XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 13 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

तुम इस बारे में मोना चौधरी से बात करो। उसे सतर्क कर दो कि वो इस तरह के किसी मामले में, झगड़े में न पड़े।”

कोई कब तक रुकेगा?”

“मोना चौधरी ने नगीना भाभी को उठा लिया। हम हालातों को समझकर रुके हुए हैं कि नहीं। इस तरह तुम लोग भी सब्र रख सकते हो, ये हमारी कमजोरी ही होगी कि जानते-बूझते हम जथूरा की चालों में आ जाएं।” ।
पारसनाथ की आवाज नहीं आई।

सुन रहे हो तुम मेरी बात?”

मैं मोना चौधरी से बात करता हूं।” पारसनाथ का गम्भीर स्वर कानों में पड़ा।

“करो। मेरा फोन नम्बर तुम्हारे फोन में आ गया है। जरूरत पड़ने पर मुझसे बात करना।”

उधर से पारसनाथ ने फोन काट दिया था। जगमोहन देवराज चौहान से बोला।

दो बांके और दो मोना चौधरी का वजूद है इस वक्त ।

” ये कैसे सम्भव है?”

जथूरा के पास शक्तियां हैं, वो ही ये सब कुछ कर रहा है। हुममें और मोना चौधरी में, झगड़ा कराना उसकी इस वक्त की मुख्य जरूरत है। जथूरा नहीं चाहता कि हम पूर्वजन्म में प्रवेश करें।

वो यहीं पर हमसे झगड़ा कराकर, खून-खराबा करवा देना चाहता है। खासतौर से मोना चौधरी या तुममें से वो एक को मरवा देना चाहता है। तुम दोनों में से एक के मरने पर, ग्रहों की वो शक्तियां खत्म हो जाएंगी, जो कि पूर्वजन्म की बुरी ताकतों पर भारी पड़ती हैं। मुझे पूरा यकीन है कि जथूरा अभी और कमाल दिखाएगा।”

मुझे नगीना की चिंता है।” देवराज चौहान बोला।

“भाभी की चिंता मुझे भी है, परंतु ये बात हमें हर वक्त याद रखनी है कि जथूरा अपना खेल शुरू कर चुका है और हमें उसके खेल के मोहरे नहीं बनना है। सोच-समझकर उसकी चाल का जवाब देना है।” जगमोहन अपने शब्दों पर जोर देकर बोला।

“नगीना कहां होगी?”

“मुझे नहीं मालूम, परंतु पूर्वाभास ने मुझे जो दिखाया था, उसके हिसाब से उसे इस वक्त कहीं पर बेहोश पड़े होना चाहिए।”

“अगर ये जथूरा का खेल हे तो हम नगीना को नहीं ढूंढ सकते ।”

जथूरा नगीना भाभी की जान नहीं लेगा।

” ये तुम कैसे कह सकते हो?”
 
जथूरा तब तक हम लोगों में से किसी की जान नहीं ले सकता, जब तक कि हम पूर्वजन्म में प्रवेश न कर जाएं। हमारी जान लेने के लिए जथूरा की शक्तियां यहां काम नहीं करतीं। ऐसा पोतेबाबा ने कहा था।” | देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगाई।

“चलो, हमें बंगले पर पहुंचना है। बांके और रुस्तम वहां पहुंचने वाले होंगे। हम सब मिलकर कोई रास्ता निकालेंगे कि नगीना भाभी को वापस लाया जा सके और जथूरा के कालचक्र का कोई जवाब दें। लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि जथूरा कोई नई चाल न चल दे और बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाए, जिसका हम जवाब न दे सकें।”

देवराज चौहान उठ खड़ा हुआ।

सत्या ।” जगमोहन ने पुकारा–“दरवाजा बंद कर लो।”

फौरन ही सत्या वहां आ गई।
लेकिन बीवीजी तो...।”

हम उन्हें ढूंढ़ रहे हैं, वो जल्दी वापस आ जाएगी।” जगमोहन ने कहा।

सत्या की आंखें भर आईं।
“बीवीजी कितनी खुश थी कि आप दोनों उनके साथ खाना खाएंगे। वो तो...।” ।

जगमोहन देवराज चौहान का हाथ पकड़े बाहर निकल गया।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ये है सामने नील सिंह यानी कि आज के महाजन का घर ।” मखानी के कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी—“परंतु यहां पर तुझे जगमोहन के रूप में जाना है।”

जगमोहन के रूप में। लेकिन मैं तो बांकेलाल राठौर बना...।

” उसकी तू फिक्र मत कर। मैं तेरा रूप अभी बदल देता हूं।

” ऐसा हो सकता है।”

क्यों नहीं हो सकता। कालचक्र की शक्तियां हमारे साथ हैं। मैं तेरा दिमाग भी जगमोहन जैसा बना दूंगा।”

दर्द होगा।

” थोड़ा-सा। पहले जितना नहीं ।”

अगले ही पल मखानी को अपने शरीर में तीव्र सिहरन दौड़ती महसूस हुई। कुछ पीड़ा भी।

मखानी ने पीड़ा को आसानी से सह लिया। उसने अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस किए। अब वो जगमोहन के रूप में था।

“य...ये मैं तो बदल गया। मेरी मूंछे कहां गईं?" मखानी अपने चेहरे को छूता कह उठा।

“जगमोहन की मूंछे नहीं हैं। तेरे को मूंछे पसंद हैं तो मैं बाद में तुझे फिर बांके बना दूंगा ।” ।

“मैं ऐसा भी ठीक हूं, लेकिन मेरा अपना असली चेहरा क्या है?” मखानी ने पूछा।

“तेरा अपना चेहरा कोई भी नहीं है, तू दूसरों के चेहरों में ही जिएगा।”

“ओह। कोई बात नहीं। जवान तो रहूंगा। मुझे लड़की मिलनी चाहिए।” ।
 
“जरूर मिलेगी। अब मैं तेरा दिमाग बदलकर जग्गू जैसा कर रहा हूं। उसके बाद तू नील सिंह से मिलेगा। उससे जो बातें करनी हैं, वो भी तेरे दिमाग में भर देता हूं।”

“जल्दी कर। उसके बाद मैं लड़की के पास...”

इसके बाद तुझे मिन्नों के पास भेजूंगा फिर तेरे को शानदार लड़की भी दिलवा दूंगा।”

वादा ।” ।

शौहरी का वादा ।

” “ठीक है। जल्दी से मेरा दिमाग बदल। मैं काम खत्म करके फारिग हो जाना चाहता हूं।”

मखानी ने स्विच पर उंगली रखी तो भीतर बेल बजने की आवाज गूंजी।

दो पल उसने इंतजार किया। रात के बारह बज रहे थे।

दरवाजा खुला, महाजन दिखा। जगमोहन को सामने पाकर चौंका।

“तम?

हां मैं ।” कहने के साथ ही जगमोहन ने जोरदार घूसा उसके चेहरे पर मारा।

महाजन लड़खड़ाकर दो-तीन कदम पीछे हो गया।

जगमोहन भीतर आ गया। चेहरे पर क्रोध के सुलगते भाव नाच रहे थे।

नगीना भाभी कहां है?" जगमोहन गुर्राया।

महाजन संभला। उसने जगमोहन को घूरा।

तुमने अभी पारसनाथ से फोन पर बात की थी।

” हां, की थी ।” ।

“तुमने उसे कहा कि तुम मुम्बई में हो।” अब तुम दिल्ली में, यहां मेरे पास कैसे पहुंच गए?”

फालतू बात मत कर, नगीना भाभी के बारे में बता ।” जगमोहन तेज स्वर में बोला।

“इसका मतलब तुमने पारसनाथ से गलत कहा कि तुम मुम्बई में हो। तुम दिल्ली में ही हो। बांके भी यहीं था। पारसनाथ को तुमने गलत खबर दी। दो बेबी और दो बांके होने की बात गलत

तो तू समझ गया।” महाजन का चेहरा कठोर होने लगा।

तो ये सब चाल है तुम लोगों की ।

” हमें नगीना भाभी वापस चाहिए।"

वो हमारे पास नहीं है।

” “मोना चौधरी ने उसे मुम्बई से, उसके बंगले से उठाया है।”

ये बात गलत है। बेबी दिल्ली में ही है।

” तो तू शराफत से नहीं बताएगा।” जगमोहन गुर्राया। महाजन के दांत भिंच गए। तभी भीतर से राधा की आवाज आई।

“क्या बात है नीलू । कौन है?”

महाजन और जगमोहन एक-दूसरे को घूरे जा रहे थे।
 
ये मेरा घर है।” महाजन ने कठोर स्वर में कहा।

मुझे नगीना भाभी वापस चाहिए वो...।" ।

मुझसे झगड़ा करके तू गलती कर रहा है जगमोहन।” महाजन ने दांत पीसकर कहा।।

“ये ही बात मैं तेरे से कहना चाहता...।” जगमोहन का चेहरा क्रोध में तप रहा था।

होश में आ, नगीना को बेबी ने नहीं उठाया।

” तो नहीं मानेगा तू?” जगमोहन ने दांत किटकिटाए।

बेवकूफ, भूल गया तू, तूने ही कहा था कि जथूरा हममें झगड़ा करवाने की चेष्टा...”

“तो इसका ये मतलब नहीं कि मोना चौधरी नगीना भाभी का अपहरण कर लें।”

ये सब नहीं किया बेबी ने।”

तभी जगमोहन उछला और तीर की भांति महाजन से जा टकराया।

| महाजन खुद को संभाल न सका और नीचे जा गिरा। अगले ही पल खड़ा हुआ और गुस्से से भरा जगमोहन पर झपट पड़ा। एक घूसा जगमोहन के पेट में और दूसरा उसके चेहरे पर मारा।
जगमोहन खुद को संभाल न सका और दोहरा होता चला गया। महाजन ने उसके सिर के बाल पकड़कर चेहरा ऊपर किया और घुटना उसके चेहरे पर मारा। | जगमोहन हल्की-सी चीख के साथ पीछे को जा गिरा। संभला। महाजन को खूनी निगाहों से देखा। उसके होंठों से खून बह निकला था। सिर के बाल बिखर गए थे। |

“डर गया मखानी ।” उसके कानों में शौहरी की फुसफुसाहट गुंजी–“घबरा मत, जग्गू में बहुत दम है। महाजन इस वक्त तेरा मुकाबला नहीं कर सकता। तू इसे मार-मार के बुरा हाल कर दे।” | अगले ही पल जगमोहन के होंठों से गुर्राहट निकली और वो उछलकर खड़ा हो गया।

मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा महाजन ।” जगमोहन ने दांत किटकिटाकर कहा।

तभी वहां राधा ने कदम रखा।
वो एक पल में ही माहौल को भांप गई। फौरन दोनों के बीच आकर जगमोहन से बोली।

क्यों रे, तू मेरे नीलू से झगड़ा करता है। मेरे से मुकाबला कर्, मैं ही तेरे हाथ-पांव तोड़ दूंगी।”

बीच में से हट जा राधा।” महाजन गुर्राया।

नहीं—मैं...।

” सुना नहीं, हट–जा ।” महाजन गुस्से से चीखा। राधा महाजन की तरफ पलटकर ऊंचे स्वर में बोली।

क्यों हट जाऊं। मैं क्या कम हूं। इस जैसों को तो मैं ही सीधा कर दूं।” |

महाजन ने खतरनाक अंदाज में जगमोहन को आगे बढ़ते देखा तो, उसने राधा की बांह पकड़कर एक तरफ कर दिया उसे । उसके होंठों से धीमी-धीमी गुर्राहट निकल रही थी।
अगले ही पल महाजन ने जगमोहन पर छलांग लगा दी। दोनों के जिस्म आपस में टकराए और नीचे जा गिरे। फर्श पर ही दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए। जिसे मौका मिलता, वो ही दूसरे को मार देता। घबराई राधा भागकर झाडू ले आई और गुस्से से भरी जब भी उसे मौका मिलता, वो जगमोहन के सिर पर झाडू मार देती और जो मुंह में आए बोले जा रही थी।
 
एकाएक जगमोहन ने महाजन को एक तरफ उछाला और फुर्ती से खड़ा होकर राधा को देखा।

मैं तेरे को छोडूंगी नहीं।” राधा तलवार की तरह झाडू हिलाती कह उठी।

जगमोहन ने राधा की झाडू एक हाथ से पकड़ी और जोरदार घुसा उसके चेहरे पर मारा।

राधा के होंठों से चीख निकली और वो पीछे जा गिरी।

जगमोहन-5-5-S” महाजन गला फाड़कर चीखा और उस पर झपट पड़ा।

दोनों पागलों की तरह भिड़ गए। राधा आधी बेहोशी की हालत में नीचे पड़ी थी। उसके मुंह से खून निकल रहा था।

अगले पांच मिनट में ही जगमोहन और महाजन के चेहरे खून से भर चुके थे।

“बस, ठीक है मखानी।” जथूरा की फुसफसाहट कानों में पड़ी—“निकल यहां से । इसे बेहोश करके साथ ले लेना।”
जगमोहन ने महाजन को जोरों से धक्का दिया तो महाजन दूर जा गिरा।

“मैं तेरे को, पारसनाथ और मोना चौधरी को छोडूंगा नहीं। मार दूंगा सबको ।” जगमोहन गुर्रा उठा।

तू यहां से जिंदा बचकर नहीं जा सकता जगमोहन ।” राधा अब कुछ-कुछ होश में आ रही थी। वो बोली। इसके हाथ-पांव तोड़ दे नीलू।” ।

तभी जगमोहन ने छोटा सा टेबल उठाया और महाजन पर झपट पड़ा। महाजन कुछ समझ नहीं पाया और टेबल उसके सिर पर आ लगा। महाजन की आंखों के सामने लाल-पीले तारे चमके और वो बेहोश होकर नीचे गिरने लगा तो जगमोहन ने उसे थामा और कंधे पर लादकर दरवाजे की तरफ बढ़ा।

“नीलू को कहां ले जा रहा है। रुक-मैं तेरा खून पी जाऊंगी।” राधा चीखी। उसकी हालत खास बेहतर नहीं थी। | राधा फौरन उसके पास आ पहुंची। | अगले ही पल जगमोहन का जोदार चांटा उसके गाल पर पड़ा तो वो चीखकर नीचे जा गिरी।

“मोना चौधरी से कहना, मैं उसे छोडूंगा नहीं। जगमोहन नाम है मेरा।” ।

जगमोहन दरवाजा खोलकर बाहर निकला और महाजन को लादे अंधेरे में आगे बढ़ गया।

मखानी तूने तो कमाल कर दिया ।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी।

सच में।”

“जथूरा की कसम, तूने तो मेरा दिल जीत लिया।”

“तू बातें बहुत करता है शौहरी, लेकिन मेरे काम की बात नहीं करता।”

“तेरे काम की?”

लड़की ।”

बस एक काम और। फिर तेरे को ऐसी शानदार लड़की दिलाऊंगा कि तू पागल हो जाएगा।”

सच कहता है।” ।

“शौहरी तेरे से झूठ क्यों बोलेगा।”

“इसका क्या करूं?" ।

नीचे रख दे।” । मखानी ने बेहोश महाजन को नीचे अंधरे में एक तरफ डाल दिया। मखानी ने शौहरी को बुदबुदाते सुना।।

अगले ही पल उसने एक नई आवाज सुनी। मुझे कैसे याद कर लिया शौहरी ।” स्त्री की आवाज थी।

कोई बहाना तो मिला तुझे याद करने का।”

|
कभी बिना बहाने के भी याद कर लिया कर। क्या तेरा दिल नहीं करता।”

करता है।” ।

“भौरी बता रही थी कि तू फुर्सत में भौरी के साथ मिलने वाला है। ये सच है।”

हां, वो मुझे पसंद है।

” मैं उससे ज्यादा सुंदर हूं।”

सवाल सुंदरता का नहीं, पसंद का है। लेकिन तेरे से भी मिलूंगा। इस वक्त काम कर ।”

“बोल ।”

ये नील सिंह बेहोश है। इसे वहीं पहुंचाना है, जहां नगीना को पहुंचाया है।”

समझ गई।
 
” चल मखानी।” शौहरी ने मखानी से कहा। ये।” उसने महाजन की तरफ इशारा किया। “इसे वास्मा ठिकाने पर पहुंचा देगी।”

वास्मा वो ही जिससे तू बात कर रहा था?

” हां ।” मखानी वहां से चल पड़ा।

वास्मा नील सिंह को कहां ले जाएगी?"

“ये तेरे जानने वाली बात नहीं है।”

तू भी रंगीन मिजाज है मेरी तरह। वो तेरे को मिलने के लिए कह रही थी।" ।

“इन बातों की तरफ ध्यान मत दे। अपने काम को पूरा कर।

तेरे को लड़की नहीं चाहिए क्या?” ।

“क्यों नहीं चाहिए। बता अब क्या करना है?”

“यहीं रह। नील सिंह की पत्नी मिन्नो को सारे हालात बताएगी, तो मिन्नो जरूर यहां आएगी।”
तेरे को मिन्नो से मार-पिटाई करनी है, फिर भाग जाना है।

” भाग जाना है?”

हां। तेरे में इस वक्त जगमोहन की ताकतें हैं और जगमोहन मिन्नो से जीत नहीं सकता। इसलिए भाग चलना है। तेरे को ये दिखाना है, तू इन सब के पीछे पड़ चुका है। किसी को नहीं छोड़ेगा।”

समझ गया। मिन्नो को कुछ कहना भी है तो बता दे ।

” कहना है, सुन लें कि उससे कैसे बात करनी है।”
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मोना चौधरी ने महाजन के घर के बाहर कार रोकी फिर उतरकर तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ी।।

तभी अंधेरे में छिपा बैठा जगमोहन मोना चौधरी पर झपट पड़ा।

मोना चौधरी खुद को संभाल न पाई और नीचे जा गिरी। तुरंत ही उछलकर खड़ी हुई। अंधेरे में भी उसने सामने खड़े जगमोहन को पहचाना और उसके दांत भिंचते चले गए।

जगमोहन गुर्राहट भरे स्वर में कह उठा। | “मैं जानता था कि राधा तेरे को फोन करेगी, तू यहां आएगी। मैं तेरा ही इंतजार कर रहा था मोना चौधरी ।”

महाजन कहां है?" मोना चौधरी गुर्राई।।

“तू उसे पाना चाहती है तो नगीना भाभी को मेरे हवाले कर दे।”

“नगीना मेरे पास नहीं है। मैंने उसका अपहरण नहीं किया।” मोना चौधरी ने गुस्से से कहा।

“झूठ बोलती है कमीनी ।”

जगमोहन ।” मोना चौधरी गुर्रा उठी–“जुबान को लगाम दे और महाजन को मेरे हवाले कर ।”

“नगीना भाभी और महाजन की अदला-बदली कर ले ।”

“मैं तेरे को कैसे समझाऊं कि मैंने नगीना के साथ कुछ नहीं किया है।”

तेरा ये हामीपन मेरे साथ नहीं चलेगा मोना चौधरी ।”

उसी पल मोना चौधरी ने जगमोहन पर छलांग लगा दी। जगमोहन सतर्क था, उसने फुर्ती से खुद को बचाया।
मोना चौधरी के पांव जमीन पर पड़े। वो ठिटककर पलटी और जगमोहन को घूरने लगी।

“तूने कहा था कि जथूरा हम लोगों में झगड़ा करवाने की चेष्टा करेगा।”

सपन चड्ढा ने बताई थी ये बात। मोमो जिन्न ने उससे कहीं थी।” ।

तो तू समझता क्यों नहीं कि ये जथूरा की ही कोई चाल है।

” तेरे को किसने कहा?”
 
क्योंकि मैंने नगीना का अपहरण नहीं किया, मैं दिल्ली में ही थी। नगीना मुम्बई में थी।” ।

“तेरे को किसने बताया कि नगीना मुम्बई में थी?”

पारसनाथ ने। उसका फोन आया था। तुमने भी तो पारसनाथ से बात की । तुमने पारसनाथ को बताया कि तुम मुम्बई में हो, जबकि हकीकत में तुम लोग दिल्ली में ही हो। बांके ने पारसनाथ के पास पहुंचकर झगड़ा किया।”
\
नगीना भाभी मुझे न मिली तो मैं तुम सबको मार दूंगा।

” पागल मत बन ।” मोना चौधरी ने दांत भींचकर कहा।

जगमोहन ने उसी क्षण रिवॉल्वर निकालकर हाथ में ले ली। मोना चौधरी का चेहरा बेहद कठोर हो गया। “अकेला है तू?” मोना चौधरी गुर्राई।

तेरे लिए काफी हूं।”

मतलब कि इस वक्त तेरे को अच्छा-बुरा समझाने वाला कोई नहीं।” शब्दों को चबाकर मोना चौधरी ने कहा।

“तूने कई बार कोशिश की देवराज चौहान को मारने की ।” वो भी हिसाब अब पूरा हो जाएगा। मैं सारी की सारी गोलियां तेरे शरीर में उतार दूंगा। बचना चाहती है तो नगीना को...।”

“ठीक है। चल मेरे साथ ।” मोना चौधरी कह उठी।

कहां?

” जहां मैंने नगीना को रखा हुआ है। उसे तेरे हवाले कर देती

* “अब आई रास्ते पर, पहले तो नखरे दिखा रही थी।” जगमोहन ने कड़वे स्वर में कहा—“रिवॉल्वर देखकर अकल आ गई।”

मोना चौधरी वहां खड़ी जगमोहन को देखती रही।

अंधेरा था उनके बीच।। “तू कार चलाएगी। मैं रिवॉल्वर लेकर पीछे बैठूँगा ।” जगमोहन ने कहा।

मोना चौधरी कार की तरफ बढ़ी। रिवॉल्वर थामे जगमोहन भी कार की तरफ बढ़ा।

अंधेरे का फायदा उठाते हुए मोना चौधरी ने जूते की जोरदार टोकर उसकी रिवॉल्वर पर मारी। रिवॉल्वर अंधरे में कहीं दूर जा गिरी। मोना चौधरी ने सिर की ठोकर, उसके चेहरे पर मारी।

जगमोहन चीखा। मोना चौधरी ने ताबड़तोड़ घूसे जगमोहन पर बरसा दिए।

जगमोहन नीचे जा गिरा। हांफने लगा। मोना चौधरी उसकी छाती पर पांव रखकर, गुर्रा उठी।
तो तू मुझे मारेगा।

” मैं तुझे जिंदा नहीं...।”

मोना चौधरी ने जूते की ठोकर उसके चेहरे पर मारी।

जगमोहन पुनः चीखा।। ।

“अब मैं तुझे बहुत बुरी मौत दूंगी।” एकाएक मोना चौधरी गुर्राई–“तुझे...” ।

उसी क्षण जगमोहन ने मोना चौधरी की टांग पकड़ी और तीव्रता से झटका दिया।

मोना चौधरी लड़खड़ाकर नीचे जा गिरी। जगमोहन फुर्ती से खड़ा हुआ और पलटकर भागते हुए चीखा।
मैं फिर आऊंगा मोना चौधरी । तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा। बुरी मौत मारूंगा तुझे ।”
जगमोहन वहां से भागता चला गया।

“अब भाग मत ।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी—“मिन्नो तेरे पीछे नहीं आ रही ।”

जगमोहन ने दौड़ना बंद किया और चलने लगा। मखानी, तूने तो बहुत बढ़िया काम किया।”

“अभी और काम तो नहीं हैं?”

"नहीं।”

तो लड़की ला।”

पूछता हूं।” फिर शौहरी की आवाज कानों में पड़ी_“भौरी, कमला रानी क्या कर रही है?”

एक काम लेने जा रही हूं। उसे देवा के बंगले पर भेज रही हूं, जहां भवर सिंह और त्रिवेणी भी हैं।”

" “ये काम निबट जाए तो बताना। मखानी को लड़की चाहिए।”

समझ गई। लेकिन इतनी दूर से कमला रानी, मखानी को कैसे मिलेगी?” ।

“तेरी शक्तियां कब काम आएंगी। तू तो पलों में कमला रानी को दिल्ली पहुंचा देगी।”

“तू शरारती हो गया है शौहरी ।”

“मैं मखानी को खुश रखना चाहता हूं। कमला रानी भी खुश हो जाएगी।”

मेरे को कब खुश करेगा तू?” ।

इन कामों से फुर्सत मिले, तब ही तो मिल पाऊंगा तेरे से।”

“तेरे से मिलने का दिल बहुत कर रहा है।”

“जल्दी मिलेंगे।”

मखानी बोल पड़ा।
ये भौरी थी?”

हां ।”

मेरी बात की आड़ में तू अपनी खिचड़ी पका रहा है।”

मेरे पास वक्त कहां। बहुत काम करने हैं।”

“ये कमला रानी कौन है?”

वो ही लड़की, जिसका इंतजाम तेरे लिए कर रहा हूं।”

इस लड़की के नाम से तो लगता है कि इसकी उम्र सौ साल से कम नहीं होगी।” मखानी ने शिकायती स्वर में कहा।

एकदम कड़क है, मिन्नो को देखा अभी तूने—वो कैसी है?”

“बढ़िया-मजेदार।”

कमला रानी, मिन्नों के रूप में ही मिलेगी तुझसे । समझा क्या?” कहकर शौहरी हंस पड़ा।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 
मोना चौधरी ने महाजन के घर के भीतर प्रवेश किया। ड्राइंग रूम सारा अस्त-व्यस्त दिखा।

एक कुर्सी राधा बैठी नजर आई। उसका होंठ सूजा हुआ था। मोना चौधरी को देखते ही उसकी आंखें छलक आईं। वो उठी और दौड़कर मोना चौधरी से जा लिपटीं।
“मोना चौधरी, वो नीलू को बेहोश करके अपने साथ ले गया।” राधा की आंखों से आंसू बह निकले। |

मोना चौधरी का चेहरा बेहद कठोर हो गया। उसने राधा को अपने से अलग किया।
तुम्हें जगमोहन ने मारा है।” मोना चौधरी गुर्राई।

हां। वो अपना नाम जगमोहन ही बता रहा था, कौन था वो?” राधा ने भए स्वर में कहा।

हौसला रखो, सब ठीक हो जाएगा ।” मोना चौधरी की आंखें गुस्से से जल रही थीं।

नीलू को....” । ।

“वो भी वापस आ जाएगा। जगमोहन मरेगा मेरे हाथों से। बुरी मौत मरेगा ।” मोना चौधरी गुर्रा उठी।

“क्या तुमने किसी नगीना को उठाया है, वो नगीना की मांग कर रहा था।”

“मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। जगमोहन का दिमाग खराब हुआ पड़ा है।” मोना चौधरी ने कहा और फोन निकालकर पारसनाथ का नम्बर मिलाने लगी। दूसरी बारी की कोशिश पर नम्बर लगा।

हैलो ।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी। तुम सितारा को, राधा के पास भेज दो पारसनाथ।”

क्यों?” उधर से पारसनाथ का उलझन्-भरा स्वर आया।

जगमोहन यहां झगड़ा करके, महाजन को बेहोश करके अपने साथ ले गया।”

ये कैसे हो सकता है?

” क्यों नहीं हो सकता?” मोना चौधरी के दांत भिंच गए।

जगमोहन मुम्बई में है, वो...।”
उसने झूठ कहा तुमसे। सब कुछ झूठ कहा। जगमोहन, बांके और बाकी सब भी दिल्ली में ही हैं। जगमोहन अभी यहां से गया है। जब मैं आई तो जगमोहन ने मुझे मारना चाहा। वो नगीना को पूछ रहा था।” ।

“ओह।”

लेकिन बाद में भाग गया।” ।

भाग गया। वो भागने वालों में से नहीं है मोना चौधरी ।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।

“न भागता तो मारा जाता।”

“मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। ये सब अजीब बातें हो रही हैं। बांके मेरे पास अकेला आया। उधर जगमोहन अकेला दिखा। जबकि वो झगड़ा करने आया था तो उसे साथ में किसी को रखना चाहिए था।”

“मेरे ख्याल में वे सब अपने-अपने तौर पर नगीना की तलाश कर रहे हैं।”

“तो तुम मानती हो कि नगीना गायब है।”

“जरूर होगी। तभी तो देवराज चौहान के साथ हमारे पीछे पड़ रहे हैं

तुमने ये सोचा है कि वो हमारे पीछे क्यों पड़ रहे हैं? पारसनाथ का आने वाला स्वर गम्भीर था।

क्योंकि उन्हें शक है कि नगींना को हमने उठाया...।

” “तुमने ।”

हां, मैंने नगीना का अपहरण किया है।

” “वो ऐसा क्यों कह रहे हैं?

” मोना चौधरी के होंठ भिंच गए।

जवाब दो मोना चौधरी। क्या वो हमसे झगड़ा करना चाहते हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं?”

ये बात नहीं हो सकती ।” तो वे लोग तुम्हारा ही नाम क्यों ले रहे हैं?

” मोना चौधरी ने कुछ नहीं कहा।
 
“इस मामले में अवश्य कुछ रहस्य है। हमें जथूरा को नहीं भूलना चाहिए, जिसके बारे में सपन चड्ढा ने बताया था। जथूरा किसी कालचक्र का इस्तेमाल कर रहा है, हम लोगों में झगड़ा करवाने के लिए और अब झगड़ा ही हो रहा है। तुमने नगीना का अपहरण किया है या नहीं, बात ये नहीं, बात ये है कि देवराज चौहान की तरफ से कहा जा रहा है कि तुमने, उसकी पत्नी को उठाया है और ये बात वो लोग खामखाह तो कहेंगे नहीं । हमें, इस मामले की तह तक पहुंचाना चाहिए।”
मोना चौधरी के क्रोध भरे चेहरे पर सोच के भाव उभरे। फिर बोली।
जब तक हम लोग देवराज चौहान के लोगों से बात न करें, तब तक तह तक नहीं पहुंचा जा सकता।”

तुम ठीक कहती हो। मैं जगमोहन को फोन करके देखता हूं। महाजन को भी वापस मांगता है।”

“मुझे नहीं लगता कि वो इन हालातों में तुम्हारे फोन की परवाह करेगा।”

देखता हूं।”

सितारा को यहां भेजो। उसके आने तक मैं राधा के पास हूं।” मोना चौधरी ने गम्भीर, गुस्से भरे स्वर में कहा और फोन बंद कर दिया।

देवराज चौहान और जगमोहन बंगले पर पहुंचे तो, पांच मिनट बाद बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव भी आ गए।

“अंम मोन्नो चौधरी को ‘वड' दयो। वो म्हारी भाभी को उठा ले गयो हो।” बांकेलाल राठौर गुस्से में था।

“हालात बिगड़े हुए और समझ से बाहर हैं।”

कैसे बाप?” रुस्तम राव कठोर स्वर में बोला।

पारसनाथ का कहना है कि बांके उसके रेस्टोरेंट पहुंचा। उससे वहां झगड़ा किया। उसके आदमी डिसूजा को गोली मारी।”

नेई बाप । बाप तो उधर खुर्राटे मारेला था ।”

“सत्या कहती है कि नगीना भाभी मोना चौधरी से बात कर रही थी फिर भाभी गायब हो गई। बात करने पर पारसनाथ कहता है कि मोना चौधरी दिल्ली में है। मुम्बई में नहीं । ऐसे में हम किस बात पर यकीन करें और किस पर नहीं। पारसनाथ को हम ये नहीं कह सकते कि वो दोनों बातें झूठ कह रहा है। उसकी एक बात को हम सच मानें तो भी गड़बड़ है। दोनों बातें सच मानें

तो हमें मानना पड़ेगा कि इस वक्त दो बांके और दो मोना चौधरी मौजूद हैं। एक-एक दिल्ली में। एक-एक मुम्बई में। मतलब कि यकीन के साथ कुछ भी कहना कठिन है कि...।”

“पारसनाथ इस तरह का झूठ बोलकर बच नहीं सकता।” देवराज चौहान ने कहा।

। “क्या कहना चाहते हो?” जगमोहन ने उसे देखा।

मेरे खयाल में पारसनाथ झूठ नहीं कह रहा।” देवराज चौहान गम्भीर था।

तो तुम मानते हो कि दो-दो मोना चौधरी और बांके...।” ।

लेकिन ये भी कैसे मुमकिन है।” देवराज चौहान बोला।

“जथूरा की शक्तियां, क्या इस बात को मुमकिन नहीं कर सकतीं?” जगमोहन ने गम्भीरता से कहा। देवराज चौहान के होंठ भिंच गए।

शायद ये सब कुछ होना ही, जथूरा का कालचक्र है। वो हममें झगड़ा करा रहा है।”

म्हारे को जथूरा मिल जावे तो अंम उसी को ‘वड' दयो।” बांकेलाल राठौर गुर्राया।

आपुन उसको बोत मारेला ।”

तभी जगमोहन का फोन बजा। "हैलो।” जगमोहन ने बात की।

जगमोहन । मैं पारसनाथ बोल रहा हूं।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।

ओह–कहो।

” ये तुमने अच्छा नहीं किया।

” “क्या?” जगमोहन के माथे पर बल पड़े–“अच्छा नहीं किया?”

महाजन को तुम उठाकर ले गए। राधा को भी मारा और मोना चौधरी की जान लेनी चाही।”

सन्न रह गया जगमोहन।।

मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि नगीना को मोना चौधरी ने नहीं उठाया। तुम्हें मेरी बात का भरोसा करना चाहिए था।” ।
“तुमने क्या कहा कि मैंने क्या किया है?" जगमोहन ने गहरी सांस लेकर पूछा।।

“तुम भी जानते हो कि...।”

“तुम कहो, मैं तुम्हारे मुंह से फिर सुनना चाहता हूं।” जगमोहन की आंखें सिकुड़ी हुई थीं।

“तुम महाजन के घर गए। उससे नगीना के बारे में पूछा। झगड़ा किया फिर उसे बेहोश करके अपने साथ ले गए। इस दौरान तुमने महाजन की पत्नी राधा को भी मारा।”

“मैंने मारा?” ।

“हां, तुमने । कुछ देर बाद मोना चौधरी वहां पहुंची तो रिवॉल्वर निकालकर तुमने उसकी जान लेनी चाही। जबकि हममें ये बात तय थी कि जथूरा हमारा झगड़ा करवाने की चेष्टा करेगा, परंतु हमें नहीं झगड़ना है। अच्छा यही होगा कि तुम महाजन को आजाद कर दो।” पारसनाथ का स्वर गम्भीर और कठोर था।
 
देवराज चौहान, बांके, रुस्तम की नजरें जगमोहन पर थीं।

“तुम्हारे कहे मुताबिक, मैंने जो-जो किया, उसके लिए मुझे दिल्ली में होना चाहिए।” जगमोहन बोला।

“तुम दिल्ली में ही हो।” ।

नहीं, मैं मुम्बई में हूँ और तुम अपना कोई आदमी मेरे पास भेजकर, अपनी तसल्ली कर सकते हो।”

“ये बात मुझे मोना चौधरी ने बताई है, तो क्या वो झूठ कह रही है?” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।

जगमोहन ने कहने के लिए मुंह खोला कि चुप रह गया। फिर गम्भीर स्वर में बोला।
“शायद वो सच कह रही है।”

क्या मतलब?”

“जिस तरह बांके और मोना चौधरी दो जगह मौजूद थे, इसी तरह मैं भी मैं भी अब दो जगह मौजूद हो गया हूं।”

“तुम्हारा मतलब कि वो तुम नहीं थे?”

“नहीं ।”

तो कौन था वो?”

“जथूरा कोई चाल चल रहा है कि हममें झगड़ा हो ।” जगमोहन सोचों में डूबा कह उठा–“अब मैं यकीनी तौर पर कह सकता हूं कि मोना चौधरी ने नगीना भाभी का अपहरण नहीं किया। तुम्हारे रेस्टोरेंट में पहुंचकर तुमसे झगड़ा करने वाला बांके, बांके नहीं था और मैं—वो नहीं जिसने महाजन और मोना चौधरी से झगड़ा किया। से सब गहरी चाल है हम में झगड़ा करवाने की। ये तो अच्छा है कि मेरी तुमसे बात हो रही है। हम लोग गलतफहमी में नहीं पड़े।”

“मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूं, लेकिन फिर भी...।”

“मैं अब भी कहता हूं कि हमें जथूरा के इस खतरनाक खेल से सावधान रहना है।” जगमोहन कह उठा।

ये सब होता रहा तो कोई कब तक चुप बैठेगा। कभी तो झगड़ा होगा ही।”

“हम समझदार बनकर चलेंगे तो, सब कुछ ठीक रह सकता है।” जगमोहन बोला–“मोना चौधरी अब कहां है?”

“वो, महाजन की पत्नी राधा के पास है। मेरी पत्नी सितारा राधा के पास गई है, वहां पहुंचने ही वाली होगी।”

मोना चौधरी को ये सब बातें समझाओ। उसे शांत रखो।” सुबह बात करूंगा मोना चौधरी से।”

कोई नई बात हो तो मेरे से अवश्य बात कर लेना। हममें गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।”

मुझे महाजन की चिंता हो रही है।”
हमें भी नगीना की चिंता है। जथूरा उनकी जान का नुकसान नहीं कर सकता। ये तो मैं जानता हूं।”
बात खत्म हो गई।

जगमोहन ने फोन बंद करके देवराज चौहान, बांके और रुस्तम राव को देखा।

अब मेरा हमशक्ल भी नजर आने लगा है।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।।

मामला खतरनाक होता जा रहा है।” देवराज चौहान ने कहा।

“मेरे हमशक्ल ने महाजन की पत्नी को मारा। महाजन को ले गया और मोना चौधरी को भी मारा है।” ।

“यो तो घनी गम्भीर बातो हौवे।” ।

अफसोस तो इस बात का है कि हम जथूरा के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते और वो सब कुछ करने को आजाद है।” जगमोहन ने कहा।

“जथूरा इन हरकतों में हमें उलझा रहा है, ताकि हम परेशान होकर मोना चौधरी से झगड़ा करें और जान-माल का नुकसान हो ।” देवराज चौहान ने कहा-“जथूरा बहुत ही शातिर चालें चल रहा है। वो पूरी कोशिश कर रहा है कि हम पूर्वजन्म की यात्रा न कर पाएं ।”

“हम जथूरा को कामयाब नहीं होने देंगे।”

येई चलेगा तो जथूरा सफल हो जाएगा बाप। हममें कभी भी कोई गलती करेला और...।” ।

हम गलती नहीं करेंगे।” जगमोहन ने दृढ स्वर में कहा।

गलती हो जाईला बाप और पता भी नहीं, लगेईला ।”

रुस्तम ठीक कहता है। हमारे चेहरों में, या फिर उनके चेहरों में कोई कुछ करे, तो दूसरा कभी भी क्रोध में हरकत में आ सकता
 
Back
Top