hotaks444
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'हाई ये क्या कर रहे हो, छोड़ो !'
'क्या बीवी की सफाई कर रहा हूँ देखो तुम्हारी चूत कितना सूज गयी है सिकाई से थोड़ा आराम मिलेगा'
''रहने दो पति जी, मैं खुद कर लूँगी' और सवी ने उठने की कोशिश करी तो कमर में तेज दर्द हुआ और उसकी चीख सी निकल गयी.
सुनील ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम में ले गया, वहाँ तब पहले ही गरम पानी का भरा हुआ था, सुनील ने सवी को टब में लिटा दिया.
'उम्म थॅंक्स' सवी ने सुनील के गाल चूम लिए, गरम पानी से बहुत राहत मिली थी उसे.
'नो थॅंक्स नो सॉरी' कहता हुआ सुनील भी जब तब में घुसने लगा तो...
'अरे ना बाबा ना अब दो दिन तो मुझे माफ़ ही करो, जाओ बाहर नही तो फिर शुरू हो जाओगे'
'क्या बाहर जाउ, अरे अपनी बीवी के पास हूँ'
'जाओ ना प्लीज़ ! मेरी हालत पे तरस खाओ दो दिन मुझे अब छूना भी नही'
'अरे कुछ नही होता, अभी देखना कितनी फुर्ती तुम में आती है'
'ना ना, जाओ ना, कुछ देर मुझे अकेले छोड़ दो'
'ह्म्म ठीक है बाद में बताता हूँ' सुनील बाहर निकल गया और सवी मुस्कुराती हुई टब में लेटी गरम पानी से अपने जिस्म को टिकोर देने लगी.
बाहर आ सुनील ने कपड़े पहने और बाल्कनी में जा कर खड़ा हो गया. तभी होटेल की तरफ से अख़बार भी आ गया. सुनील ने खुद के लिए कॉफी बनाई और अख़बार ले बाहर बाल्कनी में बैठ गया.
कॉफी के घूँट पीते हुए सुनील अख़बार पढ़ने लग गया तभी सोनल का फोन आ गया.
'उूुुउउम्म्म्मममम्मूऊऊव्वववाााहह' एक लंबा चुंबन झड़ने के बाद सोनल बोली ' कैसा है मेरा जानू, नयी बीवी मुबारक हो, रात कैसी गुज़री'
'उम्म्मम्मूउव्वववाआह' सुनील ने भी चुंबन का जवाब दिया ' मिस्सिंग यू टू, आ जाओ ना'
'अरे कुछ दिन तो नयी बीवियों को दो, हमे तो आपके बच्चों ने बिज़ी रखा हुआ है अभी'
'सोनल पता नही जो किया वो ठीक है या नही, पर मैं तुम दोनो के बिना एक दिन नही रह सकता'
'सच जान हमारा भी दिल करता है अभी उड़ के आ जाएँ, पर अभी ये ठीक ना होगा, आख़िर उन दोनो के लिए भी तो तुम्हारी ज़िमेदारी है, हनिमून पे गये हो, फुल ऐश करो और कर्वाओ, अच्छा हां एक अच्छी खबर सुनो, जब तक तुम आओगे सुनेल भाई भी ठीक हो जाएगा, कितना अच्छा होगा अगर हम सब साथ रहे तो'
'ह्म्म ये तो अच्छी बात है, अच्छा सूमी कहाँ है?'
'बाथरूम में है अभी फोन करवाती हूँ, मिस यू लव यू, बाइ'
'बाइ'
तभी फ़िज़ा में भीनी भीनी ताज़ी महक फैल गयी .
अपने बालों को सुखाती हुई रूबी टवल में लिपटी वहाँ आ गयी.
हवा की ताज़गी में और ताज़गी आ गयी. रूबी ने जैसी ही बालों को झटका ...
'ना झटको जुल्फ से पानी, ये मोती फुट जाएँगे, तुम्हारा कुछ ना बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे'
'धत्त'
'वहाँ दूर क्यूँ हो, इधर तो आओ'
'ना बाबा तुम कहीं शरारत करने लग गये तो' चेहरे से ना दिखाती फिर भी चलती हुई सुनील के पास आ कर उसकी गोद में बैठ गयी और अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी.
'हज़ूर भूक लगी है, नाश्ता मन्ग्वाओ' रूबी इठलाती हुई सुनील की गोद में बैठी हुई बोली.
'तो मुझ से पूछने की क्या ज़रूरत, जो दिल करे रूम सर्विस ऑर्डर कर दो'
'मैं ऑर्डर कर के आ ती हूँ' रूबी बोल उठने लगी, लेकिन सुनील ने पकड़ लिया इतनी भी जल्दी क्या है, पहले इस भूके की कुछ तो भूख मिटा दो.'
'क्यूँ जी रात को भूख नही मिटी क्या?'
'स्वाद भी तो बदलना चाहिए'
' ना जी ना ये गंदी आदत पड़ गयी तो हम बेचारियों का क्या होगा, आप तो नये पकवान खाने बाहर ही भागते रहेंगे'
'मैं तो अपने घर के पकवान के बारे में बोल रहा था जानेमन' और सुनील ने रूबी के चेहरे को थाम उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.
'उम्म्म्म' रूबी के बोल मुँह में ही अटक गये और कटी पतंग की तरहा ढह गयी सुनील के आगोश में, जी भर के रूबी के होंठों को चूसने के बाद सुनील ने उसे छोड़ा तो हाँफती हुई खड़ी हुई और प्यार से सुनील की छाती पे दो तीन मुक्के मारती हुई बोली' गंदे गंदे गंदे' और भाग खड़ी हुई अंदर कमरे में, फोन उठा ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दिया और तयार होने लगी, चेहरे पे लाली छा गयी थी, दिल की धड़कन संभाल नही पा रही थी. मुश्किल से तयार हुई वो.
'क्या बीवी की सफाई कर रहा हूँ देखो तुम्हारी चूत कितना सूज गयी है सिकाई से थोड़ा आराम मिलेगा'
''रहने दो पति जी, मैं खुद कर लूँगी' और सवी ने उठने की कोशिश करी तो कमर में तेज दर्द हुआ और उसकी चीख सी निकल गयी.
सुनील ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम में ले गया, वहाँ तब पहले ही गरम पानी का भरा हुआ था, सुनील ने सवी को टब में लिटा दिया.
'उम्म थॅंक्स' सवी ने सुनील के गाल चूम लिए, गरम पानी से बहुत राहत मिली थी उसे.
'नो थॅंक्स नो सॉरी' कहता हुआ सुनील भी जब तब में घुसने लगा तो...
'अरे ना बाबा ना अब दो दिन तो मुझे माफ़ ही करो, जाओ बाहर नही तो फिर शुरू हो जाओगे'
'क्या बाहर जाउ, अरे अपनी बीवी के पास हूँ'
'जाओ ना प्लीज़ ! मेरी हालत पे तरस खाओ दो दिन मुझे अब छूना भी नही'
'अरे कुछ नही होता, अभी देखना कितनी फुर्ती तुम में आती है'
'ना ना, जाओ ना, कुछ देर मुझे अकेले छोड़ दो'
'ह्म्म ठीक है बाद में बताता हूँ' सुनील बाहर निकल गया और सवी मुस्कुराती हुई टब में लेटी गरम पानी से अपने जिस्म को टिकोर देने लगी.
बाहर आ सुनील ने कपड़े पहने और बाल्कनी में जा कर खड़ा हो गया. तभी होटेल की तरफ से अख़बार भी आ गया. सुनील ने खुद के लिए कॉफी बनाई और अख़बार ले बाहर बाल्कनी में बैठ गया.
कॉफी के घूँट पीते हुए सुनील अख़बार पढ़ने लग गया तभी सोनल का फोन आ गया.
'उूुुउउम्म्म्मममम्मूऊऊव्वववाााहह' एक लंबा चुंबन झड़ने के बाद सोनल बोली ' कैसा है मेरा जानू, नयी बीवी मुबारक हो, रात कैसी गुज़री'
'उम्म्मम्मूउव्वववाआह' सुनील ने भी चुंबन का जवाब दिया ' मिस्सिंग यू टू, आ जाओ ना'
'अरे कुछ दिन तो नयी बीवियों को दो, हमे तो आपके बच्चों ने बिज़ी रखा हुआ है अभी'
'सोनल पता नही जो किया वो ठीक है या नही, पर मैं तुम दोनो के बिना एक दिन नही रह सकता'
'सच जान हमारा भी दिल करता है अभी उड़ के आ जाएँ, पर अभी ये ठीक ना होगा, आख़िर उन दोनो के लिए भी तो तुम्हारी ज़िमेदारी है, हनिमून पे गये हो, फुल ऐश करो और कर्वाओ, अच्छा हां एक अच्छी खबर सुनो, जब तक तुम आओगे सुनेल भाई भी ठीक हो जाएगा, कितना अच्छा होगा अगर हम सब साथ रहे तो'
'ह्म्म ये तो अच्छी बात है, अच्छा सूमी कहाँ है?'
'बाथरूम में है अभी फोन करवाती हूँ, मिस यू लव यू, बाइ'
'बाइ'
तभी फ़िज़ा में भीनी भीनी ताज़ी महक फैल गयी .
अपने बालों को सुखाती हुई रूबी टवल में लिपटी वहाँ आ गयी.
हवा की ताज़गी में और ताज़गी आ गयी. रूबी ने जैसी ही बालों को झटका ...
'ना झटको जुल्फ से पानी, ये मोती फुट जाएँगे, तुम्हारा कुछ ना बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे'
'धत्त'
'वहाँ दूर क्यूँ हो, इधर तो आओ'
'ना बाबा तुम कहीं शरारत करने लग गये तो' चेहरे से ना दिखाती फिर भी चलती हुई सुनील के पास आ कर उसकी गोद में बैठ गयी और अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी.
'हज़ूर भूक लगी है, नाश्ता मन्ग्वाओ' रूबी इठलाती हुई सुनील की गोद में बैठी हुई बोली.
'तो मुझ से पूछने की क्या ज़रूरत, जो दिल करे रूम सर्विस ऑर्डर कर दो'
'मैं ऑर्डर कर के आ ती हूँ' रूबी बोल उठने लगी, लेकिन सुनील ने पकड़ लिया इतनी भी जल्दी क्या है, पहले इस भूके की कुछ तो भूख मिटा दो.'
'क्यूँ जी रात को भूख नही मिटी क्या?'
'स्वाद भी तो बदलना चाहिए'
' ना जी ना ये गंदी आदत पड़ गयी तो हम बेचारियों का क्या होगा, आप तो नये पकवान खाने बाहर ही भागते रहेंगे'
'मैं तो अपने घर के पकवान के बारे में बोल रहा था जानेमन' और सुनील ने रूबी के चेहरे को थाम उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.
'उम्म्म्म' रूबी के बोल मुँह में ही अटक गये और कटी पतंग की तरहा ढह गयी सुनील के आगोश में, जी भर के रूबी के होंठों को चूसने के बाद सुनील ने उसे छोड़ा तो हाँफती हुई खड़ी हुई और प्यार से सुनील की छाती पे दो तीन मुक्के मारती हुई बोली' गंदे गंदे गंदे' और भाग खड़ी हुई अंदर कमरे में, फोन उठा ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दिया और तयार होने लगी, चेहरे पे लाली छा गयी थी, दिल की धड़कन संभाल नही पा रही थी. मुश्किल से तयार हुई वो.