ही मुकुल ने मोहसिन जमाल को फोन मिलाया,"मोहसिन भाई!मुकुल बोल रहा हू,1 काम है..आपके दफ़्तर आ जाऊं?"

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"ऊहह..क्या कर रहे हो?!..ये लो.",कामिनी बार पे खड़ी ठुकराल की ड्रिंक बना रही थी जब उसने उसे पीछे से बाहो मे कस लिया.उसकी कमर को बाए हाथ मे थामे उसने दाए से ग्लास लेके पहले 1 घूँट भरा फिर कामिनी के होंठो से सटा दिया,"ना..!मैं विस्की नही पीती..बस वाइन पीती हू.",ठुकराल का लंड उसकी गंद की दरार मे अटक गया था.दोनो अभी कोई 3 घंटे बाद सोके उठे थे & ठुकराल के लंड के एहसास ने कामिनी की चूत मे फिर से खाल बली मचा दी थी.

"..तो ठीक है..आज मैं भी इसे नही पियुंगा.",ठुकराल ने ग्लास किनारे रख दिया & पीछे से ही उसकी चूचिया दबाते हुए उसके चेहरे & गर्दन को चूमने लगा,"ऑफ..ओह्ह...बस..हो गया..!",कामिनी शोखी से मचलने लगी.

"अभी-2 1 बात पता चली है.",ठुकराल ने उसकी दाए घुटने को उठा के बार पे रख दिया तो कामिनी आगे को झुक गयी.

"क्या,जगबीर?..ऊओह..!",ठुकराल अब बाए हाथ से उसकी मखमली पीठ सहला रहा था & दाए की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर कर रहा था.

"तुम्हारा आशिक़ तो बहुत मायूस हो गया है तुम्हारे जाने के बाद..",वो बहुत तेज़ी से उंगली से उसकी चूत मार रहा था & कामिनी अब पूरी तरह से बार पे अपनी छातिया दबाए झुकी हुई आहे भर रही थी.उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया था.

"होने दो...आआन्न्न्नह....!",ठुकराल ने उसके रस से भीगी उंगलिया बाहर निकाली & उसके गंद के छेद मे घुसा दी,"..ऊऊव्व्वव..!"....वाहा नही,जगबीर..प्लीज़..!",उसे मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर फिर भी उसने डरने का नाटक किया.

"घबराओ मत,जानेमन!..कुछ नही होगा..मैं बहुत प्यार से करूँगा..ये देखो.",ठुकराल ने अपने लंड पे ठुका & उसके सूपदे को कामिनी की गंद के छेद पे रख के धक्का दिया,"..हााईयईईईईई....राआअम्म्म्म्म.....!",कामिनी चीखी & उसने बार को कस के जाकड़ लिया.
 
ठुकराल ने बहुत धीरे-2 उसकी गंद की फांको को फैला कर लंड को थूक से गीला कर-2 के अंदर घुसाना जारी रखा.थोड़ी ही देर मे लंड तीन चौथाई अंदर था,"..ऊओह....हाईईईई....बस जगबीर अब और अंदर नही जाएगा....आअनन्नह....!",कामिनी ने सच कहा था,ठुकराल का लंड कुछ ज़्यादा ही मोटा था,अगर वो उसे और अंदर पेलने की कोशिश करता तो थोड़े दर्द & बहुत से मज़े के बजाय केवल दर्द ही दर्द रह जाता.

"ठुकराल अब उसकी पीठ से सॅट गया & उसकी चूचिया मसलने लगा,"..बस हो गया,जानेमन.",उसके बाद वो हल्के-2 धक्को से उसकी गंद मारने लगा.गंद मारते हुए उसने बाए हाथ से उसकी चूचियो को दबाना जारी रखा मगर दाया उनसे हटा के उसकी चूत के दाने पे ले आया.कामिनी का दर्द भी अब कम हो गया था & मस्ती का नशा उसके दिलोदिमाग पे छाने लगा था,"..आआहह....हाऐईइ...1 बात बताओ..जाग..बीर..ऊओ..!"

"बोलो,मेरी रानी.",उसकी कसी गंद ने ठुकराल के लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की पुछो मत.उसके अंडे बिल्कुल कस गये थे & उसे 1 बहुत मीठे दर्द का एहसास हो रहा था.

"तुम्हे शत्रु.....जीत सिंग के बा..रे मे...ऊहह.....1-1 बात कई...से माल...उम हैई....पद जाती है?कोई जा..सूस रखा है क्या?"

"हां,मेरी जान.वो भी उसके घर के अंदर."

"ऊहह...माआ...!आराम से करो...ना..!कौन है वो?"

"है कोई.",ठुकराल उसके दाने को तेज़ी से रगड़ रहा था & अब कामिनी भी मस्ती मे कमर हिला रही थी.

"नही..बताओगे...आअहह...मत बताओ...मैं जान..ती...उउउहह...हू कौन है!"

"अच्छा,बताओ कौन है?",ठुकराल ने ज़िंदगी मे ऐसी चौड़ी,मस्त & कसी गंद नही मारी थी & वो भी अब अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.

"टोनी.",ठुकराल रुक गया,"तुम्हे कैसे पता?"

"ऊहह..रुक क्यू गये..",कामिनी ने बनावटी गुस्से से गर्दन घुमा के उसे देखा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद पे रख के अपनी ओर खींचा,"चिंता मत करो.शत्रुजीत के यहा किसी को उसपे शक़ नही है,उल्टा सब उसे बहुत शरीफ समझते हैं मगर उसकी यही शराफ़त मेरी नज़रो मे खटक गयी."

"कैसे?"

"ऑफ..ओह!जगबीर..तुम्ही बताओ आज के ज़माने मे कोई ऐसा नेक्दिल इंसान हो सकता है जो 2 दिन से भूखा हो फिर भी नोटोसे भरा पर्स ठुकरा दे..फिर आम नौकरो की तरह कोई छुट्टी नही लेता..अरे कितना भी तन्हा इंसान क्यू ना हो..खुद के लिए तो वक़्त चाहिए ना उसे!तुम मत घबराओ मुझे तो केवल शक़ था तुमने अभी यकीन दिला दिया.मैने किसी को नही बाते है उसके बारे मे & अब तो बताने का सवाल भी नही उठता....अब करो ना..प्लीज़!"

ठुकराल ने फिर से उसकी चूत से खलेते हुए उसकी गंद मारना शुरू कर दिया & 1 बार फिर कामिनी की आहो से हॉल गूँज उठा,"मान गये आपको,आड्वोकेट कामिनी शरण.सचमुच आपके पैने दिमाग़ का जवाब नही!",ठुकराल बहुत ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.

"आअनह...तुम्हारे सामने कुच्छ भी नही जानेमन..मैं तो बस सोचती & बोलती हू....ऊउउईईई..हान्न्न्न्न...तुम तो कर..के दिख..आते हो......मेरी जाआआअन्न्न्न..!",कामिनी को बहुत मज़ा आ रहा था..ठुकराल आदमी जितना भी कमीना हो चुदाई मे महारथी था.कामिनी का रोम-2 खिल गया था इस आदमी की चुदाई से & 1 बार फिर वो अपनी मंज़िल की ओर उड़ी चली जा रही थी,"जान..तुम्हे..ये..आदमी..मी...ला का..इसे?"

"उसकी बीवी के ज़रिए.",ठुकराल की उंगली & कमर-दोनो की रफ़्तार बढ़ गयी थी.

"क्या उसे भी...हाईईईईई...तुमने अपन दी..वाना..बना..लिया..मे..री तरह...?"

"हां,जानेमन."

"ऊहह...ऊउईईइ....चलो झू..ठे..!",ठुकराल की उंगली ने उसके दाने को ऐसे रगड़ा की कामिनी की चूत ने बस पानी की धार पे धार छ्चोड़ना शुरू कर दिया,"ऊहह...हाईईईई.....!",वो झाड़ रही थी & उसके पीछे उसकी कमर थामे ठुकराल भी अब बड़े गहरे धक्के लगा रहा था,"तुम्हे यकीन नही आता?"

"उउन्ण..उउन्न्ह..ना!",कामिनी बार पे सर झुकाए पड़ी थी & उसके धक्के झेल रही थी.

"ठीक है.मेरी रानी.कल अपनी आँखो से देखना.",ठुकराल ने उसकी कमर को थाम 1 ज़ोरदार धक्का लगाया & उसकी गंद को अपने गाढ़े पानी से भर दिया.

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"हेलो."

"हां,मुकुल.मोहसिन बोल रहा हू."

"बोलिए मोहसिन भाई."

"तुम्हारे दिए नंबर के बारे मे पता चल गया."

"हैं!इतनी जल्दी!",मुकुल ने अभी 3 घंटे पहले ही तो उसके दफ़्तर मे उसे नंबर के बारे मे बताया था.पता नही मोहसिन ऐसे काम करता था! या नही

"हाँ,भाई.कोई शक़ है क्या?"

"नही-2,मोहसिन भाई.आप ग़लत समझ रहे हैं.अब आपके लिए ये सब बाए हाथ का खेल है मेरे जैसा इंसान तो हैरान ही होगा ना!"

मोहसिन हंसा,"मेरे भाई,अपनी हैरानी को नंबर के मालिक का नाम सुनने के लिए बचा के रखो."

"कौन है वो?",नाम सुन के सचमुच मुकुल की हैरानी की सीमा नही रही,"..& सुनो मुकुल,मैने उस नंबर के भी कॉल डीटेल्स निकलवा लिए हैं.सब तुम्हे कल दे दूँगा.देख लेना,हो सकता है उसमे से भी कुच्छ काम की बात पता चल जाए."

"ओके,मोहसिन भाई."

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"..उउन्न्ह....ऊओह.....!",कामिनी बिस्तर पे पड़ी हुई थी & उसकी फैली टांगो के बीच लेटा ठुकराल उसकी चूत चाट रहा था.कामिनी का दाया हाथ उसके सर पे उसके बालो से खेल रहा था & बाए से वो अपनी चूचिया दबा रही थी.उसने सर घुमा के दीवार घड़ी की ओर देखा,शाम के 4 बज रहे थे.कल दोपहर 12 बजे से वो नगी इस आदमी के साथ इस हॉल मे बंद थी,दोनो जम के 1 दूसरे के जिस्मो का लुत्फ़ उठाया था मगर इस आदमी के जोश मे कोई कमी नही आई थी.कामिनी को इंतेज़ार था अब शॅरन का.ठुकराल ने कल रात ही उसे बताया था की वो टोनी की बीवी थी & कैसे उसने उसे अपने जाल मे फांसा था.

तभी ठुकराल का इंटरकम बजा मगर ठुकराल ने उसपे कोई ध्यान नही दिया मगर खुमारी के उस आलम मे भी कामिनी को होश था,"जगबीर.."

"हूँ.",ठुकराल वैसे ही उसकी गंद की फांको को सहलाता हुआ उसकी चूत मे जीभ चला रहा था.

"इंटरकम बज रहा है."

"बजने दो.",कहके वो फिर चूत पे जुट गया.

"उउन्न्ह..कुच्छ ज़रूरी भी तो हो सकता है..जाओ देखो."कामिनी ने उसके बाल पकड़ के सर चूत पे से उठाया.

ठुकराल ने मुस्कुरा के उसे देखा & बिस्तर से उतर के मेज़ पे रखे इंटरकम के रिसीवर को उठाया,"बोलो,माधो."

कामिनी भी बिस्तर से उतर कर उसके पीछे से उसे अपनी बाहो मे घेर कर उसके कंधे से सर लगाके खड़ी हो गयी,"अच्छा ठीक है..उसे आने दो."

उसने रिसीवर रखा & दाया हाथ पीछे ले जाके कामिनी को अपने सामने किया,"वो आ गयी है..अब तुम खुद ही देख लेना."

"ठीक है मगर कैसे?कहा से देखु?"

ठुकराल ने चारो तरफ नज़र दौड़ाई,"हां..बार के पीछे चुप जाओ..वाहा से बिस्तर साफ दिखेगा..देखना कैसे वो खुद मेरी बाहो मे आती है."

"ठीक है.",कामिनी ने अपना बुर्क़ा,ड्रेस,पॅंटी,बूट्स & पर्स समेटा & जल्दी से बार के पीछे छुप गयी.

"आओ,जान..कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हू!कितनी देर कर दी तुमने!",ठुकराल बिस्तर पे नंगा लेटा हुआ था.कामिनी ने अपने पर्स से अपना मोबाइल निकाला & उसका कॅमरा ऑन कर दिया.उसने देखा कि वही लड़की जिसका & टोनी का वीडियो उसे मोहसिन ने दिया था,आ के ठुकराल से लिपट गयी.

"ओह्ह..जगबीर..",उस लड़की ने गुलाबी कलर की घुटनो तक की स्लीवेलेस ड्रेस पहनी हुई थी जिसके उपर से ठुकराल उसकी पीठ पे अपने हाथ चला रहा था.

अचानक वो लड़की उसकी बाँहो से निकली & बिस्तर के किनारे पे बैठ गयी.अब उसका चेहरा छिपि हुई कामिनी की ओर ही था,"मुझ से अब और नही होता,जगबीर."

"क्या मेरी जान?",ठुकराल ने उसके पीछे से आकर उसके दोनो तरफ अपनी टाँगे बिस्तर से लटका दी & उसके कंधो को दबाने लगा.

"तुम जानते हो मैं क्या कह रही हू.मैं अब टोनी के साथ ये नाटक और नही कर सकती."

"बस कुछ ही दीनो की बात है,शॅरन."ठुकराल ने उसकी ड्रेस के स्ट्रॅप्स को नीचे कर दिया & उसके नंगे कंधो को सहलाने लगा,"..1 बार शत्रुजीत सिंग मेरे रास्ते से हट जाए बस!उसके बाद सिर्फ़ तुम और मैं & तुम्हारा बेटा.",ठुकराल ने उसके ब्रा स्ट्रॅप्स को भी नीचे कर के उसकी चूचियो को नुमाया कर दिया.

"फिर भी..-"

"देखो,शेरन तुम टोनी की बीवी हो..",ठुकराल उसकी चूचियो से खेल रहा था & शॅरन ने भी थोडा घूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसके लंड को थाम लिया था,"..अगर उस से नही मिलॉगी तो उसे शक़ होगा & वो सारा प्लान चौपट कर सकता है फिर हम कभी 1 नही हो पाएँगे."

"जगबीर,मैं उसे अब अपना पति नही मानती..मैं तुम्हे अपना सब कुछ मानती हो..उस आदमी के साथ सोना...",शॅरन के चेहरे पे बहुत दर्द का भाव था,"..& वो तो कुच्छ और ही कहता है..कहता है की प्लान ख़त्म होने के बाद वो मुझे लेके यहा से दूर चला जाएगा!"

"रहने दो उस बेवकूफ़ को इस ग़लतफहमी मे!तुम्हे क्या जाता है,शॅरन मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा उसके पास जाना.",ठुकराल उसकी चूचियो से खेलता हुआ उसकी आँखो मे झाँक रहा था.कामिनी उसकी आक्टिंग की दाद दिए बिना नही रह सकी,"..मेरी जान,बस कुच्छ दिन और प्लीज़..मेरी खातिर.",ठुकराल ने उसकी ड्रेस मे नीचे से हाथ घुसा दिया.

"नही,जगबीर..अभी नही..उस..उस नीच का मैल अभी भी वाहा है..मैं इसे सॉफ करके अभी आती हू.",शॅरन उठी & ऐषगाह से बाहर चली गयी.

"मान गये उस्ताद आपको!",तालिया बजाती कामिनी की आवाज़ सुनके ठुकराल अपने पीछे देखा की कामिनी अपनी ड्रेस का ज़िप उपर कर रही है.

"ये क्या जान!कपड़े क्यू पहन लिए?"

"कामिनी नेबोत्स के ज़िप्स को लगाया & अपने बुर्क़े मे बाँहे डाली,"वक़्त हो गया है,जानम.अब तुम्हारी उस छम्मक छल्लो जिसे तुमने इतना बड़ा झांसा दिया हुआ है देखा लिया तो सारा खेल बिगड़ नही जाएगा!"

"ये तो है.",करीब आके उसने कामिनी को बाहो मे भर लिया.

"इसलिए हुज़ूर अभी मेरा जाना ही ठीक होगा..& फिर ये तो शुरुआत है..अभी तो हमे पता नही ऐसे ही कितने और सुहाने पल 1 साथ बिताने हैं."

"उउंम्म...बस..आज के लिए इतना काफ़ी है.",ठुकराल ने जब उसे कोई 5 मिनिट तक बाँहो मे भर के चूम लिया उसके बाद कामिनी ने उसे परे धकेल दिया.थोड़ी ही देर मे वो जैसे आई थी वैसे हीमाधो के साथ ठुकराल की कार मे वाहा से निकल गयी.देर शाम घर पहुँच के कामिनी के मन मे दोनो केसस को सुलझा लेने की खुशी थी मगर साथ ही अब 1 और बात थी जिसके लिए उसे विकास & जड्ज रस्टों कवास की मदद लेनी थी.

उसने कपड़े उतारे & अपने बाथटब के गुनगुने,खुशाबूदार पानी मे बैठ गयी..वो काम कल होना था,आज तो उसे बस आराम करना था ..आख़िर उसने इतनी मेहनत जो की थी 2 दिन!

क्रमशः.....................
 
गहरी चाल पार्ट--36

"ये क्या कह रही हो,कामिनी!",विकास हैरत से उसे देख रहा था.

"प्लीज़ विकास..मेरी बात समझ..अगर ऐसा नही किया तो असली मुजरिम क़ानून की पकड़ से भाग सकता है.",कामिनी उसके ऑफीस मे बैठी थी.

"विकास,हम दोनो की राहे अलग हो गयी हैं मगर दोनो अभी भी क़ानून की रखवाली को अपना फ़र्ज़ ही नही धर्म भी मानते हैं & क़ानून क्या ये नही कहता की 1 मासूम को हमेशा इंसाफ़ मिलना चाहिए."

"क्या जड्ज कवास इस बात के लिए तैय्यार होंगे?"

"अगर दोनो मिलके उनसे बात करे तो शायद मान जाएँ."

"ठीक है,चलो उनसे मिलते हैं."

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"आप समझ रही हैं,कामिनी आप क्या कह रही हैं?ऐसा पहले कभी नही हुआ है & अगर कुच्छ गड़बड़ हुई तो मेरी ज़िंदगी भर की कमाई हुई इज़्ज़त सब मिट्टी मे मिल जाएगी."

"मुझपे भरोसा रखिए,सर.अगर ज़रूरी नही होता तो क्या मैं कभी ऐसी अजीब बात करती."

"ओके,पर्मिशन ग्रॅंटेड."

"थॅंक यू सो मच,सर."

आख़िर कामिनी ने दोनो को मना ही लिया था दोनो केसस की सुनवाई 1 साथ करने के लिए.यही 1 तरीका था जिस से वो असली मुजरिम को पकड़े जाने की भनक भी नही लगने दे सकती थी.शायद ही कभी पहले ऐसा हुआ हो-2 केसस की सुनवाई 1 साथ 1 ही कोर्टरूम मे!

अब उसे जगबीर ठुकराल को अदालत मे बुलाने के लिए मनाना था,तभी उसका मोबाइल बजा,देखा तो ठुकराल का ही नंबर था..शैतान का नाम लो & शैतान हाज़िर!

"कहिए जनाब.",कामिनी ने बड़ी अदा से कहा.

"क्या कहें!हम तो आपकी जुदाई मे पागल हो रहे हैं."

"अब क्या कर सकते हैं!",कामिनी ने आह भारी,"..हमारी तक़दीर ही ऐसी है.",इतने नाटकिया ढंग से बात कही गयी की दोनो हंस पड़े.

"वैसे तुम्हारा क्लाइंट तो अब खुद अपने केस की पैरवी करने की सोच रहा है.अब क्या होगा?"

"कुच्छ नही होगा,जगबीर डार्लिंग.मैं उसे किसी ना किसी तरह मना लूँगी.देखो कल ही उसके केस की पेशी है & इतनी जल्दी वो कुच्छ तैय्यारि भी नही कर पाया होगा..अगर बुरा ना मानो तो 1 बात कहु."

"क्या मेरी जान?"

"तुम कल कोर्ट आ सकते हो?"

"मैं!क्यू?"

"देखो,मैने सोचा है कि शत्रुजीत को अपना गुनाह मानने के लिए तैय्यार कर लू & फिर उसे थोड़ी हल्की सज़ा देने के लिए जड्ज से कहु.मैं चाहती हू क़ी तुम उसकी अच्छाई के बारे मे कहो..लोग तुम्हे उसका दुश्मन समझते हैं,ऐसे मे तुम्हारा उसके साथ खड़ा होने से उसकी सज़ा तो कम होगी ही तुम्हारी भी इज़्ज़त लोगो की नज़रो मे बढ़ जाएगी."

"मान गये,वकील साहिबा!अब तो तुम्हे किसी एलेक्षन का टिकेट देना ही पड़ेगा."

"ओह्ह..थॅंक्स जगबीर!तो तुम आओगे ना!"

"हां,जानेमन."

"आइ लव यू,जगबीर डार्लिंग..",कामिनी ने थोड़ी देर उस से और उस से प्यार भरी बातो का नाटक किया & फिर फोन रख दिया.अब बस 1 ही काम बाकी था-आंतनी डाइयास को अपनी तरफ करने का.

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"टोनी."

"ह्म्म.",सिगरेट जलते टोनी ने पलट के देखा तो मुकुल को खड़ा पाया.

"तुम..यहा..क्या काम है?",टोनी ने सुनसान सड़क की ओर इशारा किया,शाम के 8 बजे शत्रुजीत के बंगल के पीछे के रास्ते पे शायद ही कोई आता था.

"मुझे नही मेडम को काम है.",मुकुल ने पीछे खड़ी कामिनी की कार की ओर इशारा किया.

"जी,कहिए.",कामिनी ने कार का शीशा नीचे किया तो टोनी ने पुचछा.

"अंदर बैठो टोनी,तुम्हे कुच्छ दिखाना है.",कामिनी ड्राइविंग सीट पे बैठी थी & उसने बगल की सीट का दरवाजा खोल दिया.टोनी 1 बार तो हिचकिचाया मगर फिर बैठ गया,"दिखाइए."

"यह देखो..",कामिनी ने अपने फोन को ऑन कर ठुकराल & शॅरन की बातचीत की रेकॉर्डिंग प्ले कर दी.जैसे-2 क्लिप आगे बढ़ती गयी टोनी के चेहरे पे गुस्से,शर्म & दुख के मिले-जुले भाव गहरे होते गये.उसने कामिनी का फोन छीनना चाहा मगर कामिनी फुर्ती से उसे किनारे कर दिया.

"ये क्या बकवास है!",वो चिल्लाया,"..तुम मुझे बेवकूफ़ बना रही हो..ये सब झूठ है..हां!तुमने कंप्यूटर से ये नकली क्लिप बनाई है."

"अच्छा.",उसने टोनी के दरवाज़े के बाहर खड़े मुकुल को इशारा किया तो उसने पिच्छली सीट से लॅपटॉप उठाया & उसे ऑन करके टोनी & शॅरन के होटेल रूम की रेकॉर्डिंग दिखा दी,"अब इसे भी झूठ कह दो,टोनी."

"मुझे कुच्छ समझ मे नही आ रहा.",टोनी अपने हाथो मे अपना चेहरा च्छूपा के झुक गया.उसके हिलते बदन को देख कामिनी समझ गयी को वो रो रहा था.

"टोनी..",उसने उसकी पीठ पे हाथ रखा,"..मैं समझती हू तुम्हारे उपर क्या बीत रही है..यकीन मानो मुझे पता है बेवफ़ाई का दर्द क्या होता है..मगर शॅरन क्या करती?तुम्ही बताओ.."

"..1 औरत को अपने पति से क्या चाहिए होता है,टोनी..प्यार,इज़्ज़त?..हां..मगर इन सब से भी ज़्यादा ज़रूरी चीज़ है सुरक्षा..सेफ्टी..उसके आने वाले कल की उसके बच्चे की..तुमने उसे ये सुरक्षा दी थी ..कभी नही..क्या तुम 1 अच्छे बाप हो टोनी..नही..जब कमाया तो राजा की तरह जीने लगे नही तो फकीर से भी बदतर ज़िंदगी..ऐसे मे अगर शॅरन को उसके & तुम्हारे बेटे के लिए ठुकराल मे वो सेफ्टी नज़र आई तो इसमे उसकी क्या ग़लती है?"

"..मगर मैं भी तो ये सब उसी के लिए कर रहा हू..",टोनी ने अपने हाथ हटाए तो उसका आसुओं से भीगा चेज़रा नज़र आया.

"हां..मैं जानती हू मगर शॅरन को तुमपे भरोसा नही रह गया था & फिर तुम ठुकराल को नही जानते..वो बहुत चालक & शातिर इंसान है..तुम दोनो के भरोसे के साथ खेल अकर वो अपना मतलब निकाल रहा है."

"मैं क्या करू अब?..मेरी तो दुनिया लूट गयी."

"नही,अभी भी वक़्त है..मैं जैसा कहती हू वैसा करो..मैं शॅरन & ठुकराल के रिश्ते की बात किसी के सामने नही आने दूँगी..भरोसा रखो टोनी,ये राज़ सिर्फ़ हम तीनो के बीच ही रहेगा..केस ख़त्म होने के बाद मैं तुम दोनो & तुम्हारे बच्चे का सही बंदोबस्त कर दूँगी..तुम मुझे सब कुच्छ शुरू से बताओ."

"ठीक है."

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रात 11 बजे तक कामिनी ने दोनो केसस से जुड़े सारे सबूत इकट्ठा कर लिए थे & अब कल के लिए वो पूरी तरह से तैय्यार थी.अब बस सवेरे सुनवाई से पहले उसे शत्रुजीत से बात करनी थी,पिच्छले 1 हफ्ते तक वो उसके रवैय्ये के चलते काफ़ी परेशान रहा होगा मगर अगर कल सब कुच्छ ठीक रहा तो कल उसे भी सारी असलियत पता चल जाएगी.कल....बस अब कल का इंतेज़ार करना था और कुच्छ नही..!
 
गहरी चाल पार्ट--37

"जीत..",कामिनी अदालत के अहाते मे अब्दुल पाशा & टोनी के साथ अपनी कार से उतरते षत्रुजीत सिंग के पास पहुँची,"..मुझे तुमसे अकेले मे कुच्छ बात करनी है.",शत्रुजीत ने पाशा & टोनी की तरफ देखा तो वो उसका इशारा समझ कर वाहा से हट गये.

"अब कहने को क्या बाकी रहा है,कामिनी."

"बहुत कुच्छ,जीत.वो सब 1 नाटक था."

"क्या?!"

"हां,जीत..",कामिनी उसे अदालत के अंदर ले जा रही थी,"..तुम 1 शातिर इंसान की गहरी चाल के शिकार हुए हो."

"सॉफ-2 बोलो कामिनी,पहेलियाँ मत बुझाओ.",शत्रुजीत की आवाज़ मे परेशानी,बेसब्री & चिंता के भाव घुले हुए थे.

"बस थोड़ा सब्र रखो,जीत & अपने केस की पैरवी खुद करने की बात दिमाग़ से निकाल दो."

"तुम्हे ये बात कैसे पता चली?",शत्रुजीत चौंका.

"थोड़ी देर मे तुम्हे सब मालूम चल जाएगा,बस मुझ पे भरोसा रखो,मेरी जान.",दोनो उस कमरे मे आ गये थे जहा सुनवाई शुरू होने से पहले मुलज़िम बैठते थे.कमरा बिल्कुल खाली था & कामिनी ने मौका पाके जल्दी से उसके होंठो पे 1 किस ठोंक दी.

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जड्ज रस्टों कवास के कोर्टरूम मे दाखिल होते ही सभी मौजूद लोग उठ के खड़े हो गये,"प्लीज़ बी सीटेड.",कवास अपनी सीट पे बैठ गये.

"मैं देख रहा हू कि आप सभी लोगो को चेहरो पे हैरानी के भाव हैं..",दोनो केसस से जुड़े लोगो को हैरत हो रही थी की आख़िर उन्हे 1 साथ 1 ही कोर्टरूम मे क्यू बिठाया गया है,"..पर दोनो तरफ के वकिलो की गुज़ारिश पे ऐसा किया गया है..आप मे से कोई ये ना सोचे की अदालत इस से किसी 1 पक्ष की तरफ़दारी कर रही है.अदालत सिर्फ़ इंसाफ़ की तरफ़दारी कर रही है..क्या किसी के मन मे कोई शुभहा है?"

जवाब मे खामोशी च्छाई रही.कामिनी थोड़ा परेशान थी,जगबीर ठुकराल अभी तक नही आया था..कही उसे पता तो नही चल गया.जड्ज ने केस से जुड़े लोगो को ही कोर्टरूम मे बैठने की इजाज़त दी थी,बाकी लोगो को बाहर कर दरवाज़े बंद किए जा रहे थे कि तभी 1 गार्ड ने ठुकराल को अंदर का रास्ता दिखाया.अंदर घुसते ही ठुकराल कामिनी की तरफ देख के मुस्कुराया फिर झुक के जड्ज का अभिवादन किया & 1 बेंच के किनारे बैठ गया.

"अदालत की करवाई शुरू की जाय."

"मिलर्ड!",कामिनी खड़ी हुई,"..मैं सबसे पहले मिस्टर.जगबीर ठुकराल को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

ठुकराल कटघरे मे आया & कसम खाई,"मिस्टर.ठुकराल,मैं सीधे मुद्दे पे आती हू..क्या आपकी शत्रुजीत सिंग से कोई दुश्मनी है?"

"जी नही..",ठुकराल मुस्कुराया,"..ये लोगो की ग़लतफहमी है..हम राजनीति के मैदान मे 1 ही पार्टी मे हैं & 1 ही क्षेत्र के..मेरी जगह शत्रुजीत जी को चुनाव का टिकेट मिल गया तो लोगो ने ये कहानी बना दी है."

"यानी की आपका जवाब है नही?"

"जी बिल्कुल."

"तो फिर आपने शत्रुजीत जी के घर मे अपना 1 भेदिया..1 जासूस क्यू घुसा रखा है?",अदालत मे लोगो की ख़ुसरपुसर का शोर उठा & ठुकराल के चेहरे का तो रंग ही बदल गया.उसने 1 बार जड्ज के सामने बैठे लोगो की भीड़ पे नज़र डाली तो उसे ख़तरे का अंदेशा हुआ..वो समझ गया की उसे फँसाया गया है..मगर अब किया क्या जा सकता था?

"ऑर्डर,ऑर्डर!"

"वकील साहिबा,आप क्या बेबुनियाद बकवास कर रही हैं!",उसने कामिनी की तरफ 1 नफ़रत भरी निगाह डाली.

"मिस्टर.ठुकराल,आप अदालत मे खड़े हैं..अपनी भाषा का ख़याल रखिए.",जड्ज कवास की भारी आवाज़ गूँजी.

"माफ़ कीजिएगा,मिलर्ड,मगर मुझपे झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है."

"युवर ऑनर!मैं इल्ज़ाम को साबित करने के लिए 1 और गवाह को बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

टोनी के कटघरे मे आते ही ठुकराल के चेहरे पे गुस्से के साथ-2 परेशानी भी झलकने लगी.जैसे-2 टोनी ने अपनी कहानी सुनाई उसके माथे पे पसीने की बूंदे छल्छलाने लगी,ये आदमी झूठ बोल रहा है."

"नही,मिलर्ड,मैं बिल्कुल सच कह रहा हू..इस आदमी के चलते मैं शत्रुजीत साहब के घर मे जासूस बन के धोखे से घुसा..मुझे माफ़ करना,सर.",उसने शत्रुजीत को हाथ जोड़े जोकि सब कुच्छ देखते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी हैरानी छुपाये हुए था,"..& मिलर्ड,इन्होने ही मेरे बेटे की स्कूल फीस भरी है वो भी चेक से."

"जी युवर ऑनर,ये हैं वो काग़ज़ात जो ये साबित करते हैं कि मिस्टर.ठुकराल ने टोनी को उसके बेटे के दाखिले & पैसो का लालच दिया & उस से ये काम करवाया."

"मिलर्ड..",विकास खड़ा हुआ,"..ये सारी बाते ठीक हैं मगर इस से ये कहा साबित होते है कि नंदिता जी का खून शत्रुजीत सिंग ने नही किया है."

जड्ज कवास ने कामिनी की ओर देखा,"मैं सभी बातो का खुलासा करूँगी,मिलर्ड & आपको ये भी बताउन्गि की कैसे दोनो केसस 1 ही दिमाग की उपज थे जिसका सिर्फ़ 1 मक़सद था शत्रुजीत जी की बर्बादी..अब मुझे इन दोनो गवाहॉ से कुच्छ नही पुच्छना है."

ठुकराल आँखो से अंगारे बरसता कभी कामिनी को कभी टोनी को घूरते हुए अपनी जगह पे बैठ गया.टोनी भी उसे खा जाने वाली निगाहो से देखा रहा था.

"मिलर्ड,अब मैं जयंत पुराणिक मर्डर केस के सिलसिले मे कुच्छ बाते अदालत को बताना चाहती हू & इसके लिए सबसे पहले मुलज़िम करण मेहरा को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

"करण,क़त्ल से पहले तुमने कितनी शराब पी थी?"

"2 पेग विस्की."

"पीते वक़्त तुम्हे कैसा लगा?"

अदालत मे हँसी की 1 लहर दौड़ गयी,"ऑर्डर,ऑर्डर."

"मुझे विस्की का स्वाद थोड़ा अजीब लाग."

"तो तुमने क्या किया?"

"मैने बारटेंडर विकी से बोला मगर उसने कहा की ऐसा कुच्छ नही है बाकी लोगो ने भी पी है..हो सकता है मुझे वहाँ हो रहा हो."

"विस्की पी लेने के बाद तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था?"

"मुझे लग रहा था की मुझे चढ़ गयी है जबकि आमतौर पे मैं 2 पेग के बाद पूरे होश मे रहता हू..मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था & मैं शीना से घर लौटने को कहने वाला था की फिर वो हादसा हो गया."
 
"मिलर्ड,इस पॉइंट पे गौर कीजिए,मुलज़िम ने उतनी ही शराब पी जितनी की वो आमतौर पे पीता था मगर उसे नशा ज़्यादा हुआ,साथ ही शराब का स्वाद भी अजीब लगा..ये फोरेन्सिक रिपोर्ट है जिसमे करण के खून मे शराब की मात्रा के बारे मे लिखा है & साथ ही ये है सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर की साइंड रिपोर्ट जिसमे 2 पेग विस्की के बाद करण जैसे इंसान के खून मे शराब की मात्रा के बारे मे लिखा है..दोनो को मिलाने से सॉफ ज़ाहिर है की करण की विस्की से छेड़-छाड़ कर उसे जान बुझ के ज़्यादा नशा करवाया गया था.",कोर्ट पीओन ने जड्ज को दोनो काग़ज़ात थमाए.

"मिलर्ड..",विकास फिर खड़ा हुआ,"..वकील साहिबा क्या साबित करना चाहती हैं?..अगर मुलज़िम को धोखे से शराब पिलाई भी गयी तो भी सीक्ट्व फुटेज से सॉफ ज़ाहिर है की पुराणिक जी पे गोली उसी ने चलाई थी."

"युवर ऑनर,मैं उस मुद्दे पे भी आऊँगी मगर उस से पहले मैं ज़रा उस रोज़ मिस्टर.पुराणिक के साथ गये त्रिवेणी ग्रूप के उन 3 लोगो से कुच्छ पुच्छने की इजाज़त चाहती हू."

"इजाज़त है."

कामिनी को तीनो से बात करने की ज़रूरत ही नही पड़ी क्यूकी सबसे पहले गवाह ने ही उसका काम कर दिया,"मिस्टर जुनेजा,आप त्रिवेणी ग्रूप के किस प्रॉजेक्ट पे काम कर रहे थे?"

"जी,माहरॉशट्रे कोस्ट पे महलन नाम की जगह पे सेज़ बन रहा है,उसी मे."

"आपका काम क्या है एग्ज़ॅक्ट्ली?"

"मैं इन्वेंटरी सूपरवाइज़र हू."

"थोड़ा तफ़सील से बताएँ."

"साइट पे सारे कन्स्ट्रक्षन मेटीरियल्स & बाकी ज़रूरत के समान को मँगवाने & उसके रख-रखाव की ज़िम्मेदारी मेरी है."

"ये समान वाहा कैसे आता है."

"ट्रक्स से."

"तो ये ट्रक्स भी आप ही को रिपोर्ट करते होंगे."

"सीधे नही,पहले करीम को..",उसने अपने दूसरे साथी की ओर इशारा किया,"..ये ट्रक्स का इंचार्ज है..फिर ये मुझे."

"वो समान रखा कहा जाता है?"

"वेर्हाउसस & स्टोर्स मे."

"उनका इंचार्ज कौन है?"

"भूषण.",उसने तीसरे साथी की ओर इशारा किया.

"पॉइंट नोट कीजिए,मिलर्ड की तीनो क्या काम करते थे & उसके साथ-2 इन काग़ज़ो पे भी 1 नज़र डालिए.",उसके कहने पे मुकुल ने पुराणिक के पहुँचवाए हुए काग़ज़ो का पुलिंदा कोर्ट पेओन के हाथ सौंप दिया.

"सर,इन काग़ज़ो को देख कर & पुराणिक जी का मेरे नाम खत पढ़ कर आपको सारी साज़िश समझ आ जाएगी मगर मैं सरकारी वकील साहब & यहा मौजूद बाकी लोगो के लिए इतना बता दू की ये तीनो 1 बहुत गंदे धन्दे मे लगे हुए थे.महलन के कोस्ट पे दूसरे मुल्क से आने वाली हेरोइन ड्रग उतरती है जिसे ये अपने ट्रको मे डाल कर बोम्बे के बाहर तक पहुँचाते हैं जहा से ये पूरे देश मे फैला दी जाती है.."

"सर,महलन से कुच्छ दूरी पे बुक्शिटे की खदाने हैं जहा से निकले हुए ओर को उन ट्रक्स से,जोकि सेज़ के लिए सप्लाइस लेके आते हैं,वापस बॉमबे के पास त्रिवेणी ग्रूप के प्लांट मे भेजा जाता है.बस उन्ही ट्रक्स मे ओर के साथ-2 ये ड्रग्स भी चले जाते थे."

"य-ये..सब..झ-झूठ है..",अनेजा का बदन पसीने से भीग गया था.जड्ज कोई 15 मिनिट तक काग़ज़ो को देखते रहे,"ऑफीसर..",उन्होने कोर्ट मे मौजूद पोलीस ऑफीसर को तलब किया.

"सर."

"इन तीनो को हिरासत मे लीजिए & अदालत ये हुक्म देती है की इन सबूतो के आधार पे इन तीनो के खिलाफ मुकद्दमा चलाया जाए & इस मामले की पूरी छानबीन की जाए."

"सर.",उस अफ़सर ने तीनो को हिरासत मे ले लिया.

"मिलर्ड..वकील साहिबा ने मुल्क की अवाम को बर्बाद करने के इस गलीज़ काम का पर्दाफाश करके क़ाबिले तारीफ काम किया है मगर हम यहा पुराणिक साहब के क़त्ल के केस पे बहस कर रहे हैं नकी महलन मे हो रही ड्रग रन्निंग की."

"हूँ,कामिनी जी हम मुद्दे से थोड़ा भटक रहे हैं."

"मिलर्ड,ये मुद्दे से जुड़ी हुई ही बात है.मिस्टर.पुराणिक को सारी बात का पता चल गया था इसलिए उनका मुँह बंद करने के लिए ये चाल चली गयी थी.अब मैं शीना जी से कुच्छ सवाल करना चाहती हू & फिर अदालत के सामने सारी सॉफ हो जाएँगी.",जड्ज ने उसे आगे बढ़ने का इशारा किया.

"शीना जी,आप क्या करती हैं?"

"मैं पढ़ती हू..एमबीए कर रही हू."

"कहा से?"

"लंडन के 1 कॉलेज से."

"तो आपने उसके पहले की भी पढ़ाई लंडन से ही की है?"

"नही..उसके पहले तो मैं आवंतिपुर मे रहती थी & वही के ए.पी.कॉलेज से पढ़ाई की है."

"अच्छा..तो फिर आप लंडन कैसे चली गयी?"

"मुझे एमबीए तो करना ही था,फिर मेरी बुआ वही रहती थी..इसलिए वाहा चली गयी."

"सिर्फ़ यही बात थी कि कोई और भी वजह थी?"

"जी..",शीना के माथे पे शिकन पड़ गयी,"..और क्या वजह हो सकती है?"

"सच बताइए आप दिल से लंडन जाना चाहती थी?"

"ऑफ कोर्स.",शीना अब परेशान दिख रही थी.

"अदालत मे झूठ बोलना भी गुनाह है शीना जी & किसी का क़त्ल करना भी."

"आप कहना क्या चाहती हैं!"

"आप सिर्फ़ इतना बता दीजिए की आप आवंतिपुर से लंडन क्यू गयी थी?"

"कहा ना..!पढ़ाई के लिए."

"झूठ!शीना जी,ये बताइए की आप किसी समीर नाम के लड़के को जानती हैं?"

"नही..",शीना ने कामिनी से नज़रे चुरा ली.

"मेरी तरफ देख के बोलिए!",कामिनी की आवाज़ सख़्त हो गयी.

"नही!",शीना उसके तरफ देख के चीखी.

"तो फिर हर रोज़ उस से फोन पे लंबी-2 बाते क्यू करती थी?",कामिनी की भी आवाज़ ऊँची हो गयी.कोर्ट मे बिल्कुल सन्नाटा था & सभी लोग दम साधे ये जिरह देख रहे थे.

"क्या सबूत है आपके पास?"

"ये कॉल डीटेल्स..",कामिनी ने काग़ज़ जड्ज को थमा दिए,"..अब ये नंबर तो आप ही का है ना."

"मिलर्ड,शीना जब ए.पी.कॉलेज मे पढ़ती थी तब इन्हे & समीर नाम के 1 लड़के को 1 दूसरे से प्यार हो गया मगर इनके घरवाले इस रिश्ते के सख़्त खिलाफ था लेकिन ये दोनो 1 दूसरे को दीवानगी की हद तक चाहते थे.घरवाली की बंदिशे बढ़ी तो शीना समीर के साथ भाग गयी."

"..इनके पिता ने इन्हे ढूंड निकाला & जब समीर के घरवालो को इस बात का पता चला तो उन्होने भी उसे खूब लताड़ा.नतीजा ये हुआ की दोनो को अलग कर दिया गया,उसके बाद समीर को कभी आवंतिपुर मे नही देखा गया & शीना को लंडन रवाना कर दिया गया.वक़्त के साथ दोनो के घरवालो ने सोचा की उनकी मोहब्बत की आग ठंडी पड़ गयी है..",शीना अब हाथो मे चेहरा च्छुपाए सूबक

रही थी & करण बस माथे पे हाथ रखे सब सुन रहा था.

"..मगर ऐसा नही था वो आग बस रख के नीचे दबी हुई थी..घरवालो को बस रख दिख रही नीचे सुलगते शोले नही..इन्ही शोलो ने पुराणिक जी की जान ली & बेगुनाह करण को सलाखो के पीछे पहुँचाया."

"मगर युवर ऑनर,बात अभी भी वही की वही है..",विकास बीच मे बोला,"..सीक्ट्व फुटेज मे सॉफ दिखता है की क़त्ल करण ने किया है."

"जी,हां..आप सही कह रहे हैं..मगर ज़रा 1 नज़र इस फुटेज पे डालिए..",कामिनी के इशारे पे मुकुल ने 1 कोने मे रखी मेज़ पे से कपड़ा हटाया & 1 कंप्यूटर को नुमाया किया,फिर उसने उस पाँचवे कमेरे की फुटेज चला दी जिसे देखते ही कोर्ट मे बैठे सभी लोगो-जड्ज कवास के भी गले से बस हैरत भरी आवाज़े निकल गयी.

ये कॅमरा बार के पीछे लगा था & इस से पहली फुटेज से बिल्कुल उल्टा आंगल दिख रहा था.सॉफ दिख रहा था की जॅकेट थमाते हुए शीना ने गन करण के हाथो से च्छुआ दी जिसने उसे फ़ौरन हाथ मे थामा & सामने तान दी.गन देख पुराणिक के साथ के तीनो लोग बस ज़रा से पीछे हुए & शीना गन खींचने की कोशिश करने लगी.ऐसा करते हुए उसने करण की जॅकेट दोनो के हाथो पे कर दी इस से पहली फुटेज को बस केरेन का बंदूक थामे हाथ दिख रहा था बाँह नही.
 
इस नयी फुटेज मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण के पिस्टल थामे हाथ & ट्रिग्गर पे रखी उंगली के उपर शीना ने अपनी उंगली रख के दबा दिया जिस वजह से गोली चली जोकि सीधा पुराणिक के सीने के पार हो गयी.

"ये उस केमरे की फुटेज है जिसे की उस रात के बाद हटा दिया गया & इस फुटेज को भी डेटबेस से डेलीट कर दिया गया था जिसे हमने बड़ी जद्दोजहद के बाद खोज ही लिया.अब मैं ज़रा पब के बारटेंडर विकी को बुलाना चाहती हू."

"शीना को हिरासत मे ले लिया जाए & विकी को बुलाया जाए."

"विकी,आपने सब कुच्छ देख लिया & सुन लिया है,अब बिना डरे ये बताओ की क्या तुमने करण की ड्रिंक के साथ छेड़खानी की थी?"

"ज-जी,हां."

"क्यू?"

"हमारे मॅनेजर साहब ने कहा था.",जब मॅनेजर को तलब किया गया तो उसने पब के मालिक ठुकराल का नाम ले लिया जिसपे ठुकराल शोर मचाने लगा.जड्ज ने उसे फटकार लगाई & कामिनी को करवाई आगे बढ़ाने को कहा.

"युवर ऑनर,पुराणिक जी के क़त्ल की गुत्थी तो सुलझ गयी अब हम नादिता जी के क़त्ल की ओर ध्यान देते हैं.अभी तक की बातो से ये तो साबित हो गया है की शतरंज के इस खेल की ऐसी गहरी चाल के पीछे जगबीर ठुकराल का हाथ था मगर ये इस बिसात के राजा हैं & शीना,अनेजा,टोनी सब प्यादे.."

"..लेकिन जैसा की हम जानते हैं,मिलर्ड की शतरंज के खेल का सबसे ताक़तवर मोहरा होता है वज़ीर & इस खेल मे वज़ीर है समीर जिसका पूरा नाम है-समीर अब्दुल पाशा."

"कामिनी!..ये क्या बक रही हो!",शत्रुजीत चीखा.

"ऑर्डर,ऑर्डर!..मिस्टर.सिंग बैठ जाइए."

अदालत मे सभी हैरानी से मुँह बाए कामिनी की ओर देख रहे था-पाशा..शत्रुजीत का भाई..बल्कि उस से भी कही ज़्यादा..वो!

"युवर ऑनर,मुझे मिस्टर.पाशा को कटघरे मे बुलाने की इजाज़त दीजिए."

"इजाज़त है."

सफेद कमीज़ & नीली जीन्स पहने वो लंबा-चौड़ा शख्स धीमे कदमो से कटघर मे आ खड़ा हुआ.उसकी आँखे अभी भी वैसे ही ठंडी थी,"मिलर्ड,प्लीज़ इनस्पेक्टर को कहिए कि इनकी तलाशी लें,इनसे 1 आख़िरी सबूत की बरामदगी का मुझे पूरा यकीन है."

इस से पहले की इनस्पेक्टर वाहा आता पशा ने अपना दाया हाथ खड़ा कर उसे रोक दिया & बाए से अपनी पिच्छली जेब से अपना बटुआ निकाल के उसके काय्न पॉकेट से नंदिता के कमरे की वो तीसरी चाभी कामिनी को दे दी.आज पहली बार कामिनी को उन ठंडी आँखो मे देखते हुए कोई डर नही लग रहा था,"थॅंक्स."

"मिलर्ड,शत्रुजीत जी के घर & उस कमरे जहा नंदिता जी का खून हुआ,सभी मे 1 अमेरिकन कंपनी के कस्टमिस्ड ताले लगे हुए हैं जिनकी चाभीया अगर गुम हो जाए तो सीधे उस कंपनी से ही मिलती हैं.ऐसी ही 1 ड्यूप्लिकेट चाभी नंदिता जी ने बनवाई थी ये है उसकी रसीद..",कामिनी ने उसे कोर्ट पेओन को थमाया,"..मिलर्ड,मैने जब छानबीन की तो पाया की दोनो चाभियाँ घर मे मौजूद थी तो आख़िर नंदिता जी ने ये तीसरी चाभी क्यू बनवाई?'

"..फिर मुझे उनके ड्रेसिंग टेबल से ये लिपस्टिक मिली जिसका निचला हिस्सा 1 पेन ड्राइव है & इस ड्राइव मे कुच्छ वीडियोस जिन्हे मैं चाहती हू की केवल आप ही देखें.",कामिनी ने अपना लॅपटॉप जड्ज को दिया साथ ही पेन ड्राइव भी,"..मैं अदला-.."

"जड्ज साहब..",कामिनी की बात काटते हुए पाशा की आवाज़ गूँजी,"..मैं अपना बयान देना चाहता हू.".जड्ज ने लॅपटॉप स्क्रीन से नज़रे उठाई.उन सभी वीडियो फाइल्स मे नंदिता & पाशा की 1 साथ चुदाई करते हुए की फिल्म्स थी जिन्हे नंदिता ने 1 कॅमरा छुपा के शूट किया था.हर वीडियो के शुरू मे कॅमरा सेट करती नंदिता नज़र आती & फिर कोई थोड़ी देर बाद पाशा आता & दोनो 1 दूसरे के आगोश मे समा हमबिस्तर होने लगते.अब नंदिता ने ये वीडियोस क्यू रखे थे ये तो वोही जाने!

"ठीक है..तुम ये बयान अपनी मर्ज़ी से दे रहे हो?"

"हां."

"तुमपे कोई दबाव तो नही है?"

"नही."

"ठीक है बयान दो.",जड्ज ने बयान दर्ज करने का हुक्म दिया & पाशा की ओर देखने लगे.

"नंदिता भाभी & मैं कब 1 दूसरे के करीब आ गये मुझे पता नही..उन्हे जहा प्यार चाहिए था वही मुझे बस जिस्मानी खुशी..वो तो यही समझती थी की मैं भी उनसे प्यार करता हू..मगर मैं उनसे कैसे प्यार करता मेरा दिल तो शीना के पास था!1 कमज़ोर लम्हे मे मैने & नंदिता भाभी ने सारी हदें तोड़ दी थी लेकिन मैं दिलोजान से बस शीना को चाहता था..",शत्रुजीत की आँखो मे दुख दिख रहा था & शीना बस सूबके जा रही थी.

"..शीना & मुझे जुदा करते वक़्त बाबा यानी अमरजीत जी ने मुझे बहुत लताड़ा था & उनकी मौत के बाद मुझे ये पता चला कि उन्होने बस नाम के लिए मुझे बेटे का दर्जा दिया हुआ था..उनकी वसीयत मे मेरा कोई ज़िक्र नही था..इतने बरस इस परिवार के साथ रहते हुए मैं खुद को भाई के जैसा ही घर का बेटा समझने लगा था & कुच्छ ना मिलने की वजह से मेरे दिल मे ये ख़याल पैदा हुआ की मेरे साथ नाइंसाफी हुई है & मेरी हैसियत बस 1 नौकर की है.."

"..उस दिन से मेरे अंदर ही अंदर कुच्छ सुलगने लगा था..शीना को तो कभी नही भुला हम फोन से 1 दूसरे से बाते करते थे मगर वक़्त के साथ-2 नंदिता भाभी मुझ से दिल से मोहब्बत करने लगी थी..वो भाई को छ्चोड़ मुझसे शादी करना चाहती थी..मैं बात को टाल रहा था मगर 1 दिन भाई ने उनके सामने तलाक़ की बात रख दी तो उन्हे लगा मानो उन्हे मुँह माँगी मुराद मिल गयी.."

"..मगर मैं ऐसा नही चाहता था..इस से पहले करीम मुझे मिला-ये & मैं आफ्गानिस्तान के 1 ही कबीले के हैं..",उसने उन तीन मे से 1 की ओर इशारा किया,"..करीम ने मुझे बाते की सिविल वॉर & वाहा के हालात के चलते हमारे कबीले को कितनी मुश्किले & ज़िल्लत उठानी पड़ी थी & उसका बदला लेने के लिए अब वाहा हमारे भाई पैसे इकट्ठा कर रहे हैं.."

"..ये ड्रग रन्निंग उसी का हिस्सा थी..परिवार से बेरूख़ी तो दिल मे पहले से ही थी..करीम मुझे अपने भाई जैसे लगने लगा & मैने भी अपने कबीले की मदद करने की ठान ली,मगर अंकल जे को इस बात का पता चल गया.उन्ही दीनो टोनी सामने आया..भाई ने इसके बारे मे मुझे पता करने को कहा & मैने फ़ौरन पता लगा लिया कि ये बेवकूफ़ किसके लिए काम करता है & मैने ठुकराल से इस बारे मे आमने-सामने बात करने की सोची.मैं सीधे उसके घर पहुँच गया & उसे सब बता दिया.."

"..मैने सोचा था कि ये डरेगा,घबराएगा..मगर नही..ये मुस्कुराता रहा & फिर इसने मेरी दुखती रग पे हाथ रख दिया..& मुझे खुद से मिल जाने को कहा..इसने अपनी बात ऐसे कही की मुझे उसमे काफ़ी दम लगा..फिर अंकल जे अगर ड्रग्स वाली बात सामने ले आते तो मेरी बर्बादी तो तय थी..मैने इस से हाथ मिला लिया..हम दोनो ने मिलके सारा प्लान बनाया..टोनी हमारे किसी काम का नही था मगर उसे अब हटा देते तो भाई को शक़ होता..इसलिए हमने इसे रहने दिया & दोनो क़त्लो को अंजाम दिया."

"समीर अब्दुल पाशा,तुमने नंदिता सिंग का खून कैसे & क्यू किया?"

"मुझे बस शीना चाहिए थी.जब तलाक़ की बात उठी तो मैने नंदिता भाभी के दिमाग़ मे ये बात डाल दी की भाई की तलाक़ की बात अगर वो खुशी से मान जाती है तो भाई उसे बेवकूफ़ बना देंगे & बड़े कम पैसे देंगे.उन्हे तो पैसो का लालच नही था मगर मैने उन्हे कहा की ये पैसो की नही नाइंसाफी की बात है इसलिए वो भाई से इस बात पे झगड़ने लगी थी.इस से हमने भाई पे शक़ डालने की वजह पैदा कर दी थी & उनके क़त्ल से मेरा रास्ता भी सॉफ हो जाता & अगर सब कुच्छ ठीक से हो जाता तो त्रिवेणी ग्रूप पे सिर्फ़ मेरा हक़ होता.."

"..उस रोज़ जब तीनो अंकल जे को लेके निकल गये तो मैं,जहा हम बैठे थे,उसकी कमरे के बाथरूम मे फ्रेश होने के बहाने गया,वाहा 1 खिड़की है जिसमे 1 ग्रिल है जो पेंच पे कसा हुआ है.टोनी ने उसे निकाल के रखा था & वो वाहा की निगरानी कर रहा था..मैं उस खिड़की के रास्ते बाहर आया & फिर नीचे से 1 सीढ़ी लगाके बाल्कनी पे चढ़ गया,फिर चाभी खोल के भाभी के कमरे मे घुसा,वो सो रही थी.मैने उन्हे उठाया & कहा की कुच्छ पेपर्स लेने आया हू.."

"..भाई ने मुझपे हमेशा भरोसा किया था..मैं बेरोक टोक उनके कमरे मे आता-जाता था..इसलिए भाभी को कुच्छ अजीब नही लगा.मैने अलमारी खोली & गन निकली & अपने कपड़ो मे छुपा ली,फिर भाभी को बहाने से कुर्सी पे बिठाया & गोली मार दी.फिर गन को वही गिराया,लाइट बंद की & दरवाज़ा लॉक कर उसी रास्ते वापस हो गया.इस सब मे बमुश्किल 7-8 मिनिट लगे होंगे..भाई को ज़रा भी शक़ नही हुआ."

अदालत मे खामोशी च्छाई हुई थी,पाशा,शत्रुजीत,करण,शीना सभी सर झुकाए बैठे थे.शत्रुजीत & करण के चेहरे पे अपने माथे पे लगे इल्ज़ाम के मिटने की कोई खुशी नही झलक रही थी.काफ़ी देर तक सोचने के बाद जड्ज कवास ने फ़ैसला सुनाना शुरू किया,"..आज अदालत ने 1 ऐसा कदम उठाया था जोकि शायद ही पहले कभी उठाया गया हो-2 केसस की सुनवाई 1 साथ की गयी & मुझे खुशी है की 1 बार फिर इंसाफ़ की जीत हुई.डिफेन्स लॉयर ने काफ़ी पुख़्ता सबूत पेश किए हैं & फिर समीर अब्दुल पाशा के इक़बालिया बयान ने अदालत का काम और आसान कर दिया.."

"..टोनी भी इस साज़िश मे शामिल था मगर उसपे धोखाधड़ी मे साथ देने से ज़्यादा का जुर्म साबित नही होता.उसकी सज़ा है 1 साल की क़ैद.."

"..अदालत इस नतीजे पे पहुँची है की इस पूरी साज़िश के पीछे जगबीर ठुकराल का हाथ था जिसने बिना कारण 1 मासूम शहरी को बर्बाद करना चाहा & इस चक्कर मे 2 निर्दोष लोगो की जाने भी गयी.अदालत जगबीर ठुकराल को 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है..शीना ने अपने प्रेमी के बहकावे मे आके ना केवल 1 खून किया बल्कि 1 मासूम को भी उसमे फँसाने की कोशिश की..चूकि उसने ये जुर्म बहकावे मे किया था नकी खुद साज़िश रच कर अदालत उसे भी 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.."

"..समीर अब्दुल पाशा ने जिस थाली मे खाया उसी मे छेद किया..अपने मुंहबोले भाई की बीवी से नाजायज़ ताल्लुक़ात बनाए & फिर मतलब के लिए उसका क़त्ल भी किया..इस घिनोने जुर्म के लिए उसे सज़ा-ए-मौत दी जाती है..टू बी हॅंग्ड टिल देअथ.",जड्ज कवास ने कलाम की निब तोड़ दी.

जगबीर ठुकराल का खेल ख़त्म हो चुका था.वो सर झुकाए बैठा फ़ैसला सुन रहा था.आज तक उसने औरत को केवल 1 खिलोना समझा था & उनके जिस्मो से बस खेलता आया था मगर आज 1 खिलोने ने उसे ही खिलोना बना दिया था.उसने सर उठाया & नफ़रत से लोगो की बधाइया कबुलति कामिनी को देखा..इसी धोखेबाज़ ने उसे बर्बाद किया था..वो इसे नही छ्चोड़ेगा..उसने नज़र घुमाई & बगल मे खड़े इनस्पेक्टर की ओर देखा जोकि किसी से बाते करने मे मशगूल था,उस इनस्पेक्टर को ही उसे अरेस्ट करने का हुक्म मिला था.उसने उसकी कमर पे होल्सटर मे रखे रेवोल्वेर को देखा & 1 ही झटके मे उसे निकाल के खड़ा हो गया.

"आए...!",इनस्पेक्टर चिल्लाया तो सभी की गर्दन उधर ही घूम गयी....कामिनी की भी जोकि शत्रुजीत के साथ खड़ी थी.

"हॅट..",ठुकराल ने इनस्पेक्टर को धकेला & गन लहराई,"..कामिनी..हराम्जादि!मुझे बर्बाद करके खुद मज़े से रहेगी ....नही!",उसने रेवोल्वेर तान के ट्रिग्गर दबा दिया.कामिनी ने डर से आँखे बंद कर ली & ज़ोर से चीखी मगर उसे गोली नही लगी क्यूकी उसके ठीक सामने ढाल बनके पाशा आ गया था.

"बेटा!",शत्ृजीत ने गिरते हुए पाशा को पीछे से थाम लिया.ठीक उसी वक़्त 1 कॉन्स्टेबल ने अपनी राइफल से गोली चलाई जोकि सीधा ठुकराल की खोपड़ी मे लगी.शैतान & हवस के पुजारी जगबीर ठुकराल का खेल हमेशा-2 के लिए ख़त्म हो गया था.

क्रमशः.................................
 
गहरी चाल पार्ट--38

"बेटा..ये क्या किया..?!",शत्रुजीत की आँखो मे आँसू छलक आए & गला भर आया.

"भ..ऐइ....यही मेरी..स..ज़ा.....है..",गोली सीधा पाशा के दिल के पार हुई थी,खून बहुत तेज़ी से बह रहा था 7 उसकी साँसे उखड रही थी.

"समीर..",बिलखती हुई शीना उसके पास घुटनो से बैठ गयी & शत्रुजीत की गोद मे रखे उसके सर को अपने सीने से लगा लिया.

"शीना...भाई...मुझे..मु..झे..मा..आफ..कर देना.....या अल्लाह....!"

"बेटा...सब ठीक हो जाएगा..बस हौसला रख..!",शत्रुजीत ने इधर-उधर नज़रे दौड़ाई,"कोई डॉक्टर को बुलायो!"

"समीर...",शीना उसके चेहरे को चूमे जा रही थी.कामिनी भाग कर कोर्ट के फर्स्ट एड रूम से कुच्छ लोगो को बुला लाई थी मगर तब तक समीर अब्दुल पाशा का दम निकल चुका था.उसे पकड़े शत्रुजीत & शीना रोए जा रहे थे.पंचमहल की अदालत के इतिहास मे शायद ही ऐसा कभी हुआ था.धीरे-2 पोलीस ने सारी कमान संभाल ली & वाहा से लोगो & दोनो लाशों को हटाने लगी.1 लेडी कॉन्स्टेबल ने शीना को उठाया & उसे बाहर ले जाने लगी.अदालत के हुक्म के मुताबिक उसे सीधा जैल जाना था.

कामिनी ने शत्रुजीत को संभाला & उसे उसकी कार तक पहुँचाया,ठीक उसी वक़्त किसी कार के तेज़ी से ब्रेक लगाने की आवाज़ & 1 चीख सुनाई दी.कामिनी शत्रुजीत को वाहा से विदा कर आवाज़ की तरफ गयी तो देखा की.शीना का कुचला बदन सड़क पे पड़ा है.

"ये कैसे हुआ?",इनस्पेक्टर चीख रहा था,"..1 काम नही होता तुमसे ठीक से!"

"मैं क्या करती साहब..इसे इस वन मे बिठा के मैं बस 1 मिनिट के लिए ड्राइवर को आवाज़ देने के लिए घूमी तो ये यहा से उस आते हुए ट्रक के सामने कूद पड़ी."

कामिनी वाहा से निकल आई..क्या होता अगर शीना के पिता उसके & पाशा के रिश्ते पे ऐतराज़ नही जताते तो..हो सकता है..पुराणिक,नंदिता आज ज़िंदा होते..ठुकराल बस अपने घर मे बैठा सपने देखता रहता..क्या अम्रा ही थी इन दोनो प्यार करने वालो की.

कामिनी ने सर उठाके आसमान की तरफ देखा..ये भगवान..उपरवाला..खुदा..गॉड..जो भी है...उसके लिए हम बस खिलोने हैं!

उसने 1 गहरी सांस ली,आज सवेरे तक उसके दिल मे केस जीतने पे मिलने वाली खुशी का इंतेज़ार था.केस तो उसने जीत लिया था मगर खुशी कही नही थी.

थोड़ा आगे बढ़ते ही उसे मीडीया वालो ने घेर लिया.आज जड्ज के हुक्म से किसी को ही कोर्टरूम के अंदर नही आने दिया गया था,फिर केस का इतना सनसनीखेज अंत हुआ था.सब उसे बधाई दे रहे थे & सवालो की बौछार कर रहे थे मगर वो जैसे कुच्छ सुन ही नही रही थी.

1 पोलीस वाले ने उसके बीच से निकाल कर उसकी कार मे बिठा दिया.कार आगे बढ़ी तो आगे ड्राइवर के साथ बैठे मुकुल ने सर घुमाया,"आप ठीक तो है ना,मॅ'म?"

"हां,मुकुल.",कामिनी खिड़की के बाहर देखने लगी.1 सिग्नल पे कार रुकी तो बगल खड़ी 1 कार के शीशे मे उसे अपना चेहरा दिखाई दिया & दिखाई दी 2 हौसले & विश्वास से भरी आँखे.इन्ही खूबियो ने उसे इस मंज़िल तक पहुचाया था.

कार आगे बढ़ी,जैसे-2 कार अदालत से दूर जा रही था वैसे-2 उसके दिल पे च्छाई उदासी की बदली छट रही थी.उसके चेहरे का रंग भी लौट रहा था & दिल मे फिर से उमंग & काम करने का जोश भर रहा था.

हौसला,हिम्मत,समझदारी,आत्म-विश्वास-इन्ही खूबियो ने उसे इस मंज़िल तक पहुचेया था मगर अभी सफ़र ख़त्म कहा हुआ था..अभी तो उसे ना जाने & कितनी बुलंदियो को छुना था..ये तो बस शुरुआत थी.....आगे और मंज़िले उसका इंतेज़ार कर रही थी.

दोस्तो आप सब को ये कहानी कैसी लगी बताना ना भूले

आपका दोस्त

राज शर्मा

समाप्त
 
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