hotaks444
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अब मैने उसको सीधा करके लिटा दिया और उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गया, उसने अपनी टांगे भींच ली तो मैने पुश करके एक दूसरे से अलग किया. और उसकी पेंटी को उतार फेंका.
उसकी अन्छुइ परी पहली बार मेरी आँखों के सामने थी, मैने नज़ाकत से उस पर हाथ फिराया और फिर उसकी फांकों को अलग करके उसके अन्द्रुनि गुलाबी भाग को अपने जीभ से चाट लिया..
उसके मुँह से सिसकी निकल गयी और कमर हिलाने लगी, दो-तीन बार जीभ उपर से नीचे फिराने के बाद मैने अपने मूसल को उसकी परी के होठों पर रख कर उसको उसकी खुश्बू सूँघाई,
वो मस्ती में झूम उठा, अब वो बिफरे सांड़ की तरह उसमें घुसने के लिए व्याकुल हो उठा.
मैने भी उसकी मनसा जान, ट्रिशा की परी के होठों को खोल्कर उसके लिए रास्ता बनाया और उसके छोटे से छेद पर अपना कड़क सोट जैसा लंड रख कर पुश करने ही वाला था कि मेरे फोन की बेल घनघना उठी…..!
इस वक़्त किस भेन्चोद की गान्ड में खुजली हुई है यार..! साला खड़े लंड पर हथौड़ा मारने जैसी हालत हो गयी मेरी तो.
फिर सोचा शायद कोई दोस्त मज़ाक करने के मूड में होगा तो उसको एक-आध गाली सुनाकर चुप करा दूं पहले.
यह सोचकर मैने फोन उठा लिया, पर जैसे ही मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लश हो रहे नंबर को देखा…मेरे सारे मसानों ने एक साथ पानी छोड़ दिया !!
मे ट्रिशा को सॉरी बोलकर, एक तौलिया लपेटा और बाहर बाल्कनी में आकर कॉल अटेंड की.
एनएसए चौधरी का फोन था, उन्होने मुझे जैसे ही परिस्थिति से अवगत कराया मेरा सारा सेक्स का मूड हवा हो गया, मेरा खड़ा लंड किसी डरपोक चूहे की तरह बिल में छिप गया.
उन्होने कहा - आइबी के हवाले से खबर मिली है, कि पड़ौसी मुल्क के पोर्ट से एक स्टीमर किसी बड़े टेरर अटॅक के लिए गुजरात के कोस्ट्ल एरिया जहाँ बीएसफ की निगरानी ना के बराबर होती है उस ओर निकल चुका है,
वैसे तो पूरे कोस्टल एरिया पर सेक्यूरिटी फोर्सस बढ़ा दिए गये हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि उन्हें रास्ते में ही रोक दिया जाए और हो सके तो उस स्टीमर को अपनी सामुद्री सीमा पर ही उड़ा दिया जाए.
हमारे 10 एजेंट्स को ये काम सौंपा गया है, जिनमें तुम भी शामिल हो, अति शीघ्रा तुमें कच्छ पहुँच कर कल शाम से पहले वहाँ रिपोर्ट करना है. आगे की सारी रिपोर्ट तुम्हें वही मिलेगी…!
मे कितनी ही देर अवाक अवस्था मे खड़ा उस फोन को देखता रहा, लगता है उपर वाले ने मेरी किस्मत गधे के लंड से लिखी होगी शायद.
तभी तो ऐसे मौके पर जो आदमी के जीवन में सिर्फ़ एक बार ही आता है, उसकी सुहागरात ,
और ये फोन ठीक उस वक़्त, जब हम एक होने जा रहे थे…
मे अपनी इन्हीं सोचों में खोया था, कि तभी ट्रिशा ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे चोंका दिया.
वो एक चादर लपेटे हुए मेरे सामने खड़ी थी.
मैने उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा - सॉरी जान ! मेरे फोन की वजह से तुम्हारा मूड ऑफ हो गया.. लेकिन क्या करता बॉस का फोन था उठाना ही पड़ा.
वो - इट्स ओके जानू मे समझ सकती हूँ..!
मे - अब मुझे इसी वक़्त निकलना होगा, ऑफीस में कुछ प्राब्लम हो गयी है,
ऑपरेशन रुका पड़ा है मुझे फ़ौरन बुलाया है, तुम थोड़ा अड्जस्ट कर लेना प्लीज़.
वो - इट्स ओके स्वीट हार्ट..! आप जाओ अपना काम देखो, अब तो हमें जीवन भर साथ रहना है, अपनी हसरतें तो हम कभी भी पूरी कर लेंगे.
आप मेरी चिंता बिल्कुल मत करो..!
मे - हो सकता है में कल भी ना लौट पाउ, ..? और तुम्हें तो कल शाम को निकलना था.
ट्रिशा मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली - कोई बात नही, हम निकल जाएँगे, आप अपना काम निपटाओ.. हमारी चिंता छोड़ दो.
अब जाओ ! लेट मत करो.
मैने फटाफट अपना बॅग पॅक किया, कपड़े पहने और ट्रिशा के होठों का चुंबन करके उसे बाइ बोला, और निकल गया अपनी कार लेकर.
अभी सुबह के 3:30 बजे थे, रोड तो सॉफ ही मिलने वाले थे सो भगा दी गाड़ी अपनी फुल स्पीड में, एक दो जगह पोलीस की चेकिंग मिली जो आम बात थी.
एक जगह बीच में एक रोड साइड ढाबे पर गाड़ी रोक कर फ्रेश हुआ, चाइ पी, जिससे आँखों से नींद की खुमारी थोड़ा कम हुई, और फिर चल पड़ा.
कोई 11 बजे में अपने गन्तब्य स्थान पर पहुँच गया.
वहाँ 9 लोग पहले से मौजूद थे जो मेरा ही वेट कर रहे थे, ये एक बीएसएफ का ही बेस कॅंप था जो विशेष पर्मिज़न से हमें मीटिंग के लिए मिला हुआ था,
हमारा परिचय वहाँ एनएसजी के कमॅंडोस के तौर पर दिया गया था.
हमारे सामने पाकिस्तान-हिन्दुस्तान की समुद्रि सीमा का मॅप रखा हुआ था, पता चला था कि वो स्टीमर सीमा पर पहुँच चुका है, और पड़ौसी मुल्क की नेवी की देख रेख में आज दिन भर वहीं रहेगा.
रात के अंधेरे में उसको वहाँ से निकाला जाएगा,
सीमा से हमारे तट तक पहुँचने में उसको दो घंटे से ज़्यादा समय नही लगेगा अगर कोई अड़चन नही आई तो.
इस तरफ चूँकि नमक का दलदल जैसा है, बहुत अंदर तक तो हमारी नेवी का कोई गस्ति शिप इधर नही आ सकता, इसलिए उन्होने इधर से घुसने का प्लान किया है.
यहाँ दूर-2 तक रेत और फिर नमक ही नमक है, तट पर भी बीएसएफ के अलावा और कोई सुरक्षा व्यवस्था नही है,
वो किसी तरह नमक के दलदल को पार करके घुसने की कोशिश करेंगे.
चूँकि उनका स्टीमर भी किनारे तक नही आ सकता तो वो उसे कुछ अंदर ही रखेंगे और वहाँ से लाइफ बोट्स के ज़रिए किनारे तक आएँगे जैसा कि हमारा अनुमान है.
मैने सवाल किया- तो हमारा प्लान क्या है..? हम कैसे रोकेंगे उन्हें..?
ग्रूप लीडर बत्रा ने अपने हाथ में पकड़ी हुई पेन्सिल से निशान लगाते हुए बताना शुरू किया.
अगर मेरा अनुमान सही निकला तो वो इस पॉइंट तक अपना स्टीमर लाएँगे जो लगभग रात के दो बजे तक आ जाना चाहिए,
वजह ये है कि ये हमारे किनारे से नज़दीक भी है और यहाँ पानी की गहराई भी इस एरिया में सबसे अधिक है,
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है, कि यहाँ हमारी नेवी की कोई सेक्यूरिटी नही है.
फिर वो शायद कच्छ की तरफ सीधे तौर पर नही आएगे क्योंकि इधर बीएसएफ का बेस कॅंप है तो जाहिर सी बात है सेक्यूरिटी भी ज़्यादा होगी,
हमारे हिसाब से वो लाइफ बोट्स का इस्तेमाल करके राजस्थान बॉर्डर की तरफ रुख़ करेंगे, हालाँकि उधर रेत ज़्यादा है, लेकिन खारे पानी का दलदल कम है.
तो हमें शाम ढलते ही कच्छ के दलदल को पार करके वहाँ उन्हें किनारे पर पहुँचने से पहले उनकी बोट्स को रोकना होगा.
मैने बीच में अपनी नाक घुसेड़ते हुए कहा – इफ़ यू डॉन’ट माइंड ! तो मे कुछ सजेस्ट करूँ, सब लोग मेरी ओर देखने लगे.
लीडर बत्रा बोला - हां..हां ! श्योर ! यहाँ हम सबके व्यू लेने के बाद ही कोई डिसिशन लिया जाएगा, जो सबकी राय में उचित होगा वही एक्शन डिसाइड होगा.
मैने कहना शुरू किया - हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो अच्छे तैराक हैं..? मेरी बात पर तो मेरे अलावा 4 लोगों ने और हाथ खड़े किए.
और हमारे पास समुद्र के अंदर तैरने वाले सूट भी होंगे..मैने पुछा ! तो उसने हामी भर दी.
उसकी अन्छुइ परी पहली बार मेरी आँखों के सामने थी, मैने नज़ाकत से उस पर हाथ फिराया और फिर उसकी फांकों को अलग करके उसके अन्द्रुनि गुलाबी भाग को अपने जीभ से चाट लिया..
उसके मुँह से सिसकी निकल गयी और कमर हिलाने लगी, दो-तीन बार जीभ उपर से नीचे फिराने के बाद मैने अपने मूसल को उसकी परी के होठों पर रख कर उसको उसकी खुश्बू सूँघाई,
वो मस्ती में झूम उठा, अब वो बिफरे सांड़ की तरह उसमें घुसने के लिए व्याकुल हो उठा.
मैने भी उसकी मनसा जान, ट्रिशा की परी के होठों को खोल्कर उसके लिए रास्ता बनाया और उसके छोटे से छेद पर अपना कड़क सोट जैसा लंड रख कर पुश करने ही वाला था कि मेरे फोन की बेल घनघना उठी…..!
इस वक़्त किस भेन्चोद की गान्ड में खुजली हुई है यार..! साला खड़े लंड पर हथौड़ा मारने जैसी हालत हो गयी मेरी तो.
फिर सोचा शायद कोई दोस्त मज़ाक करने के मूड में होगा तो उसको एक-आध गाली सुनाकर चुप करा दूं पहले.
यह सोचकर मैने फोन उठा लिया, पर जैसे ही मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लश हो रहे नंबर को देखा…मेरे सारे मसानों ने एक साथ पानी छोड़ दिया !!
मे ट्रिशा को सॉरी बोलकर, एक तौलिया लपेटा और बाहर बाल्कनी में आकर कॉल अटेंड की.
एनएसए चौधरी का फोन था, उन्होने मुझे जैसे ही परिस्थिति से अवगत कराया मेरा सारा सेक्स का मूड हवा हो गया, मेरा खड़ा लंड किसी डरपोक चूहे की तरह बिल में छिप गया.
उन्होने कहा - आइबी के हवाले से खबर मिली है, कि पड़ौसी मुल्क के पोर्ट से एक स्टीमर किसी बड़े टेरर अटॅक के लिए गुजरात के कोस्ट्ल एरिया जहाँ बीएसफ की निगरानी ना के बराबर होती है उस ओर निकल चुका है,
वैसे तो पूरे कोस्टल एरिया पर सेक्यूरिटी फोर्सस बढ़ा दिए गये हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि उन्हें रास्ते में ही रोक दिया जाए और हो सके तो उस स्टीमर को अपनी सामुद्री सीमा पर ही उड़ा दिया जाए.
हमारे 10 एजेंट्स को ये काम सौंपा गया है, जिनमें तुम भी शामिल हो, अति शीघ्रा तुमें कच्छ पहुँच कर कल शाम से पहले वहाँ रिपोर्ट करना है. आगे की सारी रिपोर्ट तुम्हें वही मिलेगी…!
मे कितनी ही देर अवाक अवस्था मे खड़ा उस फोन को देखता रहा, लगता है उपर वाले ने मेरी किस्मत गधे के लंड से लिखी होगी शायद.
तभी तो ऐसे मौके पर जो आदमी के जीवन में सिर्फ़ एक बार ही आता है, उसकी सुहागरात ,
और ये फोन ठीक उस वक़्त, जब हम एक होने जा रहे थे…
मे अपनी इन्हीं सोचों में खोया था, कि तभी ट्रिशा ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे चोंका दिया.
वो एक चादर लपेटे हुए मेरे सामने खड़ी थी.
मैने उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा - सॉरी जान ! मेरे फोन की वजह से तुम्हारा मूड ऑफ हो गया.. लेकिन क्या करता बॉस का फोन था उठाना ही पड़ा.
वो - इट्स ओके जानू मे समझ सकती हूँ..!
मे - अब मुझे इसी वक़्त निकलना होगा, ऑफीस में कुछ प्राब्लम हो गयी है,
ऑपरेशन रुका पड़ा है मुझे फ़ौरन बुलाया है, तुम थोड़ा अड्जस्ट कर लेना प्लीज़.
वो - इट्स ओके स्वीट हार्ट..! आप जाओ अपना काम देखो, अब तो हमें जीवन भर साथ रहना है, अपनी हसरतें तो हम कभी भी पूरी कर लेंगे.
आप मेरी चिंता बिल्कुल मत करो..!
मे - हो सकता है में कल भी ना लौट पाउ, ..? और तुम्हें तो कल शाम को निकलना था.
ट्रिशा मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली - कोई बात नही, हम निकल जाएँगे, आप अपना काम निपटाओ.. हमारी चिंता छोड़ दो.
अब जाओ ! लेट मत करो.
मैने फटाफट अपना बॅग पॅक किया, कपड़े पहने और ट्रिशा के होठों का चुंबन करके उसे बाइ बोला, और निकल गया अपनी कार लेकर.
अभी सुबह के 3:30 बजे थे, रोड तो सॉफ ही मिलने वाले थे सो भगा दी गाड़ी अपनी फुल स्पीड में, एक दो जगह पोलीस की चेकिंग मिली जो आम बात थी.
एक जगह बीच में एक रोड साइड ढाबे पर गाड़ी रोक कर फ्रेश हुआ, चाइ पी, जिससे आँखों से नींद की खुमारी थोड़ा कम हुई, और फिर चल पड़ा.
कोई 11 बजे में अपने गन्तब्य स्थान पर पहुँच गया.
वहाँ 9 लोग पहले से मौजूद थे जो मेरा ही वेट कर रहे थे, ये एक बीएसएफ का ही बेस कॅंप था जो विशेष पर्मिज़न से हमें मीटिंग के लिए मिला हुआ था,
हमारा परिचय वहाँ एनएसजी के कमॅंडोस के तौर पर दिया गया था.
हमारे सामने पाकिस्तान-हिन्दुस्तान की समुद्रि सीमा का मॅप रखा हुआ था, पता चला था कि वो स्टीमर सीमा पर पहुँच चुका है, और पड़ौसी मुल्क की नेवी की देख रेख में आज दिन भर वहीं रहेगा.
रात के अंधेरे में उसको वहाँ से निकाला जाएगा,
सीमा से हमारे तट तक पहुँचने में उसको दो घंटे से ज़्यादा समय नही लगेगा अगर कोई अड़चन नही आई तो.
इस तरफ चूँकि नमक का दलदल जैसा है, बहुत अंदर तक तो हमारी नेवी का कोई गस्ति शिप इधर नही आ सकता, इसलिए उन्होने इधर से घुसने का प्लान किया है.
यहाँ दूर-2 तक रेत और फिर नमक ही नमक है, तट पर भी बीएसएफ के अलावा और कोई सुरक्षा व्यवस्था नही है,
वो किसी तरह नमक के दलदल को पार करके घुसने की कोशिश करेंगे.
चूँकि उनका स्टीमर भी किनारे तक नही आ सकता तो वो उसे कुछ अंदर ही रखेंगे और वहाँ से लाइफ बोट्स के ज़रिए किनारे तक आएँगे जैसा कि हमारा अनुमान है.
मैने सवाल किया- तो हमारा प्लान क्या है..? हम कैसे रोकेंगे उन्हें..?
ग्रूप लीडर बत्रा ने अपने हाथ में पकड़ी हुई पेन्सिल से निशान लगाते हुए बताना शुरू किया.
अगर मेरा अनुमान सही निकला तो वो इस पॉइंट तक अपना स्टीमर लाएँगे जो लगभग रात के दो बजे तक आ जाना चाहिए,
वजह ये है कि ये हमारे किनारे से नज़दीक भी है और यहाँ पानी की गहराई भी इस एरिया में सबसे अधिक है,
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है, कि यहाँ हमारी नेवी की कोई सेक्यूरिटी नही है.
फिर वो शायद कच्छ की तरफ सीधे तौर पर नही आएगे क्योंकि इधर बीएसएफ का बेस कॅंप है तो जाहिर सी बात है सेक्यूरिटी भी ज़्यादा होगी,
हमारे हिसाब से वो लाइफ बोट्स का इस्तेमाल करके राजस्थान बॉर्डर की तरफ रुख़ करेंगे, हालाँकि उधर रेत ज़्यादा है, लेकिन खारे पानी का दलदल कम है.
तो हमें शाम ढलते ही कच्छ के दलदल को पार करके वहाँ उन्हें किनारे पर पहुँचने से पहले उनकी बोट्स को रोकना होगा.
मैने बीच में अपनी नाक घुसेड़ते हुए कहा – इफ़ यू डॉन’ट माइंड ! तो मे कुछ सजेस्ट करूँ, सब लोग मेरी ओर देखने लगे.
लीडर बत्रा बोला - हां..हां ! श्योर ! यहाँ हम सबके व्यू लेने के बाद ही कोई डिसिशन लिया जाएगा, जो सबकी राय में उचित होगा वही एक्शन डिसाइड होगा.
मैने कहना शुरू किया - हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो अच्छे तैराक हैं..? मेरी बात पर तो मेरे अलावा 4 लोगों ने और हाथ खड़े किए.
और हमारे पास समुद्र के अंदर तैरने वाले सूट भी होंगे..मैने पुछा ! तो उसने हामी भर दी.