Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें - Page 22 - SexBaba
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Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें

ये सुनके पूजा के मूह पे निराशा बढ़ सी गयी.. क्यूँ कि अगर पायल पीछे बैठती, तो शायद उन लोगों की बात होती कि पायल यहाँ क्यूँ आई, और पूजा के मोबाइल से जो टेक्स्ट गये थे उस बारे में... अब मेरा काम ये था कि पूजा और पायल को बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ूं.. ताकि उन लोगों के बीच इस बारे में कोई बात ना हो... हम लोग एरपोर्ट के लिए रवाना हो गये, और कुछ ही देर में एरपोर्ट पहुँच गये... एरपोर्ट पहुँचते ही सबसे पहला मेरा काम ये था, कि पायल की शाम की फ्लाइट के बदले अभी वाली फ्लाइट में अरेजमेंट हो जाए..


"पूजा, तुम समान निकलवाओ, तब तक मैं पायल की टिकेट्स का कुछ देखता हूँ.. चल पायल मेरे साथ.." मैने कॅब से उतरते हुए कहा


"ये कहाँ जाएगी.. आप होके आओ ना, इसे इधर ही रहने दो.." पूजा ने फिर मौका तलाशना चाहा


"अरे, इसके डॉक्युमेंट्स देने हैं, इसके आइडी प्रूफ देने हैं, ये नहीं आएगी तो मैं टिकेट्स का कुछ नहीं कर पाउन्गा... पायल चल तू, पूजा प्लीज़ मॅनेज ओके.." मैं पायल का हाथ पकड़ के अंदर ले गया और पूजा वहीं खड़ी रही कॅब के पास समान के लिए..


अंदर जाते ही सबसे पहले पायल ने मुझे कहा..


"क्या बात है भाई,बहुत उतावले हो रहे हो मुझे ले जाने के लिए.. पूजा में मज़ा नहीं है क्या हाँ.." पायल ने हंसते हुए कहा


"अरे, मेरी स्वीट हार्ट, तुझसे ज़्यादा मज़ा और किसमे होगा.. देख नहीं रही है, कितना जल रही है वो तुझसे.. इससे यही साबित होता है कि तू है तो एक दम बला की खूबसूरत, तेरे सामने तो वो पानी कम चाइ है.." मैं उसकी कमर में हाथ डालते हुए चल रहा था..


बातें करते करते हम टिकेट काउंटर के पास पहुँचे, किस्मत अच्छी थी मेरी यहाँ कि हमारी फ्लाइट में जगह थी, हमने पायल की शाम की फ्लाइट के बदले ये टिकेट से स्वप मारा, कुछ पैसे भर के वापस पूजा के पास जाने के लिए मुड़े, तो देखा पूजा लाउंज के पास ही खड़ी थी समान के साथ.... हम पूजा के पास पहुँचे,


"लो जी, हो गया काम.. पायल की टिकेट हो गयी, पर उसकी टिकेट अलग है हम से.. " 


"तो क्या हुआ, हम साथ में बैठेंगे, आप अलग बैठना," पूजा ने मुझसे कहा


"क्यूँ.. मैं नहीं बैठती तुम्हारे साथ, सॉरी, सुबह की बातों को प्यार मत समझो, भाई, मैं अलग ही बैठूँगी प्लीज़ ओके..." पायल इतना कहके कुछ ड्रिंक्स लेने चली गयी.. इधर पायल समझ रही थी कि उसे और पूजा को फिर झगड़े का नाटक करना है, और पूजा जो करना चाहती थी वो पायल अपनी आक्टिंग की वजह से होने नहीं दे रही थी... इन सब में मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था...


"देखा.. सुबह से पागल हुए जा रही हो, जब वो तुमसे बात नहीं कर रही, तो तुम्हे क्या है अचानक उसपे प्यार आ रहा है.." मैने पूजा को डाँट के कहा.. पूजा ने कोई जवाब नहीं दिया.. कुछ देर में बोरडिंग की अनाउन्स्मेंट हो गयी और हम गेट्स की तरफ बढ़ गये... कुछ देर में टेक ऑफ हुआ, जकार्ता से बालि 1 घंटे की फ्लाइट थी, पर ये 1 घंटा पूजा के लिए बहुत भारी था, वो पायल से बात ही नहीं कर पा रही थी, और उधर पायल मुझे पागल बनाने के चक्कर में लगी हुई थी... खैर इन सब के बीच हम बालि पहुँचे, जहाँ हमारे रिज़ॉर्ट की कॅब हमारा वेट कर रही थी... हमने कॅब ली, और अपने रिज़ॉर्ट की तरफ निकल गये.. रिज़ॉर्ट में हमने विला बुक करवाया था, पायल क्यूँ कि अनएक्सपेक्टेड थी, तो उसे सिंपल सूयीट से काम चलाना पड़ा... पूजा और मैं अपने विला में निकल गये, जब कि पायल अपने सूयीट में जाके सो गयी... जैसे ही हम अपने विला में पहुँचे, हम दोनो की आँखें चका चोंध हो गयी... विला था ही इतना खूबसूरत, इतना रोमॅंटिक, इतना एग्ज़ोटिक.. इससे ज़्यादा एग्ज़ोटिक लोकेशन मैने आज तक नहीं देखा था... अगर जन्नत है तो वो बस यहीं है... 
 
इतना खूबसूरत लोकेशन देख के, पूजा जो अब तक बहुत नाराज़ और खामोश थी, अचानक उछल के मेरी बाहों में आ गयी और मेरे होंठों को चूमने लगी....


"उम्म्म.....गल्प गल्प अहाहहा..... इससे ज़्यादा खूबसूरती मैने आज तक नहीं देखी ..." पूजा ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा


"इससे ज़्यादा खूबसूरती तो मैं रोज़ ही देखता हूँ स्वीट हार्ट.." मैने उसकी आँखों में देखते हुए कहा


"कहाँ... मुझे भी दिखाइए कभी फिर.." पूजा ने मुझसे अलग होते हुए कहा


"चलो...अभी दिखाता हूँ," ये कहके मैं पूजा का हाथ पकड़ के अंदर ले गया और मैं रूम में आके आईने के सामने खड़ा किया..


"देखो... इससे ज़्यादा खूबसूरत मेरे लिए दुनिया में कुछ भी नहीं है..." मैने पूजा की तरफ इशारा करते हुए कहा


"उम्म...बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे..." कहके पूजा पलट के मुझसे लिपट गयी और हम एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे..


"उम्म्म..आहह...सक हार्ड डार्लिंग आहह....उम्म्म्मम" मैं चूमते चूमते पूजा की गंद पे हाथ ले जाके दबाने लगा....


"आहह सीईइ...उम्म्म्म...चलिए ना, साथ नहाते हैं..." ये कहके पूजा और मैं बाहर बने स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ गये... पूल के पास पहुँचते ही हमने एक दूसरे के कपड़े उतारे, और बेतहाशा चूमने , चाटने लग गये....


"आहह....यअहह उम्म्म्म....सक मी मोर ना बेबी आहह....यॅ आहह.." पूजा मदहोशी से कहने लगी... 


पूल के पास चल रही ठंडी हवा और मेरे हाथ में पूजा के चुचे, उसके निपल्स को कड़क होने में बिल्कुल वक़्त नही लगा... मैं झट से अपना एक हाथ उसके निपल्स पे ले गया और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा... हम चूमते चूमते ज़मीन पे लेट गये और अब जन्गलियो की तरह एक दूसरे को चाटने लगे...


"आह...सुक्कक्काहह...क्या मर्द मिला है मुझे आहह...क्या शरीर है सीईइ....उम्म्म गुलपप गुलपप्प्प..." पूजा मेरे होंठ छोड़के अब मेरी छाती को चाटने लगी और धीरे धीरे नीचे बढ़ के मेरी नाभि पे जीभ घुमाने लगी... पूजा की जीभ अजीब सी लहर पैदा कर रही थी मेरे शरीर में..नीचे आके पूजा ने अपनी जीभ मेरे लंड पे रखी और तिरछी नज़रों से मुझे देखने लगी...मानो कुछ पूछ रही हो मुझसे...


"गो फॉर दा किल बेबी आहमम्म्मम...." मैं आँखें बंद करके मज़ा लेने लगा... मेरे ये शब्द सुनके पूजा ने अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपाडे पे घुमाया "सीईयाहहामम्म्मम" और एक हाथ से मेरे टट्टों को मसल्ने लगी...मस्ती में आके मेरा शरीर उपर उठ गया जिससे मेरा लंड पूजा के मूह में घुसने लगा..ये देख मुझसे भी रहा नही गया और मैं ऐसे ही अपने शरीर को उपर नीचे करने लगा जिससे पूजा को मुँह फक मिलने लगा..एक तरफ पूजा माउथ फक का मज़ा ले रही थी और अपने हाथों से मेरे टटटे सहला रही थी, दूसरी तरफ मैं उसे माउथ फक देते देते हवा में झूल रहे उसके चुचों को मसल्ने लगा...


हम से और रहा नही गया..हमने जल्दी से पूल में डुबकी मारी, पूल में आते ही मैने पूजा को किनारे पे खड़ा रखा और नीचे पानी में जाके उसकी चूत को चाटने लगा...मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था, ब्लू कलर का पानी, उसमे पूजा के जिस्म की गर्मी और उसकी चूत का नमकीन पानी, डेड्ली कॉंबिनेशन था..


"उम्म्म...आहह सीईईईईई हां और चाटो ना आहह....यस कमिंग बेबी आहह यअहह सक मी आहह फास्टर ओहूऊओाहमम्म्मम" पूजा के इन शब्दों के साथ उसका शरीर अकड़ गया और उसने दूसरी बार अपना पानी छोड़ दिया.... मैं बाहर आके लंबी साँसे लेने लगा.. जैसे ही मैं बाहर आया,पूजा ने मेरे बाल पकड़ के अपनी तरफ खींचा और फिर से मेरे होंठों को चूसने लगी


"उम्म्म..आआअह्ह्ह्ह फक मी नाउ आहह..." ये कहके पूजा मुझे पूल से बाहर ले जाने लगी..हम जैसे ही पूल के बाहर आए, सामने खड़ी पायल को देख के चौंक गये..
 
हमे देख पायल ने अपनी आँखें खोली, जो अब तक हमारी लीला देख के खड़ी खड़ी नंगी होके अपनी चूत रगड़ रही थी...जैसे ही पायल ने अपनी आँखें खोली, उसने अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर डाल दी जो बहुत गीली दिख रही थी...दो कदम आगे बढ़के उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरे होंठों के करीब लाई..मैं सामने गया और उसकी उंगलियों को चाटने लगा..


"आह्ह्ह...दट'स माइ गुड ब्रदर..." पायल ने इतना ही कहा के उसने तुरंत अपने होंठ पूजा के होंठों से मिला लिए और उसके मज़े लेने लगी...पूजा कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी, तभी मैं नीचे झुक के अपनी जीभ पूजा की चूत पे सेट की और दो उंगलियाँ पायल की चूत में घुसा दी...


"स्लूरप्पप्प्सलूरप्प्पाहह..सीईईयाघह....उम्म्म स्लूरप्प्प्प्प स्लूरप्प्प्प्प आहह...." ऐसी आवाज़ों से पूजा की चूत चटाई शुरू हुई...इसके साथ ही पायल की चूत को भी मेरी उंगलियों ने चोदना चालू कर दिया..


"उम्म्म्म आहभ....भाई ज़ोर स्स आअहह....यू.एम्म्म सम्मूचमवाभाआभ.....आहहसिईई..... और ज़ोर से चाटिये ना आहह...." ऐसे आवाज़ों से दोनो लड़कियाँ एक दूसरे के चुंबन में लीन हो गयी..दोनो के चुचे एक दूसरे में धँस रहे थे... शाम के 7 बजे इतनी रोमॅंटिक जगह पे मैं अपनी सो कॉल्ड होने वाली बीवी और अपनी बुआ की लड़की को चोद रहा था...बारी बारी मैने दोनो की चुतो को चाटा और उंगली से चोदा...उपर दोनो एक दूसरे को चूम रही थी, काट रही थी...


"उम्मण आहह मेरी रांड़ पूजा भाभी आहहसिईइ...पहले तो मेरी चूत का पानी नही ले रही थी..आहह..अब कुतिया की तरह चाट रही है आअहन्न्न...पायल कहते कहते पूजा को जन्गलियो की तरह थप्पड़ मारने लगी...


"आहह मेरी कुतिया तू है मेरी ननद...कुतिया रंडी, अपने भाई से चुदवाने आ गयी...आहभमम्म्म और चूस ना भडवि आअहहसिईई...." कहके पूजा और पायल एक दूसरे के होंठ और चुचे चूसने लगी... इतनी देर में पायल पूजा ना जाने कितनी बात झाड़ चुकी थी..मैं नीचे से उठके पायल और पूजा को अंदर चलने का इशारा किया, पूजा और मैं आगे बढ़े तभी पायल ने पूजा का हाथ पकड़ के रोका..


"अंदर क्यूँ..यहीं चुदवा अपने पति से चल.." 


पायल की ये बात सुनके पूजा तुरंत पूल के पास बने स्टेर्स पे गयी और अपने पैर फेला के कुतिया पोज़िशन मे अपनी चूत में घुसने का इशारा किया..पायल और मैं तुरंत आगे बढ़े, मैं पीछे से पूजा की चूत पे लंड सेट करने लगा, वहीं पायल पूजा के सामने जाके अपनी चूत फेला के लेट गयी... पायल के इशारे से मैने पूजा की चूत में लंड डालना शुरू किया और उधर पूजा की जीभ पायल की चूत को चाटने लगी..


"उहहाहह उहहाहह...उम्म्माहब ओह्ह्ह..और ज़ोर से आहाहह...ज़ोर से चोदो भाई इस रांड़ को आहह...और ज़ोर से चाट साली छिनाल मेरी चूत को आहहस्सिईइ.." पायल जोश में आने लगी थी...


"फकच..फ़ाच्छ... उम्म्म्म आहह उम्म्माहह..फक मी हार्डर यअहह....सक मी हार्डर आहह....रंडी कहीं की आहह...और ज़ोर से चूस ना...आहहाहा मेरे सैयाँ ज़ोर से चोदो ना अहहहा....." इन चीखों से हमारी चुदाई तेज़ चलती रही... करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ,लंड बाहर निकाल के पायल और पूजा को इशारे से बुलाया और दोनो आके मेरे लंड को चूसने लगी, मूठ मारने लगी...मेरे से कंट्रोल नही हुआ और "आहाहह ओह येस्स्साह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" इस चीख के साथ अपना पूरा स्पर्म पायल और पूजा के मूह पे छोड़ दिया....


डेडैकेशन के साथ उन दोनो ने मेरे स्पर्म को सॉफ कर डाला और एक दूसरे को देख के हँसने लगी..
 
"हहेहेः...लव यू भाभी.." कहके पायल पूजा को चूमने लगी, और फिर खड़ी होके मेरे होंठ चूसने लगी...


"अब चलो भी, नहा लेते हैं...अभी तो इसकी चूत भी चोदना बाकी है आपको..." कहके पूजा के साथ हम तीनो जैसे ही पूल में उतर रहे थे, रूम में पड़ा पूजा का फोन बजने लगा...


"ओह..नो...अब कौन मर गया..रुकिये एक सेकेंड.." ये कहके पूजा रूम में गयी, उसके पीछे पायल और मैं भी चले गये...


"हेलो मोम..बोलिए..ये ग़लत टाइम पे क्यूँ फोन किया" 


सामने से अंशु की बात सुनके..


"व्हाट !!!!! मोम क्या ... ओह माइ गोद्द्द्द्दद्ड !!!!! " पूजा के हाथ से उसका फोन गिर गया, और इसकी आँखों से आँसू टपकने लगे...


'हेलो... ऊह हाई, दिस ईज़ वीरानी.. कॅन यू प्लीज़ हेल्प अस अरेंज दा टिकेट्स टू दा अर्लीयेस्ट फ्लाइट फॉर इंडिया..." मैने होटेल के ट्रॅवेल डेस्क पे फोन करके पूछा...


"यस. वी आर थ्री पीपल.. कॅन यू प्लीज़ मेक इट बिज़्नेस क्लास... एप दट'डी बी गुड... ओह शुवर, प्लीज़ सेंड अक्रॉस युवर स्टाफ मेंबर, आइ विल सेंड दा डॉक्युमेंट्स आंड मनी वित देम.. थॅंक्स बाय..."


अंशु से बात करने के बाद जहाँ पूजा रोना बंद नहीं कर रही थी, वहीं पायल सब समान पॅक करने में लग गयी थी.. हमारी इंडोनेषिया की ट्रिप ख़तम... वी आर गोयिंग बॅक टू इंडिया.. ट्रवेल्देस्क का स्टाफ हमसे ज़रूरी काग़ज़ात और पैसे ले गया हमारी टिकेट्स का बंदोबस्त करने के लिए.. पायल बखुबी अपना काम कर रही थी, हमने पूजा को अलग छोड़ दिया था, जितना रोना है रोने दो पूजा को, मैने पायल से कहा था... सारा समान पॅक, टिकेट्स डन, बट पूजा का रोना अभी ख़तम नहीं हुआ था.. पूरी रात पूजा और पायल ने एक साथ बिताई.. 


रोना मुझे भी आ रहा था, बात ही ऐसे थी.. पर मैं खुद को संभाले बैठा था, क्यूँ कि अगर मैं भी रोता तो शायद पूजा फ्लाइट लंड होने तक भी चुप नहीं होती.. पूरी रात हम तीनो में से कोई नहीं सोया.. मैं बार बार जाके पूजा को देखता और बार बार पायल उसे चुप होने को कहती... दूसरे दिन की सुबह हम फ्रेश होके बाली से जकार्ता और जकार्ता से मुंबई के लिए निकल गये.. इतनी लंबी फ्लाइट, इतने घंटे के सफ़र के बाद भी पूजा का दुख कम नहीं हुआ था, उसका रोना बंद था, पर उसकी आँखें अभी भी बहुत कुछ बोल रही थी..


करीब 12 घंटे के सफ़र के बाद, हम रात के 10 बजे मुंबई लॅंड हुए.. मुंबई में डॅड ने ऑलरेडी एक कार का बंदोबस्त किया था जिससे हमे पुणे जाना था… 12 घंटे में हमने कुछ खाया नहीं, कुछ पिया नहीं.. बस घर पहुँचना था.... जैसे जैसे हम घर के नज़दीक पहुँचते, हमारे दिल की धड़कन तेज़ होती जाती.. 2 घंटे की ड्राइव के बाद जैसे ही हम घर पहुँचे, पूजा दौड़ के घर के अंदर चली गयी और जाके अपनी मा से, शन्नो से, विजय से, सब से लिपट के फुट फुट के रोने लगी.. पहली बार मेरे घर पे इतनी भीड़ मैने देखी थी.. 


सब लोग शोक जता रहे थे.. मेरी नज़र एक कोने से दूसरे कोने पे पड़ी तो मोम डॅड भी एक कोने में खड़े रो रहे थे… मैं तुरंत उनके पास गया और उनसे लिपट गया..


“ये क्या हो गया बेटे… हे भगवान… ऐसा क्यूँ हुआ , ऐसा क्यूँ हुआ…” मोम मुझसे लिपट के रोती हुई बोली… मैं रोना नहीं चाहता था, इसलिए मैने मोम डॅड को कस्के पकड़ा हुआ था.. शन्नो घर के बीचो बीच सफेद साड़ी पहनी हुई बैठी थी, उसके बाल बिखरे हुए थे, उसे कोई होश नहीं था कि उसके आस पास क्या हो रहा है... विजय उसे संभालने में लगा हुआ था… 


पूजा अब ललिता के पास खड़ी थी और दोनो एक दूसरे को दिलासा दे रहे थे… मोम डॅड से अलग होके मैं शन्नो के पास गया... धीरे धीरे मेरे कदम शन्नो के नज़दीक पहुँच रहे थे, मैं जैसे ही शन्नो के पास पहुँचा, मुझे देख शन्नो खड़ी हो गयी..


“.... देख इसको... ये अब नहीं रही यययययी...” शन्नो एक बार फिर मेरी छाती पे मुक्के बरसा के मुझसे लिपट के रोने लगी


“आंटी.. प्लीज़ चुप हो जाइए... प्लीज़ आंटी...” मैं शन्नो को गले लगाते हुए कहने लगा... शन्नो का रोना बंद नही हो रहा था, मैने मोम को इशारा करके उन्हे ले जाने को कहा...


जैसे ही मोम शन्नो को वहाँ से ले गयी.. मेरी आँखों के सामने थी उसकी लाश.. मेरी आँखों के सामने “डॉली” की डेड बॉडी पड़ी हुई थी.. मैं ज़मीन पे अपने पैरो के बल बैठ के डॉली के चेहरे को देखने लगा.. उस वक़्त मेरे दिमाग़ में सब एक फिल्म की तरह दौड़ने लगा था... डॉली के साथ बिताए हर एक लम्हे को याद करके मेरी आँखें भारी होने लगी थी.. मेरे आँसू सूख से गये थे, दिल भारी होने के बावजूद आँखें छलक नहीं रही थी.. शायद येई अंजाम था इन सब का... 


आज जो हाल डॉली का था, वो शायद ना होता अगर मैने उसे ब्लॅकमेल ना किया होता तो...पर फिर दिमाग़ में बार बार आ रहा था, कि अगर डॉली को ब्लॅकमेल ना किया होता तो भी उसका अंजाम बुरा ही होता... इसी कशमकश में मेरी पूरी रात गुज़री... पूरी रात घर पे रोना धोना चला, अगली सुबह सब लोग शमशान चले गये, मैं पूजा और ललिता घर पे ही रुके.. हम एक दूसरे से कोई बात नही कर रहे थे... डॉली मुझसे ज़्यादा पूजा और ललिता के करीब थी, ज़ाहिर है उन लोगों को दुख ज़्यादा हुआ होगा...



कुछ दिन यूही गुज़रे, अब पूजा और अंशु भी अपने घर जा चुकी थी, मैं फिर अपने रुटीन में बिज़ी हो गया... जान बुझ के मैं रोज़ ऑफीस से लेट आता क्यूँ कि मैं ज़्यादा रोना धोना नहीं देख सकता था.... मेरे इस बर्ताव को मेरी मोम ने देखा, पर उन्होने मुझे कुछ कहा नहीं... एक वीकेंड की बात है जब मैं ऑफीस के लिए निकल रहा था...मोम मेरे कमरे में आई


" बेटे, कहीं जा रहे हो"


"हां मोम...ऑफीस, कुछ काम है इसलिए," मैं तैयार होते हुए मोम से बोलने लगा


"बेटे..सिर्फ़ एक बात कहूँगी, तुम्हारा दिल कमज़ोर है मैं जानती हूँ, तुम ये माहॉल घर में नही देख सकते आइ नो..पर इससे दूर भागना इसका सल्यूशन नही है.." ये कहके मोम भी मेरे रूम से निकल गयी और छोड़ गयी मेरे दिल में कई सवाल...
 
मैं तैयार होके नीचे आया जहाँ मोम के साथ शन्नो और ललिता भी बैठे थे... शन्नो को मैं इग्नोर कर सका, पर ललिता की आँखों को नही, उसकी आँखें आज भी डॉली को ही तलाश रही थी.. मैं तुरंत ही घर के बाहर जाके गाड़ी में ऑफीस के लिए निकल गया... पूरे रास्ते में मुझे सिर्फ़ ललिता दिख रही थी..कैसा लग रहा होगा उससे...डॉली के साथ सोती थी, आज अकेली है, बिल्कुल अकेली... इस वक़्त मैं उससे और अकेला कर रहा हूँ.. ये सोचके मैने आधे रास्ते में ही गाड़ी यू टर्न ले ली और घर निकल गया... घर पहुँचते ही


"आंटी, ललिता कहाँ है, " मैने शन्नो से पूछा


"बेटे. ,वो उपर है..." मों ने जवाब दिया, आंटी गुम्सुम सी बैठी हुई थी..


मैं दौड़ के ललिता के रूम में गया, जहाँ वो अकेली बेड पे रो रही थी...


"बेटू...अभी भी रोएगी तू...इधर देख डियर, क्यूँ रोती है तू हाँ.." मैं ललिता के पास जाते हुए बोला


"क्या फरक पड़ता है भाई आपको...एक बहेन नही रही, दूसरी का होना ना होना क्या मॅटर करता है..." ललिता सूबक सूबक के बोल रही थी..


"ह्म्म..शायद ज़्यादा नही, पर एक बहेन से ज़्यादा एक दोस्त का दुख है...मेरा दोस्त ऐसे रोएगा तो मुझे भी अच्छा नही लगता ना..." 


"नहीं...आप झूठ बोल रहे हो भाई...प्लीज़ भाई, डॉली क्यूँ चली गयी भाई..." ये कहके ललिता मुझे हग करके ज़्यादा रोने लगी...


करीब एक घंटा मैं ललिता के साथ बैठा, उसको काफ़ी समझाने के बाद हम दोनो नीचे आ गये... नीचे आके थोड़ा नॉर्मल हुई ललिता, जैसे ही हम कुछ बात करते, दरवाज़े पे दस्तक हुई... मोम ने दरवाज़ा खोला 


"आइए इनस्पेक्टर..आज सुबह सुबह..." मोम ने सामने खड़े पोलीस वाले को पूछा..


"मोम..कौन है, खाना दीजिए, आज ललिता और में साथ खाएँगे" कहके जैसे ही मैं दरवाज़े के पास पहुँचा


"अबे साले..तू इधर कैसे, बहुत दिन बाद याद आई ना..किधर रहता है आज कल..." मैने पोलीस वाले को गले लगाते हुए बोला


"तुम लोग जानते हो एक दूसरे को.." मोम ने हमसे पूछा..


"अरे हां मोम, इनस्पेक्टर एरिसटॉटल...ये मेरे साथ स्कूल में था,..पर साले, तेरी पोस्टिंग तो बंगलोर थी.. यहाँ कैसे" मैं बहुत खुश था एरिसटॉटल को देख के..


"...कुछ ज़रूरी बात करनी है, कहीं बाहर चलें" एरिसटॉटल अपने गंभीर स्वर में बोला


"चलो..पर मेरी गाड़ी में, नही तो लोगों को कुछ उल्टा ना लगे.."


ये कहके जैसे ही हम बाहर की तरफ बढ़े


"..वेट, मैं भी चलूंगी.." पीछे से ललिता ने कहा...


"मॅम..प्लीज़ आप" एरिसटॉटल ने इतना ही कहा के मैने उसे बीच में टोका


"आओ ललिता..चलो... यार शी ईज़ आ फॅमिली, आंड मेरे हिसाब से जो बात तुम करोगे, उसमे ललिता मदद भी कर सकती है, " 


इतना कहने हम तीनो घर से निकल गये और थोड़ी दूर जाके कॉफी शॉप में बैठे..

एरिसटॉटल और हम,यानी ललिता और मैं कॉफी शॉप में बैठे बातें कर रहे थे..


एरिसटॉटल:- ललिता जी, मैं आपकी भावनाओ की कदर करता हूँ, समझ सकता हूँ आप इस वक़्त किस दौर से गुज़र रही हैं, पर...


ललिता:- ये सब छोड़िए, हम काम की बात करते हैं प्लीज़...आप कुछ बताने वाले थे हमे


:- ललिता, प्लीज़ चिल मार एक सेकेंड... एरिसटॉटल, भाई पॉइंट पे आ, वक़्त
 
की नज़ाकत को समझ... सबसे पहले बता के डेड बॉडी कहाँ मिली, और पोलीस को खबर कैसे हुई

[size=large]एरिसटॉटल:- डॉली की बॉडी पोलीस को रेलवे ट्रॅक्स के पास मिली.. ये तो किस्मत है कि जब पोलीस ने बॉडी रिकवर की, उसके 5 मिनट बाद ही ट्रेन आई, नहीं तो डेड बॉडी पूरी क्रश हो जाती... बॉडी हमे ब्लॅक पोलिथीन में रॅप्ड मिली.. वहाँ की लोकल पोलीस ने जैसे ही हमे इनफॉर्म किया, वीरानी सरनेम सुनके ये केस मैने सामने से माँगा ये सोचके कि कहीं तुम्हारी फॅमिली ही होगी... और डॉली को मारने से पहले काफ़ी डराया गया था ऐज पर पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट्स...और उसके पेट में सीधे वार हुए हैं चाकू से या किसी नोकिली चीज़ से .. इंट्रेस्टिंग बात ये है कि डॉली ने बचने की बिल्कुल कोशिश नही की थी, क्यूँ कि जिस चीज़ से उसपे वार हुआ है, वो उसके पेट के आर पार हुई है, मतलब डॉली स्टॅंडिंग पोज़िशन में थी, कातिल ने ठीक बीचो बीच वार किया है, अगर डॉली बचने के लिए हिली होती तो एक दम बीच में वार करना पासिबल नही है.. 
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एरिसटॉटल की ये बात सुनके ललिता और मेरा पसीना छूटने लगा था... 5 मिनट तक हमारी टेबल पे खामोशी छाई रही... इतने में हमारी कॉफी भी आ गयी...





एरिसटॉटल:- ललिता जी, पसीना पोछ लीजिए प्लीज़, और आपकी कॉफी... 





ललिता ने अपने आँसुओं को थाम के रखा था, और हमने ये नोटीस भी कर लिया था... 





"थॅंक्स... " ललिता ने एरिसटॉटल से कॉफी और टिश्यू लेते हुए कहा...





"आप आगे बोलिए प्लीज़, आइ अम फाइन" ललिता ने फाइनली .अपने आँसू पीके बोला





"जी...इसमे हैरानी की बात ये है कि कोई अपनी जान क्यूँ बचाना नहीं चाहेगा... आइ मीन आप का फॅमिली बॅकग्राउंड ईज़ सो स्ट्रॉंग, डॉली को कोई पर्सनल प्रॉब्लम्स तो नही हो सकती..फिर क्यूँ..लेकिन मेरे दिमाग़ में फिर एक रॅंडम थॉट भी आया, कहीं डॉली को पता तो नहीं था कि उसके साथ ये सब होने वाला है .. शायद उसने किसी को कोई धोखा दिया हो..या शायद...





"डॉली ऐसी बिल्कुल नही थी इनस्पेक्टर...किसी को धोखा देने वालों में से मेरी बहेन नही थी, वो इनडिपेंडेंट थी..." ललिता ने तीखे स्वर में इनस्पेक्टर को टोका





"ललिता.. प्लीज़ कंट्रोल बेटा, एरिसटॉटल, बोल आगे" मैने बीच में आके स्थिति काबू करने की कोशिश की..





"मैं ये कह रहा था कि अगर किसी को धोखा भी नही दिया डॉली ने तो उसने अपनी जान बचाने की कोशिश क्यूँ नही की... इन सब सुरतों में शक का काँटा बस एक ही तरफ घूम रहा है" एरिसटॉटल ने ज़ोर देके कहा





"किस तरफ भाई..." मैने कॉफी का सीप लेके कहा





".. अब सिर्फ़ ऐसा लगता है कि किसी घर वाले ने ही तो, डॉली का...." इतना कहके एरिसटॉटल खामोश हो गया...





"भला कोई घरवाला कौन करेगा ऐसा इनस्पेक्टर..मेरी बहेन सब को प्यारी थी, सब उसे बहुत चाहते थे, " इतना कहके ललिता की लाल आँखें बहने लगी और बेकाबू होके रोने लगी.





"ललिता, प्लीज़ चुप कर डियर..प्लीज़" मैने पानी का ग्लास देके ललिता को कहा





"ललिता जी... अगर आप को ये केस सॉल्व करना है तो प्लीज़ अपने एमोशन्स पे कंट्रोल कीजिए...और अगर नही कर सकती तो प्लीज़ जाइए, मैं काफ़ी देर से अपने गुस्से को दबाए बैठा हूँ और आप हैं कि कुछ सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं.." एरिसटॉटल ने भी अपने ताव में आके कहा





एरिसटॉटल का गुस्सा मेरे लिए नया नहीं था, वो जब तक कंट्रोल करता तब तक ठीक है, बट जब उसका कंट्रोल टूटेगा तो किसी की खैर नहीं., मैं चुप करके ये सब सुन रहा था...ललिता और एरिसटॉटल दोनो खामोश हो चुके थे, खामोशी को तोड़ते हुए मैने पूछा





"अब क्या करना है आगे, अगर तुमको लगता है कि घरवाला कोई है, तो बेफ़िक्र रहो, हमारी तरफ से तुम्हे पूरा को-ओपरेशन मिलेगा.." मैने एरिसटॉटल को आश्वासन दिया





"वो मैं जानता हूँ , इसलिए ये केस मैने सामने से माँगा है" एरिसटॉटल अब रिलॅक्स हो गया था





"इनस्पेक्टर... आइ अम सॉरी...आप जो कहेंगे, मैं वो करूँगी, बस डॉली के कातिल तक पहुँचना है मुझे.." ललिता ने कड़क आवाज़ में कहा...





"ललिता, आप चिंता ना करें, डॉली के केस में हमे उपर से भी दबाव है, वीरानी खानदान की बेटी की मौत, छोटी बात नही है..ये तो गनीमत है कि राज के फादर यानी कि इंदर जी ने अब तक कुछ नही किया, नही तो मैं यहाँ बैठ भी नहीं पाता" एरिसटॉटल ने ललिता को कहा..





"इसमे अंकल क्या कर सकते हैं..मैं कुछ समझी नहीं..." ललिता ने आश्चर्य में आके पूछा..





इससे पहले के एरिसटॉटल कुछ बोलता, मैने ललिता को कहा "ललिता, आइ विल टेल यू दट..डॉन'ट वरी"





"एक और बात.. ये देखिए, ये जानते हैं किसकी है... " एरिसटॉटल ने एक वाच दिखाते हुए कहा..





उसके हाथ में एक वाच थी, जिसे पकड़ने के लिए जैसे ही मैने हाथ आगे बढ़ाया "ऊह..., रुमाल में लो प्लीज़, ये इनस्पेक्षन में है" एरिसटॉटल ने कहा





"ह्यूब्लोट क्लॅसिक फ्यूषन हॉट... सटडेड वित 1185 बॉगेट डाइमंड्स, वर्ल्ड्स मोस्ट एक्सपेन्सिव ., नोट अवेलबल इन इंडिया.. इसकी इंटरनॅशनल मार्केट में प्राइस है अराउंड 1 मिलियन डॉलर्स.. शायद 5 करोड़ रुपीज़.." ललिता ने हमे चौंकाते हुए कहा...





ललिता की ये बात सुनके मैं तो हैरान था ही, पर एरिसटॉटल ने सिर्फ़ एक स्माइल के साथ कहा..





"यू आर राइट ललिता.."





"पर ये आप हमे क्यूँ दिखा रहे हैं.." ललिता ने फिर एरिसटॉटल को पूछा..





"वो इसलिए ललिता... आइ मीन ललिता जी, ये . उस पोलिथीन से मिली है जिसमे डॉली की बॉडी रॅप्ड थी.." एरिसटॉटल ने ललिता को देखते हुए कहा.....




[size=large]"यू मीन, ये . मर्डरर की है.." मैने सीधा सवाल किया

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"हो सकता है, पर ये किसकी है, वो जानना बहुत मुश्किल है" एरिसटॉटल ने जवाब में कहा

[size=large]"जी, बिल्कुल मुश्किल नही है, ये वाच की येई तो ख़ासियत है..दिस ईज़ आ स्विस ... इससे आप कंपनी के हेडक्वॉर्टर्स ज़ुरी ले जाइए, ह्यूब्लोट की हर वाच की मशीन पे एक यूनीक नंबर होता है, जब कंपनी अपने डीलर्स या अपने स्टोर पे वाच भेजती है तो वो उसका रेकॉर्ड रखती है... इस तरह हम ये जान पाएँगे के ये वाच कहाँ से ली हुई है, और एक बार ये पता चल गया तो फिर आसानी से किसके नाम पे सेल हुई है वो भी मिल जाएगा, क्यूँ कि ये वॉचस बिल के बिना नहीं बिकती... इन वर्स्ट केस हमारी किस्मत खराब हुई तो बिल ग़लत नेम से बना होगा, बट बना ज़रूर होगा" ललिता ने बहुत कॉन्फिडेंट्ली अपनी बात कही..
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"आइ आम इंप्रेस्ड स्वीट हार्ट...तो एरिसटॉटल भाई, स्विट्ज़र्लॅंड जाओ, और इसके लिए जो भी पर्मिशन चाहिए, मैं डॅड से बात कर लूँगा.." मैने माहॉल को थोड़ा हल्का करने के लिए कहा


", आइ विल अड्वाइस यू अंकल को ना बोलें हम. क्यूँ कि जैसा इनस्पेक्टर ने कहा, घर वालो पे शक़ है इनको, मैं ये नही कह रही कि अंकल शक़ के दायरे में हैं, बट उनके थ्रू अगर सही मुजरिम को पता चला तो प्राब्लम हो सकती है हमारे लिए.." ललिता ने सावधान होके कहा..


"शी ईज़ राइट , और रही मेरे जाने की बात तो मैं कमिशनर सर से बात कर लूँगा, आइ एम शुवर इंदर वीरानी का नाम ही काफ़ी है, उनको फोन करने की नो नीड.. और इंटररपोल की हेल्प भी ले लूँगा, तट विल बी मच ईज़ी..." एरिसटॉटल ने ललिता की बात से सहमति जताई..


"ओके...जैसा आप समझो ठीक...अब चलें, तुम कब जाओगे वहाँ.." मैने एरिसटॉटल से पूछा..


"तीन दिन में, इंटररपोल के नेम से वीसा का नो प्राब्लम.. " एरिसटॉटल ने बड़ी आसानी से जवाब दिया...


हम जैसे ही बिल भरके बाहर आए,


"एक्सक्यूस मी इनस्पेक्टर...सॉरी, मैं कुछ ज़्यादा गुस्सा हो रही थी आप पे..." ललिता ने एरिसटॉटल को कहा


"इट्स ओके ललिता जी...इनफॅक्ट आप आई तो हमे बहुत हेल्प मिली...आप ने जो आइडिया दिया दट ईज़ प्राइसलेस...आप को तो पोलीस में होना चाहिए..."


"एरिसटॉटल भाई...शी ईज़ माइ सिस, चलो अब बॅक टू बिज़्नेस...तुम वहाँ से होके आओ, आइ विल गिव यू एनफ स्पेस टू मीट" ये कहके मैं दोनो को अपनी गाड़ी में लाया और घर पहुँचा...


घर आते ही एरिसटॉटल अपनी जीप में निकला, और मैं अपने रूम में.. करीब 15 मिनट बाद ललिता रूम मे, आई, और दरवाज़ा बंद करके बोली 


"टेल मी..व्हाट ईज़ पोलिटिकल कनेक्षन हियर..नाउ...."
 
"चियर्स !!!! उम्म्म.... लव्ली.... दारू पीने का असली मज़ा तो आज आ रहा है मोम.. दम घुट रहा था मेरा उस घर में... आज जाके चेन की साँस ली है वापस अपने घर आके.." पूजा ने अपनी माँ से विस्की का ग्लास छलकाते हुए कहा..

अंशु और पूजा एक सोफे पे बैठ के दारू पे दारू पिए जा रहे थे, जहाँ अंशु टांक टॉप और जीन्स में थी जिसमे से उसके चुचों का उभार सॉफ दिख रहा था, वहीं पूजा अध नंगी हालत में थी, कहने को तो उसने भी टॉप पहना था, पर वो टॉप सिर्फ़ उसके चुचों को ढक रहा था, जहाँ उसके चुचे ख़तम हुए, वहीं से उसका टॉप ख़तम, एक हाथ उपर उठाने पर पूजा के चुचे सॉफ नज़र आने लगते, और नीचे उसने सिर्फ़ एक शॉर्ट पहना था जो केवल उसने अपनी चूत और चुतडो को ढकने के लिए पहना था... दोनो मा बेटी को इस हालत में देख कोई भी कह सकता है कि दोनो एक नंबर की ऐय्याश औरतें हैं.. 

"ह्म्म्मं बेटी, तू सही कह रही है, उस घर में दम के साथ चूत भी घुट रही थी, कितने दिन हो गये एक मूसल लंड लिए, आज आएगा एक जिगलो, जो मेरी और मेरी चूत की प्यास को भुजाएगा..अब जाके राहत मिलेगी..." अंशु सिगर्रेट जलाती हुई बोली

"हां माँ, वो तो है, तुम्हारे साथ मेरी प्यास का भी ख़याल रखो, मेरी भी चूत तो सूख गयी है, देखो इसे" कहके पूजा ने अपना शॉर्ट नीचे किया और अंशु का एक हाथ अपनी चूत पे रखती हुई बोली

"उम्म्म...तू तो राज का लंड लेके आई है ना मेरी रंडी बिटिया, फिर काहे की प्यास " अंशु का एक हाथ अब भी पूजा की चूत पे था, जब कि दूसरे हाथ से सिगर्रेट और दारू अब भी जारी था

"हां माँ, पर ये चूत माँगे मोर..दिन में तीन बार तो लंड चाहिए ही ना, आपने चुड़क्कड़ जो बना रखा है अपने जैसा.." कहके पूजा अब धीरे धीरे अपनी माँ के हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी, 

"आहह....सीईईईईई..... ये दो ना माँ," कहके पूजा ने अंशु से सिगर्रेट ले ली और सुलगाने लगी...

अंशु के दोनो हाथ फ्री होते ही उसने दोनो हाथ से पूजा की चूत खोली और एक उंगली अंदर घुस्सा दी...

"आहह माआ....उम्म्म्म... शन्नो मासी भी होती तो कितना मज़ा आता आअहह..." पूजा सिसकारियाँ लेते हुए बोली...

"नाम मत ले उस रांड़ का, उसकी बेटी ने धोखा दिया तभी वो मरी, उसकी चूत की खुजली हमारे पूरे प्लान को बर्बाद कर देती..अच्छा हुआ मार दी गयी वो, एक हिस्सेदार तो कम हुआ अब...शन्नो को अकल नही है, अब ये सब ना करके डॉली वापस थोड़ी आ जाएगी..." कहके अंशु अब धीरे धीरे दो उंगलियाँ पूजा की चूत के अंदर घुसा रही थी

"उम्म्म...आहह....छोड़ दो उसको, पर राज का लंड है ही ऐसा माँ आहह..एक बार उसकी सवारी करो तो जन्नत मिल जाती है आहह...उम्म्म्ममममम" पूजा अब अपने टॉप को उतार के अपने चुचे दबाती हुई बोली, 

"हाए मेरा हीरो आहह मत याद दिला उसका लंड, जब चलता है तो ऐसा लगता है जैसे हंटर चल रहा हो..उसके लंड को याद करते ही चूत में चीटियाँ रेंगने लगती हैं आहह..देख ज़रा" ये कहके अंशु ने पूजा का हाथ अपनी चूत पे रखा... पूजा देरी ना करते हुए खड़ी हुई और अपनी माँ की जीन्स उतारने लगी... उधर अंशु ने भी अपनी बेटी का और अपना टॉप उतार फेंका...दोनो माँ बेटियाँ नग्न अवस्था में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी, पूजा की चिकनी चूत के सामने अंशु की हल्के बालों वाली चूत क़यामत ढा रही थी.दोनो के चुचे एक दूसरे से लड़ रहे थे, दोनो मा बेटियों के होंठ एक दूसरे से मिलने वाले थे तभी डोरबेल बजी..

"उफ़फ्फ़...माँ जाके देखो ना प्लीज़ कौन है" पूजा ने अंशु से अलग होते हुए कहा.. अंशु पूजा से अलग होके दरवाज़े की तरफ नंगी ही बढ़ी, पीप होल से जैसे ही उसने बाहर देखा, उसके चेहरे पे एक बड़ी मुस्कान सी फेल गयी... अंशु ने झट से दरवाज़ा खोला

"आइए, आइए..कितने दिन तड़पाते हो आप तो.." अंशु ने दरवाज़ा बंद किया और अंदर आते मर्द से लिपट गयी...

"उम्म्म आहह मेरी रानी, कैसी हो तुम" 

"लंड के लिए तड़प रही थी, अब प्यास बुझाओ जल्दी से..." इतना कहके अंशु उस आदमी के साथ अंदर वाले रूम में गई जहाँ पूजा नंगी पड़ी हुई दारू और सिगर्रेट का मज़ा ले रही थी

"अरे वाह, यहाँ तो सेलेब्रेशन चल रहा है, किस बात की खुशी है इतनी हाँ" आदमी ने अजीब सी हँसी में कहा

उसकी आवाज़ सुनके पूजा जो नंगी पड़ी सोफे पे आँखें बंद करके बैठी हुई थी, उसने आँखें खोल के एक नज़र देखा तो उठ के उस आदमी से गले लग गयी

“उम्म्म.. कितना तड़पाते हो आप, बिल्कुल भी ख़याल नहीं है आपको… वैसे खुशी की बात ही तो है, डॉली मर गयी है, हमारा हिस्सा बढ़ जाएगा अब, और वो तो एक दम पागल सी हो गयी थी, उसकी वजह से पूरा प्लान टूट जाता..” पूजा बेतहाशा उस आदमी को चूमे जा रही थी..
 
पूजा और अंशु को नंगा देख उस आदमी का लंड पॅंट के अंदर तंबू बनाने लगा था, जिसे अंशु ने नोटीस किया, वो आगे आके नीचे झुकी और झट से उसको नंगा करके उसका लंड मूह में लेके चूसने लगी..

“उम्म्म्म.. आहहह सीईईई गुणन्ं गन…. कितना तडपी हूँ मैं इसके लिए अहहहः… अब ज़रा मेरे साथ अपनी बेटी का भी ख़याल रखो, इसकी चूत भी लंड मांगती है अब तो…: ये कहके वापस अंशु अपने पति का लंड चूसने में लग गयी..

“हाँ हाँ.. क्यूँ नहीं, मेरी बेटी का भी ख़याल मुझे ही रखना है, ऐसी जवान चूत तो अब हमे कहाँ मिलेगी, ये तो अब बस उस राज के बिस्तर को गरम करेगी…” ये कहके पूजा का पिता भी उपर से नंगा हो गया और अपने बेटी के होंठों को चूसने लगा

“उम्म्म आअहह…. म्म मवाअहह यूम्म आआहहहह.. सक देम हार्ड डॅडी आहहह…” पूजा और उसके पिता चुंबन में बिज़ी हो गये जब कि अंशु नीचे झुक के अपने पति के लंड को चूस रही थी और अपनी एक उंगली से अपनी चूत को रगड़ रही थी…

“आहह… उम्म्म गुणन्ं गुणन्ञनाआहह स…. उम्म्म्म क्या लंड है आपका मेरे आ आहहः… उम्म्म गुणन्ञन्… गुणन्ं गन गन… “ अंशु लंड चूस्ते चूस्ते बीच में बोल रही थी..

“आहह म्व्वहहह.. डॅड आपके होंठ कितने रसीले हैं आहमम्म्मम ममवाहह इम्म्म ममम्म आहह…”

“मेरे होंठों से ज़्यादा रस मेरे लंड में है मेरी बिटिया रानी… ज़रा वो भी तो चख के देखो, मज़ा आ जाएगा”

अपने बाप की ये बात सुनके पूजा नीचे जाके बैठ गयी और दोनो मा बेटी लंड को शेअर करने लगी… एक पत्नी की जीभ और बेटी की जीभ, इन दोनो से पूजा के बाप का मज़ा बढ़ता जा रहा था.. दोनो मा बेटी बारी बारी लंड को चूस्ति रहती,



पूजा के बाप के मज़े का ठिकाना नहीं था, वो बस मज़े में सिसकारियाँ भर रहा था.. नीचे अंशु और पूजा लंड को चूस के फिर टट्टों पे हमला करती.. दर्द और मज़ा पूजा के बाप के चेहरे पे सॉफ झलक रहा था.. लंड को चूस चूस के उसका सूपड़ा लाल हो चुका था लेकिन माँ बेटी की प्यास भुज ही नहीं रही थी..

करीब 10 मिनट अपना लंड चुसवाने के बाद, पूजा के बाप ने पूजा को बालों से पकड़ के उठाया, और उठा के फिर उसके होंठों का रस चूसने लगा

"उम्म्म...डेडी, फक मी ना प्लीज़..अह्ह्ह्ह..." पूजा अपनी चूत में उंगली डाल के खुद को चोद रही थी, पूजा की गुज़ारिश सुनके उसकी मा ने लंड छोड़ा, और उठके पूजा को कुतिया की पोज़िशन में कर दिया... जैसे ही पूजा डॉगी पोज़िशन में आई, अंशु ने उसकी चूत पे काफ़ी सारा थूक लगाया, और अपने हाथ से उसके पति का लंड उसकी चूत पे सेट किया

"चोद दो आज इसको...मेरी खुजली तो मैं बुझा लूँगी किसी और के लंड से.." अंशु के ये शब्द सुनके पूजा के बाप का जैसे हैवान जाग गया हो और एक ही झटके में अपना लंड पूजा की चूत में घुसा डाला

"आहह ओह्ह्ह्ह...यॅ डॅड फक मी हार्ड ना आहह...यॅ...ओह यॅ आइ आम युवर स्लट डेडी, ओह्ह्ह आहह, स्पॅंक माइ आस पापा आहह...और चोदो ना अपनी बिटिया को ह्म्म्म....आहह..." ये कहके पूजा उछल उछल के अपने बाप का लंड अंदर लिए जा रही थी, एर उसका बाप किसी मशीन की तरह उसकी चूत मारे जा रहा था

"आहह...ह्म्म्मच और चोदो ना मेरी बेटी को, आहह...बेटी चोद भोसड़ी के आहह...और चोद माँ आहह...कहके अंशु आगे जाके पूजा की चुचियों को मूह में लेने लगी... पूजा ने तो गिनती ही नहीं रखी थी कि वो कितनी बार झड़ी है, उसके बाप के लंड का हमला और उसकी मा के होंठ , इस दोहरे हमले से पूजा फिर झाड़ गयी... अब पूजा में हिम्मत नहीं थी और, वो बेजान लाश की तरह चुद रही थी...







10 मिनट के बाद, उसके बाप ने अपना पूरा रस पूजा की चूत में ही छोड़ दिया... पूजा और उसका बाप थक हार के बेड पे लेट गये , जिसे देख अंशु बोली

"इतनी जल्दी कैसे, अभी तो मेरी चूत बाकी है" अंशु पूजा के पास आके फिर उसको गरम करने लगी..

"वो सब बाद में, पहले एक मेसेज है तुम्हारे लिए...तुम्हे अभी जाके राज और इस रंडी की शादी की तारीख तय करनी है..बॉस ने ऑर्डर दिया है" पूजा के बाप ने अंशु से कहा...

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"..प्लीज़ टेल मी , अंकल का पोलिटिकल इन्फ्लुयेन्स कब से बढ़ने लगा... आइ वान्ट टू नो इट नाउ.." ललिता मेरे कमरे में खड़ी मुझसे जवाब माँग रही थी


"ललिता, प्लीज़ सिट डाउन... बताता हूँ" मैने ललिता को ठंडा करने का सोचा...


ललिता मेरे सामने बैठ गयी, पर उसकी आँखें खामोश नहीं थी, वो तो अब भी जवाब माँग रही थी... मैने दरवाज़ा बंद किया और बोला


"ललिता, अभी पिछले दो साल से पापा को कुछ गवर्नमेंट ऑर्डर्स मिले हैं, जो भी गवर्नमेंट स्टाफ की यूनिफॉर्म्स हैं, उनके लिए फॅब्रिक हमने सप्लाइ करना स्टार्ट किया था... बिकॉज़ पापा ने बहुत ही चीप रेट पे देना स्टार्ट किया, उनको ऑर्डर्स बढ़ते गये और प्रॉफिट बढ़ने लगा. मैने अभी कुछ दिन पहले ही फाइनान्षियल स्टेट्मेंट्स चेक किए हमारे ऑडिटेड, प्रॉफिट के साथ पापा के पर्सनल वेल्त में भी 5 टाइम्स इनक्रिमेंट हुआ है. फॅक्टरी की कॉस्ट शीट देख के पता चला कि जो भी ऑर्डर्स मिले पापा ने पूरा कच्चा माल वो बाहर से खरीदा था, कह सकती हो कि इसमे पापा ने केवल ट्रेडिंग की… 


क्यूँ कि अपना बनाया हुआ माल जितने रेट पे कॉस्टिंग है, उससे कहीं ज़्यादा कम दाम में तो पापा ने फॅब्रिक सप्लाइ किया है… और अंदर गया तो पता चला कि पापा ने पूरा का पूरा कच्चा माल एक लॉट में वेस्ट से बनाए हुए कपड़े से लिया था जिसकी वजह से उनका प्रॉफिट मार्जिन मोर दॅन ट्रिपल हुआ… अब इसकी वजह से जो उनके कॉंपिटिटर्स हैं, उन्होने पापा को मेंटली टॉर्चर करना स्टार्ट किया, आए दिन फॅक्टरी पे वर्कर स्ट्राइक्स, आए दिन पापा को रोज़ धमकी भरे कॉल्स आते हैं.. उन्होने मुझसे इसका ज़िक्र नहीं किया, बट हमारे सीए, जो पापा के फ्रेंड हैं, उन्होने मुझे बताया था… इन सब के चलते यहाँ के एमएलए से पापा ने बात की और यहाँ के एमएलए ने उन्हे सजेस्ट किया, कि जिस जिस पे शक है उसके खिलाफ एफआइआर लॉड्ज करें, ही विल पर्सनली अब्ज़र्व दिस केस.. 


अब ये एक कोयिन्सिडेन्स ही है कि पापा के एफआइआर लॉड्ज करते ही डॉली का मर्डर हुआ है.. सो पोलीस फिलहाल इसे बिज़्नेस रिवेंज ही समझ रही है और एरस्टोटल के हिसाब से हर 12 घंटे में वो एमएलए उनसे स्टेटस माँगता है…” मैने इतना कहा कि मुझे बीच में ललिता ने टोका



“पोलीस को कैसे पता होगा भाई, कि फॅमिली में ही एक प्लॅनिंग चल रही है… अंकल आंटी को मारने की, पोलीस को कैसे पता चलेगा भाई कि मेरे मम्मी पापा और दूसरे मिलके आप सब के खिलाफ प्लॅनिंग कर रहे हैं… पर भाई, मुझे एक डाउट है..” ललिता ने फिर सवाल किया


“ अगर अंकल की पर्सनल वेल्त इनक्रीस है, तो फिर जब मोम और डॅड ने मुझे और डॉली को इस प्लान के बारे में बताया तो फिगर इतना कम क्यूँ था.. आइ मीन उन्होने हमे बताया था इस प्लान में टोटल बेनेफिट उनका 35 करोड़ है… तो अगर आपके हिसाब से वेल्त इनक्रीस हुई है तो फिर ये फिगर…” ललिता ने केवल इतना ही कहा मैने बीच में उसे टोकते हुए कहा


“स्वीट हार्ट… इट्स 265 करोड़… डॅड का नेट वर्त ईज़ 265 करोड़… जिनमे ये घर, लोनवाला आंबी वॅली में 2 बंगलोस.. दो फार्म हाउसस पनवेल में, कार्स, स्टॉक्स, इनवेस्टमेंट्स, क्लब मेंबरशिप, कॅश आंड बॅंक बॅलेन्स, इन्षुरेन्स पॉलिसीस.. ये सब कुछ चीज़ें है व्हिच आर ऑफ हाइ वॅल्यू… मम्मी की गोल्ड ज्यूयलरी भी है, मेरे नाम के बॅंक अकाउंट्स में भी उनका कॅश है… 


आंड फॅक्टरीस का नतिंग इंक्लूडेड… हां वो आंबी वॅली वाले बंगलोस डॅड ने तेरे और डॉली के नाम पे लिए हैं, बट ओनरशिप ट्रान्स्फर नहीं हुई अब तक, सो वो भी मैं इस में इंक्लूड कर रहा हूँ… तो जिसका मास्टर प्लान है ये, उसने बाकी लोगों को झूठ कहा है कि 35 करोड़ की वेल्त हैं.. अगर किसी को ये फिगर नहीं पता, इसका मतलब इस प्लान को बनाने वाला दूसरे लोगों को भी धोखा ही दे रहा है..” मैने एक साँस में ललिता को बोल दिया..


“हमारे नाम पे बंगलोस हैं…? अंकल ने कभी कहा नहीं, और एक डॅड हैं, जिन्हे लग रहा है कि अंकल उन्हे अच्छी तरह ट्रीट नहीं करते.. शायद इसलिए वो ये सब में इन्वॉल्व्ड हैं…. और एक आप हो भाई… जिसको इतना सब पता होने के बावजूद भी मुझसे आप अच्छी तरह बिहेव कर रहे हो… आम सो सॉरी भाई. मेरे मोम डॅड की वजह से ये सब कचरा पड़ा हुआ है… प्लीज़ फर्गिव मी ऑन देयर बिहाफ…” ललिता कहते कहते फिर रोने लगी…



“हे हे स्वीट हार्ट.. प्लीज़ रो मत… तेरा पछतावा उसी दिन हो गया था जिस दिन से तूने मुझे प्रॉमिस किया था कि तू अपने मोम डॅड का साथ नहीं देगी… आंड तू मेरी इतनी हेल्प कर रही है, उससे ज़्यादा कोई और भी नहीं करता डियर.. मैं जब भी पूजा के साथ था, तेरे ही एसएमएस तो थे, जो मुझे मदद करते थे… तेरे ही कारण मुझे पता चला कि पायल भी इन सब में शामिल है, तेरे ही कारण मुझे पता चला कि पायल की मोम भी शामिल है इन सब में, बट शी ईज़ नोट दा आक्चुयल पर्सन बिहाइंड दिस… “ ये कहके मैने पायल को अपने से जोड़ लिया और बहुत टाइट हग करने लगा…. ललिता से गले मिलके मुझे एहसास हुआ कि क्या बीट रही है इस्पे डॉली के जाने के बाद.. ललिता ने खुद को मुझ पर एक दम ढीला छोड़ दिया था, 


“ अब प्लीज़ रिलॅक्स स्वीट हार्ट… ह्म्म्मि, हम बस करीब ही हैं ये जानने में कि इन सब के पीछे आक्चुयल में कौन है..” मैने ललिता के फोर्हेड को चूमते हुए कहा..


“ह्म्म्मप.. ठीक है भाई… वैसे एरिसटॉटल के साथ मैं भी ज़ुरी जाउ आप पर्मिट करो तो..” ललिता ने मुझसे पूछा


“क्यूँ… थोड़ा टाइम वेट कर, एरिसटॉटल और तुझे हनिमून पे वहीं भेजूँगा..” मैने मज़ाक में कहा
 
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