Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन - Page 3 - SexBaba
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Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन

यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं।
की सबसे छोटी बेटी की चुदाई की है।
बहुत सी आंटी और भाभियों को चोदने के बाद मुझे लगा कि अब कोई कुँवारी चूत की सील भी खोलनी चाहिए। मेरी नजर तब उस लौंडिया पर गई। उसका नाम मीनू था, उसकी उम्र 18 साल, लम्बाई थोड़ी कम थी। वो 12वीं में पढ़ती थी और स्कूल की ड्रेस में बिल्कुल किशोरी लगती थी। पर जब जीन्स टी-शर्ट पहनती थी तो पूरी चोदने लायक माल लगती थी।
उसका रंग भी थोड़ा सांवला था, उसपर नई-नई जवानी उभर रही थी, उसके मम्मे अभी बिल्कुल छोटे चीकू जैसे
थे जिससे पता चलता था कि उन्हें अभी किसी ने नहीं दबाया है।
मैं उसे चोदने की योजना बनाने लगा। मेरे पास कंप्यूटर था। जिस पर मैं अपने घर में ही फिल्म देखा करता था। वो मेरे से घुलमिल तो पहले दिन से ही गई थी। पर मुझसे बोलती कम थी। मैंने उसे कम्प्यूटर सीखने का


आफर दिया, जिसे वो और उसके घर वाले तुरन्त मान गए क्योंकी उसके पापा उसे घर से बाहर नहीं भेजना चाहते थे।
अब वो जब भी समय मिलता। मेरे कमरे में आकर सीखने लगी। उसने इसी साल 12वीं पास किया था। अब प्राइवेट में ही पढ़ रही थी। इसलिए वह दिन भर घर में ही रहती थी।
मेरी नाइट ड्यूटी होने पर मैंने उससे कहा- “तुम रात को मेरे ही कमरे में सो जाया करो और रात भर कम्प्यूटर सीखा करो..” जिसे वो मान गई।
मैंने उसे अब अपने सिस्टम के सारे फोल्डरों के बारे में बताना शुरू किया किसमें क्या सेव है और एक खास फोल्डर दिखाकर उससे कहा- “मीनू इसे कभी मत खोलना। इसमें तुम्हारे देखने की चीज नहीं है...”
उसने कहा- तो किसके देखने की चीज है भैया। क्या है इसमें?
मैंने कहा- इसमें जवानों के देखने की चीज है। तू देखना भी मत।
उसने कहा- क्या मैं जवान नहीं हुई हूँ। मैं भी देख सकती हूँ। अब मैं बड़ी हो गई हैं।
हु
मैंने कहा- “तू कहाँ से जवान है। बता तो जरा? अभी छोटी ही है। तू तो अभी जो भी करती है, अपने मम्मीपापा को सब बता देती है। उन्हें पता लग गया तो मेरी भी खैर नहीं। इसलिए मैंने कहा कि नहीं खोलना.. तो नहीं खोलना। समझी...”
मुझे पता था कि मेरे ना होने पर ये उसे जरूर खोलेगी। उसमें जवान और स्कूल की लड़कियों की बहुत सारी । ब्लू-फिल्में थीं। मैंने उसे फिल्में कैसे चलाते हैं और फोल्डर को कैसे खोला जाता है। ये सब तो सिखा ही दिया था। जल्दी ही वह सब सीख भी गई।
एक दिन मेरी नाइट ड्यूटी लगी। उस रात मीनू मेरे कमरे में ही सोई और उसने वह फोल्डर खोलकर कुछ फिल्में देख लीं। उसे उस रात वो सब देखने में बड़ा मजा आया। अब तो वह मेरी गैरहाजिरी में रोज वो फिल्में देखती।। जिसका पता मुझे रीसेन्ट हिस्ट्री खोलकर पता चल जाता था।
अब वो चुदने लायक हो गई थी। मैं भी सिखाने के बहाने उसे इधर-उधर छूता रहता था। जिसका वो बुरा नहीं । मानती थी। कुछ गलत करने पर मैं उसके गाल और कमर में चिकोटी काटता तो वह मचल जाती। उसपर मेरा
और ब्लू-फिल्मों को देखने का असर होने लगा था। बस अब उस समय का इन्तजार था, जब उसकी चूत खोलनी थी। वह समय भी जल्दी ही आ गया।
एक दिन उसके पापा और मम्मी शादी में गुड़गांव गए और उस रात वहीं रुक कर अगले दिन शाम को आने को बोलकर गए।


मेरी तो मानो लाटरी लग गई। मैंने उस दिन नाइट और अगले दिन की छुट्टी ले ली। उसका भाई सुबह से शाम
की ड्यूटी करता था। उस रात मेरी नाइट होने के कारण वो मेरे कमरे में ही रही। पापा-मम्मी के ना होने के कारण उस रात उसने जमकर ब्लू-फिल्में देखी थीं। अगले दिन उसका भाई डयूटी चला गया। अब मैं और वो ही घर पर थे।
मैंने उससे कहा- “मीनू चलो नाश्ता करने के बाद आज साथ में फिल्म देखते हैं.”
वो बोली- ठीक है भइया आज फिल्म ही देखते हैं। मम्मी-पापा भी घर पर नहीं हैं। बहुत मजा आएगा।
हमने साथ में नाश्ता किया और उसके बाद मैंने मर्डर फिल्म लगा ली। जिसके सीन देखकर वो गरम हो रही थी। अब बस आगे बढ़ने की बारी थी। पर मैं जरा डर रहा था कि कहीं ये चिल्ला पड़ी तो क्या होगा? पर कहते हैं। ना कि किसी की दिल से लेनी हो तो रास्ता अपने आप बन जाता है।
अचानक उसके पेट में हल्का सा दर्द उठा और मेरा काम बना गया।
वो बोली- मेरे पेट में दर्द हो रहा है। क्या करूं?
मैंने कहा- तू रुक। मेरे पास पेट दर्द की दवाई है। उसे खा ले अभी ठीक हो जाएगा।
मैंने फटाफट पेन-किलर और एक कामोत्तेजना बढ़ाने वाली गोली उसे खाने को दे दी। जिसे उसने चुपचाप खा लिया।
मैं बोला- मीनू, दिखा तो कहाँ दर्द हो रहा है?
वो बोली- “भइया पेट के इस तरफ..” उसने हाथ लगाकर बताया।
मैं बोला- “अरे यहाँ पर तो नाल भी जा सकती है, दिखा... मैं वहाँ पर मालिश कर देता हूँ। तेरा दर्द कम हो। जाएगा...” मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और मालिश के बहाने से उसकी कमर और पेट पर हाथ फिराने लगा। धीरे-धीरे दोनों दवाइयों ने भी काम करना शुरू कर दिया था। दर्द कम होने लगा और चुदास की खुमारी बढ़ने लगी, मेरे हाथों का स्पर्श उसे पागल कर रहा था।
उसकी कल रात की देखी ब्लू-फिल्म, अभी की मर्डर फिल्म के सीन, मेरे हाथों का स्पर्श और दवाई... इन सबका असर उसे एक साथ होने लगा था। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने कहा- मीनू कैसा लग रहा है? अब तुम्हारा दर्द कैसा है?
उसने कहा- भइया, दर्द तो कम है, बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते रहिए बस।


मैंने उसे और सहलाना शुरू किया। मेरे हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर सरक रहे थे, मेरी उंगलियां उसके चीकुओं पर बार-बार छू रही थी। जिससे वो कड़क होकर संतरे जैसे हो गए थे। उसकी सांसें फूलने लगी।
मैं बोला- मीनू तुम्हें मजा आ रहा है ना?
वो बोलीं- “हाँ, भइया करते रहो बस..” वो अब गरम हो चुकी थी।
मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया और सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा।
अब वो मना करने के हालत में थी ही नहीं। उसने अपने पैर फैला दिए फिर एकदम से मुझे कसकर पकड़ लिया। मैंने झटपट उसके सारे कपड़े उतार दिए। मैं पहली बार किसी कुंवारी लड़की को नंगी देख रहा था। उसके जिश्म से एक अलग ही खुशबू आ रही थी। उसकी चूत पर हल्के सुनहरे बाल थे। चूत की फांकें बिल्कुल गुलाबी
थीं। जो आपस में चिपकी हुई थीं।
मैंने अपनी उंगली हल्के से बुर के अन्दर डाली तो वो कराहने लगी। मेरा भी बुरा हाल था। खुद नंगा होकर उसकी चूत चाटने लगा।
वो बिन पानी की मछली की तरह फड़फड़ाने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने उसके हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया। इतने दिन ब्लू-फिल्में देखने के बाद वो सब कुछ जान चुकी थी, उसने उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे। अब देरी करना सही नहीं था। मैंने कहा- मीनू, मजा आ रहा है कि नहीं और मजा लेना चाहती हो?
वो बोली- बहुत मजा आ रहा है। और पूरा मजा लेना चाहती हूँ भइया।
मैंने कहा- देख मजा तो बहुत आएगा पर पहले थोड़ा सा दर्द होगा, जो तुम्हें सहन करना होगा। फिर तो मजे ही मजे हैं।
वो बोली- ठीक है, मैं सहन कर लँगी। पर अब मुझसे नहीं रहा जाता। मुझे कुछ हो रहा है। आपको जो भी करना है जल्दी से करो। नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
मैंने उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब तेल लगाया और उसकी टाँगें फैलाकर कमर के नीचे एक तौलिया रखा फिर उसके ऊपर लेट गया। उसके होंठों से अपने होंठों को चिपका कर लण्ड का दबाव चूत पर बढ़ाना शुरू किया। उसकी चूत बहुत टाइट थी। इसलिए लण्ड बार-बार फिसल रहा था।
उसने ही मेरा लण्ड चूत के मुंह पर लगाया और अन्दर डालने को बोला।
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो आधा लण्ड चूत में फँस गया।
 
वो दर्द से चिल्लाने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी। वो बोली- “आह... मर गई.. बहुत दर्द हो रहा है... मुझे नहीं लेने है मजे... बाहर निकालो इसे... तुमने तो मुझे मार ही डाला। मेरी चूत फट गई है। सहन नहीं हो रहा है मुझसे। आह्ह... आह्ह..”
मैंने कहा- बेबी, बस हो गया... अब दर्द नहीं होगा। बस थोड़ा सा और सहन कर लो। फिर बहुत मजा आएगा।
दर्द से उसकी आखों में आंसू आ गए। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया, मैंने उसकी चूचियां मसलनी शुरू कर दीं।
और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो एक तेज धक्का मारकर मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में ठोंक दिया।
वो बेहोश सी हो गई। एक बार तो मैं डर सा गया। मैंने लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से खून की लकीर सी बहने लगी थी। उसकी सील टूट चुकी थी। मेरा लण्ड भी उसके खून में सना हुआ था। मैंने उसे पानी पिलाया और उसके होंठ और चूचियों से खेलने लगा।
ये दवाई का ही असर था कि इतने दर्द के बावजूद वह चुदवाने को तैयार हो गई। एक बार फिर मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला और हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
चूत बहुत टाइट थी। इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी।- “आहह...
आह्ह... नहीं भइया, नहीं... दर्द हो रहा है... ओह्ह... ओह्ह..सीईई... आइइ..."
मैं अनसुना करते हुए लगातार लौड़े की ठोकरें चूत में मारता रहा। धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। चूत वास्तव में बहुत ही ज्यादा टाइट थी इसलिए मजा भी दुगना आ रहा था। मैं पहली बार किसी कुँवारी चूत को चोद रहा था इससे और जोश बढ़ गया।
“आह्ह... आह... तेज भईया... और तेज... चोद दो मुझे... ओह... और तेज... बहुत मजा आ रहा है। आह्ह...
आहह..” अब नजारा बदल चुका था।
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी आवाजें गूजने लगीं, मैं कुँवारी चूत चोदने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। कुछ देर उसके ऊपर ही चढ़े रहने के बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो मेरे वीर्य के साथ खून भी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। तौलिया खून से लाल हो गया और उसकी गुलाबी चूत फूल गई थी।
मैंने आज उसे कली से फूल बना दिया था। मैंने उसे उठाया। उसकी हालत खराब थी। उससे उठा भी नहीं जा रहा था। हम दोनों नंगे ही बाथरूम गए। मैंने उसकी चूत खूब साफ करके धोई और फिर साथ में नहाए और उसके बाद फिर उसकी दो बार और चुदाई की, और उसकी चूत को वीर्य से भर दिया। गोली के असर के कारण वो चुद तो गई, पर उसकी हालत बहुत खराब थी। मैंने उसे दर्द की गोली और गर्भ निरोधक गोली दी और आराम करने को कहा।


मैंने कहा- “मीनू... कहो कैसी रही मेरे साथ तुम्हारी चुदाई? मजा आया ना तुम्हें?
वो बोली- तुमने तो मेरी हालत खराब कर दी। मेरी चूत की क्या सूरत बना दी है तुमने। ये फूल गई है। पहले तो दर्द बहुत हुआ। पर बाद में मजा बहुत आया।
मैं बोला- जानेमन, वो कुछ देर में ठीक हो जाएगी। अब तुम्हारी सील खुल चुकी है। आगे से तुम्हें दर्द नहीं होगा। बस चूत चुदवाने में मजा ही मजा मिलेगा।
वो बोली- भइया, अगर आज का पापा को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेंगे। मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा है।
मैं बोला- तुम पापा को बताना कि सुबह तुम सीढ़ियों से फिसल गई थीं और तुम्हारे पैर में मोच आ गई थी। इसलिए चला नहीं जा रहा है। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
शाम को उसके घर वाले आ गए। जिन्हें मैंने और उसने वही बताया। जिसे वो मान गए। दो दिन बाद वो नार्मल हो गई और अब तो हम रोज ही कमरा बंद करके जल्दीबाजी वाला राउण्ड खेलने लगे। उसे मैं बहुत बार अपने दोस्त के कमरे में भी ले गया। जहाँ मैंने उसकी दबाकर चुदाई की। बहुत बार उसकी गाण्ड भी मारी।
कुछ महीने बाद वो अपने मम्मी-पापा के साथ नए मकान में चले गए और मैं फिर अकेला पड़ गया। पर इस बात की खुशी है कि वह जब भी मेरे कमरे में आती है। तो मेरे से चुदती जरूर है और मैंने ही उसकी पहली बार कुँवारी चूत की सील खोली थी और उसे कली से फूल बनाया था। और अब मेरी कुँवारी लड़की की चूत की सील खोलने की हसरत भी पूरी हो गई थी।
*
 
यह कहानी मेरी मकान मालकिन की है जो बैंक में नौकरी करती थी। वह 40 साल की होगी। पर लगती 30 साल की ही थी। बैंक में नौकरी होने के कारण उसने अपना फिगर मेन्टेन कर रखा था। मैं तो उसे भाभी ही कहता था और अपने मकान मालिक को भाई साहब कहता था।
उसे भी भाभी सुनना अच्छा लगता था। उसके चूतड़ बहुत बड़े थे। जब वो अपने चूतड़ों को मटकाकर चलती थी,
तो उस स्थिति में किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था।
वो कभी-कभी ही दिल्ली आती थी। जब भी आती। मेरी उसे चोदने की इच्छा होती। वो भी मेरे से खुलकर बात करती थी। यहाँ वह दो दिन अपने पति के साथ आती और पूरा दिन शापिंग करती रहती थी। और इसी वजह से वो घर पर कम ही रहती थी।
एक दिन मैंने देखा कि गलती से उसकी ब्रा और पैन्टी बाहर ही पड़े रह गए हैं। मैंने पहली बार उसकी ब्रा और पैन्टी से मुठ्ठ मारी और थोड़ा माल उसकी ब्रा और पैन्टी के सेन्टर पर लगा दिया।


घर आने के बाद उसने देखा तो वो समझ गईं कि यह मेरी हरकत है, इस तरह उसकी जानकारी में मेरी चोरी पकड़ी गई थी। पर तब भी उसने कुछ नहीं कहा और ब्रा-पैन्टी धोकर सुखा ली।
मेरी हिम्मत बढ़ गई। अगले दिल भी मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खराब की और सारा माल उसी में भर दिया।
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। तो मैं समझ गया कि बहुत जल्दी ही ये भी मेरे लण्ड के नीचे होगी।
उस बार वो वापस चली गई। अगली बार जब वो वापस आई तो उसने अपनी गीली ब्रा और पैन्टी बाथरूम में ही छोड़ दी। मैंने उसके जाने के बाद उसपर ही मुठ्ठ मारी और दोनों में मूत कर आ गया।
इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा।
अगले दिन मैं भी अपना अण्डरवियर बाथरूम में छोड़कर चला गया। जब वापस आकर देखा तो उसमें भी कुछ लगा था। अब तो साफ था कि वो मुझसे चुदना चाहती है। पर बोल नहीं पा रही है।
मैं ही आगे बढ़ा। मैंने उससे जाते वक्त कहा- “आप बड़ी जल्दी चली जाती हो। कभी ज्यादा दिन के लिए भी आया करो। आपसे बातें भी ढंग से नहीं हो पाती हैं। कभी किराएदार के बारे में भी मिलकर जान लेना चाहिए कि वो कैसा है? बस शापिंग की और चले गए। ये भी कोई बात होती है?”
भाभी हँसकर बोली- “चलो ठीक है, अगली बार देखती हूँ..."
अगले महीने छूटियों में वो अपने बेटे को लेकर आ गई, और बोली- “राज, मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं है, इसे आयुर्वेदिक दवाई दिलवानी है...”
मैंने कहा- भाभी, आयुर्वेदिक दवा इलाज के लिये समय मांगती है। आपको रुक कर तीमारदारी करनी होगी।
वो बोली- इस बार मैं 15 दिन तक दिल्ली में ही रहूँगी।
मेरी तो लाटरी खुल गई इस बार वो अपने पति के बिना पूरे चुदने के मूड में ही आई थी, बस अब मेरे आगे बढ़ने की बारी थी। रात को खाना खाने के बाद मैंने चाय बनाई और उसके बेटे की चाय में नींद की गोली और उसके और अपनी चाय में कामोत्तेजक दवा मिला दी, जिसका दोनों को पता नहीं चला। चाय पीने के थोड़ी देर बाद में अपने कमरे में आ गया।
वो मैक्सी पहनकर सोने की तैयारी करने लगी। जब मैं बाथरूम गया तो देखा उसकी ब्रा-पैन्टी तो बँटी पर टंगी हैं। मतलब उसने मैक्सी के अन्दर कुछ नहीं पहना था। अब मैं उसके सोने का इन्तजार करने लगा।
थोड़ी देर में उसका बेटा सो गया।

मैं चुपके से उसके पास गया और बगल में लेट गया। मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा। उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैं उसके मम्मों को हल्के-हल्के से दबाने लगा।
वो मेरे से और चिपक गई जिससे मेरा खड़ा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में फंस गया। मैंने हल्के से उसकी मैक्सी ऊपर की और चूत सहलाना शुरू की। चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी। शायद गोली का असर था। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू की तो वो मस्त हो गई। मैंने पीछे से ही अपने लण्ड का दबाव उसकी चूत पर । देना चाहा।।
भाभी- “राज, यहाँ नहीं। तुम्हारे कमरे में चलते हैं। यहाँ मेरा बेटा जाग जाएगा...” उसे क्या पता था कि उसके बेटे के ना उठने और उसे चोदने का पूरा इन्तजाम मैंने पहले से ही कर रखा है।
मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया और उसे पूरी मस्ती से खुलकर चूमने-चाटने लगा।
भाभी बोली- “ओहह... राज तुमने तो मुझे पागल कर दिया है। जब से तुम्हें देखा तुम्हारे जवान लण्ड से चुदना चाह रही थी..."
मैंने कहा- भाभी, मैं भी आपको चोदना चाहता था। इसीलिए बार-बार तुम्हारी ब्रा पैन्टी से मुठ्ठ मार रहा था।
भाभी- वो तो मैं पहले दिन से ही समझ गई थी। इसीलिए अगली बार से बाथरूम में ही छोड़कर जाती थी। पर तुमने हिम्मत बहुत देर में दिखाई।
मैंने कहा- अब तो दिखा दी ना। आज मैं तुम्हें अपने लण्ड पर झूला झुलाऊँगा।
उसने लपक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वह खेली-खाई औरत थी इसलिए उसके लण्ड चूसने का अलग ही तरीका था। मुझे लण्ड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था।
भाभी- “राज, आज बहुत दिनों बाद किसी जवान मर्द का लण्ड मिला है। मैं इसका पूरा रस पिऊँगी...”
मैंने उसके सर को पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। वो पूरा अन्दर तक लण्ड को ले रही थी। मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और वीर्य की धार उसके मुँह में छोड़ दी जिसे वह गटक गई। फिर उसने मेरे लण्ड को अच्छे से चाटकर साफ भी कर दिया।
भाभी माल के चटखारे लेते हुए बोली- “राज इतना ज्यादा गरम ताजा अमृत तो बहुत सालों बाद चखने को मिला। सही में मजा आ गया...”​
 
मैंने कहा- भाभी, आप चाहो तो ये आपको हमेशा मिल सकता है, बस मेरा खयाल रखते रहना।
भाभी- जब तक मैं यहाँ हूँ। इस पर मेरा ही अधिकार है, बर्बाद मत कर देना। चल अब मेरी चूत चाट दे। बड़ी मचल रही है।


मैंने उसे लिटाकर उसकी चूत पर जीभ चलानी शुरू की। जो जल्दी ही पानी छोड़ने लगी।
भाभी- “राज, बस अब और मत तड़फा, चोद डालो मुझे... पेल दे मेरी चूत में अपना लण्ड। इसकी सारी अकड़ निकाल दो आज। कल से मेरी ये चूत बस तुम्हारे लण्ड की ही फरियाद करे ऐसी चुदाई करो मेरी। फाड़ डालो। मेरी चूत। आह्ह..”
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी। लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। वो कराह उठी। उसने कसकर मुझे भींच लिया। वो बोली- “आहह... राज, जरा भी रहम मत करना। बस मुझे चोदते जाना। आह्ह..."
मैं धक्के लगाने लगा। उसके बेटे की उठने की उम्मीद नहीं थी। इसलिए हम पूरे जोर और शोर के साथ चुदाई करने लगे।
पूरा कमरा उसकी सिसकारियों की आवाज से गूंजने लगा- “राज, आहह... आह्ह... उफ्फ... जोर से और जोर से...


आह... आह... हि... अहह...

। और चोटो यादृह


भाभी भी लगातार चूत उछाल-उछालकर मजे लेने लगी।
दोनों को कामोत्तेजक गोली का असर था। कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। आधे घंटे की कमर-तोड़ चुदाई के बाद वो ढीली पड़ने लगी, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर धीरे-धीरे चूत रगड़ने के बाद वो फिर गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी।

इस बार हम दोनों का एक साथ काम हुआ और मैंने जल्दी से लण्ड को चूत में से निकालकर उसके मुँह में पेल दिया और वहीं सारा वीर्य उड़ेल दिया जिसे वह चटकारे लेकर पी गई।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी? आपको अपना किरायेदार पसंद आया कि नहीं? चूत की खुजली मिटी? मजा आया या नहीं?
भाभी- बहुत मजा आया। मुझे किराएदार भी और किराएदार का हथियार भी। दोनों बहुत पसंद आए।
उस रात मैंने उसे अलग-अलग तरीके से 4 बार चोदा।।
उसके बाद तो 15 दिन तक चुदाई का सिलसिला ही चल निकला। वो तो मेरे लण्ड की दीवानी हो गई थी। अब तो वह जब भी दिल्ली आती, मुझसे चुदवाए बिना नहीं रहती थी। उन्होंने मेरा किराया भी माफ कर दिया था। वो एक बार मेरे से बोली कि उसकी एक सहेली का पति उससे अलग रहता है। वो भी लण्ड की बहुत प्यासी है। उसको भी मुझसे चुदवाएगी।
 
यह कहानी मेरी मकान मालकिन की सहेली की है। जो उसके साथ ही बैंक में नौकरी करती थी। जैसा कि मेरी मकान मालकिन ने कहा था कि मैं अपनी सहेली को भी तुमसे चुदवाऊँगी। अगली बार वह एक 32 साल की औरत को लेकर आई थी। उसका नाम सपना था। वो दो बच्चों की माँ थी। उसके दोनों बच्चे अपनी नानी के घर रहते थे और दोना मियां-बीबी सरकारी नौकरी में होने के कारण अलगअलग रहते थे इसलिए वह ज्यादातर लण्ड की प्यासी ही बनी रहती थी।
जब वह मेरे कमरे में आई तो मैं उसे देखता ही रह गया, वह किसी अच्छे घर की लगती थी और बहुत खूबसूरत थी। मेरी तो लाटरी ही लग गई जो मुझे उस जैसी हसीन-तरीन हूर को चोदने का मौका मिल रहा था।
मेरी मकान मालकिन ने उसका परिचय कराया। मैंने हाथ मिलाते समय उसका हाथ हल्के से दबा दिया। जिससे वो शर्मा गई। यह तो उसको भी पता था कि वो आज यहाँ चुदने ही आई है। इसलिए मैं खुलकर उससे बातें करने लगा। जल्दी ही हम दोनों घुल-मिल गए।
भाभी बोली- राज, मुझे अभी अपने रिश्तेदार के पास जाना है। मैं लौटकर परसों सुबह ही आ पाऊँगी। तब तक तुम मेरी सहेली का ख्याल रखना।
मैंने कहा- “भाभी आप जाइए मैं इनका इनके पति से भी ज्यादा ख्याल रबँगा। वो हर चीज दूंगा, जिसकी इन्हें जरूरत है..."
वो हमें अकेला छोड़कर चली गई।
मैंने अगले दिन की छुट्टी ले ली। अब मजे के लिए पूरे दो दिन हमारे पास थे। पहले शाम को मैं उसे घुमाने ले गया। उसने मेरे लिए बहुत शापिंग की। साथ में बियर की बोतलें लेकर हम घर वापस आ गए। रात को हम दोनों ने एक-एक बियर पी और खाना खाकर हम एक ही बिस्तर पर आ गए।
वो अब भी शर्मा रही थी।
मैं बोला- सपना जी, शर्माओ मत, आप तो बहुत शर्मा रही हो।
सपना- वो क्या है राज कि मैं आज तक कभी किसी मर्द के साथ ना अकेली रही हूँ। ना कभी बियर पी है।
मैंने कहा- “तो क्या हुआ? हम आपके अपने ही तो हैं। दो दिन के लिए मुझे ही अपना मर्द समझ लो। देखो फिर तुम्हें कितना मजा आता है...” यह कहकर मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और जांघ सहलाने लगा।
उसने विरोध नहीं किया। तो धीरे-धीरे मैंने उसकी भरी हुई चूचियां मसलनी शुरू कर दीं। अब वो भी धीरे-धीरे गरम होने लगी, मैंने उसका हाथ अपने लण्ड के ऊपर रख दिया। जिसे वो पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी। मैं भी उसकी चूत को ऊपर से सहलाने लगा, उसको बाँहों में भरकर चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी।


मैं बोला- “तो सपना, और मजे लेने के लिए पूरे कपड़े उतारने पड़ेंगे, तुम मेरे कपड़े उतारो। मैं तुम्हारे उतारता हूँ...” फिर मैंने एक-एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए।
उसने भी देर ना करते हुए मुझे नंगा कर दिया। अब मेरा खड़ा लण्ड उसके सामने था।
मैंने लण्ड पर बियर गिराई और उसे चूसने को बोला।
वो मजे लेकर मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी थी। फिर बोली- “राज, तुम भी चूसो ना मेरी। मेरी चूत बड़ी खुजली कर रही है..."
मैंने भी उसकी चूत बियर से भिगाई और चाटने लगा। उसकी चूत में थोड़ी जलन हुई पर बियर के साथ चूत का रस मजेदार था।
थोड़ी देर बाद वो बोली- “मेरे पति ने तो मुझे बहुत बार चोदा है, आज मैं तुम्हें चोदना चाहती हूँ, तुम नीचे लेट जाओ...” उसने थोड़ा चूसकर मेरे लण्ड को और सख्त किया और अपने थूक से उसे गीला किया। फिर मेरे लण्ड पर बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर धीरे-धीरे दबाकर लण्ड अन्दर लेने लगी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर था।
अब वो धीरे-धीरे उसे अन्दर-बाहर करने लगी। मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। फिर वो उछल-उछलकर चुदवाने लगी या यूँ कहो मुझे चोदने लगी। वो घूम-घूमकर चुदवा रही थी। कभी उसका मुँह मेरी ओर हो जाता था, तो कभी पीठ मेरी ओर।।
मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था।
जब वो चोदते-चोदते थक गई तो बोली- राज, अब मैं थक गई हैं। अब तुम मुझे चोदो।
मैंने उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं। लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा।
वो बोली- आह्ह... राज, मजा आ गया। पूरी ताकत से चोदना और जब तक मैं ना कहूँ रुकना मत। बस मुझे चोदते जाना।
मैं धक्के लगाने लगा।
पूरा कमरा उसकी सिसकारियों की आवाज से गूंजने लगा- “राज, आह... आह्ह्ह... उफ्फ्फ... जोर से... और जोर से राज आह्ह... आहह... ओह... आह्ह... और चोदो... और और तेज... और तेज राज..” वो भी लगातार चूत को उछाल-उछालकर मजे लेने लगी। जब चूत की हालत बुरी हो गई तो उसने पानी छोड़ दिया। अब उसे दर्द हो रहा था।


सपना- “राज तुमने मेरी नस-नस हिलाकर रख दी। मेरा तो बुरा हाल हो गया है। अब नहीं चुद सकती। मुझे अब दर्द हो रहा है। तुम अपना हथियार बाहर निकाल लो। मैं तुम्हारा लण्ड मुँह से चूसकर माल निकाल देती। हूँ...” फिर उसने मेरा लण्ड मुँह में लेकर पूरा रस निकाल दिया।
मैंने कहा- कैसा लगा सपना? खातिरदारी में कोई कमी तो नहीं रह गई? कहीं बाद में अपनी सहेली से शिकायत न करो।
सपना- “सच में बहुत मजा आया। मुझे ऐसी ही खातिरदारी चाहिए थी। बाकी कमी दो दिन में पूरी कर देना...”
और वो मुश्कुराने लगी।
उस रात मैंने उसे भी 4 बार चोदा। अगले पूरे दिन और पूरी रात 10 बार चुदाई की। मकान मालकिन के आने तक भी मैं सुबह भी उसे एक बार और चोद चुका था।
वो मेरे साथ चुद कर बहुत खुश थी। उसने मुझे गिफ्ट में एक लिफाफा दिया। जिसमें पूरे 10000 रूपये थे। मैंने लेने से मना किया तो बोली- “इतनी ज्यादा चुदाई तो मैंने अपनी पूरी जिन्दगी में नहीं की, तुमने बहुत मजा दिया, प्लीज मना मत करो। तुमने मेरी चूत की खुजली मिटा दी इस पर तुम्हारा हक बनता है."
मैंने लिफाफा ले लिया और वह जल्दी ही मिलने का वादा लेकर वापस चली गई।


end
 
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