Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन - SexBaba
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Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन

hotaks444

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Nov 15, 2016
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चुदने को बेताब पड़ोसन

दोस्तों, मेरा नाम राज शर्मा है। अभी मैं दिल्ली में एक फ्लैट लेकर अकेला रहता हूँ। मेरी उम्र 27 साल, लम्बाई 56 इंच है, और यह कहानी 4 साल पुरानी, सर्दियों के दिनों की है, जब मैं दिल्ली के जमरूदपुर इलाके में किराए के मकान में अपने दोस्त के साथ रहता था।
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वह पूरा चार-मंजिला मकान किराएदारों के लिए ही बना हुआ था। इसलिए मकान-मालकिन वहाँ नहीं रहती थी। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। सभी के लिए टायलेट, बाथरूम और पानी भरने के लिए एक ही जगह बनी थी। जो ठीक जीने के साथ मेरे कमरे के सामने थी। एक फ्लोर में 5 कमरे थे और चारों फ्लोर किराएदारों से भरे हए थे। जिनमें अधिकतर परिवार वाले ही रहते थे।

कहानी यहीं से शुरू होती है। मेरे कोने वाले कमरे में एक उड़ीसा की भाभी, कल्पना अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। जिसकी उम्र 22 साल, लम्बाई 56” फिट थी, वो देखने में काफी सुन्दर और मनमोहनी थी, दो बच्चे होने पर भी उसका फिगर मस्त था।

उसका पति शादी और पार्टियों में खाना बनाने का ठेका लेता था। इसलिए वह अक्सर दो-तीन दिन तक घर से बाहर ही रहता था। वह सारा दिन मेरे कमरे के सामने जीने में बैठकर बाकी औरतों से बातें करती रहती थी। वो उन औरतों से बातें करते समय मुझे चोर नजरों से देखती रहती थी।

मैं और मेरे दोस्त की शिफ्ट में इयूटी होने के कारण हम जल्दी ही कमरे में आ जाते थे। या कभी देर में जाते थे। वो मुझसे कुछ ही दिनों में जल्दी ही खूब घुलमिल गई थी।

कुछ दिन बातें करते हुए एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?

मैंने मना कर दिया, साथ ही मैंने बात भी बदल दी। पर दूसरे दिन उन्होंने फिर वही सवाल पूछा तो मैंने कहा“आप हो तो गर्लफ्रेण्ड की क्या जरूरत?”

वो शर्मा गई।
मैंने अपना नम्बर उन्हें यह कहकर दे दिया कि कभी बाजार से कोई सामान मंगवाना हो तो मुझे बता देना। मैं ले आऊँगा।


धीरे-धीरे हमारी फोन पर बातें होने लगीं। एक दिन कपड़े धोते समय उन्होंने शरारत करते हुए मेरे ऊपर पानी डाला और भागने लगीं। मैंने तुरन्त उनका हाथ पकड़ा और उन्हें भी भिगो दिया।

वो जल्दी से हाथ छुड़ाकर बोली- “बेशरम..” और अपने कमरे में भाग गई और वहाँ से मुश्कुराने लगी।

अगले दिन वो मुझे फिर छेड़ने लगी।

मैंने कहा- भाभी मुझे बार-बार मत छेड़ा करो। नहीं तो मैं भी छेडूंगा।

भाभी- “तो छेड़ो ना, किसने मना किया है..” यह कहते हुए वो मुश्कुराने लगी।
 
मैंने इधर-उधर देखा। सभी दिन में आराम कर रहे थे। बाहर कोई नहीं था। मेरा दोस्त भी ड्यूटी गया था। मौका अच्छा था। मैंने उनको लपक कर पकड़ लिया और उनका एक मम्मा सूट के ऊपर से ही दबा दिया। उनके मुँह से एक 'आह' निकली। मैंने फिर दूसरे मम्मे को भी जोर से मसल दिया।

भाभी बोली- “क्या करते हो? कोई देख लेगा...”

मैं समझ गया कि भाभी का मन तो है। पर इर रही हैं। मैं उन्हें खींचते हुए सामने बाथरूम में ले गया। दरवाजा बंद करके उन्हें बाहों में भर लिया और बोला- मेरी गर्ल फ्रेण्ड बनोगी भाभी?

भाभी ने मादकता भरे स्वर में कहा- “मैंने कब मना किया...”

इतना सुनते ही मैंने उनके गालों और होंठों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

भाभी- हटो, यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- गर्लफ्रेण्ड को चुम्मी कर रहा हूँ।

भाभी इठलाते हुए बोली- कोई ऐसा करता है भला?

मैं कहाँ मानने वाला था। चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा।

वो गरम होने लगी। पर बार-बार ‘ना... ना मत करो' कह रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी आवाजें निकालने लगी।


फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चुम्बन करने लगी। मैंने उनके पाजामे का नाड़ा खोल दिया और हाथ अन्दर ले गया तथा पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत बहुत ज्यादा गरम हो रही थी। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।

उन्हें मजा आने लगा। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। मैंने तुरन्त अपने होंठ उनके होंठों से लगा लिए और उनका हाथ पकड़कर अपने पैन्ट के ऊपर से ही लण्ड पर रख दिया। जो कि अब तक राड जैसा सख्त हो गया था।

वो भी मतवाली होकर मेरी चैन खोलकर मेरा लण्ड सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में उनकी में से पानी रिसने लगा।

मैं जोर-जोर से अंगुली करने लगा। अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा गरम हो गए थे। पर इर भी रहे थे कि कोई
आ ना जाए।

थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से पानी चूने लगा। वो झड़ने के बाद निढाल सी होते हुए बोली- “प्लीज राज अब मत करो मैं पागल हो जाऊँगी...”

मैं उसके चूतरस से भीगी ऊँगली को चूसता हुआ बोला- “भाभी मजा आया?”

वो बोली- बहुत ज्यादा।

मैं बोला- और मजे लोगी?

वो बोली- यहाँ नहीं, इधर हम पकड़े जाएगें बाकी बाद में। आज रात को करेंगे।

मैं- भाभी मैं कब से तड़प रहा हूँ। अभी इसे शान्त तो करो।

भाभी मुश्कुरा कर बोली- “इसे तो मैं अभी शान्त कर देती हूँ, बाकि बाद में। सब्र करो... सब्र का फल मीठा होता है...” वो झुक गई और मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मुँह को आगे-पीछे करने लगी। मैंने फिल्मों में ऐसा तो दोस्तों के साथ बहुत देखा था। पर मैं पहली बार ये सब कर रहा था। बड़ा मजा आ रहा था, पर डर भी रहा था। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा लावा उनके मुँह में भर दिया।

जिसे वो पी गई और बोली- “तुम्हारा माल तो बहुत ज्यादा निकलता है और बहुत गाढ़ा और टेस्टी भी है। आज
के बाद इसे बरबाद मत कर देना...” उन्होंने चाटकर पूरा लिंग साफ कर दिया।

फिर हमने फटाफट कपड़े ठीक किए और जाने से पहले एक-एक चुम्मी ली और एक-एक करके बाथरूम से बाहर
आ गए। हम दोनों ने रात में मिलने का वादा किया था।
* * *
 
कुछ देर बाद मैंने भाभी को फोन किया और पूछा- भाभी कैसा लगा, मजा आया?

भाभी बोली- मेरे पति घर से तीन-तीन दिन तक गायब रहते हैं और तुमने मेरी प्यास और बढ़ा दी है। अब इस प्यास को कब बुझाओगे?

मैंने कहा- अभी आ जाऊँ?

भाभी- अभी मरवाओगे क्या? अभी नहीं, मैं रात को काल करूंगी।

मैं रात का इन्तजार करने लगा। मैंने अपना फोन साईलेन्ट मोड में डाल दिया ताकि दोस्त को पता ना चले। रात को दोस्त भी आ गया, हमने साथ-साथ खाना खाया। पर भाभी का फोन नहीं आया। मैं परेशान हो गया और टीवी देखने लगा।

दोस्त बोला- यार कल मुझे सुबह 6:00 बजे ड्यूटी जाना है। तुझे कब जाना है?

मैंने कहा- कल मैं दोपहर में जाऊँगा इसलिए अभी एक फिल्म देगा।

दोस्त ने कहा- आवाज कम करके देख और मुझे सोने दे।

मैंने कम आवाज की और फोन का इन्तजार करते हुए फिल्म देखने लगा। जब 11:50 तक भी फोन नहीं आया। तो मैं भी सोने की तैयारी करने लगा। रात को 12:30 बजे, जब सभी गहरी नींद में सो गए और मुझे भी नींद आने ही लगी थी, कि तभी मेरे फोन पर भाभी का मैसेज आया कि छत पर मिलो।

सर्दी के दिन थे। रात में छत पर कोई नहीं जाता था। मैंने तेज खांसकर चैक किया कि दोस्त सोया है कि नहीं, वह गहरी नींद में था। मैं चुपचाप उठा। बाहर देखा कोई नहीं था। सभी अपने-अपने दरवाजे बंद करके कबके सो चुके थे। जब मैं छत पर पहुँचा। भाभी वहाँ पहले से ही खड़ी थी।

भाभी- “बच्चे अभी सोये हैं, मैं उन्हें ज्यादा देर अकेला नहीं छोड़ सकती, प्लीज राज, जो भी करना है। जल्दी करो...”

मैं- पर भाभी, यहाँ पर कैसे?
भाभी- ये देखो, मैंने आज दोपहर में ही एक गद्दा छत पर सूखने डाला था। जिसे मैं नीचे नहीं ले गई। यहीं पर
मैं- भाभी आप तो बहुत तेज हो।
भाभी चुदासी सी बोल पड़ीं- “जब नीचे आग लगी होती है तो तेज तो होना ही पड़ता है। अब जल्दी से वो कोने में ही गद्दा बिछाओ और जो दो टीन की चादरें रखी हैं। उनको दीवार के सहारे लगाओ।

मैंने फटाफट बिल्कुल कोने में जीने से दूर गद्दा बिछाया और उसे दीवार के सहारे टीन की चादरें लगाकर ऊपर से ढक दिया। छत पर पहले से ही बहुत अंधेरा था। फिर भी कोई आ गया तो चादरों के नीचे कोई है, ये किसी को दिखाई नहीं देगा।
मैं भाभी के दिमाग को मान गया। भाभी रात में कोई झंझट ना हो इसलिए वो साड़ी पहनकर आई थी। मैंने भाभी को लेटने को कहा और खुद उनके बगल में लेट गया और धीरे-धीरे उनके मम्मे दबाने लगा।
भाभी तो पहले से ही बहुत गरम और चुदासी थी। वो सीधे मेरे से चिपट गई और मेरा लौड़ा पकड़ते हुए बोलीप्लीज राज, जो भी करना है जल्दी करो। मैं बहुत दिनों से तड़प रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दो...”
मैंने कहा- जरूर भाभी, पहले थोड़ा मजे तो ले लो।
उन्होंने मुझे पूरे कपड़े नहीं उतारने दिए, कहा- “फिर कभी मजे ले लेना। आज जो भी करना है, फटाफट करो। मैं अब ये आग नहीं सह सकती..."
फिर भी मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा को ऊपर उठाकर उनके निप्पल चूसने लगा। दूसरे हाथ से उनके पेटीकोट को ऊपर करके पैन्टी उतार दी और उनकी चूत सहलाने लगा। वहाँ तो पहले से ही रस का । दरिया बह रहा था, उन्हीं की पैन्टी से चूत साफ की और जीभ से चूत चाटने लगा, उन्हें मजा आने लगा। फिर हम 69 अवस्था में आ गए और वो भी मेरा लण्ड चूसने लगी। जब उन्हें मजा आने लगा तो वो तेज-तेज मुँह चलाने लगी।
मैंने मना किया- “ऐसे तो मेरा माल गिर जाएगा...”
तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा लिया और किसी रांड की तरह टांगें चौड़ी करते हुए बोली- “राज अब मत सताओ, आ जाओ। मेरी चूत का काम तमाम कर दो...”
 
मैं भी देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड उनकी चूत में लगाने लगा। मेरा लौड़ा बार-बार चूत के छेद से फिसल रहा था।
उन्होंने लण्ड हाथ से पकड़कर चूत के मुहाने पर रखा और कहा- “अब धक्का लगाओ...”
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो उनके मुँह से एक चीख निकल गई। मैंने तुरंत अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए और थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने होंठ हटाए और पूछा- “चिल्लाई क्यों?"
भाभी बोली- “तुम्हारे भैया ने मुझे अपने काम के चक्कर में तीन महीनों से नहीं चोदा है और तुम्हारा उनसे लम्बा और मोटा है। इसलिए दो बच्चों की माँ होने पर भी तुमने मेरी चीख निकाल दी..."


मैं- बोलो, अब क्या करना है?
भाभी- अब धीरे-धीरे धक्के लगाओ।
थोड़ी देर में मुझे भी और भाभी को भी मजा आने लगा। मैंने स्पीड बढ़ा दी।
भाभी- “आह्ह... आह... ओह... ओह... आह... और जोर से राज आह्ह... और जोर से ओह्ह... मैं कब से तड़फ रही थी राज। आज मेरी सारी प्यास बुझा दो राज... बहुत मजा आ रहा है... राज, फाड़ दो मेरी चूत आज
ओह... बहुत सताया है इसने मुझे... आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो राज। चोदो... और जोर से आह्ह... आहह..." उनके चूतड़ों का उछल-उछलकर लण्ड को निगलना देखते ही बनता था।
मैं- मेरा भी वही हाल था भाभी। जब से तुम्हें देखा है, रोज तुम्हारे नाम की मुठ मारता था।
भाभी- “अब कभी मत मारना। जब भी मन करे, मुझे बता देना। पर अभी और जोर से राज... रगड़ दो मुझे...
आहह...”
छत पर हमारी तेज-तेज आवाजें गूजने लगीं। पर सर्दी की रात होने के कारण डर नहीं था और हम दोनों एकदूसरे को रौंदने लगे। मैं पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और भाभी नीचे से गाण्ड उठा-उठाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी अकड़ते हुए बोली- “मेरा होने वाला है। तुम जरा जल्दी करो...”
कुछ धक्कों के बाद मैंने भी कहा- “मेरा भी निकलने वाला है...”
भाभी बोली- अन्दर मत गिराना। मेरे मुँह में गिराओ। मैं तुम्हारी जवानी का रस पीना चाहती हूँ।
मैंने फटाफट अपना हथियार निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। लौड़े से दो-चार धक्के उनके मुँह में मारने के बाद लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। भाभी ने मेरा सारा रस निचोड़ लिया और लण्ड को चाटकर अच्छे से साफ भी कर दिया।
हम दोनों बहुत थक गए थे।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद भाभी बोली- “राज, तुमने मुझे आज बहुत मजा दिया। इसके लिए मैं कब से तड़प रही थी। मेरे पति जब भी आते हैं थक-हारकर सो जाते हैं और मेरी तरफ देखते भी नहीं। मेरी 18 साल में शादी हो गई थी और जल्दी ही दो बच्चे भी हो गए। पर अभी तो मैं पूरी जवानी में आई हैं। उन्हें मेरी कोई फिक्र ही नहीं है। राज तुम इसी तरह मेरा साथ देना...”
मैं- ठीक है भाभी, चलो एक राउण्ड और हो जाए। अभी मन नहीं भरा।


भाभी- अरे नहीं, अभी और नहीं, अब तो मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। अभी तो खेल शुरू हुआ है, सब्र रखो, सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने हँसते हुए कहा- “हाँ... वो तो मैंने चख कर देख लिया। बहुत मीठा था। हाहाहा...”
भाभी- चलो अब जल्दी नीचे चलो। कहीं बच्चे जाग ना जाएं। नहीं तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी। बाकी कल का पक्का वादा।
मैं- अच्छा चलो एक चुम्मा तो दे दो।
भाभी ने जल्दी से होठों पर एक चुम्मा दिया। मैंने तुरंत उनके मम्में दबा दिए। भाभी ने एक प्यारी सी 'आह' निकाली और कल मिलने का वादा करके अपने कमरे में भाग गईं।
भाभी को मैंने लगातार छः माह तक खूब चोदा।।
 
फिर उनका इस फ्लैट से किसी वजह से जाना तय हो गया तो मैंने उन्हें अपने लौड़े के लिए कोई इंतजाम के लिए कहा तो भाभी ने कमरा छोड़ते वक्त मुझे बताया कि मकान मालकिन तेज है और प्यार को तड़फ रही है। इसलिए अब मैंने अपना सारा ध्यान मकान मालकिन की तरफ लगाना शुरू कर दिया।
इस बार किराया देने मैं उसके घर गया। उसने अपने बालों में मेहंदी लगा रखी थी इसलिए बाहर बरामदे में बैठी
थी। उनके पास जाने का रास्ता कमरे के अन्दर से जाता था।
मैंने आवाज दी तो बोली- “यहाँ बरामदे में आ जाओ...” उसने सलवार-सूट पहना हुआ था। उम्र कोई 45 साल की होगी। पर 35 साल से ऊपर की नहीं लग रही थी।
उसका गठीला बदन था और भरी-पूरी जवानी थी, उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और उसके साथ उसका एक लड़का और एक लड़की थे। दोनों इस समय कालेज गए हुए थे।
मैं- भाभी अन्दर आ जाऊँ?
मकान मालकिन क्यों रे... तुझे मैं भाभी नजर आ रही हूँ?
मैं- भाभी को भाभी ना कहूँ तो क्या कहूँ?
मालकिन- मेरी उम्र का तो ख्याल कर जरा?
मैं- “क्यों 30 साल की ही तो लग रही हो...” मैंने झूठ बोला।


मालकिन- अच्छा, झूठ मत बोल।
मैं- नहीं भाभी, झूठ नहीं बोल रहा हूँ। आप तो इस उमर में भी हर मामले में जवान लड़कियों को फेल कर दोगी।
वो भी हँसने लगी।
मालकिन- “बोल, क्यों आया है?”
मैं- भाभी किराया देना था।
मालकिन- ठीक है, वहाँ सामने टेबल पर रख दे। मैं बाद में उठा लूंगी। अभी मैं जरा अपने बाल सुखा हूँ।
मैंने भी पैसे टेबल पर रख दिए और चलने लगा- “अच्छा भाभी चलता हूँ। मैंने आपको भाभी कहा आपको बुरा तो नहीं लगा?”
मालकिन- नहीं, बुरा क्यों मानूंगी। चल अब जा।
फिर मैं किसी ना किसी बहाने से उसके घर जाने लगा। धीरे-धीरे हमारी बोलचाल बढ़ गई और हम आपस में । मजाक भी करने लगे। जिसका वो बुरा नहीं मानती थी। मेरी बातचीत में अब ‘आप’ की जगह 'तुम' ने स्थान ले लिया था। एक दिन मैंने कहा- “तुम चाय तो पिलाती नहीं। कभी मेरे कमरे में आओ, मैं तुम्हें चाय पिलाऊँगा...”
मालकिन- अच्छा ठीक है, कब आऊँ बता?
मैं- “तुम्हारा अपना मकान है। जब चाहो आओ, सुबह, दोपहर, शाम, रात, आधी रात, तुमको कौन रोकने वाला है...” यह कहकर मैं हँसने लगा।
मालकिन- “चलो, कल सुबह आऊँगी..” अब वो धीरे-धीरे मेरे कमरे में आने लगी और चाय पीकर जाने लगी। इस बीच, हम मजाक के बीच में आपस में छेड़खानी भी करने लगे। जिसमें उसे बहुत मजा आता था।
मुझे लगने लगा था कि अब इसकी चुदाई के दिन नजदीक आने वाले हैं और यह जल्दी ही मेरे लण्ड के नीचे । होगी। एक बार मेरा दोस्त एक हफ्ते के लिए गाँव गया था। जिसके बारे में मैं उसे बातों-बातों में बता चुका था। एक दिन मैं शाम को अकेला था, सारे पड़ोसी पार्क में घूमने गए थे।
वो आई और बोली- राज क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं भाभी, अकेला बैठा बोर हो रहा हूँ, आओ चाय पीकर जाओ।
मालकिन- नहीं, बच्चे टयूशन गए हैं अभी एक घण्टे में वापस आ जाएंगे। मैं भी चलती हैं।
 
मैं- चाय बनने में घण्टा थोड़े ही लगता है। सिर्फ 5 मिनट की बात है। आ जाओ ना।
वो मान गई और चारपाई पर बैठ गई।
मैंने चाय बनाकर दी और उनके बगल में बैठकर चाय पीने लगा। उन्हें बगल में देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था। पर उन्हें चोदने का उपाय मेरे दिमाग में नहीं आ रहा था। फिर भी मैंने बात शुरू की। शायद आज पट ही जाए। मैंने कहा- “भाभी एक बात पूछू, बुरा तो नहीं मानोगी?
मालकिन- पूछो... क्यों बुरा मानूंगी भला?
मैं- भाभी, तुम दिन पर दिन जवान और खूबसूरत होती जा रही हो। इसका क्या राज है?
वो शर्माने लगी- “नहीं तो। ऐसी कोई बात नहीं। ऐसा तुम्हें लगता है?”
मैं- “नहीं भाभी, मैं सच बोल रहा हूँ। अब तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। जी करता है कि....”
मालकिन ने मेरी तरफ मस्ती से देखते हुए कहा- क्या जी करता है तेरा राज?
मैं- “कि तुमको बाँहों में भरकर तेरे लबों को चूम लँ..”
मालकिन- राज, तुझे ऐसी बातें करते शरम नहीं आती? तू जरूर मार खाएगा आज।
मैं- अरे भाभी, जो मन में था, वो बोल दिया। अगर सच कहने में मार पड़ती है तो वो भी मंजूर है। पर मारना तुम ही।
मालकिन- साले, तू बड़ा बदमाश हो गया है। बस अब मैं चलती हूँ।
मेरा तो दिमाग खराब हो गया। अपने से तो कुछ हुआ नहीं। इसलिए मन ही मन ऊपर वाले से दुआ माँगी कि कुछ ऐसा कर दे कि ये खुद मेरे लण्ड के नीचे आ जाए। कहते है ना कि सच्चे मन से किसी की लेनी हो तो वो मिलती ही है।
वो जैसे ही उठने को हुई। पता नहीं कहाँ से उनके सूट के अन्दर चींटी घुस गई। उन्होंने उसे निकालने के लिए अपना हाथ सूट के अन्दर डाला तो चींटी पीछे को चली गई।
मालकिन- राज कोई कीड़ा मेरे सूट के अन्दर चला गया है और मेरी पीठ पर रेंग रहा है। उसे निकाल दो प्लीज।
मैं- भाभी, उसके लिए मुझे अपना हाथ तुम्हारी पीठ पर लगाना होगा। तुम कहीं नाराज ना हो जाओ।


मालकिन- राज मजाक नहीं करो। उसे जल्दी निकालो। कहीं वो मुझे काट ना ले।
मैं उनके ठीक सामने खड़ा हो गया और हाथ को उनके सूट के अन्दर डालकर उनकी पीठ पर फिराने लगा। बड़ा अजीब सा मजा आ रहा था। कितने सालों के बाद उन्हें भी मर्द का हाथ मिल रहा था। उन्हें भी अच्छा लग रहा
था।
मालकिन- राज कुछ मिला?
मैं- “नहीं भाभी। ढूँढ़ रहा हूँ...”
तभी चींटी ने उनकी पीठ पर काट लिया। वो मुझसे चिपक गई- “उई.. राज, उसने मुझे काट लिया। प्लीज... जल्दी बाहर निकालो उसे...”
मैं- “पर भाभी, वो मिल नहीं रही है..” मैंने हाथ फेरना चालू रखा। मेरी साँसें उनकी साँसों से टकरा रही थीं।
मालकिन- राज, वो आगे की तरफ रेंग रही है। जल्दी कुछ करो।।
मैं- भाभी, तब तो तुम सूट उतारकर उसे एक बार अच्छी तरह से झाड़ लो कहीं ज्यादा ना हों।
मालकिन- तुम्हारे सामने कैसे?
मैं- तो क्या हुआ? मैं दरवाजा बंद कर लेता हूँ और मुँह फेर लेता हूँ।
मालकिन- ठीक है तुम मुँह उधर फेर लो।
मैंने दरवाजा बंद किया और मुँह फेरकर खड़ा हो गया। नीचे फर्श पर देखा तो चीनी का डब्बा खुला होने के कारण बहुत सारी चींटियां जमीन पर घूम रही थीं। मुझे अपना काम बनाने की एक तरकीब सूझी, मैंने चार-पांच चींटियां उठाई और मुट्ठी में बंद कर लीं।
मालकिन उसमें तो कुछ भी नहीं है।
मैं- भाभी यहाँ देखो बहुत सारी चींटियां हैं शायद सलवार के सहारे चढ़ गई हों। आप मुँह फेर लो मैं देख लेता हूँ।
वो मुँह फेरकर खड़ी हो गई तो मैंने चेक करने के बहाने पीछे से उनकी सलवार को थोड़ा सा खींचा और मुठ्ठी में दबाई हुई चींटियां उसके अन्दर डाल दीं। जो जल्दी ही अन्दर घुस गईं।
मैं- भाभी, तुम्हारी कमर पर और पीठ पर चींटी ने काटा है। पीठ लाल हो गई है। तुम कहो तो तेल लगा दें। दर्द कम हो जाएगा।


उनके ‘हाँ' कहते ही मैंने तेल लगाने के बहाने उनकी पीठ और कमर को सहलाना शुरू कर दिया। उन्हें भी अच्छा लग रहा था।
मैं- “भाभी, तुम्हारी ब्रा को पीछे से खोलना पड़ेगा। नहीं तो उसमें सारा तेल लग जाएगा। तुम आगे से उसे हाथ से पकड़ लो। मैं पीछे से इसे खोल रहा हूँ...”
“ठीक है...” वो बोली।
मैंने उनकी ब्रा खोल दी। जिसे उन्होंने आगे से हाथ लगाकर संभाल लिया। मैं पूरी पीठ पर और कमर पर आराम से तेल लगा रहा था। जिससे उन्हें आराम मिल रहा था। तभी नीचे सलवार में डाली चींटियों ने काम करना शुरू कर दिया। वो दोनों टाँगों से बाहर आने का रास्ता ढूँढने लगीं।
मालकिन- हाय राम... लगता है चींटियां सलवार के अन्दर भी हैं। वो पूरी टांगों पे रेंग रही हैं।
मेरा काम बनने लगा था। मैंने कहा- भाभी, तब तो तुम जल्दी से सलवार भी उतारकर झाड़ लो। कहीं गलत जगह काट लिया तो... तुमको दर्द के कारण अभी डाक्टर के पास भी जाना पड़ सकता है।
मालकिन- “मैं इस वक्त डाक्टर के पास नहीं जाना चाहती। वैसे भी कुछ देर में बच्चे आ जायेंगे। सलवार ही उतारनी पड़ेगी। पर कैसे? मैंने तो अपने हाथों से ब्रा पकड़ रखी है..." ।
मैं- “भाभी, तुम चिन्ता ना करो। मैं तुम्हारी मदद करता हूँ..” मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार फिसल कर नीचे गिर गई। उनकी लाल पैन्टी दिखाई देने लगी। मैं पैन्टी को ही देखे जा रहा था और सोच रहा
था कि अभी कितनी देर और लगेगी... इसे उतरने में। कब इनकी चूत के दर्शन होंगे।
* * * * *
 
मकान मालकिन- राज क्या देख रहे हो? जल्दी से मेरी सलवार झाड़ो और मुझे पहनाओ।
मैंने उनके पैरों से सलवार निकाली और उसे तीन-चार बार झाड़ा। मैंने सोचा ऐसे तो काम बनेगा नहीं। मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। नहीं तो हाथ आई चूत बिना दर्शन के ही वापस जा सकती है। मैं चिल्लाया- “भाभी, दो चींटियां तुम्हारी पैन्टी के अन्दर घुस रही हैं। कहीं तुमको ‘उधर' काट ना लें..”
मकान मालकिन- राज, उन्हें जल्दी से हटाओ नहीं तो वो मुझे काट लेंगी। पर खबरदार पैन्टी मत खोलना।
मैं- “ठीक है भाभी..” मैंने जल्दी से सलवार एक तरफ फेंकी और उनके पीछे जाकर अपने हाथ उनके आगे लेजाकर उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
मालकिन- ओह्ह... राज, यह क्या कर रहे हो तुम?


मैं- भाभी, तुमने ही तो बोला था कि पैन्टी मत खोलना। चींटियां तो दिख नहीं रही हैं। इसलिए बाहर से ही मसल रहा हूँ। ताकि उससे अन्दर गई चींटियां मर जाएँ। तुम थोड़ा धैर्य तो रखो।
मालकिन- ठीक है, करो फिर।
मैं एक हाथ से उनकी टाँगों के बीच सहला रहा था। दूसरे हाथ से उनकी कमर पकड़े था। ताकि बीच में भाग ना जाएं। धीरे-धीरे मैं उनकी पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उन्हें भी मर्द का हाथ आनन्द दे रहा था इसलिए वे कुछ नहीं बोलीं। थोड़ी ही देर में वो रगड़ाई से गरम हो गई
और अपनी पैन्टी गीली कर बैठीं। मैं समझ गया कि माल अब गरम है, मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से सटा दिया और उनकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी को मेरे इरादे का पता चल गया, वो बोली- “ओह... राज... ये क्या कर रहा है तू। अगर किसी को पता चल गया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी.”
मैं- भाभी, तुम किसी को बताओगी क्या?
मालकिन- मैं क्यों बताऊँगी।
मैं- मैं तो बताने से रहा। तुम नहीं बताओगी तो किसी को पता कैसे चलेगा। वैसे भी तुम्हारा भी मन है ही ये सब करने को। तभी तो तुम्हारी पैन्टी गीली हो गई है। अब शर्माओ मत और खुलकर मेरा साथ दो। जिससे तुमको दुगुना मजा आएगा।
अब मकान-मालकिन ने भी शरम उतार फेंकी और दोनों हाथ ब्रा से हटा दिए। हाथ हटाते ही उनके कबूतर पिंजरे से आजाद हो गए। मैंने भी उनकी पैन्टी उनके जिश्म से अलग कर दी।
मैं- वाह भाभी क्या जिश्म है तुम्हारा देखते ही मजा आ गया।
मालकिन- राज, तुमने मेरा सब कुछ देख लिया है। मुझे भी तो अपना दिखाओ ना। कितने सालों से उसके दर्शन नहीं हुए हैं। मैं देखने को मरी जा रही हूँ, जल्दी से कपड़े उतारो।
मैंने फटाफट कपड़े उतार दिए। मेरा हथियार अब उनके सामने था।
मालकिन- राज, मैं इसे हाथ में पकड़कर चूम लँ?
मैं- भाभी, तुम्हारी अमानत है। जो मर्जी है वो करो।
उन्होंने फटाफट उसे लपक लिया और पागलों की तरह उसे चूमने लगीं।
 
मैं- भाभी इसे पूरा मुँह में ले लो और मजा आएगा।
उन्होंने लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। क्योंकी पहली भाभी ने लण्ड चुसवाने की आदत डाल दी थी। मुझे लण्ड चुसवाने में बड़ा मजा आता है। आज बहुत दिनों बाद कोई लण्ड चूस रहा था। वह बड़े तरीके से लण्ड चूस रही थी जिसमें वो माहिर थी। लौड़े को चाट और चूसकर उन्होंने मेरा बुरा हाल कर दिया। तो मैं भी उनके सर को पकड़कर उनके मुँह में लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। मेरा माल निकलने वाला था। वो मस्त होकर चूस रही थी।
उनका सारा ध्यान लण्ड चूसने में था। मैं जोर-जोर से उनके सर को लण्ड पर दबाने लगा। थोड़ी ही देर में सातआठ पिचकारी मेरे लण्ड से निकलीं। जो सीधे उनके गले के अन्दर चली गईं। उन्होंने सर हटाना चाहा। पर जब तक वह पूरा माल निगल नहीं गईं, मैंने लण्ड निकालने नहीं दिया। इसलिए उन्हें सारा माल पीना ही पड़ा। तब मैंने लण्ड बाहर निकाला।
मैं- भाभी, कैसा लगा मर्द का मक्खन।
मालकिन- राज, मुझे बता तो देते। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। पर जो भी किया, अच्छा किया। तेरा बहुत गाढ़ा मक्खन था। पीने में बड़ा मजा आया।
मैं- चलो भाभी, अब मैं तुम्हें मजा देता हूँ। तुम चारपाई पर टांगें चौड़ी करके बैठ जाओ।
वो बैठ गई। चूत बिल्कुल ही चिकनी थी जैसे आजकल में ही सारे बाल बनाए हों।
मैं- भाभी तुम्हारी चूत के बाल तो बिल्कुल साफ हैं। ऐसा लगता है तुम चुदने ही आई थीं। फिर नखरे क्यों कर रही थीं?
मालकिन- राज, जब से तुम मुझ पर डोरे डाल रहे थे। तब से मैं समझ गई कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। तभी से मेरी चूत भी बहुत खुजला रही थी। पर अपने बेटे से डरती थी कि उसे पता ना चल जाए। पर एक हफ्ते से रहा ही नहीं जा रहा था। कितनी उंगली कर ली, पर निगोड़ी चूत की खुजली मिट ही नहीं रही थी। आज इसकी सारी खुजली मिटा दो।
मैंने उनकी चूत पर मुँह लगाया और जीभ अन्दर सरका दी और दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। उन्हें मजा आने लगा। उन्होंने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया। मैंने एक उंगली चूत में डाल दी और जीभ से चूत चाटने । लगा। वो मजे ले-लेकर चूत चुसवाए जा रही थीं। उनकी चूत पूरी गीली हो गई।
मालकिन- राज, बस अब और मत तड़फाओ। अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोद डालो।
मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा और अपना लण्ड उनकी गीली चूत पर टिका दिया। जैसे ही धक्का दिया उनकी “आहह.' निकल गई।


मालकिन- राज आराम से। सालों बाद चुदवा रही हूँ। दर्द हो रहा है।
उनकी चूत सच में टाइट थी। मैंने जैसे ही दूसरा धक्का मारा, उनकी चीख निकल गई।
मालकिन- राज, ओह्ह.. निकालो उसे बाहर। मुझे नहीं चुदवाना। तुम तो मेरी चूत फाड़ ही डालोगे। कोई ऐसा करता है भला?
मैं- “भाभी, बस हो गया। अब तुम्हें मजा ही मजा मिलेगा। आओ तुम्हें जन्नत की सैर करवाता हूँ। वो भी अपने लण्ड से...” मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में जा चुका था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
धीरे-धीरे उन्हें भी आराम मिलने लगा। उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। फिर बोली- “राज, आहह... अब तेजतेज करो। ओहह... फाड़ डालो मेरी चूत... साली ने बहुत तड़पाया है... आज निकाल दो इसकी सारी अकड़... ओहह... दिखा दो तुममें कितना दम है। चोद मेरी जान...”
मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा।
उनकी ‘आहे' निकलने लगीं- “आह्ह.. आह... ओह... स्स्स्स्स
... उफ्फ... आह... आह...”
मैं पेले जा रहा था।
मालकिन- आहह... और जोर से। मजा आ गया राज।
 
धीरे-धीरे हम दोनों पसीने से तर हो गए। पर दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। मैं तड़ातड़ उनकी चूत पर लण्ड से वार किए जा रहा था।
आखिर वो कब तक सहन करती। अन्त में उनका पानी निकल ही गया। बोली- “राज, प्लीज थोड़ा रूको। मुझे अब दर्द हो रहा है...”
मैंने लण्ड को चूत में ही रहने दिया और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर में जब वो थोड़ा नार्मल हो गई। तो मैंने लण्ड को चूत की दीवारों पर रगड़ना शुरू कर दिया। जल्दी ही वो फिर से गरम हो गई और बिस्तर पर फिर तूफान आ गया। अब भाभी गाण्ड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं।
मैं- भाभी कहाँ गिराऊँ? मेरा होने वाला है।
मालकिन- राज, तेज-तेज धक्के मारो... मेरा भी होने वाला है और सारा रस चूत में ही गिराना। सालों से प्यासी है... तर कर दो उसे। तुम चिन्ता मत करो मेरा आपरेशन हो चुका है।
अब मैंने रफ़्तार पकड़ी और कुछ ही देर में सारा माल उनकी चूत में भर दिया, और उन्हीं के ऊपर लेट गया।


मालकिन- राज अब उठो भी। मुझे घर भी जाना है।
मैं- ठीक है भाभी, पर ये तो बताओ कैसा लगा? आपको मेरे लण्ड पर जन्नत की सैर करके?
मालकिन- बहुत मजा आया राज। तुमने मेरी चूत की सारी खुजली भी मिटा दी और सालों से प्यासी चूत को पानी से लबालब भर भी दिया। देखो अब भी पानी छलक रहा है।
मैंने देखा तो हम दोनों का माल उनकी चूत से निकलकर उनकी टाँगों से चिपककर नीचे आ रहा है। मतलब समझकर हम दोनों हँसने लगे, फिर वो फटाफट कपड़े पहनने लगी और जाने लगी।
मैं- “भाभी, जिसने तुम्हें इतना मजा दिया उसे थोड़ा प्यार करके तो जाओ...” और मैंने अपना मुरझाया लण्ड उनके आगे कर दिया।
भाभी ने एक बार उसे पूरा अपने मुँह में ले लिया। थोड़ी देर चूसा, आगे से जड़ तक चाटा। फिर सुपाड़े पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और चली गईं।
उसके बाद जब तक उनके बेटे की शादी नहीं हो गई। तब तक मैंने उन्हें बहुत बार चोदा। उनकी बहू घर पर ही रहती थी। इसलिए मैंने उनसे मिलने से मना कर दिया। ताकि वो फैंस ना जाएं। वो समझ गई। उसके बाद ना वो कभी कमरे में आई, ना ही मैं उनसे मिलने गया। पर जब तक साथ रहा तब तक दोनों ने खूब मजे किए।
* *
* * *
 
जब मैं जमरूदपुर में किराए के मकान में रहता था। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। एक फ्लोर में 5 कमरे थे और चारों फ्लोर किराएदारों से भरे थे। जिनमें अधिकतर फैमिली वाले ही रहते थे। यह कहानी भी वहीं से शुरू होती है। मकान-मालकिन को चोदने के बाद जब मैंने उससे मिलने को मना कर दिया। तो मैं फिर अकेला पड़ गया। हर वक्त किसी ना किसी को चोदने को मन करता था।
फिर मेरी नजर मेरे साथ वाले कमरे में रहने वाली एक सिक्किम की भाभी अनुपमा पर पड़ी। जो अपने एक दो साल के बेटे और पति के साथ रहती थी। जिसकी उम्र 24 साल और लम्बाई 5'6' थी और देखने में थोड़ी सांवली थी। पर उसका फिगर मस्त था।
उसका पति किसी कम्पनी में कार पार्किंग का काम करता था। इसलिए वह सुबह 7:00 बजे जाता और रात को 10:00 बजे वापस आता था। वो कभी-कभी डबल ड्यूटी भी करता था। इसलिए दोनों माँ-बेटे कभी जब हम कमरे में होते थे। तो हमारे ही कमरे में टीवी देखा करते थे।
मैं और मेरा दोस्त उससे कभी-कभी मजाक कर लेते थे। तो वह भी उसका जवाब हँसकर देती थी। इसलिए वो हमसे जल्दी ही घुल मिल गई थी। मकान-मालकिन के बाद मुझे उसे चोदने की बहुत इच्छा कर रही थी। पर
सही मौका नहीं मिल रहा था। लौड़े की खुराक के लिए उसे पटाना भी जरूरी था।


एक बार मेरा दोस्त दिन में इयूटी गया था और मेरी छुट्टी थी। वो मेरे कमरे में टीवी देख रही थी। मैंने बात शुरू की, मैं बोला- “भाभी, आपने लव मैरिज की या अरेंज?”
भाभी- अरेंज, मैं यहीं दिल्ली में नौकरी करती थी। घर में बात चली तो तुम्हारे भैया ने मुझे यहीं पसंद कर लिया और जल्दी ही हमारी शादी हो गई।
मैंने कहा- भाभी, तुम तो दिल्ली में रहती थीं। क्या तुम्हारा शादी से पहले कोई ब्वायफ्रेन्ड था?
भाभी- “हाँ था तो... पर ये बात अपने भैया को मत बताना। नहीं तो वो मेरे बारे में पता नहीं क्या सोचेंगे?”
मैं- ठीक है, मैं आपकी कोई भी बात भैया को नहीं बताऊँगा और आप भी, जो बातें मैं आपसे करता हूँ। वह भैया को मत बताया कीजिए।
भाभी- ठीक है नहीं बोलूंगी। तुम्हारी है कोई दोस्त?
मैं- हाँ भाभी, पहले थी, पर अब नहीं है।
अब धीरे-धीरे भाभी मुझसे बात करने में खुल रही थीं।
भाभी- उसके साथ कुछ किया भी, या ऐसे ही समय खराब किया?
मैं- “हाँ भाभी, सब कुछ किया। अब उसकी शादी हो चुकी है इसलिए सब खत्म..” मैंने झूठ बोला और पूछा
आपने किया था उससे?”
भाभी- हाँ मैंने भी सब कुछ किया था। एक साल उसी के साथ रही थी। पर यह बात अपने भैया को मत बताना।
मैं- “मैं क्यों बताऊँगा? अच्छा भाई को पता नहीं चला कि तुम पहले से चुदी' हो?” मैं जरा और खुल गया।
भाभी- “तुम्हें ऐसी बातें करते शरम नहीं आती राज? बेर्शम कहीं के.." वो शर्माने लगी।
मैं- अरे यार भाभी, हम दोनों अकेले ही तो हैं। कौन सा मैं किसी को बता रहा हूँ। बताओ ना प्लीज।
भाभी भी खुल गईं- “जब किसी को पहली बार चोदने को मिलता है ना। तो वह कुछ नहीं देखता है कि माल कैसा है? उसे तो बस चोदना होता है। वैसे भी शादी से पहले मैं 6 महीने तक नहीं चुदी थी इसलिए चूत टाइट हो गई थी। उनका बड़ा लम्बा और मोटा है। तो ठोंकते वक्त उन्हें पता नहीं चला। वैसे भी मैंने चुदते वक्त । “आह्ह... ऊहह..” कुछ ज्यादा ही की थी...” अब सब कुछ खुल्लम-खुल्ला होने लगा था।
मैं- अच्छा भाभी, आपने कभी ब्लू-फिल्म देखी है। वही चुदाई वाली फिल्म।


भाभी अब गनगना उठी थीं- “हाँ... दो बार ब्वायफ्रेन्ड ने दिखाई थी। फिर रात भर खूब चोदा...” अब वो शर्माने लगी।
मैं- भाभी, मेरे पास है देखोगी? बड़ा मजा आएगा।
भाभी- आज नहीं, फिर कभी। कोई आ जाएगा।
मैं- “चलो थोड़ा तो देख लो...” मैंने बात बनानी चाही। क्योंकी थोड़ा में ही मेरा काम बन जाता।
भाभी- “ठीक है, पर पहले दरवाजा तो बंद कर दो...” भाभी की चुदास भड़क उठी थी।
मैंने फिल्म लगा दी। थोड़ी ही देर में गर्म सीन देखकर भाभी गर्म हो गई, और चूत खुजाने लगी। अचानक वह उठी और अपने कमरे में चली गई।
मैं अपना लौड़ा हिलाता हुआ उसे देखता ही रह गया। मेरे तो खड़े लण्ड पर धोखा हो गया। पर ये तो तय था कि कभी तो मैं उनको चोदूंगा ही। पर कब? ये मालूम ना था।
खैर, वो घड़ी भी जल्दी ही आ गई।
 
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