XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 21 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

नानिया के चेहरे पर गम्भीरता थी। बगल में खड़ा कोचवान धीमे स्वर में कह उठा।
रानी साहिबा, अब हमारी खैर नहीं।” ।

चुप रहो। सोहनलाल सब ठीक कर लेगा। चिमटा जाति भी कालचक्र से बाहर निकलना चाहती है।” नानिया बोली।

सरदार ने जगमोहन और सोहनलाल को देखकर कहा।। मुझे न पता था कि रानी साहिबा तुम लोगों के साथ हैं।”

अब तो पता चल गया।” जगमोहन ने कहा।

रानी साहिबा को हमारे हवाले कर दो।” सरदार ने कहा-“इसने हमारे लोग कैद कर रखे हैं।”

जगमोहन पलटकर नाचिया से बोला।।
ये सच कह रहा है?

” हां।”

तुम्हें इसके लोगों को आजाद करना होगा।” जगमोहन कह उठा।

तुम सेवक होकर मुझे आदेश कैसे दे सकते हो?” नानिया उखड़ी।

क्या तुम्हें सरदार के हवाले कर दें।” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा। ।

“ऐसा मत करना, ये ठीक नहीं होगा।” नानिया जल्दी से कह उठी।

। “ये जो कहे, वो मानो।” सोहनलाल बोला—“इसी में मेरी खुशी

“ठीक है। मैं चिमटा जाति के लोगों को आजाद कर देंगी।” नानिया बोली-“तुम्हारी खुशी के लिए।”

जगमोहन ने सरदार से कहा। सुन लिया तुमने ।”

मुझे रानी साहिबा पर भरोसा नहीं ।” सरदार बोला। पीछे खड़े उसके लोग भी कह उठे।

हां हमें इस औरत पर जरा भी भरोसा नहीं है।”

“मुझ पर भरोसा है?” जगमोहन ने कहा।

तुम पर?”

हां। मैं...।”

लेकिन तुम तो अभी कह रहे थे कि तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है।”

“मुझे नहीं है, परंतु तुम्हें मुझ पर भरोसा है क्या? सोबरा ने कहा था कि मैं तुम लोगों को कालचक्र से बाहर ले जाऊंगा।”
“तुम्हें हम पर भरोसा नहीं तो हम तुम पर कैसे भरोसा कर सकते हैं। भरोसा तो बनते-बनते ही बनता है।”

तो अब तुम क्या चाहते हो?”

“हम रानी साहिबा को तब तक अपने यहां बंदी बनाकर रखेंगे, जब तक हमारे लोग इसकी कैद से लौट नहीं आते ।”

इसके लिए जरूरी है कि नानिया महल में जाए और तुम्हारे साथियों को आजाद करे।”...जगमोहन ने कहा।

ये हम नहीं जानते। परंतु हम रानी साहिबा को कैद...।”

तभी सोहनलाल कह उठा।
“तुम तब तक इसे कैद रख सकते हो जब तक नानिया तुम्हारे लोगों को आजाद नहीं करती।”

“मुझे?” जगमोहन पल-भर के लिए सकपका उठा।

हां-तुम...।”

“मैं ही क्यों, तुम क्यों नहीं?” जगमोहन का स्वर कड़वा हो गया।

“मैं..तो...मैं...।”

“बेटे औरत का नशा तेरे सिर पर चढ़ गया है।” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा।

“ये बात नहीं, मैं तो...।”

तभी सदार कह उठा। “हमें मंजूर है। हम इसे कैद में रखेंगे।”

“हो गया फैसला।” जगमोहन ने सोहनलाल को देखते हुए कड़वे स्वर् में कहा।

“मैं नानिया के साथ महल जाकर, चिमटा जाति के लोगों को कैद से जल्दी छुड़वाऊंगा।” सोहनलाल कह उठा।

“क्यों नहीं, अब तो तू महल का राजा है। क्योंकि रानी तेरे पर फिदा है।”

ये बात नहीं मैं तो...।”

तभी सरदार जगमोहन से कह उठा।।
तुम हमारे साथ चलो। मुझे तुमसे कई बातें भी करनी हैं।”

बातें?" जगमोहन ने उसे देखा।

हां, यही कि तुम हमें कालचक्र से कैसे बाहर निकालोगे। मैं तुम्हें बाहर निकलने का रास्ता भी बताऊंगा।”

| जगमोहन ने सोहनलाल से कहा।
नानिया जिस किताब का जिक्र कर रही थी, मुझे वो किताब भी चाहिए।”

सरदार के लोगों को छोड़ने के बाद तुम महल में...।” ।

“मैं महल में कैसे आऊंगा। मुझे क्या पता कि महल कहां पर है।” जगमोहन झल्लाया।

सोहनलाल की निगाह नानिया की सेविकाओं पर गई, तभी नानिया कह उठी।

“मेरी एक सेविका तुम्हारे पास रहेगी। वो तुम्हें महल तक ले आएगी।”

“रानी साहिबा का हुक्म सिर-आंखों पर ।” कोमा ने कहा और जगमोहन के पास आ खड़ी हुई।

जगमोहन ने कोमा को घूरा। कोमा मुस्करा पड़ी।

‘हर तरफ मुसीबत ही मुसीबत है।' जगमोहन बड़बड़ा उठा।

नानिया आगे बढ़ी और सोहनलाल का हाथ थाम लिया। सोहनलाल ने कश लिया तो नानिया मुस्कराकर बोली। धुएं की सुगंध कितनी अच्छी है।”

सोहनलाल उसे देखकर मुस्कराया। तभी कोचवान ने नानिया से कहा।
हम चलें रानी साहिबा। फैसला हो गया। अब हमारा यहां कोई काम नहीं ।” ।

“हां, हमें चलना चाहिए। क्यों सोहनलाल?” नानिया ने सोहनलाल
को देखा ।

हां-हां...चलो।”

उल्लू का पट्ठा।” जगमोहन कह उठा–“चिमटा जाति के लोगों को जल्दी ही आजाद करा के भेजना।” ।

“मैं जाते ही ये काम करूंगा।” सोहनलाल बोला—“क्यों नानिया?” ।

“हां, सोहनलाल ।” नानिया ने कहा-“तब अंधेरा हो जाएगा।
परंतु ये काम अंधेरे में कर दिया जाएगा।” ।

उसके बाद कोचवान, एक सेविका, सोहनलाल और नानिया वहां से आगे बढ़ गए।

जगमोहन ने सरदार को देखा। सरदार मुस्कराकर बोला। “तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें आजाद कर दूंगा।”

क्या कहना चाहते हो?”

तुम मुझे कालचक्र से बाहर निकाल सकते हो। हम सबको बाहर निकाल सकते हो, तो मैं तुम्हें अपने से दूर क्यों जाने दूंगा।”

जगमोहन मुस्करा पड़ा।

ये हमसे चालाकी कर रहा है जग्गू।” कोमा कह उठी।

“जग्गू?” जगमोहन ने कोमा को देखा।

वो तुम किसी से बात कर रहे थे पेड़ पर। वो मुझे नजर नहीं आ रहा था। वो तुम्हें जग्गू ही तो कह रहा था।”

और तुमने मेरा नाम याद रख लिया।”

क्यों न दूंगी। तुम मुझे अच्छे जो लगते हो।” कोमा ने प्यार से कहा।

“कहां जाऊँ? जगमोहन बड़बड़ाया फिर रिवॉल्वर निकालकर सरदार से कहा-“इसे जानते हो। इसी ने मेरे इशारे पर बोगस को मारा था। इससे मैं तुम सब लोगों को मार दूंगा।”

सरदार के चेहरे पर भय के भाव उभरे।

मैं यहां तुम्हारे लिए नहीं, अपने लिए रुका हूं। ताकि तुमसे कालचक्र की बातें जान सकें। उस रास्ते के बारे में जान सकें, जिसका तुम जिक्र कर रहे हो। याद रखो, मुझसे तुम लोग मेहमानों की तरह बर्ताव करोगे। जहां भी तुम लोगों ने चालाकी दिखाई, वहीं मैं सबको बोगस की तरह मार दूंगा।”

सरदार बेचैन दिख रहा था।

रही बात कालचक्र से तुम लोगों को बाहर निकालने की तो अगर मैं ऐसा कर सका तो, जरूर करूंगा। मुझे खुशी होगी तुम लोगों के काम आकर। अब चलो, मुझे वो जगह दिखाओ, जहां पर तुम लोग रहते हो।”
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अब हम दूसरे पात्रों की तरफ चलते हैं। देवराज चौहान, मोना चौधरी, पारसनाथ, महाजन, रुस्तम राव, बांकेलाल राठौर, लक्ष्मण दास,सपन चढ्ढा, मोमो जिन्न और जगमोहन के रूप में मखानी। पूरा मजा लेने के लिए तो आपको पूर्व प्रकाशित उपन्यास ‘जथूरा' पढ़ना पड़ेगा। मोटे तौर पर इतना बता देता हूं कि पूर्वजन्म की महाशक्ति ‘जथूरा नहीं चाहता कि ये लोग पूर्वजन्म की यात्रा करें। क्योंकि इस बार इनका पूर्वजन्म में जाने का मतलब है, जथूरा से टकराव होगा। जो कि जथूरा के लिए नुकसान वाली बात है। जथूरा इन्हें रोकने के लिए भरपूर चेष्टा कर रहा है। अंत में जथूरा ने इन सब पर कालचक्र फेंका। उस कालचक्र में फंसकर ये सब एक-एक करके इस अज्ञात जगह पर आ गए। यहां सब बेहोश हैं। | सिवाय लक्ष्मण दाम, मोमो जिन्न, सपन चढ्ढा और जगमोहन बने मखानी के। हम एक बार फिर पाठकों को याद दिला दें कि मोमो जिन्न की इच्छाएं किसी शक्ति ने जगा दी हैं। अब मोमों जिन्न अपने मन में उठने वाली इंसानी इच्छाओं की वजह से परेशान है। कि अगर ये बात जथूरा के सेवकों को पता चल गई तो वे उसे मार देंगे।

इधर अपनी इच्छाओं को पूरा करने की परेशानी भी उसे और व्याकुल कर रही हैं। अब आगे पढ़ें | मोमो जिन्न की बांहें थामे लक्ष्मण दास और सपन चढ्ढा जिस जगह पहुंचे, वो समुद्र के बीचोबीच जमीन का थोड़ा-सा उभरा हिस्सा था।

टापू भी कह सकते हैं उसे, परंतु वो मात्र एक किलोमीटर से ज्यादा बड़ा नहीं था।

। समुद्र की लहरें किनारे पर पड़े पत्थरों से टकरा रही थीं। पानी की आवाजें उभर रही थीं।
ठंडी नम हवा थी। धूप थी, परंतु बे-असर थी।

सपन।” लक्ष्मण दास कह उठा–“वाह, कितना खूबसूरत नजारा है।”

“सच में ।” सपन चड्ढा समुद्र निहारता कह उठा। “हम कितनी अच्छी जगह आ पहुंचे।”

मुझे तो भूख लग रही है।” दोनों फौरन पलटे। पीछे मोमो जिन्न खड़ा था। दोनों की खुशी हवा हो गई।

ये साला हमारा पीछा कब छोड़ेगा।”

“ऐसा मत कहो। मैं अब तुम्हारे भरोसे हूं।” मोमो जिन्न ने गहरी सांस ली।

हमारे भरोसे?”

जब से मेरे भीतर किसी ने इच्छाएं जगा दी हैं, तब से मैं न तो जिन्न रहा हूं न इंसान। जथूरा द्वारा भेजा गया हूं कि तुम दोनों पर काबू रखें और काम लेता रहूं। लेकिन...।” ।

“तेरे को हम कई दिनों से सह रहे हैं।”
पहले तू कहता था कि हमें नंगा करके सड़कों पर घुमाएगा। जबसे तेरे में इच्छाएं जागी हैं, तब से तूने अपनी मांगों से हमें पागल कर दिया है। एक मिनट भी चैन से नहीं बैठने दिया।” लक्ष्मण दास गुस्से से बोला।

“लक्ष्मण।” सपन ने टोका।।

क्या है?”

अब चिंता की कोई बात नहीं। यहां इस टापू पर ये हमें क्या तंग करेगा।”

ये बात भी ठीक कहीं तूने।”

यहां किसी को बताना मत कि मुझमें इच्छाएं जाग गई हैं।” मोमो जिन्न बोला–“बरना जथूरा मुझे मार देगा।”

मार दे।”

। “ऐसा मत कहो। मैं मर गया तो जथूरा मेरी जगह पर लोमा जिन्न को भेज देगा। लोमा तो वैसे ही बहुत अकडू है। वो बाद में बात करता है, पहले सिर पर चपत मारता है। तुम गंजे हो जाओगे।”

कहां फंस गए।”

मुझे भूख लगी हैं।”
इतनी जल्दी तुम्हें भूख लग गई।”

जल्दी कहां, मैं तुम दोनों को मुम्बई से पलों में यहां ले आया हूं। मेहनत करूंगा तो भूख भी लगेगी। इंसानों को भी तो मेहनत के बाद भूख लगती है। मुझे भी लग रही...।” | मोमो जिन्न कहते-कहते रुका और सिर एक तरफ करके इस तरह हिलाने लगा जैसे किसी की बात सुन रहा हो। इस दौरान उसकी आंखें बंद हो गई थीं।

करीब मिनट भर यही स्थिति रही फिर सिर सीधा करते बोला।

जथूरा के सेवकों ने नए आदेश दिए हैं।” नए आदेश?"

सपन चढ्ढा ने मुसीबत भरे ढंग से उसे देखा।

“हाँ। हमें उस तरफ जाना होगा। वहां पेड़ों के पीछे देवराज चौहान और मोना चौधरी बेहोश पड़े हैं। उनके साथ के लोग भी वहां बेहोश हैं। उनमें जो जगमोहन है, वो कालचक्र का ही हिस्सा है। मखानी है वो...।”

“तो हमें क्या करना है?”

“हमें उन्हें चैन से नहीं रहने देना। उनमें झगड़ा कराना है कि वो चैन से न रह सकें। परंतु ये सब तो दिखावा है, हम कुछ नहीं करेंगे। जथूरा का काम करने का अब मेरा मन नहीं होता। जब से मेरी इच्छाएं जगी हैं, मैं अपने लिए ही कुछ करना चाहता हूं। सुनो, यहां जलेबी मिल सकती है।”

“जलेबी?” लक्ष्मण दास ने बुरा-सा मुंह बनाया।

हां, मीठा खाने का मन हो रहा है। परंतु मैं जानता हूं कि इस वीरान टापू पर ऐसा कुछ नहीं मिलेगा खाने को। चलो मखानी से बात करनी है। इससे पहले कि उन सबको होश आए। ध्यान रखे, मखानी के सामने तुम लोग मेरे सामने इस तरह रहोगे कि जैसे मेरे गुलाम हो।”
 
नहीं। ऐसा नहीं करेंगे हम।”

समझा करो यार, दिखावा ही तो करना है। वर्ना मखानी ने रिपोर्ट आगे भेज दी कि मोमो जिन्न पर मुझे शक है तो मशीनों पर वैठे जथूरा के सेवक, फौरन मशीनों द्वारा मेरी तारों को चैक करेंगे और उन्हें पता लगते देर नहीं लगेगी कि मेरे में इच्छाएं जाग गई हैं। वो फौरन मुझे मार देंगे। उसके बाद तुम्हारे लिए लोमा जिन्न को भेज देंगे जो बात बाद में करेगा और सिर में चपत पहले...।”

“ठीक है, ठीक है दिमाग मत खा।”

“तूने हमसे वादा किया था कि मौका मिलते ही हमें आजाद कर देगा।”

वादा याद है।”

याद ही नहीं रखना, कुछ करना भी है हमें आजाद कराने के लिए।”

जरूर करूंगा। अब एक काम और करो।”

“क्या?"

बोलो जथूरा महान है।”

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा ने मोमो जिन्न को घूरा।

कह दो यार ।” मोमो जिन्न खुशामद भरे स्वर में बोला “इधर तुम ये कहोगे तो उधर मेरे खाते में चढ़ जाएगा कि मोमो जिन्न का काम ठीक चल रहा है। मेरा भला होगा ये कह दोगे।”

“तुम बहुत कमीने हो।”

जो भी कहो, परंतु एक बार कह दो कि जथूरा महान है।”

“तेरी हमारीं ज्यादा पटने वाली नहीं ।” सपन चड्ढा ने चेतावनी भरे स्वर में कहा। ।

“जितना समय निकलता है वो तो निकाल। फिर की फिर देखेंगे।”

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं।

कह दो यार ।”

जथूरा महान है।” लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा ने एक ही स्वर में कहा।।

“जान बची।” मोमो जिन्न ने गहरी सांस ली–“आओ, उस तरफ चलते हैं। वहां कालचक्र का हिस्सा मखानी मौजूद है।”

ये कौन है?” लक्ष्मण दास ने पूछा।

पूछ मत बहुत बड़ा हरामी है।” मोमो जिन्न बोला।

तुझसे भी बड़ा?”

मुझ जैसे शरीफ को क्यों बदनाम करते हो। मौज तो मखानी ले रहा है।” मोमो जिन्न कह उठा।

तीनों वहां से आगे बढ़े और चलते हुए उस जगह को पार करके वहां आ पहुंचे, जहां उन्हें हरियाली और पेड़ नजर आ रहे थे। चट्टानों से टकराने की लहरों की आवाज यहां भी स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

कुछ आगे बढ़े कि सपन चड्ढा ठिटककर कह उठा।

ये क्या।” लक्ष्मण दास भी ठिठका।।

सामने पेड़ों के बीच काफी बड़ी खुली जगह थी। वहां घास भी थी और पहाड़ी पत्थर भी बिखरे हुए थे। जहां कई लोग बेहोश पड़े नजर आ रहे थे। आसमान में सूरज के सामने बार-बार बादलों के टुकड़े आ जाते थे, जिसकी वजह से नीचे कुछ देर के लिए छाया हो जाती थी।

मोमो जिन्न ने अपनी चोंचदार नाक में पड़ी नथनी को छुआ। दोनों को देखा।

बहुत सारे लोग बेहोश हैं यहां ।”

ये देवराज चौहान, मोना चौधरी और उनके साथी हैं।” मोमो जिन्न ने कहा।

“देवराज चौहान ने मुझे यहां तुम्हारे साथ देख लिया तो वो मुझे छोड़ेगा नहीं।” लक्ष्मण दास बोला।

“क्यों?” मोमो जिन्न बोला।

क्योंकि हम तुम्हारे साथ हैं। तुम्हारे कहने पर हम देवराज चौहान और मोना चौधरी का झगड़ा करा रहे थे। ये बात सबको मालूम हो चुकी हैं। एक बार तो इन लोगों ने हमें छोड़ दिया, परंतु अब...।”

“वो देख लक्ष्मण।” लक्ष्मण दास ने नजर घुमाई। मोमो जिन्न ने भी उधर देखा। जगमोहन एक तरफ से चला आ रहा था।

सावधान।” मोमो जिन्न धीमे स्वर में बोला “इसके सामने ये ही जाहिर करना कि तुम दोनों मेरे गुलाम हो। ये कालचक्र का ही हिस्सा मखानी है। सतर्क रहना इसके सामने ।”

सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास की नजरें मिलीं।

जगमोहन यानी मखानी पास आया और मुस्कराकर मोमो जिन्न से बोला।

“मुझे पहचानते हो?”

“हां। खबर मिल गई है मुझे तुम्हारे बारे में। तुम मखानी हो।”

सहीं कहा।” ।

“अब जगमोहन के रूप में हो।” मोमो जिन्न ने अपनी अकड़ कायम रखी।

हां, इस बात को कोई नहीं जानता। ये दोनों तुम्हारे गुलाम हैं?” मखानी ने लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा को देखा।

 
“पक्के गुलाम हैं। जो मैं कहूंगा, वो ही करेंगे दोनों। देखो।” फिर मोमो जिन्न दोनों से बोला-“कहो, जथूरा महान है।”
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। “बोलो।” मोमो जिन्न को लगा कि दोनों उखड़ने लगे हैं।

“जथुरा महान है। दोनों ने एक साथ कहा।

मोमो जिन्न की जान में जान आई। उसने मुस्कराकर मखानी से कहा।
“देखा तुमने मेरे एक इशारे पर बंदर की तरह नाचते हैं। इनकी लगाम मेरे हाथ में है।”

“ये तो अच्छी बात है।” मख़ानी बोला—“कुछ ही देर में इन सब लोगों को होश आ जाएगा। मैं जगमोहन के रूप में देबा के साथ ही रहूंगा। क्या तुम जानते हो कि यहां हम सबने क्या करना है।”

| "देवा और मिन्नों का झगड़ा कराना है।” मोमो जिन्न ने कहा।

खूब। तुम्हें किससे आदेश मिलते हैं मोमो जिन्न?”

जथूरा के सेवक मशीनों पर बैठे हैं। वो ही हालातों पर नजर रखते, मुझे बताते हैं कि मुझे क्या करना है।”

“हम दोनों का मकसद एक ही हैं।”

क्यों न होगा। आखिर हमारा मालिक भी तो एक ही है।”

यहां पर मेरी एक साथिन भी मिलेगी। कमला रानी नाम है उसका ।”

“वों किस रूप में है?" मोमो जिन्न ने पूछा।

मैं नहीं जानता। परंतु इस वक्त वो इनमें नहीं है। जब वो आएगी, तुम्हें बता दूंगा।”

इस जगह पर कौन रहता है?” मोमो जिन्न ने पूछा। “मैं नहीं जानता। मै ये जगह देख नहीं पाया। अभी हमारा बातें करना ठीक नहीं। इन लोगो को होश आने वाला है। मुझे भी बेहोश होने का ड्रामा करना है। इन दोनों से भी कह दे कि ऐसा ही करें ।”

“म...मैं क्या करूं?”

“तू तो जिन्न है। तू बेहोश नहीं हो सकता। आराम से एक तरफ बैठ जा ।”

मोमो जिन्न लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा से कह उठा।
चलो–चलो, उधर चलो। जमीन पर ऐसे लेट जाओ, जैसे बेहोश हो। दूसरे होश में आएं तो तुम भी उठ बैठना।”

मोमो जिन्न दोनों के साथ आगे बढ़ गया। तभी मखानी के कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी। “मखानी।”

“ओह शौहरी ।” मखानी एकाएक बेचैन स्वर में बोला—“कमला रानी कहां है?”

“तू तो कमला रानी के बिना एक पल भी नहीं रह सकता।”

“मुझ बूढ़े को तूने जवान बना दिया। वरना बूढ़ा होते हुए तो तरसता था औरतों को देखकर। अब तो औरतों को भोगने की उम्र है मेरी। दिल तो करता है कि हर वक्त कमला रानी के साथ...।”

“ये काम का वक्त है मखानी ।” कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी।

“काम तो कर ही रहा हूँ।” ।

तेरे को देवा और मिन्नो में झगड़ा कराना है।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ रही थी।

करा दूंगा।” ।

आसान नहीं है ये काम। सब लोग इस बारे में सतर्क हैं कि ये नहीं झगड़ेंगे।”

“ये मेरे पे छोड़। मैं झगड़ा करा दूंगा। कमला रानी के बारे में बता।”

“वो भी तेरे को मिलेगी।”

कब?” । जल्दी ही। इंतजार कर। बे-सब्र मत बन्।”

“ठीक है।” मखानी ने गहरी सांस ली।

कुछ ही देर में सबको होश आ जाएगा। मत भूलना कि तू जगमोहन के रूप में है। इस वक्त तेरे में वो हर चीज डाल रखी है जो जगमोहन में है। परंतु बीती बातों की वजह से देवा तेरे से ढेरों सवाल पूछेगा।”

कैसे सवाल?” ।

“तूने ही तो देवा के सिर में डंडा मारकर बेहोश किया था।”

(ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़े पूर्व प्रकाशित उपन्यास ‘जथूरा' ।)
भूला नहीं हूं।”

देवा कई तरह के सवाल करेगा तेरे से।”

मैं सब संभाल लूंगा। तेरे को मेरे पर विश्वास नहीं रहा?”

पूरा भरोसा है तुझ पर ।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ी।
 
“जग्गू तो यहां नहीं आ सकेगा अब?”

वो तो कालचक्र के भीतरी हिस्से में फंसा पड़ा है। गुलचंद भी उसके साथ है।”

फिर तो वो बचने वाला नहीं ।”

“सच में नहीं बचेगा। कालचक्र उनमें से किसी को छोड़ने वाला नहीं ।”

“तेरे को पता है मैंने और कमला रानी ने तुम लोगों के साथ पूर्वजन्म में जाने का फैसला कर लिया है।”

“हां। भौरी ने बताया था। काम के वक्त ये बातें मत कर ।” शौहरी कीं फुसफुसाहट कानों में पड़ी—“उनके होश में आने का समय हो गया है। मैं फिर आऊंगा।”

उसके बाद मखानी के कानों में कोई आवाज नहीं पड़ी। सोचों में डूबा मखानी, बेहोश पड़े उन सबके बीच जा पहुंचा।

उधर मोमो जिन्न ने खुद को तीन इंच का बना लिया था कि कोई उसे देखे नहीं और एक झाड़ी में जाकर बैठ गया था। लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा इस तरह जा लेटे थे कि जैसे बेहोश हों।

नगीना के होंठों से कराह निकली। शांत पड़ा उसका शरीर हिला। बंद पलकें कांप फिर आंखें खुल गईं। चंद पल वो खुली आंखों से आस-पास देखती रही। उसे एक-दो और दिखे जो बेहोश पड़े थे। नगीना ने सिर को तीव्र झटका दिया तो एकाएक बीती सोचें, उसके मस्तिष्क में उतरती चली गईं।

उस शाम वो बहुत खुश थी। देवराज चौहान और जगमोहन बंगले पर आ रहे थे। डिनर तैयार कर रही थी वो खुशी-खुशी, नौकरानी सत्या के साथ कि तभी बेल बजी। बाहर जाकर देखा तो मोना चौधरी को खड़े देखा। उसे मोना चौधरी का अपने यहां आना पसंद नहीं आया। चंद बातों के पश्चात मोना चौधरी ने उसे चालाकी से बेहोश कर दिया वो मोना चौधरी नहीं कमला रानी थीं। इन बातों को विस्तार से जानने के लिए पढ़ें पूर्व प्रकाशित उपन्यास ‘जथूरा) उसके बाद क्या हुआ नगीना को नहीं मालूम। अब होश आया तो खुद को यहां पाया।

नगीना उठ खड़ी हुई।

शरीर में कमजोरी महसूस कर रही थी। वो नहीं जानती थी कि कितनी देर बेहोश रही। आगे बढ़कर रुस्तम राव के पास पहुंची। उसे भी बेहोश पाया। फिर मोना चौधरी के पास पहुंची, वो औंधी पड़ी थी। | सीधा किया तो मोना चौधरी को वहां देखकर चौंकी, वो भी बेहोशी की अवस्था में।

उसके बाद, पारसनाथ-महाजन, बांकेलाल राठौर, जगमोहन (मखानी) लक्ष्मण दास, सपन चड्ढा और देवराज चौहान को वहां बेहोशी की हालत में देखा। | देवराज चौहान को वहां पाकर उसे राहत मिली, परंतु उसे बेहोश देखकर बेचैन भी हुई।

नगीना ने देवराज चौहान को होश में लाने की चेष्टा की। परंतु कोई फायदा नहीं हुआ।

समुद्र की लहरों के चट्टानों से टकराने की आवाजें नगीना को सुनाई दे रही थीं, वो पानी लाकर यहां पड़े बेहोशों के चेहरों पर डालना चाहती थी, परंतु पानी लाने के लिए कोई बर्तन वगैरा उसके पास न था।

अभी वो इसी उलझन में फंसी थी कि जगमोहन के होंठों से कराह निकली।

नगीना फौरन उसके पास आ पहुंची। “जगमोहन—जगमोहन।” नगीना ने उसके गाल थपथपाए।

जगमोहन यानी मखानी ने आंखें खोल दीं।

शुक्र है कि तुम्हें होश आ गया।” नगीना कह उठी।

“भाभी।” जगमोहन ने कहा और उठ बैठा—“तुम यहां हम कहां हैं?” जगमोहन ने आसपास देखा।

“मैं नहीं जानती। मुझे भी अभी-अभी होश आया है।” नगीना बोली।

देवराज चौहान कहां है?”

उधर वो उधर बेहोश पड़े हैं। यहां मना चौधरी, पारसनाथ-महाजन, बांके रुस्तम भी हैं। दो और लोग भी हैं। जिन्हें मैं नहीं पहचानती।” नगीना ने परेशान स्वर में कहा।

ओह। ये सब कालचक्र का किया है वो...।” । तभी उनके कानों में मोना चौधरी की कराह पड़ी।

नगीना ने उस तरफ सिर घुमाया तो देवराज चौहान को भी हिलते पाया।

सबको होश आने लगा था।

सबको होश आ गया था। देवराज चौहान के चेहरे पर शक की छाया मंडरा रही थी। नगीना उसके पास आ पहुंची थी।

कैसे हैं आप?” पास बैठते नगीना ने पूछा।

“कौन हो तुम?” देवराज चौहान गम्भीर था।

मैं?” नगीना हैरानी से कह उठी-“मैं नगीना हूं, आपने मुझे पहचाना नहीं?”

। “हमारी आखिरी मुलाकात याद है तुम्हें?” पूछा देवराज चौहान ने ।।

“हम स्विटजरलैंड होकर आए थे। उसके बाद आप अपने कामों में व्यस्त हो गए और मैं अपने बंगले पर चली गई। उस शाम आप और जगमोहन, मेरे बंगले पर डिनर के लिए आ रहे थे कि मोना चौधरी वहां आ पहुंची। वो मुझे बेहोश करके साथ ले गई।”

उसके बाद?” देवराज चौहान के होंठ भिंच गए।

“उसके बाद तो मुझे अब होश आया है। आप कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं।”

देवराज चौहान लहरों की आवाज स्पष्ट सुन रहा था।
 
“उसके बाद तो मुझे अब होश आया है। आप कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं।”

देवराज चौहान लहरों की आवाज स्पष्ट सुन रहा था।

तो तुम मेरे बंगले पर नहीं आईं?”

नहीं, मैं कैसे आ सकती थी?”

“ओह, तो वो तुम्हारा नकली रूप था, जो मेरे पास आया। वो कालचक्र की चाल थी, परंतु जगमोहन...।”

“क्या जगमोहन?” “जगमोहन ने मुझे बेहोश किया था, सिर पर डंडा मारकर ।”

नहीं ।” ।

ये सच है और अब मुझे होश...।” देवराज चौहान कहता-कहता ठिठका।

जगमोहन इसी तरफ आ रहा था। होश आ गया तुम्हें?” पास बैठता जगमोहन कह उठा।

देवराज चौहान ने गम्भीर-तीखी नजरों से जगमोहन को देखा।

क्या हुआ?”

तुमने डंडे से मेरे सिर पर बहुत जबर्दस्त वार किया था।”

कब?” जगमोहन के होंठों से निकला।

“बंगले पर। तुमने कॉफी बनाई। एक प्याले में बेहोशी की दवा डाल दीं। तुम मुझे बेहोश करना चाहते थे, परंतु गलती से वो प्याला नगीना की तरफ चला गया और नगीना बेहोश हो गई, फिर...।”

ये तुम क्या कह रहे हो?”

क्यों—गलत क्या कहा?” नगीना समझने वाले ढंग से दोनों को देख रही थी।

मैं...मैं तो सोहनलाल को लेने गया था।” उसके बाद तुम वापस आए और...।”

मैं वापस कब आया। सोहनलाल के घर के बाहर ही तुम मुझे मिले और तुमने मुझे बेहोश कर दिया।”

मैं मिला?” देवराज चौहान चौंका।।

जगमोहन उर्फ मखानी ने कोरा झूठ कहा था।

“हां, तुम थे वो, परंतु अब सोचता हूं कि वो तुम्हारा बहरूप ही होगा, जिसने मुझे बेहोश किया। उसके बाद मुझे अब ही होश आया है और तुम ऐसी बातें कह रहे हो।”

ओह, तो बंगले पर पहुंचने वाले तुम नहीं थे। वो...।”

मेरा बहुरूप होगा। कालचक्र तब तेज गति से अपनी चालें चल रहा था।”

“तब नगीना भी बंगले पर आई जो कि कालचक्र की ही चाल थी। मैं ‘धोखा खा गया।” देवराज चौहान समझने वाले ढंग में कह उठा–“हम कालचक्र का मुकाबला नहीं कर पा रहे थे।”

अब भी तो कालचक्र में फंसे पड़े हैं।” जगमोहन ने कहा।

कालचक्र में?”

हां। कालचक्र ने ही तो हम सबको यहां ला फेंका है। वो हममें झगड़ा करवा देना चाहता है ताकि हम पूर्वजन्म के सफर पर नहीं जा सके। वहां जथूरा से न टकरा सके। जथूरा ने अपनी भरपूर कोशिश की हैं, हममें झगड़ा करवाने की।”

देवराज चौहान की निगाह कुछ कदमों ही दूरी पर मौजूद मोना चौधरी की तरफ उठी।

इसका मतलब हम अब भी खतरे में हैं।” देवराज चौहान बोला। तभी लक्ष्मण दास पास आ पहुंचा।

“देवराज चौहान, मुझे बचा लो। नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा।”

तुम यहां कैसे?” देवराज चौहान कह उठा।

पूछो मत किस्मत की मार है।” लक्ष्मण दास ने छिपी निगाहों से जगमोहन को देखा–“मैं और सपन बंगले पर थे कि मोमो जिन्न हमें उठाकर यहां ले आया। हमें उससे बचा लो देवराज चौहान।”

“मोमो जिन्न कहां है?”

तुम लोगों के होश आने तक तो यहीं था, उसके बाद पता नहीं कहां चला गया?” लक्ष्मण दास ने इधर-उधर देखा।
 
“तुम्हें वो यहां क्यों लाया?”

कहता है तुम्हारी और मोना चौधरी की लड़ाई करवानी है। एक को मार देना है।”

मार देना है?”

मतलब कि झगड़ा करवाकर मरुवा देना है।” जगमोहन उर्फ मखानी कह उठा।

चिंता मत करो। मोमो जिन्न हमारे सामने आया तो उसे देख लेंगे।”

तुम लोगों को यहां पाकर मुझे तसल्ली मिली हैं, वरना घबराहट में ही मेरी जान निकल जाती।” ।

तभी देवराज चौहान ने सब पर निगाह मारी फिर कह उठा।
सोहनलाल कहीं नहीं है।”

सोहनलाल?” जगमोहन ने नजरें घुमाईं—“हां, वों नहीं दिखा।”

। “सब यहां हैं तो उसे भी यहीं होना चाहिए।” देवराज चौहान ने कहा-“उसका भी पूर्वजन्म से सम्बंध है।”

“ये सब क्या हो रहा है कुछ मुझे भी बताइए।” नगीना कह उठी।। |

देवराज चौहान नगीना को सारा मामला बताने लगा।

(ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़े अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास ‘जथूरा' ।)
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होश आने पर महाजन और पारसनाथ मोना चौधरी के पास पहुंच गए। | मोना चौधरी ने मुस्कराकर पारसनाथ को देखा।

अब तो तुम्हें विश्वास हो गया कि मैं ही असली मोना चौधरी

" “क्या करता, उस वक्त मैं ऐसा फंसा था कि, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।”

तो जो जगमोहन मेरे से टकराया।” महाजन बोला–“वो जगमोहन नहीं था?

नहीं, वो कालचक्र का भेजा, जगमोहन का बहरूप था।” मोना चौधरी ने कहा।

ये कालचक्र आखिर है क्या?”

“जथूरा का भेजा कोई खतरनाक तमाशा है, जिसने हमें पागल बनाकर रख दिया है।” मोना चौधरी के दांत भिंच गए“हम सबको कालचक्र ने नचा रखा है कि हम आपस में उलझकर रह जाएं। पूर्वजन्म की यात्रा न कर सकें।”

“परंतु हमने सोचा हीं कब था, पूर्वजन्म की यात्रा करने के लिए।”

“हमने नहीं सोचा, परंतु “जथूरा' ने अपनी शक्तियों से जान लिया होगा कि हमारे द्वारा पूर्वजन्म की यात्रा सम्भव हो सकती है। उधर जगमोहन को जथूरा द्वारा रचे गए हादसों का पूर्वाभास होने लगा, ताकि वो हादसों को रोककर जथूरा को मात दे सके। लेकिन जथूरा ताकतवर निकला। उसने कालचक्र हम पर फेंका और नतीजतन हम सब अब यहां, इस अंजानी जगह पर पहुंच गए। कालचक्र ने हमें एक-एक करके यहां पहुंचा दिया ।” ।

“ऐसा उसने क्यों किया?”

“वो हममें झगड़ा करवाना चाहता है। वो चाहता है कि मैं या देवराज चौहान, कोई एक खत्म हो जाए। जगमोहन के पास जथूरा का खास आदमी पोतेबाबा बात करने आता है। पोतेबाबा ने जगमोहन को बताया कि देवराज चौहान या मुझमें से एक खत्म हो जाएगा तो जथूरा को डर नहीं रहेगा कि हम उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।” मोना चौधरी गम्भीर स्वर में बोली-“अब इस बात का ध्यान रखना कि बेशक कुछ भी हो जाए। हमने देवराज चौहान और उसके साथियों से झगड़ा नहीं करना है। इस तरह हम जथूरा को मात दे सकते हैं। उसने हमें एक जगह इसलिए इकट्ळा किया है। कि हम में झगड़ा हो जाए।”

“माना कि हम झगड़ा नहीं करते।” पारसनाथ गम्भीर स्वर में बोला–“परंतु यहां हम करेंगे क्या। कालचक्र हमें आराम से नहीं रहने देगा। जथूरा कोई नई चाल चलेगा, हमें परेशान करने को।”

“पहले हमें ये देखना है कि हम कहां पर हैं।”

“आस-पास समुद्र है। लहरों के टकराने की आवाजें आ रही हैं।” महाजन कह उठा।

देखते हैं।” कहने के साथ ही मोना चौधरी उठ खड़ी हुई।

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा भी यहीं हैं। उन्होंने तुममें और देवराज चौहान में झगड़ा करवाने की चेष्टा की थी। तब तो वो सारा इलजाम किसी मोमो जिन्न पर थोप रहे थे। मैं समझ नहीं पाया कि दोनों यहां क्यों हैं?” महाजन बोला।

“इनके यहां होने का मतलब है कि मोमो जिन्न भी पास ही होगा।” मोना चौधरी बोली। ।

“फिर तो ये वो ही करेंगे, जो मोमो जिन्न चाहेगा।” पारसनाथ बोला—“हमें इनसे सतर्क रहना होगा।”

देवराज चौहान से बात की जाए?” महाजन बोला।

चलो, उसके पास चलते हैं। इन हालातों में हमें एक रहना चाहिए।”

वो तीनों देवराज चौहान के पास पहुंचे।
 
देवराज चौहान, जगमोहन और नगीना की निगाह उन पर टिक गई थी। । “अब तो तुम्हें पूरी तरह समझ आ गया होगा देवराज चौहान कि ये सब हममें झगड़ा करवाने के लिए किया जा रहा है।” मोना चौधरी ने कहा-“कम-से-कम मुझे तो ये ही महसूस हुआ है।”

मैं ये बात पहले ही समझ रहा था।” देवराज चौहान ने कहा।

“हमें किसी भी हाल में आपस में झगड़ा नहीं करना है। जथूरा जो भी है, वो तुम्हें या मुझे, हममें से एक को मारना चाहता है। ताकि हममें से कोई उस स्थिति में पूर्वजन्म में प्रवेश कर जाएं तो उसका नुकसान न कर सके। मुझे पेशीराम (फकीर बाबा) की बात याद आती है कि हम दोनों के ग्रह जब इकट्ठे होकर राह पर चलेंगे तो, कोई हमारा मुकाबला नहीं कर सकेगा। यहीं वजह है कि जथूरा हममें से एक को मारना चाहता है।” मोना चौधरी का स्वर गम्भीर था।

“तुम ठीक कहती है। इस वक्ती तौर पर हमें एक होकर रहना है।” देवराज चौहान बोला।

तभी जगमोहन कह उठा।

“अब हमें ये जानना है कि यहां पर जथूरा क्या चाहता है हमसे?”

वो जरूर कुछ करेगा।” महाजन बोला-“जल्दी ही करेगा।” हमें सतर्क रहना होगा।”

ये जगह कौन-सी है?” नगीना ने पूछा।

ये ही हम जानने की चेष्टा में जाने लगे हैं।” पारसनाथ ने कहा।

मैं भी तुम लोगों के साथ चलता हूँ।” जगमोहन उठ खड़ा हुआ।

“हम लोगों के साथ की अपेक्षा, अलग से जाओ दूसरी दिशा में।” मोना चौधरी बोली-“महाजन को अपने साथ ले जाओ। हम जह्म भी होंगे, एक घंटे बाद वापस आ जाएंगे।”

ठीक है। महाजन तुम मेरे साथ चलो।” जगमोहन ने कहा। |
मोना चौधरी ने कुछ दूर बैठे बांके और रुस्तम राव को देखकर कहा।

“सोहनलाल का यहां न होना, उलझन वाली बात है। वो भी पूर्वजन्म का है। बाकी सब इधर हैं।”

शायद वो आ जाए। या पास ही में बेहोश हो कहीं।” जगमोहन ने कहा। |

मोना चौधरी ने कुछ नहीं कहा और पारसनाथ के साथ एक तरफ बढ़ गई।

जगमोहन भी, महाजन के साथ दूसरी दिशा में बढ़ गया।
तभी नगीना कह उठी।
इस वक्त तो मोना चौधरी बहुत प्यार से बात कर रही है।”

हम सब खतरे में हैं।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।

छोरे।” बाकेलाल राठौर कह उठा–“यो मोन्नो चौधरी तो म्हारे देवराज चौहान के पटावे लागे हो।”

कोई फायदा नहीं होईला बाप ।”

“क्यों?

नगीना दीदीं पास में होईला ।”

“यो कालचक्रो ने म्हारे को इधर ला पटको हो। जगमोनो म्हारों को बेहोश करो हो।”

वो जगमोहन का नकली रूप होईला बाप ।”

“अंम जथूरे को ‘वड’ दयों, वो म्हारे सामने पड़ो तो।”

ये ई तो मुसीबत होईला बाप कि जथूरा अभी तक किसी को नेई दिखेला।”

“डरपोको होवे वो, जो अभी तक छिप होवे ।” बांके जगमोहन को महाजन के साथ दूर जाता देखकर कह उठा–“म्हारे को तो अभी भी जगमोनो पर शक हौवे । नकली रूप लागे हो मन्ने को ।”

“क्योंकि बंगले पर वे तेरे को बेहोश करेला बाप ।”

“वो बात न कर छोरे-म्हारे को गुस्सो चढ़ जावे।”

आपुन की खोपड़ी पर भी जगमोहन ने स्टूल मारेला बाप।

पर वो जगमोहन न हौवे ।” यो घाटकोपरों वाले इधर का करो हो?” ।

“वो लक्ष्मण दास, सपन चड्ढा होईला। एक देवराज चौहान को जानता है और दूसरा...।” ।

यो इधरो क्यों मरो हो।”

तभी दूर बैठी नगीना ऊंचे स्वर में कह उठी। तुम दोनों हमारे पास क्यों नहीं आ जाते?”

“आते हैं बहनो।” बांकेलाल राठौर ने कहा “अम्भी आवे है।”

बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव की नजरें मिलीं।

छोरे। अंम सबो ही खतरों में हौवे ।”

सच कहेला बाप ।”

वो जथूरो और उसो का कालचक्रो म्हारा पीछा न छोड़े हो।” ।

“परफैक्ट कहेला बाप ।”

ईब का करो अंम?”

तुम कहो बाप। तुम्हारी मूंछेला है। तुम बड़ा होईला मेरे से ।”

मूछे थारी नाक के नीचे फिट कर दयो अंम।”

क्यों बच्चे को बाप बनाईला, बाप ।”

म्हारे को इधरो इस वास्तो लायो कालचक्रो कि इधरो अंम बच न पायो।”

राईट कहेला बाप ।”

अंम देखो कि अंम किधरो हौवे। यो जगहो किधरों की हौवे ।”

मोना चौधरी, जगमोहन येई देखने वास्ते गईला बाप । उनका इंतजार करेला ।”
 
बांकेलाल राठौर ने लक्ष्मण दास को देखा जो सपन चड्ढा के पास बैठा था। दोनों इधर-उधर देख रहे थे। बांके ने दोनों को इशारे से पास बुलाया।।

वो आ पहुंचे।

तुम कौन से खेतों की मूलो हौवे?”

मूलो?” सपन चड्ढा हड़बड़ाया।

पंजाबो के खेतो की, हरियाणा, यू.पी., महाराष्ट्र-गुजरात, किधरों का बीजो हौवे?”

“ये क्या कह रहा है? सपन चड्ढा ने लक्ष्मण दास से कहा।।

ये हमारा परिचय पूछ रहा है।”

ये तो मूलो के बारे में पूछ...।”

“अब हमारी यही इज्जत रह गई है। मोमो जिन्न ने हमें कुत्ता बनाकर रख दिया है।” लक्ष्मण दास ने गहरी सांस ली।

वो है किधर?” दोनों की निगाह घूमी। परंतु मोमो जिन्न कहीं न दिखा।

वो पास ही कहीं पर होगा। बहुत हरामी है साला ।” सपन चड्ढा कह उठा।

“अंम थारो बारे में पूछो हो कि कौण खेतो की मूली...।” ।

महाराष्ट्र। मुम्बई के खेतों में हम रहते हैं।”

अंम भी मुम्बईयों के खेतों में ही पलो हो, पर थारी डाल कम्मो न देखो।”

लक्ष्मण दास सपन चड्ढा की नजरें फिर मिलीं।

“ये क्या कहता है मुझे समझ नहीं आती।” सपन चड्ढा कह उठा।

तू चुप रह। मैं बात करूंगा।” ।

“थारे को इधरो कोणो लाया हो?”

मोमो जिन्न् ।” ।

वो कौण हौवे?”

जिन्न है वो।”

किधर है वो?”

पता नहीं। हमें यहां छोड़कर, वो कहीं चला गया है।”

वो जब वापस लौटे तो म्हारे को बतायो, अंम उसो को ‘वड दयो।”

“ठीक है।” लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा उन दोनों से दूर हुट गए।

लक्ष्मण।”

बोल।”

क्यों न हम देवराज चौहान को बता दें कि जगमोहन असली जगमोहन नहीं, कालचक्र का हिस्सा है।”

ऐसा मत सोच।” लक्ष्मण दास बेचैन हुआ।

क्यों?” ।

पता नहीं क्या मामला है। कहीं हम ही न रगड़े जाएं।” लक्ष्मण दास बोला। ।

“वों नकली जगमोहन पास रहकर, देवराज चौहान को रगड़ देगा। देवराज चौहान उस पर भरोसा कर रहा है।”

“जल्दी मत कर, सोचने दे। मोमो जिन्न को मत भूल। वो हमारे आस-पास ही है। उसकी इच्छाएं वापस आ गई हैं, इस वजह से वो कमजोर पड़ने लगा है, परंतु उसे हम पर गुस्सा आ गया तो, हमारा काम तमाम कर देगा।”

“मैं तो कहता हूं, देवराज चौहान को जगमोहन के बारे में बता

“जल्दी मत कर। सही वक्त आने दे। जरूर बताएंगे ये बात देवराज चौहान को।” लक्ष्मण दास ने धीमे स्वर में कहा।

सूर्य पश्चिम की तरफ सरक चुका था।

मोना चौधरी, पारसनाथ, जगमोहन और महाजन को गए, दो घंटे से ज्यादा हो गए थे।

परंतु वे अभी तक न लौटे थे।

अगले दो घंटों में अंधेरा हो जाना था। उनका इंतजार अब और न किया जा सकता था। जाहिर था कि अब उन्हें ढूंढने जाना था कि वो वापस क्यों नहीं लौटे।

 
सपन चड्ढा ने धीमे स्वर में लक्ष्मण दास ने कहा। “मुझे तो गड़बड़ लग रही है।”

“क्या?"

जगमोहन बने मखानी ने ही कोई गड़बड़ की होगी। तभी वो वापस नहीं लौटे।”

चुप कर ।”

मेरी मान तो देवराज चौहान को बता दें कि जगमोहन, जगमोहन नहीं, कालचक्र का हिस्सा मखानी है।”

मेरे कहने से वो क्या मान जाएगा?”

“सर्तक तो हो जाएगा। उसके दिमाग में शक तो आ जाएगा।” सपन चड्ढा बोला।

मेरे खयाल में तो इस उलझे मामले में हमारा चुप रहना ही अच्छा है।”

सपन चड्ढा ने कुछ दूर बैठे देवराज चौहान को देखा।

यहां कोई भी हमारा सगा नहीं है।”

“मोमो जिन्ना ने जानें किस मुसीबत में फंसा दिया हमें।”

मुझे मौका लगा तो मैं मोमो जिन्न की गर्दन मरोड़ दूंगा।”

ये आसान नहीं है।”

साला नजर भी तो नहीं आता कि कहां मर गया।”

उन चारों को गए काफी देर हो गई है।” देवराज चौहान बोला–“एक-दो घंटे में अंधेरा हो जाएगा। उन्हें ढूंढ़ने जाना होगा।”

क्या पता वो किधर होईला बाप ।” रुस्तम राव ने कहा।

वो दो-दो में बंटे अलग-अलग दिशाओं में गए हैं। किसी एक पार्टी को तो वापस आना चाहिए।” नगीना बोली।

“अंम ढूंढो उन्हों को–चल्लो।” बांकेलाल राठौर उठ खड़ा हुआ। बाकी तीनों भी उठे।।

“हम अलग-अलग होकर उन्हें...।” नगीना ने कहना चाहा।

नहीं हम एक साथ ही उन्हें ढूढ़ेगे।” देवराज चौहान बोला—उनके वापस न लौटने से जाहिर है कि यहां खतरे हो सकते

जैसी तुम्हारी मर्जी बाप ।” बांकेलाल राठौर ऊंचे स्वर में लक्ष्मण और सपन चड्ढा से कह उठा।

तंम भी म्हारे साथ चल्लो।”

“किधर?” सपन और लक्ष्मण उठकर फौरन पास आ पहुंचे।

उन सबों को ढूंढने के वास्ते, वो लौटे ना अभी तक ।”

“हों-हां, हम चलने को तैयार हैं।” लक्ष्मण दास कह उठा।

म्हारे को समझ न आवे कि तंम दोनों इधरो क्यों आयो हो। तंम तो पूर्वाजन्मों के न होवो।”

“वो मोमो जिन्न हमें यहां लाया है।” सपन चड्ढा बोला—“हम तो आना ही नहीं चाहते थे यहां।”

तभी नगीना बोली। “हमारे जाते ही वे लोग वापस लौट आए तो?”

दीदी ठीक कहेला है। आपुन में से कोई इधर ही टिकेला।” देवराज चौहान की निगाह सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास पर गई।

तुम दोनों यहीं रहो।” देवराज चौहान बोला–“वो लोग यहां आ जाएं तो उन्हें यहीं रोके रखना। हम यहीं पर लौटेंगे।”

ठीक है।” देवराज चौहान, नगीना और रुस्तम राव वहां से आगे बढ़ गए।

कितनी सुनसान जगह है।” सपन चड्ढा बोला।

“लेकिन अच्छी जगह है। यहां पर...।”

वो देख हरामी आ गया।” सपन चड्ढा ने कहा। लक्ष्मण दास की निगाह घूमी। चंद कदमों के फासले पर चार फुट का मोमो जिन्न खड़ा था।

तू मरता क्यों नहीं।” लक्ष्मण दास गुस्से में कह उठा।

ऐसा मत कहो। जिन्न की मौत नहीं होती।” वो पास आते कह उठा–“जिन्न को सिर्फ बोतल में बंद किया जा सकता है।”

मुझे बता कि तेरे को बोतल में कैसे बंद...।”

फालतू की बातें मत करो।” मोमो जिन्न पेट पर हाथ फेरता कह उठा–“मुझे भूख लगी है।”

“पत्थर खा ले।” सपन चड्ढा चिढ़कर बोला—“इसके अलावा तुम्हें कुछ भी खाने को नहीं मिलेगा।”

“तुम नाराज क्यों हो मुझसे?”

हमें यहां क्यों लाए?”

“मजबूरी थीं। न लाता तो जथूरा के सेवक जान जाते कि मुझमें इच्छाएं जाग गई हैं।”

हम तो फंस गए।” ।

एक बार मैं सोबरा के पास पहुंच जाऊ फिर सब ठीक हो जाएगा।”

“अभी चल ।”

कहाँ?*

सोबरा के पास ।”

अभी नहीं जा सकता। हालात बहुत बिगड़ चुके हैं।”

क्या मतलब?”

मखानी कालचक्र के लिए काम कर रहा है। तुम क्या समझते हो कि उनमें से कोई वापस लौटेंगा।”

नहीं लौटेगा?”

नहीं।” मोमो जिन्न ने इंकार में सिर हिलाया—“वो सब मुसीबत में पड़ते जा रहे हैं।”

“मैं देख आया हूं। यहां कालचक्र की बसाई बस्ती है। यहां आने वालों को वहीं पर, उस बस्ती में ही फंसना है। कालचक्र की कोशिश होगी कि वहां देवा और मिन्नो में झगड़ा करा दे।” मोमो जिन्न बोला–“एक की जान ख़त्म हो जाए।”

“ये तो बुरा होगा।”

मखानी उन सबको फंसाता जा रहा है उस बस्ती में...।”

परंतु वों...।”

सवाल मत करो। मेरी सुनो। मैं तुम्हें समझाता हूँ कि तुम दोनों ने उस बस्ती में जाकर क्या करना है।”
 
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