hotaks444
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जीशान अनुम को अपने ऊपर ले लेता है। अनुम के ऊपर आ जाने से उसकी चूत के नीचे ठीक दोनों गुलाबी पंखुड़ियों के बीच में जीशान का लण्ड अटक जाता है।
अनुम-क्या कर रहे हैं जी? बस भी कीजिए।
जीशान-क्या? अभी से बस? अभी तो सारी रात और आज क्या हर रात जागना है तुम्हें। जान मेरी बहुत सो चुकी तुम अकेले-अकेले, अब नहीं
अनुम हँसती हुई जीशान के निपल्स को जोर से काट लेती है। जीशान दोनों हाथों में अनुम की कमर को दबोच लेता है।
अनुम-“आह्ह… ओह्ह… आप ना बड़े वो है जीशान … पता है बचपन में भी आप ऐसे ही ज़िद करके दूध पिया किया करते थे मेरी । 3 साल तक फीडींग करवाई हूँ मैं आपको…”
जीशान-मुझे दूध पीना है।
अनुम क्या? अब कहाँ रहा इनमें दूध?
जीशान-“मुझे पीना है अभी…”
अनुम की आँखों में खुमारी सी छा जाती है। वो जीशान की आँखों पर हाथ रख कर उसकी पलकें बंद कर देती है, और धीरे से उसके कान में कहती है-“मुँह खोलिए”
जीशान-“ऊव् अवववववववूऊ ओ…” मुँह खोल देता है और अनुम अपने एक निप्पल को जीशान के मुँह में डाल देती है।
अनुम की यादे ताजा होने लगती हैं। वो अपनी दूसरे चुची को मसलती हुई निपल्स को और जीशान के मुँह के अंदर डालने लगती है। जीशान दोनों हाथों से अनुम की कमर को दबाता हुआ चुची को चूसने लगता है-गलपप्प-गलपप्प।
अनुम-“मुझे बेबी चाहिए जी आह्ह…”
जीशान-सच अनुम।
अनुम-हाँ सच उहुउउ आराम से। मुझे आपसे बेबी चाहिए ख़ान साहब्ब।
जीशान-उसके लिए हमें रोज करना होगा।
अनुम-“करिये ना… मैं कब रोकी हूँ आपको उम्म…” जीशान के चुची में दाँत गढ़ाने से अनुम को मीठा-मीठा दर्द सा होने लगता है। उसके दिल में बच्चे की ख्वाहिश बहुत पहले से थी, वो अमन को कई बार कहती थी कि उसे दो नहीं बल्की 4 से 5 बच्चे चाहिए, मगर अमन हमेशा उसे नहीं कहता था। उसकी वजह अनुम कभी समझ नहीं पाई। मगर अब अनुम की हर ख्वाहिश जीशान पूरी करने वाला था।
जीशान-“जब मैं कहूँ , जहाँ मैं कहूँ , वहाँ करूँगा मैं अनुम तुम्हें…”
अनुम-“शौहर है आप मेरे बिना झिझक करिये। मगर मुझे जल्दी से जल्दी अपनी कोख में आपकी निशानी चाहिए जी…”
अनुम की बातें सुनकर जीशान का तन बदन आग में जलने लगती है। उसके जिस्म का सारा खून जैसे उसके लण्ड में आ चुका था, जिसकी वजह से वो फौलाद की तरह कड़क हो जाता है।
अनुम-“अया सुनिए मुझे चुभ रहा है ना ईई…”
जीशान-कमर ऊपर उठा।
अनुम अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाती है।
जीशान-धीरे-धीरे उसपर बैठ जा अनुम।
अनुम-“आह्ह… अम्मी आह्ह… अम्मीई जी…” अपने जीशान के, अपने मर्द के, अपने बेटे के लण्ड पर बैठती चली जाती है
अनुम-क्या कर रहे हैं जी? बस भी कीजिए।
जीशान-क्या? अभी से बस? अभी तो सारी रात और आज क्या हर रात जागना है तुम्हें। जान मेरी बहुत सो चुकी तुम अकेले-अकेले, अब नहीं
अनुम हँसती हुई जीशान के निपल्स को जोर से काट लेती है। जीशान दोनों हाथों में अनुम की कमर को दबोच लेता है।
अनुम-“आह्ह… ओह्ह… आप ना बड़े वो है जीशान … पता है बचपन में भी आप ऐसे ही ज़िद करके दूध पिया किया करते थे मेरी । 3 साल तक फीडींग करवाई हूँ मैं आपको…”
जीशान-मुझे दूध पीना है।
अनुम क्या? अब कहाँ रहा इनमें दूध?
जीशान-“मुझे पीना है अभी…”
अनुम की आँखों में खुमारी सी छा जाती है। वो जीशान की आँखों पर हाथ रख कर उसकी पलकें बंद कर देती है, और धीरे से उसके कान में कहती है-“मुँह खोलिए”
जीशान-“ऊव् अवववववववूऊ ओ…” मुँह खोल देता है और अनुम अपने एक निप्पल को जीशान के मुँह में डाल देती है।
अनुम की यादे ताजा होने लगती हैं। वो अपनी दूसरे चुची को मसलती हुई निपल्स को और जीशान के मुँह के अंदर डालने लगती है। जीशान दोनों हाथों से अनुम की कमर को दबाता हुआ चुची को चूसने लगता है-गलपप्प-गलपप्प।
अनुम-“मुझे बेबी चाहिए जी आह्ह…”
जीशान-सच अनुम।
अनुम-हाँ सच उहुउउ आराम से। मुझे आपसे बेबी चाहिए ख़ान साहब्ब।
जीशान-उसके लिए हमें रोज करना होगा।
अनुम-“करिये ना… मैं कब रोकी हूँ आपको उम्म…” जीशान के चुची में दाँत गढ़ाने से अनुम को मीठा-मीठा दर्द सा होने लगता है। उसके दिल में बच्चे की ख्वाहिश बहुत पहले से थी, वो अमन को कई बार कहती थी कि उसे दो नहीं बल्की 4 से 5 बच्चे चाहिए, मगर अमन हमेशा उसे नहीं कहता था। उसकी वजह अनुम कभी समझ नहीं पाई। मगर अब अनुम की हर ख्वाहिश जीशान पूरी करने वाला था।
जीशान-“जब मैं कहूँ , जहाँ मैं कहूँ , वहाँ करूँगा मैं अनुम तुम्हें…”
अनुम-“शौहर है आप मेरे बिना झिझक करिये। मगर मुझे जल्दी से जल्दी अपनी कोख में आपकी निशानी चाहिए जी…”
अनुम की बातें सुनकर जीशान का तन बदन आग में जलने लगती है। उसके जिस्म का सारा खून जैसे उसके लण्ड में आ चुका था, जिसकी वजह से वो फौलाद की तरह कड़क हो जाता है।
अनुम-“अया सुनिए मुझे चुभ रहा है ना ईई…”
जीशान-कमर ऊपर उठा।
अनुम अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाती है।
जीशान-धीरे-धीरे उसपर बैठ जा अनुम।
अनुम-“आह्ह… अम्मी आह्ह… अम्मीई जी…” अपने जीशान के, अपने मर्द के, अपने बेटे के लण्ड पर बैठती चली जाती है