hotaks444
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तभी उसकी नज़र अपनी पैंटी पर पड़ी….जो उसकी चूत और विनय की नज़रो के बीच मे आ रही थी…फिर तो जैसे किरण ने विनय पर कहर ही ढा दिया हो…उसने अपनी पैंटी को पकड़ ऊपर साड़ी और पेटिकोट के साथ सटा दिया….किरण खुल के अपनी चूत के दर्शन विनय को करवा रही थी…
और उसकी नज़रें अब विनय के फूले हुए अंडर वेअर पर अटकी हुई थी….दोनो की प्यासी निगाहे उसके गुप्त अंगो को निहार रही थी… विनय को ऐसा लग रहा था…जैसे किसी करिश्माई झरने से पानी बह कर नीचे गिर रहा हो…उसका दिल कर रहा था कि, वो अभी मामी के टाँगो नीचे जाकर बैठ जाए…और अपना लंड निकाल कर मामी की फुद्दि के छेद से भिड़ा दे…और उसकी चूत से निकलते हुए मूत से अपने लंड को नहला डाले….
फिर मूतने के बाद जैसे ही किरण उठी, तो विनय ने अपना फेस दूसरी तरफ कर लिया. किरण विनय का शर्मीले पन देख मन ही मन मुस्करा उठी…उसने अपनी पैंटी ऊपेर की और फिर साड़ी और पेटिकोट ठीक करके, डोर खोल कर बाहर चली गई…फिर डोर बंद होने की आवाज़ सुन कर विनय जैसे सपनो की दुनिया से बाहर आया…विनय के दिमाग़ पर एक बार फिर से काम वासना का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था…उसने डोर को अंदर से लॉक किया, और अपना लंड अंडरवेर से बाहर निकाल कर उसे मुट्ठी मे भर कर तेज़ी से हिलाने लगा….मूठ मारते हुए उसकी आँखो के सामने मामी की चूत से निकलते हुए मूत की तसेवीर थी….वो मामी की झान्टो से भरी चूत के बारे मे सोचते हुए तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा….”अह्ह्ह्ह सीईईईई मामी….” उसके लंड के नसें अब फूलने लगी थी…आँखे मस्ती मे बंद होती चली गई….और फिर विनय के लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर नीचे फर्श और कुछ बूंदे सामने दीवार पर जा गिरी….
विनय ठंडा पड़ चुका था…..उसके बाद विनय ने शवर लिया और अंडरवेर के बिना शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ गया….जब विनय बाहर आया तो, देखा मामी बाहर हॉल मे सोफे पर बैठी हुई थी….विनय किरण से नज़रें चुराता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो, मामी ने उसे आवाज़ देकर अपने पास बुला लिया…विनय मामी के पास गया….”जी मामी…” किरण ने एक बार उसे देखा और फिर बोली…” जा वो शॉपिंग बॅग्स उठा कर ला….” विनय डाइनिंग टेबल पर पड़े हुए शॉपिंग बॅग्स उठा कर मामी के पास ले आया….किरण ने उसमे से एक बॅग निकाल कर विनय को दिया…”ये तेरे लिए है…” विनय ने बॅग खोल कर देखा तो, उसमे अनडरवेर्ज़ थे…
विनय: पर मामी मेरे पास तो पहले से दो अंडरवेर है….
किरण: पता है…पुराने हो गए थे….इसीलिए नये ले आई….और वैसे भी तू आज कल अनडरवेर्ज़ को कुछ ज़यादा ही गंदा करने लगा है…(किरण ने अपने होंठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए कहा….)
मामी की बात सुन कर विनय एक दम से सकपका गया….उसके चेहरे का रंग ऐसे उड़ गया….जैसे गोली चलाने से पेड़ों पर बैठे हुए परिंदे उड़ जाते है…..”अच्छा जा पहन कर देख लेना…फिटिंग सही ना हो तो बता देना….कल बदल लेंगे….और सुन जाते-2 ये शॉपिंग बॅग्स मेरे कमरे मे रख आना….मे खाने की तैयारी करती हूँ…” विनय अपने रूम मे गया…वहाँ अपना अंडरवेर वाला बॅग रखा और फिर मामी के रूम्स मे जाकर बाकी के शॉपिंग बॅग्स रख दिए…विनय ने टाइम देखा तो अभी 11:30 ही हुए थे…..आज भला मामी को इतनी जल्दी क्या पड़ गई खाना बनाने की…विनय उसके बाद अपने रूम मे चला गया….किरण ने खाना तैयार कर लिया. किरण ने विनय को आवाज़ दी…और वशाली को रिंकी के घर से बुला कर लाने के लिए कहा.
विनय रिंकी के घर चला गया….थोड़ी देर बाद दोनो आ गई…आज तीनो से सुबह जल्दी ही ब्रेकफास्ट कर लिया था…इसीलिए उन्होने ने 12:30 ही खाना खा लिया….वशाली ने जैसे ही खाना ख़तम किया वो फिर से रिंकी के घर चली गई….किरण जानती थी कि, अब वशाली शाम से पहले नही आनी वाली….एक चोट तो वो विनय के लंड पर कर चुकी थी….अब अगला कदम उठाने की बारी थी….वो अब तक विनय के रवैये से जान चुकी थी कि, विनय उससे घबरा रहा है….कि कही उसके मन मे जो चोर है…वो पकड़ा ना जाए….और किरण उससे नाराज़ ना हो जाए….
इसलिए उसने अपने मन मे उधेड़ बुन करना शुरू कर दिया था…उसने सोच लिया था कि, सबसे पहले उसे विनय के मन मे बसे हुए डर को बाहर निकालना हो गया….और ऐसा ही वो तभी कर पाएगी….जब वो और ज़यादा विनय के पास जाकर उसको दुलारेगी. उसको फील करवाएगी कि, उसकी मामी उससे किसी तरह भी नाराज़ नही हो सकती…अब धीरे-2 सभी शरम की दीवारो को गिराने का काम शुरू करना था…वो विनय को स्पेशल ट्रीट करके ये अहसास दिलाना चाहती थी कि, विनय उसकी जिंदगी मे क्या मायने रखता है. वो किस हद तक विनय को प्यार करती है….
लेकिन किरण के मन इन सब बातों को लेकर ये डर भी था कि, कही वो विनय को अपने जाल मे फँसाने के चक्कर मे खुद ही ना फँस जाए…किरण जानती थी कि, विनय नादान है….और विनय की एक नादानी उसके लिए जिंदगी भर कर कलंक बन सकती थी.. वो ये सोच के भी घबरा रही थी कि, कही विनय कुछ ऐसा सोचता ही ना हो…और विनय उसके बारे मे कोई ग़लत राय कायम करे…अब किरण को विनय की सेक्स के आग को भड़काना था….और किरण ने सोच लिया था कि, वो विनय के अंदर की वासना को भड़काएगी ज़रूर पर कभी खुद पहल नही करेगी….वो चाहती थी कि, विनय खुद पहल करे…इससे किरण को विनय के सामने कभी शर्मिंदा ना होना पड़ता….
अभी किरण यही सोच रही थी कि लाइट कट गई….
और उसकी नज़रें अब विनय के फूले हुए अंडर वेअर पर अटकी हुई थी….दोनो की प्यासी निगाहे उसके गुप्त अंगो को निहार रही थी… विनय को ऐसा लग रहा था…जैसे किसी करिश्माई झरने से पानी बह कर नीचे गिर रहा हो…उसका दिल कर रहा था कि, वो अभी मामी के टाँगो नीचे जाकर बैठ जाए…और अपना लंड निकाल कर मामी की फुद्दि के छेद से भिड़ा दे…और उसकी चूत से निकलते हुए मूत से अपने लंड को नहला डाले….
फिर मूतने के बाद जैसे ही किरण उठी, तो विनय ने अपना फेस दूसरी तरफ कर लिया. किरण विनय का शर्मीले पन देख मन ही मन मुस्करा उठी…उसने अपनी पैंटी ऊपेर की और फिर साड़ी और पेटिकोट ठीक करके, डोर खोल कर बाहर चली गई…फिर डोर बंद होने की आवाज़ सुन कर विनय जैसे सपनो की दुनिया से बाहर आया…विनय के दिमाग़ पर एक बार फिर से काम वासना का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था…उसने डोर को अंदर से लॉक किया, और अपना लंड अंडरवेर से बाहर निकाल कर उसे मुट्ठी मे भर कर तेज़ी से हिलाने लगा….मूठ मारते हुए उसकी आँखो के सामने मामी की चूत से निकलते हुए मूत की तसेवीर थी….वो मामी की झान्टो से भरी चूत के बारे मे सोचते हुए तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा….”अह्ह्ह्ह सीईईईई मामी….” उसके लंड के नसें अब फूलने लगी थी…आँखे मस्ती मे बंद होती चली गई….और फिर विनय के लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर नीचे फर्श और कुछ बूंदे सामने दीवार पर जा गिरी….
विनय ठंडा पड़ चुका था…..उसके बाद विनय ने शवर लिया और अंडरवेर के बिना शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ गया….जब विनय बाहर आया तो, देखा मामी बाहर हॉल मे सोफे पर बैठी हुई थी….विनय किरण से नज़रें चुराता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो, मामी ने उसे आवाज़ देकर अपने पास बुला लिया…विनय मामी के पास गया….”जी मामी…” किरण ने एक बार उसे देखा और फिर बोली…” जा वो शॉपिंग बॅग्स उठा कर ला….” विनय डाइनिंग टेबल पर पड़े हुए शॉपिंग बॅग्स उठा कर मामी के पास ले आया….किरण ने उसमे से एक बॅग निकाल कर विनय को दिया…”ये तेरे लिए है…” विनय ने बॅग खोल कर देखा तो, उसमे अनडरवेर्ज़ थे…
विनय: पर मामी मेरे पास तो पहले से दो अंडरवेर है….
किरण: पता है…पुराने हो गए थे….इसीलिए नये ले आई….और वैसे भी तू आज कल अनडरवेर्ज़ को कुछ ज़यादा ही गंदा करने लगा है…(किरण ने अपने होंठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए कहा….)
मामी की बात सुन कर विनय एक दम से सकपका गया….उसके चेहरे का रंग ऐसे उड़ गया….जैसे गोली चलाने से पेड़ों पर बैठे हुए परिंदे उड़ जाते है…..”अच्छा जा पहन कर देख लेना…फिटिंग सही ना हो तो बता देना….कल बदल लेंगे….और सुन जाते-2 ये शॉपिंग बॅग्स मेरे कमरे मे रख आना….मे खाने की तैयारी करती हूँ…” विनय अपने रूम मे गया…वहाँ अपना अंडरवेर वाला बॅग रखा और फिर मामी के रूम्स मे जाकर बाकी के शॉपिंग बॅग्स रख दिए…विनय ने टाइम देखा तो अभी 11:30 ही हुए थे…..आज भला मामी को इतनी जल्दी क्या पड़ गई खाना बनाने की…विनय उसके बाद अपने रूम मे चला गया….किरण ने खाना तैयार कर लिया. किरण ने विनय को आवाज़ दी…और वशाली को रिंकी के घर से बुला कर लाने के लिए कहा.
विनय रिंकी के घर चला गया….थोड़ी देर बाद दोनो आ गई…आज तीनो से सुबह जल्दी ही ब्रेकफास्ट कर लिया था…इसीलिए उन्होने ने 12:30 ही खाना खा लिया….वशाली ने जैसे ही खाना ख़तम किया वो फिर से रिंकी के घर चली गई….किरण जानती थी कि, अब वशाली शाम से पहले नही आनी वाली….एक चोट तो वो विनय के लंड पर कर चुकी थी….अब अगला कदम उठाने की बारी थी….वो अब तक विनय के रवैये से जान चुकी थी कि, विनय उससे घबरा रहा है….कि कही उसके मन मे जो चोर है…वो पकड़ा ना जाए….और किरण उससे नाराज़ ना हो जाए….
इसलिए उसने अपने मन मे उधेड़ बुन करना शुरू कर दिया था…उसने सोच लिया था कि, सबसे पहले उसे विनय के मन मे बसे हुए डर को बाहर निकालना हो गया….और ऐसा ही वो तभी कर पाएगी….जब वो और ज़यादा विनय के पास जाकर उसको दुलारेगी. उसको फील करवाएगी कि, उसकी मामी उससे किसी तरह भी नाराज़ नही हो सकती…अब धीरे-2 सभी शरम की दीवारो को गिराने का काम शुरू करना था…वो विनय को स्पेशल ट्रीट करके ये अहसास दिलाना चाहती थी कि, विनय उसकी जिंदगी मे क्या मायने रखता है. वो किस हद तक विनय को प्यार करती है….
लेकिन किरण के मन इन सब बातों को लेकर ये डर भी था कि, कही वो विनय को अपने जाल मे फँसाने के चक्कर मे खुद ही ना फँस जाए…किरण जानती थी कि, विनय नादान है….और विनय की एक नादानी उसके लिए जिंदगी भर कर कलंक बन सकती थी.. वो ये सोच के भी घबरा रही थी कि, कही विनय कुछ ऐसा सोचता ही ना हो…और विनय उसके बारे मे कोई ग़लत राय कायम करे…अब किरण को विनय की सेक्स के आग को भड़काना था….और किरण ने सोच लिया था कि, वो विनय के अंदर की वासना को भड़काएगी ज़रूर पर कभी खुद पहल नही करेगी….वो चाहती थी कि, विनय खुद पहल करे…इससे किरण को विनय के सामने कभी शर्मिंदा ना होना पड़ता….
अभी किरण यही सोच रही थी कि लाइट कट गई….