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- Dec 5, 2013
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"बरोबर बोलता बाप बरोबर...वो प्रेस रिपोर्टर का इंतजाम जाएंगा। फिकर नेई करने का,इंतजामहो जाएगा...।"
"कब तक?"
"एक क्लॉक का अंदर में।"
"देर नहीं होनी चाहिए...मानखुर्द का मेरा पता नोटकर और उड़कर मेरे ठिकाने तक उसे लेकर पहुंच...समझा क्या।"
"बरोबर समझा बाप।"
"मुझे दोबारा फोन तो नहीं करना पड़ेगा..."
"नेई माई बाप सवालिच पैदा नेई होता।"
"मैं इंतजार कर रहा हूं।"
"अपुन काम निपटा को फौरन पहुंचेला है बा प...फौरन...।"
राज ने मानखुर्द का पता बताकर फोन चंद कर दिया। फिर वो सिगरेट के कश लगाने में व्यस्त हो गय। अब उसे डॉली की वापसी का इंतजार था।
सिगरेट खत्म होने के बाद उसने करीब के रेस्ट्ररांसे डबल नाश्ता मंगवाया। भूख उसे थोड़ी थोडी सताने लगी थी। उसने पहले डॉली के आने का इंतजार किया। उसके बाद जब उसके पेट में चूहे कूदने लगे तो उसने अपना नाश्ता शुरू कर दिया।
नाश्ते के बाद भी डॉली वापस न लौटी।
यहां तक कि डॉली की जगह जय प्रेस रिपोर्टर के साथ वहां आ पहुंचा लेकिन डॉली फिर भी न आयी।
प्रेस रिपोर्टर का नाम करीमभाई था।
मुश्किल से पच्चीस के पेटे में पहुंचा करीमभाईनौजवान था। मजबूत जिस्म के करीम के गोरे चेहरे पर काले रंग की दाढ़ी थी। सिर पर क्रोशिए की बुनी हुई टोपी। कुर्ता-पायजामा और कंधे पर कपड़े का थैला।।
"तपन सिन्हा...।" उससे हाथ मिलाते हुए राज ने अपना परिचय दिया।
___ "लोग मुझे कामरेड करीम के नाम से जानते हैं...।" करीम ने उसका मजबूत हाथ अपने हाथ में दबाने का यत्न करते हुए कहा।
"कामरेड...अगर जुल्म हो रहा हो तो तुम किसका साथ दोगे...?"
"जुल्म को मैं अपनी आखों के सामने होता देख नहीं सकता। जान दे दूंगा मगर जालिम को जुल्म करने नहीं दूंगा। ये मेरा उसूल है।"
__ "गुड...मुझे तुम्हारे जैसे बहादुर कलम के सिपाही की ही जरूरत थी।"
"जुल्म किस पर हुआ या होने वाला है और जालिम कौन है...?"
___ "पहले तशरीफ तो रखें कामरेड फिर बताता हूं...।"
करीम कुर्सी पर बैठ गया।
राज ने आंखोंसे जय को संकेत किया | जय मतलब समझते ही बाहर चला गया। राज के मतलब को उसने सहज ही समझ लिया। उसने बाहर जाकर करीम के लिए कुछ नाश्ते पानी का इंतजाम करना था।
राज ने करीम को सिगरेट ऑफर की। करीम ने सिगरेट पैकेट से निकालकर होंठों में दबा ली और राज के जलाने पर उसे स्वयं ही आगे की ओर झुककर सुलगा लिया।
इसी बीच...।
डॉली अंदर दाखिल हुई। उसके चेहरे पर परेशानी के लक्षण स्पष्ट देखे जा सकते थे।
"उन्होंनेरिपोर्ट नहीं लिखी...।" उसने संदिग्ध निगाहों से करीम की ओर देखते हुए राज को बताया।
"रिपोर्ट नहीं लिखी...।"
"हां...।" \
"क्या कहा?"
"कोई सीधे मुहं बात ही नहीं कर रहा था। यहां तक कि एक भवाली किस्म के शातिर अदमी ने एक कोने में ले जाकर मुझे धमकी भी दे दी कि अगर मैंने पुलिस थाने में और हड़कम्प मचाया तो वो मुझे थाने के ऐन बाहर कल्ल कर देगा।"
"कौन था वो बदमाश?" करीम बीच में दखल देता हुआ बोला-"चलो मेरे साथ...अभी...इसी वक्त...मैं भी तो देखू किस में है इतना दम जो पुलिस थाने के बाहर ऐसा दुस्साहस करने की हिम्मत कर रहा है।"
___"नहीं कामरेड...जल्दबाजी नहीं...पहले पूरी बात को समझ लो और उसे अपने समाचार पत्र की हैड लाइन बना दो। उसके बाद की कहानी को मैं संभाल लूंगा।"
"किस्सा क्या है...?"
.
.
.
"किस्सा ये है कि मिस डॉली...।" राज ने डॉली की ओर संकते करते हुए कहा-" मिस डॉली मेहत का भाई सतीश मेहरा एक पुलिस इंस्पेक्टर है और किसी तरह सतीश की दुश्मनी एक बड़े आदमी से हो गई। उस आदमी की पहुंच बहुत ऊपर तक है। पॉल्टीकल एप्रोच भी बहुत दूर तक है। गुण्डा पावर भी है। उस आदमी ने अपन गुण्डों की मदद से डॉली को किडनेप करने की कोशिश की। नाकामयाब होने पर वो शख्स अपने आदमियों को लेकर पुलिस स्टेशन में ही सतीश पर टूट पड़ा...।" ‘
"कब तक?"
"एक क्लॉक का अंदर में।"
"देर नहीं होनी चाहिए...मानखुर्द का मेरा पता नोटकर और उड़कर मेरे ठिकाने तक उसे लेकर पहुंच...समझा क्या।"
"बरोबर समझा बाप।"
"मुझे दोबारा फोन तो नहीं करना पड़ेगा..."
"नेई माई बाप सवालिच पैदा नेई होता।"
"मैं इंतजार कर रहा हूं।"
"अपुन काम निपटा को फौरन पहुंचेला है बा प...फौरन...।"
राज ने मानखुर्द का पता बताकर फोन चंद कर दिया। फिर वो सिगरेट के कश लगाने में व्यस्त हो गय। अब उसे डॉली की वापसी का इंतजार था।
सिगरेट खत्म होने के बाद उसने करीब के रेस्ट्ररांसे डबल नाश्ता मंगवाया। भूख उसे थोड़ी थोडी सताने लगी थी। उसने पहले डॉली के आने का इंतजार किया। उसके बाद जब उसके पेट में चूहे कूदने लगे तो उसने अपना नाश्ता शुरू कर दिया।
नाश्ते के बाद भी डॉली वापस न लौटी।
यहां तक कि डॉली की जगह जय प्रेस रिपोर्टर के साथ वहां आ पहुंचा लेकिन डॉली फिर भी न आयी।
प्रेस रिपोर्टर का नाम करीमभाई था।
मुश्किल से पच्चीस के पेटे में पहुंचा करीमभाईनौजवान था। मजबूत जिस्म के करीम के गोरे चेहरे पर काले रंग की दाढ़ी थी। सिर पर क्रोशिए की बुनी हुई टोपी। कुर्ता-पायजामा और कंधे पर कपड़े का थैला।।
"तपन सिन्हा...।" उससे हाथ मिलाते हुए राज ने अपना परिचय दिया।
___ "लोग मुझे कामरेड करीम के नाम से जानते हैं...।" करीम ने उसका मजबूत हाथ अपने हाथ में दबाने का यत्न करते हुए कहा।
"कामरेड...अगर जुल्म हो रहा हो तो तुम किसका साथ दोगे...?"
"जुल्म को मैं अपनी आखों के सामने होता देख नहीं सकता। जान दे दूंगा मगर जालिम को जुल्म करने नहीं दूंगा। ये मेरा उसूल है।"
__ "गुड...मुझे तुम्हारे जैसे बहादुर कलम के सिपाही की ही जरूरत थी।"
"जुल्म किस पर हुआ या होने वाला है और जालिम कौन है...?"
___ "पहले तशरीफ तो रखें कामरेड फिर बताता हूं...।"
करीम कुर्सी पर बैठ गया।
राज ने आंखोंसे जय को संकेत किया | जय मतलब समझते ही बाहर चला गया। राज के मतलब को उसने सहज ही समझ लिया। उसने बाहर जाकर करीम के लिए कुछ नाश्ते पानी का इंतजाम करना था।
राज ने करीम को सिगरेट ऑफर की। करीम ने सिगरेट पैकेट से निकालकर होंठों में दबा ली और राज के जलाने पर उसे स्वयं ही आगे की ओर झुककर सुलगा लिया।
इसी बीच...।
डॉली अंदर दाखिल हुई। उसके चेहरे पर परेशानी के लक्षण स्पष्ट देखे जा सकते थे।
"उन्होंनेरिपोर्ट नहीं लिखी...।" उसने संदिग्ध निगाहों से करीम की ओर देखते हुए राज को बताया।
"रिपोर्ट नहीं लिखी...।"
"हां...।" \
"क्या कहा?"
"कोई सीधे मुहं बात ही नहीं कर रहा था। यहां तक कि एक भवाली किस्म के शातिर अदमी ने एक कोने में ले जाकर मुझे धमकी भी दे दी कि अगर मैंने पुलिस थाने में और हड़कम्प मचाया तो वो मुझे थाने के ऐन बाहर कल्ल कर देगा।"
"कौन था वो बदमाश?" करीम बीच में दखल देता हुआ बोला-"चलो मेरे साथ...अभी...इसी वक्त...मैं भी तो देखू किस में है इतना दम जो पुलिस थाने के बाहर ऐसा दुस्साहस करने की हिम्मत कर रहा है।"
___"नहीं कामरेड...जल्दबाजी नहीं...पहले पूरी बात को समझ लो और उसे अपने समाचार पत्र की हैड लाइन बना दो। उसके बाद की कहानी को मैं संभाल लूंगा।"
"किस्सा क्या है...?"
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"किस्सा ये है कि मिस डॉली...।" राज ने डॉली की ओर संकते करते हुए कहा-" मिस डॉली मेहत का भाई सतीश मेहरा एक पुलिस इंस्पेक्टर है और किसी तरह सतीश की दुश्मनी एक बड़े आदमी से हो गई। उस आदमी की पहुंच बहुत ऊपर तक है। पॉल्टीकल एप्रोच भी बहुत दूर तक है। गुण्डा पावर भी है। उस आदमी ने अपन गुण्डों की मदद से डॉली को किडनेप करने की कोशिश की। नाकामयाब होने पर वो शख्स अपने आदमियों को लेकर पुलिस स्टेशन में ही सतीश पर टूट पड़ा...।" ‘