Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली - Page 5 - SexBaba
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Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली

तभी उसकी नज़र अपनी पैंटी पर पड़ी….जो उसकी चूत और विनय की नज़रो के बीच मे आ रही थी…फिर तो जैसे किरण ने विनय पर कहर ही ढा दिया हो…उसने अपनी पैंटी को पकड़ ऊपर साड़ी और पेटिकोट के साथ सटा दिया….किरण खुल के अपनी चूत के दर्शन विनय को करवा रही थी…

और उसकी नज़रें अब विनय के फूले हुए अंडर वेअर पर अटकी हुई थी….दोनो की प्यासी निगाहे उसके गुप्त अंगो को निहार रही थी… विनय को ऐसा लग रहा था…जैसे किसी करिश्माई झरने से पानी बह कर नीचे गिर रहा हो…उसका दिल कर रहा था कि, वो अभी मामी के टाँगो नीचे जाकर बैठ जाए…और अपना लंड निकाल कर मामी की फुद्दि के छेद से भिड़ा दे…और उसकी चूत से निकलते हुए मूत से अपने लंड को नहला डाले….

फिर मूतने के बाद जैसे ही किरण उठी, तो विनय ने अपना फेस दूसरी तरफ कर लिया. किरण विनय का शर्मीले पन देख मन ही मन मुस्करा उठी…उसने अपनी पैंटी ऊपेर की और फिर साड़ी और पेटिकोट ठीक करके, डोर खोल कर बाहर चली गई…फिर डोर बंद होने की आवाज़ सुन कर विनय जैसे सपनो की दुनिया से बाहर आया…विनय के दिमाग़ पर एक बार फिर से काम वासना का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था…उसने डोर को अंदर से लॉक किया, और अपना लंड अंडरवेर से बाहर निकाल कर उसे मुट्ठी मे भर कर तेज़ी से हिलाने लगा….मूठ मारते हुए उसकी आँखो के सामने मामी की चूत से निकलते हुए मूत की तसेवीर थी….वो मामी की झान्टो से भरी चूत के बारे मे सोचते हुए तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा….”अह्ह्ह्ह सीईईईई मामी….” उसके लंड के नसें अब फूलने लगी थी…आँखे मस्ती मे बंद होती चली गई….और फिर विनय के लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर नीचे फर्श और कुछ बूंदे सामने दीवार पर जा गिरी….

विनय ठंडा पड़ चुका था…..उसके बाद विनय ने शवर लिया और अंडरवेर के बिना शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ गया….जब विनय बाहर आया तो, देखा मामी बाहर हॉल मे सोफे पर बैठी हुई थी….विनय किरण से नज़रें चुराता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो, मामी ने उसे आवाज़ देकर अपने पास बुला लिया…विनय मामी के पास गया….”जी मामी…” किरण ने एक बार उसे देखा और फिर बोली…” जा वो शॉपिंग बॅग्स उठा कर ला….” विनय डाइनिंग टेबल पर पड़े हुए शॉपिंग बॅग्स उठा कर मामी के पास ले आया….किरण ने उसमे से एक बॅग निकाल कर विनय को दिया…”ये तेरे लिए है…” विनय ने बॅग खोल कर देखा तो, उसमे अनडरवेर्ज़ थे…

विनय: पर मामी मेरे पास तो पहले से दो अंडरवेर है….

किरण: पता है…पुराने हो गए थे….इसीलिए नये ले आई….और वैसे भी तू आज कल अनडरवेर्ज़ को कुछ ज़यादा ही गंदा करने लगा है…(किरण ने अपने होंठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए कहा….)

मामी की बात सुन कर विनय एक दम से सकपका गया….उसके चेहरे का रंग ऐसे उड़ गया….जैसे गोली चलाने से पेड़ों पर बैठे हुए परिंदे उड़ जाते है…..”अच्छा जा पहन कर देख लेना…फिटिंग सही ना हो तो बता देना….कल बदल लेंगे….और सुन जाते-2 ये शॉपिंग बॅग्स मेरे कमरे मे रख आना….मे खाने की तैयारी करती हूँ…” विनय अपने रूम मे गया…वहाँ अपना अंडरवेर वाला बॅग रखा और फिर मामी के रूम्स मे जाकर बाकी के शॉपिंग बॅग्स रख दिए…विनय ने टाइम देखा तो अभी 11:30 ही हुए थे…..आज भला मामी को इतनी जल्दी क्या पड़ गई खाना बनाने की…विनय उसके बाद अपने रूम मे चला गया….किरण ने खाना तैयार कर लिया. किरण ने विनय को आवाज़ दी…और वशाली को रिंकी के घर से बुला कर लाने के लिए कहा.

विनय रिंकी के घर चला गया….थोड़ी देर बाद दोनो आ गई…आज तीनो से सुबह जल्दी ही ब्रेकफास्ट कर लिया था…इसीलिए उन्होने ने 12:30 ही खाना खा लिया….वशाली ने जैसे ही खाना ख़तम किया वो फिर से रिंकी के घर चली गई….किरण जानती थी कि, अब वशाली शाम से पहले नही आनी वाली….एक चोट तो वो विनय के लंड पर कर चुकी थी….अब अगला कदम उठाने की बारी थी….वो अब तक विनय के रवैये से जान चुकी थी कि, विनय उससे घबरा रहा है….कि कही उसके मन मे जो चोर है…वो पकड़ा ना जाए….और किरण उससे नाराज़ ना हो जाए….

इसलिए उसने अपने मन मे उधेड़ बुन करना शुरू कर दिया था…उसने सोच लिया था कि, सबसे पहले उसे विनय के मन मे बसे हुए डर को बाहर निकालना हो गया….और ऐसा ही वो तभी कर पाएगी….जब वो और ज़यादा विनय के पास जाकर उसको दुलारेगी. उसको फील करवाएगी कि, उसकी मामी उससे किसी तरह भी नाराज़ नही हो सकती…अब धीरे-2 सभी शरम की दीवारो को गिराने का काम शुरू करना था…वो विनय को स्पेशल ट्रीट करके ये अहसास दिलाना चाहती थी कि, विनय उसकी जिंदगी मे क्या मायने रखता है. वो किस हद तक विनय को प्यार करती है….

लेकिन किरण के मन इन सब बातों को लेकर ये डर भी था कि, कही वो विनय को अपने जाल मे फँसाने के चक्कर मे खुद ही ना फँस जाए…किरण जानती थी कि, विनय नादान है….और विनय की एक नादानी उसके लिए जिंदगी भर कर कलंक बन सकती थी.. वो ये सोच के भी घबरा रही थी कि, कही विनय कुछ ऐसा सोचता ही ना हो…और विनय उसके बारे मे कोई ग़लत राय कायम करे…अब किरण को विनय की सेक्स के आग को भड़काना था….और किरण ने सोच लिया था कि, वो विनय के अंदर की वासना को भड़काएगी ज़रूर पर कभी खुद पहल नही करेगी….वो चाहती थी कि, विनय खुद पहल करे…इससे किरण को विनय के सामने कभी शर्मिंदा ना होना पड़ता….

अभी किरण यही सोच रही थी कि लाइट कट गई….
 
हॉल मे चल रहा था बंद हो गया….पर छत पर लगा पंखा चल रहा था…घर मे इनवरटर था…पर उसका कनेक्षन सिर्फ़ पँखो और लाइट्स को ही दिया गया था…जब अकसर गर्मियों मे लाइट चली जाती थी….तो ममता वशाली किरण और विनय सब अपने-2 रूम्स के फॅन्स बंद करके बाहर हॉल मे फॅन के नीचे बैठ जाते थे…क्यों कि कभी-2 लाइट शाम 6-7 बजे तक भी नही आती थी….सिर्फ़ एक पंखे से इनवरटर के खपत कम होती थी….जैसे ही लाइट गई तो, विनय ने उठ कर अपना पंखा बंद किया…और बाहर हॉल मे आ गया. 

जब विनय ने किरण को भी वही बैठे देखा तो, वो सर झुकाए हुए चुपचाप आकर नीचे चटाई पर लेट गया….तभी बाहर डोर बेल बजी, तो किरण ने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा सामने शीतल खड़ी थी…”किरण लगता है…हमारा एक शॉपिंग बॅग तुम्हारे पास आ गया है….” शीतल ने अंदर आते हुए कहा…”अच्छा मेने तो देखा भी नही..आई अंदर चलिए…शीतल अंदर आकर विनय के पास नीचे चटाई पर बैठ गई…और विनय से बातें करने लगी…किरण अपने रूम मे गई और फिर शॉपिंग बॅग्स देखे तो, उनमे से शीतल का शॉपिंग बॅग मिल गया…वो शॉपिंग बॅग को लेकर बाहर आई और शीतल को दिया….

किरण: दीदी आप बैठो और अपने भानजे से बातें करो….मे नहा कर आती हूँ…

ये कह कर किरण बाथरूम मे चली गई…फिर करीब 10 मिनिट बाद किरण फरोज़ी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहन कर बाहर आई…और वही चटाई पर नीचे बैठ गई. शीतल और किरण ने कुछ देर बातें की और फिर शीतल चली गई….किरण गेट बंद करके आई, और विनय के पास आकर बैठ गई…विनय आँखे बंद किए हुए लेटा हुआ था. किरण ने चटाई पर बैठते ही, अपनी साड़ी का पल्लू एक साइड पर कर लिया….किरण ने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी…किरण की ये साड़ी उसकी शादी के समय की थी…जिसका ब्लाउज अब उसे तंग हो चुका था….इसलिए उसने इस साड़ी को पहनना ही छोड़ दिया था. उसके तंग और छोटे से ब्लाउज मे उसकी चुचियाँ एक दम कसी हुई थी…

किरण की आधे से ज़्यादा चुचियाँ उसके ब्लाउज के ऊपेर से बाहर को सॉफ दिखाई दे रही थी….अपने पास मामी के बैठने की आहट को सुन कर विनय ने जैसे ही आँखे खोल कर किरण की तरफ देखा, तो विनय की आँखे फटी की फटी रह गई…किरण की बड़ी-2 गोरी चुचियों को देखते ही उसकी ज़ुबान उसके हलक मे अटक गई…किरण की गुदाज चुचियाँ आधे ज़्यादा उसके ब्लाउज से बाहर थी….

और ऐसा लग रहा था कि, उसकी चुचियाँ अभी ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएँगी….विनय बिना पलकें झपकाए अपनी मामी के ब्लाउज से झाँक रही चुचियों को देख रहा था….किरण भी अपनी खूबसूरत चुचियों को तरसती नज़रों से देख रहे विनय को देख कर मंद-2 मुस्करा रही थी… जैसे मन ही मन सोच रही हो कि, विनय उसके जाल मे फँसता जा रहा है…

“क्या हुआ नींद आ रही है…” किरण ने एक दम से विनय के साथ पर हाथ रखते हुए कहा…और धीरे-2 उसके बालो को सहलाने लगी…विनय मामी की आवाज़ सुन कर एक दम से घबरा गया…मामी भी उसके बदन की कंपन को महसूस कर चुकी थी. उसे पता चल गया था कि, विनय घबरा गया है….यही तो वो नही चाहती थी कि, विनय उससे डरे…और उससे दूरी बनाए…उसने विनय के करीब खिसकते हुए विनय के सर को दोनो हाथो से उठा कर अपनी जाँघो पर रख लिया…और विनय को अपने बदन से चिपकाते हुए झुक कर उसके गाल को चूम लिया….ऐसा करने से किरण की बड़ी-2 ब्लाउज कसी हुई चुचियाँ विनय के फेस पर दब गई….

विनय के गाल को चूमने के बाद वो सीधी हुई, और एक हाथ से विनय के सर को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके कंधे पर थपकी देने लगी…विनय तो जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया था….फेस के ठीक ऊपेर उसकी मामी के ब्लाउज मे कसी हुई चुचियाँ थी….वो बिना हीले डुले वैसे ही लेटा रहा…धीरे-2 उसकी आँखे नींद से बंद होने लगी…और उसने अपनी आँखे बंद कर ली…किरण ने जब देखा कि विनय की आँखे बंद है तो, उसने विनय के सर को अपनी जाँघो से नीचे उतारा….और उसके सर के नीचे एक तकिया रख कर चटाई पर लेटा दिया…”विनय सो गए क्या….” किरण ने आवाज़ लगा कर विनय को जाँचना चाहा….विनय ने मामी की आवाज़ तो सुनी पर आँखे बंद किए लेटा रहा….

किरण: उफ्फ कितनी गरमी है आज…….और ये ब्लाउज भी बहुत टाइट है…..

किरण ने अपने ब्लाउज को अड्जस्ट करते हुए कहा…..किरण उस समय नही जानती थी कि, विनय अभी जगा हुआ है…पर किरण के दिमाग़ मे ये था कि अगर विनय जागा भी हुआ है तो, उसके पास एक अच्छा मोका है…उसने विनय की तरफ ना देखते हुए दूसरी तरफ फेस घुमा लिया और अपने ब्लाउज के हुक्स खोलने लगी…..विनय ने हल्की से आँख खोल कर जब मामी की तरफ देखा तो, विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा….किरण ने अपने ब्लाउज के सारे हुक्स खोल रखे थी…और उसकी बड़ी-2 चुचियाँ ब्लाउज से बाहर लटक रही थी….एक दम गोरे रंग की चुचियों पर काले रंग के गहरे निपल कियामत ढा रहे थे…विनय का दिल किया कि वो अभी मामी की चुचियों को अपनी मुत्ठियों मे भर कर दबा दे….निचोड़ ले और मामी की बड़ी-2 चुचियों को लेकर मुँह मे चूसे….

पर विनय मे इतनी हिम्मत कहाँ थी….जो थी वो भी मामी की बड़ी-2 चुचियों को देख कर हवा हो गई थी….
 
उसका लंड उसकी शॉर्ट मे लोहे की रोड की तरह तन चुका था…..किरण ने भी चोर नज़रों से विनय की तरफ देखा, तो उसके नज़रें भी विनय के फूले हुए शॉर्ट्स पर जाकर अटक गई…एक जवान लंड तैयार था…और एक मदमस्त गुदाज चूत भी….पर अभी दोनो के बीच कुछ दीवारे थी….जिनका गिर जाना अब तय लग रहा था…विनय के तने हुए लंड को देख कर किरण को अंदाज़ा हो गया था कि, विनय अभी भी जागा हुआ है…..और वो ये भी जानती थी कि, विनय अभी आगे बढ़ने के लिए तैयार नही है….और उसका और उकसाना ज़रूरी था…इतना कि वो खुद पहला कदम उठाता….मामी ने विनय के अंदर काम के आग भड़का दी थी…. एक कदम वो बढ़ा चुकी थी….और अब उसे इंतजार था कि, विनय कब पहला कदम बढ़ाने की कॉसिश करता है….

करीब 5 मिनट तक किरण वैसे ही बैठी रही….और अपनी चुचियों का जलवा विनय को दिखाती रही….फिर लाइट आ गई….उसने जानबूज कर विनय को नही उठाया और अपने रूम मे वैसे ही चली गई….मामी के जाने के बाद विनय उठ कर बैठ गया..बड़ा जुलम हो रहा था उस बेचारे के लंड पर….वो कुछ देर वही बैठा अपने लंड को मसलता रहा…और फिर उठ कर अपने मामी के रूम की तरफ चल पड़ा….जैसे ही वो मामी के रूम के डोर पर पहुँचा तो, अंदर का नज़ारा देख कर विनय की आँखे फटी की फटी रह गई…

अंदर का नज़ारा देख विनय अपनी पलकें झपकाना भी भूल गया….अंदर मामी बेड पर लेटी हुई थी…उसके बदन पर सिर्फ़ वाइट कलर का पेटिकोट और वाइट कलर के ब्रा ही थी…मामी ने अपना एक हाथ उठा कर अपने सर के ऊपेर तकिये पर रखा हुआ था…और किरण का पेटिकोट उसके जाँघो से काफ़ी ऊपेर तक चढ़ा हुआ था…किरण ने अपनी एक टाँग को घुटने से फोल्ड कर रखा था…और दूसरी टाँग को विपरीत दिशा मे मोड़ कर फेला रखा था….पेटिकोट का हल्का सा पल्ला ही किरण की चूत को ढके हुए था…

ये सब देख विनय की तो जैसे दिल की धड़कने ही थम गई हो….पैर मानो वही ज़मीन मे धँस गए हो….किरण अपनी आँखे बंद किए हुए लेटी हुई थी…कहीं मामी उसे यहा खड़ा ना देख ले…..ये सोच कर विनय जैसे ही रूम से बाहर जाने के लिए मुड़ा तो, पीछे से किरण ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया…..

किरण: क्या हुआ विनय कहाँ जा रहा है…..?

विनय: (किरण की तरफ देखे बिना….) वो मैं अपने रूम मे जा रहा हूँ…

किरण: नींद आ रही है….?

विनय: हूंम्म

किरण: तो यही सो जा मेरे पास आकर…..

विनय: (हकलाती हुई ज़ुबान मे….) न न नही मे अपने रूम मे सो जाउन्गा….

किरण: यहाँ भी कोई नही है…..वशाली तो रिंकी के घर गई है….चल आ मेरे पास सबाश आजा मामी के पास सो जा आकर…

विनय तो दिल ही दिल मे यही दुआ कर रहा था कि, उसे मामी के साथ बेड पर सोने को मिल जाए….और वो दिल भर कर अपने मामी के गदराए हुए बदन का दीदार कर सके. विनय सर झुकाए हुए पलटा और बेड की तरफ बढ़ने लगा….”विनय ये लाइट बंद तो कर्दे….” किरण ने वैसे ही लेटे-2 कहा तो विनय ने रूम की लाइट बंद कर दी. पर बाहर आँगन से अभी भी इतनी रोशनी नज़र आ रही थी कि, वो मामी के दूध जैसे सफेद गदराए हुए बदन को देख सकता था….
 
विनय लाइट बंद करके बेड पर चढ़ गया…..और मामी के बगल मे लेट गया…जैसे ही विनय किरण की बगल मे लेटा तो, किरण ने उसकी तरफ करवट बदली और उसके करीब खिसकते हुए उसके सर के बालो को सहलाने लगी…दोनो एक दूसरे की तरफ करवट के बल लेटे हुए थे….. किरण ने उसे बाहों मे भर कर अपने से चिपका लिया किरण की एक बाजू ने विनय के सर के नीचे से होते हुए उसकी पीठ को जाकड़ लिया था…. और दूसरे बाजू से उसकी बगल के ऊपेर से पीठ को जकड़े हुए थी किरण की चुचियाँ उसकी वाइट कलर की कसी हुई ब्रा के ऊपेर से बाहर आनने को फडक रही थी….ब्रा के ऊपेर से किरण की चुचियों के निपल्स के शेप भी सॉफ दिखाई दे रहे थे…

उसकी ब्रा मे शेप लिए हुए निपल्स को देख कर विनय गरम हो रहा था… किरण ने विनय के सर को अपनी चुचियों पर दबा लिया….और ऐसे बिहेव करने लगी…जैसे उसे गहरी नींद आ रही हो…. विनय के होंठ किरण की वाइट कलर की ब्रा के ऊपेर से किरण के लेफ्ट निपल पर जा लगा…. किरण की सिसकारी निकल गई जिसे विनय ने भी सुन लिया अब विनय भी अपने होश खो बैठा था.. उसका एक हाथ खुद ब खुद ही किरण के खुले पर चला गया…. किरण का पेटिकोट काफ़ी ऊपेर उठा हुआ था….. विनय की आधी हथेली के नीचे किरण के पेटिकोट का कपड़ा था और आधी किरण के नंगे खुले पर थी… किरण अपने खुले पर विनय का हाथ का स्पर्श महसूस करते ही उसके बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गई…. थोड़ी देर बाद किरण ने अपनी लेफ्ट जाँघ को उठा कर विनय की कमर पे रख दिया जिससे उसका पेटिकोट कमर तक ऊपेर हो गया…. विनय के हाथ के नीचे से पेटिकोट सरक कर ऊपेर हो चुका था और जाँघ कमर पर रखने के कारण किरण थोड़ा और आगे हो चुकी थी… जिससे विनय का हाथ सरक कर किरण की गान्ड पर पहुँच गया……

किरण को बहुत मज़ा आ रहा था…. आगे से चूत से पेटिकोट उठ चुकी थी विनय का लंड शॉर्ट के अंदर से किरण की चूत के पन्खुडियो से रगड़ खा रहा था…. किरण के मुँह से आहह निकल गई और अहह विनय कह के विनय से और ज़ोर से लिपट गई… किरण की आँखें बंद हो गई उसकी साँसें तेज़ी से चल रही थी… पता नही क्यों पर विनय ने अपने हाथ से किरण के चूतर को हल्के से मसल दिया…विनय अपनी इस हरक़त से घबरा गया….पर जब किरण की तरफ़ से किसी तरह का रियेक्शन नही हुआ तो, विनय की जान मे जान आई…. किरण की कमर ने झटका खाया और किरण की चूत विनय के लंड के शॉर्ट्स के ऊपेर से रगड़ खा गई विनय को बहुत अच्छा लग रहा था…. ये उसकी जिंदगी का नया अनुभव था… विनय ने धीरे से किरण की गान्ड को सहला दिया नीतज़ा फिर किरण की कमर ने झटका खाया इस बार झटका थोड़ा तेज था जिससे किरण की चूत विनय के लंड से रगड़ खाते हुए विनय के पेट पर चिपक गई….

विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा उसका पूरा बदन रोमच के मारे काँपने लगा अब विनय के लंड का सुपाडा शॉर्ट्स के ऊपेर सीधा किरण की चूत पर टिका हुआ था विनय से बर्दास्त नही हो रहा था जिससे उसका लंड झटके खाने लगा और किरण की चूत की फांकों के बीचे दस्तक देने लगा… किरण की चूत लंड लेने के लिए बेताब हो रही थी और पानी छोड़ने लगी थी…. विनय के लंड को अपनी चूत की फांकों पर महसूस करके किरण की चूत की फाँकें फड़फड़ाने लगी थी….किरण को अपनी चूत मे तेज खेंचाव महसूस होने लगा था…..किरण ऐसे रिएक्ट कर रही थी कि, जैसे वो बहुत गहरी नींद मे सो रही हो….उसकी आँखे अभी भी बंद थी…. किरण ने अपनी चूत को विनय के लंड के सुपाडे पे दबाना शुरू कर दिया और किरण की चूत के होंठ फेल गए और लंड का सुपाडा शॉर्ट्स समेत हल्के से किरण की चूत के छेद पर जा लगा…..

किरण का पूरा बदन मस्ती मे कांप उठा….किरण किसी तरह अपनी सिसकारियों को रोके हुए थी…और अपने रसीले होंठो को अपने दाँतों मे दबाते हुए चबा रही थी…विनय भी इस कदर मदहोश हो चुका था कि, उसके जेहन मे अब डर की जगह वासना ने कोहराम मचाया हुआ था….विनय ने अपने सर को हल्का सा उठा कर किरण के फेस की तरफ देखा….उसे पूरी तरह तो नही….पर थोड़ा बहुत यकीन हो गया था कि, मामी इस वक़्त सो रही है….विनय ने अपनी कमर को थोड़ा सा पीछे खिसकाया…..और अपना शॉर्ट्स जाँघो तक खिसका कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया….


और फिर से किरण के साथ पहले की तरह चिपक गया….किरण भले ही आँखे बंद किए हुए लेटी हुई थी…पर उसे हर पल का पता चल रहा था…इस बार जब किरण ने अपनी कमर को जैसे ही थोड़ा सा आगे खिसकाया तो, विनय के लंड का दहकता हुआ नंगा सुपाडा उसकी चूत की फांको के बीचो बीच जा लगा….किरण ने अपने होंठो को दाँतों मे भींच लिया….उसकी चूत धुनक धुनक-2 कर बजने लगी थी…मामी की चूत का छेद अपने विनय के लंड को अंदर समा लेने के लिए हल्का सा खुल गया था…और इस बार विनय ने अगला कदम उठाया….और अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को मामी की तरफ और खिसका दिया….
 
विनय का लोहे की रोड की तरह तना हुआ किरण की चूत के छेद पर जा लगा…विनय के लंड की नसें फूल गई बदन का सारा खून लंड की नसों मे इकट्ठा होने लगा…. विनय को अपने लंड का किरण की चूत से स्पर्श अंदर तक हिला गया…. वो तो जैसे आसमान मे उड़ रहा हो…. विनय के लंड के गरम सुपाडे को चूत के छेद पर महसूस करके किरण मस्ती के सागर मे गोते खा रही थी… विनय से अब रुका नही जा रहा था…. चाहे विनय सेक्स के बारे मे बहुत कम जानता था…. पर उसकी कमर अपने आप ही अपने लंड को किरण की चूत मे घुसाने के लिए आगे की तरफ कमर को धक्का लगाया…. लंड का सुपाडा किरण की चूत के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा…. “ सीईईईईईईईईईईईई” की आवाज़ के साथ किरण के चहरे पर ख़ुसी और कामुकता से भरी हुई मुस्कान फेल गई किरण के होंठ काँपने लगे……

और कमर हल्के झटके खाने लगी …अपनी चूत के मुहाने पर विनय के लंड के दहकते हुए सुपाडे को महसूस करके, किरण एक दम मदहोश हो गई…किरण का हाथ विनय की पीठ से सरकता हुआ विनय की गान्ड पर आ गया….. और उसकी गान्ड को आगे की तरफ दबाने लगा ….विनय भी अब होश मे कहाँ था…उसे ये भी पता नही चल रहा था कि, उसकी मामी उसकी गान्ड को दबा कर उसका लंड अपनी चूत मे लेने की कोशिस कर रही है…वो मदहोश होकर अपने लंड को किरण की चूत के अंदर घुसाने लगा…. लंड का सुपाडा किरण की चूत की दीवारों को फेलाता हुआ अंदर जाने लगा और कुछ ही पलो मे पूरा का पूरा लंड किरण की चूत मे समा चुका था… विनय को महसूस हो रहा था जैसे उसके लंड को अंदर से कोई मसल रहा है… किरण की चूत की दीवारें विनय के लंड पर कस गई… मस्ती मे आकर किरण की चूत विनय के लंड को कस्ति तो कभी ढीला छोड़ती…. किरण से अब रुका नही जा रहा था किरण ने अपने काँपते होंठो को अपनी दाँतों मे भींचा….और अपनी कमर को आगे की तरफ पुश करते हुए, विनय के लंड को जड तक अपनी चूत मे उतार लिया….किरण इस कदर मस्त हो चुकी थी….कि वो अपनी कमर को झटका खाने से रोक ना पाई….और जैसे ही उसकी कमर ने झटका खाया….तो विनय को महसूस हुआ कि, उसके लंड ने मैदान छोड़ दिया है…विनय का लंड किरण की चूत के अंदर झटके खाने लगा…और उसके लंड से वीर्य की बोछार निकल कर किरण की चूत की दीवारो पर गिरने लगी…..

किरण ने जब विनय को अपनी चूत मे झड़ता हुआ महसूस किया, तो उसके सर से वासना की खुमारी ऐसे उतरी….जैसे कोई काला साया उसके ऊपेर से हट गया हो….वो मछली की तरह तड़प कर रह गई…गुस्से से उसके नथुने फूल गए….विनय ने उसे बहुत ज़्यादा गरम कर बीच मज़धार मे ही छोड़ दिया था…और जैसे ही विनय के सर से वासना का भूत उतरा….तो उसकी गान्ड अब फटने को आ गई….वो एक दम सहम गया…उसने किरण के चेहरे की तरफ देखा….किरण अभी भी आँखे बंद किए हुए लेटी हुई थी…विनय धीरे-2 पीछे हुआ, तो उसका लंड जो अब सिकुड रहा था..किरण की चूत से बाहर आ गया….

विनय ने जल्दी से अपने लंड को शॉर्ट्स के अंदर डाला…और बेड से नीचे उतर कर बाहर चला गया….विनय के जाने के बाद किरण बेड पर उठ कर बैठ गई….”सत्यानाश हो इस कमीने विनय का….अगर लंड मे जान नही थी तो क्यों अपनी माँ चुदवाने चला आया….” किरण उस समय बहुत ज़्यादा फ्रस्टरेटेड हो चुकी थी….उसका बस नही चल रहा था…नही तो वो विनय को नज़ाने क्या-2 कह देती….वो एक दम से बोखलाई हुई सी उठी….और बाथरूम मे चली गई…और वैसे ही शवर ऑन करके नीचे खड़ी हो गई……विनय अपने रूम मे सहमा सा बैठा हुआ था….वो मामी के बाथरूम मे जाने की आवाज़ सुन चुका था….उसे डर था कि, जो सब उसने मामी के साथ किया है. उसका पता मामी को ना चल गया हो….फिर बाथरूम का डोर खुलने और किरण के रूम का डोर बंद होने की आवाज़ आई तो, विनय ने थोड़ी से राहत की साँस ली….

विनय हालात का जायज़ा लेने के लिए बाहर आया….और मामी के रूम के डोर के पास जाकर खड़ा हो गया….”आप तो खुद पानी निकाल कर चला गया….और यहाँ मेरी चूत मे आग लगा दी….साला हरामी….चोदने का दम नही था..तो क्यों लंड घुसाया…” अंदर से मामी के ये शब्द सुन कर विनय की हालत पतली हो गई….तो क्या मामी को सब कुछ पता है….और क्या मामी सब कुछ जानती है…और वो जान बुझ कर ये सब कर रही थी….ऐसे ही कई सावलो ने विनय के दिमाग़ मे कोहराम मचा दिया…वो दबे पाँव वापिस अपने रूम मे आ गया….विनय के तो ख़ुसी के मारे पैर ज़मीन पर नही लग रहे थी….चाहे मामी गुस्से मे थी…..पर विनय ये जान कर खुश था कि, मामी भी उससे चुदवाने के लिए बेकरार है….

पर वो नादान नही जानता था कि, चोट खाई हुई नागिन और काम से बहाल औरत कितनी ख़तरनाक हो जाया करती है….वो दिन किसी तरह गुज़रा…..अगले दिन वशाली रोज की तरह रिंकी के घर चली गई…..रिंकी ने उसकी सेट्टिंग अपनी भाई से करवा दी थी…भले ही वशाली अभी सेक्स नही करना चाहती थी….पर उसे भी अच्छा लगता था, जब रिंकी का भाई उसके योवन से भरपूर अंगो को सहलाता और चूमता था….इधर आज अंजू को भी किरण के घर मे होने के कारण कोई मोका नही मिल रहा था….वो भी अपना काम निपटा कर वापिस जा चुकी थी….अंजू के जाने के बाद किरण ने गेट बंद किया और शवर लेने के लिए बाथरूम मे चली गई….जब वो शवर लेकर अपने रूम मे पहुँची तो, उसने देखा कि विनय पहले से ही बेड पर लेटा हुआ था….
 
विनय को देखते ही, कल के सारी घटना उसके आँखो के सामने से गुजर गई…. “विनय तुम यहाँ क्या कर रहे हो….जाओ अपने रूम मे जाकर सो जाओ….” विनय किरण के मुँह से ऐसे रूखे शब्द सुन कर एक दम हैरान हो गया….”मामी वो मे…” किरण विनय की बात सुन कर एक दम खीजते हुए बोली…..”क्या मैं वो मे लगा रखा है… चल जा अपने रूम मे…..”

विनय: मामी मैं यही सो जाउ…आपके पास….

किरण: (गुस्से से विनय की तरफ देखते हुए….) तुझे एक बार मे समझ नही आता…चल जा अपने कमरे मे……

विनय उठ कर खड़ा हुआ और किरण के पास जाकर उससे लिपटते हुए बोला….”प्लीज़ मामी यही सोने दो ना…” किरण पहले से बहुत ज़्यादा गुस्से मे थी….उसने विनय को अपने से अलग किया और एक थप्पड़ उसके गाल पर झाड़ दिया…विनय एक दम भौचक्का सा किरण की तरफ देखता रह गया….”सुना नही तुमने जाओ यहाँ से……”

विनय भौचक्का सा वहाँ खड़ा रहा….और फिर सूबकते हुए किरण के रूम से बाहर आ गया…वो सीधा अपने रूम मे चला गया…और बेड पर लेट कर रोने लगा…उसे समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर मामी को अचानक से हो क्या गया है….वो अपने रूम को अंदर से लॉक करके बेड पर वैसे ही लेटा रोता रहा….और मन ही मन मामी को कोस्ता भी रहा…अब विनय ने सोच लिया था कि, वो आगे से हमेशा मामी से दूसरी बना कर रखे गा….तभी उसके दिमाग़ रिंकी के साथ हुई वो घटना याद आ गई. जब रिंकी भी विनय के इस तरह जल्दी झड जाने से परेशान हो गई थी…शायद यही कारण था कि, मामी उससे खुश नही थी….यही-2 सब सोचते-2 विनय की आँख लग गई. 

शाम के करीब 5 बजे विनय के रूम के डोर पर नॉक हुई, तो विनय ने उठ कर डोर खोला, तो देखा सामने वशाली खड़ी थी……”चाइ पी लो बाहर आकर….मम्मी बुला रही है…” ये कह कर वशाली वापिस चली गई….विनय अपने रूम से निकल कर बाथरूम की तरफ जाने लगा…दूसरी तरफ किरण भी तब से बहुत पेरशन थी… उसे डर था कि, कही विनय वो सब कुछ किसी को बता ना दे…जो उन सब के बीच हुआ है….विनय फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आया….और हॉल मे आकर चाइ पीने लगा. दिन इसी तरह गुजरने लगे…..उस घटना को हुए 8 दिन बीत चुके थे…इस बीच विनय स्कूल मे अंजू के घर तीन बार जा चुका था…उसके लंड के लिए तो एक चूत हमेशा तैयार थी….

विनय उस दिन के बाद से अक्सर दोपहर को अपनी मासी शीतल के घर चला जाया करता था…और शाम को ही घर वापिस आता था…..इधर किरण पर एक बार फिर से वासना के खुमारी चढ़नी शुरू हो गई थी….उस दिन की घटना के बाद 9वे दिन के बात है. उस दिन भी वशाली रिंकी के घर गई हुई थी….और विनय अपनी मस्सी के शीतल के घर पर गया हुआ था…अंजू ने घर का सारा काम किरण के साथ मिल कर जल्दी निपटा लिया था…अंजू नीचे चटाई पर बैठी हुई थी….और किरण सोफे पर पीठ टिकाए हुए बैठी हुई थी….”अंजू एक बात पुच्छू….” किरण ने अंजू की तरफ देखते हुए कहा….

अंजू: जी दीदी पूछिए ना…..

किरण: अंजू जब तुम अपने भान्जे के साथ वो सब करती थी…तो कभी ऐसा हुआ था कि, उसने तुम्हारे अंदर डाला हो और वो जल्दी झड गया हो….

अंजू: हां दीदी पहले -2 एक दो बार हुआ था….

किरण: फिर तुमने क्या किया….तुम्हे तो बहुत गुस्सा आया होगा….

अंजू: हां दीदी आया तो था….पर इसमे उस बेचारे का भला किया कसूर…. वो समय नादान था…जो लड़के जवानी की तरफ बढ़ा रहे हो…उनमे जोश हद से ज़्यादा होता है. इसलिए कई बार जल्दी मैदान भी छोड़ देते है….

किरण: फिर तुम किया करती थी….?

अंजू: दीदी फिर मेने उसका साथ देना शुरू किया…उसकी मदद करने लगी…उसको समझाया कि ये सब कैसे होता है….और किया….

किरण: फिर तुम्हारा काम बना क्या उससे…?

अंजू: और नही तो क्या…टाइम देना पड़ता है….आज कल के लौन्डो को….

किरण: ह्म्म्म्म शायद तुम सही कह रही हो…

अंजू: वैसे दीदी आप ये सब क्यों पूछ रही है….?

किरना: ऐसे ही पूछा लिया…..

अंजू: अच्छा दीदी अब मे चलती हूँ…..हां दीदी मे कल और परसो नही आ पाउन्गी.

किरण: ठीक है….

अंजू के जाने के बाद किरण ने गेट बंद किया….और अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गई….अब उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा था…वो लेटे -2 हिसाब लगाने लगी कि, विनय के स्कूल शुरू होने मे सिर्फ़ 12 दिन बचे है….स्कूल शुरू होने के बाद उसे बाद मे ऐसा मोका नही मिलेगा….ममता भी तो वापिस आजाएगी तब… पर उसके दिमाग़ मे ये बात भी घूम रही थी कि, उस दिन के बाद से विनय उसके करीब आना तो दूर उसकी तरफ देखता भी नही है….अब उसे दोबारा शुरू से शुरू कर पड़ेगा….उस दिन भी विनय शाम तक मासी शीतल के घर रहा….शाम को 5 बजे वो शीतल के घर से निकला और स्कूल की तरफ चल पड़ा….अंजू को पहले से ही खबर थी कि, विनय 5 बजे उसके पास आएगा….इसलिए वो गेट के पास ही खड़ी थी….

वहाँ जाकर विनय ने अपने लंड की गरमी को अंजू की चूत मे उडेला और फिर घर वापिस आ गया…किरण ने डोर बेल सुन कर गेट खोला तो सामने विनय को देख कर किरण ने मुस्कराते हुए उसके गाल को प्यार से सहलाते हुए कहा….”आ गया मेरा राजा.. “ विनय तो अब मामी को देख कर गुस्से से पागल हो जाता था….उसने मामी का हाथ झटक दिया…और बिना कुछ बोले अपने रूम की तरफ चला गया…किरण ने गेट बंद किया… और किचन की तरफ जाते हुए सोचने लगी कि, विनय अभी भी उससे बहुत नाराज़ है… और उसको मनाना इतना भी आसान नही होगा….
 
किरण किचन मे जाकर रात के खाने की तैयारी करने लगी….तभी उसके मोबाइल के रिंग बजी…जो उसके बेडरूम मे पड़ा था….किरण काम छोड़ करके अपने रूम मे गई…और मोबाइल उठा कर देखा तो उसके मायके से फोन था….किरण ने कॉल पिक की तो दूसरी तरफ से ममता की आवाज़ आई….”हेलो दीदी कैसे हो आप….?” 

किरण: मे ठीक हूँ….तुम कैसी हो….?

ममता: मे भी ठीक हूँ….वशाली और विनय दोनो कैसे है…..?

किरण: वो दोनो भी ठीक है….तुम सुनो वहाँ घर पर सब ठीक है ना….?

ममता: हां दीदी सब ठीक है….दीदी भैया की मॅरेज की डेट चेंज हो गई है….

किरण: क्या…? कब पर डेट क्यों चेंज की अब….?

ममता: दीदी वो लड़की वाले जल्दी शादी करने के लिए कह रहे थी…इसीलिए डटे चेंज कर दी है….जुलाइ की 12 को शादी है….

किरण: 12 को इतनी जल्दी…सिर्फ़ 14 दिन बचे है ममता….इतनी जल्दी सब कैसे अरेंज करेंगे….

ममता: वो सब भी हो जाएगा दीदी…कल मैं मम्मी पापा और भीया सब आ रहे है वहाँ पर…अब शादी भी तो वही से करनी है….तो तैयारी अभी से शुरू करनी पड़ेगी….

किरण: ठीक है…. मे तुम्हारे जीजा जी को बताती हूँ…..

ममता: नही दीदी उसके कोई ज़रूरत नही…पापा ने फोन कर दिया था जीजा जी को…और ये भी आ रहे है कल आब्रॅड से वापिस…..

किरण: कॉन तुम्हारे हज़्बेंड….

ममता: हां दीदी…

किरण: तभी तू इतना चहक रही है….अच्छा ठीक है फिर…..

ममता ने फिर थोड़ी देर और बात की, और फोन कट कर दिया…किरण एक दम से परेशान हो गई….अब कल उसके मायके से सब आनने वाले थी….इसका मतलब अब किरण चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी….खैर उस दिन और कोई ख़ास्स बात ना हुई….अगली सुबह विनय वशाली किरण और शीतल सब मिल कर आने वाले मेहमानो के लिए रहने का इंतज़ाम करने लगी….ऊपेर तीन रूम थे….जिसमे सिर्फ़ एक मे ही बेड और फर्निचर था…बाकी दो रूम्स खाली थे….उस रूम मे सॉफ बिस्तर बिछा कर रोज मारहा की ज़रूरतों का समान रख दिया गया था….बाकी रूम्स के सफाई भी कर दी गई थी. 

तय हुआ था कि, ऊपेर वाले रूम मे जिसमे बेड लगा था…उसमे किरण के मम्मी पापा रहेंगे…..नीचे ममता का खुद का रूम था ही…वो अपने पति के साथ वही रहेगी…और विनय के रूम मे उसका भाई और उसका पति अजय दोनो सोया करेंगे… और किरण के रूम मे वो वशाली और विनय सोया करेंगे….क्योंकि कि किरण चाहती थी कि, कम से कम रात को उसे विनय के पास रहने का मोका मिले…जिससे वो कुछ कर सके… दोपहर 1 बजे तक किरण ने अंजू और शीतल की मदद से सारा काम निपटा लिया था… किरण ने आज अंजू को फोन करके बुला लिया था….क्योंकि आज अंजू ने नही आना था. अंजू भी सारा काम निपटा कर वापिस चली गई….

दोपहर के 2 बजे किरण के मायके से सभी लोग वहाँ आ पहुँचे…ममता के साथ उसका हज़्बेंड भी आया हुआ था…किरण ने मेहमानो की खातिरदारी की, और फिर खाने पीने के बाद सभी लोग हाल मे बैठ कर बातें करने लगे…. “पापा ऊपेर आपके लिए रूम तैयार कर दिया है…आप और मम्मी ऊपेर जाकर अब आराम कर लीजिए…” किरण ने अपने पापा से कहा …..”आराम भी कर लेते है बेटा….पहले तुम्हारे साथ थोड़ी बात चीत हो जाए…..” 

ममता: आप बैठ कर बातें करिए पापा…..मैं और विनय ऊपेर आपके बॅग्स रख कर आते है…..

ममता ने विनय की ओर देख कर कहा….और फिर खड़ी होकर विनय को आकर एक बॅग उठाने को कहा….और खुद दो बॅग उठा कर ऊपेर जाने लगी….विनय भी उसके पीछे बॅग उठा कर ऊपेर आ गया….ममता ने रूम का डोर खोला और दोनो बॅग्स अंदर रख दिए….विनय ने भी बॅग रूम मे रखा…तो ममता ने उसकी तरफ बढ़ते हुए उसे अपनी बाहों मे भर लिया…..”कैसे है तू….” ममता ने विनय के गालो पर हाथ रखते हुए कहा….”मे ठीक हूँ आप कैसी हो…?” विनय ने ममता की आँखो मे झाँकते हुए कहा….”मे भी ठीक हूँ….तो तुम्हे मेरी याद नही आती थी…” ममता ने विनय के होंठो को हल्का सा चूमते हुए कहा…..

विनय: आती थी….

ममता: तो फिर मुझे फोन क्यों नही करता था….

विनय: ऐसे ही…..

ममता: अच्छा वो सब छोड़ और मेरी बात ध्यान से सुन….तेरे मौसा जी मेरे साथ आए हुए है…एक महीने के लिए यहा रुकने वाले है….विनय इस दौरान तुम मुझसे थोड़ा दूर ही रहना…..समझ गए ना मे क्या कह रही हूँ…

विनय: जी समझ गया….

ममता: मुहहा मेरा शोना….तुम सच मे अब समझदार हो गया है….

ममता ने फिर से विनय के होंठो पर हल्का सा किस करते हुए कहा…और फिर विनय का हाथ पकड़ कर उसे सीढ़ियों के पास ले आई….वहाँ से अगर कोई ऊपेर आता तो सीढ़ियाँ चढ़ने की आवाज़ आ जाती…सीढ़ियों के पास आने के बाद ममता विनय की तरफ पलटी….और उसकी तरफ घूमते हुए उसे बाहों मे भर लिया…और अपने रसीले होंठो को विनय के होंठो से लगा दिया…दोनो के होंठ आपस मे घूतम घूता हो गए….दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंठो को सक करने लगे….विनय ने अपनी बाहों को ममता की पीठ पर कस रखा था….

ममता ने अपने दोनो हाथ पीछे लेजाते हुए विनय के हाथो को पकड़ा और फिर उसके हाथो को नीचे लेजाते हुए, अपनी सलवार के ऊपेर से अपने चुतड़ों पर रख कर अपने हाथो से दबाने लगी…ममता का इशारा समझते ही, विनय ने खुद ही ममता के चुतड़ों को सलवार के ऊपेर से दबाना शुरू कर दिया….ममता के पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गई….तभी नीचे से किरण ने ममता को आवाज़ लगाई, तो दोनो एक दूसरे से अलग हुए, ममता ने मुस्कराते हुए विनय की आँखो मे देखा….” याद है ना मेने क्या कहा है….?” तो विनय ने हां मे सर हिला दिया….

और फिर दोनो नीचे आ गए….फिर सब लोग जैसे-2 अरेंज किया गया था….रूम्स मे चले गए….वो सब लोग थके हुए थी…इसलिए रूम मे बेड पर लेटते ही सो गए…विनय भी शीतल के घर जाने के लिए जैसे ही बाहर जाने लगा, तो किरण ने उसे आवाज़ देकर रोका….”विनय कहाँ जा रहे हो…? “ विनय ने पलट कर किरण की तरफ देखा और सर झुकाते हुए बोला…”मासी के घर जा रहा हूँ….” किरण उसकी बात सुन कर खीज गई….”क्या रखा है वहाँ पर….यही नही सो सकते क्या….?’ विनय भी थोड़ा सा उखड़ गया…और थोड़ा सा उखड़े हुए अंदाज़ मे बोला….”मैं जा रहा हूँ…” और ये कहते हुए विनय बिना कुछ बोले घर से बाहर निकल गया….

किरण वही अपनी किस्मत को कोस्ती हुई रह गई….वो अपने किए पर अब बहुत ज़्यादा पछता रही थी….वो उदास सी होकर अपने रूम मे आकर लेट गई….

किरण को कब नींद आई….उसे पता नही चला….शाम के 5 बजे किरण को ममता ने जगाया…और सब के लिए चाइ बनाने के लिए कहा….किरण उठ कर मुँह हाथ धोने चली गई….विनय भी घर वापिस आ चुका था…सब एक साथ बैठ कर चाइ पी रहे थे..तभी किरण की मम्मी ने चाइ पीते हुए किरण से कहा…”बेटी यहाँ कही पर नीम का पेड़ लगा है…..” किरण ने अपनी माँ की तरफ देखा और बोली….”क्यों क्या हुआ….?” 
“वो बेटा तुम्हारे पापा को सुबह नीम की पत्तियों का रस निकाल कर पीने के लिए देते है. इनके ब्लड मे थोड़ी इन्फेक्षन है, तो डॉक्टर ने सहला दी थी….

किरण: मेरी नज़र मे तो कही नही है….एक मिनट रूको विनय तुमने कही देखा है आसपास नीम का पेड़….?

विनय: हमारे स्कूल मे है…..

किरण: ठीक है….वहाँ से थोड़ी सी पत्तियाँ तोड़ कर ले आ…..

विनय: जी…..

विनय ने चाइ ख़तम की….और जैसे ही वो बाहर की तरफ जाने लगा तो, किरण ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया….”अर्रे रुक विनय मे भी साथ मे चलती हूँ…वो अंजू बोल कर गई थी कि, कल वो नही आएगी….उससे भी कह दूँगी कि, घर पर मेहमान आए हुए है तो, कल भी आ जाए….” ये कहते हुए किरण सोफे से उठी और विनय के साथ घर से बाहर आ गई….दरअसल वो विनय से अकेले मे बात करके अपने दोनो के बीच के तनाव को कम करना चाहती थी….घर पर विनय तो उसके मुँह ही नही लगता… इसलिए उसके पास ये अच्छा मोका था….दोनो घर से बाहर निकल कर स्कूल की तरफ जाने लगी…..

किरण: विनय तुम उस दिन की बात से मुझसे नाराज़ हो…? (किरण ने सामने की और देख कर चलते हुए कहा….)

विनय: (एक दम चोन्कते हुए….) न नही तो….

किरण: फिर तुम मुझसे बात क्यों नही करते…मुझसे दूर क्यों भागते हो…. क्या मैं इतनी बुरी हूँ….क्या मैं हमेशा तुम्हे डाँटती रहती हूँ…..

विनय: नही….

किरण: मुझे पता है तुम उस दिन की बात से मुझसे नाराज़ हो….बेटा उस दिन मे बहुत ज़्यादा अपसेट थी….प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो….उस दिन तो मुझे पता चला था कि, तेरे मामा जी की शादी इतनी जल्दी कर रहे है….
 
किरण ने अपने भाई का शादी का बहाना बना दिया….किरण इस बात से अंज़ान थी कि, उस दिन वो अपने कमरे मे बैठी हुई विनय को कोस रही थी…..वो सारी बात विनय ने सुन ली थी….किरण अभी तक मन मे यही सोचे बैठे थी…कि उस दिन जो भी कुछ हुआ, उसके बारे मे विनय सोचता होगा कि, मे उस समय गहरी नींद मे सो रही थी….पर वो ये नही जानती थी कि, विनय उसके दिल के अंदर छुपे हुए राज़ को जान चुका है….

किरण: अपनी मामी को माफ़ नही करोगे….देखो मे कान पकड़ कर माफी मांगती हूँ. आगे से मैं तुम पर कभी हाथ नही उठाउंगी….और ना ही कभी किसी भी बात के लिए गुस्सा करूँगी….चाहे तुम जो भी करो….

किरण ने अपने कानो को पकड़ते हुए कहा….विनय चुप-चाप सर झुकाए हुए चलता रहा. दोनो थोड़ी देर बाद स्कूल के बाहर पहुँच गए…जैसे ही वो दोनो स्कूल के गेट के बाहर पहुँचे तो, देखा कि अंजू स्कूल के छोटे वाले गेट को लॉक कर रही थी… जैसे ही उसकी नज़र किरण और विनय पर पड़ी, तो वो मुस्कराते हुए बोली…. “दीदी आप कही जा रहे हो…?’ किरण ने मुस्कराते हुए कहा….”नही जा नही रहे तुम्हारे पास आए थे….”

अंजू: मेरे पास दीदी कहिए क्या काम था….

किरण: वो स्कूल के अंदर नीम का पेड़ है ना…..हमें कुछ पत्तियाँ चाहिए थी…

अंजू: हां दीदी है….(अंजू ने जल्दी से गेट का लॉक खोला….) दीदी आप अंदर जाकर पत्तियाँ तोड़ लीजिए….मे दुकान पर समान लाने जा रही है….10 मिनट मे वापिस आती हूँ…..

किरण: ठीक है….जल्दी आना….घर पर मेहमान आए हुए है…

अंजू: दीदी 10 मिनट मे आई…आप अंदर तो चलिए…..

अंजू दुकान के लिए चली गई…किरण और विनय दोनो स्कूल के अंदर आ गए…. “कहाँ है वो नीम का पेड़ यहाँ दिखाई तो नही दे रहा….” किरण ने चारो तरफ नज़र दौड़ते हुए कहा…”यहाँ नही वो बिल्डिंग के पीछे है….” विनय ने स्कूल की बिल्डिंग के पीछे की तरफ इशारा करते हुए कहा….जिस तरफ अंजू का रूम था… दोनो बिल्डिंग के पीछे की तरफ जाने लगे…बिल्डिंग के पीछे एक तरफ अंजू का रूम था. और दूसरी बहुत खाली जगह थी….जहा पर वो नीम का पेड़ था…वहाँ कई और पैधो का झुंड भी था….वहाँ पीछे कोई आता जाता नही था…इसीलिए वहाँ पर काफ़ी झाड़ियाँ उगी हुई थी…विनय वहाँ पर जाते ही पेड़ पर चढ़ गया…पेड़ ज़्यादा उँचा नही था…विनय ने जल्दी-2 पेड़ की छोटी-2 डालिया तोड़ी और नीचे फेंकने लगा…किरण ने डालियों को इकट्ठा किया….और एक साइड मे रखते हुए बोली “विनय बस कर इतनी बहुत है….चल नीचे आ जा….

विनय मामी की आवाज़ सुन कर रुक गया…और नीचे आने लगा…तभी किरण ने अपना पहला दाँव खेला….वो झाड़ियों की तरफ बढ़ी….और नीम के पेड़ की तरफ फेस करके खड़ी हो गई…उसने अपनी कमीज़ के पल्लों के नीचे हाथ डाला और अपनी पाजामा और पैंटी एक साथ सरकाते हुए अपनी जाँघो तक उतार दी….और फिर नीचे बैठ गई…. जैसे ही विनय नीचे उतरा, तो उसकी नज़र मामी पर पड़ी….जो नीचे पैरो के बल बैठे हुए मूत रही थी….उसकी चूत से निकलती मोटी मूत की धार देख कर विनय का दिल धक करके रह गया…उसने एक पल के लिए अपनी मामी की जाँघो के बीच झाँकती हुई चूत पर मारी…और फिर आगे की तरफ निकल गया….किरण मन ही मन मुस्कराने लगी….पेशाब करने के बाद किरण उठी और झाड़ियों से निकल कर बाहर आई तो, उसने देखा कि, विनय डालियों को इकट्ठा करके खड़ा था….दोनो स्कूल के गेट तक आए, तो अंजू भी दुकान से समान लेकर वापिस आ गई…..

अंजू ने किरण को चाइ के लिए रोका….पर किरण ने मना कर दिया….और विनय के साथ वो घर वापिस जाने लगी….”विनय तू अभी तक नाराज़ है मुझसे….” किरण ने विनय के सर पर हाथ फेरते हुए कहा….”नही मे नाराज़ नही हूँ…” विनय ने किरण का हाथ अपने सर से हटाते हुए कहा….”नाराज़ नही हो तो ये क्या है…हाथ तो मेरा ऐसे हटा रहे हो…जैसे मे तुम्हे छूउंगी और तुम गंदे हो जाओगे….किरण सारे रास्ते विनय को मनाती रही….विनय का गुस्सा भी अब कम होने लगा था….”तू जब मुझसे बात नही करता तो, मेरा दिल किसी काम मे नही लगता…प्लीज़ एक बार अपनी मामी को माफ़ कर दे विनय….देख उस दिन से पहले कभी मेने तुम्हे गुस्से मे डांटा भी नही था….मुझे मेरी इतनी सी ग़लती की इतनी बड़ा सज़ा क्यों दे रहे हो….”

विनय: ठीक है मैं अब आप से नाराज़ नही हूँ…..

किरण: पक्का ना…..?

विनय: हां…..

किरण: तो फिर तू आज मेरे साथ मेरे कमरे मे सोएगा….?

विनय: क्यों….?

किरण: नही तो मैं समझूंगी कि तुमने मुझे माफ़ नही किया…बोल मेरे साथ सोएगा ना…

विनय: जी…..

दोनो घर पहुँच गए….किरण घर पहुँचते ही, रात के खाने की तैयारी मे लग गई….उसकी मम्मी और ममता भी किरण की मदद कर रही थी…किरण ने चावल बनने के लिए गॅस पर रखे और ममता को बोली कि, वो जल्दी से सब्जी काट ले….वो अभी आती है….ये कह कर किरण अपनी किचन से बाहर निकली…तो उसने देखा कि विनय को छोड़ कर सभी लोग हॉल मे बैठे हुए बातें कर रहे थे…वो विनय को देखने के लिए उसके रूम मे चली गई….विनय अपने रूम मे स्टडी टेबल पर बैठा हुआ पढ़ रहा था….किरण विनय के पास गई….और झुक कर विनय के गाल पर अपने दहक्ते हुए होंठो को लगा दिया….और 4 सेकेंड तक चलने वाला लंबा चुंबन उसके गालो पर जड दिया….”क्या हुआ अकेले यहाँ बैठे हो….?” किरण ने विनय के सर को अपनी बाहों मे लेते हुए उसे अपने पेट से लगाते हुए कहा….

विनय: कुछ नही बस वकेशन का होमे वर्क कर रहा हूँ…थोड़ा सा बचा है….

किरण: ठीक है…काम पूरा करके बाहर आ जाना…..

ये कहते हुए किरण विनय के रूम से बाहर चली गई…विनय ने 15 मिनट मे अपना बचा हुआ होमवर्क पूरा किया….और उठ कर बाहर चला आया…जैसे ही वो बाहर आकर वशाली के पास बैठा, तो वशाली उसकी तरफ देख कर हँसने लगी….”हहा हा हा ये कहाँ से लगा ली…..कॉन है वो….हमे भी तो मिलाओ उससे….” सभी लोग वशाली की बात सुन कर उन दोनो की तरफ देखने लगे….”क्या हुआ हंस क्यों रही हो…?” विनय ने वशाली को हंसते देखा तो खीजते हुए बोला….तो विशाली ने विनय की चिन को पकड़ उसका लेफ्ट गाल सब को दिखाते हुए कहा…”ये देखो….लगता है अपने विनय बाबू पर किसी का दिल आ गया है….” वशाली की बात सुन कर सब हँसने लगे….विनय को समझ तो आ गया था कि, उसके गाल पर कुछ लगा है…पर क्या लगा है….ये नही पता था…सब लोग विनय की तरफ देख कर हंस रहे थे…..
 
वशाली और ममता विनय को छेड़ते हुए उसकी टाँग खेंच रही थी…उधर किरण भी किचन मे खड़ी विनय की तरफ देख कर मुस्करा रही थी…विनय वहाँ से उठ कर अपने रूम मे चला आया….विनय को गुस्से मे रूम की तरफ जाते देख…किरण भी उसके पीछे चली गई…विनय ने अपने रूम की लाइट ऑन की और मिरर के सामने खड़े होकर अपने गाल को देखने लगा….उसके गाल पर किरण की लिपस्टिक से बना हुआ किरण के होंठो का निशान था…विनय ने खीजते हुए उसे अपने हाथ से सॉफ करना शुरू कर दिया….गाल सॉफ करने के बाद वो जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ा तो, किरण रूम मे आ गई…”क्या हुआ विनय….इतने गुस्से मे क्यों हो….” 

विनय: वो कुछ नही…यहाँ पर आपकी वो वो लिपस्टिक का निशान बन गया था… सब मुझ पर हंस रहे थे…

किरण: तो क्या हुआ…हँसने दो सब को…कह देना था कि मामी ने प्यार दिया है….

किरण विनय के पास आई….”ला ज़रा दिखा तो सही निशान तो बाकी नही है..” किरण ने उसकी चिन पकड़ कर देखते हुए कहा…और फिर से उसके गालो पर अपने होंठो को लगा दिया….विनय बिदक कर पीछे हो गया…”क्या मामी…” किरण हँसते हुए बाहर चली गई…मामी जिस तरह उससे लगाव दिखा रही थी….विनय के मन मे उसके प्रति जो नफ़रत थी….वो अब वैसे-2 ख़तम होती जा रही थी…विनय ने अपने गाल को सॉफ किया और बाहर आ गया…

रात को खाना खाने के बाद जैसे-2 किरण ने अरेंज किया था…वैसे-2 सब लोगो अपने अपने रूम्स मे जाकर सोने लगे….किरण ने वशाली को पहले अपने रूम मे सोने के लिए भेज दिया…और विनय को अपने साथ काम मे लगाए रखा…करीब 30 मिनट बाद किरण ने विनय को भी रूम मे जाकर सोने के लिए….विनय के जाने बाद, किरण ने जल्दी-2 काम निपटाया और अपने रूम मे चली गई…रूम मे पहुँच कर उसने डोर को अंदर से लॉक किया….और बेड की तरफ बढ़ी…

वशाली पहले ही सो चुकी थी…पर विनय अभी सोया नही था….”क्या हुआ नींद नही आ रही है….?” किरण ने लाइट बंद करके, 0 वॉट का बल्ब ऑन करते हुए कहा…फिर किरण बेड पर आकर वशाली और विनय दोनो के बीच मे लेट गई….उसने विनय की तरफ करवट बदली, और विनय के गाल को अपने हाथ सहलाते हुए धीरे से बोली…..”विनय आज के बाद तुम मुझसे कभी नाराज़ नही होना….नही तो तुम्हारी मामी मर जाएगी…” विनय मामी की बात सुन कर भावुक हो गया….और किरण की आँखो मे झाँकते हुए बोला. “प्लीज़ मामी जी आप ऐसी बात मत करो…मे आगे से कभी भी आपसे नाराज़ नही होउंगा…” विनय की बात सुन कर किरण विनय की तरफ खिसक कर उसके और करीब हो गई. और अपनी एक बाजू को उसके पीठ पर कसते हुए, उसके गाल पर अपने दहकते हुए होंठो को लगा दिया….

विनय का गाल चूमने के बाद किरण पीछे हुई, तो विनय की नज़र मामी की लिपीसटिक लगे होंठो पर पड़ी….और उसे शाम वाली घटना याद आ गई…विनय जल्दी से अपनी गाल को सॉफ करने लगा तो, किरण हँसने लगी….”क्या हुआ…?” किरण ने विनय से हंसते हुए पूछा….”वो शाम को सब मेरा मज़ाक उड़ा रहे थे…” विनय ने किरण के आँखो मे देखते हुए कहा…

.”उड़ाने दो मज़ाक…वो क्या समझेंगे…ये तो मेरा प्यार है..मेरे शोना के लिए…और वैसे भी अब सब तो सो चुके है…कॉन देखेगा….” ये कहते हुए उसने फिर से विनय के गाल को चूम लिया…विनय फिर से अपने गाल को हाथ रगड़ते हुए सॉफ करने लगा…दोनो के फेस एक दूसरे के बिकुल करीब थी. किरण ने वासना से भरी नज़रों से विनय की तरफ देखा और फिर विनय को अपनी बाहों मे कसते हुए, उसके गालो को चूमने लगी…उसने विनय के गालो को चूमते हुए हल्का सा उसके होंठो को भी चूम लिया….

विनय मामी की इस हरक़त से एक दम चोंक गया…मामी की गरम साँसे उसके फेस पर टकरा कर उसके बदन मे सिहरन पैदा कर रही थी…उसका लंड आज भी फिर मामी के आगोश की गरमी से खड़ा होने लगा था…शॉर्ट्स मे तन रहे विनय के लंड को किरण अपनी साड़ी के ऊपेर से चूत पर महसूस करके एक दम से रोमांचित हो गई… उसने अपनी एक टाँग उठा कर विनय की कमर पर रख ली…और अपनी कमर को आगे की तरफ सरकाते हुए, अपनी साड़ी के ऊपेर से चूत को विनय के लंड के साथ सटा दिया… किरण का हाथ अब और तेज़ी से विनय के पीठ पर चल रहा था….और वो विनय के माथे को चूम रही थी…तभी दोनो की नज़रें आपस मे टकराई, तो मानो कुछ पलों के लिए वक़्त ठहर सा गया हो…दोनो एक दूसरे की उखड़ी हुई गरम सांसो को अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे….

पर तभी अचानक किरण के पीछे लेटी वशाली ने करवट बदली, तो दोनो एक दम से हड़बड़ा गए…किरण विनय से अलग होकर पीठ के बल सीधी लेट गई…उसका दिल रोमांच और डर के मारे जोरो से धड़क रहा था…वो तिरछी नज़रों से बार शॉर्ट्स मे तने हुए विनय के लंड को देख कर ठंडी आहे भर रही थी….पर दिल मे ये भी डर था कि, कही वशाली उठ ना जाए…अगर वो कुछ देख लेती, तो लेने के देने पड़ जाते. करीब वो 1 घंटे तक वासना के आग मे तड़पती रही…विनय का भी हाल बुरा था…नींद उसके आँखो मे भी नही थी…वो सिर्फ़ आँखे बंद किए हुए लेटा हुआ था….

किरण ने विनय और वशाली दोनो की तरफ देखा….दोनो की आँखें बंद थी…किरण ने समझा कि विनय भी अब सो चुका है….किरण की चूत मे आग बहुत ज़्यादा दहक रही थी…किरण ने धीरे-2 अपनी साड़ी और पेटिकोट को अपनी कमर तक ऊपेर उठा लिया. और अपनी वाइट कलर की पैंटी मे हाथ डाल कर अपनी चूत को अपनी उंगलियों से मसलने लगी…..उसकी हल्की-2 सिसकारियाँ जैसे ही विनय के कानो मे पड़ी, तो विनय ने जैसे ही आँखे खोल कर देखा, तो विनय के दिल की धड़कने थम गई… किरण अपनी पैंटी मे हाथ डाले हुए तेज़ी से अपनी चूत को मसल रही थी….

उसके आँखे मस्ती मे बंद हो चुकी थी….और उसके होंठ कामुकता मे काँपते हुए गजब का नज़ारा पेश कर रहे थे….

विनय वैसे लेटे -2 अपनी मामी को अपनी चूत मसलते हुए देखता रहा…उसका बस नही चल रहा था…नही तो वो मामी का हाथ उसकी कच्छि से निकाल कर उसकी चूत मे अपना लंड डाल देता…पर उसका पिछला अनुभाव मामी के साथ बहुत बुरा रहा था..इसीलिए विनय की कुछ करने की हिम्मत नही हुई….जब उंगलियों से भी किरण की चूत की आग ठंडी नही हुई तो, वो तड़प कर रह गई….

अगली सुबह विनय जब उठा, तो उस वक़्त वो रूम मे अकेला था….किरण किचन मे सब के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी…विनय उठ कर मामी के ड्रेसिंग टेबल के सामने गया….और अपने गालो पर लगे मामी के होंठो के निशान को सॉफ करके बाहर आया…और फ्रेश होने के लिए चला गया…जब वो फ्रेश होकर बाहर आया तो किरण डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा रही थी….उसने विनय को भी नाश्ता करने के लिए कहा….तभी बाहर से अजय और किरण के पापा आए…वो सुबह-2 कही गये थे…”पापा आप लोग सुबह-2 कहाँ से आ रहे हो…?” किरण ने अपने पापा से कहा….”वो बेटा सामने जो मकान खाली पड़ा है ना….उसको एक 15 दिन पर किराए पर लिया है…उसी की बात करने गए थे….”

किरण : पर उसकी ज़रूरत ही क्या थी….

अजय: मेने भी कहा था….पर पापा माने ही नही….

“वो बेटी शादी मे बहुत सारे मेहमान आने वाले है….इसलिए किराए पर मकान ले लिया…नही तो बाद मे . होती….” किरण के पापा और अजय भी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर नाश्ता करने लगे….आज सब लोग शॉपिंग के लिए जा रहे थी….अंजू सुबह 11 बजे घर का सारा काम निपटा कर चली गई थी….ममता ने किरण को भी साथ मे चलने के लिए कहा तो, किरण ने मना कर दिया….किरण और विनय को छोड़ कर सब शॉपिंग के लिए चले गए…किरण ने कुछ पैसे देकर वशाली को भी साथ मे भेज दिया….ताकि वो अपने लिए कुछ शॉपिंग कर सके….और उसे विनय के साथ घर पर अकेले रहने का मोका मिले….सब लोग अब शाम से पहले वापिस नही आनने वाले थे. सब के जाने के बाद किरण ने गेट बंद किया और मूड कर हाल मे वापिस आई तो, देखा विनय हॉल मे बैठा हुआ टीवी देख रहा था….

वो सीधा किचन मे चली गई…..और परात मे आटा डाल कर पानी के साथ ले आई. उसने परात को नीचे रखा और आटे मे पानी डाल कर उसके गॉन्ठने के लिए नीचे पैरो के बल बैठ गई…किरण ने ऑरेंज कलर की साड़ी पहनी हुई थी… बैठने से पहले उसने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे से हटा कर अपनी कमर मे फँसा लिया था….और अपनी साड़ी और पेटिकोट को अपनी जाँघो तक ऊपेर उठा लिया था… टीवी देख रहे विनय का ध्यान जैसे ही किरण पर पड़ा…तो विनय की आँखे खुली की खुली रह गई…किरण का गोरा बदन उस ऑरेंज कलर की साड़ी मे और भी ज़्यादा गोरा लग रहा था….उसकी चुचियाँ उसके कसे ब्लाउज मे से बाहर आने को तड़प रही थी.. और उसकी गोरी-2 मांसल जांघे देख विनय का कलेजा मुँह को आ गया…
 
साड़ी और पेटिकोट के बीच से किरण की जाँघो का अन्द्रुनि भाग काफ़ी अंदर तक दिखाई दे रहा था…विनय बार-2 चोर नज़रों से उसकी जाँघो के बीच मे छुपी हुई चूत को देखने की कॉसिश कर रहा था….इस बात का अहसास किरण को भी हो गया था…वो मंद-2 मुस्कराते हुए बीच-2 मे विनय के फेस पर आई हुए बेसबरी को देख रही थी….किरण ने आटा गूँथा और फिर खड़ी होकर परात को किचन मे रखने चली गई…किरण किचन से निकल कर शवर लेने के लिए बाथरूम मे चली गई…विनय उठ कर अपने रूम मे चला गया….किरण शवर लेने के बाद अपने रूम मे आई, और अपने अगले कदमो के बारे मे सोचने लगी…तभी उसके दिमाग़ मे कुछ आया. 

दूसरी तरफ विनय के दिमाग़ मे अभी भी कसमस जारी थी….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मामी ये सब उसके साथ जान बुझ कर रही है या फिर ये सब उसके दिमाग़ का वहम है…तभी किरण ने उसे आवाज़ देकर अपने रूम मे आने के लिए कहा… विनय अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया…और उठ कर बाहर गया…और किरण के रूम मे चला गया….जैसे ही विनय किरण के रूम मे दाखिल हुआ…विनय के पाँव वही रुक गए….मामी उसकी तरफ पीठ किए हुए खड़ी थी….किरण के बदन पर रेड कलर का पेटिकोट और रेड कलर की ब्रा थी…अपनी मामी को वो पहली बार इस तरह ब्रा मे खड़ी देख रहा था….उसके लंड को मानो जैसे करेंट लगा हो….विनय का लंड एक दम से उछलते हुए खड़ा हो गया…किरण ने फेस घुमा कर पीछे खड़े विनय की तरफ देखा, “विनय ज़रा मेरी ब्रा का हुक्स तो लगा दे….मुझसे बंद नही हो रहा…”

ये कहते हुए किरण ने अपना फेस आगे की तरफ कर लिया…अपनी मामी की नंगे पीठ और कमर देख कर विनय का लंड उसके शॉर्ट्स में जबरदस्त झटके पे झटके मार रहा था. वो काँपते हुए कदमो से किरण की तरफ बढ़ा….और किरण के पीछे जाकर खड़ा हो गया. उसके हाथ पैर बुरी तरह से कांप रहे थे….”विनय…” किरण ने विनय को आवाज़ दी… तो विनय जैसे सपनो की दुनिया से बाहर आया हो…विनय ऐसे बोखला गया…”जी जी मामी….” उसने अपनी मामी की नंगी पीठ और कमर की तरफ देखते हुए कहा…. “ब्रा के हुक बंद कर दे जल्दी….” किरण ने आगे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा… तो विनय ने अपने काँप रहे हाथो को उठाया…और धीरे-2 किरण के ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ कर हुक लगाने के लिए जैसे ही खेंचा तो, किरण के मुँह से आहह निकल गई. 

मामी के मुँह से आह सुनते ही, विनय की हालत और पतली हो गई….उसने जल्दी-2 किरण के ब्रा का हुक लगाया…और मूड कर जैसे ही वापिस जाने लगा तो, किरण ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया…उसने अपनी साड़ी के पल्लू से रेड कलर की ब्रा मे कसी हुई चुचियों को ढकते हुए, विनय की तरफ पलट कर देखा…..और मुस्कराते हुए बोली. “विनय मेरा एक काम करेगा…?” किरण ने विनय की तरफ बढ़ते हुए कहा… तो विनय के माथे पर पसीना उभर आया…उसके होंठ सूखने लगी….”जी जी कहिए मामी….” विनय ने अपने गाले का थूक गटकते हुए कहा….

किरण: वो जो मिनी आंटी है ना रिंकी के घर के बगल मे रहती है…..?

विनय: जी….

किरण: उसके पास इस साड़ी का ब्लाउज ले जा…..और कह देना कि मामी ने इसे थोड़ा टाइट करने के लिए कहा है…बहुत ढीला है….(किरण ने सोफे पर बैठते हुए कहा….)

विनय: कहाँ है ब्लाउज…..?

किरण: वो वहाँ बेड पर पड़ा है…

किरण ने अपनी एक बाजू को उठा कर कोहनी से मोड़ कर सोफे की पुष्ट को पकड़ते हुए कहा….किरण के ऐसा करने से विनय की नज़रो के सामने मामी की एक साइड सॉफ नज़र आ रही थी….मामी के आर्मपिट और कसी हुई रेड कलर की ब्रा को देख कर विनय का लंड बुरी तरह से अकड़ गया….

विनय बेड की तरफ बढ़ा….और वहाँ पड़े हुए रेड कलर के ब्लाउज को उठा कर जैसे ही वापिस मुड़ा, तो मामी ने अपनी जवानी की कातिल अदाओं से जैसे विनय के दिल पर छुरी चला दी हो….किरण सोफे की पुष्ट के साथ अब झुक कर लगभग अध लेटी हुई हालत मे बैठी हुई थी….उसकी साड़ी का पल्लू सरक कर उसकी जाँघो पर आ चुका था…किरण के गोरे-2 रंग की मोटी चुचियाँ उसकी रेड कलर के ब्रा मे से बाहर आने को तड़प रही थी….विनय के लंड मे ये सब देख कर तेज सरसराहट होने लगी थी….




विनय जल्दी से किरण के रूम से बाहर चला गया….विनय के जाते ही, किरण ने अपनी चुचियों को फिर से पल्लू को ढक लिया….और सोफे पर बैठे -2 मुस्कराने लगी…करीब 20 मिनट बाद विनय घर वापिस आया…और गेट लॉक करके सीधा मामी के रूम मे चला गया….और ब्लाउज अपनी मामी को दे दिया….किरण खड़ी हुई, और उसकी तरफ पीठ करके ब्लाउज पहनने लगी…ब्लाउज पहनने के बाद वो विनय की तरफ मूडी….और फिर प्यार से उसका गाल सहलाते हुए बोली…”थॅंक्स विनय…..” 


विनय बहुत ज़्यादा कन्फ्यूज़्ड हो गया था…..उसे भले ही इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि, मामी उसे लाइन दे रही है….पर फिर भी वो खुद कुछ करने से कतरा रहा था…”अब ठीक है….ये ब्लाउज अब बिल्कुल मेरी फिटिंग का हो गया है….विनय तुम्हे पता है…मे ये साड़ी शादी के दिन पहनने वाली हूँ….इसलिए आज पहन कर देख लिया. नही तो शादी के दिन पता चलता तो उस समय क्या करती…अच्छा अब मे चेंज करके आती हूँ….” ये कह कर किरण रूम से बाहर चली गई….विनय वही बैठ गया. किरण बाथरूम के पास जाकर खड़ी हो…और कुछ देर उसने वही खड़े होकर अपने रूम की तरफ देखा….जब विनय बाहर नही आया तो, वो जल्दी से बाथरूम मे घुस गई….और अपनी साड़ी ब्लओज पेटिकोट ब्रा पैंटी सब कुछ उतार कर ब्लॅक कलर की ब्रा और डार्क ब्लू कलर की प्रिंटेड पैंटी पहन ली….किरण की पैंटी उसके चुतड़ों के हिसाब से थोड़ी छोटी थी…

वो अपने उतारे हुए कपड़ों को पकड़ कर वैसे ही बाहर आ गई….और अपने रूम के डोर के पास पहुँच कर उसने अंदर झाँका तो, देखा कि, विनय बेड पर लेटा हुआ है. वो कुछ देर वही रुकी….और फिर ऐसे रूम मे दाखिल हुई, जैसे उसे लग रहा हो कि, उसके रूम मे और कोई ना हो…जैसे ही किरण रूम के अंदर आई, विनय अपनी मामी को सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे देख कर एक दम से चोंक गया…उसकी आँखे खुली की खुली रह गई….तभी किरण ने विनय की तरफ देखा और ऐसे रिएक्ट किया….जैसे वो विनय को देख कर घबरा गई हो….”ओह्ह्ह्ह विनय तुम हो….तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी…मेने सोचा कि तुम अपने रूम चले गए होगे….” किरण ने होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए कहा….तो विनय बेड से नीचे उतरने लगा….

किरण: नही-2 लेटे रहो….वो तो मे डर गई थी…तुम ही तो हो….और अपने शोना से क्या शरमाना…(किरण ने विनय की नज़रों का पीछे करते हुए कहा…)

विनय की नज़रें मामी की पैंटी के ऊपेर से बाहर झाँक रही उसकी काली घनी झान्टो पर अटकी हुई थी….उसका लंड शॉर्ट्स मे रह-2 कर झटके खा रहा था…मामी ने तो आज उसके लंड पर बहुत ज़्यादा अत्याचार कर दिया था….तभी विनय ने मामी के चेहरे की तरफ देखा, तो उसे पता चला कि, मामी ने उसको उसकी झान्टो की तरफ घुरते हुए देख लिया है…अब गड़बड़ हो गई है…विनय ने अपना सर झुका लिया…. “ये पैंटी छोटी हो गई है…ठीक से फिट भी नही आ रही….


किरण ने अलमारी खोली और अपने कपड़े लेकर बाथरूम मे चली गई….थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी तो किरण ने बाथरूम से आवाज़ देते हुए, विनय को गेट खोलने के लिए कहा…जब विनय ने गेट खोला तो, देखा के सामने शीतल अपने बच्चों को लेकर खड़ी थी….शीतल अंदर आ गई तो विनय ने गेट बंद कर दिया…शीतल और किरण दोनो हॉल मे बैठ कर बातें करने लगी….विनय भी वही बैठा हुआ था….तभी विनय की नज़र टेबल पर पड़ी मेडिसिन की एक बॉटल पर पड़ी….”मामी ये किसकी दवाई है..?” विनय ने मेडिसिन की बॉटल किरण को दिखाते हुए कहा…

किरण: ये तो पापा की दवाई है….जा उनके रूम मे रख आ…उनकी नींद की गोलियाँ है….(ये कह कर किरण वशाली को खाना देने के लिए रूम मे चली गई….)

विनय बॉटल लेकर ऊपेर चला गया…वो टॅब्लेट्स की बॉटल को जैसे ऊपेर जाकर टेबल पर रखने लगा तो, अचानक से उसके दिमाग़ मे कुछ आया…उसने जल्दी से घबराते हुए उस बॉटल से दो टॅब्लेट्स निकाल ली….और उसे पॉकेट मे डाल कर नीचे आ गया…नीचे आने के बाद वो सीधा अपने रूम मे चला गया…उसने अपने रूम मे वियाग्रा की टॅब्लेट्स छुपा कर रखी थी….जो उसको रामू ने खरीद कर दी थी. विनय ने उसमे एक टॅबलेट निकाली और बाकी की सभी टॅब्लेट्स वही छुपा कर रख दी…विनय जैसे ही बाहर आया तो, किरण अपने रूम से निकल रही थी…”विनय तुम्हारे लिए भी खाना लगा दूं…” किरण ने मुस्कराते हुए कहा…..

विनय: जी मामी लगा दीजिए…

किरण किचन मे अपने लिए और विनय के लिए खाना लेने चली गई…खाना खाने के बाद वो काफ़ी देर वहाँ बैठे किरण से बातें करती रही…और फिर शीतल और किरण दोनो वही चटाई पर ही सो गई….शीतल के बच्चे और विनय सब विनय के रूम मे जाकर सो गए….शाम के 6 बजे डोर बेल बजी तो, किरण नींद से उठी… उसने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि सभी शॉपिंग करके वापिस आ चुके थे…आज विनय और किरण दोनो ही काफ़ी देर तक सोते रहे थे….इसलिए आज वो बहुत ज़्यादा फ्रेश महसूस कर रहे थे….रात को खाना खाने बाद सब लोग धीरे-2 अपने कमरो मे जाने लगे…किरण ने विनय और वशाली के लिए दूध ग्लास मे निकाला वशाली को आवाज़ दी…कि वो आकर अपने लिए और विनय के लिए दूध ले जाए….

वशाली: मम्मी मैं बाथरूम मे जा रही हूँ….प्लीज़ आप विनय को बोल दो ना… 

विनय तो जैसे इसी मोके की तलाश मे बैठा हुआ था….वो जल्दी से किचन मे गया….”मुझे दे दो मामी जी….मैं ले जाता हूँ….” किरण ने दोनो ग्लास विनय को पकड़ाए और विनय दूध के दोनो ग्लास बाहर लेकर आ गया….फिर वो सीधा किरण के रूम मे गया…और दोनो ग्लास टेबल पर रख दिए…ममता और किरण दोनो किचन मे बिज़ी थी….बाकी के सभी लोग अपने -2 रूम्स मे जा चुके थे… विनय ने जल्दी से अपनी पेंट की पॉकेट से एक पूडिया निकाली….जिसमे उसने उन दोनो टॅब्लेट्स को पीस कर पाउडर बना रखा था…उसने उस पाउडर को एक ग्लास मे डाल कर जल्दी से मिक्स किया और फिर पेंट की पॉकेट से वियाग्रा की टॅबलेट निकाली और दूध के साथ उसे निगल गया. 

उसके बाद विनय बेड पर बैठ कर आराम से दूध पीने लगा….दूध ठंडा था… थोड़ी देर बाद वशाली अंदर आई, तो उसने दूध का ग्लास उठाया और एक ही साँस मे पूरा का पूरा ग्लास ख़तम विनय की तरफ देखा…”तुमने दूध पी लिया हो तो लाओ मे ग्लास मम्मी को दे आती हूँ….” विनय ने भी ग्लास खाली किया और वशाली को पकड़ा दिया….वशाली ग्लास लेकर किचन मे चली गई….और फिर ग्लास किरण को देने के बाद वापिस आई और बेड पर लेट गई….

10 मिनट मे ही नींद की गोलयों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था…और अगले 5 ही मिनट मे वशाली सपनो की दुनिया मे पहुँच चुकी थी…10 मिनट और बीते तो, किरण रूम मे आई…विनय अपनी आँखे बंद किए हुए ऐसे लेटा हुआ था. जैसे कि वो गहरी नींद मे सो रहा हो…पर किरण जानती थी कि, विनय जाग रहा है…क्योंकि वो दोनो दोपहर को काफ़ी देर तक सोते रहे थे….और इतनी जल्दी नींद आना मुस्किल था….किरण ने रूम मे आने के बाद….अपनी साड़ी उतारी और ब्लाउज और पेटिकोट उतार कर अलमारी मे रख दिया..और एक पतला सा साड़ी पेटिकोट और ब्लाउज निकाल कर पहन लिया…किरण ने लाइट ऑफ की और 0 वॉट का बल्ब जला कर बेड पर चढ़ गई…. …

किरण विनय के पास आकर लेट गई….उसने विनय के सर को हिलाते हुए धीरे-2 से आवाज़ दी…”विनय सो गए क्या….?” तो विनय ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया…किरण ने करवट बदली और पीठ के बल सीधी होकर लेट गई….किरण ने वशाली की तरफ देखा..जो उनकी तरफ पीठ करके सो रही थी…किरण मन ही मन सोच रही थी कि, कितना अच्छा होता अगर वशाली इस रूम मे ना होती….तो आज रात तो वो ज़रूर अपनी चूत की प्यास को बुझा ही लेती…किरण वैशाली की माजूदगी से सतर्क थी…इसीलिए किरण अपने अंदर छुपी हुई वासना की आग को दबाए हुए थी…उसने वशाली की तरफ मुँह करके करवट बदली और सोने की कॉसिश करने लगी…वो नही चाहती थी कि, वो कुछ ऐसा करे कि, उसकी चूत की आग फिर से सुलगने लग जाए…और उसे तड़पते हुए सोना पड़े….
 
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