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राज समझ रहा था कि उसकी महज आंखेंबंद थीं, वह सो कतई नहीं रही थी। इतनी बात उसके दिमाग में आसानी से पहुंच रही थी कि डॉली जिस मजबूती से उसके हाथों को पकड़े हुए हौं-उसे मद्देनजर रखकर ये किसी भी तरह माना नहीं जा सकता था कि वह सो रही है।
दूरी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।
मगर राज के मन में एक दुविधा तो थी ही। वह दुविधा डॉली के खौफ की थी।
डॉली डर की वजह से उसे अपने करीब खींचे हुए थी।
उसके हाथ गलत हरकत करने के बारे में सोचकर ही जहां के तहां रुक गए।
धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा।
उसने एक बार फिर अपने हाथों को मुक्त करने का प्रयास किया मगर नाकामयाब रहा।
डॉली ने उसके दोनों हाथ पूरी तरह अपने कब्जे में करते हुए अपने वक्षों के साथ भींच लिए।
एक गुदगुदे रोमांच ने उसे आसक्त कर दिया। बरबस ही उसके हाथ डॉली के वक्षों पर कस गए।
डॉली ने किसी प्रकार का प्रतिरोध नहीं किया। वह यूं ही आंखेंबंद किए पड़ी रही।
राज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
धीरे-से डॉली की गर्दन तक अपने अधर पहुंचाए फिर उसके अधर फिसलकर डॉली के बाएं कपोल पर पहुंच गए।
उस उत्तेजक स्पर्श ने अन्तत: डॉली के सबरको खत्म कर दिया। वह फुर्ती के साथ पलटकर झटके के साथ राज से लिपट गई।
कामुक सीत्कार उसके मुख से फूट निकला। उसका छिपा हुआ प्रेम अब जाहिर हो गया।
"ओह हनी...तुम बहुत अच्छे हो। बहुत अच्छे। पहली नजर में ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था। वह राज के आलिंगन में समाती हई बोली "मेरी किस्मत से तुम यहां तक आ गए। और मैं तुम्हारी बांहों में आने का लोभ संवरण नहीं कर की।
राज ने उसके तपते हुए अधरों पर प्रगाढ़ चुम्बन अंकित कर दिया।
वासना की दबी हुई चिंगारियों को प्रेम के हल्के झोंके मिलने लगे। उसके साथ ही चिनगारियां धीरे-धीरे शोलों में परिवर्तित होने लगीं।
राज इस मामले में कुछ ज्यादा ही सक्रिय था। डॉली ने धानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी।
राज का हाथ उसकी नाइटी के रिबन पर पहुंचा।
रिबन खींचते ही नाइटीबंधन रहित हो गई।
स्लीबलैस नाइटी यूं भी लगभग पारदर्शी सी थी। राज को नाइटी के अन्दर का सांचे में ढला उसका जिस्म यूं भी नजर आ रहा था फिर भी उसने अपने और डॉली के बीच की प्रत्येक दीवार को गिरा देता ही उचित समझा।
वस्त्र नाम के लिए भी नहीं बचे।
गर्म बदन एक-दूसरे के आलिंगन में समा गए तो सिसकारी फूट निकली।
डॉली उस घडी राज से भी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। उसने राज का चेहरा चुम्बनों से भर दिया।
अगले ही क्षण राज करवट बदलकर ऊपर आ गया।
दूरी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।
मगर राज के मन में एक दुविधा तो थी ही। वह दुविधा डॉली के खौफ की थी।
डॉली डर की वजह से उसे अपने करीब खींचे हुए थी।
उसके हाथ गलत हरकत करने के बारे में सोचकर ही जहां के तहां रुक गए।
धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा।
उसने एक बार फिर अपने हाथों को मुक्त करने का प्रयास किया मगर नाकामयाब रहा।
डॉली ने उसके दोनों हाथ पूरी तरह अपने कब्जे में करते हुए अपने वक्षों के साथ भींच लिए।
एक गुदगुदे रोमांच ने उसे आसक्त कर दिया। बरबस ही उसके हाथ डॉली के वक्षों पर कस गए।
डॉली ने किसी प्रकार का प्रतिरोध नहीं किया। वह यूं ही आंखेंबंद किए पड़ी रही।
राज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
धीरे-से डॉली की गर्दन तक अपने अधर पहुंचाए फिर उसके अधर फिसलकर डॉली के बाएं कपोल पर पहुंच गए।
उस उत्तेजक स्पर्श ने अन्तत: डॉली के सबरको खत्म कर दिया। वह फुर्ती के साथ पलटकर झटके के साथ राज से लिपट गई।
कामुक सीत्कार उसके मुख से फूट निकला। उसका छिपा हुआ प्रेम अब जाहिर हो गया।
"ओह हनी...तुम बहुत अच्छे हो। बहुत अच्छे। पहली नजर में ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था। वह राज के आलिंगन में समाती हई बोली "मेरी किस्मत से तुम यहां तक आ गए। और मैं तुम्हारी बांहों में आने का लोभ संवरण नहीं कर की।
राज ने उसके तपते हुए अधरों पर प्रगाढ़ चुम्बन अंकित कर दिया।
वासना की दबी हुई चिंगारियों को प्रेम के हल्के झोंके मिलने लगे। उसके साथ ही चिनगारियां धीरे-धीरे शोलों में परिवर्तित होने लगीं।
राज इस मामले में कुछ ज्यादा ही सक्रिय था। डॉली ने धानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी।
राज का हाथ उसकी नाइटी के रिबन पर पहुंचा।
रिबन खींचते ही नाइटीबंधन रहित हो गई।
स्लीबलैस नाइटी यूं भी लगभग पारदर्शी सी थी। राज को नाइटी के अन्दर का सांचे में ढला उसका जिस्म यूं भी नजर आ रहा था फिर भी उसने अपने और डॉली के बीच की प्रत्येक दीवार को गिरा देता ही उचित समझा।
वस्त्र नाम के लिए भी नहीं बचे।
गर्म बदन एक-दूसरे के आलिंगन में समा गए तो सिसकारी फूट निकली।
डॉली उस घडी राज से भी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। उसने राज का चेहरा चुम्बनों से भर दिया।
अगले ही क्षण राज करवट बदलकर ऊपर आ गया।