hotaks444
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शुभम गांव में आकर पूरी तरह से अपने परिवार में ही मस्ती कर रहा था। शुभम धीरे-धीरे अपने घर की औरतों पर पूरी तरह से छा चुका था उसके लंड की दीवानी उसकी छोटी मामी रुचि भी हो चुकी थी। जहां एक तरफ शुभम लगा हुआ था और दूसरी तरफ उसका बाप अशोक अपनी बहन के साथ पूरी तरह से काम वासना में लिप्त होकर उसकी रोज चुदाई कर रहा था। उसकी बहन की मजबूरी थी इस वजह से अपने भाई से रोज चुद रही थी, हालांकि उसे अशोक के छोटे लंड से जरा भी मजा नहीं आ रहा था। लेकिन क्या करें मजबूरी थी एक तो उसके पास सिर छुपाने को ना तो जगह थी न खाने को भोजन का प्रबंध था नाही कपड़ों का,,,,, ऐसी हालत में वह अशोक कीे पास आई थी कि,, अशोक को अपनी मनमानी करने से रोकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी अगर ऐसी स्थिति में अशोक की जगह कोई और भी होता तो भी वह उसकी मनमानी को हंसी-खुशी झेल लेती,,,। अशोक की बहन अपने हाथों मजबूर हो चुकी थी ना तो वह मनमानी करती और ना ही आज ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है अशोक जो कि खुद उसका सगा बड़ा भाई होने के बावजूद भी वासना में लिप्त होकर अपनी बहन के जिस्म की बोटी-बोटी रोज-नोच रहा था,,,। बदले में उसे भी पहनने को कपड़े खाने को भोजन और खर्चा पानी मैं जा रहा था लेकिन यह भी एक समस्या थी कि यह कब तक चलता,,, अच्छी तरह से जानती थी की जब तक उसकी भाभी घर पर नहीं है तब तक ही उसे ऐसो आराम है और उसके आने के बाद वह इस घर में कैसे रह पाएगी लेकिन इसका भी इंतजाम अशोक ने पहले से ही सोच रखा था लेकिन जब तक निर्मला नहीं आ जाती तब तक वह दिन-रात ऑफिस से छुट्टी लेकर अपनी बहन के जिस्म से अपनी प्यास बुझाने में जुटा हुआ था।,,,
गांव का माहौल धीरे-धीरे शुभम को और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा केवल रहने की बात होती तो शायद वह ऊब जाता,,, लेकिन यहां घर में ही नई नई रसीली बुर का स्वाद उसे चखने को मिल रहा था इसलिए उसका दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहा था,,। घर में उसके नाना जिसका गांव में काफी नाम था और काफी ऊंचा घराना भी था उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी घर की बहूए अपने ही भांजे के साथ चुदाई का वासना युक्त खेल खेल रही है।,,, दोनों के पतियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके सामने सती सावित्री बनी रहने वाली उनकी बीवीयां मौका मिलने पर मोटा मोटा लंड अपनी बुर में गटक जा रही थी,,,, अच्छा ही था कि उन दोनों को इस बात का जरा भी खबर नहीं थी वरना वह लोग शर्म से ही मर जाते हैं क्योंकि वालों की अपनी बीवी को एकदम सती सावित्री समझते थे इसलिए तो उन्हें कहीं भी आने जाने की छूट दे रखे हैं और वैसे भी पता चल जाता तो भी यह उन दोनों के लिए एक सबक के समान ही था,,।
और यह सबक दुनिया के हर उस मर्द के लिए है जो कि,,, कामकाज मे लिप्त होकर अपनी बीवी पर जरा भी ध्यान नहीं देते,,, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि भले ही उनकी बीवियां मुंह खोल कर उन्हें चोदने के लिए ना कहती हो पर जिस तरह से समय-समय पर भूख और प्यास का एहसास होता है उसी तरह से समय-समय पर औरतों को अपनी जिस्मानी जरूरत पूरी करने की भी भूख ऊठती है। सामाजिक तौर पर और अपनी मान मर्यादा का ख्याल रखकर औरतें कुछ समय तक इस बात को मर्दो की नजरअंदाजीगी को देखकर टालती रहती है,,,, लेकिन कब तक जिस्म की भूख एक चिंगारी के तनखे की तरह होती है। और उसे बस जरा सी हवा की जरूरत होती है और यह वासना मई हवा कहीं से भी चल सकती है बाहर से या घर से कहीं से भी क्योंकि चारों तरफ वासना युक्त आंखें वैसे ही औरतों को तलाश करती रहती हैं जिन्हें सही मायने में मर्द की जरूरत होती है। और ऐसी हवा कामाग्नि से जलती हुई बदन को स्पर्श करते ही,,, वह स्त्री अपनी मान मर्यादा सामाजिक बंधनों को तोड़कर वासना युक्त शीतल हवा का आनंद पूरी तरह से लेने लगती है।,,, जिस्म की प्यास पूरी करने की चाहत ही हवस अोर वासना का रुप ले लेती है। जब इस हवस ने मां बेटे के पवित्र रिश्ते को नहीं बख्शा तो मामी और भांजे का रिश्ता कौन सा बड़ा मायने रखता था।,,,,, शुभम की दोनों मामिया शुभम के लंड से तृप्त होकर मदहोश हो चुकी थी। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी पश्चाताप नहीं था कि जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत था उन्हें बस इस बात से संपूर्ण रूप से संतुष्टि थी कि उन्होंने अपने तन बदन को किसी असली मर्द के हाथों सौंप दी थी और जिसने उन के भरोसे पर खरा उतरते हुए उन्हें,, स्वर्ग के सुख का एहसास कराया,,।
शुभम की बहुत अच्छे से कट रही थी। घर में शादी की तैयारी जोरों शोरों से चल रही थी सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,,,। शुभम अपने छोटे मामा के साथ खेतों की तरफ निकल गया था जहां पर खेतों में पानी देना था यह तो उसके मामा का रोज का काम था लेकिन शुभम पहली बार ही खेतों में पानी देते हुए देख रहा था,, ट्यूबवेल से पानी भलभलाकर पाइप से निकल रहा था,,, और जो कि खेतों में,,, पगडंडी पर ही मिट्टी के ढेर दोनों तरफ लगाकर बीच में से पानी गुजरने का रास्ता दिया जाता था और उसी में से पानी खेतों में जा रहा था। शुभम और उसका छोटा मामा बातें करते हुए और पानी का बहाव देखते हुए चले जा रहे थे जगह जगह पर पगडंडी पर मिट्टी का ढेर उखड़ जाता था जिसकी वजह से पानी दूसरी तरफ निकलने लगता था जिसे उसका छोटा मामा वापस मिट्टी का ढेर उठाकर उस जगह को बंद कर देता था ताकि पानी सहीं खेत में जा सके,,, बातों ही बातों में शुभम ने होने वाली छोटी मामी का जिक्र छेड़ दिया,,,
क्या बात है मामा अब तो तुम्हारी शादी होने जा रही है आप तो बहुत खुश होगे,,,।
भांजे खुश क्यों ना हुं शादी होने पर दुनिया का हर आदमी को जाता है तुम्हारी जब शादी होगी तो तुम्हें भी बहुत खुशी होगी,,,,
अच्छा यह बताओ मामा मामी से बात करते हो कि नहीं,,,
नहीं यार अभी कहां बात हो्ती है, दो चार बातें होती हैं उसके बाद वह फोन रख देती है,,,।
क्या कहा मामा आपने,, वह फोन रख देती है ऐसा क्या कह देते हैं कि वह फोन रख देती है,,,।
गांव का माहौल धीरे-धीरे शुभम को और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा केवल रहने की बात होती तो शायद वह ऊब जाता,,, लेकिन यहां घर में ही नई नई रसीली बुर का स्वाद उसे चखने को मिल रहा था इसलिए उसका दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहा था,,। घर में उसके नाना जिसका गांव में काफी नाम था और काफी ऊंचा घराना भी था उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी घर की बहूए अपने ही भांजे के साथ चुदाई का वासना युक्त खेल खेल रही है।,,, दोनों के पतियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके सामने सती सावित्री बनी रहने वाली उनकी बीवीयां मौका मिलने पर मोटा मोटा लंड अपनी बुर में गटक जा रही थी,,,, अच्छा ही था कि उन दोनों को इस बात का जरा भी खबर नहीं थी वरना वह लोग शर्म से ही मर जाते हैं क्योंकि वालों की अपनी बीवी को एकदम सती सावित्री समझते थे इसलिए तो उन्हें कहीं भी आने जाने की छूट दे रखे हैं और वैसे भी पता चल जाता तो भी यह उन दोनों के लिए एक सबक के समान ही था,,।
और यह सबक दुनिया के हर उस मर्द के लिए है जो कि,,, कामकाज मे लिप्त होकर अपनी बीवी पर जरा भी ध्यान नहीं देते,,, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि भले ही उनकी बीवियां मुंह खोल कर उन्हें चोदने के लिए ना कहती हो पर जिस तरह से समय-समय पर भूख और प्यास का एहसास होता है उसी तरह से समय-समय पर औरतों को अपनी जिस्मानी जरूरत पूरी करने की भी भूख ऊठती है। सामाजिक तौर पर और अपनी मान मर्यादा का ख्याल रखकर औरतें कुछ समय तक इस बात को मर्दो की नजरअंदाजीगी को देखकर टालती रहती है,,,, लेकिन कब तक जिस्म की भूख एक चिंगारी के तनखे की तरह होती है। और उसे बस जरा सी हवा की जरूरत होती है और यह वासना मई हवा कहीं से भी चल सकती है बाहर से या घर से कहीं से भी क्योंकि चारों तरफ वासना युक्त आंखें वैसे ही औरतों को तलाश करती रहती हैं जिन्हें सही मायने में मर्द की जरूरत होती है। और ऐसी हवा कामाग्नि से जलती हुई बदन को स्पर्श करते ही,,, वह स्त्री अपनी मान मर्यादा सामाजिक बंधनों को तोड़कर वासना युक्त शीतल हवा का आनंद पूरी तरह से लेने लगती है।,,, जिस्म की प्यास पूरी करने की चाहत ही हवस अोर वासना का रुप ले लेती है। जब इस हवस ने मां बेटे के पवित्र रिश्ते को नहीं बख्शा तो मामी और भांजे का रिश्ता कौन सा बड़ा मायने रखता था।,,,,, शुभम की दोनों मामिया शुभम के लंड से तृप्त होकर मदहोश हो चुकी थी। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी पश्चाताप नहीं था कि जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत था उन्हें बस इस बात से संपूर्ण रूप से संतुष्टि थी कि उन्होंने अपने तन बदन को किसी असली मर्द के हाथों सौंप दी थी और जिसने उन के भरोसे पर खरा उतरते हुए उन्हें,, स्वर्ग के सुख का एहसास कराया,,।
शुभम की बहुत अच्छे से कट रही थी। घर में शादी की तैयारी जोरों शोरों से चल रही थी सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,,,। शुभम अपने छोटे मामा के साथ खेतों की तरफ निकल गया था जहां पर खेतों में पानी देना था यह तो उसके मामा का रोज का काम था लेकिन शुभम पहली बार ही खेतों में पानी देते हुए देख रहा था,, ट्यूबवेल से पानी भलभलाकर पाइप से निकल रहा था,,, और जो कि खेतों में,,, पगडंडी पर ही मिट्टी के ढेर दोनों तरफ लगाकर बीच में से पानी गुजरने का रास्ता दिया जाता था और उसी में से पानी खेतों में जा रहा था। शुभम और उसका छोटा मामा बातें करते हुए और पानी का बहाव देखते हुए चले जा रहे थे जगह जगह पर पगडंडी पर मिट्टी का ढेर उखड़ जाता था जिसकी वजह से पानी दूसरी तरफ निकलने लगता था जिसे उसका छोटा मामा वापस मिट्टी का ढेर उठाकर उस जगह को बंद कर देता था ताकि पानी सहीं खेत में जा सके,,, बातों ही बातों में शुभम ने होने वाली छोटी मामी का जिक्र छेड़ दिया,,,
क्या बात है मामा अब तो तुम्हारी शादी होने जा रही है आप तो बहुत खुश होगे,,,।
भांजे खुश क्यों ना हुं शादी होने पर दुनिया का हर आदमी को जाता है तुम्हारी जब शादी होगी तो तुम्हें भी बहुत खुशी होगी,,,,
अच्छा यह बताओ मामा मामी से बात करते हो कि नहीं,,,
नहीं यार अभी कहां बात हो्ती है, दो चार बातें होती हैं उसके बाद वह फोन रख देती है,,,।
क्या कहा मामा आपने,, वह फोन रख देती है ऐसा क्या कह देते हैं कि वह फोन रख देती है,,,।