desiaks
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नानिया खुश थी। सरदार खुश था। बस्ती वाले खुश थे। जगमोहन भी खुश ही था, परंतु कोमा की मौत का ध्यान उसे बार-बार आ रहा था। नानिया को खुश पाकर, सोहनलाल खुश था। सरदार जगमोहन के पास पहुंचा और आभार भरे स्वर में कह उठा।
“तुम्हारी वजह से हम कालचक्र से मुक्ति पा सके।”
सबकी ही कोशिश थी।” जगमोहन ने कहा-“इसका सेहरा कोमा के सिर पर जाता है।”
“वो शायद तुम्हें सच्चा प्यार करती थी। तुम्हारी खातिर उसने अपनी जान दे दी।”
जगमोहन कुछ नहीं बोला।
अब हम अपनी बस्ती में जाएंगे, जहां कालचक्र में फंसने से पहले रहा करते थे।” सरदार बोला। “तुम इस जगह को जानते हो?”
क्यों नहीं जानूंगा। यहीं पर तो बचपन बिताया था।”
तो ये क्या जगह है?”
जथूरा की जमीन है ये।”
“ओह। तो पूर्वजन्म में प्रवेश कर लिया है मैंने।”
“क्या कहा?”
कुछ नहीं।” जगमोहन हर तरफ नजरें घुमाता कह उठा-“जथूरा का भाई सोबरा कहां रहता है?”
पूर्व की तरफ। जथूरा और सोबरा में जमती नहीं। झगड़ा है।”
क्यों?”
पुरानी बातें हैं। अब ठीक से याद नहीं। लेकिन इतना ध्यान है कि जथूरा के पिता गिरधारीलाल के पास खास ताकतें थीं। जिन्हें उन्होंने कैद करके अपने पास रखा था। परंतु गिरधारीलाल की मौत के पश्चात जथूरा ने ताकतों पर अपना कब्जा जमा लिया। जबकि सोबरा का कहना था कि पिता की चीजें दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बंटनी चाहिए।”
सोबरा ठीक कहता है।”
लेकिन जथूरा ने उसकी एक न सुनी। सुनने में आता है कि उन्हीं ताकतों के दम पर जथूरा हादसों का देवता बन गया। उसने और ताकतें भी इकट्ठी कर लीं। सोबरा भी कम नहीं रहा। परंतु जथूरा उससे काफी आगे निकल गया।”
“दोनों में सच्चा कौन है?”
“शायद सोबरा।” सरदार ने कहा। पोतेबाबा के बारे में सुना है?”
“पोतेबाबा जथूरा का सबसे खास सेवक है। जथूरा अगर किसी पर भरोसा करता है तो वो पोतेबाबा ही है।” ।
जगमोहन के चेहरे पर सोच के भाव दौड़ने लगे थे। “तुम मेरे साथ मेरी बस्ती में चल सकते हो।” सरदार बोला।
नहीं। मुझे जथूरा या सोबरा में से किसी एक के पास जाना है। तुम कहो, किसके पास जाना चाहिए?”
“मैं इस बारे में अपनी राय नहीं दे सकता।” सरदार ने इनकार में सिर हिलाया।
क्यों?”
“मुझे दोनों ही पसंद नहीं। क्या तुम मेरे साथ चलोगे?"
नहीं।” बाकी भी नहीं जाएंगे?”
उनसे तुम पूछ सकते हो।” सरदार सोहनलाल और नानिंया की तरफ बढ़ गया।
आखिरकार सरदार अपने लोगों के साथ वहां से चला गया। सोहनलाल और नानिया जगमोहन के पास पहुंचे।
जगमोहन, हम पूर्वजन्म में आ पहुंचे हैं।” सोहनलाल ने कहा।
तो यहां के खतरों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।” जगमोहन मुस्करा पड़ा।
सोहनलाल ने गहरी सांस ली। पूर्वजन्म की क्या बातें हैं?” नानिया ने पूछा।
कभी हम भी इन्हीं जगहों पर पैदा हुए थे।” सोहनलाल ने कहा।
“फिर?”
बताऊंगा सब कुछ।” सोहनलाल ने कहा-“ये वक्त इन बातों का नहीं हैं।” उसने जगमोहन को देखा_*अब क्या करना है?”
“मैं उलझन में हूं।” जगमोहन ने कहा-“उस तरफ का रास्ता जथूरा की तरफ जाता है और उधर का, सोबरा की तरफ। समझ में नहीं आता कि किस तरफ जाऊं। कहां की तरफ जाना हमारे हित में होगा।”
“जथुरा की तरफ तो बिल्कुल मत जाओ।” नानिया बोलीं।
“क्यों?”
वो अच्छा नहीं है।”
“और सोबरा अच्छा है?” नानिया के चेहरे पर हिचकिचाहट के भाव उभरे। वो कह उठी।
सोबरा भी ज्यादा अच्छा नहीं है। लेकिन जथूरा से तो अच्छा ही है।”
जगमोहन ने फौरन कुछ नहीं कहा।
सोहनलाल मैं कितनी खुश हूं कि कालचक्र से आजाद हो गई।” नानिया बहुत खुश थी—“तुम फल खाओगे?”
“हां।” ।
“मैं अभी लाती हूं।” कहने के साथ ही नानिया फल वाले वृक्ष की तरफ भागती चली गई।
सोहनलाल और जगमोहन की नजरें मिलीं।
“मैं देवराज चौहान के बारे में सोच रहा हूं।” जगमोहन बोला—“वो कहां होगा?”
“देवराज चौहान ही नहीं, वो सब ।” सोहनलाल बोला–“नगीना, बांके रुस्तम, मोना चौधरी, पारसनाथ, महाजन् । हम दोनों पूर्वजन्म में प्रवेश कर आए हैं तो वो लोग भी पूर्वजन्म से दूर नहीं होंगे।”
जगमोहन कुछ कहने लगा कि तभी उसके कानों में फुसफुसाहट पड़ी।
जग्गू।” ।
“तुम?” जगमोहन के होंठों से निकला। सोहनलाल की नजरें जगमोहन पर टिक गईं।
मैं वो ही हूं जो तुमसे कुएं में मिला था। तुमसे बात की थी।” आवाज पुनः कानों में पड़ी। (ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़े ‘जथूरा’।)
“पहचान चुका हूं तुम्हें ।” जगमोहन बोला-“अब हम कालचक्र में नहीं हैं। तम अपने बारे में बताओ।”
“अवश्य। बहुत जल्द मैं तुम्हारे सामने आऊंगा। परंतु इस वक्त मैं तुम्हारी समस्या का समाधान करना चाहता हूं।”
“कैसी समस्या?”
तभी नानिया दोनों हाथों में फल थामे पास आ पहुंची। “लो सोहनलाल, फल खाओं।”
सोहनलाल ने एक फल उठा लिया।
नानिया ने फल जगमोहन की तरफ बढ़ाए तो जगमोहन ने भी एक फल उठा लिया।
तुम उलझन में हो कि जथूरा की तरफ जाओं या सोबरा की तफ।”
हो ।”
तुम्हें सोबरा की तरफ जाना चाहिए। तभी संतुलन कायम रहेगा।”
“कैसा संतुलन?” ।
इस बात का जवाब तो तुम्हें वक्त आने पर पता चलेगा।”
“तुम मेरी किसी बात का स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे।” जगमोहन बोला–“ये बताओ कि तुम किसकी तरफ हो?” ।
मैं सोबरा की तरफ से आया हूं।”
“तुम्हारी वजह से हम कालचक्र से मुक्ति पा सके।”
सबकी ही कोशिश थी।” जगमोहन ने कहा-“इसका सेहरा कोमा के सिर पर जाता है।”
“वो शायद तुम्हें सच्चा प्यार करती थी। तुम्हारी खातिर उसने अपनी जान दे दी।”
जगमोहन कुछ नहीं बोला।
अब हम अपनी बस्ती में जाएंगे, जहां कालचक्र में फंसने से पहले रहा करते थे।” सरदार बोला। “तुम इस जगह को जानते हो?”
क्यों नहीं जानूंगा। यहीं पर तो बचपन बिताया था।”
तो ये क्या जगह है?”
जथूरा की जमीन है ये।”
“ओह। तो पूर्वजन्म में प्रवेश कर लिया है मैंने।”
“क्या कहा?”
कुछ नहीं।” जगमोहन हर तरफ नजरें घुमाता कह उठा-“जथूरा का भाई सोबरा कहां रहता है?”
पूर्व की तरफ। जथूरा और सोबरा में जमती नहीं। झगड़ा है।”
क्यों?”
पुरानी बातें हैं। अब ठीक से याद नहीं। लेकिन इतना ध्यान है कि जथूरा के पिता गिरधारीलाल के पास खास ताकतें थीं। जिन्हें उन्होंने कैद करके अपने पास रखा था। परंतु गिरधारीलाल की मौत के पश्चात जथूरा ने ताकतों पर अपना कब्जा जमा लिया। जबकि सोबरा का कहना था कि पिता की चीजें दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बंटनी चाहिए।”
सोबरा ठीक कहता है।”
लेकिन जथूरा ने उसकी एक न सुनी। सुनने में आता है कि उन्हीं ताकतों के दम पर जथूरा हादसों का देवता बन गया। उसने और ताकतें भी इकट्ठी कर लीं। सोबरा भी कम नहीं रहा। परंतु जथूरा उससे काफी आगे निकल गया।”
“दोनों में सच्चा कौन है?”
“शायद सोबरा।” सरदार ने कहा। पोतेबाबा के बारे में सुना है?”
“पोतेबाबा जथूरा का सबसे खास सेवक है। जथूरा अगर किसी पर भरोसा करता है तो वो पोतेबाबा ही है।” ।
जगमोहन के चेहरे पर सोच के भाव दौड़ने लगे थे। “तुम मेरे साथ मेरी बस्ती में चल सकते हो।” सरदार बोला।
नहीं। मुझे जथूरा या सोबरा में से किसी एक के पास जाना है। तुम कहो, किसके पास जाना चाहिए?”
“मैं इस बारे में अपनी राय नहीं दे सकता।” सरदार ने इनकार में सिर हिलाया।
क्यों?”
“मुझे दोनों ही पसंद नहीं। क्या तुम मेरे साथ चलोगे?"
नहीं।” बाकी भी नहीं जाएंगे?”
उनसे तुम पूछ सकते हो।” सरदार सोहनलाल और नानिंया की तरफ बढ़ गया।
आखिरकार सरदार अपने लोगों के साथ वहां से चला गया। सोहनलाल और नानिया जगमोहन के पास पहुंचे।
जगमोहन, हम पूर्वजन्म में आ पहुंचे हैं।” सोहनलाल ने कहा।
तो यहां के खतरों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।” जगमोहन मुस्करा पड़ा।
सोहनलाल ने गहरी सांस ली। पूर्वजन्म की क्या बातें हैं?” नानिया ने पूछा।
कभी हम भी इन्हीं जगहों पर पैदा हुए थे।” सोहनलाल ने कहा।
“फिर?”
बताऊंगा सब कुछ।” सोहनलाल ने कहा-“ये वक्त इन बातों का नहीं हैं।” उसने जगमोहन को देखा_*अब क्या करना है?”
“मैं उलझन में हूं।” जगमोहन ने कहा-“उस तरफ का रास्ता जथूरा की तरफ जाता है और उधर का, सोबरा की तरफ। समझ में नहीं आता कि किस तरफ जाऊं। कहां की तरफ जाना हमारे हित में होगा।”
“जथुरा की तरफ तो बिल्कुल मत जाओ।” नानिया बोलीं।
“क्यों?”
वो अच्छा नहीं है।”
“और सोबरा अच्छा है?” नानिया के चेहरे पर हिचकिचाहट के भाव उभरे। वो कह उठी।
सोबरा भी ज्यादा अच्छा नहीं है। लेकिन जथूरा से तो अच्छा ही है।”
जगमोहन ने फौरन कुछ नहीं कहा।
सोहनलाल मैं कितनी खुश हूं कि कालचक्र से आजाद हो गई।” नानिया बहुत खुश थी—“तुम फल खाओगे?”
“हां।” ।
“मैं अभी लाती हूं।” कहने के साथ ही नानिया फल वाले वृक्ष की तरफ भागती चली गई।
सोहनलाल और जगमोहन की नजरें मिलीं।
“मैं देवराज चौहान के बारे में सोच रहा हूं।” जगमोहन बोला—“वो कहां होगा?”
“देवराज चौहान ही नहीं, वो सब ।” सोहनलाल बोला–“नगीना, बांके रुस्तम, मोना चौधरी, पारसनाथ, महाजन् । हम दोनों पूर्वजन्म में प्रवेश कर आए हैं तो वो लोग भी पूर्वजन्म से दूर नहीं होंगे।”
जगमोहन कुछ कहने लगा कि तभी उसके कानों में फुसफुसाहट पड़ी।
जग्गू।” ।
“तुम?” जगमोहन के होंठों से निकला। सोहनलाल की नजरें जगमोहन पर टिक गईं।
मैं वो ही हूं जो तुमसे कुएं में मिला था। तुमसे बात की थी।” आवाज पुनः कानों में पड़ी। (ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़े ‘जथूरा’।)
“पहचान चुका हूं तुम्हें ।” जगमोहन बोला-“अब हम कालचक्र में नहीं हैं। तम अपने बारे में बताओ।”
“अवश्य। बहुत जल्द मैं तुम्हारे सामने आऊंगा। परंतु इस वक्त मैं तुम्हारी समस्या का समाधान करना चाहता हूं।”
“कैसी समस्या?”
तभी नानिया दोनों हाथों में फल थामे पास आ पहुंची। “लो सोहनलाल, फल खाओं।”
सोहनलाल ने एक फल उठा लिया।
नानिया ने फल जगमोहन की तरफ बढ़ाए तो जगमोहन ने भी एक फल उठा लिया।
तुम उलझन में हो कि जथूरा की तरफ जाओं या सोबरा की तफ।”
हो ।”
तुम्हें सोबरा की तरफ जाना चाहिए। तभी संतुलन कायम रहेगा।”
“कैसा संतुलन?” ।
इस बात का जवाब तो तुम्हें वक्त आने पर पता चलेगा।”
“तुम मेरी किसी बात का स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे।” जगमोहन बोला–“ये बताओ कि तुम किसकी तरफ हो?” ।
मैं सोबरा की तरफ से आया हूं।”