hotaks444
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दोनो ने इधर उधर देखा दूर दूर तक कोई नही था …. फिर दोनो वहीं नंगी हो गयी और बिकनी पहन ली… कपड़े मोटर बोट में ही रख दिए… सुनील ने भी सभी कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ अंडर वेअर में रह गया.
इसके बाद तीनो वहीं पानी में अधखेलियाँ करने लगे……सोनल ने शरारत में सुनील का अंडरवेर ही उतार डाला.
फिर सुनील उसके पीछे पड़ गया …..वह पानी में इधर उधर होती रही कभी सूमी के पीछे दुबक जाती कभी गहरे पानी की तरफ चली जाती. पर सुनील भी कम नही था… उसने उसे पकड़ ही लिया और बीच पे ला उसके उपर चढ़ गया. धिन्गा मस्ती में सोनल की बिकिनी फाटती चली गयी और वो नग्न हो गयी.
सुनील कस कस के उसके उरोज़ मसल्ने लग गया. और सोनल की चीखें दूर दूर तक गूंजने लगी… पर वहाँ कोई नही था.. ये एक निर्जन आइलॅंड था ……यहाँ कोई वास नही कर पाता था क्यूंकी साल में 3-4 ऐसे तुफ्फान आते थे जो सब कुछ बहा ले जाते थे. इसलिए वह सिर्फ़ खाली बड़े बड़े नॅचुरल बीच और जंगल ही थे.
दोपहर हो चुकी थी सब थक चुके थे… सूमी ने वहीं एक चादर बिछा दी… और सुनील को सोनल से दूर किया जो अब तक रोने को हो आई थी.
फिर सुनील ने मोटर बोट से समान निकाला.. तीनो ने वाइन के साथ लंच ख़तम किया….जैसे जैसे लंच अपने आखरी दौर पे पहुँच रहा था सुनील सीरीयस होता जा रहा था….और दोनो औरतें बस उसका चेहरे को देख हैरानी में पड़ी हुई थी.
सुमन : डार्लिंग हम लोग हनिमून पे हैं……..प्लीज़ कोई ऐसी बात मत करना … कि हनिमून का मज़ा खराब हो जाए… जो भी बातें तुम करना चाहते हो वो हनिमून के बाद भी तो हो सकती हैं.
सुनील : मैं कुछ ज़यादा नही बोलने वाला… पर सोनल को पूरा हक़ है मेरे बारे में सब कुछ जानने का…. बीवी बन चुकी है वो मेरी और मैं नही चाहता कि उसे कोई भी बात ग़लत तरीके से किसी और से पता चले … और वो ग़लत मतलब निकाल बैठे……..मैं आज के बाद हम तीनो के भी कभी भी किसी तरहा की कड़वाहट नही चाहता.
सोनल : आप क्या बोल रहे हो… ऐसा क्या है आपके बारे में जो मुझे पता नही… मेरे सामने पाले बड़े हो…कुछ भी तो नही छुपा है मुझ से.
सुनील : क्या तुम जानती हो मैं अपने डॅड का बेटा नही हूँ.
बॉम्ब फट गया….. सूमी की गर्दन शर्म से झुक गयी और सोनल का मुँह खुला रह गया.
‘सुमन की तरफ ऐसे मत देखो. उसका कोई कसूर नही.. अगर होता तो आज वो मेरे बीवी नही होती.
जिस तरहा मैं डॅड के बेटा नही उसी तरहा रूबी समर की बेटी नही.’
सुनील का इतना कहना कि सुमन का कोई कसूर नही …. सोनल के लिए काफ़ी था. उसने सुनील के होंठों पे हाथ रख दिए…. ‘मुझे कुछ नही जानना…. मैं बस इतना जानती हूँ… मैं आपकी बीवी हूँ और जिंदगी भर आपके प्यार के साए तले रहना चाहती हूँ. पीछे हम लोगो का क्या इतिहास है उसे मैं नही जानना चाहती ……आप हम तीनो का हनिमून ये जली कटी बातें सुना के खराब मत करो.. ये सब जानने के बाद भी मेरे दिल में ना आपके लिए इज़्ज़त में कोई कमी आएगी ना ही मोम के लिए.’
सुमन – सोनल के गले लग रो पड़ी.
'बस दीदी …ये तो हैं ही ऐसे… हर वक़्त धर्मात्मा बने रहते हैं…फालतू में आपको रुला दिया…बस आपको मेरी कसम…अब एक आँसू भी नही…
और आप सुन लीजिए…. मैं जानती हूँ आप डॅड की कितनी इज़्ज़त करते हैं.. किस तरहा आपने खुद से लड़ डॅड के आखरी हुकुम को माना और दीदी को अपनी पत्नी बनाया……बस हम लोगो के लिए यही सच है और कुछ नही….प्लीज़ ना अपना दिल दुखाइए ना ही हम दोनो का.’
सुनील बस सोनल को देखता रहा… उसने सोचा था बहुत है हल्ला मचाएगी हर डीटेल में जाना चाहेगी … पर उसने तो बात ही यहीं ख़तम कर दी. सोनल के लिए उसके दिल में प्यार और भी बढ़ गया… ऐसा ही तो जीवन साथी चाहिए था उसे सुमन के बाद ……आज भी उसे जब सुमन का लिया हुआ वादा याद आता जो एक बड़ा कारण था सोनल का उसकी जिंदगी में आने का …. सुनील के दिल में सुमन के लिए अतः प्यार का सागर उमड़ पड़ता ……कितनी सेल्फलेस थी वो… उसे इस बात की ज़यादा चिंता थी … कि उम्र उसे बीच रास्ते में साथ छोड़ने को मजबूर कर देगी … तो उसके बाद मेरा क्या होगा…. कैसी शर्त रखी उसने और तब जा कर शादी करने को तयार हुई.
सुनील यही सब सोच रहा था कि सोनल उसके साथ चिपक गयी.
‘डार्लिंग हम हनिमून पे आए हैं… और ये समय होता है बस एक दूसरे से प्यार करने का…. दिल के घाव कुरेदने का नही….अब अपना मूड ठीक करो और देखो दीदी कितनी उदास हो गयी है… अब ज़रा उन्हें कुछ प्यार करो और दिल बहलाओ उनका… वैसे आपने ये आइलॅंड बड़ा मस्त चुना है… दूर दूर तक कोई नही सिवाय हमारे …. मैं ड्रिंक बनाती हूँ… सब का मूड ठीक हो जाएगा..’
सुनील सुमन को अपने पास आने का इशारा करता है और वो खिसक के अपना सर सुनील के कंधे पे रख देती है.
तभी सुनील को उसके मोबाइल पे मुंबई वाले दोस्त का मसेज आता है जिसमे – लिखा था…. रमण एमडी छोड़ के किसी गाँव में चला गया था और 8 महीने बाद वापस आ गया है और फिर से एमडी के लिए जुट गया है.
सुनील ये मेसेज सुमन को दिखाता है और दोनो के बीच रमण की चर्चा शुरू हो जाती है …. जिसे सोनल सुन रही थी पर उसे कुछ समझ नही आता क्यूंकी सारी बात उसे पता नही थी. वो ड्रिंक्स ले के सामने बैठी बस इनकी बातें सुन रही थी.
‘हेलो हेलो हेलो ……. ये सब गंभीर बातें होटेल में चल के करना ….. और अब ये प्यारा सा वाइन का ग्लास आपके लरजते हुए होंठ का इंतेज़ार करिंग …….कम कम…. टेकिंग टेकिंग… चुस्की लेइंग… मूड रेफ्रेश करिंग…’
बिल्कुल किसी कमीडियन की तरहा बोली सोनल और सुनील - सुमन दोनो का हंस हंस के बुरा हाल हो गया.
फिर तीनो वाइन ग्लास ख़तम करते हैं… मौसम कुछ बदलता हुआ नज़र आ रहा था… आसमान पे बादल छा गये थे……..सुनील ने पहली बार मोटर बोट चलाई थी … उसे कुछ डर सा लगने लग गया.
इसके बाद तीनो वहीं पानी में अधखेलियाँ करने लगे……सोनल ने शरारत में सुनील का अंडरवेर ही उतार डाला.
फिर सुनील उसके पीछे पड़ गया …..वह पानी में इधर उधर होती रही कभी सूमी के पीछे दुबक जाती कभी गहरे पानी की तरफ चली जाती. पर सुनील भी कम नही था… उसने उसे पकड़ ही लिया और बीच पे ला उसके उपर चढ़ गया. धिन्गा मस्ती में सोनल की बिकिनी फाटती चली गयी और वो नग्न हो गयी.
सुनील कस कस के उसके उरोज़ मसल्ने लग गया. और सोनल की चीखें दूर दूर तक गूंजने लगी… पर वहाँ कोई नही था.. ये एक निर्जन आइलॅंड था ……यहाँ कोई वास नही कर पाता था क्यूंकी साल में 3-4 ऐसे तुफ्फान आते थे जो सब कुछ बहा ले जाते थे. इसलिए वह सिर्फ़ खाली बड़े बड़े नॅचुरल बीच और जंगल ही थे.
दोपहर हो चुकी थी सब थक चुके थे… सूमी ने वहीं एक चादर बिछा दी… और सुनील को सोनल से दूर किया जो अब तक रोने को हो आई थी.
फिर सुनील ने मोटर बोट से समान निकाला.. तीनो ने वाइन के साथ लंच ख़तम किया….जैसे जैसे लंच अपने आखरी दौर पे पहुँच रहा था सुनील सीरीयस होता जा रहा था….और दोनो औरतें बस उसका चेहरे को देख हैरानी में पड़ी हुई थी.
सुमन : डार्लिंग हम लोग हनिमून पे हैं……..प्लीज़ कोई ऐसी बात मत करना … कि हनिमून का मज़ा खराब हो जाए… जो भी बातें तुम करना चाहते हो वो हनिमून के बाद भी तो हो सकती हैं.
सुनील : मैं कुछ ज़यादा नही बोलने वाला… पर सोनल को पूरा हक़ है मेरे बारे में सब कुछ जानने का…. बीवी बन चुकी है वो मेरी और मैं नही चाहता कि उसे कोई भी बात ग़लत तरीके से किसी और से पता चले … और वो ग़लत मतलब निकाल बैठे……..मैं आज के बाद हम तीनो के भी कभी भी किसी तरहा की कड़वाहट नही चाहता.
सोनल : आप क्या बोल रहे हो… ऐसा क्या है आपके बारे में जो मुझे पता नही… मेरे सामने पाले बड़े हो…कुछ भी तो नही छुपा है मुझ से.
सुनील : क्या तुम जानती हो मैं अपने डॅड का बेटा नही हूँ.
बॉम्ब फट गया….. सूमी की गर्दन शर्म से झुक गयी और सोनल का मुँह खुला रह गया.
‘सुमन की तरफ ऐसे मत देखो. उसका कोई कसूर नही.. अगर होता तो आज वो मेरे बीवी नही होती.
जिस तरहा मैं डॅड के बेटा नही उसी तरहा रूबी समर की बेटी नही.’
सुनील का इतना कहना कि सुमन का कोई कसूर नही …. सोनल के लिए काफ़ी था. उसने सुनील के होंठों पे हाथ रख दिए…. ‘मुझे कुछ नही जानना…. मैं बस इतना जानती हूँ… मैं आपकी बीवी हूँ और जिंदगी भर आपके प्यार के साए तले रहना चाहती हूँ. पीछे हम लोगो का क्या इतिहास है उसे मैं नही जानना चाहती ……आप हम तीनो का हनिमून ये जली कटी बातें सुना के खराब मत करो.. ये सब जानने के बाद भी मेरे दिल में ना आपके लिए इज़्ज़त में कोई कमी आएगी ना ही मोम के लिए.’
सुमन – सोनल के गले लग रो पड़ी.
'बस दीदी …ये तो हैं ही ऐसे… हर वक़्त धर्मात्मा बने रहते हैं…फालतू में आपको रुला दिया…बस आपको मेरी कसम…अब एक आँसू भी नही…
और आप सुन लीजिए…. मैं जानती हूँ आप डॅड की कितनी इज़्ज़त करते हैं.. किस तरहा आपने खुद से लड़ डॅड के आखरी हुकुम को माना और दीदी को अपनी पत्नी बनाया……बस हम लोगो के लिए यही सच है और कुछ नही….प्लीज़ ना अपना दिल दुखाइए ना ही हम दोनो का.’
सुनील बस सोनल को देखता रहा… उसने सोचा था बहुत है हल्ला मचाएगी हर डीटेल में जाना चाहेगी … पर उसने तो बात ही यहीं ख़तम कर दी. सोनल के लिए उसके दिल में प्यार और भी बढ़ गया… ऐसा ही तो जीवन साथी चाहिए था उसे सुमन के बाद ……आज भी उसे जब सुमन का लिया हुआ वादा याद आता जो एक बड़ा कारण था सोनल का उसकी जिंदगी में आने का …. सुनील के दिल में सुमन के लिए अतः प्यार का सागर उमड़ पड़ता ……कितनी सेल्फलेस थी वो… उसे इस बात की ज़यादा चिंता थी … कि उम्र उसे बीच रास्ते में साथ छोड़ने को मजबूर कर देगी … तो उसके बाद मेरा क्या होगा…. कैसी शर्त रखी उसने और तब जा कर शादी करने को तयार हुई.
सुनील यही सब सोच रहा था कि सोनल उसके साथ चिपक गयी.
‘डार्लिंग हम हनिमून पे आए हैं… और ये समय होता है बस एक दूसरे से प्यार करने का…. दिल के घाव कुरेदने का नही….अब अपना मूड ठीक करो और देखो दीदी कितनी उदास हो गयी है… अब ज़रा उन्हें कुछ प्यार करो और दिल बहलाओ उनका… वैसे आपने ये आइलॅंड बड़ा मस्त चुना है… दूर दूर तक कोई नही सिवाय हमारे …. मैं ड्रिंक बनाती हूँ… सब का मूड ठीक हो जाएगा..’
सुनील सुमन को अपने पास आने का इशारा करता है और वो खिसक के अपना सर सुनील के कंधे पे रख देती है.
तभी सुनील को उसके मोबाइल पे मुंबई वाले दोस्त का मसेज आता है जिसमे – लिखा था…. रमण एमडी छोड़ के किसी गाँव में चला गया था और 8 महीने बाद वापस आ गया है और फिर से एमडी के लिए जुट गया है.
सुनील ये मेसेज सुमन को दिखाता है और दोनो के बीच रमण की चर्चा शुरू हो जाती है …. जिसे सोनल सुन रही थी पर उसे कुछ समझ नही आता क्यूंकी सारी बात उसे पता नही थी. वो ड्रिंक्स ले के सामने बैठी बस इनकी बातें सुन रही थी.
‘हेलो हेलो हेलो ……. ये सब गंभीर बातें होटेल में चल के करना ….. और अब ये प्यारा सा वाइन का ग्लास आपके लरजते हुए होंठ का इंतेज़ार करिंग …….कम कम…. टेकिंग टेकिंग… चुस्की लेइंग… मूड रेफ्रेश करिंग…’
बिल्कुल किसी कमीडियन की तरहा बोली सोनल और सुनील - सुमन दोनो का हंस हंस के बुरा हाल हो गया.
फिर तीनो वाइन ग्लास ख़तम करते हैं… मौसम कुछ बदलता हुआ नज़र आ रहा था… आसमान पे बादल छा गये थे……..सुनील ने पहली बार मोटर बोट चलाई थी … उसे कुछ डर सा लगने लग गया.