hotaks444
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जीशान लुबना को अपनी गोद में उठ लेता है और खुद बेड पर बैठ जाता है। लुबना दोनों टाँगे जीशान के इर्द-गिर्द लपेटकर उसके लण्ड पर बैठ जाती है।
जीशान-“वहाँ मैं तुझसे निकाह करने वाला हूँ , अम्मी की मौजूदगी में…”
ये सुनते ही लुबना की पलकें शर्म से झुकती चली जाती हैं। जीशान दोनों हाथों में लुबना के चूत ड़ों को हल्के से दबाता है।
लुबना-“इशह… क्या कर रहे हैं?”
जीशान-“करेगी ना मुझसे शादी लुबु?”
लुबना अपने मुँह में जीशान का कान लेकर चूमती हुई धीरे से कहती है-“हाँ…”
जीशान-“मुझे तुझसे कितनी मोहब्बत है लुब , ये मैं तुझसे उस दिन के बाद बताऊँगा?”
लुबना-मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा।
जीशान-मुझे कुछ चाहिए अभी।
लुबना-क्या?
जीशान-“ईई…” और वो अपना एक हाथ लुबना की शलवार के ऊपर रख देता है, उस हिस्से पर जहाँ लुबना की चूत छुपी हुई थी।
लुबना की आँखें बंद हो जाती हैं-“सब कुछ आपका है जीशान … मगर मैं चाहती हूँ कि शादी के बाद आह्ह…”
जीशान-तुझे मुझ पर यकीन है?”
लुबना-खुद से भी ज्यादा।
जीशान-“तो उतार इसे सब कुछ। एक भी चीज तेरे जिस्म पर नहीं रहनी चाहिए…”
लुबना खड़ी हो जाती है और अपने भाई की आँखों में देखती हुई अपने सारे कपड़े उतारने लगती है। जीशान के कहने के मुताबिक वो अपने जिस्म पर एक भी चीज नहीं रखती। सिर से लेकर पाँव तक हुश्न की मलिका अपना सितम ढाने को तैयार थी, अपनी जान के लिए जान भी दे देने वाली लुबना के दिल में रत्ती बराबर भी डर नहीं था।
जीशान उसे लेटा देता है और उसके ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूमते हुये गर्दन पर जीभ फेरते हुये नीचे चूत तक चला आता है। लुबना साँसें रोक कर एक-एक लम्हा जीने लगती है। जैसे ही जीशान का मुँह लुबना की चूत पर पड़ता है लुबना तड़प जाती है।
लुबना-“भाई जान्न…”
जीशान-“गलपप्प-गलपप्प… लुब तेरे जैसी हसीन मैंने नहीं देखा। ये हुश्न जानलेवा है मेरी जान… गलपप्प-गलपप्प…”
लुबना-“हुश्न भी आपका, जिस्म भी आपका आह्ह… लुबना भी आपकी जीशान …” लुबना नहीं जानती थी कि जीशान अपनी पैंट उतार चुका है, वो तो अपनी आँखें बंद करके जीशान की जीभ को अपनी चूत के ऊपर घूमता हुआ महसूस करके मदहोश सी हो गई थी।
जब जीशान घूमकर लुबना के चेहरे की तरफ आता है तब लुबना आँखें खोलकर देखती है। उसकी आँखों के सामने जीशान का लण्ड झूल रहा था, गुलाबी सुपाड़े पर चमकती हुई शबनम की बूँदें लिए जीशान का हसीन लण्ड देखकर लुबना खुद को रोक नहीं पाती और बिना कुछ सोचे, बिना कुछ बोले उस प्यार की होने वाली निशानी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है।
जीशान भी अपनी लुबना की टाँगों में सिर दबाए लुबना की गाण्ड के सुराख को और चूत के दाने को चाटने और काटने लगता है गलपप्प-गलपप्प।
लुबना की चूत पर जीशान की गरम जीभ इस कदर आगे पीछे घूम रही थी कि लुबना को ऐसा लग रहा था जैसे जीशान उसे चाट नहीं रहा, बल्की चोद रहा है। लुबना बर्दाश्त नहीं कर पाती और जीशान के सिर को अपने हाथों से कस के पकड़कर कमर को जोर-जोर से आगे पीछे करती हुई जीशान के मुँह पर झड़ने लगती है।
लुबना-“अह्ह्ह्ह… अम्मी जी आह्ह…”
जीशान भी अपनी बहन को शायद अपना पानी पिलाना चाहता था। हालाँकि वो कुछ देर पहले अनुम और सोफिया की चूत में ढेर सारा पानी छोड़कर आया था, मगर लुबना के मुँह का ह कमाल था कि जीशान फिर से उसके मुँह में झड़ने लगता है, और लुबना एक-एक कतरा पीती चली जाती है।
थोड़े देर बाद जीशान लुबना को पेकिंग करने का कहकर वहाँ से अपने रूम में चला जाता है।
जीशान-“वहाँ मैं तुझसे निकाह करने वाला हूँ , अम्मी की मौजूदगी में…”
ये सुनते ही लुबना की पलकें शर्म से झुकती चली जाती हैं। जीशान दोनों हाथों में लुबना के चूत ड़ों को हल्के से दबाता है।
लुबना-“इशह… क्या कर रहे हैं?”
जीशान-“करेगी ना मुझसे शादी लुबु?”
लुबना अपने मुँह में जीशान का कान लेकर चूमती हुई धीरे से कहती है-“हाँ…”
जीशान-“मुझे तुझसे कितनी मोहब्बत है लुब , ये मैं तुझसे उस दिन के बाद बताऊँगा?”
लुबना-मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा।
जीशान-मुझे कुछ चाहिए अभी।
लुबना-क्या?
जीशान-“ईई…” और वो अपना एक हाथ लुबना की शलवार के ऊपर रख देता है, उस हिस्से पर जहाँ लुबना की चूत छुपी हुई थी।
लुबना की आँखें बंद हो जाती हैं-“सब कुछ आपका है जीशान … मगर मैं चाहती हूँ कि शादी के बाद आह्ह…”
जीशान-तुझे मुझ पर यकीन है?”
लुबना-खुद से भी ज्यादा।
जीशान-“तो उतार इसे सब कुछ। एक भी चीज तेरे जिस्म पर नहीं रहनी चाहिए…”
लुबना खड़ी हो जाती है और अपने भाई की आँखों में देखती हुई अपने सारे कपड़े उतारने लगती है। जीशान के कहने के मुताबिक वो अपने जिस्म पर एक भी चीज नहीं रखती। सिर से लेकर पाँव तक हुश्न की मलिका अपना सितम ढाने को तैयार थी, अपनी जान के लिए जान भी दे देने वाली लुबना के दिल में रत्ती बराबर भी डर नहीं था।
जीशान उसे लेटा देता है और उसके ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूमते हुये गर्दन पर जीभ फेरते हुये नीचे चूत तक चला आता है। लुबना साँसें रोक कर एक-एक लम्हा जीने लगती है। जैसे ही जीशान का मुँह लुबना की चूत पर पड़ता है लुबना तड़प जाती है।
लुबना-“भाई जान्न…”
जीशान-“गलपप्प-गलपप्प… लुब तेरे जैसी हसीन मैंने नहीं देखा। ये हुश्न जानलेवा है मेरी जान… गलपप्प-गलपप्प…”
लुबना-“हुश्न भी आपका, जिस्म भी आपका आह्ह… लुबना भी आपकी जीशान …” लुबना नहीं जानती थी कि जीशान अपनी पैंट उतार चुका है, वो तो अपनी आँखें बंद करके जीशान की जीभ को अपनी चूत के ऊपर घूमता हुआ महसूस करके मदहोश सी हो गई थी।
जब जीशान घूमकर लुबना के चेहरे की तरफ आता है तब लुबना आँखें खोलकर देखती है। उसकी आँखों के सामने जीशान का लण्ड झूल रहा था, गुलाबी सुपाड़े पर चमकती हुई शबनम की बूँदें लिए जीशान का हसीन लण्ड देखकर लुबना खुद को रोक नहीं पाती और बिना कुछ सोचे, बिना कुछ बोले उस प्यार की होने वाली निशानी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है।
जीशान भी अपनी लुबना की टाँगों में सिर दबाए लुबना की गाण्ड के सुराख को और चूत के दाने को चाटने और काटने लगता है गलपप्प-गलपप्प।
लुबना की चूत पर जीशान की गरम जीभ इस कदर आगे पीछे घूम रही थी कि लुबना को ऐसा लग रहा था जैसे जीशान उसे चाट नहीं रहा, बल्की चोद रहा है। लुबना बर्दाश्त नहीं कर पाती और जीशान के सिर को अपने हाथों से कस के पकड़कर कमर को जोर-जोर से आगे पीछे करती हुई जीशान के मुँह पर झड़ने लगती है।
लुबना-“अह्ह्ह्ह… अम्मी जी आह्ह…”
जीशान भी अपनी बहन को शायद अपना पानी पिलाना चाहता था। हालाँकि वो कुछ देर पहले अनुम और सोफिया की चूत में ढेर सारा पानी छोड़कर आया था, मगर लुबना के मुँह का ह कमाल था कि जीशान फिर से उसके मुँह में झड़ने लगता है, और लुबना एक-एक कतरा पीती चली जाती है।
थोड़े देर बाद जीशान लुबना को पेकिंग करने का कहकर वहाँ से अपने रूम में चला जाता है।