Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास - Page 14 - SexBaba
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Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

थोड़ी देर बाद सोनी ने अपनी नाइटी उतार दी और सुनीता को भी नंगा कर दिया. सुनीता का गोरा कामुक बढ़न देखने के बाद उसे समझ में आ गया क्यूँ विमल सुनीता के लिए पागल हुआ जा रहा था, क्यूँ उसका बाप भी सुनीता के लिए पागल है. खैर इस वक़्त तो उसने अपनी प्यास भुजानी थी.

सोनी फिर सुनीता के होंठ चूसने लगी और अपने उरोज़ उसके उरोजो से रगड़ने लगी. सुनीता को भी इस नये खेल में मज़ा आने लगा और उसके हाथ सुनीता के जिस्म को सहलाने लगे. दोनो जोंक की तरहा एक दूसरे से चिपक गई और अपने जिस्म एक दूसरे से रगड़ने लगी. दोनो की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी .

सुनीता ने कभी लेज़्बीयन नही किया था पर उसके बारे में पता ज़रूर था. और उसे काफ़ी मज़ा आने लगा था, उसकी चूत में अभी भी विमल का वीर्य भरा हुआ था, क्यूंकी विमल के कमरे से आने के बाद वो बेसूध सो गई थी. उसे मालूम था थोड़ी देर बाद दोनो एक दूसरे की चूत को चूसना शुरू कर देंगी और जब सोनी के मुँह में उसकी चूत से विमल का वीर्य जाएगा तब…… आगे उसने सोचना छोड़ दिया … देखेंगे जो होगा.

सोनी तो पहले से ही बहुत जल रही थी, वो चाहती थी कि सुनीता ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसे और उसका सारा रस निकाल कर उसे शांत कर दे, लेकिन इससे पहले उसे सुनीता को और भी गरम करना था.

सोनी सुनीता के उरोज़ को मुँह में भर के चूसने लगी और दूसरे निपल को अपनी उंगलियों में उमेठने लगी.

अहह उउउम्म्म्मममम हहाआऐययईईईईईईई
आराम से उूुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़

सोनी इतनी ज़ोर से चूस रही थी, कि सुनीता की ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ निकलने लगी , वो इतनी गरम होने लगी कि सोनी की चूत से अपनी चूत रगड़ने लगी.

अब वक़्त आ गया था खेल को आगे बढ़ाने का, सोनी 69 के पोज़ में आ कर सुनीता की चूत को अपने मुँह में भर के ज़ुबान से छेड़ने लगी.

आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सुनीता ने ज़ोर से सिसकारी मारी और वो भी सोनी की चूत पे टूट पड़ी.

सुनीता ने सोनी की चूत में दो उंगलियाँ घुसा दी, और जब सोनी की तरफ से कोई दर्द वाली बात नही हुई, उसे समझने में देर ना लगी कि लड़की चुदवा चुकी है. उंगलियों से उसकी चूत का मर्दन करते ही उसके क्लिट पे अपनी जीब रगड़ने लगी.

सोनी भी कम नही थी, वो सुनीता की चूत को ऐसे चूसने लगी जैसे उसके मुँह में वाक्कुम पंप लगा दिया गया हो, और सुनीता की चूत से उसके रस के साथ विमल का वीर्य भी मुँह में आने लगा. सोनी मज़े से उसे चाटती रही. विमल के वीर्य का और सुनीता के रस का मिला जुला स्वाद उसे और भड़का गया और वो सुनीता की चूत को अपने दाँतों से चुबलाने लगी.

एक लड़की इतना मज़ा दे सकती है सुनीता पहली बार महसूस कर रही थी और उसने भी ज़ोर ज़ोर से सोनी की चूत को चूसना, चुबलाना शुरू कर दिया.

दोनो एक दूसरे की चूत को एक दूसरे के मुँह पे दबा रही थी उंगलियों से पेल रही थी, ज़ुबान से चाट रही थी और बीच बीच में अपने दाँत भी गढ़ा देती.

आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे की चूत का मर्दन करती रहती हैं और दोनो एक साथ झाड़ के निढाल हो जाती हैं.
सोनी वही सुनीता से चिपक कर सो जाती है.

पागलों की तरहा गाड़ी चलाता हुआ रमेश अगले दिन दोपहर तक अपनी दूसरी बेटी – रिया यानी जस्सी के मेडिकल कॉलेज पहुँचता है.


जस्सी उस वक़्त दवाई के असर से नींद में थी.

रमेश को उसका वॉर्डन और वहाँ के डॉक्टर्स एक कमरे में ले जाते हैं.
बातों से पता चलता है कि अपना नाम बदलने के कारण और कुछ और भी बात हो सकती है, जिसकी वजह से जस्सी बहुत डिप्रेशन में आ गई थी, उसे अब बहुत ही प्यार से संभाल कर उसका कॉन्फिडेन्स वापस लाना पड़ेगा, वरना ये बीमारी ख़तरनाक साबित हो सकती है उसके लिए.

रमेश डीन से बात कर के 4 दिन के लिए जस्सी की लीव सॅंक्षन करवाता है और उसे अपने साथ फार्म हाउस ले जाता है. डॉक्टर्स के हिसाब से दवाइयों का असर 5-6 घंटे बाद ख़तम होगा.

रमेश उसे बिस्तर पे लिटा कर उसके सामने एक कुर्सी पे बैठ जाता है और टकटकी लगा कर उसके मासूम खूबसूरत चेहरे को देखता रहता है.

उधर एक तरफ रवि रात भर सो नही सका और अगले दिन घर वापस चला जाता है. घर पहुँचता है तो रमण ऑफीस के लिए जा चुका था घर पे ऋतु थी जो बेसब्री से उसका इंतेज़ार कर रही थी.

रवि को देख ऋतु उसके साथ लिपट जाती है और ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर्देति है.
रवि से उसका रोना सहा नही जाता और पता नही कितनी बार माफी माँगता है, उसे खुश करने के लिए उठक बैठक करता है तब जा कर ऋतु शांत होती है.
जब ऋतु शांत हो गई तो

ऋतु : चल बैठ मैं नाश्ता तयार करती हूँ, फिर कहीं चलते हैं.
रवि : जो हुकुम मेडम
ऋतु : देखती हूँ कितना हुकुम मानते हो मेरा.

रवि के दिमाग़ में फिर उठापटक शुरू हो जाती है.कि कहीं ऋतु फिर वही बात न छेड़ दे. वो चुप चाप सोफे पे बैठ जाता है और 10 मिनट के अंदर ऋतु नाश्ता ले आती है.
 
नाश्ता करते वक़्त

ऋतु : बहुत रुलाया है तूने मुझे, बता कहाँ घुमाने ले चलेगा.

रवि कुछ देर सोचता है

रवि : डेज़र्ट सफ़ारी चलें, दिन में इधर धार घूमेंगे और दोपहर को सफ़ारी के लिए चल पड़ेंगे ताकि शाम तक वहाँ टेंट में पहुँच जाएँ.

डेज़र्ट सफ़ारी का नाम सुनते ही ऋतु चहक उठी आज शायद उसकी एक फॅंटेसी पूरी हो जाए.

ऋतु फटाफट रमण को फोन कर के बता देती है कि वो रवि के साथ डेज़र्ट सफ़ारी जा रही है और शायद रात को वहीं टेंट में रुके. रमण अपनी हां करने के अलावा और कुछ नही कह पाता.
सबसे पहले रवि ऋतु को ले कर एक माल में जाता है जहाँ उसके किसी दोस्त की गारमेंट्स की शॉप थी और ऋतु के लिए एक बहुत ही अच्छी ड्रेस खरीद ता है बिल्कुल वैसी जैसे की बेल्ली डॅन्सर्स पहती हैं.

फिर दोनो एक रेस्टोरेंट में बैठ कर कॉफी पीते हैं और वहीं पर रवि के दूसरे दोस्त का इंतेज़ार करते हैं जिसका अपना कॅंप था रेगिस्तान में..
करीब घंटे बाद उसका दोस्त आता है और दोनो को रेगिस्तान में एक जगह छोड़ता है जहाँ से वो दूसरी गाड़ी करते हैं और शुरू होती है उनकी डेज़र्ट सफ़ारी. रेत के बड़े बड़े टीलों के उपर से जब गाड़ी सरसराती हुई नीचे उतरती है तो उसका रोमांच कुछ अलग ही होता है. करीब एक घंटा सफ़ारी करने के बाद वो गाड़ी उन्हें एक कॅंप में छोड़ देती है.

कॅंप में नीचे गद्दे बिछे ही थे बैठने के लिए और बीच में एक डॅन्स फ्लोर था साइड में सजिन्दो के बैठने की जगह थी.
धीरे धीरे कुछ और टूरिस्ट भी आ गये और शुरू हुआ बेल्ली डॅन्सिंग साथ में दारू का दौर चलने लगा.
डॅन्सर के कदमों की थिरकन और उसके अपनी बेल्ली को थिरकाने की अदा से सब मदहोश हो रहे थे.

डॅन्स का जब एक दौर ख़तम हुआ तो रवि ने डॅन्सर को बुला कर कुछ कहा जो फिर अपने साथ ऋतु को भी ले गई.

थोड़ी देर बाद डॅन्सर एक नये ड्रेस में आई और इस बार साथ में ऋतु भी थी जो वो ड्रेस पहन कर आई जो आज रवि ने खरीदी थी. ऋतु को डॅन्स करना आता था और कुछ बेल्ली डॅन्सर उसे सीखा कर आई थी.

साजिन्दो की ताल के साथ दोनो ने ही अपनी कमर और कदमो को थिरकाना शुरू कर दिया. जितने टूरिस्ट थे वो ऋतु की ज़्यादा वाहवाही कर रहे थे जिसकी वजह से उस डॅन्सर को थोड़ी जलन भी होने लगी.
माहॉल ऐसा बन गया की ऋतु और डॅन्सर में एक कॉंपिटेशन सा हो गया और चारों तरफ से दोनो के लिए तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी.
डॅन्स के एक दौर के बाद ऋतु जब अपने कपड़े बदलने जाने लगी तो रवि ने उसे रोक दिया और उसी ड्रेस में रहने को कहा. ऋतु का हुस्न अपनी पूरी छटा दिखा रहा था और कितनो को रवि से जलन हो रही थी कि ऐसी हसीना उसके साथ है.
ऋतु रवि के साथ उसी ड्रेस में बैठ गई फिर डिन्नर हुआ जिसके बाद सब टूरिस्ट चले गये .

कॅंप के अंदर एक अलग से रूम टाइप बना हुआ था रवि ऋतु को लेकर उसी रूम में चला गया.

ऋतु बहुत थक गई थी तो बिस्तर पे लेट गई. रूम में काफ़ी बियर के कॅन रखे गये थे रवि के कहने पे और एक वाइन की बॉटल भी थी. रवि बियर का कॅन खोल के बैठ गया और ऋतु के हुस्न को निहारने लगा.

आधे घंटे बाद जब ऋतु की आँख खुली तो देखा कि रवि बस टकटकी लगाए उसे ही देख रहा है और बेचारा बियर का कॅन उसके हाथ में झूल रहा है.

रवि को यूँ खुद की निहारता हुआ पा कर ऋतु शरम से लाल पड़ गई और उसके रूप में और भी निखार आ गया. जब देखा कि रवि तो बिल्कुल हिलजुल नही रहा तो शरमाती हुई उठ कर उसकी गोद में बैठ गई.

‘ऐसे क्या देख रहा है, पहले कभी देखा नही’

‘ह्म्म्मा , हां,’ रवि जैसे होश में आया हो.

‘अरे ऐसे क्यूँ देख रहा था?’
‘तू है ही इतनी खूबसूरत, क्या करूँ, नज़रें अटक के रह जाती हैं’

‘चल चल ज़्यादा बातें ना बना – वैसे आज बहुत मज़ा आया’

‘अभी कहाँ – मज़ा तो अभी आना शुरू होगा’

‘अच्छा जी – वो कैसे ?’

‘चल बाहर चलते हैं – फिर देख कितना मज़ा आएगा’

बियर के 2-3 कॅन उठा कर रवि उसे कॅंप के पीछे खुले में ले जाता है. ठंडी ठंडी हवा जिस्म में सुरसूराहट भर रही थी. रवि वहीं रेत के एक टीले पे बैठ जाता है और ऋतु भी उसके साथ चिपक के बैठ जाती है. हवा में इतनी ठंडक थी कि ऋतु को थोड़ी ठंड लगने लगी और वो लगभग रवि के साथ चिपक गई.

रवि ने बियर का कॅन खोल कर 2-3 घूँट मारे और बोला : उपर देख

रात के अंधेरे में जगमग करते हुए तारे बहुत अच्छे लग रहे थे और इतने पास लग रहे थे कि कोई भी इस दृश्य में खो कर रह जाए. ऋतु बस देखती ही रह जाती है.
 
तारों के बीच अठखेलियाँ करता हुआ चाँद यूँ लग रहा था जैसे गोपियों के बीच कृशन अपनी लीला रच रहा हो.
ऋतु तो बस खो कर रह जाती है, तभी एक तारा टूटता है और ऋतु एक विश माँग लेती है. वो विश क्या थी, शायद इसका पता बाद में चले. रवि तो बस बियर के घूँट पीता और ऋतु को देखता रहता.

कितनी ही देर ऋतु आसमान में फैले तारों की लीला को देखती रही और जब गर्दन में दर्द होना शुरू हो गया तो उसने नीचे देखा अपनी गर्दन घुमाई और फिर रवि को देखा कि किस तरहा बस उसे ही निहारता जा रहा है.

‘उफ्फ ये लड़का तो पागल हो गया है’ उसने मन में सोचा और रवि के हाथ से बियर का कॅन लेकर उसमे बची हुई बियर गटक ली. फिर अपनी नशीली आँखों से रवि को देखने लगी.

ऋतु की आँखों से निकलती हुई नशीली चिंगारियाँ रवि को झुलसाने लगी और उसने ऋतु को अपनी गोद में खींच कर अपने होंठ उसके होंठों पे चिपका दिए.

हौले हौले वो ऋतु के होंठों का रस चुराने लगा. दोनो के जिस्मो का तापमान बढ़ने लगा जिस्म में उत्तेजना की लहरें अपना खेल खेलने लगी और रवि ने चोली के उपर से ही ऋतु के मस्त मम्मो का मर्दन शुरू कर दिया.
ऋतु की सिसकियाँ छूटने लगी जो रवि के मुँह में ही घुल रही थी.

तभी ज़ोर की आँधी उड़ने लगती है. चारों तरफ रेत ही रेत, आँखें खोलना दूभर हो गया. बढ़ी मुश्किल से रवि ऋतु को कॅंप के अंदर ले जा सका.
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इस से पहले की रात आगे बढ़े ज़रा देखें दिन भर नैनीताल में क्या हुआ
शायद माँ को चोदने के बाद कुछ ज़्यादा ही सकुन मिलता है या फिर दिन भर सुनीता को चोदने से और रात भर कामया को चोदने से विमल तक गया था और बढ़ी गहरी नींद में चला गया था.

कामया की नींद करीब घंटे बाद टूटती है, अपनी हालत देखती है और साथ में सोए ही विमल को. विमल के चेहरे पे जो सकुन था उसे देख कामया मुस्कुरा देती है. विमल के माथे को चूमती है फिर उसके सोए हुए लन्ड़ को चूमती है और उठ कर बाथरूम में घुस जाती है.

शीशे में खड़ को निहारती है, उसका चेहरा कुछ ज़्यादा ही खिला हुआ लग रहा था. जिस तरहा विमल ने रात भर उसे प्यार किया था उसके बारे में सोच कर उसकी चूत फिर गीली होने लग गई. अपनी चूत पे थप्पड़ सा मारती हुई बुदबुदाती है.
‘शर्म कर उसे कुछ आराम तो करने दे फिर से लार टपकाने लगी है’

खुद को समझाती है और तब में घुस कर गरम पानी से नहा कर फिर फ्रेश होती है और ऐसे ही नंगी बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कपड़े पहन कर सुनीता के कमरे की तरफ बढ़ जाती है.

सुनीता का कमरा बंद होता है तो उसे डिस्टर्ब ना करते हुए अपने कमरे में जाती है और रमेश को वहाँ ना पा कर चोंक जाती है कि वो कहाँ चला गया .

इंटरकम से सुनीता के कमरे का नंबर मिलाती है तो दूसरी तरफ से सोनी जवाब देती है.

सोनी, कामया को बता देती है कि रमेश किसी एमर्जेन्सी में गया है और शायद शाम तक फोन करेगा.
कामया उसे तयार होने के लिए कहती है और खुद भी नये कपड़े निकाल कर पहन लेती है.

सुनीता और सोनी थोड़ी देर में कामया के रूम में आ जाते हैं. कोई भी अनुभवी देख के समझ सकता था कि कामया और सुनीता जम कर चुदि हैं, दोनो के चेहरे पे निखार ही ऐसा था.

कामया सोनी को विमल को देखने के लिए भेजती है .

सोनी के जाने के बाद कामया बड़ी गहरी नज़रों से सुनीता को देखने लगी.

कामया : कल तो काफ़ी मज़ा किया होगा, कैसा लगा वो…….

सुनीता : मज़ा क्या मतलब?

कामया : मुझे बच्ची समझती है क्या, रमेश को मना करती रही और विमल के साथ सो गई.

सुनीता ने अपना चेहरा झुका लिया वो समझ नही पा रही थी कि क्या जवाब दे.

कामया : क्यूँ बोल ना क्यूँ किया तूने ऐसा ? और तेरी वजह से मैं….( कामया बोलते बोलते रुक गई)

सुनीता चोंक कर कामया को देखने लगी और कामया भी समझ गई कि जल्दबाज़ी में उसके मुँह से क्या निकल गया. पर अब देर हो चुकी थी.
 
सुनीता : मैने कोई जानभुज कर नही किया. बस हो गया. कितने सालों बाद विमल से मिली और अपनी ममता को रोक ना सकी पर वो आगे बढ़ता गया और मैं ना जाने क्यूँ बहती चली गई.

कामया : क्या तू विमल को वापस…. (आगे कामया बोल ना सकी उसका गला रुंध गया)
सुनीता कामया के गले लग गई.

सुनीता : नही दी. ऐसा कुछ भी नही है. विमल आपका है और आपका ही रहेगा. और कभी भूल के भी उसे पता मत चलने देना कि असलियत क्या है. वो हम सबसे नफ़रत करने लगेगा.

कामया के दिल को सकुन मिल गया सुनीता की बात सुनकर और उसने ज़ोर से सुनीता को खुद से चिपका लिया.

सुनीता : मेरे साथ तो जो हुआ वो अंजाने में हुआ …..आपने क्यूँ?

कामया : डर गई थी कि तेरी चूत का दीवाना बन कर कहीं वो मुझे छोड़ ही ना दे. मैने उसकी आँखों में कई बार पढ़ा है कि वो मुझे चोदना चाहता था, बस कल खुद को रोक ना पायी और चुद गई उस से. पर अब मुझे कोई गीला नही… जो प्यार उसने दिया वो रमेश भी मुझे नही दे सका.

सुनीता : तो क्या….

कामया : घबरा मत वो हम दोनो का है, हम दोनो मिल कर उसका प्यार आपस में बाँट लेंगे.

सुनीता : ओह दीदी कितनी अच्छी हो तुम.

कामया : पगली जो तूने मेरे लिए किया उसके आगे तो ये कुछ भी नही… और प्यार बाँटने से कम नही होता और भी बढ़ जाता है.

इतने में सोनी विमल को लेकर आ गई और दोनो की बातें बंद हो गई.

विमल की चाल में थोड़ी लड़खड़ाहट थी, शायद अभ भी कुछ दर्द था, उपर से वो आराम भी कहाँ कर पाया दिन रात तो चुदाई में लगा हुआ था.

आज उसके सामने तीन हुस्न की देवियाँ थी और तीनो को चोद चुका था वो. लेकिन मर्यादा की दीवार उसने फिर बना ली, उसके हिसाब से तीनो को नही मालूम था कि वो सबको चोद चुका है. सुनीता को विमल और सोनी के बारे में नही पता था वो सिर्फ़ कामया के बारे में जान गई थी. सोनी को नही पता था कि कामया को पता है कि वो चुद चुकी है विमल से.

लेकिन सोनी कल की सिसकियों से समझ चुकी थी कि तीनो ही विमल से चुद गई हैं.


विमल सर झुकाए बैठ जाता है, वो नही चाहता था किसी को भी किसी के लिए उसकी आँखों में कुछ नज़र आए. सुनीता और कामया दोनो ही उसकी दशा समझ जाती हैं और दोनो के दिल में उसके लिए प्यार और भी बढ़ जाता है.

कामया वहीं कमरे में नाश्ता मँगवाती है , चारों चुप चाप नाश्ता करते हैं और नाश्ते के बाद कामया सुनीता को ले कर बाहर निकल जाती है, जाते वक़्त उसके चेहरे पे जो मुस्कान थी वो सोनी के लिए थी , कि लग जा अभी बाद में तुझे मोका नही मिलेगा.

सोनी शर्मा के नज़रें झुका लेती है और सुनीता शायद कुछ कुछ समझ जाती है.

कामया सुनीता को लेकर होटेल से बाहर निकलती है और पहले एक केमिस्ट के पास जा कर एक क्रीम ख़रीदती है, जिसका मक़सद चूत को अंदर से इतना टाइट करना था कि चोदने वाले को लगे कुँवारी को चोद रहा है और चुदने वाली को लगे फिर से कुँवारी बन गई है और पहली बार लंड खा रही है. रमेश को मज़ा देने के लिए कामया ये कब से करती आई है. वो तो उसकी ट्यूब ख़तम हो चुकी थी वरना वो विमल को और भी मज़ा देती.

फिर दोनो एक लिंगेरी की दुकान पे जाती हैं.

कामया अपने और सुनीता के लिए 4 बहुत ही बढ़िया लिंगेरी ख़रीदती है फिर दोनो एक रेस्टोरेंट में कॉफी पीने बैठ जाती हैं.

उधर दोनो के जाने के बाद सोनी विमल की गोद में बैठ जाती है.

सोनी : हाई जालिम, करली अपने मन की , चोद डाला दोनो को.
विमल हैरानी से उसे देखता रह जाता है.

सोनी : अरे इतना हैरान क्यूँ हो रहा है, कमरे के बाहर तक सिसकियों की आवाज़ें आ रही थी.

विमल चुप रहता है कुछ नही बोलता.

सोनी : क्या यार, इतना चुप क्यूँ है? अच्छा ये बता तीनो में से किसको चोदना ज़्यादा अच्छा लगता है?

सोनी के सवालों को बंद करने के लिए, विमल उसके होंठों पे अपने होंठ चिपका देता है.
सोनी की सांसो की महक को अपने अंदर समेटते हुए, विमल का हाथ उसके वक्ष पे चला जाता है जिसे वो धीरे धीरे दबाने लगता है.

सोनी उसको अपने होंठों की मदिरा पिलाते हुए सिसकने लगती है.
विमल में कामया के साथ संभोग करने के बाद बहुत बढ़लाव आ गया था अब उसमे कोई रूखापन और आक्रामकता नही रही थी. वो धीरे धीरे जिस्म के हर पोर से प्यार करना सीख गया था.

और जिस तरहा वो सोनी के जिस्म में छुपी हुई लहरों को जगा रहा था वो सोनी के लिए बिल्कुल नया अनुभव था.
सोनी पिघलती चली जा रही थी, उसकी पैंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि अब वो विमल के लंड को अपने अंदर समाने के लिए तड़पने लगी.
 
विमल ने सोनी का टॉप उतार दिया और ब्रा में क़ैद उसके मखमली उरोज़ को देखते ही उसकी आँखों में नशा बढ़ने लगा. धीरे धीरे झुकते हुए उसने अपने होंठ उरोजो की घाटी में रख दिए और सोनी उसके सर को अपनी छाती में दबाते हुए सिसक पड़ती
अहह ववववववववीीईईईईईइइम्म्म्मममममम्मूऊऊुउउ

विमल के हाथ सोनी के पीठ को सहलाने लगे, सोनी उसके बालों को सहलाने लगी और विमल ने सोनी की ब्रा के हुक खोल दिए.

‘भाई जल्दी चोद डाल, मम्मी कभी भी आ सकती हैं’

विमल सोनी के सारे कपड़े उतार कर से बिस्तर पे लिटाता है.
सोनी अपनी जांघें फैलाकर अपनी टाँगे मोड़ लेती है और अपनी चूत एक दम सामने कर देती है.

विमल झुक कर उसकी चूत चाटने लगा जो पहले ही बहुत गीली थी.

‘आह भाई ये सब बाद में कर लेना, मेरी खुजली जल्दी मिटा वक़्त कम है’

विमल सोनी की तरफ देख कर मुस्कुराता है और अपनी पॅंट ढीली कर अपना खड़ा लंड बाहर निकाल लेता है.
फिर सोनी की टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत पे घिसने लगता है.

‘आह आह उम्म्म डाल दे ना’

और विमल एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा देता है.

‘आआआआआमम्म्ममममाआआआररर्र्र्ररर गगगगगगाआऐययईईईई’

सोनी ज़ोर से चिल्लाती है और विमल को अपने उपर खींच लेती है और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगती है.

विमल खुद को थोड़ा अड्जस्ट करता है , एक कोहनी पे अपना वजन डालता है और दूसरे हाथ से सोनी के उरोज़ को मसल्ते हुए सटा सट उसे चोदने लग जाता है.

सोनी की सिसकियाँ उसके मुँह में ही दबी रह जाती हैं और जिस तेज़ी से विमल उसे चोद रहा था कमरे में जिस्मो के टकराने की आवाज़ें और सोनी की चूत से निकलती हुई फॅक फॅक की आवाज़ें अलग ही कामुक महॉल बना देती हैं.
आधे घंटे तक विमल उसकी घमासान चुदाई कर उसे अधमरा सा कर देता है और सोनी तो गिनती ही भूल जाती है अपने झड़ने की.

चुदाई के अंतिम चरण में विमल हुंकार भरता हुआ सोनी की चूत में झड जाता है और सोनी के उपर गिर कर पड़ता है.

दोनो ही अपनी साँसे संभालने लगते हैं और आनंद की अधिकरेक के कारण सोनी की आँखें मूंद जाती हैं.

इधर ये लोग अपनी चुदाई में लगे हुए थे उधर कामया और सुनीता रेस्टोरेंट में बैठी कॉफी पीते हुए आपस में बातें कर रही थी.

सुनीता : दीदी कल जो हुआ वो एक हादसा था. हमे इस बात को यहीं रोक देना चाहिए.

कामया : तू पागल है क्या, एक जवान लड़के को एक ही दिन में दो चूत मिल गई वो भी ऐसी जिन्हें दुबारा पाने में कोई ख़तरा नही – वो रुकेगा क्या.

सुनीता : वो समझदार लड़का है , हम दोनो उसे समझाएँगे.

कामया : क्या चाहती है – वो रंडियों के पास जाए – लंड को जब चूत का स्वाद मिल जाता है तो वो उसके बिना नही रह सकता. हम उसे मना कर देंगे तो वो हमे तो कुछ नही कहेगा पर घर के बाहर चूत ढूंडना शुरू कर देगा – जिसका अंजाम ग़लत भी होसकता है.

और सच कहूँ तो मेरा मन बिलकल नही मान रहा कि उसे कभी मना करूँ – उल्टा मेरा दिल तो यही चाहता है कि बस उसके नीचे ही पड़ी रहूं. जो सुख उसने मुझे दिया है वो आज तक नसीब नही हुआ.

सुनीता : क्या?

कामया : क्यूँ तुझे नही लगा – जो चुदाई जो आनंद कल विमल से मिला – वो पहले कभी नही मिला था.

सुनीता सिर झुका लेती है कोई जवाब नही देती.

कामया : चल चलते हैं, काफ़ी देर हो चुकी है, वो दोनो इंतजार कर रहे होंगे.

और दोनो होटल की तरफ निकल पड़ती हैं.
 
इधर रमेश कुर्सी पे बैठा हुआ जस्सी उर्फ रिया को निहार रहा था. जैसा कि डॉक्टर ने उसे बीमारी की वजह बताई थी, उसे दुख और पश्चाताप हो रहा था उस घड़ी पर जब उसने अपनी लड़कियों के नाम बढ़ले थे, कितना रूढ़िवादी हो गया था वो. सबसे पहले वो कामया को फोन करता है और अपनी सलामती का बता के उसे ये फ़ैसला सुना देता है कि जो उसने नाम बदलने का काम किया था वो ग़लत था और उसकी तरफ से राम्या से माफी माँगते हुए उसे फिर से सिर और सिर्फ़ राम्या ही बुलाना. रमेश के इस फोन से कामया बहुत खुश होती है, उसके कदम तेज़ी से होटेल की तरफ बढ़ जाते हैं.



रमेश उसे रिया के बारे में कुछ नही बोलता, गुनहगार वो था तो उनकी छूट को क्यूँ खराब करे और चिंता में डाले. उसे खुद पे यकीन था कि वो रिया को ठीक कर देगा, जब वो उससे माफी माँगेगा और उसे रिया कह कर ही बुलाएगा तो आधी बीमारी तो उसकी उसी वक़्त ठीक हो जाएगी.

रिया सोते हुए थोड़ा हिलती है और उसके टॉप के बटन शायद खिच कर टूट जाते हैं और रमेश की आँखों के सामने उसके ब्रा में कसे उरोज़ लहराने लगते हैं. उसकी नज़रें वहीं गढ़ जाती हैं.

रमेश बार बार अपनी नज़रें हटाने की कोशिश करता पर बार बार उसकी नज़रें रिया के उरोज़ पे टिक जाती. अपने आप से लड़ते हुए वो एक चद्दर रिया के उपर डाल देता है, ताकि उसका उधरा हुआ जिस्म चद्दर के पीछे छुप जाए .

( अब लड़कियों के वही नाम रहेंगे जो पहले थे यानी राम्या और रिया)

अभी शायद रिया को होश में आने के लिए घंटे से उपर का समय था और रमेश बैठा बैठा भी थक गया था. वो कमरे से बाहर निकल कर टहलने लगा कि उसकी नज़र रानी पे पड़ गई, गार्डेन में कुछ काम कर रही थी.

इस फार्म हाउस की देखभाल के लिए रमेश ने हरिया को रखा हुआ था और रानी उसकी बीवी थी. रानी में जवानी कूट कूट कर भरी हुई थी, उसकी मसल जांघे गदराए हुए नितंब और 38 डी के उरोज़ किसी की भी हालत खराब कर दे.

अभी रमेश खुद को रिया के हुस्न से बचा कर आया था और सामने रानी दिख गई.

‘अरे रानी कितनी देर से मैं आया हुआ हूँ, एक कॉफी तो भिजवा’

रानी चोंक कर रमेश को देखती है, अपना पल्लू सीधा करती है और अंदर की तरफ जाते हुए बोलती है ‘ अभी लाई साहब’

रानी हैरान थी, जो आदमी फार्म हाउस पे सिवाय दारू के कुछ नही पीता था आज कॉफी कैसे माँग रहा है, रानी को नही मालूम था अंदर कमरे में रिया लेटी हुई है. खैर वो किचन की तरफ बढ़ जाती है कॉफी बनाने के लिए.

थोड़ी देर में वो कॉफी ले आती है. रमेश उसके हाथ से कॉफी लेता है और गौर से उसके उरोजो पर नज़र डालता है. रानी उसकी नज़र पकड़ लेती है और सकपकाते हुए सिर झुका लेती है.
रमेश वहीं लॉन में रखी कुर्सी पे बैठ जाता है.
‘तू अंदर छोटी मेम्साब के पास बैठ जा, जब उसकी नींद खुले मुझे बुला लेना’
रानी सर झुकाए अंदर रूम में चली जाती है.
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उधर कामया और सुनीता जब होटेल पहुँचे तो विमल सोया हुआ था और राम्या बाथरूम में थी.

कामया सुनीता को दूसरे कमरे में ले जाती है और उसे वो ट्यूब देती है, कि जा कर वो इस्तेमाल कर ले. सुनीता को कुछ समझ नही आता, तो कामया दरवाजा बंद कर के सुनीता को लोवर उतारने के लिए कहती है और फिर उसकी पैंटी भी उतरवा कर उसकी चूत में अच्छी तरहा वो ट्यूब लगाती है. जैसे ही कामया वो ट्यूब लगा कर हटती है,

सुनीता को उसका असर मालूम पड़ने लग जाता है, उसे अपनी चूत अंदर से सिकुडति हुई महसूस होने लगती है और वो हैरानी से कामया को देखती रह जाती है.

फिर सुनीता अपने कपड़े ठीक करती है. कामया उसे समझा देती है कि कुछ खाने के बाद वो राम्या को लेकर निकल जाएगी और रात देर तक वापस आएगी, तब तक वो जितना चाहे विमल से चुदवाले, क्यूंकी रात तो वो खुद ही विमल के साथ बिताएगी.

सुनीता कुछ नही कहती बस कामया की बातें सुनती रह जाती है. फिर कामया उसे ले कर उस रूम में जाती है जहाँ विमल सो रहा था, तब तक राम्या तयार हो चुकी थी.

राम्या बेटा कुछ खाने के लिए मंगवा फिर बाहर चलते हैं घूमने के लिए.
राम्या हैरानी से अपनी माँ की तरफ देखती है.

‘हैरान क्यूँ हो रही है, अरे तेरे बाप को अकल आ गई है – अब से तुम अपना पहला नाम ही इस्तेमाल करोगी और सब वैसे ही चलेगा जैसे पहले था.’

राम्या खुशी से अपनी माँ के साथ लिपट जाती है.

‘चल चल अब सेनटी मत हो, जल्दी कुछ मंगवा पेट में चूहों ने हड़कंप मचा रहा है’

कामया की बात सुन कर राम्या और सुनीता दोनो हँस पड़ती हैं और राम्या फोन से खाने का ऑर्डर कर देती है.

विमल गहरी नींद सोया पड़ा था.
 
वेटर रूम में ऑर्डर ले के आता है तो कामया विमल को उठती है.
‘उठिए इंद्र महाराज – भोजन आ गया है’
‘मोम ये इंद्र कब से हो गया’ राम्या चुटकी लेती है.
‘अरे रंभा, उर्वशी, मेनका से घिरा हुआ है इंद्र ना कहूँ तो क्या कहूँ – भाई गोपी बनने का शोक नही जो इसे कृष्ण कहूँ, हम तो अप्सराएँ हैं.’
कामया की बात सुन बाकी दोनो खिलखिला उठती हैं.

सुनीता हँसते हुए पूछ ही लेती है ‘ अब ये भी बता दो कौन कौन है ‘

‘तीनो बराबर हैं – काम तो एक ही है ना – डाँवाडोल कर देना – बाकी इंद्र महाराज से पूछ लेंगे किसको क्या पदवी देता है’ और खुद ही हँस पड़ती है.

‘भाई उठ ना’ राम्या उसे हिलाती है तो उसे खींच लेता है और खुद पे गिरा लेता है.

राम्या हक्की बक्की रह जाती है कि कहीं वो कुछ शरारत ना कर दे और मासी के सामने पोल ना खुल जाए.

‘बहुत पाटर पाटर कर रही है’ कहता हुआ विमल उठता है और उसके कान खींच लेता है.

‘उूुुुउउइईईईईईईई माँ देखो भाई को’

विमल उसका कान छोड़ देता है और उठ के बैठ जाता है.

कामया : चलो भाई जल्दी खाओ फिर मैं और राम्या थोड़ा घूमने जाएँगे और सुनीता विमू के पास रहेगी.

सोनी को फिर से राम्या बुलाता सुन विमल थोड़ा चोन्क्ता है पर चुप ही रहता है – बाद में पूछ लेगा माँ से – ये सोच कर.

‘अरे मोम – चाइ नही मेरे लिए कॉफी मँगवाओ – चाइ का मूड नही’

‘हां हां अब चाइ से तेरा काम तो नही चलेगा अब तो स्ट्रॉंग स्टिम्युलेंट चाहिए तुझे’

‘क्या माँ?’

‘कुछ नही बाद में बताउन्गि’ कामया और सुनीता दोनो के चेहरे पे मुस्कान फैल जाती है.

खाने के बाद कामया राम्या को ले कर निकल जाती है और जाते जाते सुनीता को आँख मार देती है – जिसका चेहरा शर्म से लाल पड़ जाता है.
उन दोनो के जाने के बाद कमरे में एक सन्नाटा छा जाता है – शायद दोनो ही कल जो हुआ था उसे सोच रहे थे.

दोनो को ही समझ में नही आ रहा था कि क्या बोलें.

विमल बिस्तर से उठ कर सुनीता के पास जाता है और नीचे बैठ कर उसकी गोद में अपना सर रख देता है. सुनीता के हाथ अपने आप उसके सर पे चले जाते हैं और उसके सर को सहलाने लगते हैं.

कुछ देर बाद विमल सर उठा कर सुनीता की आँखों में देखता है, जिसमे ममता का सागर लहरा रहा था, वो ममता जिसने कल एक नया रूप इख्तियार कर लिया था. विमल फिर से उसी ममता के सागर में गोते लगाना चाहता था. विमल की आँखों में एक गुज़ारिश थी – जैसे कह रहा हो – फिर से मुझे वही प्यार देदो जो कल दिया था. माँ की ममता उसकी आँखों की भाषा समझ जाती है. पर खुद अपने मुँह से कैसे कह दे कि आ आगे बढ़ और करले अपने मन की पूरी.

सुनीता बस अपनी आँखें बंद कर लेती है और विमल उठ कर उसका हाथ थाम कर से बिस्तर पे ले जा कर बिठा देता है.

सुनीता के दिल की धड़कन बढ़ जाती है, उसकी साँसे तेज हो जाती हैं, उसका सीना उपर नीचे उठने लगता है, ज़ुबान सूखने लगती है. विमल उसके खूबसूरत चेहरे को निहारने लगता है और अपनी आँखों में उसकी सुंदरता को बसाने लगता है
जब कुछ देर कोई हरकत नही होती, सुनीता आँखें खोल कर देखती है, विमल बस उसे निहारे जा रहा था. शर्म से सुनीता का चेहरा लाल पड़ जाता है. और वो अपनी नज़रें झुका लेती है.

नज़रें झुकाए हुए पूछती है

‘ऐसे क्या देख रहा है ?’

‘देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हो – काश मैं आपसे शादी कर सकता’

‘चल हट पागल- जो मुँह में आ रहा है बोल देता है’

‘मासी एक बात कहूँ – आप बहुत खूबसूरत हो – अगर आप मेरी नही हो सकती तो अपनी फोटोकॉपी ढूंड देना’

‘बेवकूफ़ कहीं का’ और उसके सर पे प्यार से चपत लगा देती है.

‘मासी …….’

‘हूँ….’

‘आप को प्यार कर लूँ….’

सुनीता उसकी आँखों में देखती रह जाती है कुछ बोल नही पाती.

‘बोलो ना मासी – आप को प्यार कर लूँ’

‘एक…एक… बार माँ…कह के पुकार ले…’

विमल कुछ और कहने जा रहा था पर खुद को रोक लेता है और सुनीता की इच्छा पूरी कर देता है.

‘माँ क्या मैं तुम्हें प्यार कर सकता हूँ?’

‘हां मेरे लाल हां ‘ सुनीता खुशी से झूम उठती है और विमल के चेहरे पे अनगिनत छोटे छोटे बोसे लगाने लगती है.

उसकी बरसों की इच्छा आज पूरी हो गई, उसके बेटे ने उसे माँ बोल दिया. सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगे और वो पागलों की तरहा बस विमल के चेहरे को अपने हाथों में थाम चूमती चली गई. ना जाने कितनी देर वो विमल को चूमती रही और आँसू बहाती रही.

जब उसके दिल की भडास पूरी हुई तो विमल की छाती पे अपना मुँह छुपा लिया और सिसकने लगी.
 
विमल को समझ में नही आया कि ये क्या हुआ पर इतना ज़रूर महसूस हुआ कि कुछ तो राज है जिसका पता लगाना पड़ेगा.

विमल सुनीता के चेहरे को अपने हाथों में थामता है और उसके गालों पे अपनी ज़ुबान फेर कर उसके आँसू चाटने लगता है.

विमल की ज़ुबान आँसू चाट्ते हुए उसकी आँखों के करीब पहुँच जाती है.

‘माँ – अब कभी मत रोना – मैं हूँ ना ‘

ये आवाज़ विमल के दिल से निकली थी शायद खून खून को पहचान रहा था – दिमाग़ में उलझनें थी जिसे अभी विमल ने किनारे पे रखा हुआ था.

विमल की वाणी सुन सुनीता का रोम रोम पुलकित हो गया, उसके आँसू थम गये और वो कस के विमल से लिपट गई.

विमल ने उसके चेहरे को अपने हाथों में फिर थाम लिया और से छेड़ने के अंदाज़ में फिर बोला

‘माँ क्या मैं इन खूबसूरत होंठों को चूम लूँ?’

सुनीता के मुँह से कोई आवाज़ नही निकली, उसकी आँखें बंद हो गई, और होंठ थोड़ा खुल गये जैसे कह रहे हों आओ और चूस लो हमे.

विमल धीरे धीरे झुका और अपने होंठ बिल्कुल सुनीता के होंठों के पास ला कर रोक दिए. दोनो की गरम साँसे एक दूसरे में घुलने लगी.

विमल वहीं रुका रहा ऑरा आगे नही बढ़ा, शायद आज वो सुनीता की शरम को ख़तम कर के हमेशा के लिए उसे अपना बना लेना चाहता था.

सुनीता अपनी आँखें खोल के उसे देखती है.

‘बताओ ना माँ, क्या इन खूबसूरत मदिरा के प्यालों को चूम लूँ, चूस लूँ’

सुनीता की साँसे तेज हो जाती हैं, विमल उसे बेशर्म बनने पे मजबूर कर रहा था – एक माँ हो कर कैसे अपने बेटे को बोले आ मुझे चूम ले.

सुनीता बेबस नज़रों से उसे देखती रहती है और विमल बेशार्मो की तरहा फिर वही सवाल कर बैठता है

‘बोलो ना माँ – आज मैं चाहता हूँ, हम सच मुच में एक हो जाएँ कोई परदा ना रहे, कोई शरम ना रहे’

‘मुझे बेशर्म बनाना चाहता है – तुझे अच्छा लगेगा क्या?’ उखड़ती हुई सांसो से सुनीता पूछती है.

‘हां माँ मैं चाहता हूँ आज हम दोनो बिल्कुल बेशर्म हो जाएँ – एक आदमी और एक औरत की तरहा’

सुनीता की ममता फिर से मजबूर कर देती है – उसका बेटा जिसमे खुश उसी में उसकी खुशी – अगर वो उसे रंडी की तरहा भी रखेगा तो ये भी मंजूर’

‘घबराओ मत माँ – ये सिर्फ़ हम दोनो के बीच रहेगा – किसी तीसरे को इसकी जानकारी नही होगी – मेरा वादा है – तुम्हारी मर्यादा सबके सामने बरकरार रहेगी’

इतनी तस्सली सुनीता के लिए काफ़ी थी.

‘हाँ विमू – चूम ले मेरे होंठ – चूस ले इनका सारा रस – जी भर के चूस’

और विमल सुनीता के होंठ धीरे धीरे चूसने लग गया.

सुनीता की आँखें बंद हो गई और वो विमल के होंठों का मज़ा लूटने लगी. दोनो ही एक दूसरे के होंठ चूसने लग गये.
कल विमल ने बहुत तेज़ी दिखाई थी और आज उसमे एक ठहराव था वो सुनीता के उन तारों को छेड़ रहा था जहाँ तक रमण नही पहुँच पाया था और रमेश ने तो उसे नशे में जानवरों की तरहा चोदा था.

ना जाने विमल में इतनी मेचुरिटी कहाँ से आ गई थी कल जिस तरहा उसने कामया को अपना बना लिया था आज वही खेल वो सुनीता के साथ खेल रहा था.
विमल की ज़ुबान सुनीता के मुँह में घुस जाती है और उसकी ज़ुबान को छेड़ने लगती है. सुनीता भी अपनी ज़ुबान से उसकी ज़ुबान के साथ चोंच लड़ाने लग गई और उसकी ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया.

दोनो होंठ बदल बदल कर एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे और ज़ुबाने एक दूसरे से मस्ती मार रही थी.

सुनीता को कभी चुंबन में इतना मज़ा नही आया था जितना आज आ रहा था, उसका रोम रोम उत्तेजित हो रहा था.

सुनीता के हाथ विमल के जिस्म पे घूमने लगे और विमल ने अपने एक हाथ से सुनीता के उरोज़ को थाम लिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.
जैसे ही विमल के हाथों ने सुनीता के उरोज़ को कपड़ों के उपर ही छुआ, सुनीता पूरी तरहा से लरज उठी और उसकी चूत गीली होनी शुरू हो गई.
 
ना जाने कितनी देर से दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने में लगे हुए थे और एक दूसरे को छुड़ाने का नाम ही नही ले रहे थे. हालत यहाँ तक आ पहुँची कि साँस घुटने लगी और तड़प कर दोनो को एक दूसरे से अलग होना पड़ा. विमल सुनीता के गले पे अपने होंठ टिका कर अपनी साँसे दुरुस्त करने लगा उसके एक हाथ में अभी भी सुनीता का उरोज़ था जिसे वो आराम से सहला रहा था.

‘ओह माँ तुम कितनी अच्छी हो, आइ लव यू माँ, आइ लव यू’

‘आइ लव यू टू विमू’

‘माँ आज अपना दूध पिलाओगी ना?’

सुनीता सिहर जाती है, विमल किस तरहा एक एक कर के शर्म के सारे पर्दे फाड़ रहा था और उसे बेशर्म बना रहा था. सुनीता भी उसका दिल रखते हुए बेशर्म बनने पे उतारू हो गई. बरसों बाद जिस बेटे से मिली थी, आज वो उसकी सारी इच्छा पूरी करना चाहती थी, चाहे उसे रंडी की तरहा ही क्यूँ ना अपने आप को उसके सामने लाना पड़े.

सुनीता खुद अपने कपड़े उतार देती है और सिर्फ़ ब्रा और पैटी में रह जाती है, फिर वो विमल के सारे कपड़े उतार कर उसे सिर्फ़ अंडरवेर में रहने देती है. जहाँ एक तरफ सुनीता उसका चौड़ा बदन देखने लगी वही विमल सुनीता का सुडोल कामुक बदन निहारने लगा.

‘माँ का दूध पीना है ना – आ खोल अपनी माँ की ब्रा और निकाल मेरे मम्मे बाहर – फिर पी जितना पीना है.

विमल फट से उसकी ब्रा उतार देता है और और बढ़े प्यार से उसके दोनो उन्नत उरोजो को सहलाने लगता है, सुनीता भी उसकी चौड़ी छाती पे अपना हाथ फेरने लगती है.

सुनीता एक हाथ से उसके सर को अपने उरोज़ पे दबाती है और विमल उसके एक निपल को अपने मुँह में भर चूसने लगता है.

अहह ऊऊऊऊहह म्म्म्मoमममाआआआ

सुनीता ज़ोर से सिसक पड़ती है. उसके निपल से लहरें सीधा उसकी चूत पे आक्रमण कर रही थी, सुनीता की बेचैनी बढ़ जाती है, वो अपनी जांघों को आपस में रगड़ने लगती है.

विमल उसे बिस्तर पे लिटा देता है और एक एक कर उसके निपल्स को चूस्ता है और अपनी उंगलियों में उमेठता है.

सुनीता भावनाओं में बह जाती है
‘अहह पीले बेटा जितना पीना है पीले – कब से तड़प रही थी तुझे अपना दूध पिलाने के लिए’
‘हां माँ आज खूब पियुंगा तुम्हारा दूध’

विमल ज़ोर ज़ोर से सुनीता के निपल को चूसने लग गया

आह आह उम्म्म्मम उूउउफफफफफफफफ्फ़ हाआंन्न्ननणणन् प्प्प्प्प्पीईईईईईईईईईईईईई
और प्प्प्पीईईईईईईईई अहह आआआआअरर्र्र्र्र्ररराआाम्म्म्ममममम सस्स्स्स्स्स्स्सीईई


विमल अब निपल को छोड़ देता है और सिर्फ़ ज़ुबान फेर कर सुनीता के जिस्म के अंदर छुपी हुई तारों को छेड़ने लग ता है.


उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कययययययययाआआआआ कर रहा है


विमल पूरे उरोज़ पे अपनी ज़ुबान फेरने लग गया निपल के पास आता पर फिर दूसरी तरफ से उरोज़ पे ज़ुबान फेरने लगता, और दूसरे उरोज़ को हल्के हल्के दबाने लग गया.


सुनीता को लगता अब निपल मुँह में लेगा अब लेगा, पर विमल उसे तड़पाने लग गया


उफफफफफफफफफफफफ्फ़ ककककककचहुउऊउउस्स्स्स्स्स्सस्स न्न्मुँणन्नाआआआअ
‘क्या चुसू माँ?’
विमल सुनीता को पूरा खोलना चाहता था.

‘उफ़फ्फ़ कमीना पूरा बेशर्म बनाएगा क्या मुझे? चूस मेरी चुचि चूस, खा जा मेरी चुचि, मसल डाल मेरे मम्मे – खुश अब.

और विमल कभी उसके निपल चूस्ता तो कभी पूरे मम्मे को चाट्ता. विमल की ज़ुबान सुनीता के जिस्म में उन तरंगों को उठा रही थी जिससे वो अंजान थी, उसने कभी भी इतनी उग्र उत्तेजना को महसूस नही किया था जो विमल उसके जिस्म में धीरे धीरे सुलगती हुई आँच की तरहा भड़का रहा था.

अहह हहाआआआऐययईईईईईईईईई म्म्म्मरमममममाआआआआआआअ कककक्क्क्यययययययययययाआआआ कककककककााआअरर्र्र्र्र्र्ररर र्र्र्र्ररराआआआहहााआआ हह

सुनीता विमल के सर को ज़ोर से अपने उरोज़ पे दबा देती है, पर विमल उसे वैसे ही छेड़ता रहता है. सुनीता की चूत में खलबली मच चुकी थी और विमल बस उसके उरोज़ के साथ ही खिलवाड़ कर रहा था.

सुनीता से और सहा नही जाता और वो विमल को अपने उपर खींच कर पागलों की तरहा उसके होंठ चूसने लगती है और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ लेती है जो खंबे की तरहा खड़ा हुआ था.

विमल सुनीता से अलग होता है और अपने सारे कपड़े उतार फेंकता है. विमल का लंबा लंड सुनीता की आँखों के सामने होता है और वो हैरान हो जाती है, कल यही लंड उसने तीन बार लिया था, इतना मोटा और लंबा बाप रे, आज तो उसकी खैर नही क्यूंकी कामया ने वो दवाई लगा कर सुनीता की चूत को सिकोड के रख दिया था.

विमल फटाफट सुनीता के भी सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर देता है और विमल की नज़रें सुनीता की चूत पे जम जाती हैं जो बेचैन हो कर कुलबुला रही थी, अपने होंठ खोलती और बंद करती .

विमल सुनीता को बिस्तर पे लिटा कर अपना हाथ उसके जिस्म पे फेरता है और फिर उसकी नाभि में अपनी ज़ुबान डाल कर चाटने लगता है. एक हाथ से उसके उरोज़ को मसलता है और दूसरे को उसकी चूत पे फेरने लगता है.

सुनीता की तड़प और बढ़ जाती है, अब उससे रुका नही जाता और बोल पड़ती है

‘अब नही रहा जाता, डाल दे अंदर मुझे बहुत खुजली मच चुकी है’

‘क्या डाल दूं माँ ?’ विमल उसकी आँखों में आँखें डाल कर पूछता है.

सुनीता मुस्कुरा देती है

‘बेशर्म – अपना लंड मेरी चूत में डाल दे और चोद डाल मुझे – खुश अब’
 

‘जैसा आपका हुकुम’ और विमल सुनीता की जांघों के बीच आ कर अपना लंड उसकी चूत पे घिसने लगता है.

अहह डाल ना

विमल अपने लंड को उसकी चूत में फन्साता है और एक धक्का मार देता है

आाआईयईईईईईईईईईई सुनीता ज़ोर से चीख पड़ती है और विमल हैरान रह जाता है एक ही दिन में उसकी चूत इतनी टाइट कैसे हो गई- मुश्किल से विमल के लंड का सुपाडा ही अंदर घुसा था.

सुनीता का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया था और वो दिल ही दिल में कामया को गाली दे रही थी.

विमल सुनीता के उपर झुक कर उसके होंठ चूसने लग गया

और थोड़ी देर बंद जब सुनीता संभली तो विमल ने ज़ोर का धक्का लगा दिया, सुनीता की चूत को चीरता हुआ विमल का आधा लंड अंदर घुस गया और सुनीता बिलबिला उठी. उसकी चीख होंठों में ही दब के रह गई.

विमल सुनीता के होंठ चूस्ता रहा और उसके निपल को उमेठने लगा. धीरे धीरे

सुनीता का दर्द कम होने लगा और उसकी कमर हरकत में आ गई.

विमल अपने आधे घुसे लंड को अंदर बाहर करने लगा धीरे धीरे.

‘अहह विमू धीरे धीरे, बहुत मोटा है तेरा’

‘बस माँ थोड़ा ही बाहर रह गया है, आज तुम्हारी चूत इतनी टाइट कैसे हो गई’

‘ये मत पूछ बस धीरे धीरे चोद उफफफफफफफ्फ़ उम्म्म्म हां ऐसे ही’

विमल धीरे धीरे उसे चोदने लगा और थोड़ी देर बाद सुनीता ने खुद ही अपनी गान्ड तेज़ी से उछालनी शुरू कर दी, विमल ने भी स्पीड पकड़ली आर फिर एक तेज झटका मार कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया.

दर्द के मारे सुनीता की आँखें बाहर निकल पड़ी, जिस्म ऐंठ गया. लंड पूरा घुसा कर विमल रुक गया.

आआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

अब सुनीता की चीख ज़ोर से निकली जो शायद होटेल के दूसरे कमरों में रहने वाले गेस्ट भी सुन चुके होंगे.

विमल सुनीता के होंठ आराम आराम से चूसने लगा और उसके उरोज़ को सहलाने लगा. सुनीता की आँखों से आँसू की लड़ी बह निकली.

विमल को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका लंड किसी सन्करि गुफा में फस गया हो.

सुनीता की तो जान ही आफ़त में आ गई थी, यूँ लग रहा था उसे जैसे पहली बार लंड उसकी चूत में घुसा हो.

कुछ देर बाद सुनीता सामान्य होती है, और मुस्कुरा देती है

‘क्यूँ रे मज़ा आया ना माँ की टाइट चूत में लंड डाल कर – मेरी तो तूने जान ही निकाल दी’

‘अरे माँ तुमने तो आज कमाल ही कर दिया- ऐसा लग रहा था कि किसी कुँवारी की चूत में लंड डाला हो’

‘चल शुरू हो जा अब’

और विमल सतसट अपना लंड अंदर बाहर करने लगा

अहह उम्म्म्मममम उउउफफफफफफफ्फ़ हहाआआआईयईईईईईई


सुनीता ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी आर थोड़ी देर में वो विमल के साथ ताल से ताल मिलाने लगी

पूरे कमरे में सुनीता की सिसकियाँ गूँज रही थी, विमल को लग रहा था जैसे सन्करि गली में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा हो.

उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
लंड जब चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता सुनीता के जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगती और वो जल्दी ही झड गई. सुनीता के झड़ने के बाद उसकी चूत, बहुत चिकनी हो गई और विमल का लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा.

‘हां बेटा ज़ोर से चोद, और तेज और तेज फाड़ दे आज मेरी चूत’
उम्म्म्ममममम मज़ा आ रहा है

विमल अपनी स्पीड बढ़ा देता है, अब उसका लंड एक पिस्टन की तरहा तेज़ी से अंदर बाहर होने लगता है.

और तेज विमू और तेज, फाड़ दे आज मेरी चूत, और तेज

विमल और तेज़ी से उसे चोदने लगा और स्निता भी उसी तेज़ी से अपनी चूत उसके लंड पे मारने लगी.

हाआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आज पता चल रहा है चुदाई क्या होती है
चोद चोद और चोद

अहह माआअ मेरा निकलने वाला है

निकाल मेरे अंदर और भर दे मुझे चोद डाल मुझे
अहह मैं गाआऐययईईईईईईईईई

मैं भी आय्ाआआअ

और दोनो साथ साथ झड़ने लगे

विमल सुनीता के उपर निढाल हो गया और हाँफने लगा
सुनीता की भी साँसे बहुत तेज चल रही थी

सुनीता का मोबाइल बजने लगा, पर वो इस हालत में ही नही थी कि मोबाइल की तरफ देख भी पाती.

गहरी साँसे लेते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मोबाइल बज बज कर चुप हो गया.

विमल भी उसके उपर से हट कर उसकी बगल में लेट गया और खुद को संभालने लगा.
सुनीता को विमल के पास छोड़, कामया राम्या को ले कर ऐसे ही बाहर घूमने निकल पड़ी.
 
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