Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास - Page 4 - SexBaba
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Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

रमेश के जाने के बाद सारा परिवार नाश्ता करता है . विमल की नज़रें कामया के उपर से हट ही नही रही थी. कामया ये सोच रही थी कि दूर रहता है इसीलिए इस बार कुछ ज़यादा भावुक हो रहा है, उसे क्या मालूम था कि विमल अब उसे एक औरत की तरहा देख रहा था माँ की तरहा नही.

सोनी विमल को कोहनी मारती है तो विमल बोखला कर नज़रें झुकाता है और नाश्ता ख़तम करने लगता है.

सोनी अपना नाश्ता ख़तम कर के अपने इन्सिटुट चली जाती है, वो अब शाम को 5 बजे ही वापस आएगी. घर में रह जाते हैं विमल और कामया.
कामया टेबल से बर्तन उठाती है तो विमल उसकी मदद करता है . किचन में सारे बर्तन सिंक में रखने के बाद कामया हॉल में आ कर बैठ जाती है और टीवी के चॅनेल्स इधर से उधर करने लगती है. विमल उसके पास आ कर उसकी गोद में सर रख कर लेट जाता है.

विमल अपना चेहरा अपनी माँ के पेट में धसा लेता है और उसके जिस्म की खुश्बू सुंगने लगता है. विमल की इस हरकत से कामया को गुदगुदी होती है और वो उसका सर अपने पेट से हटा देती है.

कामया : ये क्या छोटे बच्चे की तरहा चिपक रहा है. ठीक से लेट.
विमल : तो क्या बड़े की तरहा चिपकू, तुम्हारे लिए तो मैं हमेशा छोटा ही रहूँगा,

कह कर विमल अपनी नाक कामया की जाँघो के जोड़ पे ले आता है और उसकी चूत की खुश्बू सुंगने की कोशिश करता है. विमल अपने चेहरे का ज़ोर कामया की जाँघो पर बढ़ाता है तो जाँघो में कामया अपनी टाँगें चौड़ी कर लेती है और विमल का चेहरा उसकी सारी समेत बिल्कुल उसकी चूत के उपर आ जाता है.

विमल की हरकते कामया की चूत से थोड़ी उप्पर ही होती हैं पर इसका असर कामया की चूत पे पड़ने लगता है. कामया की चूत गीली होने लगती है और जैसे ही कामया को इसका अहसास होता है वो विमल को हटा देती है और उठ जाती है.

विमल हसरत भर नज़र से कामया को देखता है. कामया वहाँ से जाने लगती है तो विमल उसका हाथ पकड़ के खींचता है.

‘कहाँ जा रही हो माँ, मेरे पास बैठो ना’

विमल के खींचने की वजह से कामया उसके उपर गिरती है और विमल का मुँह उसकी छाती से लगता है. एक पल के लिए विमल का मुँह अपनी माँ के उरोज़ की नर्मी महसूस करता है और उसका लंड खड़ा होने लगता है.

अहह कामया की सिसकी निकल जाती है जब विमल के चेहरे का दबाव उसके उरोज़ पे पड़ता है.
कामया को गुस्सा चढ़ जाता है.

‘विमल ये क्या बदतमीज़ी है?’ कामया अपना हाथ छुड़ाती है और अपने कमरे में चली जाती है.

माँ तो नाराज़ हो कर चली गई, अब माँ को कैसे मनाऊ . विमल सोफे पे बैठ यही सोचता रहता है. उसकी हिम्मत नही पड़ रही थी माँ के कमरे में जाने के लिए.
वो अपने कमरे में चला जाता है और अपना लॅप टॉप खोल के बैठ जाता है. अपनी मैल चेक करता है तो सोनी की मैल आई हुई थी जकप के नाम से.
 
मैल पढ़ कर उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इस लड़की को उसके बारे में इतना कैसे मालूम है.
उसका सर चकरा जाता है और वो लॅप टॉप बंद कर फिर नीचे आ जाता है. उसकी माँ कमरा बंद था, वो देखने की कोशिश नही करता कि अंदर से भी बंद है या नही .
उसकी आँखों के सामने फिर उसकी माँ का जिस्म घूमने लगता है, और जब उससे नही रहा जाता तो वो अपनी माँ के कमरे की तरफ बढ़ जाता है.

विमल का यूँ अपने साथ चिपकना और जिस्म को सहलाने की कोशिश करना कामया को काफ़ी नागवार गुजरा था. कमरे में अपने बिस्तर पे बैठी वो विमल के बारे में सोच रही थी. क्या विमल का दिमाग़ कुंठित हो गया है, या फिर ये वास्तव में काफ़ी दिनो से हॉस्टिल में रहने का परिणाम है जो वो इतना करीब आ गया. बच्चों के लिए माँ माँ ही होती है और हर परिस्थिति में माँ की कमी हमेशा खलती है. ख़ासकर जब बच्चा हॉस्टिल में रह कर पढ़ रहा हो. विमल पढ़ाई में शुरू से ही बहुत अच्छा रहा है और एमबीए में सबसे अच्छे इन्स्टिट्यूट में दाखिला भी अपने बल बूते पे लिया था.

वो जितना विमल के बारे में सोचती उतनी ही उलझने उसके दिमाग़ में घेरा डाल लेती.
सोनी के साथ जितना वो खुल चुकी है और जो कुछ भी उन दोनो के बीच में हुआ वो एक माँ एक लड़की के साथ तो कर सकती है पर बेटे के साथ ऐसा कुछ की कल्पना तक नही कर सकती.

शायद उसने ज़रूरत से ज़यादा विमल को डाँट दिया. विमल का मासूम उदास चेहरा उसकी आँखों के सामने लहराने लगा और माँ की ममता तड़पने लगी.

विमल नीचे आ कर माँ के कमरे के बाहर काफ़ी देर खड़ा रहा पर फिर हिम्मत ना पड़ने पर हाल में जा कर बैठ गया.
उसने टीवी देखने की कोशिश करी ताकि मन कहीं और लगे पर कोई फ़ायदा ना हुआ.

टीवी बंद कर वो वहीं बैठा रहा और आँखें बंद कर सोचने लगा क्या करे कि माँ का गुस्सा उतार जाए.
कामया से भी बंद कमरे में बैठा नही जा रहा था. वो बाहर आती है और विमल को हाल में आँखें बंद किए हुए बैठा पाती है.

कामया उसके पास जा कर बैठ जाती है और प्यार से उसके बालों में हाथ फेरने लगती है.

विमल अपनी आँखें खोल कामया को देखता है, कामया को उसकी आँखों में एक दर्द दिखता है और माँ की अंतरात्मा तड़प उठती है.

वो विमल को अपने सीने से बींच लेती है.
'बस बेटा ज़यादा वक़्त नही रह गया है, जब तू अव्वल दर्जे में अपनी एमबीए पूरी कर लेगा तेरी मा का सम्मान तेरी वजह से बाद जाएगा, तेरे पिता की चाहती छोड़ी हो जाएगी, क्या अपने मा बाप को ये खुशी नही देगा'
'ओह मा' विमल आयेज कुछ नही बोल पता और खुद को लांछन देने लगता है, जो ग़लत ख़याल उसके दिमाग़ में अपनी मा के प्रति आए थे. आँखें बंद करता है और फिर उसे अपनी नग्न माँ नज़र आती है अपने बाप से चुद्ते हुए.

उफफफफफफफफफफ्फ़ दिल और दिमाग़ में छुरियाँ चलने लगती है, या तो दिल बचेगा या दिमाग़. वो अपनी माँ से अलग हो अपने कमरे की तरफ भाग के चला जाता है.

कामया बैठी देखती रह जाती है उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं. ये अचानक विमल को इस बार क्या हो गया है? वो उठ कर विमल के कमरे की तरफ जाती है और फोन बज उठता है. ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन

कामया के बढ़ते कदम रुक जाते हैं और वो फोन उठाने के लिए मुड़ती है.
फोन का रिसीवर उठा कर

कामया : हेलो

उधर से : दीदी कैसी हो मैं सविता बोल रही हूँ.

कामया : सविताआआआ , कैसी है रे , कितनो दिनो बाद इस बहन की याद आई , सब ठीक तो हैं ना घर में. जमाई जी कैसे हैं , राकेश और रितिका तो बहुत बड़े हो गये होंगे , क्या कर रहे हैं..........

सविता : अरे अरे एक एक कर पूछो ना आपने तो लाइन लगा दी ( कामया की बात को बीच में ही टोक देती है)

कामया : 5 साल बाद फोन करेगी तो उत्सुकता तो होगी ही, तेरी तो आवाज़ सुनने को तरस गई मैं.

सविता : दीदी क्या करूँ , ये कहीं टिके तब तो आज रियाद में नौकरी तो कल दुबई में फिर , बस इसी चक्कर में फोन नही कर पाती थी.

कामया : रहने दे ये बहाने, खैर, कैसे हो तुम सब , बहुत दिल करता है तुम सब से मिलने के लिए.

सविता : बस दीदी ये दूरी ख़तम . हम वापस आ रहे हैं और अब ये अपना बिज़्नेस करेंगे , कह रहे थे की अगर जीजा जी के साथ जुड़ जाएँ तो अच्छा रहेगा, क्या जीजा जी मान जाएँगे?

कामया : सब हो जाएगा, तुम कब आ रहे हो ..........लाइन कट जाती है
 
कामया : हेलो हेलो हेलो , निराश हो कर वो फोन रख देती है, कुछ देर खड़ी रहती है कि घंटी अब बजी अब बजी 10 मिनट तक खड़े रहने के बाद उसे विमल का ध्यान आता है और वो उसके कमरे की तरफ चल पड़ती है.

कामया बहुत खुश होती है, उसकी बहन आ रही थी पूरे परिवार के साथ. वो चहक्ती हुई विमल के कमरे में जाती है. विमल ओंदे मुँह बिस्तर पे पड़ा था. कामया के चेहरे पे हँसी आ जाती है .

वो विमल के साथ लेट जाती है और उसकी पीठ सहलाने लगती है, उसके कान के पास अपने मुँह ले जा कर फुसफुसाती है ' मेरा बड़ा बेटा अब छोटे बच्चे की तरहा नाराज़ होता है, माँ को तंग करने में मज़ा मिलता है तुझको'

विमल तड़प कर पलटा है और अपनी माँ से चिपक जाता है, उसकी आँखों में आँसू थे. उसके आँसू देख कामया का दिल फट पड़ता है.

'आए विमू क्या हुआ बेटा, तेरी आँखों में आँसू, क्या माँ को इतना भी हक़ नही बेटे को सही रास्ते पे लाने के लिए थोड़ा डाँट दे'

विमल ज़ोर से रो पड़ता है, ' माँ जितना मर्ज़ी दन्तो, जितना मर्ज़ी मारो, मेरी खाल तक उधेड़ दो, पर मुझे अपने से दूर मत करा करो, मैं नही रह सकता आपके बिना'

'ओह विमू, मेरा विमू, ना बेटा, ना बेटा रोते नही, मैं तुझे कभी अपने से दूर नही होने दूँगी' माँ का वत्सल्या रो उठता है, उसे ये नही पता था कि उसका बेटा अब उसे एक औरत के रूप में देखने लगा है.

तभी घर की बेल बजती है और कामया खुद को नियंत्रण में कर दरवाजा खोलने चली जाती है. धोबी था जो कपड़े देकर चला जाता है.

कामया फिर विमल के पास चली जाती है और उसके साथ लेट कर उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिरने लगती है.

विमल उसके साथ चिपक जाता है और उसके दोनो उरोज़ के बीच अपना मुँह धसा लेता है. कामया को कुछ अजीब लगता है पर वो कुछ नही बोलती. विमल उसके उरोज़ के सुंगंध के साथ मस्त होने लगता है और उसका लंड खड़ा हो कामया की चूत के पास दस्तक देने लगता है.

विमल कामया से और चिपकता है और कामया को उसके खड़े लंड का अहसास हो जाता है.
कामया इस दुविधा में आ जाती है कि विमल को अपने से दूर करे, या फिर कुछ देर ऐसे ही पड़ी रहे.

विमल अपना चेहरा घूमता है और कामया के उरोज़ पे रख देता है. उसके चेहरे का दबाव अपने उरोज़ पे पड़ने पर कामया के जिस्म में कुछ होने लगता है.

एक अजीब सी सनसनी उसके जिस्म में दौड़ जाती है और ना चाहते हुए भी वो विमल के सर को अपने उरोज़ पे दबा देती है. 'अहह' एक घुटि हुई सिसकी कामया के मुँह में ही दबी रह जाती है.

विमल अपना मुँह खोल कामया के उरोज़ को अपने मुँह में भरने की कोशिश करता है और अपनी एक टांग कामया की टांग पर चढ़ा देता है, जिसकी वजह से कामया को अपनी चूत पे उसके लंड की चुबन का अहसास होने लगता है.

अंजाने में विमल एक झटका मार देता है, जैसे कामया की चूत में लंड डाल नी कोशिश कर रहा हो. कामया को बात बहुत आगे बढ़ती हुई नज़र आने लगती है और वो झट से उठ जाती है. विमल को अपनी ग़लती का अहसास होता है और वो सकपका जाता है.

कामया उसे माथे को चूमती है और ये कहते हुए कि वो खाने की तैयारी करने जा रही है, कमरे से बाहर चली जाती है.

विमल के दिमाग़ में डर बैठ जाता है, अब क्या होगा?

कामया नीचे सीधा किचन में जा कर ठंडा पानी पीती है और गहरी साँसे लेने लगती है. विमल की हरकत के बारे में सोच कर परेशान होने लगती है, कि क्या करे और विमल को सही रास्ते पे ले के आए.
 
सोनी का दिमाग़ आज अपनी क्लास में बिल्कुल नही लगता. कल रात जिस तरह विमल कामया को चुदते हुए देख रहा था उससे सॉफ जाहिर था कि कामया उसके दिल में घर बना चुकी है और विमल कामया पर आसक्त हो गया है. इस तरह तो विमल कामया का दीवाना बन जाएगा और वो प्यासी की प्यासी रह जाएगी.

आज सोनी ने आगे बढ़ने का मन बना लिया था उसे अपने जवान जिस्म की झलक किसी भी तरह विमल को दिखानी थी ताकि वो एक अन्छुए जिस्म की तरफ दौड़ता चला आए. बस किसी तरह टाइम पास कर रही थी और आख़िरी क्लास ख़तम होने का वेट कर रही थी.

इधर कामया किचन में चली जाती है और विमल की साँस अटकी हुई थी, कहीं माँ डॅड से ना शिकायत कर दे.

कामया काम तो किचन में कर रही थी, पर उसका सारा ध्यान विमल पे था. वो सोच रही थी, क्या विमल की कोई गर्ल फ्रेंड नही, इस उम्र में तो सब लड़के गर्ल फ्रेंड बना लेते हैं. आज जो हुआ वो अचानक हुआ या फिर विमल उसके बारे में ऐसा कुछ सोचने लगा है. क्या विमल से इस बारे में खुल के बात करूँ ?

अपनी सोचों में गुम कामया एक मशीन की तरह किचन का काम कर रही थी.
विमल के दिमाग़ में जहाँ डर बैठ गया था वहीं उसका दिल बार बार उसे कामया के पास जाने के लिए मजबूर कर रहा था - जो होगा देखा जाएगा. अपने दिल की बात सुन विमल नीचे किचन में जाता है. कामया ने गैस पर सब्जी चढ़ाई हुई थी, पर उसका ध्यान कहीं और था. विमल गॅस की आँच को कम करता है पर कामया को कुछ पता नही चलता.

विमल कामया के पीछे से उससे चिपक जाता है और उसकी कमर में अपनी बाँहें डाल उसे पकड़ता है और अपने होंठ उसके कान के पास ला कर धीरे से बोलता है. ' मुझसे नाराज़ हो क्या माँ?'

कामया होश में आती है और खुद को विमल की बाँहों में पाती है जो पीछे से उसके साथ चिपका हुआ था. कामया थोड़ा पीछे को होती है तो उसे अपनी गान्ड में विमल का खड़ा लंड चुभता हुआ महसूस होता है. उसके जिस्म में एक झुरजुरी दौड़ जाती है.

' विमू छोड़ मुझे , बहुत काम करना है, सोनी और तेरे डॅड आते ही होंगे'
'तुम अपना काम करो माँ, मैं कोई तुम्हें तंग तो नही कर रहा, अच्छा बताओ क्या मदद करूँ तुम्हारी'
'ओह हो! आज तुम मेरी मदद करोगे किचन में, कुछ आता जाता है नही, सब बिगाड़ के रख दोगे, चलो तुम हाल में जा कर टीवी देखो और मुझे मेरा काम करने दो'

अब माँ कहीं उखड ही ना जाए विमल उसे छोड़ कर किचन की दीवार से सट के खड़ा हो जाता है.

'अरे जा ना, यहाँ क्यूँ खड़ा है'

' वहाँ मैं अकेला बोर हो जाउन्गा, आप काम करो मैं आपको काम करते हुए देखता रहूँगा'

'पागल कहीं का !' कामया हँस पड़ती है और फटाफट अपने हाथ चलाने लगती है.
 
विमल पीछे खड़ा कामया की मटकती हुई गान्ड पे नज़रें गढ़ा देता है और उसके लंड में तूफान उठने लगता है.

कामया को भी इस बात का अहसास हो जाता है कि विमल की नज़रें उसकी गान्ड पे टिकी हुई हैं.
जब तक कामया खाना तैयार करती रही, विमल किचन में ही खड़ा उसे निहारता रहता. एक तरफ जहाँ एक जवान लड़के द्वारा खुद को निहारा जाना उसे अच्छा लग रहा था वहीं इस बात का बुरा भी लग रहा था कि वो उसका बेटा है. कोई और होता तो शायद कामया के अंदर की औरत बहुत खुश होती.

इधर कामया खाना तैयार कर लेती है उधर घर की डोर बेल बजती है. विमल जा के दरवाजा खोलता है तो सामने सोनी खड़ी थी. सोनी बड़ी प्यासी नज़रों से विमल को देखती है और अपने कमरे में चली जाती है फ्रेश होने के लिए. सोनी जब नीचे आती है तो ना सिर्फ़ विमल , कामया की भी आँखें फटी रह जाती हैं. सोनी ने ड्रेस ही कुछ ऐसी पहनी थी कि उसके आधे स्तन बेधड़क हो अपने जलवे दिखा रहे थे.



सोनी को आज अपनी माँ ही एक प्रतिद्वंदी के रूप में दिख रही थी और वो किसी भी तरह विमल पर अपना अधिपत्य जमाना चाहती थी. अपने इस नये रूप का असर होता हस उसने देख लिया था, विमल की पॅंट में तंबू बन चुका था.

कामया : सोनी ये कैसे कपड़े पहने हैं तूने.
सोनी : ओह माँ, तुम भी, अब सहेली की पार्टी में जाना है तो क्या पहनु, फॅशन डिज़ाइनिंग में अपना तुतु बजवाने वाली क्या गाँव की लड़कियों की तरह ड्र्सप करेगी.

सोनी : विमल चल मुझे ज़रा छोड़ दे और हां लेने भी आना पड़ेगा.

विमल कामया की तरफ देखता है, जैसे वो अभी सोनी को कपड़े बदलने का हुकुम देगी. कामया कुछ नही बोलती तो वो बाहर की तरफ निकल पड़ता है.

सोनी कामया के पास जा कर उसके गले लगती है और कान में कहती है, 'पापा से फ्री हो कर रात को मेरे कमरे में आ जाना.'

कामया का चेहरा लाल पड़ जाता है. इस से पहले वो कुछ बोलती सोनी बाहर निकल जाती है.

बाइक पर सोनी विमल से चिपक जाती है और उसकी पीठ पे अपने स्तन रगड़ने लगती है. सोनी के उरोजो का अहसास होने पर विमल से बाइक चलानी मुश्किल हो जाती है, फिर भी वो सोनी को कुछ नही कहता और 10 मिनट में उसे उसे सहेली के घर छोड़ देता है. सोनी उसे 3 घंटे बाद लेने के लिए कह कर अंदर चली जाती है और विमल घर की तरफ निकल पड़ता है.
 
कामया के कान में अब भी सोनी के अल्फ़ाज़ घूम रहे थे और उसकी चूत गीली होने लगती है.

अपनी सहेली की पार्टी में सोनी का दिल बिकुल नही लग रहा था. एक कोने में खड़ी वो कोक पी रही थी और विमल के बारे में सोच रही थी. ऐसा क्यूँ हो रहा था कि उसे अपनी माँ से ही जलन होने लगी जब उसने विमल का रुझान अपनी माँ की तरफ देखा.

वासना तो किसी रिश्ते को नही मानती, फिर ये जलन क्यूँ?

कहीं ऐसा तो नही जो खेल जिस्म की प्यास ने शुरू किया था वो आत्मा की प्यास में बदल गया. सोनी को वो एक एक पल याद आ रहा था, कैसे विमल बड़े प्यार से उसे समझाता, उसके डिज़ाइन्स में निखार लाने के लिए घंटों उसके साथ बैठ कर दिमाग़ खपाता. उसकी हर छोटी से छोटी इच्छा को हुकुम मान कर पूरा करता, उसे ज़रा सी भी तकलीफ़ होती तो तड़प उठता.

सोनी की आत्मा भी विमल के सामीप्य के लिए तड़पने लगी पर अब उसमे वासना नही थी बस प्यार था एक ऐसा प्यार जिसकी कोई सीमा नही थी.

सोनी की आँखों में आँसू आ जाते हैं.

क्या ये प्यार सफल होगा? क्या विमल उसके प्यार का आदर करेगा?

सोनी के दिलोदिमाग में आँधियाँ चल रही थी, उसका जिस्म जैसे एक सूखे पत्ते की तरह फदफडा रहा था. ये क्या हो रहा है, क्या ये समाज उसे इज़ाज़त देगा अपने ही भाई से प्यार करने के लिए.

क्या ये प्यार कभी परवान चढ़ पाएगा. अगर ये प्यार ही है तो इसमे वासना का पुट कहाँ से आ गया. क्यूँ उसका जिस्म विमल के जिस्म में समाने के लिए बेताब है. क्यूँ उसके जिस्म की भड़की हुई प्यास विमल की आस लगाए बैठी है.

उसे शुरू के वो पल याद आते हैं जब अपने पिता पर अपने हुस्न का प्रभाव देख कर वो काफ़ी खुश हुई थी . तो ये वासना ही तो है प्यार कहाँ . नहीं वो सिर्फ़ एक जिस्मानी झुकाव था प्यार नही प्यार क्या होता है ये तो पता ही नही था.
विमल के साथ प्यार ही तो है, वरना माँ से जलन क्यूँ होती. ये प्यार ही तो है जो अपना हक़ जताने की कोशिश कर रहा है.

उफफफफफफफफफ्फ़ क्या है ये. तीन घंटे यूँ ही इन ख़यालों में गुजर जाते हैं.

उधर विमल सोनी को छोड़ कर घर नही जाता, वो जानता था कि अगर वो घर घाया तो कामया इस वक़्त अकेली है और वो कुछ ऐसा नही करना चाहता था जिसके उसकी माँ को दुख पहुँचे.
 
उसकी आँखों के सामने जकप की वो मेल्स घूमने लगती हैं जिसने उसके जिस्म में छुपी हुई प्यास को भड़का दिया था. कैसे बेशार्मो की तरह वो अपने माँ बाप के संभोग को देखते हुए आनंद ले रहा था और मूठ मार रहा था. कैसे बेशर्मो की तरह अपनी बहन की लाज के टुकड़े टुकड़े कर रहा था उसके अर्ध नग्न बदन को घूरते हुए.

उफफफफफफ्फ़ ये क्या हो रहा है ये किस दलदल की ओर बढ़ रहा हूँ मैं. क्या माँ के विश्वास को उसके निस्चल प्रेम को वासना की बलि चढ़ाना ठीक होगा? क्या माँ कभी दिल से उसके साथ ऐसा संबंध बनाएगी - नही. क्या सोनी कभी उसे एक मर्द के रूप में देखेगी - नही.

तो फिर क्यूँ ये गंदे ख़यालात मन से नही जा रहे. इसी उधेड़बुन में विमल यूँ ही सदके नापता रहता है, समय गुज़रता रहता है उसे अपने मन इस दशा का कोई उत्तर नही मिलता और उसका आक्सिडेंट होते होते रह जाता है तब उसकी नज़र घड़ी पे पड़ती है, तीन घंटे कैसे निकले पता ही नही चला. वो फटाफट सोनी को लेने के लिए अपनी बाइक की दिशा मोड़ देता है.

विमल करीब 10 मिनट लेट पहुँचता है सोनी को लेने के लिए. सोनी बाहर खड़ी अपनी सहेली के साथ उसका इंतेज़ार कर रही थी.
विमल उसे बाइक पे बिठा कर घर के लिए निकल पड़ता है.

सोनी अपना सर उसके कंधे पे रख कर फफकने लगती है और विमल साइड में बाइक रोक देता है.
'क्या हुआ सोनी - तू रो क्यूँ रही है? किसी ने पार्टी में तेरे साथ कोई बदतमीज़ी करी क्या? बता क्या बात है?'

सोनी कोई जवाब नही देती बस रोती रहती है.

विमल सख्ती से पूछता है ' तुझे मेरी कसम बता क्या बात है ?'

सोनी उसके सीने से चिपक जाती है और उसके दिल की आवाज़ निकल पड़ती है ' आइ लव यू भाई - आइ लव यू, आइ लव यू'

विमल के कान बहरे हो जाते हैं. उसे लगा शायद उसने कुछ सुना ही नही.

विमल आँखें फाडे और मुँह खोले बस सोनी को देखता रहा. उसने सोनी को अपने सीने से अलग कर अपने सामने कर लिया था और उसके दोनो कंधो को थाम रखा था.

सोनी की आँखों से मोतियों की लड़ी लगातार बह रही थी, वो लगातार सूबक रही थी और विमल के सीने में खुद को छुपा लेना चाहती थी.

विमल उसके चेहरे को ठोडी पे हाथ रख उपर करता है. सोनी अपनी गीली आँखों से उसे देखती है और विमल को उन आँखों में बस प्यार ही प्यार नज़र आता है, फरक इतना के ये प्यार एक मर्द के लिए था जो कि उसका भाई था.
 
विमल उसे फिर अपने सीने से लगा लेता है.

विमल : सोनी ये ग़लत है, हम दोनो भाई बहन हैं और ऐसा रिश्ता हम दोनो के बीच नही बन सकता. मैं मानता हूँ, कुछ समय पहले मेरे मन में तुम्हारे लिए ग़लत भावनाएँ आ गई थी. पर हमे इन भंवनाओं पर विजय पानी होगी और अपने प्यार भरे रिश्ते को वासना से दूर रखना होगा.

सोनी : (तड़प उठती है विमल की इस दोगली बातों को सुन कर और उसे गुस्सा चढ़ जाता है ) तो माँ के लिए जो तुम्हारे दिल में है वो ठीक है? माँ के कमरे में झाँकना उस वक़्त जब वो डॅड के साथ थी क्या वो ठीक था? और देखते हुए जो तुम कर रहे थे वो ठीक था?

विमल सोनी की बातें सुन बोखला जाता है , उसकी आँखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है. आज वो गिर गया था अपनी बहन की नज़रों के सामने. उसे कुछ समझ नही आ रहा था वो क्या जवाब दे.

विमल की आँखों में आँसू आ जाते हैं 'सोनी जो तू कह रही है वो सब ग़लत है मैं मानता हूँ, पर मैं ऐसा नही था. तुझे सब कुछ बताउन्गा. चल बहुत देर हो चुकी है, अब घर चलते हैं माँ चिंता कर रही होगी. और रोना बंद कर तू जानती है मैं तुझे रोते हुए नही देख सकता.

सोनी चुप चाप बाइक पर बैठ जाती है. विमल बाइक तो चला रहा था पर दिमाग़ में हथौड़े बज रहे थे.

पीछे बैठी सोनी विमल से चिपक जाती है. विमल सोनी को घर छोड़ता है और माँ से कह कर कि अपने दोस्त से मिल कर कुछ देर में आ जाएगा , वो घर से बाहर चला जाता है और कुछ दूर जा कर एक पार्क में बैठ जाता है.

सोनी सर झुकाए अपने कमरे में चली जाती है और अपने बिस्तर पे गिर जाती है. उसकी आँखों से फिर आँसू की नदी बहने लगती है.

विमल पार्क के अंदर सर झुकाए एक कोने में बैठ गया और अपने पिछले कुछ दिनो से होती हुई घटनाओं के बारे में सोचने लगा.

पहले जकप की मेल्स आती हैं जो उसके जिस्म की प्यास को हवा दिखाती हैं, फिर सोनी का नया अंदाज़ नये किस्म के कपड़े जो उसके बदन की हवा दिखाते रहते हैं और फिर अपनी माँ कामया को अपने बाप से चुदते हुए देखना और अपने दिल में कामया के लिए एक प्यास जगा बैठ ना और आज सोनी का यूँ खुल कर उसे प्रपोज़ करना.

कहाँ पहले वो सोनी के जिस्म को भोगने के लिए आतुर था पर जब से उसने कामया का दिलकश रूप देखा वो कामया के लिए पागल सा हो चुका था.

कौन से रास्ते पे जाए उसे समझ नही आ रहा था. क्या सोनी के प्यार को स्वीकार कर ले या फिर अपनी रूप की देवी कामया को पाने की कोशिश करे. उसे कुछ समझ नही आता और दो घंटे ऐसे ही बीत जाते हैं. उसके मोबाइल पर कामया का फोन आता है तो वो घर के लिए निकल पड़ता है.
 
विमल जब घर पहुँचा तो कामया ने दरवाजा खोला और उसका उतरा हुआ चेहरा देख कामया का दिल रो उठा.

कामया : क्या हुआ है तुझे विमू ?

विमल सर झुकाए खड़ा रहा और जैसे ही उसने अपने कमरे की तरफ जाने के लिए पैर बढ़ाए कामया ने उसका हाथ पकड़ लिया.

कामया : रुक, तेरे पापा के आने में अभी काफ़ी टाइम है, चल मेरे कमरे में तुझ से ज़रूरी बात करनी है.

विमल अंदर ही अंदर हिल गया ये सोच कर की तगड़ी डाँट पड़ेगी.

कामया विमल को खींचती हुई अपने कमरे में ले गई और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. विमल दंग रह गया देख कर कि माँ ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया है.
कामया विमल के पास हो कर उसके चेहरे को उठाती है और पूछती है :

कामया : विमू मुझ से झूठ मत बोलना. क्या तू मुझे चाहने लगा है ? क्या तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही जो तू मुझ बूढ़ी की तरफ खिंच रहा है?

विमल आँखें फाडे कामया को देखता रह गया. विमल को लगा जैसे उसके कान सुन्न पड़ गये हों और ज़ुबान तालू से चिपक गई हो.

कामया उसके और करीब आती है उसे अपने गले से लगा लेती है, कामया के उभार विमल की छाती को चुभने लगते हैं और वो उसके कान में बोलती है ' बता ना क्या मैं तुझे बहुत अच्छी लगने लगी हूँ ? बोल ना , सच सच बोल, मैं बिल्कुल नाराज़ नही होउंगी'

कामया का यूँ इस तरह उसके साथ चिपकना और उसके कान में प्यार से सवाल करना, उसके स्तन की चुभन को अपनी छाती पे महसूस करना, विमल के लिए असहनिया सा हो गया, उसका जिस्म पसीने पसीने हो गया.

'माँ , मैं वो ... वो ...'

इस से पहले विमल आगे कुछ बोल पाता घर की डोर बेल बज जाती है. कामया उस से अलग हो दरवाजा खोलने के लिए बढ़ती है और उसे कहती हुई जाती है, ' जा अपनी बहन के पास, उसे तेरी बहुत ज़रूरत है' ये कहते हुए कामया के चेहरे पे एक अजीब किस्म की मुस्कान आ जाती है.

विमल बोखलाया सा हड़बड़ाता हुआ उपर चला जाता है. जैसे ही वो सोनी के कमरे में घुसता है तो तड़प उठता है. सोनी बिस्तर पे लेटी हुई अविरल आँसू बहाए जा रही थी. उसका जिस्म कांप रहा था. पूरा चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था.

विमल उसके नज़दीक जा कर उसे पास बैठ जाता है. उसके कानो में कामया की आवाज़ गूँज रही थी - तेरी बहन को तेरी ज़रूरत है.

विमल उसके चेहरे को हाथों में थाम लेता है और उसके आँसू चाटने लगता है. सोनी बिलख कर उस के साथ चिपट जाती है.

विमल : बस मेरी जान, और नही, बहुत रो लिया तूने, अब सारी जिंदगी तेरा ये भाई तुझे हर वो सुख देगा जो तू चाहती है.

विमल उसके गालों को चाट कर उसके आँसू सोख लेता है और फिर अपने होंठ उसके होंठों पे रख हल्के हल्के उन्हें चूसने लगता है. सोनी उसके साथ लिपटती चली जाती है, उसके चेहरे पे विजय की एक मुस्कान आ जाती है.
 
सोनी के थर थराते हुए लब खुल जाते हैं और विमल की ज़ुबान उसके मुँह के अंदर का स्वाद चखने लगती है. सोनी के जिस्म में उत्तेजना की लहरें उथल पुथल मचाने लगती हैं और वो अपने जिस्म को ढीला छोड़ देती है विमल की बाँहों में. उसके होंठों को चूस्ते हुए विमल अपने हाथ उसके स्तन पे ले जाता है और प्यार सहलाने लगता है.

सोनी की आँखें बंद हो जाती हैं, इस पल को वो अपने अंदर समेटने लगती है और विमल के चुंबन से सराबोर हो कर अपनी चूत के सारे बाँध खोल देती है.

दोनो का ये चुंबन पता नही कितने देर चलता है, जब साँस लेना मुश्किल हो जाता है तो दोनो थोड़ी देर के लिए अलग होते हैं और फिर अपने साँसे संभाल के फिर एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं.

दोनो की आत्माएँ एक दूसरे से मिल रही थी होंठों के रास्ते और दोनो के जिस्म आने वाले पल के बारे में सोच कर थर थरा रहे थे.

सोनी : अहह भाई, कब से तड़प रही हूँ, आज मुझ में समा जाओ, मुझे लड़की से औरत बना दो. दे दो मुहे अपने प्यार का रस.

विमल : ओह सोनी मेरी बहना, मुझे माफ़ करना मैं तुझ से दूर भाग रहा था, क्या करूँ , माँ मेरे रोम रोम में बस गई है. उनके बिना मैं जिंदा नही रह पाउन्गा.

सोनी : पहले मुझे अपना प्रसाद दे दो, माँ भी जल्दी तुमको मिल जाएगी.

विमल : कैसे सोनी, बहुत तड़प रहा हूँ मैं.

सोनी : माँ तुमसे बहुत प्यार करती है, वो तुम्हें मना नही करेगी, बस कोशिश करते रहना, देखना एक दिन तुम्हारी बाँहों में होगी.

विमल : ओह सोनी मेरी प्यारी बहना ( और विमल सोनी के होंठों को चूसने लगता है.)

सोनी : अहह चूस लो भाई अच्छी तरह चूस लो

तभी कोई दरवाजा खटखटाता है , दोनो अलग हो जाते हैं. सोनी दरवाजा खोलती है तो सामने कविता खड़ी हुई थी. सोनी को आग लग जाती है उसके इस वक़्त आने से, पर चेहरे पे ज़बरदस्ती की स्माइल ला कर उसे अंदर बुलाती है और विमल से उसका इंट्रोडक्षन कराती है. कविता तो विमल को बस देखती ही रह जाती है. विमल उसे भाव नही देता और कमरे से बाहर निकल जाता है.

बाहर निकल कर विमल सीधा कामया के पास जाता है, कामया उस वक़्त बिस्तर पे अढ़लेटी बैठी हुई थी.

कामया : आ विमू, इधर मेरे पास आ, मेरी बात अधूरी रह गई थी.

विमल कामया के पास जा कर बैठ जाता है.
 
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