Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती - Page 4 - SexBaba
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Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती

"मालकिन, अब आप मेरी बुर चूसो आरामा से, रस का मज़ा लो इससे दर्द कम होगा" कहकर मंजू ने मा का सिर अपनी बुर मे डाल लिया और उसे चिपटाकर आगे पीछे होती हुई मा के मुँह पर मुठ्ठ मारने लगी

रघू ने बड़े प्यार से मा के नितंब पकडकर फैलाए और अपना सुपाडा ज़ोर लगाकर अंदर डाल दिया मा का शरीर सिहर उठा और मंजू की बुर मे से ही दबी आवाज़ मे वह चिल्लाई "उईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआअ माररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर डालेगा रे रघू मुझे क्या? लंड है या सोंटा?"

रघू मा की चूत को उंगली से सहलाने लगा "बस मालकिन, अब दर्द नहीं होगा आपने खुद देखा कैसे मुन्ना ने भी आसानी से मेरा ले लिया था अब आप आराम से मेरी अम्मा की बुर चूसो, मैं बड़े प्यार से आपको अपना लौडा देता हूँ"

धीरे धीरे रघू ने अपना लंड मा के गोरे गोरे चूतडो के बीच गाढ दिया वह बहुत प्यार और सावधानी से यह कर रहा था मेरी मारते हुए भी उसने इतनी सावधानी नहीं बरती थी जितनी वह मा की गान्ड मे लंड घुसाते समय बरत रहा था मा ज़रा भी कसमसाती तो वह रुक जाता

पूरा लौडा घुसा कर वह रुका और फिर उसे धीरे धीरे मुठियाने लगा "दर्द तो नहीं हो रहा मालकिन" रघू के पूछने पर मा कुछ नहीं बोली, मंजू की बुर चूसती रही अब वह अपने आप अपने चूतड उछालने की कोशिश कर रही थी मंजू मुस्कराकर बोली "अरे देखता नहीं कैसे मस्त हो गयी है ये रंडी? अब मार आराम से, साली खूब मराएगी अब देखना फालतू नखरा कर रही थी एक बार चस्का लग गया, मुन्ना, तू देखना अब गान्ड मराना ज़्यादा पसंद करेगी तेरी अम्मा"

रघू तुरंत मा पर चढ गया और उसपर लेट कर घचाघाच मा की गान्ड मारने लगा उसके लंबे तगडे लंड के गुदा मे अंदर बाहर होते ही मा फिर कसमसा उठी पर मंजू ने उसका मुँह अपनी चूत पर दबा कर रखा कि वह कुछ बोल ना पाए मुझे बोली "मुन्ना, ज़रा अपनी मा की चूत मे उंगली कर बेटे उसका दाना रगड जैसा मैने सिखाया था अभी और मस्त हो जाएगी"
 
मैं बिस्तर पर बैठकर मा की बुर मे उंगली घुसेडकर अंदर बाहर करने लगा चूत गीली थी अब मैने जब मा का दाना पकडकर मसला तो चूत मे से पानी बहने लगा मा का दबे मुँह कराहना बंद हो गया और वह अपने चूतड हिला कर मेरी उंगली और अंदर लेने की कोशिश करने लगी

रघू अब तक तैश मे आ गया था बोला "चलो हटो तुम दोनों अब मैदान मे मैं हूँ और मालकिन है अब दिखाता हूँ गान्ड मारना क्या होता है! हाय हाय क्या गुदाज नरम नरम गान्ड है मुन्ना तेरी अम्मा की, लगता है मुलायम स्पंज मे लौडा पेल रहा हूँ"

मंजू उठाकर बाजू मे बैठ गयी और मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया मेरे मुँह मे अपनी चूची देकर वह खुद मुठ्ठ मारने लगी "मुन्ना मेरी चूची चूस और तमाशा देख अब मैं उंगली करती हूँ, तू मेरा दाना पकड़" मंजू को सडका लगाने मे मदद करता हुआ मैं मा की गान्ड मारे जाने का तमाशा देखने लगा
अगले आधे घंटे तक रघू ने मा की गान्ड ऐसे चोदी जैसे फाड़ डालेगा मा को दबोच कर उसके मम्मे पकडकर मसलता हुआ वह पूरे ज़ोर से मा की गान्ड मार रहा था बस साँस लेने को बीच मे एकाध मिनिट रुक जाता मा भी अब आँखें बंद करके बिलबिला रही थी और अपनी ही चूत मे उंगली कर रही थी उसके चेहरे पर वेदना भी थी और उतनी ही वासना भी थी "मर गयी रघू बेटे, तूने मेरी फाड़ दी राजा पर बहुत मज़ा आ रहा है रे, रुक मत, लगा ज़ोर से धक्का, फाड़ दे मेरी गान्ड और घुस जा उसमे हाइईईईईईईईईईईईईईईईई उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह याअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरीयीईयी "

आख़िर रघू जब झडा तो ज़ोर से चिल्लाया फिर लस्त होकर मा पर ढेर हो गया मा तैश मे थी अब भी गान्ड चुदाने की कोशिश कर रही थी बेचारी की यह हालत देख कर मंजू बोली "रघू, पलट जा और मालकिन को उपर ले ले मुन्ना को कहती हूँ कि अपनी मा को चोद डाले और झडा दे"

मैं मा पर चढ कर उसे चोदने लगा मा ने मुझे बाँहों मे भर लिया और मेरा मुँह चूमने लगी रघू का लंड अब भी मा की गान्ड मे फंसा था इसलिए चूत खूब टाइट थी मा की गान्ड चुदती देखकर मैं ऐसा उत्तेजित था कि मैने मन लगाकर ज़ोर ज़ोर से मा को खूब चोदा अब तक मैं भी चोदने मे काफ़ी उस्ताद हो गया था इसलिए बिना झडे मैने तब तक मा को चोदा जब तक वह दो बार झड कर लस्त नहीं हो गयी

"मुन्ना झड मत यार, आ मेरी मा की गान्ड मार ले अब मेरा फिर खड़ा हो गया है, मैं तेरी मा की फिर मारता हूँ अम्मा, आज अब रात भर मैं मालकिन की गान्ड ही मारूँगा मज़ा आ गया! तुम ज़रा मुन्ना को अपनी गान्ड दे दो" रघू के कहने पर मैने मंजू की गान्ड मे लंड डाला और मारने लगा

रघू उठकर मा को बाँहों मे लिए कुर्सी मे बैठ गया और मा को गोद मे बिठा लिया मा के मम्मे दबाता हुआ वह मा को चूमने लगा मा लस्त उसकी गोद मे आँखें बंद करके बैठी थी रघू मा का मुँह खोल कर उसके मुँह मे जीभ डालकर मा का मुखरस चाट रहा था मुझे नीचे से मा के चूतडो मे धँसा उसका मोटा लंड दिख रहा था मा की झडी चूत भी एकदमा खुली थी और उसमे से पानी बह रहा था 

मंजू ने मेरी ओर देखा और मुस्करा कर बोली "खजाना देख रहा है अपनी मा का? मेरे भी मुँह मे पानी आ रहा है चल चाटते हैं"
 
हम दोनों मा के सामने जमीन पर बैठ गये और बारी बारी से उसकी बुर चाटने लगे मंजू मेरी गोद मे बैठी थी और मेरा लंड उसकी गान्ड मे फंसा था उसे धीरे धीरे उचक कर मंजू की गान्ड चोदते हुए मैं मा की चूत के रस पर हाथ सॉफ कर रहा था

मा की चूत चाटकर उसे फिर मस्त करके चुदाई आगे शुरू हुई अब हम एक ही पलंग पर पास पास लेट कर एक दूसरे की मा की गान्ड मार रहे थे

झडने के बाद सब एक बार मूतने उठे रघू आगे चला गया मैं भी जा रहा था तो रघू बोला "रुक मुन्ना, अभी मा को जाने दे"
मा बोली "मंजू, बड़ी ज़ोर से पेशाब लगी है चल मुझे बाथरूम ले चल मुझसे चला नहीं जाएगा" वह उठी और मंजू का सहारा लेकर लंगड़ाते हुए धीरे धीरे बाथरूम की ओर निकल पडी

इतने मे रघू वापस आ गया मुझे भी ज़ोर से पेशाब लगी थी मैं बैठा बैठा कसमसा रहा था बोला "रघू, ज़ोर से लगी है, मा और मंजू बाई कब आएँगी? मैं बाहर कर आऊ?"

वह बोला "अरे उन्हें बहुत टाइम लगेगा मेरी मा तो फटाफट मूत लेती है तेरी मा को बहुत टाइम लगेगा बड़े आराम से मज़ा लेकर मूत रही होगी मालकिन तुझे लगी है राजा? आ मेरे पास, मैं करा दूं"

मैं समझा कि वह मुझे वहीं खिड़की से बाहर कराएगा पर उसने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा किया और खुद मेरे सामने नीचे बैठ गया बड़े प्यार से मेरे मुरझाए लंड को उसने चूमा और फिर मुँह मे लेकर चूसने लगा

मुझे अच्छा लग रहा था पर बहुत ज़ोर से पेशाब लगी होने से मैं तिलमिला रहा था रघू का सिर हटाने की कोशिश करने लगा "रघू दादा, छोडो मुझे मूतना है"

उसने मुझे आँख मारी और मेरा लंड चूसता ही रहा आख़िर जब मैं उसके बाल पकडकर खींचने लगा तो लंड मुँह से निकालकर बोला "अरे मूत ना मेरे राजा मेरे मुँह मे मूत"

मैं उसकी ओर देखता ही रहा गया मेरे चेहरे पर का भाव देखकर वह मुस्करा दिया "सच मे मुन्ना कब से चाहत है तेरा प्यारा कमसिन मूत पीने की अरे घबरा मत, मैं गटागट पी जाऊन्गा"

मैं फिर भी शरमा रहा था समझ मे नहीं आ रहा था क्या करूँ रघू फिर बोला "अरे बेटे, उधर तेरी मा भी मेरी मा के मुँह मे मूत रही होगी चल अब नखरा ना कर फिर सब बताता हूँ" कहकर वह फिर मेरी लंड को चूसने लगा
 
मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा था पर अब इतनी ज़ोर से पिशाब लगी थी कि मैं रघू के मुँह मे मूतने लगा रघू के चेहरे पर एक त्ऱुप्ति का भाव उमड आया मेरी कमर मे बाँहें डाल कर उसने कस कर मुझे चिपटा लिया और अपना चेहरा मेरी रानों मे दबा कर वह मेरा मूत पीने लगा

मूतना खतम होते होते मैं उत्तेजित हो गया रघू जिस प्यार से स्वाद लेकर मेरा मूत पी रहा था, मुझे बहुत अच्छा लगा उधर यह कल्पना करके कि मा कैसे मंजू बाई को अपना मूत पिला रही होगी, मुझे और मज़ा आ रहा था आख़िर मे मूतना खतम होने पर मैं रघू का मुँह चोदने लगा पर उसने मुझे झडने नहीं दिया मुँह से लंड निकालकर खड़ा हो गया और मुझे गोद मे लेकर प्यार करने लगा

"मज़ा आ गया छोटे मालिक, प्रसाद मिल गया लंड अब खड़ा रखो साली मेरी अम्मा की कस कर गान्ड मारो रात भर आज रात भर इन दोनों औरतों की गान्ड मार मार कर फुकला करनी है"

मैने पूछा "बताओ ना रघू, ऐसा क्यों करते हो?"

"अरे मज़ा आता है असल मे बहुत पहले से मेरी मा तेरी मा का मूत पीती है उसकी दीवानी है कहती है मालकिन का प्रसाद मिलता है आख़िर तुम लोग हमारे मालिक हो तुम्हारा नमक खाते हैं पर इस तरह से नमक पीने मे और मज़ा आता है"

"तो क्या रोज पीती है मंजू बाई मा का मूत?" मैने आश्चर्य चकित होकर पूछा
"हाँ करीब करीब रोज, ख़ासकर जब मस्त चुदाई होती है तेरी मा भी बड़े मज़े से मूतती है रुक रुक कर बहुत देर प्यार से अपनी नौकरानी को पिलाती है और एक दो बार मैने भी पिया है असल मे मेरी मा मुझे पीने नहीं दे रही थी, कहती थी सिर्फ़ उसका हक है मैने ज़िद करके पी लिया मज़ा आ गया जब फर्श पर मुझे लिटाकर मेरे सिर के उपर उकड़ू बैठकर तेरी मा मेरे मुँह मे मूतती है तो लगता है जैसे देवी माँ का प्रसाद पा रहा हूँ पर यह वरदान बस कभी कभी मिलता है हाँ अपनी मा का मूत मैं रोज पीता हूँ पर मेरे मन मे हमेशा तेरा मूत पीने की इच्छा थी तू मुझे इतना प्यारा लगता है मैं तो बचपन मे ही शुरू हो जाता पर मा बोली, चुदाई शुरू हो जाने दे, फिर पिया कर अब सही है मैं अपने मालिक, तेरा मूत पीऊँगा और मेरी मा अपनी मालकिन का मूत पिएगी"
 
सुनकर मैं लंड पकडकर मुठिया रहा था गरम होकर बोला "रघू, मैं भी मा का मूत पिऊँ?"

"पी लेना बेटे पर अकेले मे आज नहीं मालकिन को खूब खुश करके फिर पूछना, वे मान जाएँगी वैसे किस मा को अपने बेटे को अपना मूत पिलाने मे मज़ा नहीं आएगा! मेरी मा तों इस ताक मे ही रहती है कि कब मैं उसे अकेला मिलूं और कब वह मेरे मुँह मे मूत दे! अब चुप हो जा दोनों आ रही हैं"

मा और मंजू वापस आए, मंजू मुँह पोछ रही थी और खुश लग रही थी मा भी बड़ी तृप्त लग रही थी और मंजू की कमर मे हाथ डालकर उसे अपने पास खींचकर प्यार से चूम रही थी मेरे और रघू के चेहरे के भाव देखकर दोनों हमारी ओर देखने लगीं मंजू ने आँख मार कर कहा "रघू बहुत खुश लग रहा है, क्या बात है?"

रघू चुप रहा और हँसता रहा मा भी समझ गयी होगी पर कुछ नहीं बोली
रघू जाकर कुछ बड़े मद्रासी केले ले आया मंजू को बोला "अम्मा, अब तुम ज़रा अपनी मालकिन की सेवा कर लो, मैं मुन्ना को लंड चूसना सीखा दूं" मैं खुशी से उछल पड़ा और रघू से लिपट गया वह हँसते हुए बड़े प्यार से मुझे गोद मे लेकर बैठ गया उधर मंजू मा को लेकर पलंग पर लेट गयी पहले तो उन्होंने खूब चूमाचाटी की, फिर वी दोनों सीधे सिक्सटी नाइन करने मे जुट गयीं उनका ध्यान हमारी भी ओर था, वे बड़े गौर से देख रही थीं कि रघू कैसे मुझे लंड चूसना सिखाता है

रघू ने केला छीलते हुए बोला "बेटे, इसमे कोई बड़ी बात नहीं है, अपने गले को ढीला करना सीख लो बस अब देख, ये दस इंची मद्रासी केला है, इसे निगलने की प्रैक्टिस कर ले, बिना दाँत लगाए, फिर मेरा क्या, घोड़े का भी लंड निगल लेगा तू तेरी अम्मा को भी मेरी अम्मा ने ऐसे ही सिखाया था याद है ना अम्मा?"

मा की चूत मे से सिर उठाते हुए मंजू बोली "हाँ बेटे, ये रंडी तो आधे घंटे मे सीख गयी थी, मुन्ना भी उसीका चुदैल बेटा है, वो भी फटाफट सीख जाएगा देखना"

"चल मुन्ना मुँह खोल, मैं ये केला तेरे मुँह मे देता हूँ, मुँह बंद नहीं करना निगलते जाना, जितना हो सके बस दाँत नहीं लगाना" मुझे गोद मे बिठाकर रघू मेरे खुले मुँह मे केला पेलने लगा

तीन इंच मोटा वह चिकना केला पहली बार मे मैने करीब एक तिहाई ले लिया और फिर मुझे उल्टी होने लगी रघू ने केला निकाल लिया और मुझे सम्हलने का मौका देकर फिर चालू हो गया "ले ले मुन्ना, समझ मेरा लंड ले रहा है, फिर तुझे मज़ा आएगा, तू नहीं घबराएगा"
 
आख़िर मैने आधे से ज़्यादा केला निगल लिया सात आठ इंच केला मेरे मुँह मे था और आधा मेरे गले के नीचे था मेरा गला बारबार थूक निगलने की कोशिश करता और उससे वह केला और अंदर घुसता जाता आख़िर पूरा केला मेरे मुँह मे चला गया, सिर्फ़ एक छोर बचा जो रघू ने पकड़ कर रखा था

"शाबास मेरे बच्चे, मालकिन, अम्मा, ये तो पाँच मिनिट मे सीख गया" रघू खुश होते हुए मेरे गाल चूम कर केले को मेरे गले मे थोड़ा अंदर बाहर करते हुए कहा "देख मुन्ना, जब मैं तेरे गले को चोदून्गा तो ऐसे लगेगा घबराना मत" और वह केले से मेरा गला चोदने लगा

मा को अब अपने बेटे के नन्हे गले मे अपने चोदू नौकर का तगडा लौडा घुसते देखने की जल्दी हो रही थी "मुन्ना, अनिल बेटे, अब निगल ले रे रघू का लौडा, आख़िर मैं भी देखूं कि इस चुदैल मा के गान्डू बेटे मे कितना दम है!"

रघू का लंड अब तक खड़ा हो गया था कस कर नहीं फिर भी अच्छा ख़ासा लंबा हो गया था "एकदम सही खड़ा है बेटे, तुझे भी तकलीफ़ नहीं होगी आ जा, बैठ जा मेरे सामने" कहकर रघू ने केला मेरे मुँह से निकाल लिया और बाजू मे टेबल पर एक प्लेट मे रख दिया

मैं मुँह खोल कर रघू की जांघों के बीच बैठ गया उसका सुपाडा तो मैने बहुत बारे चूसा था इसलिए उसमे मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई अब रघू ने मेरे सिर के पीछे एक हाथ रखकर उसे सहारा दिया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकडकर पेलने लगा

लंड आराम से मेरे गले मे धँसने लगा केले से मेरा मुँह और गला भी चिकने हो गये थे इसलिए आराम से लंड मेरे मुँह मे उतर रहा था जल्द ही आधे से ज़्यादा लंड मेरे मुँह मे था सुपाडा अब मेरे गले को चौड़ा कर रहा था मेरा दम अब कुछ घुट रहा था पर मैं फिर भी लंड निगलने की भरसक कोशिश कर रहा था पर लंड अब अंदर सरकना बंद हो गया था
रघू ने कुछ देर लंड पेलना बंद कर दिया मेरे बाल सहलाते हुए बोला "कोई बात नहीं मुन्ना, आज काफ़ी सीख गया है, अब बस कुछ देर ऐसा ही बैठा रहा, फिर मैं निकाल लूँगा, तू बस गले को ढीला छोड़ और लंड को गले मे रखने की प्रैक्टिस कर"

मैं रघू का लंड मुँह मे लिए बैठा रहा अब गले मे फँसे उस मासल कड़े होते हुए लंड से मेरा जी घबरा रहा था पर मज़ा भी आ रहा था लगता था लंड नहीं रसीला गन्ना है
 
मंजू बोली "निकाल ले बेटा, अब आ और अपनी मालकिन की गान्ड मार ले फिर से"

"आता हूँ अम्मा, मुन्ना के मुँह से लंड तो निकाल लूँ मुन्ना, तू गला ढीला छोड़ बेटे" मैने गला भरसक ढीला किया और लंड मुँह से निकालने के बजाय रघू ने मेरा सिर पकडकर सहसा कस कर अपने पेट पर दबाते हुए अपने चूतडो के एक जोरदार धक्के से पूरा लंड जड तक मेरे मुँह मे उतार दिया मेरे होंठ रघू के पेट पर आ टिके

मुझे लगा जैसे मेरा दमा घुट जाएगा साँस लेना दूभर हो गया और गला अपने आप खुल बंद होने लगा मेरे छटपटाने को नज़रअंदाज करते हुए रघू ने मेरा सिर कस कर अपने पेट पर दबाए रखा और आगे पीछे होकर मेरा मुँह चोदने लगा 

मेरी बेचैनी देखकर मंजू हँसने लगी "कैसा उल्लू बनाया उसे मुन्ना सोच रहा होगा कि तू लंड बाहर निकाल रहा है"

मा बोली "अरे देख कैसे कर रहा है! उसे साँस तो लेने दे"
रघू बोला "आप चिंता ना करो माजी याद नहीं आपको भी ऐसे ही किया था तब जाकर आप पूरा लंड मुँह मे लेना सीखी थीं अभी देखो दो मिनिट मे मुन्ना शांत हो जाएगा और फिर प्यार से चूसेगा मेरा लौडा"

उसने मेरा सिर कस कर दबाए रखा और बिना किसी दया के मेरा मुँह चोदता रहा आख़िर मेरा गला अपने आप फैलकर उसके मोटे लंड के इर्द गिर्द बैठ गया मेरे थूक की वजह से गला एकदम चिकना भी हो गया था उसमे रघू का लंड फिसल रहा था सुपाडा किसी पिस्टन जैसा गहरा मेरी छाती मे मेरी निगलने की नली को चौड़ा कर रहा था

उस मोटे लंड को चूसने मे अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लग रहा था कि अभी उसमे से वीर्य निकले तो मैं सब पी जाऊ

रघू ने मेरा गला और कुछ चोदा और फिर लंड निकाल लिया मैं झल्लाया क्योंकि रघू के लंड का मैं दीवाना हो चुका था, उसका रस पीना चाहता था पर रघू ने समझाया "अब तेरी मा की गान्ड मारनी है राजा आज मैने प्रण लिया है कि मालकिन की रात भर मारूँगा लंड कहाँ जाता है रे, तुझे फिर चूसा दूँगा अब तो तू लेना भी सीख गया एक और तरीका है लेने का, बड़ा मजेदार और हौले हौले, उसमे ज़्यादा तकलीफ़ भी नहीं होती, वह तुझे बात मे सिखा दूँगा"

मेरे मुँह से लंड निकालकर रघू ने मा की गान्ड मे फिर से ढेर सा मख्खन लगाया और शुरू हो गया मैं भी मंजू पर टूट पड़ा उस रात कोई नहीं सोया बस ऐसे ही हम दोनों बेटे उन चुदैल माताओं की गान्ड चोदते रहे रघू ने तो मा की हालत ख्रराब कर दी रात भर उसकी गान्ड से लंड नहीं निकाला मा को दबोच कर उसपर शिकारी जैसा चढा रहा हचक हचक कर गान्ड मारता, झडता और आराम करने लगता लंड खड़ा होते ही फिर जुट जाता मा अब अधमरी सी लस्त पडी हुई चुपचाप मरा रही थी
 
मैने भी मंजू की गान्ड एक बार मारी पर उसके बाद वह अपनी चूत मे मेरा मुँह लेकर लेट गयी और रात भर मुझसे चुसवाती रही "तेरा यह कमसिन मुँह है ही इतना कोमल और प्यारा कि चोदने को ही बना है राजा मैं या मेरा बेटा इसे हमेशा चोदा करेंगे मुन्ना, नहीं तो मन नहीं भरता हमारा"

सुबह एक बार फिर उसने मुझे अपनी गान्ड चोदने दी बाद मे हमने अपनी अपनी मा की गान्ड जीभ से सॉफ की और उसमे से वीर्य चूसा मुझे बहुत माल मिला, मा की गान्ड मे से आधी कटोरी के करीब रघू का वीर्य मैने चूसा होगा

उस दिन सब इतने थक गये थे कि दिन भर सोए रात को भी कोई चुदाई नहीं हुई दूसरे दिन से हमारी चुदाई सधे ढंग से चल पडी सामूहिक चुदाई अब बस हफ्ते मे एक दो बार किसी किसी रात को होती थी मा ने ही कहा कि बार बार करने से मज़ा चला जाएगा हाँ अकेले मे जोड़ी बनाकर हम कभी भी चोद लेते थे

दोपहर को मैं अक्सर मा के कमरे मे सोता उसका दूध पीते हुए उसे चोदता या उसकी चूत चूसता मा के गोरे मासल शरीर को चूमना मुझे बहुत अच्छा लगता था जब भी मौका मिलता मैं उसकी गोरी पीठ, नितंब या जांघों और पेट को चूमता नितंबों के बीच मुँह छुपाकर मा का गुदा चूसना भी मेरा मनपसंद शौक बन गया था वह मुझपर बहुत खुश थी मुझे अपनी बुर चूसाना और दूध पिलाना उसे बहुत अच्छा लगता था मेरा लंड भी वह खूब चूसती थी अपने कमसिन बेटे के वीर्य का स्वाद उस मस्त कर देता था
मा की गान्ड मारने को मुझे कम मिलती जब वह बहुत मूड मे होती थी या जब मैं उसे चूस कर या चोद कर खुश कर देता था तभी मारने देती वह अपनी गान्ड का इस्तेमाल इनाम जैसे करने लगी थी बात यह थी कि रघू अब उसकी गान्ड के पीछे दीवाना था मा को उससे मरानी ही पड़ती थी नहीं तो वह मा को ना चोदता, ना लंड चूसने देता मा तो उसके लंड की दीवानी थी इसलिए मन भर कर चुदाने के बाद इनामस्वरूप अपनी गान्ड दे देती रघू को

मंजू ने तो मुझे अपनी चूत का गुलामा बना लिया था अपनी मालकिन के बेटे से बुर चुसवाने मे उसे बहुत मज़ा आता बस जब भी हमारी जोड़ी जमती, मेरी सिर अपनी जांघों मे दबाकर शुरू हो जाती घंटों चुसवाने के बाद मुझे अपनी गान्ड मारने देती

रघू से मेरा संभोग कई बार होता अब स्कूल जाते समय वह मुझे नहीं भोगता था क्योंकि घर मे आराम से वह कभी भी मेरे उपर चढ सकता था हाँ बीच मे साइकिल रोक कर मेरा मूत पी लेता जब मा और मंजू आपस मे जोड़ी बनाकर कमरे मे घुस जाते तो रघू मेरे कमरे मे आ जाता वह मेरी गान्ड का दीवाना था ही, घंटों मेरी गान्ड मारता और मुझसे मरवाता मुझसे गान्ड मरवाने मे उसे बहुत मज़ा आता मैं भी मन लगाकर बिना झडे उसकी गान्ड खूब देर तक मारता और उसे संतुष्ट कर देता
 
अब रघू मेरा मुँह भी चोदता खड़ा लंड धीरे धीरे कैसे निगलना यह तो उसने सिखा दिया था अगली बार जब हम दोनों अकेले थे तो उसने दूसरा तरीका भी मुझे सिखा दिया मेरी गान्ड मारने के बाद उसने अपना झडा लंड मेरे मुँह मे दे दिया और बिस्तर पर मेरे बाजू मे लेट गया अपनी जांघों मे मेरा सिर उसने जकड लिया और प्यार से मुझसे अपना झडा लौडा चुसवाता रहा

पहले उसका झडा लंड बड़े आराम से पूरा मेरे मुँह मे आ रहा था नरम नरम गाजर जैसे उस लौडे को जीभ पर लेकर मैं चूसता रहा फिर धीरे धीरे वह खड़ा होने लगा यह भी बड़ी सुखद अनुभूति थी रघू का लंड कड़ा होते हुए आगे सरककर मेरे मुँह मे और गहरा घुसता जा रहा था

जल्द ही वह मेरे गले मे पहुँच गया रघू के सिखाए अनुसार मैने गला ढीला छोड़ रखा था इसलिए मुझे ज़रा भी तकलीफ़ नहीं हुई, आराम से उसका दस इंची मैने गले मे ले लिया

रघू बहुत खुश हुआ "क्या बात है मुन्ना, अब बना है तू मेरा पूरा गान्डू चुदैल गुड्डा पर अब तेरा मुँह चोदून्गा तू चूसता रह" कहकर मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे उपर लेटकर वह मेरा मुँह चोदने लगा

उसने मन भर कर मेरा मुँह चोदा जैसे चूत चोद रहा हो अंत मे तो वह कसकर धक्के लगाता हुआ मेरे गले मे अपना लंड चला रहा था मेरा दम घुट रहा था, उसके पेट ने मेरे चेहरे को पूरा ढक लिया था पर मैं उसके चूतडो को बाँहों मे भर कर उसकी गान्ड मे उंगली करता हुआ मुँह चुदवाता रहा रघू झडा तो उसका वीर्य सीधे मेरे पेट मे गया जबकि मैं उसका स्वाद चखना चाहता था मैने बाद मे उससे शिकायत की तो वह मेरा चुम्मा लेकर बोला कि अगली बार से झडते समय वह लंड आधा बाहर खींच लेगा

उसके बाद उसका यह खेल बन गया घंटों वह मेरे मुँह मे लंड डाले पड़ा रहता और हौले हौले मेरा मुँह चोदता बहुत बार सामूहिक चुदाई मे भी वह यह करता क्योंकि उसका हलब्बी लंड मेरे ज़रा से मुँह मे घुसा देखकर मा और मंजू को भी मज़ा आता था
आख़िर एक दिन मुझे मा की बुर के शरबत का प्रसाद मिल ही गया असल मे मेरे ज़िद करने पर एक बार मंजू ने चुपचाप मुझे भी बाथरूम मे ले जाकर दिखाया कि कैसे वह रघू के मुँह मे मूतती है ज़मीन पर लेट कर अपनी मा को अपने सिर पर बिठाकर उसका मूत पीते हुए रघू को देखकर मैं तैश मे आ गया रघू का खड़ा लंड, उसके मुँह मे मूतती हुई उसकी मा, मंजू की बुर से निकलती हुई खल खल करके उसके बेटे के मुँह मे गिरती मूत की रुपहली धार और उसके चेहरे पर की असीम सुख और वासना की छाया मुझे पागल कर गयी मैं भी मंजू से प्रार्थना करने लगा कि मंजू बाई, मुझे भी अपना मूत पिला दो

वह कानों को हाथ लगाकर बोली "राम राम मुन्ना, यह क्या कहा रहे हो? मैं तुम्हारी नौकरानी हूँ बेटे, जाओ मालकिन से कहो, वह तेरी मा है, ज़रूर तुझे पिला देगी, घबरा मत!"

आख़िर उस दिन दोपहर को मैने अपना प्रसाद पा ही लिया मा आज मुझे दूध पिलाने के बाद मुझसे बुर चुसवाने के बाद अपनी बुर मे उंगली करते हुए बोली "हाय बेटे, आज कुतिया जैसे पीछे से चुदने का बहुत मन कर रहा है रघू बहुत अच्छा चोदता है रे, पर वो तो खेत पर गया होगा जा, एक ककडी या बैंगन ले आ और मेरी मुठ्ठ मार दे"

मैने कहा "मा, मैं चोद देता हूँ ना, मुझे भी पीछे से चोदना आता है, मंजू बाई ने सिखाया था रघू की भी बहुत बार ऐसे आसन मे गान्ड मारी है"

मा अब ज़ोर से हस्तमैथुन कर रही थी बोली "तू बहुत अच्छा चोदता है बेटे पर झड जाता है आज तो घंटे भर चुदाने का मन हो रहा है ऐसा लगता है कि कोई पटक पटक कर चोदे मुझे हर आसन मे तू नहीं चोद पाएगा मेरे लाल!"
 
मैने मा से मिन्नतें की तो वह आख़िर तैयार हो गयी घुटनों और कोहानियों के बल पलंग पर झुक कर बोली "ठीक है आ जा मैदान मे, देखें कितना दम है मेरे इस नाज़ुक बच्चे मे"

मैने उस दिन अपना पूरा ज़ोर लगा दिया इस कुत्ते कुतिया वाले आसन मे मैने एक सधी लय से अपनी मा को इतना चोदा कि वह झड झड कर बिलकुल तृप्त हो गयी बीच मे जब वह आराम करने को लेट गयी तो चूत मे से लंड निकालकर मैं उसकी बुर चूसने लगा बाद मे फिर मा पर आगे से चढकर उसे कस कर चोदने लगा वह नहीं नहीं कहती रह गयी पर मैने उसकी एक ना सुनी
अंत मे जब वह चुद चुद कर अधमरी सी हो गयी तो मैने मा की गान्ड मार ली वह चुपचाप पडी रही और शांति से गान्ड मरवा ली आज मेरे लंड ने मेरा खूब साथ दिया और कस कर खड़ा रहा मेरे झडने के बाद मुझे बाहों मे भरकर अपनी चूची मुँह मे देते हुए मा बोली "आज तो कमाल कर दिया मेरे लाल मा की क्या सेवा की है तूने ले दूध पी ले, थक गया होगा अभी दो घंटे पहले तुझे पिलाया था पर तूने इतना मस्त चोदा है मुझे कि फिर स्तन भर आए हैं मेरे तू सच मे बड़ा मंझा चुदक्कड हो गया है रे!"

मा के स्तन खाली करके मैने मा के सीने मे चेहरा छुपा कर से पूछा "मा, इनाम नहीं दोगी?"

मा मेरी पीठ सहलाती हुई बोली "अब गान्ड तो मार ली तूने! और क्या दूं बोल?" 

मैं थोड़ा शरमा कर बोला "मुझे अपना मूत पिलाओ ना मा! मंजू बाई को तुम पिलाती हो, कभी कभी रघू को भी पिलाती हो मैं भी पीऊंगा"

मा मेरी ओर देखती रही "तुझे रघू ने बताया शायद बदमाश कहीं का! मैं उसी दिन रात को समझ गयी थी उसने तेरा मूत पिया?"

मैने मा को सब बता दिया वह मुस्कराती रही "अरे बड़े चुदैल हैं दोनों मा बेटे! मैने बहुत दिन पहले जब तू छोटा था, एक दिन चिढ कर मंजू को नौकरी से निकाल दिया था मेरी चूत पर इतनी फिदा थी वह कि बार बार मेरी बुर चूसते समय काट खाती थी एक बार तो मेरे पपोटे से खून निकल आया था मैने जब गुस्से मे आकर निकाल दिया तो रोने लगी तब मैने जान बुझ कर उसे सज़ा देने को कहा कि मेरा मूत पिए तो नौकरी पर रख लूँगी पर सज़ा की बजाय ये उसके लिए इनाम हो गया ऐसे मस्त होकर उसने मेरा मूत पिया कि मुझे भी मज़ा आने लगा उसे मूत पिलाने मे"
थोड़ा रुक कर मा आगे बोली "बहुत अच्छा लगता है मुझे उसके मुँह मे मूतकर लगता है उसपर एहसान कर रही हूँ ऐसे पीती है जैसे शरबत हो वो रघू भी दीवाना है पर मंजू मेरे मूत पर अपना अधिकार समझती है, रघू को बस कभी कभी पीने देती है अपने बेटे को अपना मूत पिलाती है और उसे कहती है कि वाहा अपने मालिक का याने तेरा मूत पिए इसलिए जब से वह तुझे चोदने लगा, मैं समझ गयी थी कि अब वो दिन दूर नहीं जब रघू तेरा मूत पीने लगेगा पर बेटे, उनका ठीक है, वे अपना नौकरों का कर्तव्य कर रहे हैं तू क्यों मेरा मूत पीने की ज़िद कर रहा है?"

मैने सिहर कर कहा "मा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैं तुम्हारे शरीर का हर रस चखना चाहता हूँ तुम्हारी गोरी गोरी मोटी मोटी बुर इतनी रसीली लगती है कि मैं पेट भर कर उसमे से शरबत पीना चाहता हूँ पिलाओ ना मा, मेरी कसम, तुम जो कहोगी मैं करूँगा"
 
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