XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 9 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

उसी पल तीन इंच का मोमो जिन्न बड़ा होता चार फूट का हो गया।

उस पर नजर पड़ते ही सपन चड्ढा उछल पड़ा।

तुम?” उसके होंठों से निकला।

मैं उल्लू का पट्टा हूं।” मोमो जिन्न प्यार से बोला।

म...मैंने कब कहा?” सपन चड्ढा हड़बड़ाया।

“तू मेरी गर्दन तोड़ेगा।”

तु...तुमने गलत सुना है।”

“अपने यार को बोलता है कि मेरे से विद्रोह करे। भड़काता है उसे।”

“म...मैंने नहीं कहा।” सपन चड्ढा का चेहरा सफेद हो गया।

“तू मुझे सबक सिखाएगा।”

“व...वो तो यूं ही गुस्से में कह दिया था।” “मैं—मुसीबत हूं।”

सपन चड्ढा उसे देखता रहा। कुछ कह न सका। घबराया हुआ था वो।

मोमो जिन्न आगे बढ़ा और कुर्सी पर बैठता, प्यार भरे स्वर में कह उठा।

तेरे को शिक्षा देनी पड़ेगी।
” शिक्षा?” सपन चड्ढा ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी।

“हां, तेरे में दूसरों के लिए आदर भाव जरा भी नहीं है, जबकि मैं सोचता था कि तेरे में जथूरा का सेवक बनने की काबिलीयत

मैं जथूरा का सेवक क्यों बनूंगा। मेरा अपना बिजनेस है। मैं...।”

जथूरा महान है। उसका सेवक बनना अपने आप में गर्व की बात है।”

सपन चड्ढा फंसे अंदाज में मोमो जिन्न को देखता रहा। “बोल, जथूरा महान है।”

होगा।” सपन चड्ढा ने बेचैनी से पहलू बदला–“मुझे क्या?”

जो मैंने कहा है बोल, वरना नंगा करके अभी बाहर सड़क पर घुमाऊंगा।” मोमो जिन्न गुस्से से कह उठा।।

“ज...जथूरा महान है।” सपन चड्ढा जल्दी से कह उठा।

इंसान तू बुरा नहीं। तेरे को पढ़ाने की जरूरत है। धीरे-धीरे सीख जाएगा तू।” ।

सपन चड्ढा चुप ।।

मिन्नो को फोन कर ।”

म...मोना चौधरी को?”

हां। वो ही। उसे कह कि तेरे को पता चला है देवा कल 11.30 पर राजीव चौक के मैट्रो स्टेशन आएगा।”

क्या मतलब?" “देवा और मिन्नो में झगड़ा करवाकर, एक को खत्म करवाना

क्यों?"

ऐसा होते ही जथूरा पर मंडराने वाले खतरे के बादल हट जाएंगे। नहीं तो बहुत बड़ा खतरा आने वाला है।”

कैसा खतरा?"

मोमो जिन ने सपन चड्ढा को घूरा।
 
करता हूं।” सपन चड्ढा ने कहकर जल्दी से अपना फोन उठाया।

तू सवाल बहुत पूछता है। एक बार तेरे को नंगा करके, बाहर सड़क पर...।”

कर तो रहा हूं फोन। तू ऐसी बात क्यों करता है?" जल्दी ही सपन चड्ढा की मोना चौधरी से बात हो गई। “कहो।” मोना चौधरी की आवाज कानों में पड़ी।

मोना चौधरी, मुझे पता चला है कि कल 11.30 पर देवराज चौहान राजीव चौक मैट्रो स्टेशन पर होगा।”

कहां पर?”

ये तो पता नहीं, परंतु खबर पक्की है कि देवराज चौहान 11.30 पर वहां आएगा ।”

“ठीक है। मैं उसे ढूंढ लेंगी।” मोना चौधरी का कठोर स्वर कानों में पड़ा-“वो बचेगा नहीं कल के बाद ।”

सपन चड्ढा ने फोन बंद किया। गहरी सांस ली और मोमो जिन्न से बोला।

अब तो खुश है न—मैंने फोन कर दिया।

मैं कभी भी खुश या दुखी नहीं होता।

” क्यों?"
“क्योंकि मेरी कोई इच्छा नहीं है। जथूरा ने मेरी इच्छाशक्ति को खत्म कर रखा है। मैं सिर्फ जथूरा का सेवक हूं और मैंने जो भी करना है जथूरा की खातिर करना है। वो मेरा मालिक है। जथूरा महान है।”

तूने जो कहा मैंने कर दिया, अब तो मुझे छोड़ दे।” ।

“तू मेरा गुलाम है। जिस पर मेरी छाया पड़ जाती है, वो मेरा गुलाम बन जाता है। तू अब मुझसे दूर नहीं जा सकता।”

“तूने तो वादा किया था कि इस काम के बाद तू मुझे छोड़ देगा।”

“तू बेवकूफ है जो मेरे वादे पर विश्वास कर लिया। मेरे पास इच्छा नहीं तो वादा कैसा?”

“मतलब कि तेरे शब्दों की कोई कीमत नहीं?”

“मुझे सिर्फ जथूरा ही नजर आता है। मेरे कानों में उसका आदेश रहता है। बस, यहीं मेरा जीवन है।”

तू कमीना है।”

मैंने पहले ही कहा है कि तेरे में शिक्षा की कमी है, इंसान तू बुरा नहीं।”

सपन चड्ढा जवाब में दांत पीसकर रह गया।

जगमोहन, रुस्तम राव, बांकेलाल राठौर और सोहनलाल दिल्ली पहुंचे।
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रात के 10.45 हो रहे थे।

करोलबाग के होटल में चलते हैं।” सोहनलाल बोला–“वहां का मैनेजर मुझे पहचानता है।”

“म्हारे होतो हुए तंम होटल में ठहरो। म्हारी मूछों कटवाओगे क्या?" बांकेलाल राठौर बोला—“थारे को पूसा रोड की शानदार कोठी में रुकवाओ। उधर नौकर भी हौवो और नौकरानी भी।”

लोग पूसा रोड, कोठी पर पहुंचे तो 11.45 हो रहे थे।

“आपुन तो अब जमके नींद मारेला बाप ।” रुस्तम राव बोला।

कोटी में नौकर थे। उनकी जरूरतों को पूरा करने लग गए। | जगमोहन सोहनलाल के पास आकर गम्भीर स्वर में कह
उठा।

“मैं सोच रहा हूं कि मोना चौधरी से रात में ही मिलकर उसे सतर्क कर दें।”

“उसका ठिकाना कहां है?” सोहनलाल ने अजीब निगाहों से उसे देखा।

“पारसनाथ का रेस्टोरेंट जानता हूं। उसके माध्यम से मोना चौधरी से बात की जा सकती है।”

“मुझे ये ठीक नहीं लगता।” सोहनलाल ने सोच-भरे स्वर में कहा।

क्यों?”

मोना चौधरी तेरी बात पर जरा भी विश्वास नहीं करेगी, बल्कि वो तेरी हंसी उड़ाएगी।”

जगमोहन के होंठ भिंच गए।

कल देखेंगे कि राजीव चौक, मैट्रो स्टेशन पर क्या किया जा सकता है।” सोहनलाल बोला।

“लेकिन मैं एक बार पारसनाथ से मिलना चाहता हूं। मोना चौधरी मेरी बात का बेशक यकीन न करे, परंतु सतर्क तो हो जाएगी।”

“कोशिश बेकार होगी। फिर भी तुम जो करना चाहते हो, कर लो। मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।”

जगमोहन और सोहनलाल पारसनाथ के रेस्टोरेंट पहुंचे तो रात के 12 बज रहे थे। रेस्टोरेंट बंद किया जा रहा था। उन्हें डिसूजा मिल गया, जो एक टेबल पर बैठा खाना खा रहा था। एक कर्मचारी उन्हें वहां तक छोड़ गया। खाना खाते डिसूजा ने उन्हें देखा तो उसकी निगाह जगमोहन पर जा टिकी।

मैंने तुम्हें कहीं देखा है।” डिसूजा बोला।

जरूर देखा होगा। मैं जगमोहन हूं।”

देवराज चौहान का साथी?” उसके होंठों से निकला। वो सतर्क दिखने लगा था।

जगमोहन ने सिर हिलाया।

ये?” डिसूजा का इशारा सोहनलाल की तरफ था।

सोहनलाल ।”

नाम सुन रखा है। लेकिन रात के इस वक्त तुम यहां क्यों आए हो?”

पारसनाथ से मिलना है।”

अब तो मुलाकात नहीं हो सकती।” डिसूजा ने इंकार में सिर हिलाया–“सर तो नींद में हैं।”

“नींद में हैं तो उठा दो। मुझसे ड्रामा मत करो।” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा।

काम क्या है?"

तुमसे नहीं कहा जा सकता। पारसनाथ को खबर करो कि हम मिलना चाहते हैं।” | डिसूजा ने जेब से फोन निकाला और नम्बर मिलाते हुए वहां से दूर हो गया।

बीस सेकंड में ही बात करके पास आ गया और खाने पर पुनः बैठता हुआ कह उठा।
कुछ खाना हो तो कह दो ।

” नहीं ।”

दो मिनट ही बीते कि पारसनाथ आता दिखा। उसने नाइट सूट पहन रखा था।

जगमोहन और सोहनलाल खड़े हो गए।

पास आकर पारसनाथ ने दोनों से हाथ मिलाया और खोज भरी निगाहों से उन्हें देखा।

। “तुम दोनों को यहां देखकर मुझे अजीब सा लग रहा है।” पारसनाथ बोला।

“ज्यादा अजीब तो नहीं लगना चाहिए।” जगमोहन ने कहा-“तुमसे खास बात करनी है।”

आओ, उस तरफ टेबल पर बैठते हैं।” । तीनों एक टेबल पर जा बैठे।

पारसनाथ दोनों से, ये सोचकर सतर्क था कि ये देवराज चौहान का फैलाया कोई चक्कर न हो।

“तुम नाइट सूट के पायजामे में रिवॉल्वर रखकर नींद लेते हो।”
 
आधी रात को तुम जैसे मेहमान आएं तो, रिवॉल्वर को साथ रख लेना ठीक होता है।” पारसनाथ बोला।

“मैं तुमसे बात करने आया हूं। निश्चिंत रहो मेरी तरफ से।”

पारसनाथ जगमोहन और सोहनलाल को देखने लगा।

“मैं इन दिनों अजीब सी स्थिति में फंसा हुआ हूं।” जगमोहन गम्भीर स्वर में कह उठा–“मुम्बई से सीधा, तुम्हारे पास ही आ रहा हूं। जो बात मैं तुमसे करना चाहता हूं, उसके लिए, सब बताना जरूरी है, तभी तुम मेरी बात समझोगे ।”

पारसनाथ का पूरा ध्यान जगमोहन पर था।

कुछ दिनों से मुझे पूर्वाभास हो रहा है। होने वाली घटनाओं, या यूं कहो कि हादसों या एक्सीडेंट का आभास मुझे पहले ही हो जाता है और इस तरह मैं पहले कई बुरे हादसों को रोक चुका

ये कैसे सम्भव है।” ।

“सम्भव है। चूंकि तुम भी पूर्वजन्म से ही हमसे सम्बंध रखते हो, इसलिए मेरी बात को ज्यादा जल्दी समझ सकोगे। हमारे पूर्वजन्म में कोई जथूरा नाम का व्यक्ति था। वो अब उसी दुनिया में हादसों का देवता बन चुका है। जथूरा ही हमारी दुनिया के हादसों को रचकर, यहां भेज देता है और जैसा हादसा उसने रचा होता है, वैसा ही हो जाता है।”

‘हैरानी है।”

परंतु उसके कुछ खास हादसों का आभास मुझे हो रहा है और मैं उन हादसों को रोके जा रहा हूं। मैं ऐसा न करूं, इसके लिए जथूरा ने पोतेबाबा नाम के अपने सेवक को मेरे पास भेजा हुआ है, जो मुझे समझा रहा है कि मैं जथूरा के रास्ते में न आऊ, उसके हादसों को खराब न करूं । वो स्पष्ट नजर नहीं आता। कहता है कि उसने अदृश्य होने की दवा खा रखी है। परंतु वहां धुआं फैला दो तो उसमें फंस कर उसकी आकृति नजर आने लगती है। मैंने दो बार उससे मुकाबला करके उसे पकड़ना चाहा, परंतु वो बेहद ताकतवर है, मैं उसका कुछ न बिगाड़ सका। उसके बाद मैंने सोहनलाल, बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव के साथ मिलकर उसे जकड़ लिया, परंतु वो अपनी शक्तियों के सहारे एक पल में ही आजाद हो गया। पोतेबाबा हर तरफ से ही बे-पनाह ताकत रखता है।”

“और वो तुम्हें रोकना चाहता है कि जथूरा के जिन हादसों का तुम्हें एहसास होता है, उन्हें तुम रोको नहीं ।”

हां ठीक समझे ।

” तो वो तुम्हें क्यों नहीं खत्म कर देता?”

इसके जवाब में पोतेबाबा कहता है कि जथूरा पर मेरा कोई एहसान है, इसलिए जथूरा मुझे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। पोतेबाबा बार-बार मुझे चेतावनी दे रहा है कि मैं जिन-जिन हादसों को रोके जा रहा हूँ, उसकी वजह से मैं पूर्वजन्म में प्रवेश कर सकता हूं, जहां जथुरा से मेरा सामना होगा और मैं जथूरा का मुकाबला नहीं कर सकता। मारा जाऊंगा। जबकि जथूरा चाहता है। कि पूर्वजन्म में मेरा प्रवेश ही न हो। ये झगड़ा ही न हो।”

तो तुम ही पीछे क्यों नहीं हट जाते ।”

पारसनाथ ।” जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला“अगर तेरे को पता हो कि फलानी-फलानी जगह पर कोई हादसा होने वाला है। तो क्या तू उसे होने देगा या रोकने की चेष्टा करेगा।”

क्षण भर खामोश रहकर पारसनाथ बोला।
रोकने की चेष्टा करूंगा।”

वो ही मैं कर रहा हूं।”

“लेकिन ये तो तेरे को अब पता ही है कि तेरी भाग-दौड़ तेरे को पूर्वजन्म के सफर पर ले जाएगी। ऐसे में तेरे को पीछे हटकर खामोश बैठ जाना चाहिए। क्योंकि पूर्वजन्म में प्रवेश कर जाने का मतलब है मौत का खेल शुरू।”

“मैं जथूरा को हमारी दुनिया में होने वाले हादसों को रचने दें। वो खामखाह लोगों की जान लेता रहे?"

" “ये तेरी सोच है—जो तू ठीक समझे कर। परंतु मैं इतना जानता हूं कि जब-जब भी पूर्वजन्म का सफर हुआ है, वो सफर हम सबने मिलकर पूरा किया है। पूर्वजन्म में प्रवेश होने के रास्ते जरूर अलग-अलग रहे हैं, परंतु मंजिल एक ही रही। ऐसे में तुम अकेले कैसे पूर्वजन्म का सफर शुरू कर सकते हो।” पारसनाथ ने कहा।
 
“मैं अकेला नहीं हूं। हम सब इकट्ठे होते जा रहे हैं।” जगमोहन बेहद गम्भीर था।

“हम सब कैसे इकट्ठे हो रहे हैं?”

हालात ऐसे बने कि मुझे सोहनलाल, रुस्तम राव और बांकेलाल राठौर को बुलाना पड़ा। उसके बाद अब तुम्हारे पास आ गया।”

लेकिन तुम मेरे पास क्यों आए?"

जाना तो मुझे मोना चौधरी के पास चाहिए, परंतु उसका ठिकाना नहीं जानता तो तुम्हारे पास आया।”

बात क्या है?”

“कुछ घंटे पहले मुम्बई में पूर्वाभास हुआ कि दिल्ली के राजीव चौक के मैट्रो स्टेशन पर कल 11.30 बजे कोई मोना चौधरी को गोली मारने जा रहा है।” जगमोहन ने कहा।

पारसनाथ की आंखें सिकुड़ीं।।

अब तुम क्या कहते हो कि मैं मोना चौधरी को मरने दें।”

तों तुम्हें वो भी दिखा होगा जिसने मोना चौधरी को शूट...।”

" “उसकी पीठ मैंने देखी। वो मेरे पास से ही निकला था, तब मैं मोना चौधरी को उस खतरे से बचाने के लिए, उसके पीछे था। लेकिन ये नहीं जानता कि बचा सका कि नहीं। वो मोना चौधरी को गोली मारने जा रहा था। तब पीछे से मैंने उस पर फायर करना चाहा कि तभी मोना चौधरी के सामने की तरफ से आता सोहनलाल चीखकर मुझे गोली चलाने को मना कर रहा है। ये बहुत उलझा हुआ पूर्वाभास था। समझ में नहीं आता कि सोहनलाल मुझे क्यों फायर न करने को कह रहा था। कोई खास ही वजह रही होगी कि सोहनलाल मुझे...।”

वो वजह मैं जानता हूं।” पारसनाथ गम्भीर-खुरदरे स्वर में कह उठा।

क्या वजह?” ।

“मोना चौधरी पर गोली चलाने वाला देवराज चौहान है।”

जगमोहन चिहुंक उठा।।

सोहनलाल के मस्तिष्क को भी तीव्र झटका लगा।

क्या कह रहे हो?" जगमोहन के होंठों से अजीब-सा स्वर निकला।

ये कैसे सम्भव है?” सोहनलाल व्याकुलता से बोला।

“तो तुम दोनों को यहां के हालातों का पता नहीं ।” पारसनाथ ने अपने गालों पर हाथ फेरा।

“यहां के हालात, क्या हुआ है यहां के हालातों को?” जगमोहन के माथे पर बल पड़े।

मोना चौधरी ने तीन करोड़ में देवराज चौहान को मारने की सुपारी ली है।” पारसनाथ ने बताया।

“ओह।” सोहलाल के चेहरे पर बेचैनी झलक उठी।

ये बात देवराज चौहान को पता चल गई। वो भी दिल्ली में ही है। कल मेरे पास आया था।”

“क्यों?”

मोना चौधरी का पता पूछने, या फिर मैं मोना चौधरी को बता देता कि देवराज चौहान यहां है।” ।

“तो—तुमने क्या किया?”

“मैंने कुछ भी नहीं किया। क्योंकि मैं देवराज चौहान और मोना चौधरी को आमने-सामने नहीं पड़ने देना चाहता था। लेकिन अब हालात ये हैं कि देवराज चौहान और मोना चौधरी, दोनों ही एक-दूसरे की तलाश में हैं। मैंने महाजन को बुलाकर उसे सारे हालातों से वाकिफ कराया। हम दोनों ने मोना चौधरी को समझाने की चेष्टा की, परंतु वो नहीं मानी। फिर महाजन ने किसी तरह देवराज चौहान को तलाश किया, उससे बात की कि वो पीछे हट जाए। परंतु वो भी नहीं माना।” ।
 
“सब ।” सोहनलाल के होंठों से निकला–

“सब इकट्ठे होते जा रहे हैं, ये जरूर पूर्वजन्म की तैयारी है।”

“मुमकिन है।” पारसनाथ गम्भीर स्वर में बोला फिर जगमोहन से कहा-“तुम देवराज चौहान को क्यों नहीं समझाते?”

“वो नहीं मानेगा। ये मोना चौधरी का मामला है।” जगमोहन ने होंठ भींचकर कहा-“कोई फायदा नहीं होगा।”

कुछ पल उनके बीच खामोशी रही। फिर पारसनाथ बोला।
कभी ऐसा हुआ है कि तुम्हारा पूर्वाभास कभी गलत निकला हो?”

ऐसा कभी नहीं हुआ। पूर्वाभास का वक्त तक ठीक निकलता है।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहा।

पारसनाथ के होंठ भिंच गए। तभी डिसूजा पास आ पहुंचा।

सब ठीक है।” पारसनाथ ने डिसूजा से कहा-“किसी को कॉफी और स्नैक्स लाने को कहो ।”
डिसूजा चला गया।

सवाल ये पैदा होता है कि इन हालातों में हम क्या करें । क्या करना चाहिए?” जगमोहन ने उखड़े स्वर में कहा।

“देवराज चौहान और मोना चौधरी को सामने नहीं पड़ने देना चाहिए।” सोहनलाल ने कहा।

“ज्यादा देर तक हम इस बात को नहीं रोक सकते। कल 11.30 बजे, राजीव चौक मैट्रो स्टेशन। दोनों सामने पड़ जाएंगे।”

“मैं महाजन को बुला लेता हूं। इन बातों में उसका होना भी जरूरी है।” पारसनाथ ने फोन निकालते हुए कहा-“शायद हम सब मिलकर कोई बढ़िया फैसला ले सके।” ।

“ये तो पक्का है कि ये हालात हम सबको पूर्वजन्म के सफर की तरफ धकेल रहे हैं ।” सोहनलाल होंट भींचे कह उठा–“सबका एक साथ इकट्ठे होते चले जाना, इसी बात की तरफ इशारा करता है कि हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं।”

नम्बर लग गया। पारसनाथ महाजन से बात करने लगा।
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राजीव चौक, मैट्रो स्टेशन । 11.20 बजे।।

मोना चौधरी ने सेंट्रल पार्क की तरफ से, मैट्रो स्टेशन में प्रवेश किया। टोकन लिया और बैरियर पार करके खुले हाल में आ पहुंची। दाईं तरफ द्वारका जाने वाली मैट्रो अभी-अभी आई थी। लोग मैट्रो में प्रवेश करते जा रहे थे। सामने ऊपर जाने वाली सीढ़ियां नजर आ रही थीं। मोना चौधरी विठकी-सी, हर तरफ नजरें घुमाने लगी।

उसे देवराज चौहान की तलाश थी।

सपन चड्ढा ने कहा था कि देवराज चौहान साढ़े ग्यारह बजे राजीव चौक मैट्रो स्टेशन पर होगा। उससे ये पूछना भूल गई थीं कि ये बात उसे कैसे पता चली? मोना चौधरी ने वहां लगीं डिजीटल घड़ी में वक्त देखा। 11.25 होने जा रहे थे। मोना चौधरी बेहद सतर्क थी। देवराज चौहान कभी भी, नजर आ सकता था।

नजरें देवराज चौहान को तलाश कर रही थीं।

अगले ही पल वो चौंकी। आंखें सिकुड़ती चली गईं।

उसकी आंखें धोखा नहीं खा सकती थीं। वो सोहनलाल ही था। देवराज चौहान का खास बंदा । सोहनलाल उससे दस कदमों की दूरी पर से निकलकर एक तरफ जा रहा था। साथ ही वो फोन पर बात करने में व्यस्त था। उसने मोना चौधरी की तरफ नहीं देखा था। मोना चौधरी इतने में ही सतर्क हो चुकी थी।

| इसका मतलब खबर सही थी कि देवराज चौहान यहां आने वाला है। सोहनलाल पर नजर रखकर देवराज चौहान तक आसानी से पहुंच सकती है। | इस विचार के साथ ही मोना चौधरी सावधानी से, सोहनलाल के पीछे लग गई।

सब ठीक हो रहा है।” फोन पर जगमोहन की आवाज, वहां से निकलते सोहनलाल पर पड़ रही थी—“मोना चौधरी तेरे को देख चुकी है, वो सतर्क सी दिखने लगी है। ऐसे ही चलता रह

* “मेरे पीछे आई कि नहीं?” सोहनलाल ने चलते हुए फोन पर पूछा। " “अभी नहीं, लेकिन वो तेरे पीछे जरूर आएगी । वो सोचेगी कि तेरे द्वारा देवराज चौहान तक पहुंच सकती...मोना चौधरी तेरे पीछे चल पड़ी है। हमारी योजना कामयाब रही। उसे, उसी तरफ ले आ, जिधर तेरे को कहा था। पलटकर पीछे जरा भी मत देखना । फोन को इसी तरह कान से लगाए रख। मैं फोन बंद कर रहा हूं।”

सोहनलाल ने फोन कान से लगाए रखा और आगे बढ़ता रहा।

एकाएक मोना चौधरी को अपने पीछे धीमी आहट उभरी।।

उसने पलटना चाहा कि तभी उसकी कमर से रिवॉल्वर आ लगी।

मोना चौधरी चौंकी। | उसकी निगाह हर तरफ घूमी तो उसे एहसास हुआ कि इस वक्त वो मैट्रो स्टेशन के सुनसान हिस्से में पहुंच चुकी है। ओह, तो ये सब चाल थी। सोहनलाल को चारे के तौर पर, उसके सामने किया गया और वो जाल में फंस गई।

तभी उसने सामने जाते सोहनलाल को ठिठकते फिर पलटते देखा।
 
सोहनलाल से उसकी नजरें मिलीं। सोहनलाल मुस्कराया और मोना चौधरी की तरफ बढ़ने लगा। मोना चौधरी ने पलटना चाहा कि तभी जगमोहन की शांत आवाज मोना चौधरी के कानों में पड़ी।

हिलना मत ।”

“तुम–जगमोहन ।”

खामोश रहो।”

तब तक सोहनलाल पास आ गया था और मोना चौधरी की तलाशी के लिए हाथ आगे बढ़ाए।

मुझे हाथ मत लगाना।”

“तौ ।” सोहनलाल ठिठका–“अपना हथियार निकालकर मुझे दे दो।”

तुम लोग, बचोगे नहीं।” मोना चौधरी गुर्राई।

सोहनलाल उसे देखता रहा। दांत पीसते हुए मोना चौधरी ने रिवॉल्वर निकालकर उसे दी। सोहनलाल रिवॉल्वर जेब में रखता पीछे हो गया।

जगमोहन ने उसकी कमर से रिवॉल्वर हटाई और वापस रख ली।

गुस्से से भरी मोना चौधरी पलटकर जगमोहन को देखते कह उठी।
ये क्या हरकत है?”

“तुम देवराज चौहान को मारने यहां आई हो ।” जगमोहन शांत था।

“हां, लेकिन तुम्हें कैसे पता, क्या तुम मुझे शूट करोगे?” मोना चौधरी ने कड़वे स्वर में कहा।

“नहीं। मैं तुम्हें और देवराज चौहान को रोकने आया हूं।”

देवराज चौहान को रोकने?”

“वो भी यहां कहीं है, तुम्हें मारने के लिए।”

मुझे मारने के लिए, ये कैसे हो सकता है?” मोना चौधरी के होंठों से निकला।

“मैं नहीं जानता, लेकिन तुम दोनों एक-दूसरे को मारने के लिए यहां हो।”

ये बात तुम्हें कैसे पता है?”

जगमोहन ने स्टेशन की घड़ी को देखा, जहां 11.35 हो रहे थे।

जगमोहन मुस्करा पड़ा। हादसे का 11.30 का वो वक्त निकल चुका था।

सोहनलाल, रिवॉल्वर वापस दे दे।” सोहनलाल ने रिवॉल्वर मोना चौधरी को दे दी। मोना चौधरी उलझन में दिखी। रिवॉल्वर वापस रख ली।

“तुम लोगों की हरकत मेरी समझ में जरा भी नहीं आई।” मोना चौधरी के माथे पर बल दिखे।

“अभी समझ में आ जाएगा। मैं अभी आता हूं।” जगमोहन ने कहा और आगे बढ़ गया।

मोना चौधरी ने सोहनलाल को देखा।

वो कहां गया है?

” देवराज चौहान को लेने।”

मोना चौधरी का चेहरा कठोर हो गया।

“तुम लोग कर क्या रहे हो?

” जगमोहन आकर बताएगा।

” तुम नहीं बता सकते?”
 
मैं कुछ नहीं जानता।” सोहनलाल ने कहा और मुंह फेर लिया।

मैं जा रही हूं। मेरा यहां रुकना जरूरी नहीं...।” मोना चौधरी के शब्द अधूरे ही रह गए। सामने से पारसनाथ और महाजन को आते देखा।

मोना चौधरी अजीब-सी नजरों से उन्हें देखने लगी। वो पास आ गए। कैसी हो बेबी?” महाजन बोला।

ये सब क्या हो रहा है?” मोना चौधरी की आवाज में तीखापन आ गया।

जगमोहन बताएगा।”

तो तुम सब साथ हो।” मोना चौधरी बोली-“तुम दोनों का, इन लोगों के साथ होना हैरानी पैदा करता है।”

भले के लिए ही हम एक-दूसरे के साथ हैं।”

तो तुम लोग इस कोशिश में हो कि मैं देवराज चौहान को शूट न करूं।” । "

“हम इस कोशिश में भी हैं कि देवराज चौहान भी तुम्हें शूट न करे बेबी।”

मैं उसे अब तक गोली मार चुकी होती ।” ।

शांत हो जाओ, हम सब कुछ ठीक करने की...।” ।

“तुमने गलत किया इस तरह।”

मोना चौधरी ।” पारसनाथ खुरदरे स्वर में कह उठा–“ये पूर्वजन्म से वास्ता रखती बातें हैं।”

पूर्वजन्म?” मोना चौधरी चौंकी–“क्या कहना चाहते हो?

" जगमोहन के कहे मुताबिक जथूरा ने ही ये हादसा रचा है।”

“जथूरा, ये कौन है?”

पूर्वजन्म का शख्स है। जगमोहन ही पूरी बात बताएगा। परंतु तुम्हें यहां पाकर हमें जगमोहन की कही बातों पर पूरा विश्वास हो गया है। उसी ने बताया था कि तुम 11.30 पर यहां होओगी।”

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा कि...।”

जगमोहन को वापस आ लेने दो। वो सब कुछ बताएगा ।”

मोना चौधरी के चेहरे पर बेचैनी नजर आ रही थी।

जगमोहन पर निगाह पड़ते ही देवराज चौहान के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा।

इतने में ही जगमोहन पास आ पहुंचा।

तुम–यहां?” देवराज चौहान के होंठों से निकला ।

तुम्हारे लिए ही आया हूं।” जगमोहन गम्भीर था।

तुम्हें कैसे पता कि...।”

तुम यहां मोना चौधरी को मारने आए हो?”

“हां।” देवराज चौहान के होंठ सिकुड़े
 
“तुम्हें कैसे पता?”

“मेरे साथ आओ, उधर।” । जगमोहन देवराज चौहान को लेकर चल पड़ा। देवराज चौहान ने महसूस किया कि कुछ ख़ास ही बात है।

कुछ बात करोगे कि असल बात क्या...।”

एक बार फिर पूर्वजन्म में जाने का खेल शुरू हो गया है।” जगमोहन ने कहा।

ओह, कैसे?”s

तुम्हारी और मोना चौधरी की लड़ाई, उसी खेल का हिस्सा है। जथूरा तुम दोनों में झगड़ा कराकर, अपना मतलब साधना चाहता है। ये तो अच्छा हुआ कि मुझे पूर्वाभास होने लगा।”

“पूर्वाभास—ये तुम कैसी बातें कर...”

“मैं तुम्हें सब बताता हूं। वहां मोना चौधरी भी है, उसी के सामने बताऊँगा।” ।

“मोना चौधरी? उसने मुझे मारने के लिए तीन करोड़ की सुपारी ली है। वो...।” ।

“मोना चौधरी को मैंने और सोहनलाल ने मिलकर रोक दिया है। अब उसका दिमाग ठीक है।”

“सोहनलाल भी है।” देवराज चौहान ने मुस्कराकर गहरी सांस ली–“कोई बात थी तो तुम मुझसे फोन पर बात...।”
“मैंने तुमसे इसलिए फोन पर बात नहीं की कि तुम जो काम कर रहे हो, वो पूरा कर लो। मुझे नहीं मालूम था कि तुम मोना चौधरी के फेर में पड़ो हो। पता होता तो तुम्हें पहले ही सावधान कर चुका होता।”

“तुम बहुत कुछ कह रहे हो और मैं समझ नहीं पा रहा।”

वो देखों सामने—मोना चौधरी ।” देवराज चौहान ने मोना चौधरी, महाजन, पारसनाथ और सोहनलाल को देखा।

वे उनके पास जा पहुंचे।

देवराज चौहान को पास आया पाकर मोना चौधरी के होंठ भिंच गए।

“इन लोगों ने तुम्हें बचा लिया देवराज चौहान ।” मोना चौधरी कठोर स्वर में कह उठी-“वरना अब तक मैंने तुम्हें शूट कर देना था।”

देवराज चौहान ने मोना चौधरी को देखा। कहा कुछ नहीं। उसके बाद जगमोहन सारी बातें बताता चला गया।

जगमोहन की बातें देवराज चौहान और मोना चौधरी ने सुनीं। पूरी तरह सुनीं।

मुझे तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं।” मोना चौधरी कह उठी।

विश्वास, करो, मैं सही...।”

मैं देवराज चौहान को मारने के लिए तैयार हो गई। तुम्हारी बातों से ये कैसे साबित होता है कि ये जथूरा का काम है।”

“यहां ऐसा होने वाला है, मुझे पूर्वाभास हो गया...।”

“मैं नहीं मानती इस बात को। तुम्हारे पूर्वाभास को ।”
 
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