hotaks444
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थोड़ी देर बाद सोनी ने अपनी नाइटी उतार दी और सुनीता को भी नंगा कर दिया. सुनीता का गोरा कामुक बढ़न देखने के बाद उसे समझ में आ गया क्यूँ विमल सुनीता के लिए पागल हुआ जा रहा था, क्यूँ उसका बाप भी सुनीता के लिए पागल है. खैर इस वक़्त तो उसने अपनी प्यास भुजानी थी.
सोनी फिर सुनीता के होंठ चूसने लगी और अपने उरोज़ उसके उरोजो से रगड़ने लगी. सुनीता को भी इस नये खेल में मज़ा आने लगा और उसके हाथ सुनीता के जिस्म को सहलाने लगे. दोनो जोंक की तरहा एक दूसरे से चिपक गई और अपने जिस्म एक दूसरे से रगड़ने लगी. दोनो की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी .
सुनीता ने कभी लेज़्बीयन नही किया था पर उसके बारे में पता ज़रूर था. और उसे काफ़ी मज़ा आने लगा था, उसकी चूत में अभी भी विमल का वीर्य भरा हुआ था, क्यूंकी विमल के कमरे से आने के बाद वो बेसूध सो गई थी. उसे मालूम था थोड़ी देर बाद दोनो एक दूसरे की चूत को चूसना शुरू कर देंगी और जब सोनी के मुँह में उसकी चूत से विमल का वीर्य जाएगा तब…… आगे उसने सोचना छोड़ दिया … देखेंगे जो होगा.
सोनी तो पहले से ही बहुत जल रही थी, वो चाहती थी कि सुनीता ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसे और उसका सारा रस निकाल कर उसे शांत कर दे, लेकिन इससे पहले उसे सुनीता को और भी गरम करना था.
सोनी सुनीता के उरोज़ को मुँह में भर के चूसने लगी और दूसरे निपल को अपनी उंगलियों में उमेठने लगी.
अहह उउउम्म्म्मममम हहाआऐययईईईईईईई
आराम से उूुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़
सोनी इतनी ज़ोर से चूस रही थी, कि सुनीता की ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ निकलने लगी , वो इतनी गरम होने लगी कि सोनी की चूत से अपनी चूत रगड़ने लगी.
अब वक़्त आ गया था खेल को आगे बढ़ाने का, सोनी 69 के पोज़ में आ कर सुनीता की चूत को अपने मुँह में भर के ज़ुबान से छेड़ने लगी.
आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
सुनीता ने ज़ोर से सिसकारी मारी और वो भी सोनी की चूत पे टूट पड़ी.
सुनीता ने सोनी की चूत में दो उंगलियाँ घुसा दी, और जब सोनी की तरफ से कोई दर्द वाली बात नही हुई, उसे समझने में देर ना लगी कि लड़की चुदवा चुकी है. उंगलियों से उसकी चूत का मर्दन करते ही उसके क्लिट पे अपनी जीब रगड़ने लगी.
सोनी भी कम नही थी, वो सुनीता की चूत को ऐसे चूसने लगी जैसे उसके मुँह में वाक्कुम पंप लगा दिया गया हो, और सुनीता की चूत से उसके रस के साथ विमल का वीर्य भी मुँह में आने लगा. सोनी मज़े से उसे चाटती रही. विमल के वीर्य का और सुनीता के रस का मिला जुला स्वाद उसे और भड़का गया और वो सुनीता की चूत को अपने दाँतों से चुबलाने लगी.
एक लड़की इतना मज़ा दे सकती है सुनीता पहली बार महसूस कर रही थी और उसने भी ज़ोर ज़ोर से सोनी की चूत को चूसना, चुबलाना शुरू कर दिया.
दोनो एक दूसरे की चूत को एक दूसरे के मुँह पे दबा रही थी उंगलियों से पेल रही थी, ज़ुबान से चाट रही थी और बीच बीच में अपने दाँत भी गढ़ा देती.
आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे की चूत का मर्दन करती रहती हैं और दोनो एक साथ झाड़ के निढाल हो जाती हैं.
सोनी वही सुनीता से चिपक कर सो जाती है.
पागलों की तरहा गाड़ी चलाता हुआ रमेश अगले दिन दोपहर तक अपनी दूसरी बेटी – रिया यानी जस्सी के मेडिकल कॉलेज पहुँचता है.
जस्सी उस वक़्त दवाई के असर से नींद में थी.
रमेश को उसका वॉर्डन और वहाँ के डॉक्टर्स एक कमरे में ले जाते हैं.
बातों से पता चलता है कि अपना नाम बदलने के कारण और कुछ और भी बात हो सकती है, जिसकी वजह से जस्सी बहुत डिप्रेशन में आ गई थी, उसे अब बहुत ही प्यार से संभाल कर उसका कॉन्फिडेन्स वापस लाना पड़ेगा, वरना ये बीमारी ख़तरनाक साबित हो सकती है उसके लिए.
रमेश डीन से बात कर के 4 दिन के लिए जस्सी की लीव सॅंक्षन करवाता है और उसे अपने साथ फार्म हाउस ले जाता है. डॉक्टर्स के हिसाब से दवाइयों का असर 5-6 घंटे बाद ख़तम होगा.
रमेश उसे बिस्तर पे लिटा कर उसके सामने एक कुर्सी पे बैठ जाता है और टकटकी लगा कर उसके मासूम खूबसूरत चेहरे को देखता रहता है.
उधर एक तरफ रवि रात भर सो नही सका और अगले दिन घर वापस चला जाता है. घर पहुँचता है तो रमण ऑफीस के लिए जा चुका था घर पे ऋतु थी जो बेसब्री से उसका इंतेज़ार कर रही थी.
रवि को देख ऋतु उसके साथ लिपट जाती है और ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर्देति है.
रवि से उसका रोना सहा नही जाता और पता नही कितनी बार माफी माँगता है, उसे खुश करने के लिए उठक बैठक करता है तब जा कर ऋतु शांत होती है.
जब ऋतु शांत हो गई तो
ऋतु : चल बैठ मैं नाश्ता तयार करती हूँ, फिर कहीं चलते हैं.
रवि : जो हुकुम मेडम
ऋतु : देखती हूँ कितना हुकुम मानते हो मेरा.
रवि के दिमाग़ में फिर उठापटक शुरू हो जाती है.कि कहीं ऋतु फिर वही बात न छेड़ दे. वो चुप चाप सोफे पे बैठ जाता है और 10 मिनट के अंदर ऋतु नाश्ता ले आती है.
सोनी फिर सुनीता के होंठ चूसने लगी और अपने उरोज़ उसके उरोजो से रगड़ने लगी. सुनीता को भी इस नये खेल में मज़ा आने लगा और उसके हाथ सुनीता के जिस्म को सहलाने लगे. दोनो जोंक की तरहा एक दूसरे से चिपक गई और अपने जिस्म एक दूसरे से रगड़ने लगी. दोनो की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी .
सुनीता ने कभी लेज़्बीयन नही किया था पर उसके बारे में पता ज़रूर था. और उसे काफ़ी मज़ा आने लगा था, उसकी चूत में अभी भी विमल का वीर्य भरा हुआ था, क्यूंकी विमल के कमरे से आने के बाद वो बेसूध सो गई थी. उसे मालूम था थोड़ी देर बाद दोनो एक दूसरे की चूत को चूसना शुरू कर देंगी और जब सोनी के मुँह में उसकी चूत से विमल का वीर्य जाएगा तब…… आगे उसने सोचना छोड़ दिया … देखेंगे जो होगा.
सोनी तो पहले से ही बहुत जल रही थी, वो चाहती थी कि सुनीता ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसे और उसका सारा रस निकाल कर उसे शांत कर दे, लेकिन इससे पहले उसे सुनीता को और भी गरम करना था.
सोनी सुनीता के उरोज़ को मुँह में भर के चूसने लगी और दूसरे निपल को अपनी उंगलियों में उमेठने लगी.
अहह उउउम्म्म्मममम हहाआऐययईईईईईईई
आराम से उूुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़
सोनी इतनी ज़ोर से चूस रही थी, कि सुनीता की ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ निकलने लगी , वो इतनी गरम होने लगी कि सोनी की चूत से अपनी चूत रगड़ने लगी.
अब वक़्त आ गया था खेल को आगे बढ़ाने का, सोनी 69 के पोज़ में आ कर सुनीता की चूत को अपने मुँह में भर के ज़ुबान से छेड़ने लगी.
आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
सुनीता ने ज़ोर से सिसकारी मारी और वो भी सोनी की चूत पे टूट पड़ी.
सुनीता ने सोनी की चूत में दो उंगलियाँ घुसा दी, और जब सोनी की तरफ से कोई दर्द वाली बात नही हुई, उसे समझने में देर ना लगी कि लड़की चुदवा चुकी है. उंगलियों से उसकी चूत का मर्दन करते ही उसके क्लिट पे अपनी जीब रगड़ने लगी.
सोनी भी कम नही थी, वो सुनीता की चूत को ऐसे चूसने लगी जैसे उसके मुँह में वाक्कुम पंप लगा दिया गया हो, और सुनीता की चूत से उसके रस के साथ विमल का वीर्य भी मुँह में आने लगा. सोनी मज़े से उसे चाटती रही. विमल के वीर्य का और सुनीता के रस का मिला जुला स्वाद उसे और भड़का गया और वो सुनीता की चूत को अपने दाँतों से चुबलाने लगी.
एक लड़की इतना मज़ा दे सकती है सुनीता पहली बार महसूस कर रही थी और उसने भी ज़ोर ज़ोर से सोनी की चूत को चूसना, चुबलाना शुरू कर दिया.
दोनो एक दूसरे की चूत को एक दूसरे के मुँह पे दबा रही थी उंगलियों से पेल रही थी, ज़ुबान से चाट रही थी और बीच बीच में अपने दाँत भी गढ़ा देती.
आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे की चूत का मर्दन करती रहती हैं और दोनो एक साथ झाड़ के निढाल हो जाती हैं.
सोनी वही सुनीता से चिपक कर सो जाती है.
पागलों की तरहा गाड़ी चलाता हुआ रमेश अगले दिन दोपहर तक अपनी दूसरी बेटी – रिया यानी जस्सी के मेडिकल कॉलेज पहुँचता है.
जस्सी उस वक़्त दवाई के असर से नींद में थी.
रमेश को उसका वॉर्डन और वहाँ के डॉक्टर्स एक कमरे में ले जाते हैं.
बातों से पता चलता है कि अपना नाम बदलने के कारण और कुछ और भी बात हो सकती है, जिसकी वजह से जस्सी बहुत डिप्रेशन में आ गई थी, उसे अब बहुत ही प्यार से संभाल कर उसका कॉन्फिडेन्स वापस लाना पड़ेगा, वरना ये बीमारी ख़तरनाक साबित हो सकती है उसके लिए.
रमेश डीन से बात कर के 4 दिन के लिए जस्सी की लीव सॅंक्षन करवाता है और उसे अपने साथ फार्म हाउस ले जाता है. डॉक्टर्स के हिसाब से दवाइयों का असर 5-6 घंटे बाद ख़तम होगा.
रमेश उसे बिस्तर पे लिटा कर उसके सामने एक कुर्सी पे बैठ जाता है और टकटकी लगा कर उसके मासूम खूबसूरत चेहरे को देखता रहता है.
उधर एक तरफ रवि रात भर सो नही सका और अगले दिन घर वापस चला जाता है. घर पहुँचता है तो रमण ऑफीस के लिए जा चुका था घर पे ऋतु थी जो बेसब्री से उसका इंतेज़ार कर रही थी.
रवि को देख ऋतु उसके साथ लिपट जाती है और ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर्देति है.
रवि से उसका रोना सहा नही जाता और पता नही कितनी बार माफी माँगता है, उसे खुश करने के लिए उठक बैठक करता है तब जा कर ऋतु शांत होती है.
जब ऋतु शांत हो गई तो
ऋतु : चल बैठ मैं नाश्ता तयार करती हूँ, फिर कहीं चलते हैं.
रवि : जो हुकुम मेडम
ऋतु : देखती हूँ कितना हुकुम मानते हो मेरा.
रवि के दिमाग़ में फिर उठापटक शुरू हो जाती है.कि कहीं ऋतु फिर वही बात न छेड़ दे. वो चुप चाप सोफे पे बैठ जाता है और 10 मिनट के अंदर ऋतु नाश्ता ले आती है.