hotaks444
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इतने में डोर बेल भी बजी.. पूजा को छोड़ मैने दरवाज़ा अटेंड किया तो देखा
रूम सर्विस से पूजा ने जो मँगवाया था वो समान आ चुका था... कुछ देर के लिए पूजा वापस बाथरूम में घुस गयी और तब तक रूम सर्विस का बंदा टेबल सेट करके निकल चुका था...
"आइए मेरी पूजा जी... वो जा चुका है" मैने बाथरूम का दरवाज़ा नॉक करके कहा
इस बार पूजा बाहर आई, पर उसने बाथ गाउन भी पहना हुआ था...
"ये अभी क्यूँ पहना तुमने.. अभी तो सिर्फ़ हम दोनो ही हैं" मैने पूजा को अपने से सटा के कहा..
"... थ्ट्स ओके... कुछ बात कर लें हम प्लीज़.."
आगे की स्टोरी अब पूजा की ज़बानी...
हम पुणे के रहने वाले हैं... पैसों की कोई कमी नहीं है... मेरे घर में मेरे मोम डॅड के अलावा मेरे दादा दादी भी रहते हैं... मेरे डॅड ने कई सारे बिज़्नेस ट्राइ किए पर उन्हे कभी सफलता नहीं मिली... वैसे मेरे दादा दादी के पास खूब पैसा था, इसलिए डॅड को कभी सक्सेस ना मिलने का गम नहीं हुआ... मेरे दादा दादी हमेशा पापा से कहते कि सफलता नहीं मिलती ठीक है, पर कम से कम पैसे तो मत गँवाओ....
लेकिन मेरे पापा हमेशा इस बात को इग्नोर करते... उनका एक बिज़्नेस फैल होता तो वो एक लंबी वाकेशन पे निकल जाते मेरी मा और अपने दोस्तों के साथ.. इस बात से मेरे दादा दादी अक्सर परेशान रहते.... वैसे मेरे डॅड का नाम कमलेश है
मेरी मा अंशु... मेरी मा कभी एक अच्छी बहू ना तो अच्छी पत्नी बन पाई... वो हमेशा अपनी फ्रेंड्स के साथ किटी पार्टीस में रहती थी.. किटी पार्टीस में दारू और सिगरेट तो आम बात थी.. लेकिन कुछ हाइ प्रोफाइल औरतें इससे ज़्यादा भी करती थी, जो शायद हाइ सोसाइटी में आम बात है...
अक्सर मों पार्टी से नशे में ही घर वापस आती थी.. उन्हे ऐसे देखते दादी हमेशा ताना मारती थी, पर मेरी मा सामने कभी चुप नहीं रहती, वो एक के बदले मेरी दादी को दो बाते सुनाती.. कभी कबार मेरी मा अपने किसी यार के साथ नशे में धुत्त होके आती और अपने रूम में जाके अपना बिस्तर गरम कर लेती थी... ये सब देख के मेरे दादा दादी को घिंन आने लगती, पर वो कुछ नहीं कर सकते थे.. हज़ार बार उन्होने डॅड से ये बात कही, पर शायद डॅड को इससे कोई फरक नहीं पड़ा...
मैं पूजा... मैं अपने मा बाप की एक लौटी बेटी हूँ... मेरे दादा ने ऑलरेडी अपनी प्रॉपर्टी और बॅंक बॅलेन्स मेरे नाम कर रखा है... मैं खुद को शरीफ नहीं कहूँगी... शराब, सिगरेट, लड़के बाज़ी , मैं भी ये सब करती थी.. आख़िर अपनी मा की बेटी जो थी... लेकिन मैने हमेशा ये सब घर के बाहर किया... मेरे दादा दादी मुझे अच्छी लड़की मानते थे, मैं इसलिए उनके सामने ऐसी कोई हरकत नहीं कर सकती थी...
घर पे मैं जीन्स या शॉर्ट्स में रहती थी... लेकिन घर के बाहर कपड़ो पे कोई लिमिट नहीं थी... दादा दादी का प्यार कहो या उनकी इज़्ज़त, जो भी था, मैं अपनी लाइफ अच्छी तरह से बॅलेन्स करती थी.... जब मेरी दादी और मा झगड़ा करते, मैं हमेशा अपनी दादी का साइड लेती और कई बार मा से इस बात पे बहेस भी हो चुकी थी... लेकिन मेरा दिल
कभी मेरी मा का साथ देने के लिए तैयार नहीं था...
कहीं ना कहीं मैं भी मानती थी, कि ये सब चीज़े अपनी जगह, पर जब तक घर पे बड़े हैं, तब तक हमे अपनी मर्यादा में रहना चाहिए... मैने अपना पूरा ग्रॅजुयेशन फुल ऑन अश् करके निकाला.. दारू, ड्रग्स, सेक्स, डोपिंग, रवे पार्टीस, अड्वेंचर,ऐसा कुछ बाकी नहीं रखा था मैने अपने कॉलेज लाइफ में....ग्रॅजुयेशन के बाद भी ये सब चालू रहा, पर बहुत कम हो चुका था... मेरे पापा का कोई बिज़्नेस था नहीं इसलिए मैं हमेशा घर पे ही रहती...
रूम सर्विस से पूजा ने जो मँगवाया था वो समान आ चुका था... कुछ देर के लिए पूजा वापस बाथरूम में घुस गयी और तब तक रूम सर्विस का बंदा टेबल सेट करके निकल चुका था...
"आइए मेरी पूजा जी... वो जा चुका है" मैने बाथरूम का दरवाज़ा नॉक करके कहा
इस बार पूजा बाहर आई, पर उसने बाथ गाउन भी पहना हुआ था...
"ये अभी क्यूँ पहना तुमने.. अभी तो सिर्फ़ हम दोनो ही हैं" मैने पूजा को अपने से सटा के कहा..
"... थ्ट्स ओके... कुछ बात कर लें हम प्लीज़.."
आगे की स्टोरी अब पूजा की ज़बानी...
हम पुणे के रहने वाले हैं... पैसों की कोई कमी नहीं है... मेरे घर में मेरे मोम डॅड के अलावा मेरे दादा दादी भी रहते हैं... मेरे डॅड ने कई सारे बिज़्नेस ट्राइ किए पर उन्हे कभी सफलता नहीं मिली... वैसे मेरे दादा दादी के पास खूब पैसा था, इसलिए डॅड को कभी सक्सेस ना मिलने का गम नहीं हुआ... मेरे दादा दादी हमेशा पापा से कहते कि सफलता नहीं मिलती ठीक है, पर कम से कम पैसे तो मत गँवाओ....
लेकिन मेरे पापा हमेशा इस बात को इग्नोर करते... उनका एक बिज़्नेस फैल होता तो वो एक लंबी वाकेशन पे निकल जाते मेरी मा और अपने दोस्तों के साथ.. इस बात से मेरे दादा दादी अक्सर परेशान रहते.... वैसे मेरे डॅड का नाम कमलेश है
मेरी मा अंशु... मेरी मा कभी एक अच्छी बहू ना तो अच्छी पत्नी बन पाई... वो हमेशा अपनी फ्रेंड्स के साथ किटी पार्टीस में रहती थी.. किटी पार्टीस में दारू और सिगरेट तो आम बात थी.. लेकिन कुछ हाइ प्रोफाइल औरतें इससे ज़्यादा भी करती थी, जो शायद हाइ सोसाइटी में आम बात है...
अक्सर मों पार्टी से नशे में ही घर वापस आती थी.. उन्हे ऐसे देखते दादी हमेशा ताना मारती थी, पर मेरी मा सामने कभी चुप नहीं रहती, वो एक के बदले मेरी दादी को दो बाते सुनाती.. कभी कबार मेरी मा अपने किसी यार के साथ नशे में धुत्त होके आती और अपने रूम में जाके अपना बिस्तर गरम कर लेती थी... ये सब देख के मेरे दादा दादी को घिंन आने लगती, पर वो कुछ नहीं कर सकते थे.. हज़ार बार उन्होने डॅड से ये बात कही, पर शायद डॅड को इससे कोई फरक नहीं पड़ा...
मैं पूजा... मैं अपने मा बाप की एक लौटी बेटी हूँ... मेरे दादा ने ऑलरेडी अपनी प्रॉपर्टी और बॅंक बॅलेन्स मेरे नाम कर रखा है... मैं खुद को शरीफ नहीं कहूँगी... शराब, सिगरेट, लड़के बाज़ी , मैं भी ये सब करती थी.. आख़िर अपनी मा की बेटी जो थी... लेकिन मैने हमेशा ये सब घर के बाहर किया... मेरे दादा दादी मुझे अच्छी लड़की मानते थे, मैं इसलिए उनके सामने ऐसी कोई हरकत नहीं कर सकती थी...
घर पे मैं जीन्स या शॉर्ट्स में रहती थी... लेकिन घर के बाहर कपड़ो पे कोई लिमिट नहीं थी... दादा दादी का प्यार कहो या उनकी इज़्ज़त, जो भी था, मैं अपनी लाइफ अच्छी तरह से बॅलेन्स करती थी.... जब मेरी दादी और मा झगड़ा करते, मैं हमेशा अपनी दादी का साइड लेती और कई बार मा से इस बात पे बहेस भी हो चुकी थी... लेकिन मेरा दिल
कभी मेरी मा का साथ देने के लिए तैयार नहीं था...
कहीं ना कहीं मैं भी मानती थी, कि ये सब चीज़े अपनी जगह, पर जब तक घर पे बड़े हैं, तब तक हमे अपनी मर्यादा में रहना चाहिए... मैने अपना पूरा ग्रॅजुयेशन फुल ऑन अश् करके निकाला.. दारू, ड्रग्स, सेक्स, डोपिंग, रवे पार्टीस, अड्वेंचर,ऐसा कुछ बाकी नहीं रखा था मैने अपने कॉलेज लाइफ में....ग्रॅजुयेशन के बाद भी ये सब चालू रहा, पर बहुत कम हो चुका था... मेरे पापा का कोई बिज़्नेस था नहीं इसलिए मैं हमेशा घर पे ही रहती...