Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ - Page 12 - SexBaba
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Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

देखने वाला बस देखता ही रह जाए

मुझे पहली बार सेक्स का अनुभव करने का मौका तब मिला जब मैं २१ वर्ष का था, आज मैं वह अनुभव आप सब से बाँटने जा रहा हूँ। इस समय मेरी उम्र २३ साल की है और मेरा शरीर तंदुरुस्त है और मेरी लम्बाई ५'९" है।
मैंने अपना कुँवारापन अपनी पड़ोस में रहने वाली भाभी के साथ खोया। उनकी सुन्दरता के बारे में क्या बताऊँ आप लोगों को ! फिगर ३५-३०-३६ की होगी। उनके मनमोहक शरीर को देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। उनके साथ सेक्स करकने की तमन्ना दिल में कब से थी। उनकी उम्र ३० साल की होगी।
एक दिन ऐसा आया जब मुझे उनके बदन को चूमने का मौक़ा मिला। भैया एक बिज़नेसमैन हैं और वो सुबह ही निकल जाते हैं। उनके २ बच्चे भी स्कूल चले जाते हैं। सुबह जब वह कपड़े सुखाने आती है, तब मैं हमेशा उनकी चूचियों और पेट को देखा करता हूँ। उन्होंने कई बार शायद मुझे देखा भी है कि मैं उन्हें छुप कर उन्हें देखता हूँ, पर उन्होंने कभी किसी से कुछ कहा नहीं। उनके मम्मों को देख कर उनका दूध पीने की इच्छा जाग जाती है। तो दोस्तों आपको अधिक बोर नहीं करते हुए मैं आपको अपना अनुभव सुनाता हूँ।
एक दिन की बात है, मुझे शहर में किसी काम से बाहर जाना था। घर में माँ और पिताजी दोनों ही नहीं थे, और घर में हेलमेट भी नहीं था और कविता भाभी के घर में सिर्फ कविता भाभी ही थी। मुझे अचानक याद आया कि भाभी के घर हेलमेट हो सकता है। तो मैं घर पर ताला लगा कर भाभी के घर हेलमेट लेने चला गया। भाभी कपड़े धो रही थी। जब वह कपड़े धोते हुए उठी तो उनकी साड़ी एक ओर हटी हुई थी और मुझे उनकी दोनों चूचियाँ ब्लाऊज़ में से दिखाई दे रहे थे। मन हो रहा था कि दूध पी लूँ। मैं उन्हें टकटकी लगा कर देखता जा रहा था, भाभी ने भी यह ग़ौर किया और अपनी साड़ी ठीक करते हुए मुझसे काम पूछा।
मैंने बताया कि हेलमेट चाहिए। भाभी ने कहा कि हेलमेट तो कमरे के ऊपर स्टोर में रखा है, चढ़कर उतारना पड़ेगा। भाभी और मैं कमरे में आ गए। मैं एक कुर्सी लेकर आ गया। भाभी ने मुझसे पूछा,"तुम रोज़ मुझे छुप-छुप कर क्यों देखते हो?"
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर भाभी से क्या कहूँ,"आप बहुत सुन्दर हैं और आपका शरीर ऐसा है कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए। भैया बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें आप जैसी पत्नी मिलीं।"
भाभी ने एक शरारत भरी मुस्कान से मुझे देखा. मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें एक बार चूमना चाहता हूँ। उन्होंने थोड़ा झिझकते हुए हामी भर दी। मैंने उनके गालों पर चूम लिया और उसके साथ ही अपना एक हाथ उनकी कमर पर रख दिया और सहलाने लगा।
भाभी ने हँस कर कहा, "अब ठीक है, या कुछ और भी करना है?"
मन तो कर रहा था कि कह दूँ, पर हिम्मत नहीं हो रही थी। तो मैंने भी हँस कर कह दिया, "अनुमति मिल जाए तो सब कुछ कर दूँगा।"वह मुझे शैतान कह कर कुर्सी पर चढ़ गई। अब भाभी अपने दोनों हाथ ऊपर कर के हेलमेट तलाश कर रही थी। उसे इस अवस्था में खड़ा देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मैं उनके मम्मों और पेट को ही देखे जा रहा था। पहली बार मैंने उन्हें इतने नज़दीक से देखा था। अब मेरा नियंत्रण छूट रहा था। तभी भाभी ने मुझसे कहा कि कुर्सी हिल रही है, मुझे आकर पकड़ लो, नहीं तो मैं गिर जाऊँगी।

अब क्या था, मैंने भाभी की गाँड के नीचे से इस तरह पकड़ा कि मेरा चेहरा उनके पेट के सामने रहे। मेरे और उसके पेट के बीच कुछ ही सेन्टीमीटर का फ़ासला था। अब मेरा नियंत्रण छूट गया और मैंने भाभी के पेट पर चूम लिया।
भाभी सहम गई पर कुछ कहा नहीं। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने उसके पेट पर किस करना शुरु कर दिया। मैं उन्हें पेट पर चूम रहा था और उनकी नाभि को खा रहा था। अब वो मेरा सिर पकड़ कर अपने पेट से चिपकाने लगी और लम्बी-लम्बी साँसों के साथ हल्की सिसकियाँ लेने लगी।
उन्हें भी बड़ा मज़ा आ रहा था। १५ मिनटों तक उनके पेट को खाने के बाद वह कुर्सी पर बैट गई और मुझसे लिपट गई। अब मुझे हरी झंडी मिल गई थी। मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उसकी साड़ी भी। वह सच में कितनी सेक्सी लग रही थी - काम की देवी। मैं उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी प्रत्युत्तर देने लगी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके गले से होते हुए उसकी चूचियों तक पहुँचा।
उसकी चूचियों को चूसता और दबारा रहा और वह सिसकियाँ निकालती रही। अब मैंने उसकी ब्लाउज़ उतार दी और पेटीकोट में घुस कर उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा। अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी चूत में अपनी ऊँगलियाँ प्रविष्ट कर दीं और लगभग १५ मिनट तक उसे उँगली से ही चोदा। उसकी चूत को खूब चाटा।
वह उउम्म्म्म्म.... आहहहहहहह ओओओह्ह्ह्हहहह, और चाटो! की आवाज़ निकाल रही थी। उसका पानी एक बार निकल गया। मैंने वो पूरा पी लिया। अब उसे भी मेरा लंड चूसने था। मेरा लंड साढ़े छः इंच का है। हम 69 की मुद्रा में आ गए। मैं उसकी चूत खा रहा था और वह मेरा लंड। इसी तरह २० मिनट के बाद वो मुझसे कहने लगी कि और मत तड़पाओ, मुझे जल्दी से चोट दो।
मैंने अपने लंड का सिरा उसकी चूत पर रखा, उसके पाँवों को पैला दिया और ज़ोर के धक्के के साथ लौड़ा अन्दर पेल दिया। वह चिल्लाई और तड़पने लगी। कहने लगी कि धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे चोदता चला गया। थोड़ी देर के बाद वह भी मस्त हो गई और गाँड हिला-हिला कर साथ देने लगी। उसके मुँह से ओओहहहह... आआआआहहहह... और ज़ोर से... हाएएएएए.... म्म्म्म्महह्हहहहह... आआआआआहहहहह की आवाज़ें निकलना रुक ही नहीं रहीं थीं। और अब मैं उसकी एक चूची को मसल रहा था और दूसरे को चूस रहा था। उसकी घुँडियों को काट रहा था। उसे चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही बह गया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
वह मुझसे खुश थी। उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता है, मैं जाकर उसका दूध ज़रूर पीता हूँ और उसे चोदता भी हूँ।
 
भाभी गरम हो गयी

मेरा एक बचपन का दोस्त है। हम दोनों एक साथ बड़े हुए और उसकी शादी हो गई। शादी के कुछ दिनों बाद वो हमेशा अपनी बीवी की चुदाई कैसे करता है, बताता रहता था। जिसे सुनकर मेरा मन भी चुदाई करने को करता था और मैं सोचता था कि वो कैसे भाभी को चोदता होगा और भाभी कैसे चुदवाती होगी।

एक दिन मैंने उसे कहा- यार ! मेर मन चुदाई के लिए करता है और मेरे पास कोई जुगाड़ भी नहीं है। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन उसने मुझे कहा कि मैं उसकी बीवी को चोदना चाहूं तो चोद सकता हूं, उसे कोई परेशानी नहीं। मैंने कहा कि भाभी क्या चुदाई के लिए मान गई
तो उसने कहा- नहीं, लेकिन मान जाएगी क्योंकि उसे ग्रुप सेक्स की कहानियाँ सुनने में अच्छी लगती हैं और मैं उसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। आज रात को जब मैं उसे ग्रुप सेक्स की कहानी सुना कर उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर चोदूंगा, तभी तुम भी चोद लेना। बाद में उसे बताएंगे कि तुमने भी उसकी चुदाई की है।

रात को मैं उसके कमरे में छुप गया। फ़िर भाभी आई और बोली कि तुम्हारा दोस्त गया क्या?
तो वो बोला- हाँ ! गया।
तो भाभी ने दरवाज़ा बंद कर लिया और बोली- कोई सेक्सी नग्न फ़िल्म दिखाओ ना !

मेरे दोस्त ने XXX फ़िल्म लगा दी। भाभी फ़िल्म देखते देखते गरम हो गयी और मेरे दोस्त के कपड़े उतारने लगी। फ़िर अपने कपड़े भी उतार दिए। मैं तो भाभी का जवानी से भरा बदन देख कर पागल हो गया- क्या फ़ीगर थी उनकी ३६-२६-३४ उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, उनकी इतनी खूबसूरत चूत छूने के लिए मेरा मन मचलने लगा। मेरे दोस्त ने भाभी की आंखों पर पट्टी बांध कर मुझे पास आने के लिए इशारा किया और भाभी के बदन से लिपट गया। सामने भाभी को नंगी देख कर मेरे लंड में तूफान आ गया।

फिर मेरा दोस्त भाभी की चूत घोड़ी बना कर लेने लगा थोड़ी देर में उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे इशारा किया कि मैं लंड डाल दूँ। मैंने तुंरत ही अपना लंड भाभी की चिकनी चूत में डाल दिया।

लंड जाते ही भाभी बोली- अचानक तुम्हारा लंड इतना मोटा क्यों लग रहा है? तो मेरे दोस्त ने उसकी आंखों पर से पट्टी खोल दी तो भाभी ने पलट कर मुझे देखा तो मुस्कराई और कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है मैं भी यही चाहती थी कि मेरी चुदाई दो दो लंड से हो, मुझे आज खूब जोर जोर से चोदो।

फिर क्या था मैं तो भाभी को खूब मस्ती में चोदने लगा और भाभी आहें भरने लगी। मैं कभी भाभी की कमर पकड़ता तो कभी चूची। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकल लिया और भाभी को लेटा दिया और कहा कि तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और भाभी की चूत को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा भाभी सिसकने लगी और मैं चूत को अपने होटों से जोर जोर से चूमने लगा। भाभी एक दम तड़पने लगी और कहा कि मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर इसकी प्यास बुझा दो।

फिर मैंने भाभी के उप्पर चढ़ कर चूत में लंड डाल दिया और चूची मुंह में लेकर स्वर्ग का मजा लेने लगा उस समय मेरे दोस्त ने भाभी से कहा कि मैं तो पहले ही जानता था कि तुम चुदवा लोगी क्योकि ग्रुप सेक्स की कहानी सुन कर तुम बहुत जोशीली हो जाती थी। आज तुम्हें चुदते हुऐ देखने में बड़ा मज़ा आ रहा है, लेकिन तुम दोनों मेरे सामने ही चुदाई करना ! नहीं तो लोगों को शक हो सकता है।

तो भाभी ने कहा कि अगर किसी को न पता लगे तो हर औरत चुदवाना चाहती है और यहाँ तो आप मुझे चुदवा रहें हैं, अब तो मैं हर रात आप दोनों से चुदवाना चाहती हूँ।

फिर रात भर मैंने और मेरे दोस्त ने मिल कर भाभी को खूब चोदा उसके पूरे बदन को खूब प्यार किया फिर हर दो तीन दिन में हम तीनो साथ साथ चुदाई करने लगे। फिर एक दिन मेरे दोस्त की बदली पुणे हो गई और हम लोग अलग हो गए। आज कल मेरा मन चुदाई के लिए तड़पता है दिल करता है कि भाभी वापस आ जाए लेकिन ये हो नहीं सकता।
 
मन मुराद पूरी हो गई

भाभी मुझसे लगभग बारह साल बड़ी थी। मैं उस समय कोई १८-१९ साल का था। घर पर सभी मुझे बाबू कह कर बुलाते थे। भाभी की तेज नजरें मुझ पर थी। वो मेरे आगे कुछ ना कुछ ऐसा करती थी कि मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। वो शरीर में भरी पूरी थी और बदन गदराया हुआ था। उनके सुडौल स्तन बहुत ही मनमोहक थे और थोड़े भारी थे। मुझे भाभी के बोबे और मटके जैसे चूतड़ बहुत अच्छे लगते थे। मेरी कमजोरी भी यही थी कि जरा से भाभी की चूंचिया हिली या चुतड़ लचके, बस मैं उत्तेजित हो जाता था और लण्ड को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था। भाभी को भी ये बात शायद मालूम हो गई थी कि उनके कोई भी एक्शन से मेरा बुरा हाल हो जाता था।
आज भी कमरे में सफ़ाई कर रही थी वो। उसके झुकते ही उसके बोबे झूल जाते थे, और मैं उन्हें देखने में मगन हो जाता था। वो जान कर कर के उन्हें और हिलाती थी। मुझे वो तिरछी नजरो से देख कर मुस्कराती थी, कि आज तीर लगा कि नहीं। वो अपने गोल मटोल चूतड़ मेरी तरफ़ करके हिलाती थी और मुझे अन्दर तक हिला देती थी। आज घर पर कोई नहीं था, सो मेरी हिम्मत बढ़ गई। सोचा कि अगर भाभी नाराज हुई तो तुरंत सॉरी कह दूगा। मैं कम्प्यूटर पर बैठा हुआ कुछ देर तक तो उनकी गोल गोल गाण्ड देखता रहा। बस ऐसा लग रहा था कि उनका पेटीकोट उठा कर बस लण्ड गाण्ड में घुसा दूँ। बस मन डोल गया और मैंने आखिर हिम्मत कर ही दी।
"बाबू, क्या देख रहे हो ?"
"भाभी, बस यूँ ही.... आप अच्छी लगती हैं !"
वो मेरे पास आ गई और सफ़ाई के लिये मुझे हटाया। मैं खड़ा हो गया। अचानक ही मेरे में उबाल आ गया और मैं भाभी की पीठ से चिपक गया और लण्ड चूतड़ों पर गड़ा दिया। भाभी ने भी जान कर करके अपने चूतड़ मेरे लण्ड से भिड़ा दिया। पर उनके नखरे मेरी जान निकाल रहे थे।
"बाबू, हाय ! क्या कर रहा है !"
"भाभी अब नहीं रहा जा रहा है" भाभी ने अपनी गाण्ड में लण्ड घुसता मह्सूस किया और लगा कि उसकी इच्छा पूरी हो रही है। वो पलटी और और मुझे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी भारी चूंचियाँ मेरे शरीर से रगड़ दी।
"हाय, पहले क्यूँ नहीं किया ये सब?" और मुझे बेतहाशा चूमने लगी। मुझे भी साफ़ रास्ता मिल गया। मेरी हिम्मत ने काम बना दिया।
"आप इशारा तो करती, मेरा तो लण्ड आपको देखते ही फ़ड़क उठता था, लगता था कि आपको नंगी कर डालू, लण्ड घुसा कर अपना पानी निकाल दूँ !"
"कर डाल ना नंगी, मेरे दिल की निकाल दे, मुझे भी अपने नया ताजा लण्ड का स्वाद चखा दे रे !" भाभी का बदन चुदने के लिये बेताब हो उठा था।
"भाभी, तुम कितनी मस्त लग रही हो, अब चुदा लो ना, मेरा लण्ड देखो, निकालो तो सही बाहर, मसल डालो भाभी, घुसा डालो अपनी चूत में !" मेरा लण्ड तन्ना उठा था।
"बस बिस्तर पर आजा और चढ़ जा मेरे ऊपर, मुझे स्वर्ग में पहुंचा दे, बाबू चोद दे मुझे.... " भाभी चुदने के लिये मचल उठी।
भाभी मुझसे ज्यादा ताकतवर थी। मुझे खींच कर मेरे बिस्तर पर लेट गई।
"पेटीकोट ऊपर कर दे, चाट ले मेरी चूत को !" हा बाबू.... जल्दी कर, फिर चूत की बारी भी आनी चाहिये ना !" भाभी की भी तड़प देखते ही बनती थी, कितनी बेताब थी चुदाने को।
मैंने अपने लण्ड पर चिकनाई लगाई और उसकी गाण्ड पर भी लगा दी और चिकना लण्ड का मिलाप चिकने छेद से हो गया। मैंने उसके झूलते हुए स्तन थाम लिये, और उन्हें मसलना शुरू कर दिया। फिर दोनों ने अपना अपना जोर लगाया और भाभी के मुख से हाय की सिसकारी निकल पड़ी। चिकना लण्ड था इसलिये अन्दर सरकता चला गया।
"हाय रे मजा आ गया, तेरा मोटा है उनसे .... चल और लगा !"
"दर्द नहीं हुआ भाभी.... "
"नहीं मेरी गाण्ड सुन्दर है न, वो भी अक्सर पेल देते हैं, आदत है मुझे गाण्ड मरवाने की !"
"तो ये लो फिर.... मस्त चुदो !" मैंने स्पीड बढ़ा दी, उसकी गाण्ड सच में नरम थी और मजा आ रहा था। भाभी ने भी अपनी मस्त गाण्ड आगे पीछे घुमानी शुरू कर दी। उसके गोल-गोल चूतड़ो के उभार चमक रहे थे। उसकी दरारें गजब ढा रही थी। लटके हुए बोबे मेरे हाथ में मचल रहे थे। उसके निपल काले और बड़े थे, बहुत कड़े हो रहे थे। निपल खींचते ही उसे और मजा आता था और सिसक उठती थी।
"हाय रे भाभी , रोज़ चुदा लिया करो, क्या मस्ती आती है !" मेरे झटके बढ़ चले थे।
"तेरे लण्ड में भी जोर है, जो अभी तक छूटा नहीं, चोदे जा.... मस्ती से.... मुझे भी लगे कि मैं आज चुद गई हूं !" भाभी मस्त हो उठी। भाभी के मुख से सीत्कारें निकल रही थी।
"मस्त गाण्ड है भाभी, रोज गाण्ड देख कर मुठ मारता था, आज तो बस.... गाण्ड मार ही दी !"
"मन की कर ली ना, बस.... अब बस कर.... कल चोद लेना.... मेरी चूत पेल दे अब !" भाभी ने पीछे मुड़ कर नशीली आंखो से देखा।
मैंने अपना लण्ड ग़ाण्ड से निकाला और पहले उसकी गीली चूत को तौलिये से पोंछ डाला, उसे सुखा कर लण्ड को चूत में दबा दिया। सूखी चूत में रगड़ता हुआ लण्ड भीतर बैठ गया।
"अरे वाह्.... मजा आ गया, कैसा फ़ंसता हुआ गया है !" भाभी हाय कह कर सिसक उठी।
मुझे उनकी चूत में घुसा कर मजा आ गया। मैंने उसकी कमर पकड़ कर लण्ड का पूरा जोर लगा दिया। मुझे फिर भी चूत ढीली लगी। मेरे धक्के ऐसा लग रहा था कि किसी नरम से स्पंज से टकरा रहे हैं।
"हाँ भाभी, चूत तो कितनी नरम है, गरम है, आनन्द आ गया !"
उसने अपनी चूत और बाहर निकाल ली और चेहरा तकिये से लगा लिया। पर मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। मैंने उसे धक्का दे कर चित्त लेटा लिया और उनकी टांगें अपने कन्धों पर रख ली और चूत के निकट बैठ कर लण्ड चूत में डाल दिया। भाभी ने मुझे पूरा अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगो के बीच में भींच लिया। मैं उनके बोबे पकड़ते हुए उस पर लेट गया। लण्ड चूत की गहराइयों को बींधता चला गया। उसे शायद पता चल गया था कि उसकी चूत टाईट नहीं है, सो उसने अपनी चूत क कसाव बढ़ा दिया और चूत सिकोड़ ली। मेरी कमर अब जोर से चल पड़ी। चूत कसने से पहले तो वो दर्द से कुलबुलाई, फिर सहज हो गई"जड़ तक चला गया, साला, तेरा सच में थोड़ा बड़ा है, मजा बहुत आ रहा है !"
उसकी कमर भी अब हौले हौले चलने लगी, मेरा पूरा लण्ड खाने लगी। दोनों की कमर साथ साथ चलने लगी। मैं भी उनकी लय में लय मिलाने लगा। लण्ड में एक सुहानी सी मीठी सी मस्ती चलने लगी। कुछ देर के बाद कमर की लय तोड़ते हुए भाभी ने मुझे दबा कर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और तेजी से धक्के मारने लगी और उसके मुँह से तेज सीत्कारें निकलने लगी।

"साले बाबू.... मर गई, तेरी तो.... भेन चोद .... मैं गई.... आईईईइ ओह्ह्ह्ह्ह। .... बाबूऽऽऽ.... मर गई.... !" कहते हुए वो मेरे से चिपक गई। और चूत का जोर मेरे लण्ड पर लगाने लगी। बार बार चूत दबा रही थी। अचानक उसकी चूत टाईट हो गई और मैं तड़प गया और मेरा वीर्य निकल पडा। और वो निढाल हो कर मुझे पर पसर गई। मैं नीचे से जोर लगा कर उसकी चूत में वीर्य निकाल रहा था। वो भी चूत को हल्का हल्का कस कर पानी निकाल रही थी। मेरे लण्ड पर उसका कसाव और छोड़ना महसूस हो रहा था। कुछ ही देर में हम अलग अलग पड़े हुए गहरी सांसे भर रहे थे।

“भाभी, आप तो मस्त है, कैसी बढ़िया चुदाई करती हैं, मेरी तो माँ चोद दी आपने !”
भाभी ने तुरन्त मेरे मुँह पर अंगुली रख दी, “नहीं गाली नही, मस्ती लो पर गाली मत देना भेन चोद !” भाभी ने मुझे फिर से एक बार और दबा लिया, और हंस पड़ी।

“चल हो जाये एक दौर और .... अब तू मेरी माँ चोद दे, भेन के लौड़े.... !” और उसकी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढने लगा। जिस्म फिर से पिघलने लगे .... भाभी का मस्त बदन एक बार फिर वासना से भर उठा था.
 
मेरे प्रिय भ्राताश्री,

सादर प्रणाम।

आपको यह जान कर अति हर्ष होगा कि यहाँ सब कुशल-मंगल है, आप पिछले दो वर्षों से विदेश में हैं। यहाँ पर सब आपको सब बहुत याद करते हैं।

आगे समाचार यह है कि आप जब विदेश गए थे तो भाभी आपको बहुत याद करके परेशान होती थी पर आप बेफिक्र रहिये, हमने उनका अच्छे से ख़याल रखा है।

आपके जाने के बाद मुझे पता था कि भाभी बहुत परेशान होंगी तो मैं उनके पास अक्सर जाकर उन्हें समझा बुझा आता था।

पर वो हमेशा कहती- चुन्नू, तू नहीं समझता कि कितना मुश्किल है उनके बिना रहना।

फिर एक दिन मैं उनके कमरे के पास गया तो मैंने उनके कमरे से अजीब-अजीब सी आवाजें सुनी। मैंने खिड़की से झांक कर देखा कि वे बिस्तर पर लेटी हुई हैं और टाँगे फैलाकर अपनी चूत रगड़ रही हैं और मजे ले रही हैं।

मैं समझ गया कि वे आपको बहुत मिस कर रही हैं। मुझसे उनकी वो तड़प नहीं देखी जा रही थी। पर मुझे समझ नहीं आया कि मैं उनकी मदद कैसे करूँ।

फिर एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया- क्या आप भैया को बहुत मिस करती हैं?

वो बोली- हाँ !

मैं बोला- मैं क्या आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?

वो मेरी बात का मतलब नहीं समझी और बोली- तू क्या मदद करेगा?

मैं बोला- मैं कुछ तो भैया की जगह ले सकता हूँ !

वह तब भी मेरा मतलब नहीं समझी और बोली- नहीं रे ! तू क्या मदद करेगा।

मैं अपना सा मुँह लेकर चला आया।

अगले दिन मैंने फिर जब भाभी को चूत रगड़ते देखा तब मैंने प्रण किया कि मैं भाभी को ऐसे नहीं तड़पने दूंगा।

मैंने फिर उनसे पूछा- मैं आपकी कुछ मदद करूँ भैया को भुलाने में?

वह फिर भी हंसने लगी- तू क्या मदद करना चाहता है?

मैंने कहा- अगर आप चाहें तो मैं आपकी सब जरूरतें पूरी कर सकता हूँ।

अब वह समझ गई कि मैं क्या बात कर रहा हूँ। उन्होंने मुझे गुस्सा होकर डांटना शुरू कर दिया कि मैंने ऐसी बात सोची भी कैसे।

फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं आपको रोज़ अपने आप को संतुष्ट करते हुए देखता हूँ।

वो यह सुनकर अचानक शर्म से लाल हो गई, बोली- तूने क्या क्या देखा ?

तो मैंने उन्हें सब बता दिया।

वो बोली- तू किसी को बताना नहीं।

मैंने कहा- नहीं मैं किसी को नहीं बताऊंगा पर मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं जाती। यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं आपको संतुष्ट कर सकता हूँ।

वो बोली- पर चुन्नू यह ठीक नहीं है।
मैंने कहा- आप घबराईये नहीं ! घर की बात घर में ही रहेगी।

यह कह कर मैं भाभी के पास बैठ गया। पर मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ।

भाभी मुस्कुराकर बोली- क्या हुआ? शरमा रहा है?

मैंने कहा- हाँ, कुछ भी हो, आप मेरी भाभी हैं।

वो बोली- फिर तो तू कुछ नहीं कर पायेगा, तू बस यह सोच कि मैं एक औरत हूँ और तू एक मर्द है और तुझे मेरी प्यास बुझानी है।

यह कह कर भाभी ने अपना साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और अपने मम्मों के मुझे दर्शन कराये।

मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं उन चूचियों पर अपने हाथ रखकर उन्हें दबाने लगा। भाभी धीरे-धीरे कराहने लगी।

उनका हाथ सीधा मेरे लंड पर आकर रुका। वो मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाने लगी। मेरा लंड मेरी पैंट फाड़कर बाहर निकलने के लिये उतावला होने लगा। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए।

उन्होंने हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के हुक खोल दिए ओर एक झटके में ब्लाउज और ब्रा दोनों उतार दिए और अपने सुडौल ओर तने हुए मम्मे मेरे सामने नंगे कर दिए।

वो फिर पीछे होकर बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गई, मैं उनके बगल में लेट गया और उनकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, दूसरे हाथ से दूसरे मम्मे को दबाने लगा।

भाभी के मुँह से आह निकालने लगी। वो बोली- चुन्नू, आज रुक मत ! अपनी भाभी को खुश कर दे।

मैं और ज़ोर ज़ोर से उनकी चूची को चूसने लगा।

उसी दौरान उन्होंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे कर दिया। मैंने नीचे जाकर उनका पेटीकोट उतार दिया ओर उनकी जाँघों को चूमने लगा।

और फिर मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को चूमा, उनकी आह निकल गई। मैंने फिर उनकी पैंटी को नीचे खींचकर उतार दिया और भाभी को पूरा नंगा कर दिया।

फिर उनकी जांघे फैलाकर मैं उनकी चूत चाटने लगा। वो जोर जोर से कराहने लगी और बोली- चुन्नू शाबाश ! मैं बहुत दिनों से इसी के लिए तड़प रही थी। तू तो अपने भैया से भी अच्छी चाटता है।

अब तू रुकना मत ! आज तुझे अपनी भाभी की प्यास पूरी तरह बुझानी है।

थोड़ी देर में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसके बाद भाभी मेरे ऊपर आ गई ओर मेरे कपड़े उतारने लगी।

मुझे पूरी तरह नंगा करके उन्होंने मेरा लंड जो अब पूरी तरह खड़ा हो गया था अपने हाथ में ले लिया और उसे चूसने लगी। मेरे अन्दर सिरहन सी दौड़ गई।

ऐसा आनंद मुझे ज़िन्दगी में कभी नहीं मिला था जैसा भाभी से अपना लंड चुसवाकर मिल रहा था। भाभी फिर घूमकर अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर ले आई और मैं उनकी चूत चाटने लगा।

इस तरह काफी देर तक वो मेरा लंड चूसती रही और मैं उनकी चूत चाटता रहा।

उसके बाद वो बोली- बस अब और नहीं रहा जाता तू! अब अपनी भाभी को चोद कर खुश कर दे।

मैं यह सुनते ही भाभी के ऊपर चढ़ गया, उनकी टाँगें फैलाई और चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा।

वो बोली- बहनचोद, जल्दी से अन्दर डाल ! कब तक तड़पाएगा अपनी भाभी को?

मैंने कहा- भोंसड़ी वाली रंडी ! साली ! शर्म नहीं आ रही ? अपने देवर से चुदवा रही है?

वो बोली- तू मुझे पागल मत कर ! और मत तड़पा !

मैंने एक झटके में अपना लंड भाभी की चूत में घुसेड़ दिया।

उनकी चीख निकल गई, बोली- बहन के लौड़े ! मेरी जान निकालेगा क्या?

मैंने कुछ नहीं बोला और दबा कर जोर जोर से भाभी को चोदने लगा।

मैंने अपने जीवन में इतना आनंद कभी नहीं पाया था जितना उस दिन भाभी ने दिया। पर मुझे संतुष्टि थी कि भाभी की ज़रुरत को मैंने पूरा किया।

भैया आप चिंता न करें हमने उसके बाद से उनकी हर ज़रूरत का ख्याल रखा है।

बाकी सब कुशल मंगल है।

आपका कनिष्ठ भ्राता

चुन्नू

पर उस दिन हम एक गलती कर गए थे कि हमने कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं किया था तो हमें किसी ने देख लिया। किसने देखा और फिर क्या हुआ, यह मैं आपको अपने अगले पत्र में बताऊंगा।
 
समझदार बहू-1


वैसे तो यह आम सी बात है और बहुतों की जिंदगी आपसी समझ की कमी से कुछ इसी तरह की हो जाती है और अलगाव बढ़ जाता है। पर फिर जिंदगी में कोई आ जाता है तो दुनिया महक उठती है रंगीन हो जाती है।

मेरी उमर अब लगभग 46 वर्ष की हो चुकी है। मैं अपना एक छोटा सा बिजनेस चलाता हूँ। 20 साल की उम्र में शादी के बाद मेरी जिंदगी बहुत खूबसूरत रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे यह रोमान्स भरी जिंदगी यूं ही चलती रहेगी। उन दिनों जब देखो तब हम दोनों खूब चुदाई करते थे। मेरी पत्नी सुमन बहुत ही सेक्सी युवती थी। फिर समय आया कि मैं एक लड़के का बाप बना। उसके लगभग एक साल बीत जाने के बाद सुमन ने फिर से कॉलेज जॉयन करने की सोच ली। वो ग्रेजुएट होना चाहती थी। नये सेशन में जुलाई से उसने एडमिशन ले लिया... फिर चला एक खालीपन का दौर... सुमन कॉलेज जाती और आकर बस बच्चे में खो जाती। मुझे कभी चोदने की इच्छा होती तो वो बहाना कर के टाल देती थी। एक बार तो मैंने वासना में आकर उसे खींच कर बाहों में भर लिया... नतीजा ... गालियाँ और चिड़चिड़ापन।

मुझे कुछ भी समझ में नहीं आता था कि हम दोनों में ऐसा क्या हो गया है कि छूना तक उसे बुरा लगने लगा था। इस तरह सालों बीत गये।

उसकी इच्छा के बिना मैं सुमन को छूता भी नहीं था, उसके गुस्से से मुझे डर लगता था। मेरा लड़का भी 21 वर्ष का हो गया और उसने अपने लिये बहुत ही सुन्दर सी लड़की भी चुन ली। उसका नाम कोमल था। बी कॉम करने के बाद उसने मेरे बिजनेस में हाथ बंटाना चालू कर दिया था। मेरी पत्नी के व्यवहार से दुखी हो कर मेरे लड़के विजय ने अपना अलग घर ले लिया था। घर में अधिक अलगाव

होने से अब मैं और मेरी पत्नी अलग अलग कमरे में सोते थे। एकदम अकेलापन ...

सुमन एक प्राईवेट स्कूल में नौकरी करने लगी थी। उसकी अपनी सहेलियाँ और दोस्त बन गये थे। तब से उसके एक स्कूल के टीचर के साथ उसकी अफ़वाहें उड़ने लगी थी... मैंने भी उन्हें होटल में, सिनेमा में, गार्डन में कितनी ही बार देखा था। पर मजबूर था... कुछ नहीं कह सकता था। मेरे बेटे की पत्नी कोमल दिन को अक्सर मुझसे बात करने मेरे पास आ जाती थी। मेरा मन इन दिनों भटकने लगा था। मैं दिनभर या तो देसी मासला लैव पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ता रहता था या फिर पोर्न साईट पर चुदाई के वीडियो देखता रहता था। फिर मुठ मार कर सन्तोष कर लेता था। कोमल ही एक स्त्री के रूप में मेरे सामने थी, वही धीरे धीरे मेरे मन में छाने लगी थी। उसे देख कर मैं अपनी काम भावनायें बुनने लगता था। इस बात से कोसों दूर कि कि वो मेरे घर की बहू है। कोमल को देख कर मुझे लगता था कि काश यह मुझे मिल जाती और मैं उसे खूब चोदता ... पर फिर मुझे लगता कि यह पाप है... पर क्या करता... पुरुष मन था... और स्त्री के नाम पर कोमल ही थी जो कि मेरे पास थी।

एक दिन कोमल ने मुझे कुछ खास बात बताई। उससे दो चीज़ें खुल कर सामने आ गई। एक तो मेरी पत्नी का राज खुल गया और दूसरे कोमल खुद ही चुदने तैयार हो गई।

कोमल के बताये अनुसार मैंने रात को एक बजे सुमन को उसके कमरे में खिड़की से झांक कर देखा तो... सब कुछ समझ में आ गया... वो अपना कमरा क्यों बंद रखती थी, यह राज़ भी खुल गया। एक व्यक्ति उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था। सुमन वासना में बेसुध थी और अपने चूतड़ हिला हिला कर उसका पूरा लण्ड ले रही थी। उस व्यक्ति को मैं पहचान गया वो उसके कॉलेज टाईम का दोस्त था और उसी के स्कूल में टीचर था।

मैंने यह बात कोमल को बताई तो उसने कहा- मैंने कहा था ना, मां जी का सुरेश के साथ चक्कर है और रात को वो अक्सर घर पर आता है।

"हाँ कोमल... आज रात को तू यहीं रह जा और देखना... तेरी सासू मां क्या करती है।"

"जी , मैं विजय को बोल कर रात को आ जाऊंगी..."

शाम को ही कोमल घर आ गई, साथ में अपना नाईट सूट भी ले आई... उसका नाईट सूट क्या था कि बस... छोटे से टॉप में उसके स्तन उसमे आधे बाहर छलक पड़ रहे थे। उसका पजामा नीचे उसके चूतड़ों की दरार तक के दर्शन करा रहा था। पर वो सब उसके लिये सामान्य था। उसे देख कर तो मेरा लौड़ा कुलांचे भरने लगा था। मैं कब तक अपने लण्ड को छुपाता। कोमल की तेज नजरों से मेरा लण्ड बच ना पाया।

वो मुस्करा उठी। कोमल ने मेरी वासना को और बाहर निकाला- पापा... मम्मी से दूर रहते हुए कितना समय हो गया... ?

"बेटी, यही करीब 16-17 साल हो चुके हैं !"

"क्या ?? इतना समय... साथ भी नहीं सोये...??"

"साथ सोये ? हाथ भी नहीं लगाया...!"

"तभी... !"

"क्या तभी...?" मैंने आश्चर्य से पूछा।

"पापा... कभी कोई इच्छा नहीं होती है क्या?"

"होती तो है... पर क्या कर सकता हूँ... सुमन तो छूने पर ही गन्दी गालिया देती है।"

"तू नहीं और सही...। पापा प्यार की मारी औरतें तो बहुत हैं..."

"चल छोड़ !!! अब आराम कर ले... अभी तो उसे आने में एक घण्टा है...चल लाईट बंद कर दे !"

"एक बात कहूँ पापा, आपका बेटा तो मुझे घास ही नहीं डालता है... वो भी मेरे साथ ऐसे ही करता है !" कोमल ने दुखी मन से कहा।

"क्या तो ... तू भी... ऐसे ही...?"

"हाँ पापा... मेरे मन में भी तो इच्छा होती है ना !"

"देखो तुम भी दुखी, मैं भी दुखी..." मैंने उसके मन की बात समझ ली... उसे भी चुदाई चाहिये थी... पर किससे चुदाती... बदनाम हो जाती... कहीं ???... कहीं इसे मुझसे चुदना तो नहीं है... नहीं... नहीं... मैं तो इसका बाप की तरह हूँ... छी:... पर मन के किसी कोने में एक हूक उठ रही थी कि इसे चुदना ही है।

कोमल ने बत्ती बन्द कर दी। मैंने बिस्तर पर लेते लेटे कोमल की तरफ़ देखा।

उसकी बड़ी बड़ी प्यासी आँखें मुझे ही घूर रही थी। मैंने भी उसकी आँखों से आँखें मिला दी। कोमल बिना पलक झपकाये मुझे प्यार से देखे जा रही थी। वो मुझे देखती और आह भरती... मेरे मुख से भी आह निकल जाती। आँखों से आँखें चुद रही थी। चक्षु-चोदन काफ़ी देर तक चलता रहा... पर जरूरत तो लण्ड और चूत की थी।

आधे घण्टे बाद ही सुमन के कमरे में रोशनी हो उठी। कोमल उठ गई। उसकी वासना भरी निगाहें मैं पहचान गया।

"पापा वो लाईट देखो... आओ देखें..."

हम दोनों दबे पांव खिड़की पर आ गये। कल की तरह ही खिड़की का पट थोड़ा सा खुला था। कोमल और मैंने एक साथ अन्दर झांका। सुरेश ने अपने कपड़े उतार रखे थे और सुमन के कपड़े उतार रहा था। नंगे हो कर अब दोनों एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे। अचानक मुझे लगा कि कोमल ने अपनी गाण्ड हिला कर मेरे से चिपका ली है। अन्दर का दृश्य और कोमल की हरकत ने मेरा लौड़ा खड़ा कर दिया... मेरा खड़ा लण्ड उसकी चूतड़ों की दरार में रगड़ खाने लगा।

उधर सुमन ने लण्ड पकड़ कर उसे मसलना चालू कर दिया था और बार-बार उसे अपनी चूत में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। अनायास ही मेरा हाथ कोमल की चूचियों पर गया और मैंने उसकी चूचियाँ दबा दी।

उसके मुँह से एक आह निकल गई।

मुझे पता था कि कोमल का मन भी बेचैन हो रहा था। मैंने नीचे लण्ड और गड़ा दिया। उसने अपने चूतड़ों को और खोल दिया और लण्ड को दरार में फ़िट कर लिया। कोमल ने मुझे मुड़ कर देखा।

फ़ुसफ़ुसाती हुई बोली,"पापा... प्लीज... अपने कमरे में !"

मैं धीरे से पीछे हट गया।

उसने मेरा हाथ पकड़ा... और कमरे में ले चली।

"पापा... शर्म छोड़ो... और अपने मन की प्यास बुझा लो... और मेरी खुजली भी मिटा दो !" उसकी विनती मुझे वासना में बहा ले जा रही थी।

"पर तुम मेरी बहू हो... बेटी समान हो..." मेरा धर्म मुझे रोक रहा था पर मेरा लौड़ा... वो तो सर उठा चुका था, बेकाबू हो रहा था। मन तो कह रहा था प्यारी सी कोमल को चोद डालूँ...

"ना पापा... ऐसा क्यों सोच रहे हैं आप? नहीं... अब मैं एक सम्पूर्ण औरत हूँ और आप एक सम्पूर्ण मर्द... हम वही कर रहे हैं जो एक मर्द और औरत के बीच में होता है।"

कोमल ने मेरा लण्ड थाम लिया और मसलने लगी।

मेरी आह निकल पड़ी।

जवानी लण्ड मांग रही थी।

मेरा सारा शरीर जैसे कांप उठा,"देखा कैसा तन्ना रहा है... बहू !"

"बहू घुस गई गाण्ड में पापा...रसीली चूत का आनन्द लो पापा...!" कोमल पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी। मेरा पजामा उसने नीचे खींच दिया। मेरा लौड़ा फ़ुफ़कार उठा।

"सच है कोमल... आजा अब जी भर के चुदाई कर ले... जाने ऐसा मौका फिर मिले ना मिले। " मैं कोमल को चोदने के लिये बताब हो उठा।

"मेरा पजामा उतार दो ना और ये टॉप... खीच दो ऊपर... मुझे नंगी करके चोद दो ... हाय..."
 
समझदार बहू-2 cont......................

"पापा मार दो गाण्ड ... जरा जोर से मारना... मेरी गाण्ड भी बहुत प्यासी है...अह्ह्ह्ह्ह"

मैंने लण्ड खींच के निकाला और दबा कर अन्दर तक घुसा डाला... कोमल ने अपने होंठ भींच लिये... उसे दर्द हुआ था...

"हाय राम... मर गई... जरा नरमाई से ना..."

"ना अब यह जोश में आ गया है... मत रोको इसे... मरवा लो ठीक से अब !"

दूसरा झटका और तेज था। उसने आँखें बंद कर ली और दर्द के मारे अपने होंठ काट लिये। मैंने लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड की छेद पर थूक का लौन्दा लगाया और फिर से लण्ड घुसा डाला। इस बार उसे नहीं लगी और लण्ड ने पूरी गहराई ले ली। उसकी गाण्ड की दीवारें मेरे लण्ड से रगड़ खा रही थी। मुझे मजा आने लगा था। उसकी सीत्कार भरी हाय नहीं रुकी थी। पर शायद दर्द तो था। मुझे गाण्ड

मारने का मजा पूरा आ चुका था, मैंने उसे और तकलीफ़ ना देकर चूत चोदना ही बेहतर समझा। जैसे ही लण्ड गाण्ड से बाहर निकाला, कोमल ने जैसे चैन की सांस ली।

"कोमल... चल टांगें और खोल दे... अब चूत का मजा लें..." कोमल ने आंसू भरे चहरे से मुझे देखा और हंस पड़ी।

"बहुत रुलाया पापा... अब मस्ती दे दो ना..." मुझे उसकी हालात नहीं देखी गई।

"सॉरी कोमल... आगे से ध्यान रखूंगा !"

"नहीं पापा... यही तो गाण्ड मराने का मजा है... दर्द और चुदाई... न तो फिर क्या गाण्ड मराई..." उसकी हंसी ने महौल फिर से वासनामय बना दिया। मैंने उसकी चूत के पट खोल डाले और अन्दर गुलाबी चूत में लण्ड को घिसा... उसका दाना लण्ड के सुपाड़े से रगड़ दिया। वो कुछ ही पलों में किलकारियाँ भरने लगी। चूत की गुदगुदी से खिलखिला कर हंस पड़ी। ये वासना भरी किलकारियाँ और हंसी मुझे और उत्तेजित कर रही थी। उसकी गुलाबी चूत पर लण्ड का घिसना उसे भी सुहा रहा था और मुझे भी सुहा रहा था। बीच-बीच में मैं अपना लण्ड धक्का दे कर जड़ तक चोद देता था। फिर वापस निकाल कर उसकी रस भरी चूत को लण्ड से घिसने लगता था।

उसकी चूत से पानी टपकने लगा था। उसने मेरा लौड़ा पकड़ पर अपने दाने पर कई बार रगड़ा मारा और फिर मस्त हो उठती थी। वो मेरे लण्ड के पास मेरे टट्टों को भी सहला देती थी। टट्टों को वो धीरे धीरे सहलाती थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मै अब चूत में अपना लण्ड अन्दर दबाने लगा, और पूरा जड़ तक पहुंचा दिया। लगा कि अभी और घुस सकता है। मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाला और जोर से पूरा दम लगा कर लण्ड को घुसेड़ मारा।

उसके मुँह से फिर एक चीख निकल पड़ी," आय हाय पापा... फ़ाड़ ही डालोगे क्या?"

"सॉरी... पर लण्ड तो पूरा घुसाये बिना मजा नहीं आता है ना"

"सॉरी... चोदो पापा... आपका लण्ड तो पुराना पापी लगता है..." और हंस पड़ी।

चुदाई जोरों से चालू हो गई... कोमल मस्ती में तड़प उठी। वो घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी... सिसकारियाँ भरने लगी। मेरी भी सीत्कारें निकल रही थी।

"हाय बिटिया... चूत है या भोसड़ी... साली है मजे की... क्या मजा आ रहा है...चला गाण्ड... जोर से..."

"पापा... जोर से चोद डालो ना... दे लण्ड... फ़ोड़ दो चूत को... माईईइ रे...आह्ह्ह्ह्ह्...ऊईईईइ"

उसकी कठोर हुई नरम चूचियाँ मसल मसल कर लाल कर दी थी। चुचूक कठोर हो गये थे...। दोनों स्तनों को भींच कर चुदाई चल रही थी। चूचियों को मलने से वो अति उत्तेजित हो चुकी थी। दांत भीच कर कस कर कमर हिला कर चुदवा रही थी।

"पापा... मैं गई... अरे रे... चुद गई... वो... वो... निकला... हाय रे... माऽऽऽऽऽऽऽ" कहते हुए कोमल ने अपना रस छोड़ दिया। वो झड़ने लगी। मैंने उसके बोबे छोड़ दिये और लण्ड पर ध्यान केन्द्रित किया। लण्ड को जड़ तक घुसा कर दबाव डाला... और दबाते ही गया। उसे अन्दर लगने लगी।

"पापा...बस ना... अब नहीं..."

"चुप हो जा रे... मेरा निकलने वाला है..."

"पर मेरी तो फ़ट जायेगी ना..."

"आह आअह्ह्ह रे... मैं आया... आह्ह्ह्ह्... निकल रहा है... कोमलीईईईइ" मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

"कोमल... कोमल... इधर...आ..." मैंने कोमल के बाल पकड़ कर जल्दी से उसके मुँह को मेरे लण्ड पर रख दिया। कोमल तब तक समझ गई थी। उसने वीर्य छूटते ही मुँह में लौड़ा घुसा लिया। मेरा रस पिचकारी के रूप में निकल पड़ा। कोमल वीर्य को गटागट निगलने लगी। फिर अन्त में गाय का दूध निकालने की तरह से लण्ड दुहने लगी और बचा हुआ माल भी निकाल कर चट कर गई।

"पापा... आपके रस से तो पेट ही भर गया।"

मैंने उसे नंगी ही लिपटा लिया...।

"कोमल बेटी... शुक्रिया... तूने मेरे मन को समझा... मेरी आग बुझा दी।"

"पापा... मैं तो बहुत पहले से आपकी इच्छा को जानती थी... आपके पी सी में नंगी तस्वीरें और डाऊनलोड की गई देसी मासला लैव की कहानियाँ तक मैंने पढ़ी हैं।"

"सच ...तो पहले क्यों नहीं बताया..."

"शरम और धरम के मारे... आज तो बस सब कुछ अपने आप ही हो गया और मैं आपसे चुद बैठी।"

कोमल के और मेरे होंठ आपस में मिल गये... उमर का तकाजा था... मुझे थकान चढ़ गई और मैं सो गया।

सुबह उठते ही कोमल ने चाय बनाई... मैंने उसे समझाया,"कोमल देखो, आपस में चोदा-चादी करने से घर की बात घर में ही रहती है... प्लीज किसी सहेली से भी इस बात का जिक्र नहीं करना। सब कुछ ठीक चलता रहे तो ऐसे गुप्त रिश्ते मस्ती से भरे होते हैं।"

"पापा, मेरी एक आण्टी को चोदोगे... बेचारी का मर्द बहुत पहले ही शांत हो गया था।"

"ठीक है तू माल ला और मुझे मस्त कर दे... बस..." हम दोनों एक दूसरे का राज लिये मुस्कुरा उठे। अब मैं उसे मेरे दोस्तो से चुदवाता हूँ और वो मेरे लिये नई नई आण्टियाँ चोदने के लिये दोस्ती कराती है।

... दुखिया की गति दुखिया जाने... और ना जाने कोय...

the end.
 
समझदार बहू-2 cont......................

"पापा मार दो गाण्ड ... जरा जोर से मारना... मेरी गाण्ड भी बहुत प्यासी है...अह्ह्ह्ह्ह"

मैंने लण्ड खींच के निकाला और दबा कर अन्दर तक घुसा डाला... कोमल ने अपने होंठ भींच लिये... उसे दर्द हुआ था...

"हाय राम... मर गई... जरा नरमाई से ना..."

"ना अब यह जोश में आ गया है... मत रोको इसे... मरवा लो ठीक से अब !"

दूसरा झटका और तेज था। उसने आँखें बंद कर ली और दर्द के मारे अपने होंठ काट लिये। मैंने लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड की छेद पर थूक का लौन्दा लगाया और फिर से लण्ड घुसा डाला। इस बार उसे नहीं लगी और लण्ड ने पूरी गहराई ले ली। उसकी गाण्ड की दीवारें मेरे लण्ड से रगड़ खा रही थी। मुझे मजा आने लगा था। उसकी सीत्कार भरी हाय नहीं रुकी थी। पर शायद दर्द तो था। मुझे गाण्ड

मारने का मजा पूरा आ चुका था, मैंने उसे और तकलीफ़ ना देकर चूत चोदना ही बेहतर समझा। जैसे ही लण्ड गाण्ड से बाहर निकाला, कोमल ने जैसे चैन की सांस ली।

"कोमल... चल टांगें और खोल दे... अब चूत का मजा लें..." कोमल ने आंसू भरे चहरे से मुझे देखा और हंस पड़ी।

"बहुत रुलाया पापा... अब मस्ती दे दो ना..." मुझे उसकी हालात नहीं देखी गई।

"सॉरी कोमल... आगे से ध्यान रखूंगा !"

"नहीं पापा... यही तो गाण्ड मराने का मजा है... दर्द और चुदाई... न तो फिर क्या गाण्ड मराई..." उसकी हंसी ने महौल फिर से वासनामय बना दिया। मैंने उसकी चूत के पट खोल डाले और अन्दर गुलाबी चूत में लण्ड को घिसा... उसका दाना लण्ड के सुपाड़े से रगड़ दिया। वो कुछ ही पलों में किलकारियाँ भरने लगी। चूत की गुदगुदी से खिलखिला कर हंस पड़ी। ये वासना भरी किलकारियाँ और हंसी मुझे और उत्तेजित कर रही थी। उसकी गुलाबी चूत पर लण्ड का घिसना उसे भी सुहा रहा था और मुझे भी सुहा रहा था। बीच-बीच में मैं अपना लण्ड धक्का दे कर जड़ तक चोद देता था। फिर वापस निकाल कर उसकी रस भरी चूत को लण्ड से घिसने लगता था।

उसकी चूत से पानी टपकने लगा था। उसने मेरा लौड़ा पकड़ पर अपने दाने पर कई बार रगड़ा मारा और फिर मस्त हो उठती थी। वो मेरे लण्ड के पास मेरे टट्टों को भी सहला देती थी। टट्टों को वो धीरे धीरे सहलाती थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मै अब चूत में अपना लण्ड अन्दर दबाने लगा, और पूरा जड़ तक पहुंचा दिया। लगा कि अभी और घुस सकता है। मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाला और जोर से पूरा दम लगा कर लण्ड को घुसेड़ मारा।

उसके मुँह से फिर एक चीख निकल पड़ी," आय हाय पापा... फ़ाड़ ही डालोगे क्या?"

"सॉरी... पर लण्ड तो पूरा घुसाये बिना मजा नहीं आता है ना"

"सॉरी... चोदो पापा... आपका लण्ड तो पुराना पापी लगता है..." और हंस पड़ी।

चुदाई जोरों से चालू हो गई... कोमल मस्ती में तड़प उठी। वो घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी... सिसकारियाँ भरने लगी। मेरी भी सीत्कारें निकल रही थी।

"हाय बिटिया... चूत है या भोसड़ी... साली है मजे की... क्या मजा आ रहा है...चला गाण्ड... जोर से..."

"पापा... जोर से चोद डालो ना... दे लण्ड... फ़ोड़ दो चूत को... माईईइ रे...आह्ह्ह्ह्ह्...ऊईईईइ"

उसकी कठोर हुई नरम चूचियाँ मसल मसल कर लाल कर दी थी। चुचूक कठोर हो गये थे...। दोनों स्तनों को भींच कर चुदाई चल रही थी। चूचियों को मलने से वो अति उत्तेजित हो चुकी थी। दांत भीच कर कस कर कमर हिला कर चुदवा रही थी।

"पापा... मैं गई... अरे रे... चुद गई... वो... वो... निकला... हाय रे... माऽऽऽऽऽऽऽ" कहते हुए कोमल ने अपना रस छोड़ दिया। वो झड़ने लगी। मैंने उसके बोबे छोड़ दिये और लण्ड पर ध्यान केन्द्रित किया। लण्ड को जड़ तक घुसा कर दबाव डाला... और दबाते ही गया। उसे अन्दर लगने लगी।

"पापा...बस ना... अब नहीं..."

"चुप हो जा रे... मेरा निकलने वाला है..."

"पर मेरी तो फ़ट जायेगी ना..."

"आह आअह्ह्ह रे... मैं आया... आह्ह्ह्ह्... निकल रहा है... कोमलीईईईइ" मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

"कोमल... कोमल... इधर...आ..." मैंने कोमल के बाल पकड़ कर जल्दी से उसके मुँह को मेरे लण्ड पर रख दिया। कोमल तब तक समझ गई थी। उसने वीर्य छूटते ही मुँह में लौड़ा घुसा लिया। मेरा रस पिचकारी के रूप में निकल पड़ा। कोमल वीर्य को गटागट निगलने लगी। फिर अन्त में गाय का दूध निकालने की तरह से लण्ड दुहने लगी और बचा हुआ माल भी निकाल कर चट कर गई।

"पापा... आपके रस से तो पेट ही भर गया।"

मैंने उसे नंगी ही लिपटा लिया...।

"कोमल बेटी... शुक्रिया... तूने मेरे मन को समझा... मेरी आग बुझा दी।"

"पापा... मैं तो बहुत पहले से आपकी इच्छा को जानती थी... आपके पी सी में नंगी तस्वीरें और डाऊनलोड की गई देसी मासला लैव की कहानियाँ तक मैंने पढ़ी हैं।"

"सच ...तो पहले क्यों नहीं बताया..."

"शरम और धरम के मारे... आज तो बस सब कुछ अपने आप ही हो गया और मैं आपसे चुद बैठी।"

कोमल के और मेरे होंठ आपस में मिल गये... उमर का तकाजा था... मुझे थकान चढ़ गई और मैं सो गया।

सुबह उठते ही कोमल ने चाय बनाई... मैंने उसे समझाया,"कोमल देखो, आपस में चोदा-चादी करने से घर की बात घर में ही रहती है... प्लीज किसी सहेली से भी इस बात का जिक्र नहीं करना। सब कुछ ठीक चलता रहे तो ऐसे गुप्त रिश्ते मस्ती से भरे होते हैं।"

"पापा, मेरी एक आण्टी को चोदोगे... बेचारी का मर्द बहुत पहले ही शांत हो गया था।"

"ठीक है तू माल ला और मुझे मस्त कर दे... बस..." हम दोनों एक दूसरे का राज लिये मुस्कुरा उठे। अब मैं उसे मेरे दोस्तो से चुदवाता हूँ और वो मेरे लिये नई नई आण्टियाँ चोदने के लिये दोस्ती कराती है।

... दुखिया की गति दुखिया जाने... और ना जाने कोय...

the end.
 
गाँव की नेहा से नेह


हमारा गाँव मेरठ के पास है। पर मैं दिल्ली में रहता हूँ, मेरे घर में माँ पिताजी ओर मेरे दो छोटे भाई हैं। मेरी उम्र 22 वर्ष है, मैं दिखने में आकर्षक और गोरे रंग का हूँ, मेरा कद 5’6″ है।
मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, साईज लगभग 6″ है।

बात आज से चार साल पहले की है जब मैं मेरठ में ग्याहरवीं क्लास में पढ़ता था तो मुझे अपने पड़ोस की एक लड़की नेहा से प्यार हो गया।

नेहा दिखने में बेहद आकर्षक थी। जिसका बदन 32-28-34 का और रंग गोरा था।

पूरी गली के लड़के उस पर लाइन मारते थे, उसका घर बिल्कुल मेरे घर के बराबर में था।

जब यह बात उसे पता चली कि मैं उससे प्यार करता हूँ तो पहले तो उसने मुझे कुछ जवाब नहीं दिया, लेकिन एक दिन जब मैं शाम को अपने घर की छत पर टहलने गया था तो उसी समय नेहा भी अपने घर की छत पर टहलने के लिए आ गई।



उसने मौका पाते ही एक कागज मोड़ कर मेरे घर की छत पर फेंका, जब मैंने उस कागज को उठा कर खोल कर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, उसमें लिखा था- ..आई लव यू टू !

फिर हमारी बातें शुरु होने लग गई और एक महीने तक कुछ कुछ बातें होती रही। नेहा किसी के घर नहीं जाती थी पर वो मुझसे छत पर से बात कर लिया करती थी और कभी कभी घर पर भी आ जाती थी।

फिर एक दिन मैंने नेहा को बाहर मिलने को बोला और वो मुझ से मिलने आ गई।

हमने खूब बातें की और एक दूसरे को किस भी किया और फिर हम दोनों घर वापस आ गये।

अब नेहा से बात करने के लिए उसके घर में कैसे जाया जाये, मैंने यह सोचा पर कुछ हल न निकला। तीन दिन बाद नेहा की मम्मी और छोटी बहन ॠतु मेरे घर आई, मैं तब सो रहा था और घर पर अकेला था।

नेहा की मम्मी ने मुझे जगाया और ॠतु को पढ़ाने के लिए जैसे ही बोला, मेरी तो नींद ही उड़ गई। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा।

इससे पहले कि आंटी मुझे कुछ और बोलती, मैंने तुरंत ही बोल दिया- ..ठीक है आंटी, रात को 8 से 10 तक पढ़ा दिया करूँगा।

आंटी बोली- ठीक है।

फिर वो दोनों चली गई।

मेरा तो काम बन गया था और मैं खुशी से पागल हो रहा था।

मैं 8 बजे से पहले खाना खाकर मम्मी से बोल कर नेहा के घर आ गया।

मुझे देख कर आंटी बोली- नेहा और ॠतु ऊपर के कमरे में हैं।

मैं बोला- अच्छा आंटी जी।

मैं ऊपर कमरे में चला गया, मुझे देख कर नेहा और ॠतु बड़ी खुश हुई।
फिर मैं भी उनके साथ बेड पर बैठ गया और मैंने ॠतु को इंग्लिश पढ़ने को बोला।

मैंने उसे सेंटेंस बनाने सिखाये और बनाने को दिये, वो उस में लग गई।

मैंने अपना हाथ ॠतु के पीछे से ले जाकर नेहा की कमर पर फेरने लगा ही था कि नेहा एकदम ऐसे उछली जैसे उसे करंट लग गया हो।
मैंने भी अपना हाथ बिजली की रफ़्तार से वापस खींचा।

तभी ॠतु बोली- क्या हुआ दीदी?

नेहा बोली- कुछ नहीं, ऐसे लगा जैसे कुछ चुभ गया हो।

मैं मन ही मन मुस्करा रहा था और नेहा भी, मैंने फिर से हाथ लगाया।

इस बार नेहा ने कुछ नहीं किया पर वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी। उसके शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए थे, जिन्हें मैं साफ़ महसूस कर रहा था, नेहा के शरीर में हल्की सी कंपकपी भी हो रही थी।

कुछ ही देर में ॠतु ने सेंटेंस बना दिए, मैं ॠतु को बोला- वाह क्या बात है ॠतु, तू तो बड़ी समझदार है।

फिर मैंने उसे कुछ ओर सेन्टेन्स दिये और बोला- बस आज के लिए इतना ही काफी है।

इतना कहकर में छत के ऊपर से ही अपनी छत पर आ गया क्योंकि गाँव में बिजली रात में कम ही आती थी इसलिए जल्दी ही घना अन्धेरा छा जाता है।

मैं अपने कमरे में चला गया, तभी मुझे नेहा की हल्की सी आवाज सुनी।

मैंने बाहर आकर देखा तो वो नेहा ही थी, उसने मुझे एक किस की और वापस अपने कमरे में चली गई!

अब तक तो मैं उसे प्यार की नज़र से ही देखता था, पर नेहा के रिस्पांस की वजह से मुझमें और हिम्मत आ गई थी और मैं भी अब उसे वासना की नज़र से देखने लग गया था।

मुझे भी अब उसके साथ सेक्स करने को मन करने लगा था।

उस रात मैं काफी देर तक यही सोचता रहा, और फिर मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

उसी रात मुझे एक हसीं सपना आया जिसमें नेहा ओर मैं एक दूसरे को किस कर रहे थे।

मैं उसे पलट कर उसके गाल पर चुम्बन करने लगा और उसके होंठ चूसने लग गया।

जैसे ही मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए, उसे करंट सा लगा।

मैंने टॉप के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाना जारी रखा।
फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम एक-दूसरे को चूसने लगे।

उसे अजीब लगा क्योंकि यह उसका पहली बार था.. काफ़ी समय बाद मैंने उसको मुक्त किया।

फिर में नेहा के ऊपर लेट कर उसे चुम्बन करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबाना चालू कर दिया।
मैं बहुत सख्ती से उसके मम्मे दबा रहा था।
उसे बहुत दर्द हो रहा था..

फिर मैंने कहा- नेहा डार्लिंग.. प्लीज़ टॉप उतारो।

उसने मना कर दिया..
लेकिन में नहीं माना, मैंने उसके हाथ ऊपर करके उसका टॉप निकाल दिया।

नेहा अब ब्रा और पैन्टी में मेरे नीचे दबी थी।

मैंने ब्रा में हाथ डाल कर उसके चूचे दबाना चालू कर दिए।

मैंने थोड़ी देर बाद ब्रा भी निकाल दी।
अब उसके नंगे मम्मे मेरे हाथों में थे।
मैंने उन्हें बहुत ज़ोर से दबा रहा था।
उसके चूचे एकदम लाल हो गए।

फिर मैंने अपनी जीभ नेहा की चूचियों पर लगाई.. उसे बहुत ज़ोर का झटका लगा।

मैं उसके मम्मों को चूसने लगा।
उसकी आँखें बंद हो गईं और सिसकारी निकलने लगी।
उसकी पैन्टी भी गीली होने लगी..
मैंने उसके मम्मे बहुत देर तक चूसे।

फिर मैंने उसे चुदाई के लिए बोला लेकिन उसने मना कर दिया।

मैं उसे चुदाई के लिए तैयार ही कर रहा था कि तभी मेरे पिताजी ने मुझे आकर जगा दिया।

मेरा वो हसीं सपना वहीं टूट गया।

मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर कुछ बोला नहीं।

मैं उठने के बाद फ्रेश होकर नहाने के लिये बाथरूम में गया। मैंने आज पहली बार उसके नाम की मुट्ठ मारी थी और मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति हुई।

फिर में नाश्ता करके कॉलेज में चला गया।
 
गाँव की नेहा से नेह conti..........................



मैं उठने के बाद फ्रेश होकर नहाने के लिये बाथरूम में गया।
मैंने आज पहली बार उसके नाम की मुट्ठ मारी थी और मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति हुई।

फिर में नाश्ता करके कॉलेज में चला गया।
वहाँ पूरे दिन मेरा मन नहीं लगा, फिर मैं कॉलेज से घर आकर 8 बजने का इंतज़ार करने लगा।

आखिर 8 बज गए ओर मैं फिर से नेहा के घर चला गया।

मैंने वहा जाकर जो देखा मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि नेहा उसी टॉप में थी जिसमें मुझे वो सपने में दिखाई दी थी।

अब मैंने ॠतु से कल का काम दिखाने को कहा जो उसने पूरा कर रखा था।

फिर कुछ देर बाद ॠतु टॉयलेट जाने लगी तो मैंने उसे एक गिलास पानी लाने को भी बोल दिया।

ॠतु के जाते ही मैंने और नेहा ने एक जोरदार चुम्बन किया, मैंने नेहा को रात के सपने के बारे में बताया।

फिर मैंने उसे कहा- मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।

उसने पहले तो मना किया लेकिन बाद में उसने हाँ कर दी।

इतने में ही ॠतु आ गई और हमने बातें बंद कर दी।

अब हम दोनों मौके की तलाश करने लगे और एक दिन हमें रात को मौका मिल ही गया।

नेहा ने रात को एक बजे मेरे पास अपने भाई के नंबर से काल की जिसे मैंने दो बार तो अनजान नम्बर समझ कर काट दिया।

जब थोड़ी देर बाद फिर से काल आई तो मुझे वो नंबर नींद में होने की वजह से अपने दोस्त का लगा और मैंने कॉल रिसीव करते ही बोला- मादरचोद तेरी गांड में चुल रहवे के… 24 घंटे जब चहावे तभी कॉल कर दे तू!

उधर से कोई जवाब मिले बिना ही फोन कट गया।

फिर सुबह के 2 बजे काल आई, फिर मैंने कॉल रिसीव करके बोला- ..हेलो?

उधर से आवाज़ आई- मैं नेहा बोल रही हूँ, अपना दरवाज़ा खोलो।

इतना सुनते ही मेरी नींद गायब हो गई और मैंने अपना दरवाज़ा खोला, वो अंदर आ गई।

उसने मेरे गाल पर एक प्यारा सा चांटा मारा, बोली- ऐसे ही करते है फ़ोन पर बातें?

मैं बोला- जानू, मैंने सोचा कि मेरा दोस्त है कोई।

फिर मैंने इतना कहते ही उसको होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शूरू कर दिया।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ नेहा के मुँह में डाल दी और वो होंठों से उसे चूसने लगी।

मैं एक हाथ से उसके गोल मम्मे दबा रहा था जो उत्त्तेजना के कारण और भी सख्त हो गए थे।

फिर मैंने उसके चूचों को ऊपर से ही चूसना शुरु कर दिया और एक हाथ से उसका दूसरा मुम्मा भींच रहा था।

अब मैं उसका टॉप उतार कर उसके मुम्मे चूसने लग गया।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।

कसम से यार… क्या मम्मे थे… एकदम रूई जैसे और उनके ऊपर गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे मानो मिल्क केक पर स्ट्राबेरी रक्खी हो।

मैं तो उन्हें पागलों की तरह चूसे जा रहा था और नेहा भी तेज़ सिसकारियाँ भर रही थी।

उसके चूचे एक मिनी फुटबॉल की तरह सख्त हो गए थे, लगभग उन्हें 10 मिनट तक चूसता रहा मैं, उनमें से अब एक स्वादहीन दूध निकलने लगा था जिसे मैं बड़े शौक से पी रहा था।

नेहा तो मानो सातवें आसमान पर थी।
वो मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी।

फिर मैं जैसे ही उसकी नाभि का पास पहुँचा तो वो बैठने की नाकाम कोशिश करने लगी।

पर बैठ न सकी..

मैंने उसकी नाभि के चारों तरफ चुम्बन की झड़ी लगा दी।

नेहा तो आँखें बंद करके लेटी हुई थी, उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, जिसकी वजह से उसके नाख़ून मेरी गर्दन के पीछे गड़ गए।

फिर मैंने उसकी पजामी भी उतार फेंकी, बस अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी।

मैं उसके पेट और कमर को चूमता रहा, एक हाथ से मैं उसके मम्मे सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत को।

उसकी पैंटी भी काफी गीली हो गई थी।

मैं उसकी पैंटी उतारने ही लगा तो उसने अपनी टांगें सिकोड़ ली, बोली- ये सब गलत है… कुछ गलत हो गया तो मैं समाज को मुँह दिखने लायक नहीं रहूँगी।

मैंने उसे बहुत समझाया और वो मान गई।
मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी तो मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गए।
उसकी गुलाबी रंग की चूत पर हल्के रोयें थे, मैं अपने मुँह को उसकी चूत के पास ले गया।

क्या गज़ब की खुशबू आ रही थी।

जैसे ही मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाई वो तो एकदम कांप गई और उसकी चूत से कामरस की धारा फ़ूट पड़ी।

उसकी सिसकारियाँ अब मादक आवाज में बदलने लगी थी- आह्ह्ह्ह… उम्मम्मम्मीईईई… ऊह्ह्हूओ तेज़ करो… मेरी जान ! आअह्हह… उम्मनम्म्म… म्म…

मैंने उसकी चूत से निकले सारे रस को पी लिया।
अब मैंने अपना लण्ड नेहा के मुख के पास ले जाकर कहा-‘चूसो इसे!

उसने पहले तो मना कर दिया पर उत्तेजना के वशीभूत होकर वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।

अब नेहा भी मेरे लौड़े को उतनी ही तेज़ी से चूस रही थी जितनी तेज़ी से मैं उसकी चूत को चूस रहा था।

अब मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने नेहा को जोर से चूसने को बोला और मैं भी उसकी चूत और जोर से चाटने लगा।

कुछ ही पलों में हम दोनों साथ ही झड़ गए।

नेहा ने मेरा एक एक बून्द वीर्य जीभ से चाट लिया और मैं भी उसका सारा रस पी गया, जो कुछ नमकीन से स्वाद का था।

अब हम दोनों ने पोजीशन बदली और फिर एक दूसरे के होंठों को चूमने लग गए।
 
गाँव की नेहा से नेह conti..........................






नेहा ने मेरा एक एक बून्द वीर्य जीभ से चाट लिया और मैं भी उसका सारा रस पी गया, जो कुछ नमकीन से स्वाद का था।

अब हम दोनों ने पोजीशन बदली और फिर एक दूसरे के होंठों को चूमने लग गए।

मैंने नेहा के कण के पीछे गर्दन पर नाभि पर, सारे शरीर पर चुम्बनो की बौछार कर दी।नेहा भी अलन एक हाथ से मेरी कमर सहला रही थी और एक हाथ से मेरी मुट्ठ मार रही थी।

अब नेहा फिर से गर्म हो चुकी थी, मैंने नेहा से अपना लण्ड चूसने को बोला और वो मेरे लण्ड को एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह चूसने लग गई।

अब मेरे मुँह से भी मादक आवाज़ें निकलने लग गई थी- आह्ह्ह्ह्ह कम ऑन नेहा… उम्म्मम्म… ओह्हूऊऊऊ… मेरी जान उम्म्म तू बड़ी अच्छी है।

सुबह के 3 बज गए थे, अब मैंने समय की नज़ाकत समझते हुए मैंने नेहा को बेड पर लिटा दिया।

मेरा लण्ड नेहा ने चूसकर बिल्कुल चिकना कर दिया था।

अब मैंने नेहा की चूत पर थूक लगाया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर सेट किया।
मैं नेहा के ऊपर झुक गया और उसके हाथ सही तरीके से दबा लिए और उसके पैरों को भी अपने पैरों से दबा लिया।

अब मैंने अपने होंठ नेहा के होंठों से मिला कर एक जोरदार धक्का मारा, धक्का मारते ही मैंने उसकी होंठ दबा लिए और उसकी एक हल्की सी चीख निकल कर रह गई।

‘उउय्यईईई म्माआआह मरर्रर्र गग्यईईई…!’
वो दर्द क मरे बिलबिला उठी।

मैंने उसके होठों को दबाये रखा और कुछ देर के लिये रुक गया।

मैंने कुछ देर बाद उसके होंठ छोड़े उसका मुँह एकदम लाल हो गया था।
वो दर्द से करहाती हुई बोली- …प्लीज़ छोड़ दो मुझे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है… मैं मर जाऊँगी… छोड़ दो मुझे।

मुझे उस पर दया भी आ रही थी, पर मैंने सोचा कि अगर आज छोड़ दिया तो फिर कभी चूत देने को तैयार नहीं होगी।

मैं उसे चुम्बन करता रहा, उसका दर्द भी अब कम हो चला था, फिर मैंने उसको बिना बताये एक जोरदार धक्का और जड़ दिया।

नेहा चिल्ला उठी और बड़ी मुश्किल से अपने हाथों से उसका मुँह भींच पाया।

अगर मैं नेहा का मुँह न भींच पाता तो उसकी आवाज नीचे तक चली जाती।

नेहा की आँखों से आँसू निकल आये थे और वो दर्द के मारे बिलबिला रही थी।

नेहा मुझसे छूटने की हर संभव कोशिश कर रही थी पर वो नाकाम रही..

मैंने उसका मुँह दबा रखा था इसलिए उसके मुँह से बस ऊऊह्हह्हह आःह की आवाज़ आ रही थी।

फिर मैंने एक धक्का और मारा, इस बार मेरा लण्ड पूरी जड़ तक उसकी चूत में चला गया।

नेहा लगभग बेहोश से हो गई, नेहा बुरी तरह तड़प रही थी और उसकी चूत से बहुत सारा खून निकल रहा था।

फिर मैं रुका रहा, नेहा का गला सूख गया था, मैंने पास में रखे गिलास से उसके मुँह में पानी डाला।
वो दर्द के मारे कराह रही थी।

फ़िर मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया और मैं नेहा को लगातार चुम्बन करता रहा।

जब मैं अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा था तो नेहा को कैसा लग रहा था, उसी के शब्दों में जानिये…

‘मुझे हर धक्के के साथ ऐसा लग रहा था, मानो मेरे चूत बाहर निकल जएगी। जब लंड चूत के अंदर जाता था, मानो चूत अंदर की तरफ जा रही हो, और जब बाहर की तरफ आता था, तो चूत बाहर की तरफ खिंची जा रही हो।

अब नेहा का दर्द कम हो चला था, इसलिए मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार कुछ तेज़ कर दी थी और अब नेहा भी कुछ मादक आवाज़ें निकाल रही थी।

अब नेहा भी कमर उचकाने लगी थी, मुझे पता चल गया था कि अब उसे भी मज़ा आने लगा है।

अब नेहा मेरे साथ अपनी कमर उचका कर देने लगी और वो इतनी असीम आनन्द ले रही थी कि उससे एक शब्द भी तक से नहीं बोला जा रहा था और अब वो कह रही थी- फ़ास्ट रोहित, और फ़ास्ट, फाड़ दो मेरी चूत को, आआह… आआ ऊह्ह्ह ऊऊओ ऊऊऊम्मम्म!

अब मैंने भी अपने झटको की रफ़्तार तेज़ कर दी थी, उसकी चूत से अब थोड़ा थोड़ा चिकना पानी निकल रहा था जिसकी वजह से अब मेरे लण्ड को उसकी चूत में जाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी।

अब मैं थक गया था इसलिए मैंने नेहा को बेड से उठाया और अपने ऊपर आने को बोला।

नेहा तुरंत ही मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड पर बैठकर उचकने लगी।

अब हमारी मादक आवाज़ों के संगीत से पूरा कमर भर गया था।

मैं एक हाथ से उसके मम्मे दबा रहा था और एक हाथ की उंगली उसकी गांड में घुसा कर अंदर बाहर कर रहा था।

अब नेहा के मुँह से अज़ीब अज़ीब आवाज़े निकलने लगी थी- आःह्ह्ह ऊऊऊ ऊऊय्य्य्यईई…

मुझे पता चल गया था कि वो झड़ने वाली है।

इसलिए अब मैं उसके ऊपर आ गया और अब मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज़ कर दी और नेहा एकदम चिल्ला पड़ी- आआईईईई…
उसका शरीर एकदम अकड़ गया और उसकी चूत की पकड़ भी मेरे लौड़े पर और बढ़ गई।

अब लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद में भी झड़ने वाला था और कुछ ही पलों में एक तेज़ आवाज़ ‘आआआःह्हआआ’ के साथ मेरे लण्ड ने भी नेहा की चूत में पिचकारी चलानी शुरू कर दी और मैं निढाल होकर नेहा के ऊपर गिर पड़ा।

नेहा भी एकदम चित पड़ी थी।
 
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