इसलिए सुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गोद आज चिकनी जांघो को पकड़ लिया,,, रूचि एकदम से गनगना गई,,,, शुभम लंबी लंबी सांसे भरते हुए रुचि की रसीली बुर को देख रहा था जिस पर बाल का रेशा तक नहीं था ऐसा लग रहा था कि अभी हाल में ही वह पूरी तरह से साफ की हो,,,, शुभम बुर की पतली दरार पर हल्के से अपनी उंगली रखकर उसकी गर्माहट को महसूस करने लगा,,, और जैसे ही शुभम ने उसके बेशकीमती खजाने पर उंगली रखा वैसे ही तुरंत उत्तेजना के मारे रुचि ने अपने दोनों जांघों को आपस में सिकोड़ ली ओर ऊसके मुख से गर्म सिसकारी निकल गई।
ससससहहहहह,,,, शुभम,,,,, आहहहहहहहहह,,,,
( गरम सिसकारी छोड़ते हुए वह शुभम के हाथ को पकड़ ली,,, उसके हाथ पकड़े होने के बावजूद भी से बम हल्के-हल्के अपनी उंगलियों को फूली हुई बुर पर फिरा रहा था।,,, शुभम औरतों को काबू में करना सीख गया था और उन्हें उनके कौन से अंग को छेड़ने से उन्हें ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होता है या अभी वह अच्छी तरह से जानता था,,, इसीलिए तो वहां अपने बीच वाली उंगली को बुर की पतली दरार के बीचो-बीच हल्के हल्के रगड़ते हुए घुमा रहा था,,, रूचि शुभम की हरकत से एकदम चुदवासी हो चुकी थी उसका बदन बुरी तरह से थरथरा रहा था। शुभम के सामने वह पूरी तरह से नंगी खड़ी थी,,, रूचि आज तक अपने नंगे बदन पर किसी मर्द के द्वारा इस तरह की हरकत का सामना नहीं की थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था पहली बार ही कोई था जो उसके अंगों से इतना ज्यादा प्यार कर रहा था उसे दुलार रहा था।,,,,, शुभम की भी सांसे बड़ी तेज चल रही थी वह बुर की दरार पर हल्के हल्के अंगुलियों को घुमाता हुआ रुचि से बोला,,,,।
रुंची मेरी जान सच में तुम बहुत खूबसूरत है तुम्हारा संगमरमरी बदन बेहद खूबसूरत है। मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा (शुभम के द्वारा अपनी तारीफ सुनकर रूचि मन ही मन प्रसन्न होते हुए शर्मा भी रही थी)
चल झूठी तारीफ मत कर,,,,
मैं सच कह रहा हूं मामी,,, मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि तुम मेरी आंखो के सामने नंगी खड़ी हो,,, ( इस बार शुभम की बात सुनकर फिर से वह शर्माती हुई अपनी जांघों को सिकोड़ ली,,, और नजरे दूसरी तरफ फेर कर बोली,,,।)
तूने ही तो किया है मुझे नंगी,,,,।
तो क्या करता मामी तुम्हारे खूबसूरत बदन को देखने के लिए मे कब से तड़प रहा था।( उत्तेजना के मारे बुर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला जिसकी वजह से रुचि की सिसकारी निकल गई,,,।)
ओहहहहहहहह,,,, शुभम यह मामी मामी क्या लगा रखा है।,,,
तो क्या बोलूं मामी तुम्हें,,,,
कुछ भी बोल लेकिन इस समय मुझे माम़ी मत बोल,,,,
( रुचि भी पूरी तरह से शुभम की हरकतों की दीवानी हो चुकी थी वह भी मामी भांजे के रिश्ते को पूरी तरह से भूल चुकी थी,,, वह शुभम के मुख से और सुनना चाहती थी जो कि एक मर्द औरत से प्यार करते समय बोलता है एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को ऐसी स्थिति में पुकारता है शुभम भी जल्दी समझ गया कि वह क्या चाहती है इसलिए उसकी बुर से खेलता हुआ बोला,,,।)
रुचि मेरी जान,,, तेरा जवान बदन मेरे होश उड़ा रहा है। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं इस समय तेरी खूबसूरत बदन से खेल रहा हूं।,,, सच रूचि मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारी बुर इतनी साफ-सुथरी होगी,,,।
क्या मतलब,,,,? ( रुचि आश्चर्य के साथ बोली)
मेरा मतलब है कि मैं कभी सोचा नहीं था कि तुम अपनी बुर को साफ रखती होगी बाल का रेशा तक नहीं है,,, सच बताना मामी मेरा मतलब है रूचि,,, यह साफ करने के लिए उसी ने बोला था ना तुम्हारा दीवाना,,,,
( रुचि शुभम की यह बात सुनकर थोड़ा सकपका गई लेकिन उसे मालूम था कि सुभम से छुपाने जैसा कुछ भी नहीं इसलिए वह बोली,,,।)
तू ठीक है समझ रहा है बालों वाली बुर को चाटने से इंकार कर देता था इसलिए मुझे इसे साफ करना ही पड़ता था,,।( रूचि भी शुभम के सामने बेशर्म बनते हुए बोली।)
सच कहूं तो रानी बिना बाल वाली चिकनी बुर को चाटने का मजा ही कुछ और है,,, मुझे भी चिकनी बुर ही पसंद है,,,( इतना कहते हुए शुभम बुर पर से हाथ हटा कर फिर से उसकी मोटी मोटी जांघों को थाम लिया और थोड़ा सा जांघों को पकड़े हुए ही उसके बदन को अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,,।)
देख कैसे कचोरी जैसी फूली हुई है और इसमें से मधुररस टपक रहा है,,,। यही तो मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है जब तक तुम्हें जी भर के औरत की दूर करना जीभ लगाकर चाट ना जाऊ तब तक उन्हें चोदने में मजा नहीं आता,,,
( रुचि शुभम की ऐसी गंदी और खुली हुई बातें सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गई उसे शुभम की बातों से बेहद आनंद मिल रहा था। और वह बोली,,,।)
पक्का हरामी है रे तू कितना भोला भाला तू लगता है उतना ही शैतान है।
क्या करूं मेरी जान तेरी जैसी औरतो ने हीं मुझे हरामी बना दिया।,,,,,, ( इतना कहते हुए शुभम ने उसकी दूर को फैलाते फैलाते अपने बीच वाली उंगली को उस की रसीली बुर के अंदर उतार दिया,, उसकी बुर उसके ही नमकीन पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसलिए एक झटके से पूरी की पूरी उंगली बुर की गहराई तक समा गई,,,, एकाएक शुभम की ऐसी हरकत की वजह से रुचि की लगभग चीख निकल गई,,,,,।
आहहहहहहहहह,,,,,, हरामी यह क्या कर रहा है रे,,,
वही कर रहा हूं मेरी जान जो एक आदमी को एक औरत के साथ करना चाहिए मैं तेरी बुर की गहराई नाप रहा हुं। मैं अपने लंड के लिए रास्ता बना रहा हूं,,,।
तो ऐसे कोई रास्ता बनाता है कितना दर्द करने लगा,,,,
दर्द में ही तो मजा है मेरी रानी अभी तो सिर्फ उंगली गई है जब मेरा बुरा लग जाएगा तब पता नहीं तु कैसे,, सहेगी,,,,( शुभम अपनी उंगली कौ ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला,,,)
सह लूंगी तू डाल के तो देख तुझे भी पूरा का पूरा अंदर ले लूंगी,,,( रुचि एकदम बदहवास होकर मदहोशी के आलम मे बोले जा रही थी। वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी उसकी बुर लंबे मोटे लंड के लिए तड़पने लगी थी,,,, शुभम को रूची का इस तरह से ललकारना और उसे चोदने के लिए उकसाना बेहद प्रभावित कर गया था रुची चाह रही थी कि शुभम ऊसकी बुर में अपना लंड डाल कर उसे चोदना शुरू कर दें,,,, क्योंकि वह पूरी तरह से चुदवाने के लिए तड़प रही थी लेकिन यही तो शुभम की खासियत थी वह कभी भी जोश में होश नहीं खोता था। औरतों को पूरी तरह से चुदवासी बनाकर उसे चोदता था तभी तो चोदने का आनंद और भी ज्यादा बढ़ जाता था,,। रुचि पूरी तरह से गहरी गहरी सांसे ले रही थी, उत्तेजना के मारे ऊसकी बुर फुल पीचक रही थी।,,,, रुचि की यह हालत शुभम से भी देखी नहीं जा रही थी जिस तरह से उसकी गुरु उत्तेजना के मारे फुल रही थी और पीचक रही थी उसे देखते हुए किसी भी समय, उसकी बुर अपना मलाई बाहर झटक सकती थी,,,। और सुभम उसकी बुर से निकली हुई मलाई को अपनी जीभ से चाट कर इसका स्वाद चखना चाहता था,, इसलिए एक पल की भी देरी किए बिना वह झट से अपना मुंह बुर पर लगा दिया और अपनी जीभ को तुरंत उसकी बुर की पतली दरार में घुसा कर चाटना शुरु कर दिया,,,, शुभम की इस हरकत पर रुचि पूरी तरह से गनगना गई, उसका पूरा वजूद कांप गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब हकीकत है,, उसे यह सब सपना ही लग रहा था क्योंकि,,, शुभम को खुद ही वह उसकी हरकत पर डांट फटकार चुकी थी,, वह अपना तन बदन शुभम को सोंपने के लिए कभी भी तैयार नहीं थी,,, लेकिन इस समय नजारा कुछ और ही था आम की बगिया में वह खुद शुभम से अपनी बुर चटवा रही थी। युवा जोश में आकर शुभम के बाल को दोनों हाथों से अपनी मुट्ठी में भींच ली थी,,, सुभम भी पूरे जोश के साथ अपनी जीभ के कोर को उसकी बुर की दरार में डालकर जीभ से ऊसकी बुक के दाने पर चोट कर रहा था,,, और शुभम की यह हरकत रुचि की उत्तेजना को तीव्र गति से बढ़ा रहीे थी,,,। जिस गर्मजोशी के साथ शुभम उसकी बुर को चाट रहा था रूचि अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पाई और भलभलाकर झड़ना शुरु कर दी,,, शुभम भी प्यासे की तरह रुचि की बूर से निकल रहे मदन रस की बुंदो को जीभ से चाट चाट कर अपने गले के नीचे उतारने लगा,,,, शुभम के हाथों पहली बार रुचि झढ़ चुकी थी,, और जिस तरह से शुभम मे बिना चोदे ही उसे झाड़ा था रुचि पूरी तरह से शुभम की दीवानी हो चुकी थी वह यह सोच कर और भी ज्यादा रोमांचित हो रही थी कि जब यह केवल अपनी जीभ से ही उसका पानी निकाल दिया जब यह अपना मोटा लंड उसकी बुर में डालकर चोदेगा तब क्या होगा,,, यह सोचकर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी शुभम रूचि के झड़ जाने के बाद भी,,, लगातार उसकी बुर को चाटे जा रहा था,,, क्योंकि वह रुची के साथ पूरी तरह से मजा लेना चाहता था और उसे भी मजा देना चाहता था।