Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास - Page 5 - SexBaba
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Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

कामया : अब बता क्या तू मुझे चाहता है?

विमल : ये क्या कह रही हो माँ, कौन सा ऐसा बेटा होगा जो अपनी माँ को नही चाहेगा.

कामया : बात को घुमा मत विमू, मेरा पूछने का मतलब है , कि क्या तू मेरे अंदर की औरत को चाहने लगा है?

विमल : मैं इतना जानता हूँ माँ, कि मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ और तुम्हारे बिना जी नही सकता. माँ भी तो औरत ही होती है, फिर ये सवाल कैसा?

कामया उसके नज़दीक हो जाती है उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाती है और बड़े गौर से उसकी आँखों में देखती है.

विमल की आँखों में उसे एक तड़प दिखाई देती है, जो सीधा उसके दिल पे वार कर देती है. कामया का अपना वजूद तक हिल जाता है उस तड़प को महसूस कर के.

कामया : विमू ये ये ये मैं क्या देख रही हूँ तेरी आँखों में ? ये..........

विमल : मुझे खुद कुछ पता नही माँ, क्या है मेरी आँखों में मैं बस इतना जानता हूँ मैं तुम्हारे बिना एक पल नही जी सकता. मुझे नही पता ये प्यार है, वासना है, क्या है? बस इतना कह सकता हूँ, मेरी वजह से तुम्हें कभी शर्मिंदा नही होना पड़ेगा. तुम्हारे लिए जो दिया मेरे दिल में जलता है वो जलता रहेगा, कभी भुज नही सकता, चाहे कुछ भी हो जाए. कोई भी तूफान आ जाए मेरी जिंदगी में, पर ये दिया कभी नही भुजेगा.

कामया : मुझे अकेला छोड़ दे विमू , मुझे कुछ सोचने दे, मैं बाद में तुझ से बात करूँगी.

विमल : ठीक है माँ, ( उठ के हॉल में चला जाता है और टीवी चॅनेल इधर से उधर करने लगता है.)

विमल अभी बैठा ही था कि डोर बेल बजती है . विमल दरवाजा खोलता है तो सामने उसके डॅड खड़े थे.

विमल : डॅड आज बहुत देर कर दी.

रमेश अंदर आते हुए ' कहाँ रहता है तू, आज तो मैं आधा घंटा पहले ही आ गया हूँ और ये तेरे थोबडे पे 12 क्यूँ बजे हुए हैं?

विमल : कुछ नही डॅड शायद कल ठीक से सो नही पाया था इसीलिए आज कुछ थका हुआ सा महसूस कर रहा हूँ.

रमेश हँसत हुए ' हां बेटा इस उम्र में नींद कहाँ आती है. गर्ल फ्रेंड को याद कर रहा था क्या?' ( रमेश सोफे पे बैठते हुए बोलता है)

विमल : नही डॅड मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है, मैं इन लफडों में नही पड़ता.

रमेश : फिर तो चिंता की बात है, जब मैं तेरी उम्र का था मेरी 5 गर्ल फ्रेंड थी.

विमल : पााआआन्न्ंतंनकककककच

रमेश : हाँ इसमे हैरान होने वाली क्या बात है , तेरी मोम भी तो उनमे से ही थी.

विमल : वाउ डॅड आपने लव मॅरेज करी है.

रमेश : हां बेटा, चल तेरी मोम कहाँ है, कुछ पानी वानी पिलाओगे या नही

विमल : मोम कमरे में है डॅड, अभी ले के आया. ( इस से पहले की विमल कहीं जाता कामया पानी का ग्लास ले आई )
 
कामया : (रमेश को पानी का ग्लास पकड़ाते हुए) जी कल सुनीता आ रही है. आज देर से उसका मेसेज आ जाएगा फ्लाइट डीटेल्स के साथ. मैं सोच रही थी कि हमने जो घूमने का प्रोग्राम बनाया है सुनीता को भी साथ ले चलें.

विमल : ओह मासी आ रही, कितने साल हो गये उनसे मिले हुए.

कामया : हां विमू अब वो हमेशा के लिए यहीं सेट्ल हो जाएँगे.

रमेश : ये तो बढ़िया बात हुई. विमल कल तुम माँ के साथ एरपोर्ट चले जाना.

कामया : मैं खाना लगाती हूँ, बाकी बात हम बाद में करते हैं. विमू जा के सोनी और कविता को बुला ले.

विमल : ओके मोम ( और वो चला जाता है)

रमेश : अकेली आ रही है या सारी फॅमिली आ रही है.

कामया : अपनी आँखों की इस चमक को ज़रा संभाल के रखिए, बच्चे बड़े हो चुके हैं. अब वो हरकते मत करना.

रमेश : अरे साली तो आधी घरवाली होती है. बच्चों की तुम चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूँगा.

कामया : तो तुम सुधरोगे नही. अभी मैं किचन जा रही हूँ, बाद में तुम्हारी खबर लेती हूँ.

रमेश मुँह खोले कामया को देखता रह जाता है. इतने में विमल सोनी और कविता को नीचे ले आता है और सभी डाइनिंग टेबल पे बैठ जाते हैं. सोनी किचन में जा कर माँ का हाथ बटाती है और 5 मिनट के अंदर टेबल पे खाना लग जाता है. सभी खाना ख़तम करते हैं और कामया विमल को कहती है कि वो कविता को उसके घर छोड़ आए.

विमल अपनी बाइक निकालता है, और एक घंटे के अंदर कविता को उसके घर छोड़ कर वापस आ जाता है.

विमल घर की बेल बजाता है, कामया आ कर दरवाजा खोलती है और उसकी तरफ मुस्कुरा के देखती है. कामया उसके माथे को चूमती है और उसके कानो में कहती है ( आज भी खिड़की का परदा हटा हुआ मिलेगा) विमल हैरानी से उसकी तरफ देखता है और वो चेहरे पे मुस्कान लिए पलट जाती है और मटकती हुई अपने कमरे में चली जाती है.

विमल की नज़रें उसकी गान्ड पे जम जाती हैं. विमल सोचता है इसका मतलब कल माँ ने उसे झाँकते हुए देख लिया था. विमल के चेहरे पे मुस्कान आ जाती है और वो हँसता हुआ अपने कमरे की तरफ बढ़ता है. उसे इंतेज़ार था कब कामया की सिसकियाँ बुलंद होगी. यानी माँ कल जान भुज कर ज़ोर ज़ोर की आवाज़ें निकाल रही थी.

विमल अपने कमरे में घुसता है तो उसे झटका लगता है, सोनी उसके बिस्तर पे लेटी हुई थी और उसने एक ट्रॅन्स्परेंट लिंगेरी पहनी हुई थी, अंदर ना ब्रा थी और ना पैंटी.

विमल की नज़रें उसके जिस्म पे गढ़ जाती हैं. सोनी कामया का ही तो रूप थी.

सोनी उसे देख कर एक कातिलाना अंगड़ाई लेती है .

सोनी ; आओ ना भाई कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ. आओ और बुझा दो मेरे जिस्म की प्यास बस जाओ मेरी आत्मा में . पूरा कर दो मुझे आज . ये कली फूल बनने को बेकरार है. आओ ना भाई मेरी बाँहों में समा जाओ.

विमल उसकी तरफ बढ़ता है , सोनी किसी नागिन की तरह बिस्तर पे बल खा रही थी . उसकी लिंगेरी जाँघो तक उठ जाती है और उसकी मसल जांघे विमल को अपनी ओर खींचती हैं.

विमल बिस्तर पे सोनी की टाँगों के पास बैठ जाता है और झुक कर उसकी जाँघो को चूमने लगता है.

सोनी : अहह भाई और चुमो, बहुत सकुन मिल रहा है
 
विमल उसकी जाँघो को चूमता हुआ आगे बढ़ता है और उसकी लिंगेरी उठाता जाता है . सोनी झट से अपनी लिंगेरी उतार फेंकती है. उसके दूधिया जिस्म को नग्न देख विमल की आँखें चौंधिया जाती है. उसे लगता है जैसे कामया जवान हो कर उसके सामने आ गई है. विमल की नज़रें जैसे ही उसके स्तनो पर पड़ती है उसे झटका लगता है. उसकी आँखों के सामने जकप के स्तन की तस्वीर घूमने लगती है. दोनो में रत्ती भर फरक नही था.

विमल बोखला कर खड़ा हो जाता है.

विमल : सोनी तूमम्म्ममममम हो वो सब तुम्हारा किया धरा था.........

सोनी की नज़रें झुक जाती है.

सोनी : भाई मुझ से नाराज़ मत होना, मेरे पास और कोई रास्ता नही था.

विमल : तूने ऐसी हरकत क्यूँ की. क्यूँ जगाया तूने मेरे अंदर जिस्म की भूख को.

सोनी विमल के पास आ कर उस से चिपक जाती है ' भाई सब बता दूँगी, मैं भी तो ऐसी नही थी, कुछ तो हुआ होगा जिसने मुझे ऐसा करने पे मजबूर किया. कल तक मैं सोचती थी, कि बस ये जिस्म की प्यास है पर अब नही अब तो ये मेरी आत्मा की प्यास बन चुकी है- जिससे सिर्फ़ आपका प्यार ही भुजा सकता है'

विमल : मुझे सब कुछ जानना है सोनी मैं इस वक़्त बीच भंवर में गोते खा रहा हूँ और मैं डूबना नही चाहता.
विमल हैरानी से सोनी को देख रहा था जिसने उसे वासना के ऐसे भंवर में ला फेंका था जिसमे वो डूबता ही जा रहा था और उसे अपना दम घुटता सा लगने लगा था.

सोनी विमल को एक कुर्सी पे बिठाती है और टेबल पे अपना लॅपटॉप खोल कर वो फिल्म चला देती है जिसने उसके जिस्म की प्यास को भड़का दिया था.

फर्म चला कर वो विमल की गोद में बैठ जाती है. विमल उसे हटाने की कोशिश करता है पर जैसे ही फिल्म शुरू होती है विमल की कोशिश भी ख़तम हो जाती है वो आँखें फाडे उस फिल्म को देखने लगता है जिसमे उसका बाप चाची को चोद रहा था और चाचा उसकी माँ को . विमल के हाथ खुद बा खुद सोनी के स्तन पर पहुँच जाते हैं और वो उसके दोनो स्तन मसल्ने लगता है.

अभी फिल्म चले कुछ ज़यादा देर नही हुई थी, कि नीचे से फिर कामया की सिसकियाँ गूंजने लगती है, यानी नीचे उसके माँ बाप का खेल शुरू हो चुका था.

विमल सोनी को अपनी गोद में उठा कर नीचे चला जाता है और उसे अपने आगे रख फिर खिड़की के अंदर का नज़ारा लेने लगता है.

अंदर रमेश और कामया दोनो 69 के पोज़ में होते हैं कामया ज़ोर ज़ोर से उसका लंड चूस रही थी.

कामया बीच बीच में रमेश का लंड अपने मुँह से निकल कर जोरदार सिसकी भरती और फिर लंड अपने मुँह में घुसा लेती.कामया रमेश के लंड को अपने गले तक ले जा रही थी, जो सॉफ पता चल रहा था, क्यूंकी रमेश की गोटिया कामया की ठोडी से बार बार टकरा रही थी.

सोनी झुकी हुई अंदर देख रही थी और उसके पीछे विमल झुका हुआ था जिसका खड़ा लंड सोनी की गान्ड की दरार में झटके मार रहा था. सोनी अपने हाथ पीछे ले जा कर विमल की पॅंट खोलती है और उसके अंडरवेर को नीचे कर उसके लंड को आज़ाद कर देती है और उसे अपने हाथ से सहलाने लगती है.

विमल की मस्ती बढ़ती है और वो अंदर अपनी नंगी माँ के हुस्न का नज़ारा लेती हुए सोनी के स्तन और भी सख्ती से मसलने लगता है.

सोनी अपनी सिसकियों को रोकने के लिए अपने होंठ अपने दाँतों में दबा लेती है.

विमल एक झटका मारता है और उसके लंड सोनी की गान्ड के छेद से टकराता है, सोनी तड़प कर अपना हाथ हटा लेती है और विमल का लंड उसकी गान्ड के छेद से चिपक जाता है.

अंदर रमेश का लंड कामया चूस चूस कर लोहे की रोड जैसा कर देती है और उसे अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपनी पोज़िशन बदल ती है.
 
विमल अपने होंठ सोनी के होंठ पे रख उसे धीरे धीरे चूसने लगता है और सोनी के हाथ उसके सर पे पहुच उसे अपने होंठों पे दबाते हैं . उसकी उंगलिया विमल के बालों से खेलने लगती हैं.


दो जिस्म दो आत्माएँ एक होने के लिए अग्रसर हो जाती हैं. विमल सोनी के लब ऐसे चूस्ता है जैसे गुलाब की दो नाज़ुक पंखुड़ियाँ हों जो ज़ोर लगाने से बिखर जाएँगी.

एक मीठा सा अहसास दोनो के जिस्म को जाकड़ लेता है. प्यार प्यार सिर्फ़ प्यार ही रह गया था दोनो के बीच. जो खेल सोनी ने वासना के बस में आ कर खेलना शुरू किया था उस पर प्यार ने विजय पा ली.

विमल की ज़ुबान डरते हुए सोनी के मुँह में घुस जाती है और उसे अंदर से चाटने लगती है. वो बहुत तकलीफ़ दे चुका था सोनी को अब वो ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहता था जिस से सोनी को कोई तकलीफ़ हो. सोनी उसकी ज़ुबान अपने होंठों में दबा लेती है और उसे चूसने लगती है.

कितनी ही देर दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहते हैं और अपने आनंद को बढ़ाते रहते हैं. जब साँस लेना दूभर हो जाता है तो ना चाहते हुए भी दोनो को अपने होंठ एक दूसरे से जुदा करने पड़ते हैं.

अपनी सांसो की गति को संभालते हुए विमल सोनी के कंधों और गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर देता है.


सोनी की किलरियाँ और सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगती हैं.

सोनी : भाआईईईईईईइ अहह उम्म्म्मममममम
विमल उसकी गर्दन से नीचे उतर उसके निपल को मुँह में भर लेता है और दूसरे स्तन को अपनी हथेली में.

दर्द और मज़े की शिद्दत से सोनी कराह उठती है.

आआआआआआआआआआ आराम से भाईईईईईईईईईई

विमल उसके निप्पल को चूस कर लाल कर देता है और दूसरे स्तन पे उसके पंजों के निशान छपने लगते हैं. फिर विमल उसके दूसरे निपल को चूसने लगता है. सोनी आनंद की इंतिहा बर्दास्त नही कर पाती और विमल के जिस्म के नीचे नागिन की तरह लहराने लगती है. उसकी चूत जाने कब से अपना रस छोड़ रही थी .सोनी के हिलने से विमल का लंड उसकी चूत को घिसने लगता है.

उफफफफफफफफफ्फ़ हाआआआआईयईईईईईईईईई म्म्म्मनममममममाआआआआआ

सोनी सिसकती है उस से और बर्दाश्त नही होता और वो विमल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे दबाने लगती है.

जैसा ही सोनी के हाथ विमल के लंड को थामते हैं वो सिसक पड़ता है

अहह म्म्म्मीममईरीइइ बहना

सोनी : भाई अब नही सहा जाता अब डाल दो, भर दो मुझे अपने प्यार से

विमल उसकी आँखों में में देखता है, प्यार और मस्ती का सागर लहरा रहा था.

विमल : सोनी तुझे बहुत दर्द होगा.

सोनी : होने दो भाई, मैं जानती हूँ आप बहुत प्यार से मेरी सील तोड़ोगे, मुझे ज़्यादा दर्द नही होने दोगे. अब इस कली को फूल बना दो भाई . आओ ना भाई . आप तो पहले भी किसी के साथ ...........

विमल : पगली तूने ऐसा सोचा भी कैसे

सोनी : ओह भाई फिर तो हम दोनो कुंवारे हैं , आ जाओ मुझ मे समा जाओ, मुझे पूरा कर दो भाई आज मुझे औरत बनने की गरिमा दे दो.

ओह सोनी........कितनी अच्छी है तू.

सिर्फ़ तुम्हारी हूँ भाई.

विमल और नीचे झुकता है और अपने होंठ सोनी की चूत से लगा देता है.

अहह क्या कर रहे हो भाई उम्म्म्मममम


सोनी के जिस्म में उत्तेजना और भड़क जाती है. वो विमल की ज़ुबान को अपनी चूत पे सह नही पाती और अपनी कमर उछाल उछाल कर झड़ने लगती है . विमल उसके सारे रस को अपने मुँह में जमा कर लेता है और फिर उसे अपनी हथेली में ले कर अपना लंड पे मलता है और उसे अच्छी तरह चिकना करता है.

फिर विमल सोनी की टाँगों के बीच में आ जाता है . सोनी अपनी टाँगें फैला देती है. विमल अपने लंड को उसकी चूत पे घिसता है और अपने सुपाडे को उसकी चूत में फसा कर एक धक्का मारता है. उसके लंड का सुपाडा सोनी की चूत में घुस जाता है. सोनी दर्द से बिलबिला उठती है अपनी चीख को अपने होंठो में दबा लेती है. आँखों से दर्द भरे आँसू निकलते हैं और बिस्तर को अपनी मुठियों में जाकड़ लेती है.
 
अब कामया खिड़की की तरफ अपना मुँह करके रमेश के लंड पे बैठ ने लगती है. दोनो ही बच्चे बाहर खड़े अपने बाप के लंड को अपनी माँ की चूत में घुसता हुआ देखते हैं. विमल का लंड कम्से कम 2 इंच बड़ा था अपने बाप से और मोटा भी खूब था.

जैसे ही कामया ने खिड़की की तरफ मुँह किया था, सोनी झट से नीचे हो गई थी. कामया को विमल झाँकता हुआ नज़र आ जाता है और दोनो की आँखें टकरा जाती हैं.

विमल वहाँ से हिलने लगता है तो कामया आँखों के इशारे से उसे रोक लेती है . सोनी नीचे बैठ कर विमल के लंड को चाटने लगती है और उसे अपने मुँह में लेने लगती है.


विमल की आँखें अंदर कामया से लदी हुई थी जो अपने बूब्स खुद मसल रही थी और विमल की आँखों में देखते हुए रमेश के लंड पे उछल रही थी.

रमेश कामया को अपनी तरफ मोड़ता है और कामया उसके लंड पे ही घूम जाती है. अपनी माँ का ये करतब विमल को हैरानी में डाल देता है. उसकी आँखों में अपनी माँ की कामुकता के लिए प्रशंसा भर जाती है और इस वक़्त उसे अपना बाप एक दुश्मन लग रहा था.

विमल अपने ख़यालों में में खुद कामया को चोदने लगता है और उसके हाथ सोनी के सर को अपने लंड पे दबाने लगते हैं. उसकी कमर तेज़ी से हिलने लगती है और वो सोनी के मुँह को कामया की चूत समझ कर चोद ने लगता है.

सोनी को साँस लेने में तकलीफ़ होने लगती है पर वो अपने भाई के मज़े को नही रोकती. उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. विमल बड़ी बेदर्दी से उसके मुँह को चोद रहा था.

अंदर कामया रमेश के उपर झुक जाती है और दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं. रमेश कामया के बूब्स को दबाने लगता है. विमल को अपने बाप का लंड अपनी माँ की चूत में घुसता निकलता सॉफ सॉफ दिख रहा था और झुकने की वजह से उसे कामया की गान्ड का छेद दिखता है जो खुल और बंद हो रहा था. विमल का पागलपन और बढ़ता है और सोनी को उसका नतीजा भुगतना पड़ता है. विमल का 9 इंच लंबा लंड उसके गले में कहर ढा रहा था.

विमल का लंड इतना सख़्त हो जाता है कि सोनी को उसे अब और मुँह में लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. वो तड़प कर विमल के लंड को ज़बरदस्ती मुँह से निकाल कर हाँफने लगती है और वहीं ज़मीन पे ढेर हो जाती है.

विमल को जब ये अहसास होता है तो वो खुद को गालियाँ देता है और सोनी को अपने कंधों पे डाल कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है.
विमल सोनी को अपने कमरे में ले जाता है और उसे अपने बिस्तर पे आराम से लिटा देता है. आने वाले पलों की कल्पना में सोनी अपनी आँखें बंद कर लेती है.


विमल खड़ा सोनी के हुस्न को निहारता रहता है और अपने कपड़े उतार देता है. पॅंट और अंडरवेर तो पहले ही नीचे रह गये थे.
एक एक पल वो सोनी की सुंदरता को अपने मन में बसा रहा था. उसे यही लग रहा था जैसे कामया उसके लिए जवान हो कर खुद को समर्पण करने आई है.
काफ़ी देर जब कोई हरकत नही होती तो सोनी अपनी आँखें खोल कर देखती है. विमल पूरा नंगा खड़ा अपलक उसे निहारे जा रहा था. लज्जा के मारे सोनी फिर आँखें बंद कर लेती है और अपनी बाँहें फैला कर विमल को करीब आने का संकेत देती है.

विमल उसके करीब जाता है और उसके साथ लेट जाता है. दो जवान नंगे बदन जब एक दूसरे की नग्नता का अहसास करते हैं तो दोनो ही सिसक पड़ते हैं.

सोनी : भाई मुझे प्यार करो बहुत तरस रही हूँ. बहुत प्यासीहूँ. मेरी प्यास भुजा दो भाई.
विमल सोनी की गर्दन को सहलाता हुए अपने हाथ उसके स्तनो पर रख देता है.

अहह सोनी सिसक पड़ती है.

विमल : सोनी तू कितनी सुंदर है, मुझे लगता है जैसे माँ जवान हो कर मेरे पास आ गई है . ( और विमल अपने हाथों का दबाव सोनी के स्तनपर बढ़ा देता है)

सोनी : भाई अभी सिर्फ़ अपनी सोनी को देखो, उसे महसूस करो, देखो मेरा बदन तुम्हारे छूने से कैसे खिलने लगा है.

विमल : ओह सोनी, मेरी प्यारी बहन
 
विमल उसके उपर आ कर उसके आँसू चाटता है और उसके होंठ चूसने लगता है. सोनी को थोड़ा आराम मिलता है और विमल फिर एक झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी सांकारी चूत में घुसा देता है. सोनी की सील टूट जाती है, दर्द की अधिकता के कारण सोनी चीखती नही पर अपने आँसू नही रोक पाती. उसके दर्द को समझते हुए विमल रुक जाता है और उसके चेहरे को चुंबनो से भर देता है .

विमल : बस मेरी रानी बस आगे बस मज़ा ही मज़ा है. बहुत दर्द दे रहा हूँ मैं तुझे.
सोनी : अह्ह्ह्ह भाई तुम्हारा दिया हर दर्द प्यार भरा दर्द है, अब और आगे बढ़ो भाई रूको मत, मुझे लज़्जत की उस दुनियाँ मैं पहुँचा दो जहाँ सिर्फ़ प्यार ही प्यार है.

विमल एक और झटका मारता है और अपना पूरा लंड सोनी की चूत में डाल देता है.

अहह सोनी की चीख निकल ही पड़ती है.

विमल धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगता है. सोनी दर्द से सिसकती है, कुछ देर मैं उसका दर्द गायब हो जाता है, उसकी चूत और गीली हो जाती है, उसकी कमर खुद ही उपर उछल कर विमल के लंड को अंदर लेने लगती है. विमल के धक्के अब तेज़ हो जाते हैं.

आह भाई उफफफफफ्फ़ ये क्या होरहा है मुझे अहह सोनी अपनी टाँगें विमल की कमर में लपेट लेती है.

अहह सोनी मेरी बहन.........

दोनो के जिस्म एक दूसरे से टकराते रहते हैं. मज़े में सोनी की चूत से फॅक फ़चफच का संगीत कमरे में फैलने लगता है. जिस्मो के टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ें आने लगती है.

दोनो अपने आनंद की चर्म सीमा की ओर बढ़ने लगते हैं. सोनी की सिसकारियाँ बुलंद होने लगती हैं और वो पल भी आ जाता है जब सोनी खुद को सातवें आसमान की उँचाइयों में घूमते हुए पाती है. उसका जिस्म अकड़ने लगता है और एक चीख के साथ वो अपनी चूत को हुकुम दे देती है सारे बाँध एक साथ खोलने के लिए.

बहाआआआआईयईईईईईईईईईई

विमल का लंड सोनी के कम रस की बाढ़ में गोते खाने लगता है और एक दो धक्के के बाद वो भी अपना वीर्य से सोनी की चूत को भरने लगता है. उसका लंड अंदर फूलता पिचकता अपनी पिचकारियाँ छोड़ता है और सोनी की चूत को राहत पहुँचाने लगता है .

सोनी की चूत अपने आप उसके लंड को जाकड़ लेती है, मानो कह रही हो, सब कुछ मेरे अंदर बहा दो यही तुम्हारा असली घर है.

आनंद की प्रकाष्ठा पे पहुँच दोनो हाम्फते हुए ढेर हो जाते हैं और विमल सोनी के उपर लूड़क जाता है. उसका लंड अभी भी कुछ साँसे ले रहा था सोनी की चूत की गर्माहट को महसूस करता हुआ.

भुज जाती है एक प्यास जो या तो जिस्म की थी या आत्मा की, ये तो सिर्फ़ विमल और सोनी ही बता सकते हैं, जिन्होने ने इसे महसूस किया.

कुंवारेपन को छोड़ते हुए ये लम्हे अब ना फिर वापस आएँगे, रह जाएँगी बस यादें और एक अनोख अहसास जो सिर्फ़ ये दो ही बता सकते हैं.

परम आनंद का सुख भोगते हुए दोनो उसे अपने अंदर समेटते हुए अपनी आँखें बंद कर लेते हैं और नीद के आगोश में समा जाते हैं.
 
विमल तो सोनी को ले के चला जाता है, पर कामया और रमेश की प्यास अभी बुझी नही थी. कामया जब खिड़की से विमल को नदारद पाती है तो उसे समझने में देर नही लगती कि आज सोनी की प्यास भुज जाएगी और उसका मकसद पूरा हो जाएगा जिस वजह से उसने विमल को अपनी चुदाई दिखाई थी.

विमल के जिस्म की प्यास को भड़काने का इस से अच्छा उपाय वो सोच नही पायी थी. और पिछले दिनो में उसके और सोनी के बीच जो हुआ था, उस से सॉफ जाहिर था कि सोनी ज़यादा दिन लंड के बिना नही रह पाएगी.

ये एक माँ का प्रयास था अपनी बेटी के जिस्म की प्यास को बुझाने का. घर की बात घर में रहेगी और बदनामी होने की कोई चिंता नही.

उन दोनो के बारे में सोच कर कि दोनो अब क्या कर रहे होंगे, उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से रमेश के लंड पे कूदने लगती है. उसका ये उत्साह देख रमेश भी हैरत में आ जाता है, क्यूंकी आज तक कामया का इतना उग्र रूप चुदाई करते वक़्त उसने नही देखा था.


विमल के बारे में सोच कर, कैसे चोद रहा होगा वो सोनी को, कामया की आँखों के सामने विमल लहराने लगता है और वो महसूस करने लगती है जैसे विमल उसे चोद रहा है, वो विमल के लंड पे कूद रही है और और उसकी चूत इतना रस बहाती है कि रमेश की हैरानी और बढ़ जाती है, उसने आज तक कामया को इतना रस छोड़ते हुए नही देखा था.

कामया की इस बढ़ती हुई उत्तेजना को रमेश सह नही पाता और उसका लंड अपनी पिचकारी कामया की चूत में छोड़ने लगता है.

जैसे ही कामया को उसके वीर्य के छूटने का अहसास होता है, वो सपनो की दुनिया से वापस लौटी है और अपना रस छोड़ते हुए रमेश पे ढेर हो जाती है. उसकी आँखें इस आनंद को समेटने के लिए बंद हो जाती हैं.

उधर विमल और सोनी सारी दुनिया को भूल कर अपनी पहली चुदाई के आनंद को समेटते हुए नींद के आगोश में पहुँच चुके थे.

आधी रात को सोनी की नींद खुलती है और वो ध्यान से विमल को अपने उपर से हटा कर बाथरूम जाती है. उसका जिस्म हल्का पड़ा हुआ था, चेहरे पे संतुष्टि की मुस्कान थी. बाथरूम में जा कर खुद को सॉफ करती है , अपनी नाइटी पहन कर विमल के पास आ कर उसके होंठों को हल्के से किस करती है, उसपे एक चद्दर डाल कर अपने कमरे में चली जाती है.

उसे अपनी कमर में काफ़ी दर्द महसूस होता है, दो पेन किल्लर टॅबलेट खाती है और अपने कमरे में लगे बाथरूम में घुस कर गरम पानी से टब भरती है और उसमे लेट जाती है.

गरम पानी की सिकाई से उसे काफ़ी राहत मिलती है. एक घंटा वो गरम पानी में लेटी रहती है. जब उसे बहुत आराम मिल जाता है तो खुद को पोंछ कर ऐसे ही अपने बिस्तर पे लेट जाती है और उसकी आँखें बंद हो जाती हैं.

सुबह कामया चाइ लेकर विमल के कमरे में जाती है तो उसके पैर दरवाजे पे ही रुक जाते हैं. विमल बिल्कुल नंगा लेटा हुआ था और उसका लंड खड़ा था. जो चद्दर सोनी उसके उपर डाल गई थी वो वहीं मुचडी पड़ी थी.

विमल के लंबे मोटे लंड को देख कामया की चूत पानी पानी हो जाती है, उसकी जांघे काँपने लगती हैं . बड़ी मुस्किल से वो अंदर जाती है. चाइ का कप टेबल पे रख पहले विमल को अच्छी तरह चद्दर से ढक देती है. फिर विमल के सर के पास बैठ उसके बालों में उंगलियाँ फिराते हुए उसे उठाने लगती है.

‘विमू उठ बेटे, दिन चढ़ गया है. ले चाइ पीले और तैयार हो कर नीचे आ जा’

‘उम्म्म सोने दो ना माँ’

‘उठ बेटा तेरी मासी को भी लेने जाना है’

विमल अपनी आँखें खोलता है और उसे अहसास होता है अपने खड़े लंड का और चद्दर के नीचे नग्न होने का.

वो चद्दर के अंदर करवट लेता है ताकि माँ को उसका खड़ा लंड ना दिखे , पर उसे क्या मालूम माँ तो सब देख चुकी है और बहुत चुदासी हो गई है.

विमल की नज़र जब कामया पे पड़ती है तो उसे रात का मंज़र याद आता है, कैसे कामया अपनी चुदाई करवा रही थी और कैसे दोनो की नज़रें मिली हुई थी.

विमल कामया को अपने उपर खींच लेता है और कामया के होंठों पे अपने होंठ रख देता है.

कामया छिटक कर उससे दूर होती है. विमल देखता ही रह जाता है.
 
ये ग़लत है बेटा, तैयार होज़ा मैं तुझ से बाद में बात करूँगी’

विमल तड़प के रह जाता है और कामया कमरे से बाहर चली जाती है.

विमल तैयार होके नीचे आता है, सब लोग नाश्ते की टेबल पे बैठे हुए थे. सोनी का चेहरा फूल की तरह खिला हुआ था, गालों पे लाली समाई हुई थी. विमल को देखते ही वो नज़रें झुका लेती है और एक मुस्कान उसके चेहरे पे खिल जाती है.

रमेश टेबल पे ही बैठा अख़बार पढ़ रहा था. विमल जैसे ही बैठता है कामया नाश्ता ले के आ जाती है.

नाश्ते के वक़्त कोई बात नही करता. नाश्ते के बाद रमेश खड़ा हो जाता है जाने के लिए और विमल को कहता हुआ जाता है कि माँ के साथ जा कर एरपोर्ट से मासी को ले आए.

विमल हां में सर झुका देता है. अपनी कॉफी ख़तम करता है और अपने कमरे में चला जाता है.

कमरे में बैठा विमल यही सोच रहा था कि कामया ऐसा क्यूँ कर रही है. एक तो ज़ोर ज़ोर से चुदते वक़्त चीखें मार कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचती है, और जब वो उसके पास जाता है तो बिदक जाती है. कामया का रवईया उसे समझ नही आ रहा था और कामया के लिए उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी.

और कल रात तो खुद उसने कान में कहा था खिड़की का परदा हटा रहेगा. वो पागलों की तरह अपना सर नोचने लगता है. वो अपनी माँ को बेइज़्ज़त नही करना चाहता था, पर उसे लग रहा था कि वो खुद को ज़्यादा रोक नही पाएगा, कहीं अकेले में ज़बरदस्ती ना कर बैठे. ये ख़याल दिमाग़ में आते ही वो खुद से डरने लगा. उसका जिस्म पसीने पसीने हो गया.

घंटे बाद सोनी उसके कमरे में आती है और उसकी हालत देख कर उसके सर को अपने पेट से चिपका लेती है. विमल की आँखों में आँसू थे.

‘क्या हुआ भाई? तुम रो क्यूँ रहे हो? क्या तुम्हें कल के लिए कोई पश्चाताप हो रहा है?’ कहते हुए सोनी की आँखों में आँसू आ जाते हैं.

‘सोनी मैं तुझे कैसे समझाऊ? मेरा दिमाग़ फट जाएगा, माँ मेरे दिमाग़ से कभी बाहर नही निकलती. मैं उनके पास जाता हूँ तो मुझसे दूर हो जाती हैं, और दूर से मुझे रिझा रिझा कर तड़पाती जा रही हैं. मैं क्या करूँ सोनी , मैं क्या करूँ?’

रात को बात करेंगे भाई, अभी बस तैयार हो जाओ, हमे एरपोर्ट के लिए निकलना है.
विमल तैयार होता है, उसकी आँखों में एक तड़प बसी हुई होती है, जिसे देख सोनी का दिल रो पड़ता है. वो विमल को तड़प्ता हुआ नही देख सकती थी.

विमल कार निकालता है और सब एरपोर्ट की तरफ चल पड़ते हैं.
विमल और बाकी समय पे एरपोर्ट पहुँच जाते हैं. सुनीता जब एरपोर्ट से हाथ हिलाती हुई बाहर निकलती है तो उसे देख कर विमल का लंड काबू में नही रहता और पॅंट फाड़ने को तैयार हो जाता है.

कामया सुनीता की तरफ लपकती है और दोनो बहने गले लग जाती हैं. बहुत सालों बाद दोनो मिल रही थी, आँखों में आँसू आ जाते हैं.

काफ़ी देर तक जब दोनो अलग नही होती तो विमल बोल पड़ता है. 'क्या बात है मासी सिर्फ़ माँ से ही मिलोगि क्या.' दोनो तब अलग होती हैं.

सुनीता का ध्यान जब विमल पे पड़ता है तो दांतो तले उंगली दबा लेती है. हॅटा कट्टा छुड़ा जवान जो किसी भी लड़की को आकर्षित कर ले. विमल आगे बढ़ के उसके पैर छूता है तो सुनीता उसे रोकते हुए गले लगा लेती है. सुनीता के उन्नत स्तन विमल की छाती में धस्ते हैं और विमल का लंड सुनीता की चूत पे दस्तक दे देता है. आह सुनीता के मुँह से सिसकी निकलते निकलते रह जाती है.

'हाई राम कितना बड़ा हो गया है. लगता है दीदी ने बड़े प्यार से पाला है.'
'माँ ने तो प्यार से पाला ही है मासी, पर आपके प्यार को तो तरसते ही रह गये' कह कर विमल सुनीता के गालों को चूम लेता है.
'अब आ गई हूँ सारी कसर पूरी कर दूँगी' सुनीता भी विमल के माथे को चूम कर कहती है.
पीछे खड़ी सोनी अपनी बारी का इंतेज़ार कर रही थी.
 
'अरे राम्या इधर आ दूर क्यूँ खड़ी है'
सोनी आगे बढ़ती है तो कामया कहती है, 'अब इसका नाम सोनी हो गया है.'
'क्या?'
सोनी सुनीता के गले लगती है.

विमल : 'चलो अब घर चलो, यहाँ पे ही सारी रामायण डिसकस करोगे क्या'

सभी कार की तरफ चल पड़ते हैं.

विमल समान कार की डिकी में रखता है और घर की तरफ रवाना हो जाता है. सारे रास्ते दोनो बहने अपनी बातों में मशगूल हो जाती हैं.

कामया और सुनीता पीछे बैठी हुई बातें कर रही थी, सोनी आगे विमल के साथ बैठ हुई थी. विमल बार बार बॅक व्यू मिरर से सुनीता को निहार रहा था और सोनी उसकी नज़रों का पीछा करते हुए सब समझ रही थी और उसके होंठों पे हल्की हल्की मुस्कान खेल रही थी.

घर पहुँच कर कामया सुनीता को अपने कमरे में ले जाती है और विमल सुनीता का समान गेस्ट रूम में रख देता है जो उसके कमरे के साथ ही था.

कामया ने रात के खाने के लिए विमल को बाहर ऑर्डर करने के लिए कह दिया था. विमल अपने कमरे में चला जाता है और सोनी भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में चली जाती है.

सोनी कमरे में घुस कर दरवाजा बोल्ट कर देती है और पीछे से विमल के गले में बाँहें डाल देती है.

सोनी : विमल की गर्दन पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए ' क्या बात है भाई मासी पे भी दिल आ गया?'

विमल : सोनी को अपने सामने ले आता है और उसकी कमर में बाँहें डाल कर उसे खुद से चिपका लेता है ' दिल तो मेरा बस तुझ पे आया है सोनी, पर ये लंड बात नही मानता, ये तो अब जब तक मासी की चूत में नही घुसेगा तब तक इससे चैन नही आएगा'

सोनी : 'पापा से कॉंपिटेशन करोगे क्या?'

विमल : पापा कहाँ से आ गये बीच में?'

सोनी : जब पापा ने चाची को नही छोड़ा तो साली को कहाँ छोड़ा होगा. और साली को तो वैसे भी आधी घरवाली कहते हैं. इतने सालों बाद मिल रहे हैं, पापा तो मुझे नही लगता एक पल के लिए भी मासी को छोड़ेंगे'

विमल : ह्म्म अगर ऐसा है तो पापा से कॉंपिटेशन ही सही. देखते हैं कौन जीतता है

सोनी : कॉंपिटेशन बाद में करना, अभी तो मुझे थोड़ा दबा दो, सारा बदन दुख रहा है.

विमल सोनी के गालों को थाम कर अपने होंठ उसके होंठों पे चिपका देता है.

सोनी एक हाथ से विमल के बालों को सहलाने लगती है और दूसरे हाथ से उसके लंड को मसल्ने लगती है. विमल का किस और भी तेज़ हो जाता है और वो सोनी के स्तन मसल्ने लगता है.

दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते जारहे थे. फिर दोनो के कपड़े साथ साथ उतरने लगते हैं और विमल सोनी को बिस्तर पे लिटा कर उसकी चूत पे आक्रमण कर देता है.


'अहह भाईईईईईईईई क्यूँ और आग लगा रहे हो'

'तेरा रस बहुत मीठा है सोनी, इसे पिए बिना तो मैं अब रह नही सकता' स्ल्ल्ल्ल्ल्लूउउुुउउर्र्ररप्प्प्प्प्प

' उूुुउउइईईईईईईईई म्म्म्म्ममममाआआआ मुझे भी तो अपना पीने दो'

फिर दोनो पोज़िशन बदलते हैं और 69 में आ जाते हैं. सोनी बड़े प्यार से विमल के लंड को चाटती है और चुस्ती है


विमल भी उसकी चूत को आराम से चूस्ता है , कोई दर्द भरा अहसास नही होने देता, सिर्फ़ उत्तेजना को भड़काता रहता है. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो ही अपने काम में माहिर हों और एक दूसरे को बहुत आनंद दे रहे थे.

विमल का लंड बहुत सख़्त हो जाता है और सोनी की चूत बहुत गीली, दोनो से ही नही रहा जाता और विमल उस से अलग हो कर उसे पीठ के बल लिटा कर उसके निपल चूसने लगता है. सोनी उसका सर अपने स्तन पे दबा देती है. कुछ ही पलों बाद विमल उसकी टाँगों के बीच में आ कर उसकी चूत पे अपना लंड घिसने लगता है. सोनी की सिसकारियाँ कमरे में फैलने लगती हैं. वो इस बात का ध्यान रख रही थी कि उसकी आवाज़ नीचे ना चली जाए.

विमल धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में डाल देता है. सोनी को कुछ दर्द होता है पर वो उसे सह लेती है.

फिर विमल धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगता है और दोनो ही एक सुखद संभोग में खो जाते हैं. उन्हें कोई जल्दी नही थी. प्यार के इन पलों को अपने अंदर समेटते रहते हैं.


और वो समय भी आ जाता है जब दोनो एक साथ किल्कारी भरते हुए झड़ने लगते हैं.'अरे राम्या इधर आ दूर क्यूँ खड़ी है'
सोनी आगे बढ़ती है तो कामया कहती है, 'अब इसका नाम सोनी हो गया है.'
'क्या?'
सोनी सुनीता के गले लगती है.

विमल : 'चलो अब घर चलो, यहाँ पे ही सारी रामायण डिसकस करोगे क्या'

सभी कार की तरफ चल पड़ते हैं.

विमल समान कार की डिकी में रखता है और घर की तरफ रवाना हो जाता है. सारे रास्ते दोनो बहने अपनी बातों में मशगूल हो जाती हैं.

कामया और सुनीता पीछे बैठी हुई बातें कर रही थी, सोनी आगे विमल के साथ बैठ हुई थी. विमल बार बार बॅक व्यू मिरर से सुनीता को निहार रहा था और सोनी उसकी नज़रों का पीछा करते हुए सब समझ रही थी और उसके होंठों पे हल्की हल्की मुस्कान खेल रही थी.

घर पहुँच कर कामया सुनीता को अपने कमरे में ले जाती है और विमल सुनीता का समान गेस्ट रूम में रख देता है जो उसके कमरे के साथ ही था.

कामया ने रात के खाने के लिए विमल को बाहर ऑर्डर करने के लिए कह दिया था. विमल अपने कमरे में चला जाता है और सोनी भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में चली जाती है.

सोनी कमरे में घुस कर दरवाजा बोल्ट कर देती है और पीछे से विमल के गले में बाँहें डाल देती है.

सोनी : विमल की गर्दन पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए ' क्या बात है भाई मासी पे भी दिल आ गया?'

विमल : सोनी को अपने सामने ले आता है और उसकी कमर में बाँहें डाल कर उसे खुद से चिपका लेता है ' दिल तो मेरा बस तुझ पे आया है सोनी, पर ये लंड बात नही मानता, ये तो अब जब तक मासी की चूत में नही घुसेगा तब तक इससे चैन नही आएगा'

सोनी : 'पापा से कॉंपिटेशन करोगे क्या?'

विमल : पापा कहाँ से आ गये बीच में?'

सोनी : जब पापा ने चाची को नही छोड़ा तो साली को कहाँ छोड़ा होगा. और साली को तो वैसे भी आधी घरवाली कहते हैं. इतने सालों बाद मिल रहे हैं, पापा तो मुझे नही लगता एक पल के लिए भी मासी को छोड़ेंगे'

विमल : ह्म्म अगर ऐसा है तो पापा से कॉंपिटेशन ही सही. देखते हैं कौन जीतता है

सोनी : कॉंपिटेशन बाद में करना, अभी तो मुझे थोड़ा दबा दो, सारा बदन दुख रहा है.

विमल सोनी के गालों को थाम कर अपने होंठ उसके होंठों पे चिपका देता है.

सोनी एक हाथ से विमल के बालों को सहलाने लगती है और दूसरे हाथ से उसके लंड को मसल्ने लगती है. विमल का किस और भी तेज़ हो जाता है और वो सोनी के स्तन मसल्ने लगता है.

दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते जारहे थे. फिर दोनो के कपड़े साथ साथ उतरने लगते हैं और विमल सोनी को बिस्तर पे लिटा कर उसकी चूत पे आक्रमण कर देता है.


'अहह भाईईईईईईईई क्यूँ और आग लगा रहे हो'

'तेरा रस बहुत मीठा है सोनी, इसे पिए बिना तो मैं अब रह नही सकता' स्ल्ल्ल्ल्ल्लूउउुुउउर्र्ररप्प्प्प्प्प

' उूुुउउइईईईईईईईई म्म्म्म्ममममाआआआ मुझे भी तो अपना पीने दो'

फिर दोनो पोज़िशन बदलते हैं और 69 में आ जाते हैं. सोनी बड़े प्यार से विमल के लंड को चाटती है और चुस्ती है


विमल भी उसकी चूत को आराम से चूस्ता है , कोई दर्द भरा अहसास नही होने देता, सिर्फ़ उत्तेजना को भड़काता रहता है. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो ही अपने काम में माहिर हों और एक दूसरे को बहुत आनंद दे रहे थे.

विमल का लंड बहुत सख़्त हो जाता है और सोनी की चूत बहुत गीली, दोनो से ही नही रहा जाता और विमल उस से अलग हो कर उसे पीठ के बल लिटा कर उसके निपल चूसने लगता है. सोनी उसका सर अपने स्तन पे दबा देती है. कुछ ही पलों बाद विमल उसकी टाँगों के बीच में आ कर उसकी चूत पे अपना लंड घिसने लगता है. सोनी की सिसकारियाँ कमरे में फैलने लगती हैं. वो इस बात का ध्यान रख रही थी कि उसकी आवाज़ नीचे ना चली जाए.

विमल धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में डाल देता है. सोनी को कुछ दर्द होता है पर वो उसे सह लेती है.

फिर विमल धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगता है और दोनो ही एक सुखद संभोग में खो जाते हैं. उन्हें कोई जल्दी नही थी. प्यार के इन पलों को अपने अंदर समेटते रहते हैं.


और वो समय भी आ जाता है जब दोनो एक साथ किल्कारी भरते हुए झड़ने लगते हैं.
 
समय जैसे उनके लिए वहीं ठहर जाता है और दोनो आनंद की लहरों में गोते लगाने लगते हैं.
विमल और सोनी, अपने ही ख़यालों में एक दूसरे से चिपके बिस्तर पे लेटे हुए थे.
सोनी को यकायक ख़याल आता है कि बहुत देर हो चुकी हैं उन्हें, कहीं कोई उपर ही ना आ जाए. वो विमल को उठाती है और अपने भी कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस जाती है.

उसकी मटकती हुई गान्ड देख कर विमल का लंड फिर खड़ा हो जाता है. वो भी सोनी के पीछे बाथरूम की ओर लपकता है, पर सोनी उसके मुँह पे ही दरवाजा बंद कर देती है. अपने लंड को गुस्से से देखता हुआ विमल अपने कपड़े पहनता है और किसी तरह अपने लंड को पॅंट में अड्जस्ट करता है.

उसे खाने का याद आता है और वो
रेस्टोरेंट में फोन कर उसे फिर याद दिलाते है कि खाना कितने बजे भेजना है.
नीचे कामया और सुनीता एक दूसरे के गले में बाहें डाले अपनी बातों में खोई हुई थी.

रमेश घर पहुँचता है पर बेल बजाने की जगह अपनी चाबी से घर खोलता है और दबे पाँव अपने कमरे की तरफ बढ़ता है. कमरे में घुस कर वो सीधा सुनीता पे टूट पड़ता है और उसे अपनी बाँहों में खींच कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है. सुनीता उसकी बाँहों में छटपटाने लगती है .
कामया : रमेश छोड़ो उसे, ये क्या हरकत है.

रमेश सुनीता को छोड़ता है और वो गुस्से से रमेश की तरफ घुरती हुई बाहर जाने ही लगती है कि सामने जस्सी खड़ी हुई होती है, जिसकी आँखों में अपने बाप के लिए नफ़रत सॉफ दिख रही थी.

कामया और रमेश का ध्यान जब दरवाजे की तरफ जाता है तो कामया बात संभालने को बोल पड़ती है :

कामया : अरे जस्सी, कब आई बेटा, चल मासी को अपने कमरे में ले जा, में चाइ बनाती हूँ. और विमू से पूछ लेना, खाने के ऑर्डर का क्या हुआ.

जस्सी हिकारत भरी नज़र अपने बाप पर डालती है और सुनीता को लेकर चल पड़ती है. सुनीता की आँखों में आँसू थे.

रमेश बस सर झुकाए खड़ा रह जाता है. उसे तो सपने में भी ये ख़याल नही आनेवाला था कि जस्सी उसके पीछे पीछे आ रही है.

कामया : तुमसे रात तक सबर नही हो रहा था. आते ही टूट पड़े उस पर. अब ये सब नही होने दूँगी मैं. बच्चे भी बड़े हो चुके हैं. शरम करो कुछ. उसकी शादी से पहले जो हुआ सो हुआ, अब और नही. जाओ फ्रेश हो जाओ. मैं चाइ बनाके लाती हूँ.

रमेश तिलमिला के रह जाता है और बाथरूम में घुस जाता है.
 
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