XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 5 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

“क्या जथूरा ने बुरी विद्या ग्रहण की है?”

कोई भी विद्या बुरी नहीं होती। बात उसको इस्तेमाल की है। कि उसका कहां इस्तेमाल हो रहा है।”

तो क्या जथूरा विद्या का बुरा इस्तेमाल कर रहा है?

” ये तुमने कैसे सोचा?

” क्योंकि वो देवराज चौहान और मोना चौधरी से डर रहा...।”

नहीं..नहीं । डर नहीं रहा। सिर्फ सावधानी। सतर्कता बरत रहा है जथूरा। उसकी विद्या ने उसे संकेत दिया कि देवा और मिन्नो का इस वक्त पूर्वजन्म की दुनिया में आने का संयोग बन सकता है। ऐसा न हो, इसलिए देवा और मिन्नो को जथूरा इसी धरती पर लड़ाकर, उसमें दुश्मनी बढ़ा देना चाहता है। इसी काम के लिए मुझे भेजा गया है। उनमें दुश्मनी बैठेगी तो वो एक कैसे होंगे। एक नहीं होंगे तो, पूर्वजन्म की दुनिया में प्रवेश नहीं करेंगे। कर भी गए तो दुश्मनी की वजह से दोनों मिलकर काम नहीं करेंगे। इसी में जथूरा का फायदा है।”

“तौ जथूरा दोनों को एक नहीं होने देना चाहता।”

“बिल्कुल सही बात ।” मोमो जिन्न ने अपनी गर्दन हिलाई–देवा और मिन्नों के एक हो जाने से, उनके ग्रह बलशाली हो जाते हैं तब वो मिलकर, बड़ी-से-बड़ी शक्ति को भी पस्त कर सकते हैं।”

ओह, तो ये बात है।” सपन चड्ढा ने सिर हिलाया_“इसके लिए जरूरी है कि मोना चौधरी मेरे से मिलने आए।”

बहुत जरूरी है।

” वो न आई तो?”

वो आएगी।” मोमो जिन्न मुस्करा पड़ा-“जथूरा की रहस्यमय ताकतें उसे तुम तक आने को मजबूर करेंगी। मिन्नो को ये बात महसूस भी नहीं हो सकेगी कि कोई उसे धकेल रहा है। एक बार नील सिंह को मिन्नो से बात तो कर लेने दे।”

नील सिंह?

” वो ही, नीलू महाजन । नील सिंह उसके पूर्वजन्म का नाम है।”

कभी-कभी तुम मुझे पागल लगते हो।” सपन चड्ढा के होंठों से निकला। |

"मुंह बंद रख। तूने ब्रुश किया नहीं लगता। बास आ रही है।”
मोमो जिन्न चिढ़कर कह उठा।

‘उल्लू का पट्ठा।' सपन चड्ढा बड़बड़ा उठा।

क्या बोला तू?

” जथूरा महान है।” सपन चड्ढा हड़बड़ाकर कह उठा।

तेरे में जथूरा का सच्चा गुलाम बनने के गुण हैं। तू मेरे साथ क्यों नहीं चलता, जथूरा के पास?” ।

“नहीं, मुझे नहीं जाना कहीं। तू तो मेरे पीछे ही पड़ गया है।”

“अगली बार काम पड़ा तो जथूरा से कहूंगा कि तेरे पास लोमा को भेजे। तब तेरे सिर में एक बाल नहीं बचेगा।”

“मैं नया घर ले लूंगा। लक्ष्मण दास से दोस्ती छोड़ दूंगा। बिजनेस बदल लूंगा। तब तुम लोग मुझे नहीं ढूंढ़ सकोगे।” सपन चड्ढा ने गुस्से से कहा-“मैं दुखी हो गया हूं तुमसे ।”

बच्चा है अभी तू...।” मोमो जिन्न ठठाकर हंस पड़ा।

तब तुम लोखी हो गया हूं उठाकर हंस पड़ा
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मोना चौधरी गहरी नींद में थी, जब फोन बजने लगा।
सुबह चार बजे वो एक काम को निबटाकर लखनऊ से लौटी थी और आते ही बिस्तर पर ढेर हो गई थी। व्यस्तता के कारण दो दिन से वो ठीक से नींद नहीं ले पाई थी। अब शाम के चार बज रहे थे। | मोना चौधरी सोई रही। फोन बजने का एहसास उसे हुआ।
परंतु उठाया नहीं उसे।।

बेल बंद होकर दोबारा फोन बजने लगा। मोना चौधरी की बंद पलकें हिलीं। फिर शरीर हिला । आंखें बंद
ही रहीं उसकी। फिर उसका हाथ बेड पर फिरने लगा। हाथ से फोन टकराया तो कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान पर रख लिया।

"हैलो।”

बेबी...कैसी हो?” महाजन की आवाज कानों में पड़ी।

एकदम ठीक। सुबह ही काम से लौटी हूं।”

एक काम है तुम्हारे लिए।

बहुत थकी हुई हूं। अभी कोई काम नहीं करना ।” मोना चौधरी की आंखें अभी भी बंद थीं।

एक कत्ल और तीन करोड़ रुपया ।

” मोना चौधरी ने गहरी सांस ली और आंखें खोल दीं।

कोई पागल मिला होगा तुमसे।” मौना चौधरी ने कहा-“एक कत्ल का तीन करोड़। सम्भव नहीं।” ।

“वो आदमी तुम्हें ढूंढता हुआ मेरे पास आया और अपना कार्ड दे गया। सपना चड्ढा नाम है उसका। अच्छा बिजनेसमैन है। कीमती कार पर आया था। कह रहा था कि मोना चौधरी को इस काम के लिए तैयार कर लें तो पांच-सात लाख मुझे भी दे देगा।”

किसे मारना है?” ।

मेरे से इस बारे में बात नहीं की, पता सुन लो। बात कर लेना उससे ।” कहकर उधर से महाजन ने सपन चड्ढा का पता बताया।
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मोना चौधरी नहा-धोकर तैयार हुई तो शाम के छ: बज रहे थे।

कोई काम नहीं था उसे । दिन-भर सोए रहने की वजह से उसने खाया भी कुछ नहीं था। वो फ्लैट लॉक करके बाहर निकली कि सामने वाले फ्लैट का जरा-सा दरवाजा खोले, मुंडी बीच में फंसाए नंदराम को झांकते पाया।

“किया हाल है मोना डार्लिंग?” नंदराम दांत फाड़कर कह उठा।

बढ़िया।”

सांई, आ जा नीं। कल की बियर रखी है फ्रिज में, एकदम चिल्ड है नी। दोनों मारते हैं।” ।

तेरी बीवी किधर है?” मोना चौधरी मुस्कराई।

वड़ी, वो तो तीन दिन से घर नेई लौटी। बॉस के साथ वो काम में बोत बिजी है नी ।”

काम?

” हां नी ।”

कौन-सा काम?

” वड़ी काम नी,

कोई भी काम ।” मोना चौधरी मुस्कराई और आगे बढ़ गई।

सुन नी, वो चिल्ड बियर।” पीछे से नंदराम की आवाज कानों में पड़ी।

मोना चौधरी कार पर पास के बाजार में पहुंची और वहां से बर्गर और कॉफी लेकर अपनी कार में आ बैठी। बर्गर खाने लगी। साथ ही कॉफी के घूट भी लेती जा रही थी।

तभी उसके दिमाग में सपन चड्ढा का नाम आया। उसका पता भी याद आया । मोना चौधरी की सोचें सपन चड्ढा की तरफ मुड़ गईं।

वो एक कत्ल की खातिर तीन करोड़ उसे देने को तैयार है। मोल-भाव करके रकम बढ़ भी सकती है। सौदा बुरा नहीं। इस वक्त हाथ में कोई काम भी नहीं था।

एक बार उससे मिल लेने में क्या हर्ज है? | मोना चौधरी ने फोन करने की सोची।

फिर फोन करने का ख्याल छोड़ दिया और सीधा, उसके पास पहुंचने का प्रोग्राम बनाया। महाजन ने उसे बताया था कि उसके इंतजार में वो दिन भर अपने बंगले पर रहेगा। | मोना चौधरी ने दो बर्गर और कॉफी खत्म की फिर सपन चड्ढा के बंगले की तरफ कार दौड़ा दी। वो इन सब खयालों को अपना खयाल समझ रही थी। ये बात तो मोना चौधरी सोच भी नहीं सकती थी कि जथूरा की ताकतें उसके आस-पास काम कर रही हैं, वो ही उसके खयालों को बना-बिगाड़ रही हैं।
 
मोना चौधरी सपन चड्ढा के बंगले पर पहुंची। दरबान को अपना नाम बताया तो उसने फौरन मोना चौधरी को भीतर जाने को कहा कि सेटजी आपका इंतजार कर रहे थे, साथ ही उसने बंगले के भीतर इंटरकॉम कर दिया कि मैडम मोना चौधरी मिलने आ गई है। चंद पलों में ही मोना चौधरी बंगले के ड्राइंग रूम में मौजूद थी।

सपन चड्ढा फौरन एक कमरे से निकलकर वहां आ पहुंचा।

मोना चौधरी की खूबसूरती देखकर पल भर के लिए सकपकाया।

उसने आगे बढ़कर मोना चौधरी से हाथ मिलाया। तुम सपन चड्ढा हो?” मोना चौधरी ने पूछा।

हां। तुम मोना चौधरी हो। शुक्र है कि तुम मुझसे मिलने आ गई। वरना मैं तो बुरा फंसा पड़ा हूं।” सपन चड्ढा कह उठा।

“तुम मेरे लिए आज महाजन के पास गए थे?” ।

“हां। बैठ जाओ। आराम से बात करते हैं।” फिर दूर मौजूद नौकर से कह उठा-“कॉफी और खाने-पीने का सामान जल्दी लाओ ।”

नौकर तुरंत चला गया। मोना चौधरी बैठ चुकी थी।

सपन चड्ढा भी बैठा। उसकी छिपी निगाह इधर-उधर नीचे की तरफ फिरने लगी। जल्दी ही उसे तीन इंच का मोमो जिन्न नजर आ गया, जो कि सोफे के पाए के साथ चिपका उसे देख रहा था। दोनों की नजरें मिलीं तो मोमो जिन्न ने दांत फाड़े, तो सपन चड्ढा ने तुरंत उस पर से नजरें हटा लीं। | मोमो जिन्न सोफे के पीछे से होता मोना चौधरी से नजरें बचाकर, कुछ दूर रखे प्लास्टिक के फूलों के फूलदान के पास पहुंचा, जिनके बीच कैमरा रखा हुआ था। उसने एक बटन दबाकर कैमरा चालू कर दिया।

“तुम चुप क्यों हो गए?” मोना चौधरी ने पूछा।

सोच रहा हूं कि बात कैसे शुरू करूं।” सपन चड्ढा धीमे स्वर में बोला-“मेरा एक दोस्त था लक्ष्मण दास । लेकिन अब मेरी उससे जबर्दस्त दुश्मनी हो गई है। वो मुझे मार देना चाहता है।”

दुश्मनी की वजह?”

“पैसे का लेन-देन। मैंने उससे बहुत पैसा लिया। परंतु लौटाता रहा। आखिरी किश्त पांच करोड़ की थी। परंतु उससे वो पांच करोड़ कोई छीनकर ले गया। जबकि मैं उसे दे चुका था। वो पुनः मेरे से पांच करोड़ मांगने लगा। मैंने देने को मना कर दिया कि मैंने उसे लौटा दिया था। बस इसी बात को लेकर, उसकी मेरी बिगड़ गई।”

फिर?”

उसने गुस्से में मेरे को मारने का काम किसी को तीन करोड़ में दे दिया। लेकिन ये बात किसी से मुझे पता चल गई।”

तीन करोड़ में!

” हां ।” ।

तो अब तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे दोस्त लक्ष्मण दास को खत्म कर दें?” मोना चौधरी बोली।

नहीं, वो पागल है। जैसा भी है, कभी मेरा दोस्त रहा है वो। मैं उसकी जान नहीं लेना चाहता।”

“तो?”

मैं चाहता हूं तुम उसे मार दो, जो मुझे मारना चाहता है। उसके मरने पर मैं लक्ष्मण दास से बात करके कह दूंगा कि उस आदमी को मैंने खत्म करवाया है, जिसे उसने मुझे मारने पर लगाया था। अब की बार उसने फिर ऐसी कोशिश की तो मैं उसे खत्म कर दूंगा। ये सुनकर वो डर जाएगा। पीछे हट जाएगा। फिर मुझे मारने की कोशिश नहीं करेगा।”
 
“बचकानी बात है तुम्हारी। तुम्हें लक्ष्मण दास को खत्म करवाना चाहिए।” ।

मैं उसकी जान नहीं लेना चाहता । वो बुरा आदमी नहीं है। लेकिन इस वक्त उसका दिमाग खराब हुआ पड़ा है। मैं भी तुम्हें तीन करोड़ रुपया दूंगा अगर तुम मेरा ये काम कर दो।” कहकर चड्ढा ने गहरी सांस ली।

मोना चौधरी ने फौरन कुछ नहीं कहा।

तभी नौकर ट्रे में कॉफी और खाने का सामान लाया और वहां रख गया।

“तुम्हारे दोस्त ने किसे तैयार किया है तुम्हें मारने को?

” “देवराज चौहान को ।

” मोना चौधरी बुरी तरह चौंकी । “देवराज चौहान?”

वो बहुत बड़ा डकैती मास्टर है। खतरनाक है।”

मोना चौधरी के दांत भिंचते चले गए। नजरें सपन चड्ढा पर थीं।।

सपन चड्ढा उसके चेहरे पर उभरे भाव देखकर घबरा गया। “क...क्या हुआ तुम्हें?” उसने हड़बड़ाकर पूछा।

देवराज चौहान बहुत देर से बचता आ रहा है मेरे हाथों से।” मोना चौधरी गुर्रा उठी।

सपन चड्ढा की जान वापस लौटी। “तुम मेरा ये काम करोगी?" ।

हां। अब देवराज चौहान मेरे हाथों से नहीं बचेगा।”

मैं ये काम जल्दी चाहता हूं।”

जल्दी ही होगा। आज क्या तारीख है?” मोना चौधरी का खूबसूरत चेहरा गुस्से से धधक उठा था।

*23 जून।”

“तो नोट कर लें। 30 तारीख तक देवराज चौहान खत्म होगा।” मोना चौधरी ने दांत पीसते हुए कहा और खड़ी हो गई।

“मैं तुम्हारा पैसा...।”

“तैयार रखना। मैं कभी भी मंगवा लूंगी।”

सपन चड्ढा ने सिर हिलाया।

कोई खबर कि देवराज चौहान कहां मिलेगा?

” नहीं।” ।

कोई बात नहीं ढूंढ़ लूंगी उसे ।” मोना चौधरी ने कहा और पलटकर बाहर की तरफ बढ़ गई।

कॉफी—कॉफी तो पी जाओ।”

परंतु तब तक मोना चौधरी बाहर निकल चुकी थी।

मोमो जिन्न ने कैमरे का बटन बंद किया और एकाएक वो चार फीट का हो गया। वो मुस्करा रहा था। आगे बढ़ा और मोना चौधरी वाली सोफा चेयर पर बैठता कह उठा।

जथूरा महान है।”

सपन चड्ढा ने मोमो जिन्न को देखा।

मिन्नो कमजोर मोहरा है। जथूरा ने ये शब्द मुझसे कहे थे।” मोमो जिन्न बोला।

कमजोर मोहरा?” सपन चड्ढा के चेहरे पर उलझन उभरी।

हां, मिन्नो को गुस्सा जल्दी आ जाता है। खासतौर से देवा का जिक्र आते ही।”
 
“तुम्हारी बातें मेरी समझ से बाहर हैं मोमो जिन्न ।”

“मैं भी यूं ही तुझसे माथा मारने बैठ जाता हूं उठो और कैमरे की रिकार्डिंग वहां तक साफ कर दो, जब तक तुम्हारी मिन्नो के साथ पहले की बातें हैं। बात वहां से शुरू होनी चाहिए, जब देवराज चौहान का जिक्र आया।”

“तो तुम उसका क्या करोगे?”

“मैं उसे लक्ष्मण दास को दूंगा। आगे जो करना है, लक्ष्मण दास ही करेगा।”

लेकिन इस रिकार्डिंग का वो क्या करेगा?

” देवा को दिखाएगा।”

क्यों?”

ताकि वो मिन्नो को मारने को तैयार हो जाए। मिन्नो, देवा को मारने के लिए उग्र स्वभाव की है, परंतु देवा, मिन्नों को मारने में जरा भी उग्र नहीं है। वो शांत दिमाग से काम लेता है। उसे तैयार करने में लक्ष्मण दास को मेहनत करनी पड़ेगी।"

“तुमने मुझे बताया कि लक्ष्मण दास उसे तीन करोड़ का ऑफर देगा?”

“हां। मेरे कहने पर उसने तीन करोड़ तैयार रखे हैं।”

फिर तो वो तीन करोड़ का नाम सुनते ही तैयार हो जाएगा।”
वो ऐसा नहीं है। मिन्नो के रास्ते में आने से पहले वो दस बार सोचेगा।”

डरता है वो मोना चौधरी से?”

डरता नहीं है, लेकिन सोच-समझ के चलता है। तू सवाल बोत पूछता है।

“तुम्हारी बातें अजीब-सी होती हैं। मेरे मन में उत्सुकता पैदा करती हैं।” ।

तू पागल का पागल ही रहेगा।”

अब तो मैंने तुम्हारा काम कर दिया।” अब तो तुम मेरे पास फिर नहीं आओगे? मुझे तंग नहीं करोगे?”

तू मेरा गुलाम है। मोमो जिन्न जिसे अपना गुलाम बना लेता है, उसे आसानी से नहीं छोड़ता।” ।

लेकिन तुमने तो कहा था कि...।”

“मेरे कहे पर तुमने भरोसा कर लिया। तू तो बड़ा मूर्ख है। चल, कैमरे की रिकार्डिंग निकालकर मुझे दे।”

‘कमीना–कुत्ता!' सपन चड्ढा होंठों ही होंठों में बड़बड़ाया।

क्या कहा?

" जथूरा बहुत महान है।”

सच में यही कहा?" मोमो जिन्न ने उसे घूरा।

कसम से, तेरी कसम ।” ।

“तू जथूरा का सच्चा गुलाम बनने की काबिलीयत रखता है। तेरे को मैं अपने साथ उस दुनिया में जथूरा के पास ले चलूंगा। जथूरा तेरे जैसा सेवक पाकर खुश होगा।” मोमो जिन्न एकाएक मुस्करा पड़ा।
 
न...नहीं। मैं नहीं जाऊंगा।” सपन चडूढ़ा तेज स्वर में बोला।

तेरे को तो पता भी नहीं चलेगा जब मैं ले जाऊंगा। तेरी आंख जथूरा की दुनिया में ही खुलेगी। एक बार फिर बोल ।”

क्या?

” जथूरा महान है।”

नहीं बोलता।” सपन चड्ढा ने होंट भींचकर कहा।

बोल, नहीं तो तेरे सारे कपड़े उतरवाकर बाहर भेज दूंगा। मेरी शक्तियों को तू अभी जानता नहीं ।”

ऐसा मत करना।” सपन चडूढा घबराकर कह उठा।

तो बोल ।

” जथूरा महान है।” सपन चड्ढा जल्दी से कह उठा।

तरक्की करेगा। जथूरा का गुलाम बनने के सब गुण तेरे में हैं। जथूरा खुश होगा तेरे से।”
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देवराज चौहान कल सुबह बंगले से निकला था। उसे, जिससे मिलना था, वो सुबह ही मिलता था। तब जगमोहन गहरी नींद में था। देवराज चौहान नहीं जानता था कि उसका सफर बहुत लम्बा और खतरनाक होने वाला है। अपनी तरफ से तो वो साधारण से काम के लिए निकला था और वो काम सुबह नौ बजे तक निबट भी गया था।

उस वक्त वो कार पर वापस बंगले की तरफ जा रहा था जब उसका फोन बजा।

“हेलो।” देवराज चौहान ने बात की।

देवराज चौहान ।”

दूसरी तरफ से लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी—“तुम देवराज चौहान ही हो न?”

देवराज चौहान को महसूस हुआ कि वो घबराया हुआ है।

हां, लक्ष्मण दास ।” देवराज चौहान ने कहा।

“ओह, तुमने मुझे पहचान लिया। लक्ष्मण दास हूँ मैं। तुम...तुम कहां हो?” ।

मुम्बई में...क्यों?”

मुम्बई, ओह तुम फौरन मेरे पास दिल्ली आ जाओ। मेरे पास तुम्हारे काम की खबर है। बहुत ही जरूरी ।”

मैं अभी नहीं आ सकता।”

“समझा करो। तुम्हारे काम की खबर है। मोना चौधरी तुम्हें मारना चाहती है।”

मोना चौधरी?” देवराज चौहान के होंठ सिकुड़ गए।

इश्तिहारी मुजरिम मोना चौधरी, नाम सुना है कभी?”

अच्छी तरह जानता हूं उसे ।” देवराज चौहान ने कहा-“तुम कैसे कह सकते हो कि मोना चौधरी मुझे मारना चाहती है?”
“मेरे पास एक सी.डी. है। उसे देखोगे तो तुम समझ जाओगे। तीन करोड़ में उसने तुम्हारी हत्या का ठेका लिया है। ये तो अच्छा हुआ कि मैं तुम्हें जानता हूं, वरना मोना चौधरी ने चुपके से तुम्हारा गला काट देना था।”

तुम्हारे पास वो सी.डी. कहां से आई?”

सब बातें फोन पर नहीं हो सकतीं । तुम मेरे पास आ जाओ। सब बता दूंगा।” उधर से लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।

देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे।

*आ रहे हो न?”

हां। तीन घंटे तक तुम्हारे पास होऊंगा।”

“आओ आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।”

देवराज चौहान ने फोन बंद करके जेब में रखा और कार को सड़क के किनारे रोका। कार में छिपाकर रखी मूछे निकालकर होंठों पर चिपकाईं। शीशे में देखा। मूंछे ठीक तरह से लगाईं। उसके बाद कार को एयरपोर्ट की तरफ दौड़ा दिया। मन-ही-मन वो हैरान था कि तीन करोड़ में मोना चौधरी उसे मारने जा रही थी। जबकि वो जानती थीं कि उस पर हाथ डालना आसान नहीं है। देवराज चौहान पहले कुछ नहीं सोचना चाहता था। पहले वो लक्ष्मण दास की सारी बात सुनना चाहता था। सी.डी. देखना चाहता था, जिसका जिक्र लक्ष्मण दास ने किया था। वो यही सोच रहा था कि जो भी हो, मोना चौधरी को उसके रास्ते में नहीं आना चाहिए। जैसे कि वो कभी भी मोना चौधरी के रास्ते में नहीं आता।।
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दिल्ली।। दोपहर 1.30 बजे।

देवराज चौहान लक्ष्मण दास के बंगले पर पहुंचा।

लक्ष्मण दास बेसब्री से उसका इंतजार करता मिला। वो उसे सीधा अपने बेडरूम में ले गया।

“अच्छा हुआ जो तुम फौरन आ गए।” दवाजा बंद करता लक्ष्मण दास बोला—“वरना जब से ये खबर मुझे पता चली है, मैं घबराया हूँ तब से ।”

देवराज चौहान बैठा और सिगरेट सुलगा ली।

क्या लोगे-चाय-टण्डा–गर्म-आज तो गर्मी बहुत है, बियर...?”

“जिस बात के लिए तुमने मुझे बुलाया है, वो बात करो।” देवराज चौहान ने कहा।

ठीक है। खाना-पीना तो बाद में भी हो जाएगा।” लक्ष्मण दास ने कहकर चोर नजरों से बेड के तकिए की तरफ देखा जहां तीन इंच का मोमो जिन्न तकिए की ओट में बैठा हुआ था।

लक्ष्मण दास ने गहरी सांस ली और दूसरी तरफ देखने लगा।

तुम परेशान हो।” देवराज चौहान बोला।

“तुम्हारी वजह से। मोना चौधरी तुम्हें मारना चाहती है। वो...।”

पूरी बात बताओ।”
“वो दरअसल ।” लक्ष्मण दास ने सोच-भरे स्वर में कहा-“मेरा एक खास यार था, सपन चढ़ा। बचपन का यार है, परंतु महीना भर पहले मेरी उससे इस हद तक बिगड़ गई कि हममें तगड़ी दुश्मनी हो गई। वो जानता है कि तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता बढ़िया है, ऐसे में उसे डर लगा कि कहीं मैं तुम्हें कहकर उसे खत्म न करवा दूं।”

तो इसी डर से उसने मोना चौधरी से सम्पर्क बनाया। उसे अपने पास बुलाया और तीन करोड़ में तुम्हें मारने का काम दे दिया।” ।

हैरानी है कि सपन चड्ढा ने मुझे मारने का काम उसे दिया, जबकि उसे चाहिए था कि तुम्हें खत्म करवाता।”

लक्ष्मण दास ने गहरी सांस लेकर कहा।

हममें दुश्मनी अवश्य हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं कि मैं उसकी जान ले लें। परंतु सपन के मन में वह्म भर गया है कि मैं तुम्हारे हाथों उसे खत्म करा दूंगा। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। सपन के इस कदम से कि, मोना चौधरी तुम्हें खत्म कर दे, मैं समझ गया कि वो भी मेरी जान नहीं लेना चाहता। लेकिन मोना चौधरी तुम्हें खत्म करना चाहती है।”

“तुम्हें कैसे पता चला कि तुम्हारे दोस्त ने मोना चौधरी से इस बारे में बात की है?”

“सपन का मैनेजर है, जो उसकी खबरें मुझे देता रहता है। उसी ने सब कुछ बताया, बल्कि सपन की मोना चौधरी से मिलने के वक्त की रिकार्डिंग भी कर ली और सी.डी. तैयार करके मुझे दे दी। इस तरह मुझे पता चला तो मैंने तुम्हें...।” ।

वो सी.डी. दिखाओ।”

लक्ष्मण दास ने फौरन डी.वी.डी. पर सी.डी. लगाकर टी.वी. चला दिया।

सी.डी. वहां से शुरू हुई, जहां देवराज चौहान का नाम आया था।

सब देखा-सुना देवराज चौहान ने। सी.डी. खत्म हो गई। एक सप्ताह में मोना चौधरी तुम्हें खत्म कर देगी।”

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा।

“तुम मेरी वजह से इस मामले में फंसे हो ।

” “तो?”

मैं भी तुम्हें तीन करोड़ दूंगा।”

“वो क्यों?”

“ताकि तुम मौना चौधरी को खत्म कर दो।” लक्ष्मण दास ने कहा-“मैंने तीन करोड़ तैयार कर रखा है तुम्हारे लिए।”
 
ये तुम्हारा नहीं मेरा काम है।” मेरी वजह से तुम...।” “मोना चौधरी से मेरी बहुत पुरानी पहचान है। तुम इस बात को नहीं समझोगे लक्ष्मण दास ।”

लक्ष्मण दास देवराज चौहान को देखने लगा। मोना चौधरी का क्या करोगे?

” अभी कह नहीं सकता।

” “अभी तुम मेरे पास, यहीं पर रहो।” लक्ष्मण दास बोला–“सपन का मैनेजर मोना चौधरी के बारे में कोई नई खबर दे सकता है। तुम्हारे काम की हो सकती है।”

“मेरा तुम्हारे पास रहना ठीक नहीं। मैं कहीं होटल में रहूंगा और बता दूंगा कि किस होटल में हूं।”

“जैसी तुम्हारी मर्जी।” लक्ष्मण दास के चेहरे पर चिंता थी। देवराज चौहान बंगले से चला गया।

लक्ष्मण दास जब उसे छोड़कर वापस कमरे में आया तो मोमो जिन्न को चार फीट का, कुर्सी पर बैठे देखा।

“तुम तो कमाल के एक्टर हो। कितनी अच्छी तरह से तुमने देवा को बेवकूफ बनाया ।” ।

“देवराज चौहान को गलत बात कहना मुझे अच्छा नहीं लगा।” लक्ष्मण दास ने नाराजगी से कहा।

“अपने प्यारे मोमो जिन्न के लिए तुम्हें सब कुछ करना पड़ेगा लक्ष्मण दास ।” मोमो जिन्न ने बेढंगे-से दांत फाड़े।

सब कुछ नहीं। सिर्फ यही काम।

” । सब कुछ।” मोमो जिन्न हंसा ।।

तुमने सिर्फ इसी काम के लिए कहा था।”

अब तुम मेरे गुलाम हो। वो ही करोगे जो मैं कहूंगा, वरना अभी तुम्हारा दिमाग घुमा दूंगा तो तुम पागलों की तरह हरकतें करने लगोगे। अपने कपड़े उतारकर, नंगे होकर सड़कों पर दौड़ते फिरोगे।”

नहीं, ऐसा मत करना।” लक्ष्मण दास घबरा उठा।

तुम्हें मेरी बातें मानती रहनी होंगी।

” कब तक?

” जब तक तुम जिंदा हो ।”

“पहले तो तुमने कहा था कि एक ही काम...।”

नए गुलाम को धीरे-धीरे फांसना पड़ता है। एक ही बार में सब कुछ कह दूंगा तो तुम जीते जी ही मर जाओगे।”

| लक्ष्मण दास ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी।

“अब मैं तुम्हें बताऊंगा कि मिन्नो, कब कहां मिलेगी और तुम ये खबर देवा को दोगे।”

तुम दोनों में खून-खराबा कराना चाहते हो ।

” तुम्हें एतराज है?" मोमो जिन्न ने उसे घूरा।
म...मुझे क्यों एतराज होगा।” लक्ष्मण दास घबराकर बोला।

देवराज चौहान करोलबाग स्थित होटल में ठहरा और लक्ष्मण दास को होटल के बारे में फोन पर बताया। इस दौरान जगमोहन का फोन भी आया था, परंतु उसने जगमोहन को नहीं बताया कि वो किस मामले में है। क्योंकि देवराज चौहान जानता था कि मोना चौधरी के बारे में सुनकर जगमोहन चिंता करेगा।

अब देवराज चौहान को तलाश थी मोना चौधरी की। परंतु मोना चौधरी का पता-ठिकाना वो नहीं जानता था। लेकिन पारसनाथ के रेस्टोरेंट के बारे में उसे पता था।

देवराज चौहान ने टैक्सी ली और पारसनाथ के रेस्टोरेंट जा पहुंचा। शाम के 3.30 हो रहे थे और रेस्टोरेंट में लंच चल रहा था। देवराज चौहान ने लंच का ऑर्डर दिया।

बीस मिनट बाद उसे लंच सर्व कर दिया गया।

इसी के साथ ही रेस्टोरेंट ने अब लंच टाइम समाप्त करने की घोषणा कर दी थी। शाम के चार बजने जा रहे थे। खाने के दौरान देवराज चौहान की निगाह हर तरफ घूम रही थी कि पारसनाथ दिख जाए, परंतु पारसनाथ कहीं भी नजर न आया। देवराज चौहान ने लंच समाप्त किया।
 
वेटर ‘बिल' के लिए पास आया। देवराज चौहान ने हजार का नोट ‘बिल' के साथ रखते हुए पूछा।

पारसनाथ कहां है?”

“मालिक?" वेटर ने फौरन कहा—“मुझे खबर नहीं कि वो कहां

देवराज चौहान के होंठों पर मुस्कान आ टहरी।

उसे कहो, देवराज चौहान मिलना चाहता है।”

“मैं देखता हूं। पता नहीं वो यहां हैं भी कि नहीं।” कहकर वेटर चला गया।

देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगा ली। रेस्टोरेंट में इस वक्त एक-दो लोग ही थे।
| आधी सिगरेट ही खत्म हुई थी कि उसे पारसनाथ अपनी तरफ आता दिखा।

देवराज चौहान के होंठों पर मुस्कान उभरी । वो उठा और पास आ चुके पारसनाथ से हाथ मिलाया।

“बैठो-बैठो।” पारसनाथ ने कहा-“खैर तो है? तुम मेरे रेस्टोरेंट में मुझसे मिलने आए हो।”
दोनों बैठे।

पारसनाथ ने इशारे से वेटर को पास बुलाया और कॉफी लाने को कहा।

तुम्हारे यहां का खाना अच्छा है।” देवराज चौहान बोला।।

“सिर्फ यही कहने के लिए तो तुम मुझसे मिलना नहीं चाहते होगे?" पारसनाथ ने अपने खुरदरे चेहरे पर हाथ फेरा। |

देवराज चौहान ने कश लिया और पानी के गिलास में सिगरेट डाल दी।

पारसनाथ की सतर्क निगाह देवराज चौहान के चेहरे पर थीं। मोना चौधरी कहां है?” देवराज चौहान का स्वर शांत था।

पारसनाथ को अपने शरीर में तनाव-सा आता महसूस हुआ।

यहीं है, दिल्ली में। दो दिन पहले वो मिलने आई थी मेरे से।” पारसनाथ ने संभले स्वर में कहा।

मैं उससे मिलना चाहता हूं।

” क्यों?” ।

शायद वो मेरी तलाश कर रही है।”

*वजह ।” ।

तीन करोड़ में उसने मुझे मारने का काम हाथ में लिया है। मुझे पता लगा तो, मैंने उसकी तलाश शुरू कर दी।”

पारसनाथ की आंखें सिकुड़ीं।। “कब पता लगा?”

दो-ढाई घंटे पहले।

पारसनाथ अब सतर्क नजर आने लगा था।

तुम्हें गलती लगी है देवराज चौहान, ऐसा कुछ भी नहीं...।”

सपन चड्ढा नाम के आदमी ने मोना चौधरी से, मेरी मौत का सौदा किया है।”

विश्वास नहीं होता।”

“मैं कह रहा हूं, इसलिए तुम्हें विश्वास कर लेना चाहिए। देवराज चौहान ने कहा।

पारसनाथ देवराज चौहान को देखता अपने खुरदरे चेहरे पर हाथ फेरने लगा।
तभी वेटर कॉफी के प्याले रख गया।
कॉफी लो।”

देवराज चौहान ने प्याला अपनी तरफ सरकाया। उठाया। चूंट भरी। नजरें पारसनाथ पर थीं।

“मैं मोना चौधरी से बात करना चाहूंगा ।” पारसनाथ बोला।

यहीं पर मेरे सामने?” ।

हां।” कहते हुए पारसनाथ ने जेब से मोबाइल फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा। चेहरे पर गम्भीरता थी। “उसे बताओ कि मैं यहां हूं, तुम्हारे पास ।” ।

मैं बेवकूफ नहीं हूं।” पारसनाथ फोन कान पर लगाता कह उठा।

क्या मतलब?”

“मैं कभी नहीं चाहूंगा कि तुम और मोना चौधरी सामने पड़ो। मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा...।” कहते-कहते पारसनाथ ठिठका। तभी उसके कानों में मोना चौधरी की आवाज पड़ी थी—“कहो पारसनाथ?”
 
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