hotaks444
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मैने एसएमएस पढ़ा...
"तुझे क्यूँ छोड़ूँगा उसके घर रात को...." मैने ललिता से पूछा
"बस ऐसे ही..." कहके ललिता आगे चली गयी.. कुछ देर वहीं खड़े रहके मैं सोचता रहा, फिर दिमाग़ में बत्ती हुई
"ओके ओके.. गॉट इट.. अब तक तो अंशु बता चुकी होगी उसके बॉस को कि क्या मामला है.. तो अब तू वहाँ रहेगी तो तुझे न्यूज़ मिलेगी ना उनके बारे में." मैने ललिता का क्लू पकड़ के कहा
"स्मार्ट बॉय... अब चलो नाश्ता करो, और शॉपिंग पे ले चलो" कहके ललिता डाइनिंग टेबल पे जाके नाश्ता करने बैठी
मम्मी के आते ही..
"ओये होये... क्या बात है, कुछ दिन में बहू रानी आ जाएगी आपकी तो आंटी हैं.... फिर तो आप उसपे हुकुम चलाओगे जी... क्या बात है, सोच के ही मज़ा आ रहा है..." ललिता मोम को चिढ़ाने लगी.. और उनकी बातें एक घंटे तक चलती रही
एक घंटे में हम शॉपिंग पे निकले.. पूरे दिन की शॉपिंग में ज्यूयलरी, मिठाई, कपड़े, कर्टन्स, कुशान्स, पेंटिंग्स, क्लॉक्स आंड व्हाट नोट.. टोटल बिल देख के दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही शब्द आया... "वेस्ट".... इसलिए नहीं क्यूँ कि ये सब गंदा था, पर इसीलिए क्यूँ कि जिस पर्पज से ये सब खरीदा जा रहा था, वो पर्पज शायद पूरा ही नहीं होगा.. करीब रात के 8 बजे हम फ्री हुए
"भाई.. अंशु मासी के घर ड्रॉप करो ना मुझे.. मैं वहीं रहूंगी कुछ दिन अब" ललिता ने मुझे वो कहा जो वो सुबह को बता चुकी थी
"बेटी, तुम भी यहाँ, तो मेरे साथ कोई नहीं होगा घर पे.. मैं अकेली हो जाउन्गि" मम्मी ने ललिता से ओप्पसे किया
"चिल्क्स माइ स्वीट हार्ट.. आप चलो, मैं मोम और डॅड को आपके साथ वापस भेज दूँगी.. वो दोनो आप की मदद करेंगे.. और मदद कैसी, सब तो अंकल ने आउटसोर्स किया है.. उनपे नज़र डॅड रख देंगे, आप फिकर मत कीजिए मेरी जानेमन" ललिता ने फिर मज़ाक में मोम को कहा
शन्नो वापस आएगी, ये सुनके मोम को जितनी खुशी हुई उससे कहीं ज़्यादा खुशी मुझे हुई क्यूँ कि ललिता वहाँ अकेली होगी तो अंशु और पूजा भी उसपे नज़र नहीं रख पाएँगे, क्यूँ कि वो तो प्रिपरेशन्स में बिज़ी होंगे.. ये प्लान ठीक जा रहा था हमारे लिए.. कुछ देर में हम अंशु के घर पहुँचे, हमे देख के अंशु ने तहे दिल से हमारा स्वागत किया, उसके साथ उसका पति भी था... दोनो ने बहुत खुशी दिखाई हमारे आने पे..
"आज तो आपको हमारे घर ही खाना है बहेन जी, कहे देता हूँ मैं" कहके अंशु मोम को अपने साथ घर दिखाने ले गयी.... मैने कुछ देर पूजा के बाप से बात की... उससे बात करके यकीन हो गया वो साला किसी काम का नहीं , बस पुराने पैसे पे ऐश कर रहा है... (कर ले बेटा कर ले ऐश... तुम्हारी तो ऐसी मारूँगा, सालों याद रखोगे राज वीरानी को..)
मुझे पूजा कहीं दिख नहीं रही थी.. मैं उसे इधर उधर ढूँढ रहा था, तभी मेरे मोबाइल पे एसएमएस आया..
'कम आउट आंड सी मी बिहाइंड दा गार्डेन" पूजा का मेसेज था..
पूजा का मेसेज मिलते ही , मैं कुछ सेकेंड्स में वहाँ से उठके गार्डेन की तरफ जाने लगा.. ललिता ने भी ये नोटीस किया, और मुझे एक एसएमएस किया
"प्लीज़ मेनटेन दा डिस्टेन्स ओके"
"वाइ शुड आइ...?" मैने रिप्लाइ किया
"बिकॉज़ इट्स मी हू ईज़ ऑर्डरिंग यू..." ललिता ने वापस जवाब दिया
मैं बाहर निकलके गार्डेन की तरफ जाने लगा, गार्डेन के पीछे ऑलरेडी पूजा मेरा वेट कर रही थी.. मुझे देखते ही पूजा दौड़ के मुझसे लिपट गयी
"ओह..... उम्म्म्मम.... कितने दिन दूर रहे हैं हम.... दिल मान ही नहीं रहा था आपके बगैर.... बिल्कुल भी मिस नहीं किया आपने मुझे ?" पूजा ने मेरे सीने में अपने चेहरे को छुपाते हुए पूछा
"तुम खुद ही मेरे दिल से पूछो... वो ही तुम्हे जवाब देगा," मैं पूजा को हग करते हुए बोला... कुछ ही दिन की बात है, फिर तो मुझे ये सीना, ये चुचे कहाँ मिलेंगे.. अभी मज़े लेते हैं थोड़े मैने सोचा...
"उम्म्म्म... दिल से ज़्यादा तो यहाँ से आवाज़ आ रही है..." कहके पूजा ने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया और उसे रगड़ती हुई बोली
"दिस ईज़ नोट दा राइट टाइम बेब... टेल मी, आज पापा तुमसे सिगनेचर्स लेने आए थे कोई पेपर्स पे सुबह को? " मैं क्यूरियस होके पूछने लगा
"हां आए थे... मैने उनसे पूछा नही कैसे पेपर्स हैं, मैने बस साइन कर दिए.." कहके पूजा मुझसे दूर होने का नाम ही नहीं ले रही थी..
"गिव मी युवर लिप्स बेबी.... उम्म्म्म...आहह.... उम्म्म्मँववाहाहहहहहहहा म्म मवाहाहहहाहौमम्म्म आआहहःसीईईईईईईई..." पूजा और मैं वाइल्ड किस्सिंग में इन्वॉल्व हो गये, मैं उसके चुचे दबाने लगा था.... जैसे ही पूजा फिर मेरे लंड के पास पहुँची,
"डोंट यू गेट इट.... दिस ईज़ नोट दा राइट टाइम ऑलराइट.... कंट्रोल इट डॅम इट..." मैं पूजा को दूर धक्का देके बोला और वहाँ से निकल आया
"तुझे क्यूँ छोड़ूँगा उसके घर रात को...." मैने ललिता से पूछा
"बस ऐसे ही..." कहके ललिता आगे चली गयी.. कुछ देर वहीं खड़े रहके मैं सोचता रहा, फिर दिमाग़ में बत्ती हुई
"ओके ओके.. गॉट इट.. अब तक तो अंशु बता चुकी होगी उसके बॉस को कि क्या मामला है.. तो अब तू वहाँ रहेगी तो तुझे न्यूज़ मिलेगी ना उनके बारे में." मैने ललिता का क्लू पकड़ के कहा
"स्मार्ट बॉय... अब चलो नाश्ता करो, और शॉपिंग पे ले चलो" कहके ललिता डाइनिंग टेबल पे जाके नाश्ता करने बैठी
मम्मी के आते ही..
"ओये होये... क्या बात है, कुछ दिन में बहू रानी आ जाएगी आपकी तो आंटी हैं.... फिर तो आप उसपे हुकुम चलाओगे जी... क्या बात है, सोच के ही मज़ा आ रहा है..." ललिता मोम को चिढ़ाने लगी.. और उनकी बातें एक घंटे तक चलती रही
एक घंटे में हम शॉपिंग पे निकले.. पूरे दिन की शॉपिंग में ज्यूयलरी, मिठाई, कपड़े, कर्टन्स, कुशान्स, पेंटिंग्स, क्लॉक्स आंड व्हाट नोट.. टोटल बिल देख के दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही शब्द आया... "वेस्ट".... इसलिए नहीं क्यूँ कि ये सब गंदा था, पर इसीलिए क्यूँ कि जिस पर्पज से ये सब खरीदा जा रहा था, वो पर्पज शायद पूरा ही नहीं होगा.. करीब रात के 8 बजे हम फ्री हुए
"भाई.. अंशु मासी के घर ड्रॉप करो ना मुझे.. मैं वहीं रहूंगी कुछ दिन अब" ललिता ने मुझे वो कहा जो वो सुबह को बता चुकी थी
"बेटी, तुम भी यहाँ, तो मेरे साथ कोई नहीं होगा घर पे.. मैं अकेली हो जाउन्गि" मम्मी ने ललिता से ओप्पसे किया
"चिल्क्स माइ स्वीट हार्ट.. आप चलो, मैं मोम और डॅड को आपके साथ वापस भेज दूँगी.. वो दोनो आप की मदद करेंगे.. और मदद कैसी, सब तो अंकल ने आउटसोर्स किया है.. उनपे नज़र डॅड रख देंगे, आप फिकर मत कीजिए मेरी जानेमन" ललिता ने फिर मज़ाक में मोम को कहा
शन्नो वापस आएगी, ये सुनके मोम को जितनी खुशी हुई उससे कहीं ज़्यादा खुशी मुझे हुई क्यूँ कि ललिता वहाँ अकेली होगी तो अंशु और पूजा भी उसपे नज़र नहीं रख पाएँगे, क्यूँ कि वो तो प्रिपरेशन्स में बिज़ी होंगे.. ये प्लान ठीक जा रहा था हमारे लिए.. कुछ देर में हम अंशु के घर पहुँचे, हमे देख के अंशु ने तहे दिल से हमारा स्वागत किया, उसके साथ उसका पति भी था... दोनो ने बहुत खुशी दिखाई हमारे आने पे..
"आज तो आपको हमारे घर ही खाना है बहेन जी, कहे देता हूँ मैं" कहके अंशु मोम को अपने साथ घर दिखाने ले गयी.... मैने कुछ देर पूजा के बाप से बात की... उससे बात करके यकीन हो गया वो साला किसी काम का नहीं , बस पुराने पैसे पे ऐश कर रहा है... (कर ले बेटा कर ले ऐश... तुम्हारी तो ऐसी मारूँगा, सालों याद रखोगे राज वीरानी को..)
मुझे पूजा कहीं दिख नहीं रही थी.. मैं उसे इधर उधर ढूँढ रहा था, तभी मेरे मोबाइल पे एसएमएस आया..
'कम आउट आंड सी मी बिहाइंड दा गार्डेन" पूजा का मेसेज था..
पूजा का मेसेज मिलते ही , मैं कुछ सेकेंड्स में वहाँ से उठके गार्डेन की तरफ जाने लगा.. ललिता ने भी ये नोटीस किया, और मुझे एक एसएमएस किया
"प्लीज़ मेनटेन दा डिस्टेन्स ओके"
"वाइ शुड आइ...?" मैने रिप्लाइ किया
"बिकॉज़ इट्स मी हू ईज़ ऑर्डरिंग यू..." ललिता ने वापस जवाब दिया
मैं बाहर निकलके गार्डेन की तरफ जाने लगा, गार्डेन के पीछे ऑलरेडी पूजा मेरा वेट कर रही थी.. मुझे देखते ही पूजा दौड़ के मुझसे लिपट गयी
"ओह..... उम्म्म्मम.... कितने दिन दूर रहे हैं हम.... दिल मान ही नहीं रहा था आपके बगैर.... बिल्कुल भी मिस नहीं किया आपने मुझे ?" पूजा ने मेरे सीने में अपने चेहरे को छुपाते हुए पूछा
"तुम खुद ही मेरे दिल से पूछो... वो ही तुम्हे जवाब देगा," मैं पूजा को हग करते हुए बोला... कुछ ही दिन की बात है, फिर तो मुझे ये सीना, ये चुचे कहाँ मिलेंगे.. अभी मज़े लेते हैं थोड़े मैने सोचा...
"उम्म्म्म... दिल से ज़्यादा तो यहाँ से आवाज़ आ रही है..." कहके पूजा ने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया और उसे रगड़ती हुई बोली
"दिस ईज़ नोट दा राइट टाइम बेब... टेल मी, आज पापा तुमसे सिगनेचर्स लेने आए थे कोई पेपर्स पे सुबह को? " मैं क्यूरियस होके पूछने लगा
"हां आए थे... मैने उनसे पूछा नही कैसे पेपर्स हैं, मैने बस साइन कर दिए.." कहके पूजा मुझसे दूर होने का नाम ही नहीं ले रही थी..
"गिव मी युवर लिप्स बेबी.... उम्म्म्म...आहह.... उम्म्म्मँववाहाहहहहहहहा म्म मवाहाहहहाहौमम्म्म आआहहःसीईईईईईईई..." पूजा और मैं वाइल्ड किस्सिंग में इन्वॉल्व हो गये, मैं उसके चुचे दबाने लगा था.... जैसे ही पूजा फिर मेरे लंड के पास पहुँची,
"डोंट यू गेट इट.... दिस ईज़ नोट दा राइट टाइम ऑलराइट.... कंट्रोल इट डॅम इट..." मैं पूजा को दूर धक्का देके बोला और वहाँ से निकल आया