hotaks444
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आखिरकार शुभम के तेज झटकों की बदौलत निर्मला का मदन रस भलभलाकर बहने लगा,,, साथ ही वह भी झड़ गया,,, लेकिन कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आया कि उन दोनों के बदन में ऐसा कौन सी हरकत हुई कि दोनों एकदम से थक गए दोनों शांत एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े थे।,, दोनों का काम निपट चुका था लेकिन कोमल यह नहीं जानती थी इसलिए वह अभी भी उस छेंद मे आंख गड़ाए अंदर के दृश्य को देख रही थी,,, लेकिन जैसे ही शुभम अपनी मां के ऊपर से उठा कोमल तुरंत वहां से चली गई।
कोमल अपने कमरे में आकर लंबी लंबी सांसे भर रही थी जो कुछ भी उसने कुछ देर पहले देखी उसे देखने के बावजूद भी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह प्रकृति के बिल्कुल विरुद्ध था,,,, क्योंकि शुभम और निर्मला के बीच हुए इस शारीरिक संबंध को समाज बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं देता, इसलिए तो कोमल को भी आंखों देखी ऊस नजारे पर अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन उसने जो अपनी आंखों से देखी थी उसे झुटलाया भी नहीं जा सकता था।,,, बिस्तर पर बैठकर वह अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी लेकिन जो नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी वह नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था और कोमल के लिए पहली बार ही था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी सांसो की गति सामान्य नहीं हो रही थी। वह अनजाने में ही उत्तेजना के भंवर में फंसती चली जा रही थी,, क्योंकि मां बेटे के बीच का यह अवैध शारीरिक संबंध की वजह से उसे क्रोध कम और आकर्षण ज्यादा महसूस हो रहा था,,,। एक मन उसका यह कहता था कि दोनों के बीच हो रहे इस तरह के नाजायज संबंध ध के पात्र हैं और वह इस बारे में अपनी मां को जरूर बताएगी लेकिन तभी उसका दूसरा नाम कमरे के उससे दृश्य को याद करके उसके प्रति आकर्षित हुआ जाता था क्योंकि जिंदगी में उसने पहली बार ऐसे नजारे को देखीे थीे और अभी अभी वो जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, उसके बदन की शारीरिक रचनाओ में बदलाव आ चुके थे। उसका बदन भरना शुरू हुआ था होठों की लाली निखरने लगी थी,,, नींबू के आकार से नारंगी के आकार में तब्दील हो रही चूचियां छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,,। मोरनी सी पतली कमर पगडंडियां चलते समय बलखा जाती थी नितंबों का उभार बढ़ने लगा था कुल मिलाकर कोमल पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन अब तक संपूर्ण रूप से अनछुई थी।,,,, बार-बार वह अपनी सांसो की गति को सामान्य करने की कोशिश करती थी लेकिन कमरे का बेहद कामुक नजारा उसकी आंखों के सामने किसी चलचित्र की भांती चल रही थी जिसके कारण वह पूरी तरह से विवश हो चुकी थी।,,,, वह बार-बार निर्मला के नंगे बदन के बारे में सोच रही थी और यह भी सोचकर अपने अंदर अजीब सी सुरसुराहट को अनुभव कर रही थी कि कैसे अपनी ही मां पर शुभम चढ़ा हुआ था और उसे चोद रहा था,,,,,
कोमल की सांसे सामान्य होने का नाम नहीं ले रही थी।
कर भी क्या सकती थी उसकी उम्र ऐसे दौर पर पहुंच चुकी थी कि जहां पर शारीरिक आकर्षण अपना स्थान ले लेती है,,,। इसलिए तो ऊसकी आंखों के सामने बार बार को धमकी ऊपर नीचे हो रही कमर और निर्मला की मोटी मोटी जांघे जिसके बीचो-बीच शुभम अपनी करामत दिखा रहा था।,,,,, कोमल के बदन का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा था,,,। वह अजीबोगरीब परिस्थिति में फंस चुकी थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो उसे उन दोनों के बीच के इस संबंध को लेकर क्रोध भी आ रहा था और अजीब सा उनके प्रति आकर्षण भी होता जा रहा था। सबसे ज्यादा हलचल उसे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रहा था उसे उसकी बुर वाली स्थान हल्की-हल्की गिली होती महसूस हो रही थी। उत्तेजना के मारे उसे जोरो से पेशाब भी लगी हुई थी,। मन में निश्चय कर ली कि उन दोनों की करतूतों को वह अपनी मां को बता कर रहेगी,,,,,,
यह सोच कर वहां अपने कमरे से बाहर निकलकर पेशाब करने चली गई,,,,
दूसरी तरफ इस बात से बेखबर निर्मला और सुभम संभोग सुख का आनंद लूटने के बाद दुनिया से बेखबर नग्नावस्था में एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर चैन की नींद सो रहे थे। शाम हो चुकी थी,, लेकिन अभी तक शुभम और निर्मला कमरे से बाहर नहीं आए थे इसलिए कोमल की मम्मी कोमल को उन्हें बुला लाने के लिए बोली,,, सभी कोमल अपनी मम्मी से उन दोनों की बात बताने के उद्देश्य से बोली,,।
किसको बुला लाऊ मम्मी,,,?
अरे अपने भाई शुभम और बुआ को अब तक अपने कमरे में सो रहे हैं,,,।
अरे जाने दो ना मम्मी आराम कर रहे होंगे दिन भर काम करके थक जाते हैं,,,।( कोमल चुटकी लेते हुए बोली जो कि उसकी मम्मी नहीं समझ पा रही थी।)
अरे आज कौन सा काम था आराम ही तो कर रही है और वैसे भी उन्हें काम करने को कौन कह रहा है यहां आकर थोड़ा बैठेंगी तो उन्हें भी अच्छा लगेगा,,,।
अरे मम्मी तुम नहीं जानती यहां बैठने से अच्छा वह दोनों कमरे में ही अच्छे से आराम कर लेते है।
तु बातें मत बना जा जल्दी जाकर बुला ला। ( कोमल की मम्मी थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली)
इतना गुस्सा क्यों हो रही हो जा रही हूं बुलाने,,, अच्छा एक बात कहूं मम्मी,,, बहुत ही राज की बात है,,,,। ( कोमल अपनी मां को सारी हकीकत बता देनैं के उद्देश्य से बोली,,,।)
तू क्यों घुमा फिरा कर बातें कर रही है बता तुझे क्या बताना है,,, बड़ी आई है राज की बात बताने,,,,।
( कोमल को यही समय ठीक लगा निर्मला और शुभम की बात बताने के लिए क्योंकि इस समय वहां पर कोई भी मौजूद नहीं था और कोमल भी अपने चारों तरफ नजरें घुमा कर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मां के करीब आकर धीरे से बोली।)
मम्मी आज दिन में मैंने बंद कमरे में जो देखा उस पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा है,,,,
( कोमल घबराते हुए अपनी मां को सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन उसकी मां थी कि उसकी बात पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी और वह अपने ही काम में मस्त थी,, और कोमल को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से उस घटना के बारे में कैसे बोलें उसे शर्म सी महसूस हो रही थी,,,, कोमल अपनी बात को आगे पूरा करती उससे पहले ही उसकी मम्मी ने निर्मला को आते हुए देख लीे और बोली,,,,
लो वह तो खुद ही आ रही है,,,,
( इतना सुनते ही कोमल चौक कर देखने लगी निर्मला मुस्कुराते हुए जा रही थी,,, कोमल निर्मला के मुस्कुराते हुए चेहरे को ध्यान से देख रही थी और उसके चेहरे के भोलेपन के पीछे छिपी वासना की मूर्ति को पहचानने की कोशिश कर रही थी,,,, वह मन ही मन में सोच रही थी कि निर्मला को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वह अंदर से इतनी गिरी हुई है इतनी गंदी औरत है कि खुद के ही बेटे के साथ चुदवा रही थी,,,। इतने गौर से अपने आप को देख रही कोमल को देखकर निर्मला बोली,,, ।
ऐसे क्या देख रही हो कोमल?
ककककक,,, कुछ नहीं हुआ बस यही देख रही थी कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
नहीं बेटा मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत तुम हो (निर्मला मुस्कुराते हुए कोमल के खूबसूरत गाल को दबाते हुए बोली,,,,, निर्मला की बातों से मिलकर कोमल मन ही मन सोचने लगी कि कितनी नीच औरत है इतनी प्यारी प्यारी बातें करती है कि इसको देखकर, कोई यह नहीं कह सकता कि खूबसूरत चेहरे के पीछे गंदी औरत छुपी हुई है।,,, कोमल यह सब सोच ही रही थी कि तभी निर्मला कोमल की मम्मी से बोली,,,
आपको कुछ काम था मुझे बुलवाने भेजी थी,,
अरे ऐसी कोई बात नहीं थी दोस्तों की नहीं थी की बैठ कर इधर उधर की गपशप लड़ाएगे और साथ में काम भी हो जाएगा,,,,
कोई बात नहीं दोपहर में थकान की वजह से मैं नहीं आ सकी चलो अब बातें कर लेते,,,,
( इतना कहकर निर्मला और कोमल की मम्मी दोनों हंसने लगी लेकिन कोमल निर्मला की झूठी बातें सुनकर मन ही मन उसे भला बुरा कह रही थी,,,।)
कोमल बार-बार अपनी मां से उस रात के बारे में बताना चाह रही थी लेकिन वह किसी न किसी कारणवश बता नहीं पा रही थी खास करके उसे जब भी सही मौका मिलता तो शर्म के मारे उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी क्योंकि कोमल बेहद पर एक लड़की थी और संस्कारी थी इसलिए उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे एक मां और बेटे के बीच के शारीरिक संबंध को शब्दों में अपनी मां से कहें,,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह इतनी ज्यादा व्याकुल हुए जा रही थी कि बिना बताए उसे चैन भी नहीं मिलता लेकिन कैसे बताएं इसका सही समय ढूंढ रही थी।
ऐसे ही उसी रात रात को गाना बजाना हो रहा था सभी औरतें पास पड़ोस की आंगन में इकट्ठा होकर गाना बजाना और नाच रही थी। वहां पर सभी औरतें इकट्ठा थे निर्मला भी वहीं बैठ कर गाने बजाने का आनंद ले रहे थी कोमल तो बस मौका देख रही थी क्या वह अपनी मां से सारी घटनाएं बता दे इसलिए वहां बैठे हुए थे और उसके करीब ही कुछ दूरी पर शुभम भी बैठकर पहली बार गांव में शादी के उत्सव का आनंद ले रहा था लेकिन खास करके वह नाच रही औरतो कि मटकती गांड को देखकर उत्तेजित हुए जा रहा था।,,, जब औरतें अपनी गांड मत करा कर नाच रही होती तब शुभम उनकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर एक दम चुदवासा हुए जा रहा था। इसलिए वह जुगाड़ में था कि उसके लंड को शांत करने वाली कोई मिल जाए।,,, वह ईसी ताक मे वहां बैठा हुआ था,,, कोमल बार-बार शुभम की तरफ देख रही थी लेकिन उस से नजरें मिलाने की ताकत उसमें नहीं थी क्योंकि उसे देख कर उसे दोपहर वाली सारी घटनाएं उसकी आंखों के सामने नाचने लगती थी और वह शर्म से खुद पानी पानी हुए जा रही थी।,,,
अभी कुछ देर बाद कोमल की मम्मी यानी कि शुभम की बड़ी मामी औरतों के बीच में से उठी और घर के पीछे की तरफ जाने लगी कोमल अपनी मां को देख रही थी और उसके मन में भूचाल मचा हुआ था वह किसी भी तरीके से अपनी मां को दोपहर वाली बात बता देना चाहती थी,,,, वह अपनी मां को सारी बातें बताने के लिए वहां पर जाती इससे पहले ही शुभम भी वहीं बैठ कर अपनी बड़ी मामी को घर के पीछे जाते हुए देख लिया,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसे अपने लिए जुगाड़ का इंतजाम होते हुए देखकर वह भी कोमल के पहले ही घर के पीछे की तरफ कदम बढ़ाने लगा,,,, यह देखकर कोमल को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जिस तरह शुभम जा रहा था उसी तरह उसकी मां भी जा रही थी और जाहिर था कि कोमल को इस बात का अंदाजा था कि उसकी मां घर के पीछे रात के समय पेशाब करने ही जा रही थी,,, वह एकदम से सोच में पड़ गई, की इतनी रात को शुभम घर के पीछे क्या करने जा रहा है तभी वह सोचि कि हो सकता है कि वह भी पेशाब करने जा रहा है,,,, लेकिन वहां तो उसकी मां पेशाब करने गई हुई थी।
कोमल यह सोच कर हैरान हो गई कि कहीं शुभम उसकी मां को यहां पर पेशाब करते हुए ना देख ले क्योंकि शुभम को जिस हाल में हुआ अपनी मां के साथ दोपहर में देख चुकी थी,,, उसे देखते हुए उसके चरित्र पर जरा भी मुझसे भरोसा नहीं था उसे यह डर था कि कहीं उसकी नजर उसकी मां पर भी ना बिगड़ जाए इसलिए वह भी जल्दी-जल्दी पीछे की तरफ जाने,,, लगी,,, कोमल थोड़ी देर बाद ही घर के पीछे पहुंच गई वह दीवार के पीछे खड़ी होकर देखने की कोशिश करने लगी अंधेरा जरूर था लेकिन,,, चांदनी बिखरी हुई थी जिसकी वजह से सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था कोमल को उसकी मां पेड़ के नीचे खड़ी दिखाई दे रही थी और उसके कुछ ही दूरी पर शुभम भी दीवार का सहारा लेकर उसकी मां को ही देखे जा रहा था,,,, कोमल की मम्मी अभी वैसे ही खड़ी होकर अपने चारों तरफ नजरें दोड़ा रही थी,,, वह यह तसल्ली कर लेना चाह रही थी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है और धीरे से उसने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर अपनी साड़ी के छोर को पकड़ ली,,, कोमल समझ गई थी उसकी मां अब साड़ी ऊपर उठाने वाली है,,, और यह अंदाजा शुभम भी लगा लिया था तभी तो उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उसकी पेंट के उठान पर चला गया उन्हें देखकर कोमल अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,, वह समझ गई थी शुभम उसकी मां के लिए भी गंदा ही सोच रहा है और यही कोमल को भी सही समय लगा,,, अपनी बात उसकी मा से बताने के लिए क्योंकि वह मन में सोच रही थी कि,,, उसकी मां को पेशाब करता हुआ देखकर शुभम जरूर ऐसी वैसी हरकत करेगा और उसकी मां गुस्से में आकर उसे डांटेगी,,, और वह भी क्रोधित होकर दोपहर वाली बात को अपनी मां से बता देगी यही सोचकर वह दीवार के पीछे खड़ी होकर सामने के नजारे को देखकर उचित समय का इंतजार करने लगी,,,,।
कोमल अपने कमरे में आकर लंबी लंबी सांसे भर रही थी जो कुछ भी उसने कुछ देर पहले देखी उसे देखने के बावजूद भी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह प्रकृति के बिल्कुल विरुद्ध था,,,, क्योंकि शुभम और निर्मला के बीच हुए इस शारीरिक संबंध को समाज बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं देता, इसलिए तो कोमल को भी आंखों देखी ऊस नजारे पर अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन उसने जो अपनी आंखों से देखी थी उसे झुटलाया भी नहीं जा सकता था।,,, बिस्तर पर बैठकर वह अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी लेकिन जो नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी वह नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था और कोमल के लिए पहली बार ही था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी सांसो की गति सामान्य नहीं हो रही थी। वह अनजाने में ही उत्तेजना के भंवर में फंसती चली जा रही थी,, क्योंकि मां बेटे के बीच का यह अवैध शारीरिक संबंध की वजह से उसे क्रोध कम और आकर्षण ज्यादा महसूस हो रहा था,,,। एक मन उसका यह कहता था कि दोनों के बीच हो रहे इस तरह के नाजायज संबंध ध के पात्र हैं और वह इस बारे में अपनी मां को जरूर बताएगी लेकिन तभी उसका दूसरा नाम कमरे के उससे दृश्य को याद करके उसके प्रति आकर्षित हुआ जाता था क्योंकि जिंदगी में उसने पहली बार ऐसे नजारे को देखीे थीे और अभी अभी वो जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, उसके बदन की शारीरिक रचनाओ में बदलाव आ चुके थे। उसका बदन भरना शुरू हुआ था होठों की लाली निखरने लगी थी,,, नींबू के आकार से नारंगी के आकार में तब्दील हो रही चूचियां छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,,। मोरनी सी पतली कमर पगडंडियां चलते समय बलखा जाती थी नितंबों का उभार बढ़ने लगा था कुल मिलाकर कोमल पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन अब तक संपूर्ण रूप से अनछुई थी।,,,, बार-बार वह अपनी सांसो की गति को सामान्य करने की कोशिश करती थी लेकिन कमरे का बेहद कामुक नजारा उसकी आंखों के सामने किसी चलचित्र की भांती चल रही थी जिसके कारण वह पूरी तरह से विवश हो चुकी थी।,,,, वह बार-बार निर्मला के नंगे बदन के बारे में सोच रही थी और यह भी सोचकर अपने अंदर अजीब सी सुरसुराहट को अनुभव कर रही थी कि कैसे अपनी ही मां पर शुभम चढ़ा हुआ था और उसे चोद रहा था,,,,,
कोमल की सांसे सामान्य होने का नाम नहीं ले रही थी।
कर भी क्या सकती थी उसकी उम्र ऐसे दौर पर पहुंच चुकी थी कि जहां पर शारीरिक आकर्षण अपना स्थान ले लेती है,,,। इसलिए तो ऊसकी आंखों के सामने बार बार को धमकी ऊपर नीचे हो रही कमर और निर्मला की मोटी मोटी जांघे जिसके बीचो-बीच शुभम अपनी करामत दिखा रहा था।,,,,, कोमल के बदन का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा था,,,। वह अजीबोगरीब परिस्थिति में फंस चुकी थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो उसे उन दोनों के बीच के इस संबंध को लेकर क्रोध भी आ रहा था और अजीब सा उनके प्रति आकर्षण भी होता जा रहा था। सबसे ज्यादा हलचल उसे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रहा था उसे उसकी बुर वाली स्थान हल्की-हल्की गिली होती महसूस हो रही थी। उत्तेजना के मारे उसे जोरो से पेशाब भी लगी हुई थी,। मन में निश्चय कर ली कि उन दोनों की करतूतों को वह अपनी मां को बता कर रहेगी,,,,,,
यह सोच कर वहां अपने कमरे से बाहर निकलकर पेशाब करने चली गई,,,,
दूसरी तरफ इस बात से बेखबर निर्मला और सुभम संभोग सुख का आनंद लूटने के बाद दुनिया से बेखबर नग्नावस्था में एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर चैन की नींद सो रहे थे। शाम हो चुकी थी,, लेकिन अभी तक शुभम और निर्मला कमरे से बाहर नहीं आए थे इसलिए कोमल की मम्मी कोमल को उन्हें बुला लाने के लिए बोली,,, सभी कोमल अपनी मम्मी से उन दोनों की बात बताने के उद्देश्य से बोली,,।
किसको बुला लाऊ मम्मी,,,?
अरे अपने भाई शुभम और बुआ को अब तक अपने कमरे में सो रहे हैं,,,।
अरे जाने दो ना मम्मी आराम कर रहे होंगे दिन भर काम करके थक जाते हैं,,,।( कोमल चुटकी लेते हुए बोली जो कि उसकी मम्मी नहीं समझ पा रही थी।)
अरे आज कौन सा काम था आराम ही तो कर रही है और वैसे भी उन्हें काम करने को कौन कह रहा है यहां आकर थोड़ा बैठेंगी तो उन्हें भी अच्छा लगेगा,,,।
अरे मम्मी तुम नहीं जानती यहां बैठने से अच्छा वह दोनों कमरे में ही अच्छे से आराम कर लेते है।
तु बातें मत बना जा जल्दी जाकर बुला ला। ( कोमल की मम्मी थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली)
इतना गुस्सा क्यों हो रही हो जा रही हूं बुलाने,,, अच्छा एक बात कहूं मम्मी,,, बहुत ही राज की बात है,,,,। ( कोमल अपनी मां को सारी हकीकत बता देनैं के उद्देश्य से बोली,,,।)
तू क्यों घुमा फिरा कर बातें कर रही है बता तुझे क्या बताना है,,, बड़ी आई है राज की बात बताने,,,,।
( कोमल को यही समय ठीक लगा निर्मला और शुभम की बात बताने के लिए क्योंकि इस समय वहां पर कोई भी मौजूद नहीं था और कोमल भी अपने चारों तरफ नजरें घुमा कर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मां के करीब आकर धीरे से बोली।)
मम्मी आज दिन में मैंने बंद कमरे में जो देखा उस पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा है,,,,
( कोमल घबराते हुए अपनी मां को सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन उसकी मां थी कि उसकी बात पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी और वह अपने ही काम में मस्त थी,, और कोमल को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से उस घटना के बारे में कैसे बोलें उसे शर्म सी महसूस हो रही थी,,,, कोमल अपनी बात को आगे पूरा करती उससे पहले ही उसकी मम्मी ने निर्मला को आते हुए देख लीे और बोली,,,,
लो वह तो खुद ही आ रही है,,,,
( इतना सुनते ही कोमल चौक कर देखने लगी निर्मला मुस्कुराते हुए जा रही थी,,, कोमल निर्मला के मुस्कुराते हुए चेहरे को ध्यान से देख रही थी और उसके चेहरे के भोलेपन के पीछे छिपी वासना की मूर्ति को पहचानने की कोशिश कर रही थी,,,, वह मन ही मन में सोच रही थी कि निर्मला को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वह अंदर से इतनी गिरी हुई है इतनी गंदी औरत है कि खुद के ही बेटे के साथ चुदवा रही थी,,,। इतने गौर से अपने आप को देख रही कोमल को देखकर निर्मला बोली,,, ।
ऐसे क्या देख रही हो कोमल?
ककककक,,, कुछ नहीं हुआ बस यही देख रही थी कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
नहीं बेटा मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत तुम हो (निर्मला मुस्कुराते हुए कोमल के खूबसूरत गाल को दबाते हुए बोली,,,,, निर्मला की बातों से मिलकर कोमल मन ही मन सोचने लगी कि कितनी नीच औरत है इतनी प्यारी प्यारी बातें करती है कि इसको देखकर, कोई यह नहीं कह सकता कि खूबसूरत चेहरे के पीछे गंदी औरत छुपी हुई है।,,, कोमल यह सब सोच ही रही थी कि तभी निर्मला कोमल की मम्मी से बोली,,,
आपको कुछ काम था मुझे बुलवाने भेजी थी,,
अरे ऐसी कोई बात नहीं थी दोस्तों की नहीं थी की बैठ कर इधर उधर की गपशप लड़ाएगे और साथ में काम भी हो जाएगा,,,,
कोई बात नहीं दोपहर में थकान की वजह से मैं नहीं आ सकी चलो अब बातें कर लेते,,,,
( इतना कहकर निर्मला और कोमल की मम्मी दोनों हंसने लगी लेकिन कोमल निर्मला की झूठी बातें सुनकर मन ही मन उसे भला बुरा कह रही थी,,,।)
कोमल बार-बार अपनी मां से उस रात के बारे में बताना चाह रही थी लेकिन वह किसी न किसी कारणवश बता नहीं पा रही थी खास करके उसे जब भी सही मौका मिलता तो शर्म के मारे उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी क्योंकि कोमल बेहद पर एक लड़की थी और संस्कारी थी इसलिए उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे एक मां और बेटे के बीच के शारीरिक संबंध को शब्दों में अपनी मां से कहें,,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह इतनी ज्यादा व्याकुल हुए जा रही थी कि बिना बताए उसे चैन भी नहीं मिलता लेकिन कैसे बताएं इसका सही समय ढूंढ रही थी।
ऐसे ही उसी रात रात को गाना बजाना हो रहा था सभी औरतें पास पड़ोस की आंगन में इकट्ठा होकर गाना बजाना और नाच रही थी। वहां पर सभी औरतें इकट्ठा थे निर्मला भी वहीं बैठ कर गाने बजाने का आनंद ले रहे थी कोमल तो बस मौका देख रही थी क्या वह अपनी मां से सारी घटनाएं बता दे इसलिए वहां बैठे हुए थे और उसके करीब ही कुछ दूरी पर शुभम भी बैठकर पहली बार गांव में शादी के उत्सव का आनंद ले रहा था लेकिन खास करके वह नाच रही औरतो कि मटकती गांड को देखकर उत्तेजित हुए जा रहा था।,,, जब औरतें अपनी गांड मत करा कर नाच रही होती तब शुभम उनकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर एक दम चुदवासा हुए जा रहा था। इसलिए वह जुगाड़ में था कि उसके लंड को शांत करने वाली कोई मिल जाए।,,, वह ईसी ताक मे वहां बैठा हुआ था,,, कोमल बार-बार शुभम की तरफ देख रही थी लेकिन उस से नजरें मिलाने की ताकत उसमें नहीं थी क्योंकि उसे देख कर उसे दोपहर वाली सारी घटनाएं उसकी आंखों के सामने नाचने लगती थी और वह शर्म से खुद पानी पानी हुए जा रही थी।,,,
अभी कुछ देर बाद कोमल की मम्मी यानी कि शुभम की बड़ी मामी औरतों के बीच में से उठी और घर के पीछे की तरफ जाने लगी कोमल अपनी मां को देख रही थी और उसके मन में भूचाल मचा हुआ था वह किसी भी तरीके से अपनी मां को दोपहर वाली बात बता देना चाहती थी,,,, वह अपनी मां को सारी बातें बताने के लिए वहां पर जाती इससे पहले ही शुभम भी वहीं बैठ कर अपनी बड़ी मामी को घर के पीछे जाते हुए देख लिया,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसे अपने लिए जुगाड़ का इंतजाम होते हुए देखकर वह भी कोमल के पहले ही घर के पीछे की तरफ कदम बढ़ाने लगा,,,, यह देखकर कोमल को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जिस तरह शुभम जा रहा था उसी तरह उसकी मां भी जा रही थी और जाहिर था कि कोमल को इस बात का अंदाजा था कि उसकी मां घर के पीछे रात के समय पेशाब करने ही जा रही थी,,, वह एकदम से सोच में पड़ गई, की इतनी रात को शुभम घर के पीछे क्या करने जा रहा है तभी वह सोचि कि हो सकता है कि वह भी पेशाब करने जा रहा है,,,, लेकिन वहां तो उसकी मां पेशाब करने गई हुई थी।
कोमल यह सोच कर हैरान हो गई कि कहीं शुभम उसकी मां को यहां पर पेशाब करते हुए ना देख ले क्योंकि शुभम को जिस हाल में हुआ अपनी मां के साथ दोपहर में देख चुकी थी,,, उसे देखते हुए उसके चरित्र पर जरा भी मुझसे भरोसा नहीं था उसे यह डर था कि कहीं उसकी नजर उसकी मां पर भी ना बिगड़ जाए इसलिए वह भी जल्दी-जल्दी पीछे की तरफ जाने,,, लगी,,, कोमल थोड़ी देर बाद ही घर के पीछे पहुंच गई वह दीवार के पीछे खड़ी होकर देखने की कोशिश करने लगी अंधेरा जरूर था लेकिन,,, चांदनी बिखरी हुई थी जिसकी वजह से सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था कोमल को उसकी मां पेड़ के नीचे खड़ी दिखाई दे रही थी और उसके कुछ ही दूरी पर शुभम भी दीवार का सहारा लेकर उसकी मां को ही देखे जा रहा था,,,, कोमल की मम्मी अभी वैसे ही खड़ी होकर अपने चारों तरफ नजरें दोड़ा रही थी,,, वह यह तसल्ली कर लेना चाह रही थी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है और धीरे से उसने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर अपनी साड़ी के छोर को पकड़ ली,,, कोमल समझ गई थी उसकी मां अब साड़ी ऊपर उठाने वाली है,,, और यह अंदाजा शुभम भी लगा लिया था तभी तो उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उसकी पेंट के उठान पर चला गया उन्हें देखकर कोमल अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,, वह समझ गई थी शुभम उसकी मां के लिए भी गंदा ही सोच रहा है और यही कोमल को भी सही समय लगा,,, अपनी बात उसकी मा से बताने के लिए क्योंकि वह मन में सोच रही थी कि,,, उसकी मां को पेशाब करता हुआ देखकर शुभम जरूर ऐसी वैसी हरकत करेगा और उसकी मां गुस्से में आकर उसे डांटेगी,,, और वह भी क्रोधित होकर दोपहर वाली बात को अपनी मां से बता देगी यही सोचकर वह दीवार के पीछे खड़ी होकर सामने के नजारे को देखकर उचित समय का इंतजार करने लगी,,,,।