hotaks444
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मा मेरी ओर देखती रही उसकी आँखों मे बड़ा दुलार और वासना थी जब उसने देखा कि मैं सच मे उसका मूत पीना चाहता हूँ तो वह मुझे बाहों मे भर कर बेतहाशा चूमने लगी "चल मेरे लाल, मेरे बच्चे, तेरी ये इच्छा पूरी कर देती हूँ बोल कैसे पिएगा? गिलास मे दूं?"
मैं मचल कर बोला "नहीं अम्मा, मैं तो आपकी बुर से सीधे पीऊँगा औरतें बैठ कर मूतती हैं वैसे मेरे सिर पर बैठकर मूतो चलो ना बाथरूम मे"
मा को हाथ से पकडकर खींचता हुआ मैं बाथरूम ले गया वह हँसती हुई मेरे पीछे पीछे खिंची चली आई उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका लाड़ला उसके मूत का इतना दीवाना हो गया है बाथरूम मे मैं तुरंत ज़मीन पर लेट गया और मा को खींचकर बोला "जल्दी आओ मा, बैठो मेरे मुँह पर"
मा बड़ा नखरा करते हुए आराम से मेरे सिर के दोनों और पैर जमा कर बैठ गयी उसकी बुर अब मेरे मुँह के उपर लहरा रही थी बुर मे से रस टपक रहा था, अम्मा बहुत मस्ती मे आ गयी थी "मंजू और रघू भी ऐसे ही पीते हैं कभी कभी उन्हें खड़े खड़े भी पिलाती हूँ तुझे बाद मे पिलाऊन्गि वैसे मुझे उसमे ज़्यादा मज़ा आता है लगता है जैसे मैं कोई देवी या रानी हूँ और अपने भक्त को सामने बिठा कर अपना प्रसाद दे रही हूँ चल मुँह खोल अब, इतना मुतुँगी तेरे मुँह मे कि तुझसे पिया नहीं जाएगा और गिराना नहीं नहीं तो फिर कभी नहीं पिलाऊन्गि"
"मा, मैं एक बूँद भी नहीं गिरने दूँगा आपके शरबत की" कहकर मैने मुँह खोला और मा बड़ी सावधानी से निशाना लेकर उसमे मूतने लगी खलखलाती एक तेज धार मेरे मुँह मे गिरने लगी मैने मूत मुँह मे ही भर लिया मा ने मूतना बंद कर दिया झल्ला कर बोली "अब निगलता क्यों नहीं मूरख? गुटक जा जल्दी से"
मैने मुँह बंद किया और मा के उस खारे कुनकुने मूत का स्वाद लेने लगा मेरा लंड ऐसे उछल रहा था जैसे झड जाएगा स्वाद ले कर आख़िर मैने मूत निगला और मा को बोला "जल्दी नहीं करो अम्मा, मैं मन लगाकर चख कर पीऊँगा आपका मूत"
मा हँसने लगी "बिलकुल मंजू जैसा करता है तू वह भी कभी कभी आधा घंटा लगा देती है मेरा मूत पीने मे ठीक है, आज धीरे पिलाती हूँ पर समझ ले मेरे लाल, अब से मेरा मूत तुझे ही पिलाऊन्गि मंजू तो कभी कभी पीती है, पर तू तो मेरे साथ ही रहेगा जब पिशाब लगेगी, तेरे मुँह मे करूँगी बोल है मंजूर?"
मैं तो खुशी से उछल पड़ा मा ने अगले दस मिनिट मुझे बहुत प्यार से अपना मूत पिलाया बीच मे वह थक कर उठ कर दीवाल से टिक कर खडी हो गयी "पैर दुख रहे हैं बेटे आज अब खड़े खड़े पिलाती हूँ आ जा मेरी टाँगों के बीच बैठ जा और मुँह उपर करके मेरी बुर से सटा दे देख कैसे मस्त पिलाती हूँ और अब ज़रा जल्दी जल्दी पी, मैं ज़ोर से मुतुँगी अब"
मैं मचल कर बोला "नहीं अम्मा, मैं तो आपकी बुर से सीधे पीऊँगा औरतें बैठ कर मूतती हैं वैसे मेरे सिर पर बैठकर मूतो चलो ना बाथरूम मे"
मा को हाथ से पकडकर खींचता हुआ मैं बाथरूम ले गया वह हँसती हुई मेरे पीछे पीछे खिंची चली आई उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका लाड़ला उसके मूत का इतना दीवाना हो गया है बाथरूम मे मैं तुरंत ज़मीन पर लेट गया और मा को खींचकर बोला "जल्दी आओ मा, बैठो मेरे मुँह पर"
मा बड़ा नखरा करते हुए आराम से मेरे सिर के दोनों और पैर जमा कर बैठ गयी उसकी बुर अब मेरे मुँह के उपर लहरा रही थी बुर मे से रस टपक रहा था, अम्मा बहुत मस्ती मे आ गयी थी "मंजू और रघू भी ऐसे ही पीते हैं कभी कभी उन्हें खड़े खड़े भी पिलाती हूँ तुझे बाद मे पिलाऊन्गि वैसे मुझे उसमे ज़्यादा मज़ा आता है लगता है जैसे मैं कोई देवी या रानी हूँ और अपने भक्त को सामने बिठा कर अपना प्रसाद दे रही हूँ चल मुँह खोल अब, इतना मुतुँगी तेरे मुँह मे कि तुझसे पिया नहीं जाएगा और गिराना नहीं नहीं तो फिर कभी नहीं पिलाऊन्गि"
"मा, मैं एक बूँद भी नहीं गिरने दूँगा आपके शरबत की" कहकर मैने मुँह खोला और मा बड़ी सावधानी से निशाना लेकर उसमे मूतने लगी खलखलाती एक तेज धार मेरे मुँह मे गिरने लगी मैने मूत मुँह मे ही भर लिया मा ने मूतना बंद कर दिया झल्ला कर बोली "अब निगलता क्यों नहीं मूरख? गुटक जा जल्दी से"
मैने मुँह बंद किया और मा के उस खारे कुनकुने मूत का स्वाद लेने लगा मेरा लंड ऐसे उछल रहा था जैसे झड जाएगा स्वाद ले कर आख़िर मैने मूत निगला और मा को बोला "जल्दी नहीं करो अम्मा, मैं मन लगाकर चख कर पीऊँगा आपका मूत"
मा हँसने लगी "बिलकुल मंजू जैसा करता है तू वह भी कभी कभी आधा घंटा लगा देती है मेरा मूत पीने मे ठीक है, आज धीरे पिलाती हूँ पर समझ ले मेरे लाल, अब से मेरा मूत तुझे ही पिलाऊन्गि मंजू तो कभी कभी पीती है, पर तू तो मेरे साथ ही रहेगा जब पिशाब लगेगी, तेरे मुँह मे करूँगी बोल है मंजूर?"
मैं तो खुशी से उछल पड़ा मा ने अगले दस मिनिट मुझे बहुत प्यार से अपना मूत पिलाया बीच मे वह थक कर उठ कर दीवाल से टिक कर खडी हो गयी "पैर दुख रहे हैं बेटे आज अब खड़े खड़े पिलाती हूँ आ जा मेरी टाँगों के बीच बैठ जा और मुँह उपर करके मेरी बुर से सटा दे देख कैसे मस्त पिलाती हूँ और अब ज़रा जल्दी जल्दी पी, मैं ज़ोर से मुतुँगी अब"