Adult kahani पाप पुण्य - Page 3 - SexBaba
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Adult kahani पाप पुण्य

बेवकूफ. देख तूने क्या किया. अब मैं रश्मि को क्या बोलूंगी. अरे मैं कही भागी जा रही थी. अगर आज तूने ये हरकत न की होती तो फिर कभी तुझे पूरा मर्द बना देती. गधा कहीं का.

मैंने सोचा आंटी को नाराज़ करना ठीक नहीं है. ये मुझे अपनी चूत का तोहफा दे सकती है. तो मै उनसे माफ़ी मांगने लगा.

पर आंटी ने कहा अभी चुपचाप यहाँ से निकल और दुसरे कमरे में जा कर अपने कपडे पहन. रश्मि फिर आ जाएगी. जब तक मैं अपनी हालत थोड़ी ठीक करती हूँ.

मैं दरवाजा खोल के धीरे से सरक गया और बगल वाले रूम में जाकर कपडे पहनने लगा. तभी फिर रश्मि दीदी की आवाज़ आई

अरे आंटी. जल्दी खोलो अब मुझसे रुका नहीं जा रहा. क्या कर रही हो. तभी कामिनी ने दरवाजा खोल कर कहा अरे मेरी सलवार पे पानी पद गया है वो ही सुखा रही हूँ. आजा तू मूत ले अन्दर आकर.

तुम्हारे सामने? पहले तुम बाहर जाओ. दीदी ने कहा.

अरे अब मुझसे कैसी शर्म. आ जा. आंटी ने दीदी का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा.

दीदी बाथरूम में घुस गयी और आंटी ने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया.

मैंने कपडे पहन लिए थे तो चुपचाप वहां से निकल कर बाहर ड्राइंग रूम में जा कर टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद दीदी और आंटी ड्राइंग रूम में आई और मुझे देख कर दीदी ने पुछा.
तू कब आया मोनू और दरवाजा किसने खोला

अभी अभी आया दीदी. मम्मी की चाभी मेरे पास थी तो उसी से दरवाजा खोल कर आ गया. मैंने आंटी की तरफ देखते हुए कहा जो अब मुझे देख कर फिर से मुस्कुरा रही थी. फिर वो दीदी से बोली अच्छा रश्मि अब मैं चलती हूँ.

दीदी बोली फिर आना आंटी.

हां अब तो आना ही पड़ेगा. आंटी बोली और अपने घर चली गयी और दीदी अपने रूम में ऊपर चली गयी और मैं टीवी देखने लगा.
 
इस बात को १० दिन गुजर गए पर कामिनी आंटी हमारे घर नहीं आई. हमारे बीच शर्म का पर्दा हटने से मुझे जो उम्मीद जगी थी वो अब धुंधली होने लगी. कई बार सोचा की खुद कामिनी आंटी के घर जाऊ पर फिर ख्याल आता था एक तो मैं उनके घर कभी गया नहीं और दुसरे वहां तो रिशू भी होगा अगर उसने पुछा की घर क्यों आया तो क्या बोलूँगा क्योंकि उससे तो मैं रोज़ कैफे में मिलता था तो ये भी नहीं बोल सकता की तुमसे मिलने आया हूँ. वैसे भी रिशू ने कभी मुझे अपने घर बुलाया भी नहीं था.

इधर दीदी भी बुआ के घर चली गयी थी क्योंकि उनकी छुट्टिया भी थी. मुझे लग रहा था की अगर कामिनी आंटी इस समय आ जाये तो उस दिन का अधूरा काम पूरा हो सकता है. मेरे घर में इंटरनेट तो नहीं था पर मैं रिशू से ब्लू फिल्म की सीडी ले आया था और रोज रात को दीदी के कंप्यूटर पर देखता था और आंटी के साथ बिताये उन पलों को याद करके मैं मुठ मारता था. मेरी हवस दिनों दिन बढती ही जा रही थी.

एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा आंटी के बारे में सोच रहा था की मम्मी ने मुझे नीचे बुलाया और पुछा

मम्मी: तुम्हारा कॉलेज कब से शुरू हो रहा है मोनू.

मोनू: जी १० दिन बाद, अगले महीने की ७ तारीख से. क्यों.

मम्मी: अरे तुम्हारे पापा और मुझे ५ तारीख को तुम्हारे मामा के घर जाना है. तुम्हारे नाना की प्रॉपर्टी का कुछ काम है तो मेरे भी साइन होने है. तुम्हारी दीदी भी यहाँ नहीं है. हमे ३-४ दिन लग सकते है. सेशन के शुरू में तुम्हारी छुट्टी भी नहीं करा सकते पर अकेले तुम कैसे रहोगे. तुम्हारा खाना पीना कैसे होगा.

मोनू: अरे आप कामिनी आंटी से कह दो न मैं ३-४ दिन उनके यहाँ रुक जाऊँगा.

मम्मी: हाँ ये हो सकता है. मैं तुम्हारे पापा से पूछती हूँ

और मम्मी पापा को फ़ोन मिलाने लगी. और मैं खुशी से झूमता हुआ अपने कमरे में चला गया.
 
थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे रूम में आई. उनके हाथ में एक पर्ची थी.

मम्मी: तेरे पापा ने कामिनी के यहाँ रुकने को मना कर दिया है. उन्होंने तेरी बुआ को फ़ोन कर दिया है रश्मि ४ तक वापस आ जाएगी. अब तू मेरा एक काम कर. ड्राई क्लीनर से ये कपडे उठा कर कामिनी के घर चला जा और वापस कर आ. उस दिन जब वो आयी थी तब मुझे शर्मा जी के घर की शादी में पहनने के लिए दे गयी थी.

पापा ने KLPD तो कर दी थी पर आंटी के घर जाने का मौका हाथ आ गया. मुझे आंटी का वो गर्म और नरम बदन बड़ा याद आ रहा था. काश एक बार उनको चोदने का मौका मुझे मिल जाये यही ख्याल दिन रात मेरे दिलो दिमाग में छाया था. मुझे लगा आज ही मौका है आज बिल्ली मारनी ही है.

मैंने जल्दी से दुकान जा कर कपडे उठाये और आंटी के घर की तरफ चल पड़ा. जैसे जैसे आंटी का घर नजदीक आ रहा था वैसे वैसे मेरे लंड में हलचल बढती जा रही थी. बस मैं ये मना रहा था की रिशू घर पर ना हो. आंटी अकेले में मिल जाये. मैं १० मिनट में वह पहुच गया और मैंने बेल बजाई.

मुझे उम्मीद थी की कामिनी आंटी ही दरवाजा खोलेंगी पर एक बूढी औरत ने दरवाजा खोला और पुछा कौन हो किससे मिलना है.

मोनू: जी वो कामिनी आंटी?

बूढी औरत: बहु तो बाहर गयी है.

मेरा साला प्लान चौपट हो गया. मुझे तो पता ही नहीं था की आंटी की सास भी आज कल यहीं रहती है.

जी रिशू या रिक्की कोई है. मुझे कुछ जरूरी काम था.

रिशू भी बाहर गया है. रिक्की की तबियत नहीं ठीक है वो दवाई खा कर सो रही है. कहाँ से आये हो.

जी मैं नीलम जी का बेटा हूँ. मोनू.

अरे मोनू बेटा. आओ आओ. बहु आधे घंटे में आ जाएगी. तुम अन्दर बैठ कर वेट कर लो.

मेरे मन में आशा फिर जागी और मैं अन्दर आ गया. पीछे पीछे आंटी की सास भी आ गयी. उन्होंने मुझे ड्राइंग रूम में बिठा दिया और टीवी ऑन कर दिया और बोली बेटा मैं भी जरा आराम कर लूं. कामिनी का ही वेट कर रही थी वरना सो जाती तो दरवाजा कौन खोलता. अब तू आ गया है तो एक झपकी ले लेती हूँ.

बुढ़िया का सोना मेरे प्लान के लिए बहुत अच्छी बात थी तो मैं तुरंत बोल जरूर. आप आराम से सो जाइये. मैं कामिनी आंटी के आने तक वेट करूंगा.

बुढ़िया सोने के लिए अन्दर कमरे में चली गयी. थोड़ी देर बाद मुझे प्यास लगी थी तो मैं पानी पीने सामने रखे फ्रिज की तरफ बढ़ गया. फ्रिज के बगल में एक कमरे का दरवाजा था. पानी पीते हुए मैंने कमरे के अन्दर देखा की सामने बेड पर रिक्की सो रही थी. उसके पैर कुछ इस तरह से रखे थे की उसके स्कर्ट के अन्दर उसकी लाल रंग की पैंटी दिख रही थी. ये नज़ारा देख कर मेरा लंड झटके खाने लगा.
 
मैंने मन में सोचा माँ न सकी बेटी ही सही. थोड़ी सी हिम्मत दिखा मोनू तो थोड़े मज़े तो ले ही सकता है. मैंने वापस जा कर देखा बुढ़िया आराम से सो रही थी. मैं हिम्मत जुटा के उस रूम की तरफ बढ़ गया जहाँ रिक्की सो रही थी. अब रिक्की ने करवट बदल ली थी और वो पेट के बल सो रही थी. मेरा दिल बहुत जोर से धड़क रहा था. अब रिक्की की गांड काफी उभरी हुई लग रही थी.

मैंने धीरे से कापते हाथो से उसकी स्कर्ट को ऊपर उठाया. उफ़ उसके सफ़ेद चूतर लाल पैंटी में क़यामत लग रहे थे. मैं अपनी नाक धीरे से उसकी चूत के पास ले गया और उसकी कुवारी चूत की खुशबू को उसकी पैंटी के ऊपर से सूंघने लगा. उत्तेजना से मेरा लंड फटा जा रहा था. मैंने अपना पेंट खोल कर अंडरवियर उतार दिया. एक कुवारी लड़की के कमरे में नंगा होना मेरी उत्तेजना को और बड़ा रहा था. मेरा डर अब धीरे धीरे ख़त्म हो रहा था. मैंने रिक्की के चूतरो को धीरे से किस किया. उसने कोई हरकत नहीं की.

मैंने धीरे से उसकी पैंटी कमर के पास से पकड़ी और नीचे खिसकाने की कोशिश की. आधी पैंटी तो आराम से उतर गयी पर फिर फसने लगी तो मैंने ज्यादा कोशिश नहीं की. मुझे लगा कही वो जाग न जाये.

मैंने उसके आधे नंगे चूतरो को धीरे से चाटा और किस किया. फिर धीरे से उसके पास बेड पर बैठ कर एक हाथ मैंने उसकी गांड पर रख दिया और दुसरे हाथ से अपना लंड मुठीयाने लगा.

अगर रिक्की सीधी लेती होती तो उसकी कच्चे आम जैसी चूचियो का भी थोडा मज़ा मुझे मिल जाता पर आधा घंटा बीत चूका था. अब कामिनी कभी भी आ सकती थी तो मैंने सोचा कम से कम इसके चूतरो पर अपने पानी ही गिरा ही दूं और मैं खड़ा होकर मुठ मारने लगा.

मैं झडने ही वाला था की तभी मुझे क्लिक की आवाज़ सुनाई दी. मैंने पीछे देखा तो दरवाजे के पास रिशू खड़ा था और उसके हाथ में एक कैमरा था.
 
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी. अब रिशू कमरे के अन्दर आया. मैंने जल्दी से अपने कपडे पहनने लगा. रिशू ने मेरी गरदन पकड़ ली और धीरे से बोला

रिशू: बेहेन्चोद, मेरी बहन का बलात्कार करने जा रहा था. कुत्ते अच्छा हुआ मैं लौट आया वरना पता नहीं तू क्या करता.

मोनू: नहीं रिशू भाई. मुझे माफ़ कर दो. प्लीज.

रिशू: साले मैं इस कैमरे में अभी रोल डलवा कर आ रहा हूँ और इससे मैंने तेरी फ़ोटो ले ली है. सबको तू बहुत शरीफ लगता है न. जब मैं ये फ़ोटो तेरे घर वालों को दिखाऊँगा तो वो तुझे घर से निकल देंगे.

मोनू: भाई मुझे माफ़ करदो. मैं बहेक गया था. प्लीज भाई एक बार माफ़ कर दो.

रिशू: चुप कर वरना रिक्की जाग जाएगी.

थोडा सोचने के बाद वो फिर बोला

अच्छा पहले रिक्की के कपडे ठीक कर और बाहर आ जा फिर सोचता हूँ. ये कह कर रिशू बाहर चला गया.

मैंने मन में सोचा साली किस्मत ही ख़राब है. लगता है बुढ़िया ने मेरे आने के बाद दरवाजा बंद नहीं किया. अगर रिशू की जगह कामिनी होती तो फिर भी मैं संभाल लेता. साला खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोडा बारह आना. मैंने रिक्की की पैंटी और स्कर्ट ठीक की और डरते डरते कमरे से बाहर आ गया.

रिशू कैमरे से रील बाहर निकाल रहा था. रील उसने अपनी जेब में रख ली.

मैं फिर से गिडगिडाने लगा भाई माफ़ कर दो प्लीज. तुम जानते हो मैं सिर्फ मुठ मार रहा था और कुछ नहीं कर रहा था. कसम से भाई माफ़ कर दो.

रिशू बोला सिर्फ एक शर्त पर

क्या शर्त भाई बोलो. मैंने डरते डरते पुछा.
Rishu
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Joined: 21 Mar 2016 02:07
Re: पाप पुण्य
Unread post by Rishu » 30 May 2016 01:46

चल मेरे साथ. और वो मुझे फिर से उसी कैफे में ले गया.

रिशू ने कंप्यूटर पर फिर से एक ब्लू फिल्म चला दी और मुझे अपने बगल में बिठाता हुआ बोला.

रिशू: साले कुत्ते... फ्री में गुरु से दीक्षा ले ली...गुरु दक्षिणा तो देना नहीं ऊपर से गुरु की बहन चोदने चले थे बेहेन्चोद...

और वो अपना लंड पेंट के ऊपर से खुजलाने लगा.

मैंने कोई जवाब नहीं दिया. तभी उससे एक नयी साईट खोली और एक लिंक पर क्लिक किया.

एक नयी फिल्म शुरू हो गयी जिसमे एक जवान लड़का एक जवान लड़की को घोड़ी बना कर पीछे से चोद रहा था पर दोनों इंडियन थे. इससे पहले मैंने सिर्फ विदेशी लोगो को इन फिल्मो में देखा था ये पहली बार मैंने देसी फिल्म देखी थी. डर की वजह से जो मेरा लंड बैठ गया था फिर से खड़ा होने लगा.

रिशू: देख क्या मस्त लौंडिया है. देख क्या रंडी बन कर चुद रही है .

अचानक रिशू ने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोला देख बेहेन्चोद साली के हिलते हुए चूचे देख. कितने गोल है. पता है किसकी तरह लग रही है.

रिशू ने धीरे धीरे मेरी जांघ को सहलाना शुरू कर दिया और बोला, बोल न किसकी तरह लग रही है.

मुझ पर एक नशा सा होने लगा और उसी नशे में मैंने पुछा, ...की ...किस की ...तरह ...लग रही ..है.

तेरी बड़ी बहन रश्मि की तरह...उसके भी ऐसे ही चूचे है न...वो भी नंगी ऐसी ही लगेगी...है न... बोल बेहनचोद. रिशू मेरे चहेरे के भावों को पढता हुआ बोला.
 
अपनी बहन का नाम सुन कर मुझे करंट सा लगा पर मैं रिशू ने उसकी बहन के साथ मुझे जिस हालत में पकड़ा था मैं क्या बोलता. मैं चुप बैठा रहा.

अब उस लड़के का लंड देखा है... बिलकुल मेरे लंड जैसा लग रहा है न... रिशू अपने लंड की मसलता हुआ बोला

सोच की वो लड़का मैं हूँ और वो लड़की तेरी बहन रश्मि... आह...देख कैसे चोद रहा हूँ में तेरी बहन तेरे सामने...

और रिशू ने मेरे खड़े हो चुके लंड को पकड़ कर दबा दिया. मेरा दिमाग गनगना गया.

वो फिर से बोला...बोल देखना है अपनी बहन को मुझसे चुदते हुए... आह ... बोल ...बेहनचोद. मेरा लंड हिलाता हुआ वो बोला.

मेरे मुह से डर और उत्तेजना से निकल गया... हां ...आह..देखना आह चाहता हूँ.

रिशू: तो वादा कर देगा न अपनी बहन की कुँवारी चूत मझे गुरु दक्षिणा में...

फिर रिशू ने मेरे लंड को इतने जोर से दबाया की उत्तेजना में मेरे मुह से निकला

हां...दूंगा...रिशूऊऊ भाई ईई आह इश्स...वादा करता हूँ और यह शब्द मेरे मुह से निकलने के साथ ही मेरे लंड से पानी भी निकल गया.

रिशू के चेहरे पर मेरे ये शब्द सुन कर एक विजयी मुस्कान फ़ैल गयी.
 
जिस तरह रिशू ने ये बाते बोली उससे मैं वही बैठे बैठे झड गया.

मैं थोड़ी देर निढाल होकर वही बैठा रहा और रिशू कुछ देर और क्लिप्स देखता रहा. फिर हम बाहर आ गए.

रिशू: तो बता कहाँ चोदु उसे.

मोनू: क क..किसे

रिशू: बेहनचोद अभी वादा किया और अभी भूल गया...अबे तेरी बहन रश्मि को. तू एक काम कर उसे मेरे के दोस्त के घर ले कर आजा.

मोनू: न..न..नहीं. वो अभी शहर में नहीं है पर मैं क्या बोल कर उसे लाऊँगा. मैं बाद में तुम्हे फ़ोन करके बताता हूँ..

रिशू: तेरे घर पर कंप्यूटर है न.

मोनू: हा है... पर उसमे नेट नहीं है...

रिशू: हम्म...कब वापस आयेगी रश्मि

मोनू: पक्का नहीं पता शायद ४ तारीख तक आ जाएगी.

रिशू: एक काम कर जब तेरे घर पर तेरी बहन अकेली हो तब मुझे बता देना.

मोनू: ठीक है भाई.

रिशू: सुन गांडू, तुझ पर भरोसा कर रहा हूँ. ये रील तू रख ले जिसमे तेरी फ़ोटो है पर अगर तूने मुझे धोखा देने की कोशिश की तो देख साले जिंदगी बर्बाद कर दूंगा तेरी. ऐसी गांड मारूंगा की बस कॉलेज वालेज सब धरा रह जायेगा. समझा. अब भाग यहाँ से भोसड़ी के.

मोनू: नहीं रिशू भाई. भरोसा रखो मैं फ़ोन करूंगा.

मैंने रिशू से रील ले ली और आगे जाकर एक गटर में फेंक दी. अब मुझे कुछ चैन आया और मैं अपने घर आ गया.

रात को जब मैं सोने लेटा तो मुझे नींद नहीं आ रही थी. सामने दीदी की फ़ोटो लगी थी जिसे देख कर मेरे मन कह रहा था... कितनी सुन्दर है मेरी रश्मि दीदी...एक दम परी जैसी...कितना प्यार करती हैं मुझसे और मैंने रिशू से क्या कह दिया उनके बारे में...

पर दूसरी तरफ मेरी हवस मुझसे कह रही थी कितना हसीन बदन है दीदी का...गोल चून्चिया...खड़े हुए निप्पल...रस भरे होठ...उभरे हुए चूतड...लम्बे रेशमी बाल...किसी भी मर्द का खड़ा कर दे...

एक तरफ मैं सोचता अब तो रिशू के पास रील नहीं है तो वो कुछ नहीं कर सकता...पर दूसरी तरफ सोचता अगर सच में रिशू दीदी को अपने लम्बे मोटे लंड से चोदे तो...
 
ये ही सब सोचते हुए मैं सो गया और दिन बीतने लगे. दीदी २ तारीख को ही वापस आ गयी. मेरे दिमाग में टेंशन था की कहीं रिशू को पता न चल जाये की दीदी वापस आ गयी है तो मैंने उससे मिलना बिलकुल बंद कर दिया...

जिस दिन मम्मी पापा मामा के घर गए उसी दिन रात को जब हम सोने जा रहे थे तब दीदी के बेड पर एक काक्रोच आ गया और दीदी उछल कर मेरे बिस्तर पर आ गयी.

आह मोनू काक्रोच... दीदी ने मुझे उनके बेड की तरफ इशारा किया. मैंने चप्पल फेंक कर उसे मारने की कोशिश की पर वो उड़ कर मेरे बेड पर आ गया और दीदी मुझसे आ के लिपट गयी. दीदी की तनी हुई चूचिया मेरे सीने में गड गई, दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी. मैंने अपना हाथ दीदी की कमर पर रख दिया. क्या फीलिंग थी जो मैं बयान नहीं कर सकता.

अचानक वो कोकरोच दीदी के टीशर्ट पर आकर बैठ गया. दीदी मुझसे और कस के चिपक गयी. मैंने भी दीदी को कस के चिपका लिया.

मोनू वो मेरी टीशर्ट में घुस रहा है. दीदी चिल्लाई. मैंने उसे हाथ मर कर उड़ा दिया पर दीदी ने ये नहीं देखा और मुझसे चिपकी रही. मेरा लंड दीदी के चूचियो के स्पर्श से खड़ा होकर दीदी की चूत पर उनके पैजामे के ऊपर से ठोकर मारने लगा. जब दीदी को इसका एहसास हुआ तो वो धीरे से पीछे हो गयी.

मैंने कहा की दीदी कोकरोच भाग गया तब दीदी अलग हो कर वापस अपने बेड पर चली गयी थोड़ी देर बाद जब दीदी सो गयी तो मैं नीचे आ गया और बाथरूम में जाकर दीदी की नरम चूचियो को याद करके मुठ मारने लगा. मुझे रह रह कर रिशू की वो बात याद आ रही थी की दीदी नंगी होकर एकदम उस ब्लू फिल्म वाली लड़की की तरह दिखेंगी. येही सोचते सोचते मेरा वीर्य निकला और सामने टंगे दीदी के सूट पर जा गिरा.
 
मुठ मार कर मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया.

मैं सोचने लगा क्या सच में दीदी रिशू को सेक्स करने देंगी. वो कई बार मुझसे बोल चुकी थी की रिशू उन्हें ठीक लड़का नहीं लगता और मैं उससे दोस्ती न रखू. वो तो रिशू को बिलकुल भाव नहीं देंगी पर रिशू तो उन्हें चोदने के लिए मरा जा रहा है.

पर मैं भी तो कामिनी और रिक्की को चोदना चाहता हूँ. जब मैं उसकी माँ चोदना चाहता हूँ तो वो मेरी बहन चोदने की क्यों नहीं सोच सकता. पर सोचने से क्या होता है रश्मि दीदी कामिनी आंटी की तरह चालू नहीं है.

फिर मैं अपने बेड पर आकर लेट गया. सामने दीदी सो रही थी. मेरा मन इसी कशमकश में था की मैं क्या करू.

जब भी मैं दीदी और रिशू के बारे में सोचता मेरे अन्दर एक सिहरन दौड़ जाती पर क्या दीदी रिशू का साथ देंगी.

मुझे याद आ गया सलमान, जब मुझे लगा की दीदी चुदवा लेंगी तब भी दीदी ने उसको कुछ करने नहीं दिया. पर दीदी को दुसरे आदमी के साथ देखने से मेरे अन्दर जो फीलिंग आती थी वो मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.

फिर मुझे रिशू का लंड याद आ गया. कितना बड़ा और मोटा. जब उसका लंड सख्त होकर दीदी की कुवारी चूत का मंथन करेगा तो कैसा लगेगा.

पर दीदी उसे हाथ नहीं रखने देगी. ये ही सब सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी. मुझे पता ही नहीं चला. सुबह जब मैं उठा तो मैंने सोचा की मैं एक बार रिशू को समझाने की कोशिश करके देखता हूँ.
 
करीब ९ बजे मैंने रिशू का नंबर डायल किया. दो बार बेल बजी और रिक्की ने फ़ोन उठाया...

हेलो रिशू है. मैं मोनू बोल रहा हूँ. मैंने पुछा

एक मिनट होल्ड करना. रिक्की बोली.

१ मिनट बाद रिशू ने फ़ोन उठाया और बिना कुछ सुने ही बोला, मैं १० बजे तक आ जाऊँगा.

अरे सुनो तो जल्दी मत करो. मैंने बोला पर मेरी बात सुनने से पहले ही उसने फ़ोन काट दिया था.

उसको लगा होगा की घर पर दीदी अकेली है इसी लिए मैंने फ़ोन किया है.

मैंने फिर से फ़ोन लगाया. फिर रिक्की ने उठाया और कहा भैया तो आपसे बात करके बाहर निकल गए. अब मैं परेशान हो गया.

तब तक दीदी की आवाज़ आई. किस्से बात कर रहा था. कही जा रहा है क्या.

अब मैं उन्हें क्या बताता. दीदी वो रिशू आने के लिए बोल रहा था. उसकी एक बुक मेरे पास आ है वो ही लेने आ रहा है. मैं बात संभालता हुआ बोला.

मोनू मैंने पहले भी तुमसे कहा है वो लड़का ठीक नहीं है फिर तूने उसे घर क्यों बुलाया. दीदी बोली.

नहीं नहीं दीदी रिशू दिल का अच्छा लड़का है. बस पढाई में थोडा कमज़ोर होने की वजह से एक दो बार फेल हो गया वरना ऐसी उसमे कोई ख़राब बात नहीं है. मैंने जवाब दिया.

कुछ भी हो उसको जल्दी से चलता कर देना. बोल कर दीदी किचन में चली गयी.

इधर दीदी को रिशू में कोई इंटरेस्ट नहीं है और उधर वो ऐसे आ रहा है जैसे की दीदी टाँगे फैलाये चूत पसारे उसके लंड का इंतज़ार कर रही है.

मुझे अब उसके ऊपर गुस्सा भी आ रहा था की बिना मेरी बात सुने वो मेरे घर आने के लिए निकल पड़ा. पता नहीं आगे क्या होगा.
 
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