Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें - Page 19 - SexBaba
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Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें

इतने में डोर बेल भी बजी.. पूजा को छोड़ मैने दरवाज़ा अटेंड किया तो देखा

रूम सर्विस से पूजा ने जो मँगवाया था वो समान आ चुका था... कुछ देर के लिए पूजा वापस बाथरूम में घुस गयी और तब तक रूम सर्विस का बंदा टेबल सेट करके निकल चुका था...


"आइए मेरी पूजा जी... वो जा चुका है" मैने बाथरूम का दरवाज़ा नॉक करके कहा


इस बार पूजा बाहर आई, पर उसने बाथ गाउन भी पहना हुआ था...


"ये अभी क्यूँ पहना तुमने.. अभी तो सिर्फ़ हम दोनो ही हैं" मैने पूजा को अपने से सटा के कहा..


"... थ्ट्स ओके... कुछ बात कर लें हम प्लीज़.."








आगे की स्टोरी अब पूजा की ज़बानी...


हम पुणे के रहने वाले हैं... पैसों की कोई कमी नहीं है... मेरे घर में मेरे मोम डॅड के अलावा मेरे दादा दादी भी रहते हैं... मेरे डॅड ने कई सारे बिज़्नेस ट्राइ किए पर उन्हे कभी सफलता नहीं मिली... वैसे मेरे दादा दादी के पास खूब पैसा था, इसलिए डॅड को कभी सक्सेस ना मिलने का गम नहीं हुआ... मेरे दादा दादी हमेशा पापा से कहते कि सफलता नहीं मिलती ठीक है, पर कम से कम पैसे तो मत गँवाओ.... 

लेकिन मेरे पापा हमेशा इस बात को इग्नोर करते... उनका एक बिज़्नेस फैल होता तो वो एक लंबी वाकेशन पे निकल जाते मेरी मा और अपने दोस्तों के साथ.. इस बात से मेरे दादा दादी अक्सर परेशान रहते.... वैसे मेरे डॅड का नाम कमलेश है


मेरी मा अंशु... मेरी मा कभी एक अच्छी बहू ना तो अच्छी पत्नी बन पाई... वो हमेशा अपनी फ्रेंड्स के साथ किटी पार्टीस में रहती थी.. किटी पार्टीस में दारू और सिगरेट तो आम बात थी.. लेकिन कुछ हाइ प्रोफाइल औरतें इससे ज़्यादा भी करती थी, जो शायद हाइ सोसाइटी में आम बात है... 

अक्सर मों पार्टी से नशे में ही घर वापस आती थी.. उन्हे ऐसे देखते दादी हमेशा ताना मारती थी, पर मेरी मा सामने कभी चुप नहीं रहती, वो एक के बदले मेरी दादी को दो बाते सुनाती.. कभी कबार मेरी मा अपने किसी यार के साथ नशे में धुत्त होके आती और अपने रूम में जाके अपना बिस्तर गरम कर लेती थी... ये सब देख के मेरे दादा दादी को घिंन आने लगती, पर वो कुछ नहीं कर सकते थे.. हज़ार बार उन्होने डॅड से ये बात कही, पर शायद डॅड को इससे कोई फरक नहीं पड़ा...


मैं पूजा... मैं अपने मा बाप की एक लौटी बेटी हूँ... मेरे दादा ने ऑलरेडी अपनी प्रॉपर्टी और बॅंक बॅलेन्स मेरे नाम कर रखा है... मैं खुद को शरीफ नहीं कहूँगी... शराब, सिगरेट, लड़के बाज़ी , मैं भी ये सब करती थी.. आख़िर अपनी मा की बेटी जो थी... लेकिन मैने हमेशा ये सब घर के बाहर किया... मेरे दादा दादी मुझे अच्छी लड़की मानते थे, मैं इसलिए उनके सामने ऐसी कोई हरकत नहीं कर सकती थी... 

घर पे मैं जीन्स या शॉर्ट्स में रहती थी... लेकिन घर के बाहर कपड़ो पे कोई लिमिट नहीं थी... दादा दादी का प्यार कहो या उनकी इज़्ज़त, जो भी था, मैं अपनी लाइफ अच्छी तरह से बॅलेन्स करती थी.... जब मेरी दादी और मा झगड़ा करते, मैं हमेशा अपनी दादी का साइड लेती और कई बार मा से इस बात पे बहेस भी हो चुकी थी... लेकिन मेरा दिल 
कभी मेरी मा का साथ देने के लिए तैयार नहीं था... 

कहीं ना कहीं मैं भी मानती थी, कि ये सब चीज़े अपनी जगह, पर जब तक घर पे बड़े हैं, तब तक हमे अपनी मर्यादा में रहना चाहिए... मैने अपना पूरा ग्रॅजुयेशन फुल ऑन अश् करके निकाला.. दारू, ड्रग्स, सेक्स, डोपिंग, रवे पार्टीस, अड्वेंचर,ऐसा कुछ बाकी नहीं रखा था मैने अपने कॉलेज लाइफ में....ग्रॅजुयेशन के बाद भी ये सब चालू रहा, पर बहुत कम हो चुका था... मेरे पापा का कोई बिज़्नेस था नहीं इसलिए मैं हमेशा घर पे ही रहती...
 
रोज़ की तरह सुबह जब मैं उठी, तो पापा अपने बॅग पॅक कर रहे थे.... मैने रात को थोड़ी ज़्यादा पी ली थी एक पार्टी में इसलिए हॅंगओवर नहीं टूटा था..
मैं अपने रूम से नीचे जा रही थी, तभी पापा के रूम में नज़र पड़ी..


"हाई डॅड... गुड मॉर्निंग..." मैने पीछे से पापा को कहा...

"हाई बेटा... गुड मॉर्निंग..." पापा ने अपने बॅग पॅक करते हुए मेरी तरफ देखे बिना कहा

"कौनसा बिज़्नेस फ्लॉप हुआ डॅड अभी... कहाँ जा रहे हैं वाकेशन पे" मैने इरिटेट होते हुए कहा..


"पूजा... माइंड युवर टंग ओके.... " डॅड ने मुझ पे हाथ उठाते हुए कहा..लेकिन खुद को रोक लिया


"व्हाटेवर डॅड.... वैसे भी आपके यहाँ होने से या ना होने से किसे फरक पड़ता है" मैं नीचे जाती हुई सीडीयों से बोलने लगी...


जैसे ही मैं नीचे उतरी, सामने मेरी मा अंशु बैठी थी सोफे पे, अपनी किसी सहेली से फोन पे बात कर रही थी.. सुबह के 11 बजे थे, और मेरी मा ने सुबह सुबह दारू का एक ग्लास लिया हुआ था..


"हेलो मिसेज़ वेर्मा... आज की पार्टी कहाँ है..." मेरी मा ने मुझे देखते हुए फोन पे बातचीत चालू रखी

"ओह... आपके घर ही, क्या बात है... पर आप प्लीज़ दारू का बंदोबस्त रखिएगा, कम पड़ती है तो मज़ा किरकिरा हो जाता है.."

थोड़ी देर सामने वाले की बात सुनने के बाद

"ह्म्म... क्या बोल रही हैं, तो इस बार के स्ट्रिपर आपने देल्ही से मँगवाए हैं.. क्या बात है.. पंजाबी मुंडे हैं, उनका लंड लेने में तो मज़ा आ जाएगा हमे..."


मेरी मा मेरे सामने ये सब बोल रही थी.. मैं जितना इग्नोर कर रही थी उतना ही मेरी मा बेशरम होती जा रही थी... मैं वहीं बैठी रही ये जानने के लिए के और कितनी नीच हो सकती है मेरी मा...


"ओह हो.. ये क्या कह दिया आपने... पूरी रात आपके साथ.. देखिए ऐसा मत कीजिए... हां मेरा ख़याल कौन रखेगा फिर... एहहेहीही.... सही है, तो डन एक को आप रखेंगी पूरी रात, और एक शाम को मेरे साथ मेरे घर आएगा.."

"ओके जी... चलिए मिलते हैं शाम को.. बाय..." मेरी मा ने फाइनली फोन कट किया


फोन कट करके मेरी मा मुझे देख के बोली


"गुड मॉर्निंग बेटा.. तुम्हारी पार्टी कैसी रही कल रात"


मैं:- ठीक थी मोम, आप की पार्टीस जैसी रॉकिंग नहीं होती हमारी पार्टीस...


मोम:- तो फिर चल तू भी मेरे साथ, तेरी लाइफ भी रॉकिंग हो जाएगी... एक बार चल तो मेरे साथ..


मैं:- नहीं मोम... थॅंक्स... रॉकिंग के नाम पे मुझे रांड़ नहीं बनना..


"क्या कहा तुनीईई लड़किईइ..." मोम ने सोफे से उठके चिल्लाते हुए कहा....


"वोई जो आपने सुना मोम... आपको ये लाइफ मुबारक हो... वैसे भी आज लेट नाइट की फ्लाइट से मैं यूएसए जा रही हूँ, शायद आपको और डॅड को ना मिल सकूँ, इसलिए अभी बता रही हूँ" मैने मोम से आँख मिला के कहा


"तुम कहीं भी जाओ पूजा.. हमे कोई फरक नहीं पड़ता, बस हमारी लाइफ में दखल मत दो समझी" डॅड ने नीचे उतरते हुए सीडीयों से कहा..


"हाय डार्लिंग..." डॅड ने मोम को गले लगाते हुए कहा..

"किधर जा रहे हैं जी आज... " मोम ने डॅड को चूमते हुए कहा..


डॅड:- कहीं नहीं, बस सोचा थाइलॅंड घूम आउ थोड़ा सा... चलॉगी तुम.. वैसे मेरे साथ तुम्हारी फ्रेंड्स कविता और सुमन आ रही हैं..


मोम:- नहीं जी.. आप ही जाइए उनके साथ, मेरा तो प्रोग्राम आज सेट है... मिसेज़ वेर्मा ने देल्ही के दो लौन्डे मँगवाए हैं.. एक को तो आज पूरी रात लूँगी मैं... आप नहीं होंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा..


डॅड:- क्यूँ मेरी जानेमन,, मेरे साथ मज़ा नहीं आता क्या तुझे.. आज भी तेरी गान्ड देख के मेरा लंड तो हुंकार मारता है


मोम:- छोड़िए जी... तभी तो उस रंडी सुमन और कविता के साथ जा रहे हैं, मुझसे पूछा भी नहीं... और आपका लंड ले लेके अब बोर होने लगी हूँ..तो आज कुछ न्यू ट्राइ कर लेते हैं..


ये बात सुनके मोम और डॅड दोनो ज़ोर ज़ोर से ठहाके मार के हँसने लगे.... मैं वहीं खड़ी उनकी बातें सुनती रही, आख़िर में मैं खुद परेशान हुई और वहाँ से वॉशरूम जाके फ्रेश होने लगी... मुझे जाते देख मोम ने चिल्ला के कहा

"सुन पूजा... अगर आज घर पे ही बैठेगी तो तेरी मासी के कोई रिलेटिव्स आने वाले हैं घर पे, उन्हे अटेंड कर लेना समझी"
 
मैं उनकी बात अनसुनी करके नहाने चली गयी, और जब नहा के बाहर आई, तब तक मोम डॅड दोनो जा चुके थे... मैं रूम में आके मैं टीवी देखने बैठी, कुछ देर में दादा दादी भी आ गये...


"नमस्ते दादू... कहाँ गये थे आप" मैने दादा जी के पैर छू के कहा


"बेटा.. ये ले प्रषाद... मंदिर गये थे हम" दादा ने मुझे आशीर्वाद देते हुए कहा...


"अंशु.. बेटे चाइ पिला दे ज़रा" दादी ने थोड़ा ज़ोर से कहा..


मैं:- दादी, मोम तो नहीं है, मैं बना देती हूँ चाइ, आप बैठिए इधर.


दादी:- हां , बस अभी येई रह गया था... रात को देर से आना तो ठीक था, अब सुबह सुबह भी अयाशी के लिए निकल जाती है...


"दादी.. कुछ काम से गयी है वो बाहर, ऐसा कुछ नहीं जो आप सोच रहे हैं" मैने दादी से झूठ बोलते हुए कहा


दादी:- छोड़ ना बेटी.. टेबल पे खाली पड़ा ये दारू का ग्लास सब बयान कर रहा है.. तू अपनी मा को बचाने की कोशिश मत कर.


"दादी, आप ये सब छोड़िए ना, मैं चाइ बना देती हूँ आपके लिए, आप प्लीज़ गुस्सा ना करें सुबह सुबह" मैने टेबल से ग्लास उठाया और किचन में चली गयी..


कुछ देर में चाइ लेके दादा दादी के पास आई, उन्हे चाइ दी और हम बातें करने लगे....


"दादू.. दादी मा... एक बात कहनी है आप लोगों से" मैने चाइ फिनिश करते हुए कहा


"बोलो ना बेटा, क्या हुआ" दादी ने पूछा


मैं:- दादी माँ... मैं आज रात की फ्लाइट से यूएसए जा रही हूँ, मैं चाहती हूँ आप भी चलिए मेरे साथ..


"क्यूँ बेटी अचानक यूएसए क्यूँ, वहाँ कौन है हमारा..." दादू ने आश्चर्य में आके पूछा


"कोई नहीं दादू... बस अब यहाँ दिल नहीं लगता, और वहाँ मैं पीजी कोर्स करने वाली हूँ, यहाँ रहके नहीं हो पाएगा. और आप लोगों को ले जाना चाहती हूँ, रीज़न आप जानते हैं" मैने थोड़ा ज़ोर देते हुए अपनी बात का प्रस्ताव रखा...


"बेटी.. तुम्हारा फ़ैसला ग़लत नहीं है... पर हम नहीं आ सकते, हम चाहते हैं कि हमारी आखरी साँसे भी यहीं पर हो, इस घर को हमने इतनी मेहनत से बनाया है... कहीं बाहर जाके हम....." इससे पहले दादी कुछ बोलती, दादू ने बीच में कहा


"हां बेटी.. तुम्हारी दादी सही कह रही है, हमारी उमर हो चुकी है, तुम्हारे आगे तुम्हारी पूरी ज़िंदगी पड़ी है.. तुम उसे यूही ज़ाया ना करो..."


"नहीं दादू. आप यहाँ अकेले रहेंगे तो मुझे हमेशा आपकी चिंता रहेगी.. और रोज़ रोज़ की बातों से क्या आप तंग नहीं हुए हैं" मैं ज़िद्द पे आ गयी


"बेटी.. प्लीज़ तुम हमारी हालत समझो.. भगवान जाने के कितनी साँसे रह गयी हैं हमारे पास.. हम नहीं चाहते कि हम इस घर के बाहर हम हमारा दम तोड़ें.. और बेटी तुम चिंता मत करो... तुम्हारे पढ़ाई की जितनी फीस है , हम भर देंगे... और वहाँ खर्च और रहने की कोई दिक्कत भी नहीं होगी..."
 
ये कहके दादू और दादी अपने कमरे में जाने लगे... मैने उन्हे काफ़ी समझाया पर वो नहीं माने.. आख़िर कार मैने अपनी हार मान ली और जाके अपने कमरे में रात के जाने की तैयारी करने लगी.... सब कुछ चेक करके बॅग्स पॅक किए, इतने में दोपहर के 3 बज चुके थे... मैं जल्दी से अपने कमरे से बाहर निकली और किचन में जाके दादू और दादी के खाने की तैयारी करने लगी.... आधे घंटे में मैने उनके लिए खाना बनाया और उनके रूम में चली गयी


"दादू, दादी.. ये लीजिए, आपका खाना, और ये पानी की बॉटल.. प्लीज़ पूरा फिनिश कीजिएगा ओके...." मैने दादू को हिदायत देते हुए कहा


"हां बेटी.. तुमने खाया..." दादू ने मुझसे पूछते हुए खाना स्टार्ट किया


मैं:- नहीं दादू , घर पे ज़्यादा कुछ है नहीं, मैं पिज़्ज़ा मंगवा लेती हूँ


दादी:- घर में होगा भी कुछ कैसे बेटी, पूरा दिन तो हमारी बहू और बेटा, अयाशी में व्यस्त होते हैं... कहीं घर का समान बेच के भी वो लोग दारू में ना उड़ा दें...


"ओफफो दादी.... आप प्लीज़ गुस्सा नही कीजिए... मैं खा लूँगी"


दादू:- बेटी, तुम चली जाओगी तो हमारा क्या होगा....


दादू की आँख में आँसू आने लगे थे...


"दादू.. तभी तो आपको साथ चलने के लिए बोल रही हूँ... इधर आप और मैं खुश नहीं हैं...." मैने एक बार फिर अपनी बात आगे रखी...


"नहीं बेटी.... हम नहीं आ सकते, और जाके अब तुम भी कुछ खा लो पहले..." दादू ने अपने आँसू पोछते हुए कहा


मैं वहाँ से निकल गयी और बाहर आके अपने लिए कुछ खाना मंगवा लिया... खाना खाते खाते मुझे लिविंग रूम में ही हल्की हल्की नींद आने लगी.... धीरे धीरे मैं नींद की आगोश में डूब गयी... करीब 7 या 7 30 बजे मेरी आँखे मैन गेट नॉक होने की आवाज़ से खुली... मैने उठ के बाहर जाके देखा तो मोम की गाड़ी खड़ी थी... मोम गाड़ी से उतर चुकी थी, एक दम नशे में धुत लग रही थी.. उनके साथ एक लड़का भी , शायद मेरी उमर का होगा... मैं वहीं खड़े खड़े उन्हे देखती रही, कुछ सेकेंड में मोम और वो लड़का लिविंग रूम के गेट के पास आ गये....


"उम्म्म.... मेरी बेटी, कैसी है तू हननंनणणन्..." मोम नशे में बोल रही थी


मैने कोई जवाब नहीं दिया, और उस लड़के को देखती रही....


"उम्म्म.... अंशु , युवर चिक ईज़ टू हॉट बेबी... रात को हमारे साथ ये भी आएगी या नहीं" उस लड़के ने मेरी ओर देख के मेरी माँ से पूछा


उसकी बात सुनके जैसे मेरा खून गरम सा होने लगा... मैने तुरंत उस लड़के को जवाब दिया


"मैं कोई दो कोड़ी की रांड़ नहीं हूँ जो हर किसी का बिस्तर गरम करती फिरू... समझे" मैने अभी इतना कहा ही था, तभी


"शताककककक...... शताअक्कक......"


मेरी मा ने मुझे दो थप्पड़ झाड़ दिए, और बाल खीच के बोलने लगी...


"क्या बोली तू कुतिया कहीं की.. सुबह भी मैने तेरी बात को इग्नोर किया समझ के कि तू बच्ची है, पर अभी फिर... पूजा, आगे से मेरे साथ ज़बान लड़ाई तो याद रखना क्या होगा..." मेरी माँ मुझे वहीं खड़ा छोड़ के, लड़खड़ाती हुई उस लड़के के साथ अपने कमरे की ओर बढ़ने लगी...
 
मेरी मा की बातें सुनके बहुत दुख हुआ, पर मैं ये सब इतना देख चुकी थी, कि मेरी आँख के आँसू सुख गये थे.. मुझे रोना भी नहीं आता था इन सब बातों से.. कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद मैं अपने कमरे की ओर बढ़ने लगी... मेरे कमरे में जाते हुए बीच में माँ का कमरा भी आता है.. वहाँ से गुज़रते गुज़रते अंदर की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी... मैने धीरे से दरवाज़े को पुश किया तो अंदर मेरी मा और वो लड़का, कपड़ो के बिना बैठे हुए बिस्तर पे दारू पी रहे थे...


"उम्म्म्म... रॉकी, तुम्हारा लंड तो काफ़ी बड़ा है.. मैं इसे ले पाउन्गि के नहीं.." मेरी मा दारू पीते पीते उस लड़के से बोलने लगी...


"अरे मेरी रानी, पहले इसे हाथ में तो पकड़ ले... जबसे तुझे पार्टी में सिर्फ़ ब्रा पैंटी में देखा है तबसे खड़ा है... ज़रा इसको आराम पहुँचा मेरी बेबी...


उस लड़के ने इतना कहा ही था, कि मेरी मा बेड के दूसरे कोने पे जाके उस लड़के का लंड मूह में लेके उसे चूसने लगी





"उम्म.... अहहहहा... क्या हथियार है, एक दम घोड़े जैसा अहहह्ा... मज़ा आ जाएगा आज रात को" मेरी मा उस लड़के का लंड लेके चूस्ते चूस्ते बोलने लगी... 


"आहहहहा मेरी रानी... तेरे जैसी घोड़ी के लिए, घोड़ा ही चाहिए ना... किसी कुत्ते के लंड से तू संतुष्ट थोड़ी होगी.... अहहहहहाहा उम्म्म्मम" वो लड़का मेरी मा के बाल पकड़ के उनके मूह को चोदने लगा था....


मेरी मा भी अपनी जीभ उसके लंड पे सुपाडे पे घुमाए जा रही थी, जिससे उस लड़के के मज़े दुगने हो गये थे...



"उम्म्म अहहहाहा मेरी रानी अंशु अहहहहा... उहाननना यहना चूस ना आहाहहहा...." लड़का मज़े लेते हुए बोल रहा था....


"रानी नहीं मेरे प्यारे अहहहहा... रंडी बोल ना अहहहहहः....मैं रंडी हूँ तेरी अहहहा... क्या लंड है तेरा.. उम्म्म्म आज रात पूरा का पूरा निचोड़ डालूंगी तुझे अहहहः..... पूरे 1 लाख दिए हैं, सब के सब वसूल करूँगी तुझसे अहहहहा......" मेरी मा अब उस लड़के के लंड को छोड़ के उसके टट्टों को चूसने लगी...


"आहहहाहा... 2 लाख वसूल लेना मेरी रांड़.... अहहहाहा, कितने लंड लिए हैं आज तक तूने... अहहहहहाहा और चूस ना.... और तेरा पति कहाँ है...उंम्म्म... अहहः इधर ही चूस आन्ननणना" लड़का बोले जा रहा था..


"उम्म...स्लूप्र स्लर्प अहहहहा.....उम्म्म्ममसलुर्प स्लर्प.... अहहहाहा.... छोड़ मेरे पति को तू अहहहाः..... वो तो ना मर्द है साला आहहहा..... मुझे छोड़ के, मेरी दो रंडी सहेलियों के पीछे लगा हुआ है भड़वा कहीं का अहहहहहा...." मेरी मा ने उसके लंड को पूरा का पूरा अपने मूह में उतार दिया था


देखते देखते अब उस लड़के ने मेरी मा को अपने उपर ला दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा...
 
"अहहहाहा धीरे चाट अहाहाहा.... साले मदर्चोद कहीं के आहाहहा..... उम्म्म्म.... इधर ही हननान आहहहान्णन्न् और चाट ना अहहहहहा...आहहहा.... उम्म्म्म तेरे लंड स्लर्प स्लर्प अहहहहा...." मेरी मा उसके हमले से मदहोश सी होने लगी....





"स्लर्प स्लर्प... अहहहहहहाहाहा स्लर्प अहहाहा उम्म्म.... अहहहहहा.. मैं तेरी रंडी हूँ रॉकी अहहहहाः... और चाट ना मेरी चूत का,, अहहहहाहां अंशु.. अहहहाहा मैं भी तेरा भड़वा हूँ अहाहहाहः.... क्या चूत है तेरी आहहहाः स्लर्प स्लर्प उम्म्म्म...." मेरी मा किसी बाज़ारु औरत की तरह बकने लगी थी...

"आहहाहहहा रॉकी मैं निकल रही हूँ आहहः.. ज़ोर से चाट मेरे भडवे आहाहहः.. मैं आ रही हूँ अहहहहहा........ मैं गयी अहहहा उईईई माआआहहाहाहहः...... हानन पी ले ना मेरा पूरा पानी आहहहाहा.. चाट ले ना मुझे अहहहहहाहा....."


इतना चिल्ला के मेरी मा वहीं बिस्तर पे निढाल हो गयी.... कुछ देर में रॉकी ने भी अपना लंड उसके मूह से निकाला और उसके होंठ चूमने लगा...


"उम्म्म..... मेरी रंडी थक गयी क्या अहहहाः... बातें तो बहुत बड़ी कर रही थी साली हां..... एक बार में ही थक गयी" वो लड़का मेरी मा के होंठ चूस्ते हुए बोलने लगा...


ये सब सुनके मेरी माँ जोश में खड़ी हो गयी... उस लड़के को बेड पे लेटा दिया और उसके लंड को लेके अपनी चूत के छेद पे सेट किया, और एक ही झटके में उस लंड पे बैठ गयी...



"आहहहहहहहहहहहहा.... हाहहहहा और चोद मुझे भडवे अहहहहहा..... यस यस अहहहहहाहाः... और चोद साले ना मर्द कहीं के अहहहहहाअहहहहहा... तू थक गया होगा साले रंडी के बेटे अहहहहा... मैं रंडी हूँ समझा और चोद मुझे अहहहहहः... आहहाहा ओह्ह्ह्ह येस्स्स एयसस्सस्स यस सस्स्स्स्सस्स... फक मी हार्ड एसस्स्स्सस्स अहहहहा......."


इतना जोश देख के रॉकी भी अपने लंड के तेज़ झटके मारने लगा.... पूरे रूम में उनकी चुदाई की चीखें गूँज रही थी.... देखते देखते मेरी माँ उसके लंड से उतर गयी, और बेड के एक कोने में आके, उसने अपनी दोनो टाँगें बंद कर दी, और उन्हे हवा में उठा दिया..... रॉकी भी शायद उसकी ये पोज़िशन समझ गया, और बेड पे खड़े होके उसकी चूत में लंड पेलने लगा





"अहहहहाः.. इससे तो तेरी चूत बहुत टाइट लग रही है मेरी रंडी आहाहहहा... कहाँ से सीखी ये पोज़िशन मेरी रांड़ साली अहाहहाः..." रॉकी चोद्ते चोद्ते पूछने लगा...


"तू चोद ना मेरे यार.... मैं तो बनी ही चुदवाने के लिए हूँ अहहहः... अयाशी का दूसरा नाम है अंशु जोशी.. अहहहहहा... और चोद ना मेरे भडवे...अहहहहहहा.... हाँ और मार ले ना मेरी चूत को अहाहहा सीईईईई......" मेरी मा चुदवाते चुदवाते किसी पॉर्न स्टार की तरह चिल्ला रही थी



"आहहहहाः मेरी रांड़ मैं निकल रहा हूँ अहाहहाहहा... कहाँ छोड़ूं मैं अपना पानी अहहहहा..." रॉकी पूछने लगा...


"उम्म्म्म मेरे राजा.. मेरी चूत में ही छोड़ दे ना, अहहहाहा... चिंता क्या है उम्म्म्म यआःा अहहहहाहा.. गिरा दूँगी बच्चे को अगर हुआ तो..अहहहहहा. इससे पहले भी तो कई बार कर चुकी हूँ.. तू बस मज़े दे मुझे अहहहहा...."


ये सुनके रॉकी ने अपना पूरा स्पर्म मेरी माँ की चूत के अंदर छोड़ दिया





जैसे ही उन दोनो की चुदाई ख़तम हुई... मेरी मा ने अपनी उखड़ी हुई साँसों से कहा


"उम्म.... मैने सही घोड़े पे पैसे लगाए हैं मेरे आ अजजाजा..... आज रात को भी दौडेगा ना रेस में हाँ" मेरी मा ने रॉकी के होंठ चूमते हुए कहा...


"हां मेरी रानी अहहाहाः... तेरे जैसी घोड़ी हो तो कौन कम्बख़्त नहीं दौड़ेगा हाँ" रॉकी मेरी मा का बखुबी साथ देने लगा था....


कुछ सेकेंड्स में उन दोनो ने एक दूसरे का चम्बन तोड़ा, तो मुझे सामने देख लिया


'उम्म्म... पूजा रानी आहहाः... आजा ना तू भी मज़े ले इस लोड्‍े के.. कसम से बड़ा ही कमाल चोदता है ये अहाहहाः... मेरी चूत तो अभी से ही दूसरे राउंड के लिए तड़प रही है..." मेरी माँ मुझे देख के बोल रही थी और एक हाथ की उंगली से रॉकी के स्पर्म को चाट रही थी....
 
मैने उन्हे कुछ जवाब नहीं दिया.. मैं वहाँ से सीधा अपने रूम में भाग गयी और रूम को लॉक कर दिया... उनकी चुदाई देख के मैं भी काफ़ी गरम हो चुकी थी, मैं सीधे जाके शवर लेने लगी... ठंडे पानी का एहसास पाके मुझे कुछ शांति मिली.... काफ़ी देर तक नहा के मैं रूम में आके कपड़े चेंज करने लगी... वक़्त देखा तो रात के 9.30 बज रहे थे... मैने नीचे जाके दादा दादी के लिए खाना बनाने का सोचा.. रास्ते में फिर मेरी मा और रॉकी की चुदाई देखी.. इस बार मैने उनके दरवाज़े को पटक के बंद कर दिया और किचन में जाके दादा दादी का खाना बनाया..


खाने लेके मैं जैसे ही उनके रूम में पहुँची, दादू ने मुझे कहा


"आओ बेटी... ये लो बॅंक की डीटेल्स, तुम्हे इसके रहते पैसों की फिकर नहीं करनी पड़ेगी...."


"थॅंक यू दादू... और ये लीजिए आप लोगों का खाना..." मैने दादा दादी को खाना देते हुए कहा


"बेटी.. अंशु आई के नहीं अब तक.. सुबह से गयी हुई है.." दादी ने मुझसे चिंतित स्वर में कहा..


"हां दादी आ गयी है.. अपने कमरे में नींद आ गयी है उनको...." मैने फिर झूठ कहा दादी को


"हां नींद तो आएगी ही.. पूरा दिन सिर्फ़ दारू, सिगरेट.. ऐसे तो नींद ही आएगी उनको और क्या होगा" दादी ने झल्ला के कहा


मैने इस बार उनसे कोई बहस नहीं की. और अपने रूम की तरफ बढ़ गयी.. इस बार अपने रूम में भागती हुई चली गयी क्यूँ कि मुझे अंदर से कुछ भी नहीं सुनना था... अपने कमरे में जाके मैने दादू की बॅंक डीटेल्स चेक की. फ्लाइट का स्टेटस चेक किया और अपने लिए ऑनलाइन कॅब बुक कर ली...

थोड़ी देर में मेरा ऑर्डर किया हुआ खाना भी आ गया... मैं खाना लेके अपने रूम में आ गयी और खाते खाते सोचने लगी...कैसी है मेरी मा....कोई अपनी बेटी के सामने ये सब कर सकता है.. कोई पैसे देता है इस काम के लिए... और मेरे डॅड??? कैसे बेटे हैं वो, कैसे पिता हैं वो, कैसे पति हैं वो... इन लोगों को कुछ भी ख़याल नहीं था अपनी ज़िंदगी का... आख़िर ये लोग कब तक जीएँगे ऐसे... आख़िर मेरा भविश्य क्या होगा... इनसे दूर भी हुई तो नाम तो जुड़ा हुआ ही है इनके साथ.... ये सब सोचते सोचते मैं अपना खाना ख़तम ही करने वाली थी कि तभी बाहर से कुछ चिल्लाने 
की आवाज़ें आने लगी... ध्यान से सुना तो मोम और दादा दादी झगड़ा कर रहे थे.. मैं झट से अपने कमरे से बाहर गयी तो मोम के रूम के बाहर ये सब चिल्लम चिल्ली हो रही थी...


"सुन आए बुढ़िया.. ज़्यादा बकवास मत कर मेरे साथ.. समझी, नहीं तो धक्के मारके तुझे इस घर से बाहर निकाल दूँगी.." मेरी मा दादी मा को धमकी दे रही थी...


"मूओंम्म्ममम..... ये सब क्या है... हाउ कॅन यू स्पीक लाइक दिस टू हर हाँ.... " मैने दादी को संभालते हुए कहा, जो फूट फूट कर रो रही थी...


"तू बड़ी आई है हाँ अपनी दादी की लाडली... सुन , अगर अपनी जान प्यारी है तो समझा इन बूढो को, मेरे बीच में दखल ना दें..." मेरी मा ने फिर से शराब पी हुई थी....


"ऐसे कैसे निकाल देगी हाँ.... ये घर मेरे बेटे का है समझी.. आने दे उसे, धक्के मार के निकालूंगी तुझे..." मेरी दादी ने रोते हुए कहा..


"दादी प्लीज़ आप चलिए मेरे साथ..." मैने थोड़ा संभालने की कोशिश की....


"रुक जा साली... क्या बोलती है, तेरा बेटा मुझे निकालेगा.. अहहहहहहहाहा... वो तो साला कहीं मेरी सहेलियों की चूत में बैठा होगा, तुझे क्या लगता है, मैं यहाँ अयाशी कर रही हूँ , तो तेरा बेटा कौनसी पूजा कर रहा है... वो भी रंडियों में बैठा रहता है समझी... और मुझे निकलेगी हाँ तू... रुक जा ज़रा" ये कहके मेरी मा नशे की हालत में आगे बढ़ी और मेरी दादी माँ पे हाथ उठाने की कोशिश की पर मैने उन्हे रोक लिया और उनका हाथ पकड़ लिया...


"तू नहीं सुधरेगी हाँ साली कुतिया.. सबसे पहले तुझे देखती हूँ.." ये कहके मेरी मा ने मुझे इतनी ज़ोर का चाँटा मारा कि दूर जाके अपने रूम के दरवाज़े से टकराई.. मेरे सर से खून बहने लगा...


"नहीं मोम... प्लीज़ उन्हे नहीं कीजिए कुछ" मैं वहीं बैठी बैठी उन्हे बिनति करने लगी....


"बुढ़िया कहीं की... आज तेरा खेल ही ख़तम कर देती हूँ मैं... मुझे निकालेगी हाँ..." ये कहके मेरी मा ने दादी मा के गाल पे इतना ज़ोर का चाँटा मारा कि दादी मा के चश्मा मेरे पास आके गिरा... और देखते ही देखते दादी मा नीचे सीडीयों पे फिसलने लगी.... फिसलते फिसलते दादी माँ नीचे गिर गयी और उनके सर से खून की नदी बहने लगी.....
 
ये देख मेरे दादा जी जो इतनी देर से एक कोने में खड़े रो रहे थे, वो हिम्मत जुटा के उठे और नीचे जाने लगे...


"तुझे बहुत प्यार आ रहा है बूढ़े... रुक तुझे भी दिखाती हूँ मैं आज..." ये कहके मेरी मा ने अपने हाथ में पकड़ी दारू की बॉटल उनके सर पे फोड़ दी... दादा जी के सर से खून बहने लगा, वो कुछ बोल नहीं पा रहे थे... इतना काफ़ी नहीं था कि मेरी माँ ने एक और नीच हरकत की...


"साले बूढ़े.... जा नीचे जा अपनी बीवी के पास, जाके मर उधर ही.. " ये कहके मेरी मा ने दादा जी को धक्का दे दिया जिससे मेरे दादा जी भी लड़खड़ाते हुए दादी के पास जा गिरे.. उन दोनो के सर से बहुत खून बह रहा था....


मैने खुद को उठाने की कोशिश की... धीरे धीरे उठके मैं उनके पास गयी... 


"दादा जी... प्लीज़ उठिए ना... सम वन प्लीज़ हेल्प दादा जीईईई उठिए नाआआअ ... दादी जीए प्लीज़ हेल्प मीईईईईईई... कोई हाईईईईईईई"

मैं उनके पास बैठे बैठे रोने लगी, चिल्लाने लगी मदद के लिए.... कुछ सेकेंड्स की बात ही थी.. दादा दादी ने मेरी गोद में दम तोड़ दिया.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. मैं क्या करती... मैं बाहर जाके गाड़ी निकालने लगी, ताकि इन्हे हॉस्पिटल ले जा सकूँ... जैसे ही मैं गाड़ी की चाबी लेके मूडी..पीछे से


"क्लॅप क्लॅप... क्लॅप क्लॅप..... वाह क्या सीन है हाँ... एक दम फिल्मी..." पीछे खड़ी एक औरत तालियाँ बजा रही थी


"कौन हैं आप.." मैने उससे पूछा


"जाके अपनी मा को बुलाओ पहले... वो मुझे अच्छी तरह जानती है..." उस औरत ने अपनी भारी आवाज़ में मुझे कहा..

मैं कुछ करती, उससे पहले मेरी मा लड़खड़ाती हुई आई नीचे


"ऊह... इन्हे हटाओ यहाँ से.. ये बूढ़े मर गये हैं..." मेरी मा ने दादा दादी को देखते हुए कहा..


जैसे ही मेरी मा ने नज़र उठा के सामने देखा, उनके होश उड़ गये... हाथ में पकड़ी हुई उनकी शराब की बॉटल नीचे गिर के टूट गयी


"माया देवी.. आप यहाँ.... इस वक़्त.. कैसे...." मेरी मा की ज़बान से शब्द नहीं निकल रहे थे...


"हां मैं.. मुझे ज़रा आने में देरी हो गयी, पर अब लग रहा है बिल्कुल सही वक़्त पे आई हूँ मैं.." उस औरत ने दादा दादी की तरफ देखते हुए कहा


दादा दादी के सर से इतना खून बह चुका था कि अब उन्हे हॉस्पिटल ले जाने का कोई फ़ायदा नहीं था.. उनके सर का पूरा खून बहके उस माया नाम की औरत के पैरों में आ रहा था
 
"माया देवी... मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ. आप प्लीज़ किसी से कुछ ना कहें... मैं ज़िंदगी भर आपकी गुलाम रहूंगी... मेहेरबानी होगी आपकी" मेरी मा उसके पैर में गिडगिडाने लगी...

"आप चाहें तो आप जितना कहें मैं आपको दे सकती हूँ.. कितना चाहिए बोलिए आपको.. 25 लाख, 50 लाख... आप जितना कहेंगे मैं आपको उतना दूँगी...


माया:- मैं जितना कहूँ तुम मुझे उतना दोगि....


मेरी मा:- जी... अभी के अभी मैं आपको 50 लाख देती हूँ पर आप प्लीज़ किसी से कुछ ना कहें...


माया:- रुक जा अंशु... रुक जा... अगर 50 लाख लेने के बदले मैं तुझे मेरा एक काम करने के 10 करोड़ रुपये दूं तो....


10 करोड़ का सुनके मेरी मा की आँखें बड़ी हो गयी... वो अचंभे में पड़ गयी...


"मैं कुछ समझी नहीं . आप मुझे पैसे क्यूँ देंगी.." मेरी मा ने अपने झूठे आँसू पोछते हुए कहा...


माया:- रुक जाओ...


ये कहके माया ने कुछ एक दो फोन किया और आधे घंटे में दादा दादी की डेड बॉडीस को सॉफ करवा दिया.. कुछ लोग बाहर से आए और माया देवी से 50000 के नोटों की गड्डी लेके दादा दादी को वहाँ से ले गये और पूरा रूम सॉफ कर दिया.... मैं खड़ी खड़ी ये सब देखती रही... मैं कुछ करने की हालत में नहीं थी.. कितनी बदनासीन हूँ कि आखरी वक़्त पे मैं दादा दादी से बात तक नहीं कर पाई... ये सब सोचते सोचते मेरी आँखों में फिर से आँसू आने लगे...


"चुप कर मनहूस कहीं की.. फिर से क्यूँ रो रही है..." मेरी मा ने मुझे देखते हुए कहा और जाके माया देवी से बोलने लगी


"बोलिए... आप कुछ 10 करोड़ की बात कर रही थी..."


माया देवी सोफे पे बैठ गयी...

"सुनो.. पूजा, अंशु... मेरा पास एक प्लान है....."

दादा दादी की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी... मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन लोगों का अंत कुछ ऐसा होगा.... रो रो के मेरा हाल बुरा हो चुका था... मेरी मा को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ रहा था कि उसने अपने सास ससुर के साथ क्या किया है, पर उसे इस बात का डर था कि किसी माया देवी नाम की औरत ने उनकी ये सब हरकतें देख ली हैं... और अब वो उन्हे ब्लॅकमेल कर रही हैं....


मेरी मा:- माया देवी... भला आप मुझे 10 करोड़ किस बात के देंगे...
 
माया देवी:- अंशु... मेरे पास एक प्लान है, जिससे तुम्हारे साथ साथ तुम्हारी बेटी की ज़िंदगी भी संवर सकती है..


अपना नाम सुनकर मैने चोन्क्ते हुए उन दोनो की तरफ देखा, वो लोग हमारे लिविंग रूम के कोने में पड़े सोफा पे बैठ कर बातें कर रहे थे...


मैं:- देखिए... आप जो कोई भी हैं, मुझे कोई फरक नहीं पड़ता उससे.. मेरे पास अब इस घर में रहने की कोई वजह नहीं है, मैं वैसे भी आज ही, बल्कि अभी यूएसए जा रही हूँ... आपका पैसा, आपकी ऐयाशियाँ, सब आपको ही मुबारक...


मेरी मा:- सुन पूजा.... अब तुझे वोई करना पड़ेगा , जो मैं तुझसे कहूँगी.. समझी... आप फिकर ना करें माया देवी, पूजा कहीं नहीं जाएगी,वो यहीं रहेगी, और आपके प्लान में आपका साथ देगी....


माया देवी:- ना... मैने कब कहा, मेरे प्लान में शामिल होने के लिए पूजा का यहाँ होना ज़रूरी है.... अंशु, तुम उसे जाने दो वो जहाँ जाना चाहती है... वैसे भी, इसकी ज़रूरत हमे कुछ टाइम के बाद ही पड़ेगी...



ये सुनके मैं वहाँ से अपने रूम में गयी, अपना सामान उठाया और नीचे आके टॅक्सी बुला ली.. जब तक टॅक्सी आती तब तक मैं वहीं बैठे उन लोगों की बातें सुन रही थी.... माया देवी अपना पूरा प्लान मेरी मा को समझा रही थी... कुछ ही देर में टॅक्सी का आवाज़ सुनके, मैं बाहर जाने लगी, तभी............................


माया देवी:- सुनो पूजा.... तुम अपनी मर्ज़ी से रह सकती हो, पर अगर तुमने इस बारे में किसी को भी बताया, तो तुम सोच भी नहीं सकती, तुम्हारी ज़िंदगी का क्या हश्र होगा.... और तुम्हारे मा बाप के साथ क्या हो सकता है....


मैं बिना कोई जवाब दिए, सीधे जाके टॅक्सी में बैठ के अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगी... रास्ते में मैने कई बार पापा को फोन करके सब कुछ बताना चाहा, पर उन्होने मेरे एक भी कॉल का कोई आन्सर नहीं दिया... अपनी किस्मत को कोस्ती और अपने मा बाप को गलियाँ देती हुई मैं एरपोर्ट पहुँची... एरपोर्ट से भी मैने कई बार पापा को कॉल किया, पर कुछ फ़ायदा नहीं... मेरी आँखों के सामने कई बार दादा दादी का चेहरा आ रहा था..

दिमाग़ में बार बार उनके वो शब्द गूँज रहे थे कि वो अपनी आखरी साँसे वहीं तोड़ना चाहते हैं.. उनकी ख्वाहिश तो पूरी हुई, पर ऐसे होगी, मैने कभी सोचा नहीं था... थक हार के मैं अपनी फ्लाइट में बैठ गयी..
 
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