desiaks
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अगले बारह घंटों तक, सतनाम अपने मां-बाप और बहन को मार देगा।” जगमोहन ने कहा—“अखबार छ: और सात के बीच तक बांट दिया जाता है। मैंने उस मकान के गेट के भीतर रबड़ लगा अखबार पड़ा देखा था।
“हम कुछ कर सकें, ये इस बात पर निर्भर है कि तुम्हें उस घर के बारे में पूर्वाभास हो जाए।”
“जब हादसे का पूर्वाभास हुआ है तो जगह का भी पूर्वाभास होगा।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहा-“पोतेबाबा बोलता है कि मुझे दो घंटे का वक्त मिलेगा और दो घंटों में मैं वहां तक नहीं पहुंच सकता ।” ।
“वो तुम्हारा मनोबल तोड़ना चाहता होगा। तभी ऐसी बातें उसने तुमसे कीं ।”
। “ये हो सकता है।” जगमोहन ने सिर हिलाया-“तुम क्या मेरे साथ चलोगे?” । ।
“हां, पक्का चलूंगा। मैं पूर्वाभास को सच होते, अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।”
“ठीक है। मैं यहीं रहूंगा रात में।” जगमोहन बोला—“यहां से हम साथ ही...।”
“ऐसा तो नहीं कि पूर्वाभास तुम्हें सिर्फ अपने बंगले पर ही आए यहां...।”
पहली बार पूर्वाभास मुझे रमजान भाई के यहां हुआ था।
इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। यहां भी सब ठीक रहेगा।” जगमोहन ने कहा और आंखें बंद कर लीं। उसके बाद काफी देर तक कमरे में खामोशी रहीं।
“मैं सोच रहा हूं कि पोतेबाबा को हमने बंदी बना लिया तो बहुत अच्छा होगा।” सोहनलाल कह उठा।
“इस बात की कोशिश अवश्य करेंगे। परंतु सफल होने में शक है। पोतेबाबा ताकतवर है।”
इतना ताकतवर कि चार लोगों की पकड़ से बच निकले।
” “कह नहीं सकता।”
रात के दस बज रहे थे। देवराज चौहान होटल के कमरे में था कि उसका फोन बजने लगा।
"हैलो ।” देवराज चौहान ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया।
मैं लक्ष्मण दास, देवराज चौहान ।” लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।
कहो ।
” मोना चौधरी का कुछ पता चला?
” नहीं ।
” “वो तुम तक जल्दी ही पहुंचेगी। अभी सपन चड्ढा के मैनेजर से बात हुई। वो कह रहा था कि कल शायद वो मोना चौधरी के बारे में कुछ बताए। मैं उससे इस बारे में ज्यादा नहीं पूछ पाया।”
कोई खबर मिले तो बताना।” कहकर देवराज चौहान ने फोन बंद किया।
तभी दरवाजे पर थपथपाहट पड़ी। देवराज चौहान उठा और दरवाजे के पास आ पहुंचा।
कौन?”
पल-भर की खामोशी के बाद महाजन की आवाज कानों में पड़ी।
नीलू महाजन ।”
“हम कुछ कर सकें, ये इस बात पर निर्भर है कि तुम्हें उस घर के बारे में पूर्वाभास हो जाए।”
“जब हादसे का पूर्वाभास हुआ है तो जगह का भी पूर्वाभास होगा।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहा-“पोतेबाबा बोलता है कि मुझे दो घंटे का वक्त मिलेगा और दो घंटों में मैं वहां तक नहीं पहुंच सकता ।” ।
“वो तुम्हारा मनोबल तोड़ना चाहता होगा। तभी ऐसी बातें उसने तुमसे कीं ।”
। “ये हो सकता है।” जगमोहन ने सिर हिलाया-“तुम क्या मेरे साथ चलोगे?” । ।
“हां, पक्का चलूंगा। मैं पूर्वाभास को सच होते, अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।”
“ठीक है। मैं यहीं रहूंगा रात में।” जगमोहन बोला—“यहां से हम साथ ही...।”
“ऐसा तो नहीं कि पूर्वाभास तुम्हें सिर्फ अपने बंगले पर ही आए यहां...।”
पहली बार पूर्वाभास मुझे रमजान भाई के यहां हुआ था।
इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। यहां भी सब ठीक रहेगा।” जगमोहन ने कहा और आंखें बंद कर लीं। उसके बाद काफी देर तक कमरे में खामोशी रहीं।
“मैं सोच रहा हूं कि पोतेबाबा को हमने बंदी बना लिया तो बहुत अच्छा होगा।” सोहनलाल कह उठा।
“इस बात की कोशिश अवश्य करेंगे। परंतु सफल होने में शक है। पोतेबाबा ताकतवर है।”
इतना ताकतवर कि चार लोगों की पकड़ से बच निकले।
” “कह नहीं सकता।”
रात के दस बज रहे थे। देवराज चौहान होटल के कमरे में था कि उसका फोन बजने लगा।
"हैलो ।” देवराज चौहान ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया।
मैं लक्ष्मण दास, देवराज चौहान ।” लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।
कहो ।
” मोना चौधरी का कुछ पता चला?
” नहीं ।
” “वो तुम तक जल्दी ही पहुंचेगी। अभी सपन चड्ढा के मैनेजर से बात हुई। वो कह रहा था कि कल शायद वो मोना चौधरी के बारे में कुछ बताए। मैं उससे इस बारे में ज्यादा नहीं पूछ पाया।”
कोई खबर मिले तो बताना।” कहकर देवराज चौहान ने फोन बंद किया।
तभी दरवाजे पर थपथपाहट पड़ी। देवराज चौहान उठा और दरवाजे के पास आ पहुंचा।
कौन?”
पल-भर की खामोशी के बाद महाजन की आवाज कानों में पड़ी।
नीलू महाजन ।”