hotaks444
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थोड़ी देर साहिल को समझाने के बाद सुरजीत खड़ा हो गया, और साहिल को बोला कि , वो आज खाली गन के साथ प्रॅक्टीस करे. मैं अभी जा रहा हूँ.
साहिल: ठीक है. आप जाएँ. मे भी थोड़ी देर बाद निकलता हूँ.
सुरजीत नीचे चला गया, तैयार होने के लिए, जैसे ही सुरजीत नीचे गया, तो पायल साहिल के पास गयी, और उसके पास बैठ गयी. साहिल का ध्यान अभी उसके हाथ मे पकड़ी हुई, पिस्टल पर था. साहिल को अपनी तरफ ना देखता देख, पायल बोखला सी गयी, और उसके हाथ से पिस्टल छीनते हुए बोली.
पायल: क्या यार. मैं कब से तुम्हारे पास बैठी हूँ. और तुम इस गन को ऐसे देख रहे हो, जैसे पहली बार देख रहे हो.
साहिल: (पायल की आँखों मे देखते हुए, जो प्यार से भरी हुई थी. पर उसकी प्यार भारी आँखों मे अपने प्यार से रूठना सॉफ दिखाई दे रहा था.) हाँ पहली बार ही तो देख रहा हूँ.
पायल: (मुँह बनाते हुए) तो इसी को देखते रहना. मैं जा रही हूँ नीचे.
साहिल उसकी आँखों मे अपने लिए छुपे हुए प्यार को देख चुका था. जब पायल सीडयों से नीचे जा रही थी. तो साहिल उसे मुस्कुराता हुआ देख रहा था. जब पायल ने पीछे मूड कर देखा, तो साहिल के होंठो पर मुस्कान देख कर, उसका गुस्सा एक दम से ख़तम हो गया. दोनो ने एक दूसरे को देखा, दोनो के होंठो पर प्यार भरी मुस्कान थी. पायल ने नज़रें झुका ली. जैसे जतलाना चाहती हो. कि मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. पर तुम समझ नही रहे.
पायल के जाने के थोड़ी देर बाद, साहिल भी नीचे आ गया. पायल नीचे हाल मे ही बैठी हुई थी. साहिल को नीचे उतरता देख, पायल अपने बालों को सेट करनी लगी. जैसे वो खुद को उसके सामने खूबसूरत देखने की कॉसिश कर रही हो.
पायल: जा रहे हो ?
साहिल: हां. अब घर जाकर कॉलेज के लिए तैयार भी तो होना है.
पायल: कल फिर आओगे ना ?
साहिल: (पायल की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए) हां. कलाज मे मिलते हैं. अच्छा अब मे चलता हूँ.
साहिल पायल के घर से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा. पायल गेट पर खड़ी तब तक उसे देखते रही, जब तक कि साहिल उसकी नज़रों से ओझल नही हो गया. फिर साहिल रोज सुबह यूँ ही पायल के घर पर आने लगा. कभी -2 सुरजीत को जल्दी जाना पड़ता. इस दौरान पायल और साहिल की नज़दीकयँ बढ़ती रही. अब साहिल भी पायल को चाहने लगा था. पर साहिल जानता था कि, उसे खुद भी अपने अंज़ाम का पता नही है, फिर वो पायल को कैसे अपने प्यार का इज़हार कर सकता है. साहिल के कॉलेज का 1 साल पूरा हो चुका था. सुरजीत ने उसे काफ़ी बदल दिया था.
अब साहिल वही डरपोक किस्म का नही रहा था. जब साहिल के 1स्ट एअर के एग्ज़ॅम के बाद कॉलेज 1 मंथ के लिए क्लोज़ था. इस बात का जैसे ही सुमन को पता चला, तो उसने सोच लिया कि, यही सही वक़्त है. अब किसी भी तरहा साहिल को यहाँ लाना पड़ेगा. पर माँ का क्या. उनको कैसे मनाऊ. और साहिल यहाँ कहाँ रहेगा. मैं राज से क्या कहूँ. सुमन उस दिन सोचती रही. जब शाम को वो सो रही थी, उसके रूम के डोर पर दस्तक हुई.
सुमन ने उठ कर डोर खोला, तो सामने हरिया खड़ा था. हरिया को देखते ही, उसके दिमाग़ मे आया कि, हरिया इस काम मे उसकी मदद कर सकता है, साहिल को बचाने मे भी उसने बहुत मदद की थी.
सुमन: साहब हैं घर पर.
हरिया: नही मालकिन वो बाहर गये हुए हैं. आप आ जाएँ चाइ बन गयी है.
सुमन: अच्छा आप चलें. मे आती हूँ. मुझ आप से कुछ ज़रूरी बात भी करनी है ?
हरिया: जी.
सुमन बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गयी. हरिया चाइ की ट्राइ ले आया, और सुमन के सामने टेबल पर रखते हुए बोला. कहिए मालकिन क्या बात करनी है.
सुमन: काका आप तो जानते हैं कि, साहिल अब बड़ा हो गया है, अब राज को उसके अंजाम तक पहुँचाने का टाइम आ गया है. इसके लिए आप को मेरी मदद करनी होगी.
हरिया: मालकिन मैं तो ग़रीबी और कमज़ोरी के चंगुल मे फँसा आदमी हूँ. भला मे राज बाबू जैसे ताकतवर और रोबदार इंसान के विरोध मे कैसे लड़ सकता हूँ. ये मैं नही कर सकता. और वैसे भी मैं उनके माँ बाप के टाइम से इस हवेली मे काम कर रहा हूँ. इस हवेली और इसके लोगो के बहुत अहसान है मेरे ऊपेर. साहिल को बचाना अलग बात थी. एक इंसान होने के नाते ये मेरा फर्ज़ था कि, मैं उस नन्ही सी जान को बचाऊ.
सुमन: पर काका क्या तुम वो सब भूल गये. जो राज ने किया. तुम्हे याद है ना. राज की गंदी नीयत के चलते ही, तुम हमेशा अपनी बेटी से दूर रहे. वो दिन भूल गये, जब राज ने पूनम से ज़बरदस्ती करने की कोशिस की थी. अगर वक़्त रहती मे देख ना लेती. तो तुम्हारी बेटी का क्या होता. उस इंसान के नही उस हैवान की एक ही सज़ा है. और वो मौत.
हरिया: मे कुछ नही भूला मालकिन. पर मैं कर भी क्या सकता हूँ.
सुमन: तुम बस इतना करो क़ि, साहिल के रहने का इंतज़ाम कुछ दिनो के लिए कर दो. तुम्हारी बेटी अपने पति के साथ पास वाले शहर मे ही रहती है ना?. वहाँ पर कुछ दिनो के लिए साहिल के रहने का इंतज़ाम कर दो. फिर साहिल को पूनम के पति का चचेरा भाई बना कर उसे राज के पास काम दिलवा दो. बाकी मे देख लूँगी.
हरिया: ठीक है मालकिन. पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.
सुमन: हां बोलो.
हरिया: मुझ भले ही चाहे कुछ हो जाए. पर पूनम और उसके पति को कुछ नही होना चाहिए.
सुमन: ठीक है, उनकी ज़िम्मेदारी हम लेते हैं. तुम साहिल के रहने का इंतज़ाम करो. मैं साहिल को यहाँ बुल्वाती हूँ.
सुमन ने दोपहर को टीना के घर पर फोन किया. और उसे कहा कि, वो साहिल से बात करना चाहती है. पर कल दोपहर को फिर से फोन करेगी. साहिल को अपने घर पर बुलवा लेना. टीना ने साहिल के घर पर फोन किया. और साहिल को अगले दिन अपने घर आने को कहा. अगले दिन साहिल दोपहर को टीना के घर पर गया. घर पर टीना अकेली थी. दोपहर के 1 बजे सुमन का फोन आया. और उसने साहिल से बात करके सारी बात समझा दी. साहिल के सामने अब ये प्राब्लम थी, कि वो के मंथ के लिए बाहर जा रहा है. पर वो घर पर क्या कहेगा.
शाम को जब जय शर्मा घर वापिस आया, तो साहिल उसके पास जाकर बैठ गया.
साहिल: बाबा वो आपसे एक बात करनी थी.
ज़य शर्मा: हां बोलो बेटा.
साहिल: वो बाबा मेरे कॉलेज के फ्रेंड्स. कुछ दिनो के लिए मंसूरी जा रहे हैं, घूमने के लिए. क्या मे भी उनके साथ जा सकता हूँ.
ज़य शर्मा साहिल की ओर एक टक देखने लगा. साहिल आज तक कभी अकेला कहीं नही गया था. पर जय शर्मा साहिल मे पिछले कुछ दिनो मे बदलाव को देख कर खुश था. साहिल ने कभी उनसे कुछ नही माँगा था. और जय शर्मा जानता था, कि साहिल बहुत ही सुलझा और समझदार लड़का है. वो कभी भी ग़लत काम नही करेगा.
ज़य शर्मा: तो घूमने जाना चाहते हो.
साहिल: जी बाबा.
ज़य शर्मा: ठीक है चले जाओ. कब जा रहे हो ?
साहिल: जी बाबा कल जाउन्गा.
ज़य शर्मा: (उठ कर अलमारी से 20000 रुपये निकाल कर साहिल को देते हुए) ये लो बेटा. और इसमे से अपने लिए कोई अच्छा सा मोबाइल ले लेना. ताकि हम तुमसे बात करते रहे.
साहिल: (पैसे लेते हुए) जी बाबा.
अगले दिन साहिल सुबह ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा. ज़य शर्मा ने उसे अपनी कार से स्टेशन तक छोड़ दिया. ज़य शर्मा स्कूल जाने के लिए जल्दी मे था. इसीलिए वो स्टेशन के बाहर ही साहिल को छोड़ कर चला गया. साहिल ने उस शहर के लिए ट्रेन पकड़ी. जहाँ कभी जय शर्मा रहता था. शाम के 6 बजे. साहिल उसी शहर मे पहुँच गया.
साहिल: ठीक है. आप जाएँ. मे भी थोड़ी देर बाद निकलता हूँ.
सुरजीत नीचे चला गया, तैयार होने के लिए, जैसे ही सुरजीत नीचे गया, तो पायल साहिल के पास गयी, और उसके पास बैठ गयी. साहिल का ध्यान अभी उसके हाथ मे पकड़ी हुई, पिस्टल पर था. साहिल को अपनी तरफ ना देखता देख, पायल बोखला सी गयी, और उसके हाथ से पिस्टल छीनते हुए बोली.
पायल: क्या यार. मैं कब से तुम्हारे पास बैठी हूँ. और तुम इस गन को ऐसे देख रहे हो, जैसे पहली बार देख रहे हो.
साहिल: (पायल की आँखों मे देखते हुए, जो प्यार से भरी हुई थी. पर उसकी प्यार भारी आँखों मे अपने प्यार से रूठना सॉफ दिखाई दे रहा था.) हाँ पहली बार ही तो देख रहा हूँ.
पायल: (मुँह बनाते हुए) तो इसी को देखते रहना. मैं जा रही हूँ नीचे.
साहिल उसकी आँखों मे अपने लिए छुपे हुए प्यार को देख चुका था. जब पायल सीडयों से नीचे जा रही थी. तो साहिल उसे मुस्कुराता हुआ देख रहा था. जब पायल ने पीछे मूड कर देखा, तो साहिल के होंठो पर मुस्कान देख कर, उसका गुस्सा एक दम से ख़तम हो गया. दोनो ने एक दूसरे को देखा, दोनो के होंठो पर प्यार भरी मुस्कान थी. पायल ने नज़रें झुका ली. जैसे जतलाना चाहती हो. कि मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. पर तुम समझ नही रहे.
पायल के जाने के थोड़ी देर बाद, साहिल भी नीचे आ गया. पायल नीचे हाल मे ही बैठी हुई थी. साहिल को नीचे उतरता देख, पायल अपने बालों को सेट करनी लगी. जैसे वो खुद को उसके सामने खूबसूरत देखने की कॉसिश कर रही हो.
पायल: जा रहे हो ?
साहिल: हां. अब घर जाकर कॉलेज के लिए तैयार भी तो होना है.
पायल: कल फिर आओगे ना ?
साहिल: (पायल की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए) हां. कलाज मे मिलते हैं. अच्छा अब मे चलता हूँ.
साहिल पायल के घर से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा. पायल गेट पर खड़ी तब तक उसे देखते रही, जब तक कि साहिल उसकी नज़रों से ओझल नही हो गया. फिर साहिल रोज सुबह यूँ ही पायल के घर पर आने लगा. कभी -2 सुरजीत को जल्दी जाना पड़ता. इस दौरान पायल और साहिल की नज़दीकयँ बढ़ती रही. अब साहिल भी पायल को चाहने लगा था. पर साहिल जानता था कि, उसे खुद भी अपने अंज़ाम का पता नही है, फिर वो पायल को कैसे अपने प्यार का इज़हार कर सकता है. साहिल के कॉलेज का 1 साल पूरा हो चुका था. सुरजीत ने उसे काफ़ी बदल दिया था.
अब साहिल वही डरपोक किस्म का नही रहा था. जब साहिल के 1स्ट एअर के एग्ज़ॅम के बाद कॉलेज 1 मंथ के लिए क्लोज़ था. इस बात का जैसे ही सुमन को पता चला, तो उसने सोच लिया कि, यही सही वक़्त है. अब किसी भी तरहा साहिल को यहाँ लाना पड़ेगा. पर माँ का क्या. उनको कैसे मनाऊ. और साहिल यहाँ कहाँ रहेगा. मैं राज से क्या कहूँ. सुमन उस दिन सोचती रही. जब शाम को वो सो रही थी, उसके रूम के डोर पर दस्तक हुई.
सुमन ने उठ कर डोर खोला, तो सामने हरिया खड़ा था. हरिया को देखते ही, उसके दिमाग़ मे आया कि, हरिया इस काम मे उसकी मदद कर सकता है, साहिल को बचाने मे भी उसने बहुत मदद की थी.
सुमन: साहब हैं घर पर.
हरिया: नही मालकिन वो बाहर गये हुए हैं. आप आ जाएँ चाइ बन गयी है.
सुमन: अच्छा आप चलें. मे आती हूँ. मुझ आप से कुछ ज़रूरी बात भी करनी है ?
हरिया: जी.
सुमन बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गयी. हरिया चाइ की ट्राइ ले आया, और सुमन के सामने टेबल पर रखते हुए बोला. कहिए मालकिन क्या बात करनी है.
सुमन: काका आप तो जानते हैं कि, साहिल अब बड़ा हो गया है, अब राज को उसके अंजाम तक पहुँचाने का टाइम आ गया है. इसके लिए आप को मेरी मदद करनी होगी.
हरिया: मालकिन मैं तो ग़रीबी और कमज़ोरी के चंगुल मे फँसा आदमी हूँ. भला मे राज बाबू जैसे ताकतवर और रोबदार इंसान के विरोध मे कैसे लड़ सकता हूँ. ये मैं नही कर सकता. और वैसे भी मैं उनके माँ बाप के टाइम से इस हवेली मे काम कर रहा हूँ. इस हवेली और इसके लोगो के बहुत अहसान है मेरे ऊपेर. साहिल को बचाना अलग बात थी. एक इंसान होने के नाते ये मेरा फर्ज़ था कि, मैं उस नन्ही सी जान को बचाऊ.
सुमन: पर काका क्या तुम वो सब भूल गये. जो राज ने किया. तुम्हे याद है ना. राज की गंदी नीयत के चलते ही, तुम हमेशा अपनी बेटी से दूर रहे. वो दिन भूल गये, जब राज ने पूनम से ज़बरदस्ती करने की कोशिस की थी. अगर वक़्त रहती मे देख ना लेती. तो तुम्हारी बेटी का क्या होता. उस इंसान के नही उस हैवान की एक ही सज़ा है. और वो मौत.
हरिया: मे कुछ नही भूला मालकिन. पर मैं कर भी क्या सकता हूँ.
सुमन: तुम बस इतना करो क़ि, साहिल के रहने का इंतज़ाम कुछ दिनो के लिए कर दो. तुम्हारी बेटी अपने पति के साथ पास वाले शहर मे ही रहती है ना?. वहाँ पर कुछ दिनो के लिए साहिल के रहने का इंतज़ाम कर दो. फिर साहिल को पूनम के पति का चचेरा भाई बना कर उसे राज के पास काम दिलवा दो. बाकी मे देख लूँगी.
हरिया: ठीक है मालकिन. पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.
सुमन: हां बोलो.
हरिया: मुझ भले ही चाहे कुछ हो जाए. पर पूनम और उसके पति को कुछ नही होना चाहिए.
सुमन: ठीक है, उनकी ज़िम्मेदारी हम लेते हैं. तुम साहिल के रहने का इंतज़ाम करो. मैं साहिल को यहाँ बुल्वाती हूँ.
सुमन ने दोपहर को टीना के घर पर फोन किया. और उसे कहा कि, वो साहिल से बात करना चाहती है. पर कल दोपहर को फिर से फोन करेगी. साहिल को अपने घर पर बुलवा लेना. टीना ने साहिल के घर पर फोन किया. और साहिल को अगले दिन अपने घर आने को कहा. अगले दिन साहिल दोपहर को टीना के घर पर गया. घर पर टीना अकेली थी. दोपहर के 1 बजे सुमन का फोन आया. और उसने साहिल से बात करके सारी बात समझा दी. साहिल के सामने अब ये प्राब्लम थी, कि वो के मंथ के लिए बाहर जा रहा है. पर वो घर पर क्या कहेगा.
शाम को जब जय शर्मा घर वापिस आया, तो साहिल उसके पास जाकर बैठ गया.
साहिल: बाबा वो आपसे एक बात करनी थी.
ज़य शर्मा: हां बोलो बेटा.
साहिल: वो बाबा मेरे कॉलेज के फ्रेंड्स. कुछ दिनो के लिए मंसूरी जा रहे हैं, घूमने के लिए. क्या मे भी उनके साथ जा सकता हूँ.
ज़य शर्मा साहिल की ओर एक टक देखने लगा. साहिल आज तक कभी अकेला कहीं नही गया था. पर जय शर्मा साहिल मे पिछले कुछ दिनो मे बदलाव को देख कर खुश था. साहिल ने कभी उनसे कुछ नही माँगा था. और जय शर्मा जानता था, कि साहिल बहुत ही सुलझा और समझदार लड़का है. वो कभी भी ग़लत काम नही करेगा.
ज़य शर्मा: तो घूमने जाना चाहते हो.
साहिल: जी बाबा.
ज़य शर्मा: ठीक है चले जाओ. कब जा रहे हो ?
साहिल: जी बाबा कल जाउन्गा.
ज़य शर्मा: (उठ कर अलमारी से 20000 रुपये निकाल कर साहिल को देते हुए) ये लो बेटा. और इसमे से अपने लिए कोई अच्छा सा मोबाइल ले लेना. ताकि हम तुमसे बात करते रहे.
साहिल: (पैसे लेते हुए) जी बाबा.
अगले दिन साहिल सुबह ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा. ज़य शर्मा ने उसे अपनी कार से स्टेशन तक छोड़ दिया. ज़य शर्मा स्कूल जाने के लिए जल्दी मे था. इसीलिए वो स्टेशन के बाहर ही साहिल को छोड़ कर चला गया. साहिल ने उस शहर के लिए ट्रेन पकड़ी. जहाँ कभी जय शर्मा रहता था. शाम के 6 बजे. साहिल उसी शहर मे पहुँच गया.