hotaks444
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मैं ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर भाभी के चूत को छ्छू कर देखना चाहा कि उस की क्या हालत है. अभी तक मैं ने उनके चूत पर थोरा भी ख्याल नही दिया था. पर चूत तो बिल्कुल रसिया गयी थी! भाभी हर वक़्त पेशाब करने के बाद चूत को
धोकर तौलिए से पोछ लेती है, पर लगा कि सिर्फ़ चूमने-चाटने और चुचि के मसलवाने से ही चूत बिल्कुल गीली हो गयी. पिछली चुदाई के कारण चूत की पंखुरियाँ तो फूली हुई थी ही. मैं अब अपने हाथों के बल थोरा उठा और भाभी के उपर आने की तैयारी करने लगा, पर भाभी ने कहा, " ह्म्म्म ……. एक मिनिट रूको ……ह्म्म्म्म …. इस तरह आओ."
भाभी ने अपना सर ड्रेसिंग टेबल के आईने की तरफ घूमकर घोरी बनकर अपने चूतड़ को मेरे सामने कर दिए. उनके चूतड़ की गोलाई देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी. भाभी के कमर और चूतड़ बहुत ही खूबसूरत थे. वैसे भी छरहरा बदन, पर जब वे बैठती थी, तो उनके चूतड़ का आकर पीछे से देखने वाले को बिल्कुल एक सितार के जैसे लगता होगा. बहुत बड़े चूतड़ नही, सिर्फ़ 34 या 35 इंच के (उन्होने एक दिन मुझे बताया था), पर बेहद चुस्त, और जब वो इस तरह अपने पंजों और घुटनों के बल उकड़ू हुईं तो उनकी चूत बीच में मुस्कुराती हुई बिल्कुल मेरे सामने थी. मैं ने चूतड़ को सहलाया और चूमा. उनकी गांद पर उंगली फेरता रहा. भाभी बोल उठी, "अहह ……. हाआंन्ननननणणन्!", और तभी मैं ने अपने हाथों को नीचे से ले जाकर उनकी चुचियों को दोनो हाथ में लेकर मसल्ने लगा,
और साथ साथ उनकी गांद को चूमने और चाटने लगा. गांद और चूत के बीच के जगह को चाट रहा था. और अपनी ज़ुबान को नोकिला बनाकर कभी गांद के छेद पर फेरता तो कभी चूत के थोरा अंदर घुसेड देता. भाभी की सिसकारियाँ अब और बढ़ने
लगी. "आअहह …….. म्म्म्मममम …… हेन्न्नन्न्न्न …… इसी तरहह ….. हाअन्न्न्न्न्न्न!" चूत तो रसिया गयी थी, और पिच्छली चुदाई के कारण अभी भी कुच्छ कुच्छ फूली हुई थी, और इस लिए मेरे ज़ुबान को अंदर ले लेती थी, पर भाभी के गांद के छेद पर मैं सिर्फ़ थूक मालता रहा. बीच बीच में उनकी गांद कुच्छ और भी सिकुर जाती. भाभी के मुँह से आवाज़ आती रही, "ऊवू ….. हाआंन्णणन् ……" मैं ने एक हाथ को नीचे से चुचि से हटाकर चूतड़ पर लाया, उसको मुँह में लेकर थूक
से गीला करके, भाभी के गांद पर फेरने लगा, और कुच्छ अंदर घेसेदने लगा. भाभी सिसकारी लेती रही, " ऊओह …….. हान्णन्न् …… उंगली डाल दो ……….." मैं ने उंगली को करीबन 1 इंच अंदर डालकर उंसको अंदर बाहर करने लगा. भाभी अब अपनी चूतड़ को घुमाने लगी और मेरे उंगली को अंदर लेती रही. मैं भाभी के चूतड़ चूमता रहा, चाटता रहा. "ऊऊऊः. ….. हाआंन्णणन् ……. इसी तरह ……… ज़्यादा अंदर नही …….. " भाभी के चूतड़ घूमने से मुझे फिर लगा कि अब वो तैयार हो रही हैं, और उन्होने कहा भी, " अब आ जाओ …….. आ जाओ ….. अपने जगह पे ………" पर मैं उनको कुच्छ और मस्ती में लाना चाहता था. इस लिए मैं ने उनकी गांद में उंगली करते हुए ही उनको जांघों को थोरा फैलाकर, अब उनकी चूत में अच्छी तरह से ज़ुबान को घुसेदने लगा. भाभी की सिसकारी ज़ोर्से चलने लगी, "आआहह …….. हाआंणन्न् ……… बहुत गीली हो रही हूँ ………… अब आ जाओ …….. और नही ले सकती ………अब आ भी जाओ ……हाआंन्णणन्!", पर मैं तो उसी तरह एक छेद में उंगली और
दूसरे छेद में ज़ुबान से उनको चोद्ता रहा. मेरा लौदा तो सख़्त और मस्त था ही, पर मुझे भाभी को तड़पने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने ज़ुबान को और भी अंदर डालकर उनके चूत को जमकर चाट रहा था, उनके दाने को भी बार बार चाट लेता था, और सब कुच्छ इस तरह की कोई जल्दबाज़ी नही है. भाभी फिर कराह उठी, "ऊऊहह ………उउउम्म्म्मम …….अब पेलो अपना मूसल जैसा लौदा …….. बहुत गीली हो गयी हूँ ……….आआहह!" पर मुझे तो भाभी को चिढ़ाना था, उनको मस्ती से तड़पाना था. मैं उसी तरह उनकी चूत को चूस्ता रहा, और कुच्छ देर के बाद भाभी बोलने लगी, "ऊऊहह …….. अब अंदर नही आओगे…….. तो मैं ऐसे ही झड़ने… …. लगूंगी ……. हााईयईईई!" यह सुनकर मैं ने चूत चाटने का रफ़्तार कुच्छ कर कुच्छ कम कर दिया और भाभी के चुचियों को फिर से मसालने लगा. चूतड़ को चाटना जारी रखा. भाभी का सर अब बिस्तर था, पे उनका चूतड़ अब घूमता ही नही, मेरे मुँह को धकेल रहा था, पर मैं उनकी चुचि के घुंडीयों को ज़ोर्से मसलता रहा, और उनको तड़प्ते देख कर मज़ा ले रहा था. मैं भाभी को जल्दी नही झड़ने देना चाहता था, पर साथ ही अभी उनको मस्ती के उस हद तक ले जाना चाहता था कि वो झड़नेवाली मस्ती के करीब तो हों, पर झदें नही.
कुच्छ देर के बाद नीतू भाभी अपने आप को काबू में नही रख सकी. मेरे चाटने से उनकी चूत में बहुत खलबली मच गयी, और वो ज़ोर्से सिसकारी लेते हुए अपनी चूतड़ को मेरे मुँह पर ज़ोर्से रगड़ते हुए निढाल सी होती गयी. " ऊऊहह
……दैययय्याआ रे दैयययययाआआअ …….आअहह ………हाऐईयईईईईईईईईईईईई रे ………. दैयय्य्ाआआअ ……… मैं तो गयी …………उउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ………….हूऊऊऊऊ…… आअहह …………हाआाआअन्न्ननननननणणन्!" भाभी ने अपने चूतड़ को बिस्तर गिरा दिया, और सिसकारी लेती ही रही. मैं उसी तरह बिस्तर पर घुटनों के बल बैठे हुए भाभी को देखता रहा. फिर हाँफती रही. मई उनके चूतड़ पर हाथ फेरता रहा, कमर सहलाता रहा. मेरा लौदा सख्ती से बिल्कुल खड़ा था, इस तरह से खड़ा की उसपर
एक बड़े साइज़ के तौलिए को भी आराम से टंगा सकता था.
धोकर तौलिए से पोछ लेती है, पर लगा कि सिर्फ़ चूमने-चाटने और चुचि के मसलवाने से ही चूत बिल्कुल गीली हो गयी. पिछली चुदाई के कारण चूत की पंखुरियाँ तो फूली हुई थी ही. मैं अब अपने हाथों के बल थोरा उठा और भाभी के उपर आने की तैयारी करने लगा, पर भाभी ने कहा, " ह्म्म्म ……. एक मिनिट रूको ……ह्म्म्म्म …. इस तरह आओ."
भाभी ने अपना सर ड्रेसिंग टेबल के आईने की तरफ घूमकर घोरी बनकर अपने चूतड़ को मेरे सामने कर दिए. उनके चूतड़ की गोलाई देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी. भाभी के कमर और चूतड़ बहुत ही खूबसूरत थे. वैसे भी छरहरा बदन, पर जब वे बैठती थी, तो उनके चूतड़ का आकर पीछे से देखने वाले को बिल्कुल एक सितार के जैसे लगता होगा. बहुत बड़े चूतड़ नही, सिर्फ़ 34 या 35 इंच के (उन्होने एक दिन मुझे बताया था), पर बेहद चुस्त, और जब वो इस तरह अपने पंजों और घुटनों के बल उकड़ू हुईं तो उनकी चूत बीच में मुस्कुराती हुई बिल्कुल मेरे सामने थी. मैं ने चूतड़ को सहलाया और चूमा. उनकी गांद पर उंगली फेरता रहा. भाभी बोल उठी, "अहह ……. हाआंन्ननननणणन्!", और तभी मैं ने अपने हाथों को नीचे से ले जाकर उनकी चुचियों को दोनो हाथ में लेकर मसल्ने लगा,
और साथ साथ उनकी गांद को चूमने और चाटने लगा. गांद और चूत के बीच के जगह को चाट रहा था. और अपनी ज़ुबान को नोकिला बनाकर कभी गांद के छेद पर फेरता तो कभी चूत के थोरा अंदर घुसेड देता. भाभी की सिसकारियाँ अब और बढ़ने
लगी. "आअहह …….. म्म्म्मममम …… हेन्न्नन्न्न्न …… इसी तरहह ….. हाअन्न्न्न्न्न्न!" चूत तो रसिया गयी थी, और पिच्छली चुदाई के कारण अभी भी कुच्छ कुच्छ फूली हुई थी, और इस लिए मेरे ज़ुबान को अंदर ले लेती थी, पर भाभी के गांद के छेद पर मैं सिर्फ़ थूक मालता रहा. बीच बीच में उनकी गांद कुच्छ और भी सिकुर जाती. भाभी के मुँह से आवाज़ आती रही, "ऊवू ….. हाआंन्णणन् ……" मैं ने एक हाथ को नीचे से चुचि से हटाकर चूतड़ पर लाया, उसको मुँह में लेकर थूक
से गीला करके, भाभी के गांद पर फेरने लगा, और कुच्छ अंदर घेसेदने लगा. भाभी सिसकारी लेती रही, " ऊओह …….. हान्णन्न् …… उंगली डाल दो ……….." मैं ने उंगली को करीबन 1 इंच अंदर डालकर उंसको अंदर बाहर करने लगा. भाभी अब अपनी चूतड़ को घुमाने लगी और मेरे उंगली को अंदर लेती रही. मैं भाभी के चूतड़ चूमता रहा, चाटता रहा. "ऊऊऊः. ….. हाआंन्णणन् ……. इसी तरह ……… ज़्यादा अंदर नही …….. " भाभी के चूतड़ घूमने से मुझे फिर लगा कि अब वो तैयार हो रही हैं, और उन्होने कहा भी, " अब आ जाओ …….. आ जाओ ….. अपने जगह पे ………" पर मैं उनको कुच्छ और मस्ती में लाना चाहता था. इस लिए मैं ने उनकी गांद में उंगली करते हुए ही उनको जांघों को थोरा फैलाकर, अब उनकी चूत में अच्छी तरह से ज़ुबान को घुसेदने लगा. भाभी की सिसकारी ज़ोर्से चलने लगी, "आआहह …….. हाआंणन्न् ……… बहुत गीली हो रही हूँ ………… अब आ जाओ …….. और नही ले सकती ………अब आ भी जाओ ……हाआंन्णणन्!", पर मैं तो उसी तरह एक छेद में उंगली और
दूसरे छेद में ज़ुबान से उनको चोद्ता रहा. मेरा लौदा तो सख़्त और मस्त था ही, पर मुझे भाभी को तड़पने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने ज़ुबान को और भी अंदर डालकर उनके चूत को जमकर चाट रहा था, उनके दाने को भी बार बार चाट लेता था, और सब कुच्छ इस तरह की कोई जल्दबाज़ी नही है. भाभी फिर कराह उठी, "ऊऊहह ………उउउम्म्म्मम …….अब पेलो अपना मूसल जैसा लौदा …….. बहुत गीली हो गयी हूँ ……….आआहह!" पर मुझे तो भाभी को चिढ़ाना था, उनको मस्ती से तड़पाना था. मैं उसी तरह उनकी चूत को चूस्ता रहा, और कुच्छ देर के बाद भाभी बोलने लगी, "ऊऊहह …….. अब अंदर नही आओगे…….. तो मैं ऐसे ही झड़ने… …. लगूंगी ……. हााईयईईई!" यह सुनकर मैं ने चूत चाटने का रफ़्तार कुच्छ कर कुच्छ कम कर दिया और भाभी के चुचियों को फिर से मसालने लगा. चूतड़ को चाटना जारी रखा. भाभी का सर अब बिस्तर था, पे उनका चूतड़ अब घूमता ही नही, मेरे मुँह को धकेल रहा था, पर मैं उनकी चुचि के घुंडीयों को ज़ोर्से मसलता रहा, और उनको तड़प्ते देख कर मज़ा ले रहा था. मैं भाभी को जल्दी नही झड़ने देना चाहता था, पर साथ ही अभी उनको मस्ती के उस हद तक ले जाना चाहता था कि वो झड़नेवाली मस्ती के करीब तो हों, पर झदें नही.
कुच्छ देर के बाद नीतू भाभी अपने आप को काबू में नही रख सकी. मेरे चाटने से उनकी चूत में बहुत खलबली मच गयी, और वो ज़ोर्से सिसकारी लेते हुए अपनी चूतड़ को मेरे मुँह पर ज़ोर्से रगड़ते हुए निढाल सी होती गयी. " ऊऊहह
……दैययय्याआ रे दैयययययाआआअ …….आअहह ………हाऐईयईईईईईईईईईईईई रे ………. दैयय्य्ाआआअ ……… मैं तो गयी …………उउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ………….हूऊऊऊऊ…… आअहह …………हाआाआअन्न्ननननननणणन्!" भाभी ने अपने चूतड़ को बिस्तर गिरा दिया, और सिसकारी लेती ही रही. मैं उसी तरह बिस्तर पर घुटनों के बल बैठे हुए भाभी को देखता रहा. फिर हाँफती रही. मई उनके चूतड़ पर हाथ फेरता रहा, कमर सहलाता रहा. मेरा लौदा सख्ती से बिल्कुल खड़ा था, इस तरह से खड़ा की उसपर
एक बड़े साइज़ के तौलिए को भी आराम से टंगा सकता था.