Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर - Page 13 - SexBaba
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Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर

कृष्णा अभी भी हैरत से अपने बाप को देख रहा था. मानो एक पल के लिए तो उसके दिमाग़ का काम करना बंद हो गया हो.

कृष्णा- बापू.............त..अयू....तुम.

बिरजू- क्यों नहीं आ सकता क्या मैं इस वक़्त अपने घर पर. तू तो ऐसे देख रहा है जैसे मैं तेरा बाप नहीं कोई और हूँ.

कृष्णा- लेकिन....इतनी रात को........इस वक़्त..कैसे आना....हुआ. सब ......ठीक तो ...........हैं ना.

बिरजू- ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ. तू इतना हकला क्यों रहा हैं. सब ठीक तो हैं ना. चल अंदर चलते हैं. और बिरजू अंदर आने के लिए अपने कदम बढ़ाता हैं और कृष्णा की मानो साँस अटक जाती हैं.

कृष्णा- नहीं..बापू.. मेरा मतलब......आप. थोड़ा सा......नहीं नहीं... नहीं बापू........आप ऐसे.....अंदर .....नहीं जा .सकते.

बिरजू- ये तू क्या अनाप-सनाप बके जा रहा हैं. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. मुझे क्या मेरे ही घर में क्या तेरी इजाज़त लेनी पड़ेगी अंदर जाने की .और बिरजू झट से घर के अंदर आ जाता हैं.

बिरजू- राधिका कहाँ हैं इस वक़्त कृष्णा..कहीं दिखाई नहीं दे रही.

कृष्णा- होगी .....अपने कमरे में. ..शायद......सो रही होगी.

बिरजू फिर अपने कदम बढ़ाते हुए सीधा राधिका के कमरे में चला जाता हैं और राधिका इस वक़्त अपने कपड़े पहन चुकी थी. उसको भी बड़ा झटका लगता है अपने बापू को ऐसे अचानक घर आया देखकर.

बिरजू की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब बिरजू बड़े गौर से राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर घूर कर देखने लगता हैं. तभी पीछे से कृष्णा भी वहाँ आ जाता हैं. इस वक़्त राधिका भी अपने कपड़े सही ढंग से नहीं पहन पाई थी. उपर से उसकी जुल्फें खुली हुई थी और बिस्तेर भी अस्त-व्यस्त था. बिरजू कमरे को बड़े गौर से एक एक चीज़ देखने लगता हैं. और कमरे का नज़ारा देखकर उसको समझ में आ जाता हैं कि अभी थोड़े देर पहले यहाँ पर क्या चल रहा था. फिर वो कमरे से बाहर निकल कर अपने घर के एक एक चीज़ को गौर से देखने लगता हैं फिर वो पीछे बरामदे में जाता हैं और जब राधिका और कृष्णा के कपड़े उसे वहाँ मिलते हैं तब उसका शक़ पूरे यकीन में बदल जाता हैं और वो उन कपड़ों को उठा कर राधिका और कृष्णा के बीच लाकर रख देता हैं.

जब कृष्णा और राधिका की नज़र अपने कपड़ों पर पड़ती हैं तो उन्दोनो के होश उड़ जाते हैं.

बिरजू- ये सब क्या हैं राधिका. तेरे कपड़े और कृष्णा के कपड़े बाहर कैसे पड़े हुए हैं.

राधिका- वो मैं शाम को आई थी तो बारिश में मैं पूरी भीग गयी थी तो मैने वो कपड़े ...............................राधिका आगे कुछ बोल पाती इसी पहले बिरजू राधिका की बात काट देता हैं.

बिरजू- और तू क्या कहना चाहता हैं क्या तू भी वही कहेगा जो राधिका अभी अभी कही हैं. कृष्णा कुछ नहीं बोलता और हां में अपनी गर्दन हिला देता हैं.

बिरजू- चलो मान लिया कि तुम दोनो भीग गये थे तो तुम्हारे कपड़े तो बाथरूम में होने चाहिए थे ना. तो वो बाहर बरामदे में क्या कर रहे थे.

राधिका- वो मैं .........बाथरूम में रखने ही वाली थी.................इसी पहले राधिका आगे अपना शब्द पूरा कर पति बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ता हैं. और राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं.

बिरजू- झूट.................झूट बोल रही हैं तू राधिका. ................सरसार झूट. सच तो ये हैं कि तू कृष्णा के साथ बारिश में उसका साथ अपनी हवस शांत करवा रही थी.

कृष्णा- बापू..ये तुम...........क्या बोल रहे हो.....ये झूट हैं....

बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ अब कृष्णा के गाल पर पड़ता हैं और कृष्णा अपना सिर झुका कर नीचे देखने लगता हैं.

बिरजू-क्यों मैं सही बोल रहा हूँ ना. राधिका तू इतना नीचे गिर जाएगी मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था. तुझे और कोई नहीं मिला अपनी हवस शांत करवाने के लिए. मिला भी तो तेरा अपना ही भाई.

राधिका नज़रें नीचे झुकाए अभी भी बिरजू के सामने खड़ी थी.

बिरजू- मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ राधिका. मेरे सवालों का जवाब मुझे चाहिए. इसी वक़्त.

राधिका- हां बापू आप जो समझ रहे हैं वो बिल्कुल सच हैं. मैं हर रात अपने भैया के साथ सोती हूँ.

बिरजू का एक और करारा थप्पड़ राधिका के गाल पर पड़ता हैं और इस बार राधिका के होंठों से खून निकल जाता हैं.

बिरजू- समझ में नहीं आता कि मैं तुझे क्या कहूँ.....एक रखैल........... या इस हरामी को ......बेहन्चोद. जिसे और कोई नहीं मिली चोदने के लिए. मिली भी तो अपनी ही बेहन. तुमने तो भाई बेहन के रिश्ते के मायने ही बदल कर रख दिए. कितना भरोसा था मुझे तुझ पर. मैं तो यही सोचता था कि मेरी बेटी कभी भी कोई ग़लत काम नहीं करेगी. मगर तूने तो मेरे विश्वास की धज़ियाँ उड़ा डाली. शरम आती हैं मुझे तुम जैसे औलाद को अपना औलाद कहते हुए. इससे अच्छा तो मैं तेरे पैदा होते ही तेरा गला घोंट देता. कम से कम आज तो ये दिन मुझे नहीं देखना पड़ता.

राधिका आगे बढ़कर बिरजू के दोनो हाथों को अपनी गर्दन पर रख देती हैं- लो बापू घोंट दो मेरा गला. कम से कम आपको मुझसे तो छुटकारा मिल ही जाएगा. मैं तो वैसे भी जीना नहीं चाहती.

कृष्णा आगे बढ़कर अपने बापू का हाथ छुड़ाता हैं- बापू मुझे जितना मारना हैं मार लो. मैं एक शब्द कुछ नहीं कहूँगा. जो कहना हैं मुझे कह लो. राधिका बिल्कुल बे-कसूर हैं.

बिरजू- तुझे क्या कहूँ एक बेहन का आशिक़ ...........या बेहन्चोद. इतना समझ ले मैं तेरी तरह बेहन्चोद नहीं हूँ जो अपनी ही बेहन चोद्ता हो. और ना ही मुझे शौक हैं कि तेरी तरह अपनी बेटी को चोदु. और मैं तेरी तरह बेटी चोद नहीं बनना चाहता. मैं मर जाना पसंद करूँगा मगर ऐसा नीच काम कभी नहीं करूँगा.

राधिका- बस कीजिए बापू. अब मुझसे ये सब और नहीं सुना जाएगा.

बिरजू फिर आगे बढ़कर राधिका के गाल पर तीन चार थप्पड़ जड़ देता हैं फिर उसके बालों को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लेता हैं- क्यों भाई के साथ रातें रंगीन करने पर शरम नहीं आई और अब ये सब सुनने में शरम आ रही हैं. और फिर से तीन चार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका के चेहरे पर बिरजू के हाथों के निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे. उसका चेहरा पूरी तरह से लाल पड़ गया था. और होंठो से खून भी बह रहा था. तभी कृष्णा आगे बढ़कर राधिका को छुड़ाता हैं.

कृष्णा- बस करो बापू. आज मार डालोगे क्या राधिका को.

बिरजू- जी तो कर रहा हैं कि इसकी आज जान ले लूँ. और बिरजू आकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.

राधिका आगे बढ़कर अपने बापू के पास जाती हैं- रुक क्यों गये बापू. मेरे लिए ये सौभाग्य की बात होगी कि मेरी मौत आपके हाथों हो. हां मैं मानती हूँ कि मैने भाई बेहन के रिश्ते को कलंकित किया हैं. मैं इन सब की कसूरवार हूँ. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैने ही इन्हें मज़बूर किया था ये सब करने के लिए. मैं ही बहक गयी थी. मगर इन सब के पीछे वजह थी. आप ने तो बड़ी आसानी से मुझे ना जाने क्या क्या कह दिया पर मैं आपसे पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया. आज तक आपने कभी भी अपने बाप होने का कोई भी फ़र्ज़ निभाया. क्या हमारी ज़रूरतें होती हैं कभी आपने सोचने की कोशिश की.

सिर्फ़ औलाद पैदा कर देने से वो बाप या मा नहीं कहलाता. बाप या मा का ये भी फ़र्ज़ होता हैं कि वो अपने औलाद का पालन पोषण करें. उसकी हर ज़रूरतो को पूरा करें. उसकी हर सुख दुख में बराबर का हिस्सेदार बने. मगर आपने तो मुझे पैदा करके छोड़ दिया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया हैं. आप सिर्फ़ बाप कहलाने के हक़दार हो बाप नहीं हो............

बिरजू अब लगभग शांत हो चुका था और वो राधिका की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था.

राधिका- अगर बचपन से लेकर अब तक आपने बाप होने का फ़र्ज़ निभाया होता तो आज ये सब नौबत नहीं आती. कृष्णा भैया भी आपकी ही राहों पर चल रहें थे. दिन रात शराब सिग्रेट और रंडी बाज़ी ये सब इनका रोज़ का काम था. अगर मैने इन्हें सुधारने के लिए अपने आप को इनके हवाले किया तो क्या ग़लत किया.

अगर आज ये सब कुछ छोड़ कर एक अच्छा इंसान बन रहे हैं तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता हैं कि मैं इनकी खुशी के लिए इनका हर इच्छा पूरी करूँ चाहे वो इच्छा बीवी की क्यों ना हो. मैं तन मन से इनकी सेवा करूँ. क्या ये सब करके मैने ग़लत किया.

अगर बचपन में आपने मेरा दामन थाम लिया होता तो आज ये सब कभी नहीं होता. आज आपके अंदर भी ज़िमेदारी नाम की कोई चीज़ होती. अगर आपने इस घर की ज़िम्मेदारी नहीं उठाई और इस घर की पूरी ज़िम्मेदारी मैने अपने उपर ली तो क्या मैने ग़लत किया. मुझे जवाब दो क्या इन सब सवलों जवाब हैं आपके पास.

राधिका की ऐसी बातें सुनकर तो आज बिरजू की भी बोलती बंद हो गयी थी वो भी सोच में डूब जाता हैं और राधिका के एक एक शब्दों का जवाब ढूँढने की कोशिश करता हैं.
 
कमरे में तीनों एक दम खामोश थे. अंत में बिरजू अपनी चुप्पी तोड़ता हैं.

बिरजू- राधिका तूने जो कहा हैं हो सकता हैं कि वो सारी बातें सच हो. मगर तुमने जो तरीका अपनाया हैं वो बिल्कुल ग़लत हैं. तूने तो ये भी नहीं सोचा कि ये सब करने से हमारे समाज में हमारी क्या इज़्ज़त रह जाएगा जब ये बात दुनियावालों को पता चलेगी. सब लोग हमपर हसेन्गे.

राधिका- मैं जानती हूँ बापू कि मैने जो किया हैं वो ग़लत हैं लेकिन मुझे इसका कोई पछतावा नहीं हैं. मुझे अपने भैया की ज़िंदगी ज़्यादा प्यारी हैं. अगर दुनिया हँसती हैं तो हँसे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. समझ का काम ही हैं हमेशा उंगली उठना.

बिरजू- या तो तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं या तो तू हवस में बिल्कुल आँधी हो चुकी हैं जो इतना भी नहीं समझती कि हम इसी समाज़ के ही इंसान हैं. अरे पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर. ये तो वही बात हो गयी ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दीजिए बापू मैं इस सिस्टम को अकेले नहीं बदल सकती. मैं इस समाज़ के चक्कर में अपने भैया की ज़िंदगी बर्बाद होता हुआ नहीं देख सकती. और राधिका उठ कर बाथरूम में चली जाती हैं. फिर कृष्णा आकर वही सोफे पर सो जाता हैं और बिरजू भी आकर कृष्णा के बिस्तेर पर सो जाता हैं. बिरजू जैसे ही वो बिस्तेर पर आकर लेट ता हैं उसके मन में राधिका की कही हुई सारी बातें घूमने लगती हैं. मगर बहुत सोचने के बाद भी वो कोई फ़ैसला नहीं ले पता हैं.

राधिका भी आकर बिस्तेर पर सो जाती हैं मगर उसकी आँखों में नींद कहाँ थी. वो भी बहुत डर तक इन्ही सब बातो में खोई हुई थी. आख़िर बिहारी को कैसे पता चला कि मेरे और भैया के बीच जिस्मानी संबंध हैं. मेरे भैया के रिश्ते के बारे में तो बस निशा ही जानती थी. और निशा तो बिहारी को जानती भी नहीं फिर ये बात बिहारी को कैसे पता लगी. इतना तो मैं यकीन से कह सकती हूँ कि भैया भी कभी इस बात की जीकर उससे क्या किसी से नहीं करेंगे. फिर उसे कैसे ये बात मालूम हैं. बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश करती हैं मगर उसे कुछ समझ नहीं आता.

फिर वो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक ये सब सोचती है और कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता भी नहीं चलता. राधिका इन सब से बेख़बर थी उसे क्या मालूम था कि ये तो बस तूफान की शुरूवात हैं. जो तूफान अब उसकी ज़िंदगी में आने वाला था वो उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए काफ़ी था. शायद भगवान भी उसका इम्तिहान ले रहा था. क्या था वो तूफान ये तो जल्दी ही पता चलने वाला था..

.......................................

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो बिरजू उसके पास बैठा मिलता हैं. वो उसे बड़े प्यार से देख रहा था. राधिका की जब आँख खुलती हैं तो वो चौंक कर अपने बाप को देखने लगती हैं.

राधिका- बापू आप इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हैं.

बिरजू- मुझे माफ़ कर दे बेटा मैने ना जाने तुझे क्या क्या कहा और तुझपर अपना हाथ उठाया. सच में तू अब बहुत बड़ी हो गयी है. तेरा दिल बहुत बड़ा हैं. आज के बाद इस घर की ज़िम्मेदारी तू नहीं बल्कि अब मैं इस घर को संभालूँगा. मेरी वजह से तूने बहुत दुख झेले हैं और आज के बाद मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं दूँगा. और आज के बाद मैं उस बिहारी के पास भी नहीं जाउन्गा. बेटा हो सके तो तू मुझे माफ़ कर दे. वैसे तो मैं माफी के लायक नहीं हूँ अगर तू मुझे जो सज़ा देना चाहे दे सकती हैं. मैं खुशी खुशी तेरी हर सज़ा क़ुबूल कर लूँगा. और मेरी वजह से ही तो तेरा हँसता खेलता बचपन उजड़ गया. तेरी मा के मौत का भी मैं ही ज़िम्मेदार हूँ . जानता हूँ की मेरी ग़लती अब माफी के लायक नहीं हैं पर तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. बिरजू राधिका के सामने अपने दोनो हाथ जोड़ते हुए बोला.

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं खुशी के मारे- ये आप कैसी बातें कर रहे हैं बापू. जाने दीजिए जो हुआ वो मेरे बीता हुआ कल था. मैं उसे याद करना नहीं चाहती. मुझे अब आपसे कोई शिकवा गीला नहीं हैं. बस आप अब सिग्रेट शराब पीना छोड़ दीजिए. और अब एक अच्छे इंसान बन जाइए मुझे अब और कुछ नहीं चाहिए. बिरजू इतना सुनकर झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक दोनो बाप बेटी एक दूसरे के गले लगे रहते हैं. आज ज़िंदगी में पहली बार राधिका आपने बाप के गले मिली थी. आज राधिका बेहद खुश थी मगर इस खुशी को जल्दी ही ग्रहण लगने वाला था..

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठता हैं और जाकर अपने बाप के पास चुप चाप खड़ा हो जाता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दो बापू आगे से ऐसा नहीं होगा.

बिरजू- मैने तुझे कब का माफ़ कर दिया हैं.

तभी घर का बेल बजता हैं. कृष्णा चौन्कर दरवाज़े की तरफ देखने लगता हैं फिर वो जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो सामने जिस शक्श पर कृष्णा की नज़र पड़ती हैं उसे देखकर उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं. सामने बिहारी था और उसके साथ उसके दो चमचे भी थे. वो हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं.

बिहारी झट से अंदर आता हैं और आकर वही सोफे पर बैठ जाता हैं. तभी बिरजू और राधिका भी आ जाते हैं और बिहारी को ऐसे बैठा देखकर लगभग दोनो चौंक जाते हैं.

राधिका- अब क्या लेने आए हो बिहारी. चले जाओ यहाँ से. आज के बाद यहाँ तुम्हारा कोई काम नहीं.

बिहारी पहले तो राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर कर देखता हैं फिर बोलता हैं- चला जाउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. घर आए मेहमान से क्या कोई इस तरह से पेश आता हैं . और मेहमान को तो भगवान का दर्ज़ा दिया जाता हैं.

राधिका- तू भगवान नहीं इंसान की खाल में छुपा शैतान हैं. हमे तुमसे कोई रिस्ता नहीं रखना हैं और अब कोई ज़रूरत नहीं हैं कि तुम यहाँ पर आओं. अच्छा होगा कि तुम यहाँ से चले जाओं.

तभी बिरजू बीच में बोल पड़ता हैं.

बिरजू- मालिक मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ आप यहाँ से चले जाइए. अब मैं आपके यहाँ काम नहीं करूँगा.

बिहारी- मुझे हैरत हो रही है कि तू ये बात बोल रहा हैं. बरसों से मेरी गुलामी किया और आज इस लड़की ने तुझे क्या पाठ पढ़ा दिया कि तूने भी कृष्णा की तरह आज मुझसे मूह फेर लिया खैर कोई बात नहीं आज कल वफ़ादार नौकर इतनी आसानी से कहाँ मिलते हैं और वो भी तेरे जैसा. कोई बात नहीं मैं तुझे निराश नहीं करूँगा. भाई ज़िंदगी तेरी हैं तू जैसे चाहे जी .........जा आज के बाद बिहारी तुझे आज़ाद करता हैं. मगर एक बात मुझे तेरी बेटी से कहनी हैं अगर तू इसकी इज़ाज़ात दे तो मैं कहूँ..

बिरजू- मालिक ये आप कैसी बातें कर रहें हैं भला मैं कौन होता हूँ आप को इज़ाज़ात देने वाला. आप बेशक़ राधिका से जो पूछना हैं पूछ सकते हैं.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं - राधिका सोच क्या तुझे एक बहुत बड़ा सच बता दूँ जिसको सुनकर तुझे झटका तो लगेगा मगर तुझे नहीं बताया तो मेरे दिल को चैन नहीं मिलेगा. फिर बिहारी अपनी जेब में से एक फोटो निकाल कर राधिका को थमा देता हैं और जब राधिका वो फोटो देखती हैं तो वो हैरत से उस फोटो को देखने लगती हैं..फिर वो सवालियों नज़र से बिहारी की ओर देखने लगती हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--35

राधिका बड़े गौर से उस फोटो को देख रही थी. वो फोटो पार्वती की थी.

बिहारी- तू तो इसको अच्छे से जानती होगी. पार्वती नाम हैं इसका. ये मेरी बीवी थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उसका कुछ दिन पहले कतल हो गया था.

राधिका के चेहरे पर पसीने की कुछ बूँदें थी और दिल और दिमाग़ में कई सारे सवाल उठ रहे थे.- लेकिन ये सब तुम मुझे क्यों दिखा रहे हो. भला इस फोटो से मेरा क्या संबंध हैं.

बिहारी - संबंध हैं. बहुत गहरा संबंध हैं. मैं जानता हूँ कि जिस वक़्त मेरी बीवी का कतल हुआ उस वक़्त तू वहाँ पर मौजूद थी और उसका कतल होते हुए अपनी आँखों से भी देखा. और अब तू गवाह भी बनने वाली हैं. और तू चाहती है कि इसके गुनहगारों को इसकी किए की सज़ा मिले. मगर मैं नहीं चाहता कि तू पोलीस को जाकर कोई बयान दे. ये तेरे लिए ही अच्छा होगा.

राधिका- तुम मुझे धमकी दे रहे हो या चेतावनी मुझे इसी कोई फ़र्क नहीं पड़ता. मैं जानती हूँ कि तुमने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं. इस लिए तुम कभी नहीं चाहोगे की मैं पोलीस को जाकर कोई भी बयान दूँ. मगर ये तुम्हारी भूल हैं मैं पोलीस को जाकर तुम्हारे खिलाफ बयान दूँगी और ये तुम्हारा बे-नक़ाब चेहरा इस दुनिया को दिखाउन्गि.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- मैं जानता था कि तुम इतनी आसानी से मेरी बात नहीं मनोगी. खैर ये तो तुम जानती ही हो कि मैने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं मगर क्या तुम उनके क़ातिलों से मिलना नहीं चाहोगी. जब तुम्हें पता लगेगा कि मेरी बीवी के कातिल कौन हैं तो हो सकता हैं तुम अपना बयान बदल लो.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका का दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो ज़ुबान लड़खड़ाने लगती हैं- कौन.............हैं....

बिहारी- बताउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. आभी तो तुझे एक और धमाकेदार खबर सुननी हैं.

राधिका- पहेलियाँ मत भुजाओं बिहारी. जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- ठीक हैं तो सीधा मुद्दे पर आते हैं. तू ये सोच रही होगी कि कृष्णा के साथ तेरी जिस्मानी ताल्लुक़ात मुझे कैसे पता लगे.

राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था वो बस बिहारी के आगे बोलने का इंतेज़ारक़र रही थी.

बिहारी- तुझे याद होगा कि एक तेरी नयी नयी दोस्त बनी हैं जिसका नाम हैं मोनिका उर्फ्फ़......तन्या. तू तो उसे अच्छे से जानती होगी. आज कल वो तुझसे मिलने अक्सर तेरे घर पर आती हैं. वो तेरी दोस्त नहीं बल्कि मेरा ही एक मोहरा हैं जो मेरे इशारों पर नाचती हैं. या यूँ कह ले कि मेरी वो रखैल हैं. जो तेरी सारी इन्फर्मेशन मुझ तक पहुँचाती हैं.

राधिका इतना सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं- धोका.............. इतना बड़ा विश्वासघात ?????

बिहारी- हां भाई हम तो दोस्तों पर भी उतनी ही नज़र रखते हैं जितना कि दुश्मन पर. और तेरे से कोई मेरी दुश्मनी थोड़ी ही ना हैं. तुझे तो मैं अपना दोस्त मानता हूँ.

राधिका- लेकिन ये बात तो मैने मोनिका को भी नहीं बताई थी कि मेरे भैया के बीच मेरे शारीरिक संबंध हैं. फिर वो कैसे जानती हैं ये बात.

बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. जितनी तू खूबसूरत हैं तेरे दिमाग़ भी उतनी ही चलता हैं. थोड़ा धीरज रख बताता हूँ.

बिहारी- तुझे याद होगा एक बार जब मोनिका तेरे घर पर पहली बार आई थी तब वो तुझे कुछ प्रेज़ेंट दी थी. मेरे ख्याल से तुझे याद होगा. .........................एक टेडी बेर.

राधिका को झटके पर झटके लग रहे थे बिहारी की एक एक बातों को सुनकर- हां याद हैं. वो इस वक़्त मेरे पास ही हैं.

बिहारी- जानती हैं उस टेडी बेर में क्या है. वो कोई नॉर्मल टेडी बेर नहीं है बल्कि यू कह सकती हैं कि उसमें एक कॅमरा लगा हुआ हैं और साथ में सेन्सर भी. जब इंसान उसके संपर्क में आता हैं तो उसका कॅमरा ऑटोमॅटिक आक्टीवेट हो जाता हैं और उसके अंदर एक हार्ड डिस्क भी लगी हुई हैं जो तेरी सारी हरकतों को रेकॉर्ड करता हैं. एक वाइयरलेस पोर्ट भी हैं जिससे मैं जब चाहे तब उस टेडी बेर से कनेक्ट हो जाता हूँ और तेरी सारी करतूतों को रेकॉर्ड करता हूँ. जिस तरह से लोग आज कल इंटरनेट यूज़ करते हैं वाइर्ले नेटवर्क के ज़रिए उसी तरह से ये भी काम करता हैं. बस मैने तो अब तक की तेरी सारी ब्लू फिल्म भी तैयार कर रखी है. अगर तू चाहे तो मैं तुझे सबूत के तौर पर दिखा भी सकता हूँ.

बिहारी की बाते सुनकर कृष्णा और राधिका के होश उड़ जाते हैं.



राधिका- तुम ऐसा नहीं कर सकते. राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

बिहारी- बिल्कुल कर सकता हूँ. तू ही सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म मैं मार्केट में लॉंच कर दूं या फिर इंटरनेट पर डाल दूं तो तू जीते जी मर जाएगी. और सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म अगर राहुल को पता लग गया तो ...............................बिहारी इतना बोलकर खामोश हो जाता हैं.

राधिका- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ बिहारी. ऐसा मत करना. मैं जी नहीं पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर मैं तुझे ब्लॅकमेलिंग नहीं करूँगा और मैं ये नहीं चाहता राधिका कि तुझे कुछ हो. आख़िर मुझे भी तुझसे इश्क़ हो गया हैं. क्या करें ये दिल का मामला है और तू तो ये बात अच्छे से जानती होगी कि ये प्यार कितनी जालिम चीज़ हैं. हमेशा दर्द ही देता हैं.

राधिका वही नीचे फर्श पर बैठ जाती हैं.- तो क्या चाहते हो बिहारी इन सब के बदले. क्या मैं तुमसे शादी कर लूँ. अगर तुम्हारी यही इच्छा हैं तो मैं आब तुमसे शादी करने को तैयार हूँ.

बिहारी हंसते हुए- शादी और तुझसे..................अब तो तू एक रखैल बन चुकी हैं. और रखैल को कोई बीवी नहीं बनाता. और रखैल का भी ईमान धरम होता हैं वो कितना भी गिर जायें मगर अपने भाई और बाप के साथ बिस्तेर गरम नहीं करती. मगर तू तो उन सब से आगे हैं.रखैल की शोभा तो कोठे पर होती हैं. और तेरी जगह भी वही हैं. मगर मैं इतना निर्दयी नहीं हूँ. तेरी जैसी मस्त आइटम को मैं दिल के एक फीट नीचे बैठा कर हमेशा रखूँगा. बीवी तो ना सही पर ज़िंदगी भर मैं तेरे को अपनी पर्सनल रंडी बनाकर ज़रूर रखूँगा. बिहारी की ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से चिल्ला पड़ता हैं.

बिहारी- ज़ुबान को लगाम दे बिहारी. वरना तेरी ज़ुबान यही काट कर फेंक दूँगा.
 
बिहारी कृष्णा के नज़दीक जाता हैं और जाकर एक घूसा कृष्णा के पेट पर मार देता हैं. कृष्णा वही दर्द से बैठ जाता हैं.- इस वक़्त मेरा पलड़ा भारी हैं. अगर ज़्यादा होशियारी दिखाई तो तेरी बेहन कोठे के लायक भी नहीं रहेगी. उसे ऐसे दरिंदो के बीच भेज दूँगा जहाँ उसकी हर रात बोटी बोटी नोची जाएगी और तेरी बेहन की ऐसी हालत होगी की ये ना जी पाएगी और ना ही मर पाएगी.

कृष्णा खामोश हो जाता और और चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं.

बिहारी- बोल बनेगी ना मेरी पर्सनल रंडी.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसके आँखों से आँसू अब भी बह रहे थे. आज राधिका खुद को इतना कमजोर महसूस कर रही थी कि आज वो बिहारी के सामने बिल्कुल बेबस थी.

राधिका- छोड दो मेरे भैया को. जो तुम चाहते हो वो मैं सब करने को तैयार हूँ. मगर इससे पहले मैं पार्वती के क़ातिलों के बारे में जानना चाहती हूँ. कौन हैं उसके कातिल.

बिहारी हंसते हुए- बताता हूँ मेरी जान थोड़ा सब्र तो कर. और अपने दिल को भी थोड़ा मज़बूत कर ले. मैं जानता हूँ की तू ये सच शायद बर्दास्त नहीं कर पाएगी.

राधिका- पहेलियाँ मत बुझाओ बिहारी. क्या हैं सच.???

बिहारी- तो सुन बताता हूँ. सच तो ये हैं कि पार्वती को मैने ही मरवाया हैं. वो मेरा सच जान गयी थी कि मैं अपनी राजनीति की आड़ में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा करता हूँ. और उसने मुझे मोनिका के साथ सेक्स करते हुए पकड़ लिया था. वो मेरा सच जान गयी थी जिसके वजह से वो मुझसे डाइवोर्स चाहती थी. बस यही वजह थी कि मैने उसे अपने रास्ते से हटवा दिया. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वो जाकर पोलीस में सारी बातें बक देती.

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसकी हर बात राधिका के दिमाग़ में बॉम्ब की तरह फट रहे थे.

बिहारी- ये मेरी किस्मत हैं या मेरी बदक़िस्मती पर जिस वक़्त मैने अपने दो आदमियों को भेजा था उसका मर्डर करवाने के लिए उस वक़्त तू वहाँ पर पहुँच गयी थी और पार्वती का खून होते तूने अपनी आँखो से देख लिया. मैने अपने एजेंट्स और प्राइवेट जासूस से ये पता करवाया कि वो तू ही हैं जिसने ये वारदात होते अपनी आँखों से देखा था. मैने तो ये सोच लिया था कि तुझे भी जान से मरवा दूँगा मगर मैं नहीं चाहता था कि तुझे कुछ हो. पर एक बात तूने कभी गौर नहीं किया कि रास्ता सूनसान था और उस वक़्त तू बिल्कुल अकेली थी और जो दोनो बदमाश थे उनके हाथों में हथियार थे फिर भी वो लोग तुझपर हमला नहीं किए और तुझे देखकर भाग गये. आख़िर क्यों.??? कभी सोचा हैं अगर वो चाहते तो तुझे वही बड़ी आसानी से मार सकते थे मगर उन दोनो ने ऐसा नहीं क्या. मैं बताता हूँ इसके पीछे क्या वजह हैं...

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.

बिहारी- तो सुन जिन लोगों को तू अपने आँखों से कतल करते हुए देखी थी वो और कोई बल्कि तेरे अपने लोग हैं.

राधिका की दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं बिहारी की ऐसी बातें सुनकर- अपने............लोग.....क्या ............मतलब.

बिहारी- हां मेरी बीवी के कातिल तेरे सामने मौजूद हैं ..........वो देख एक तो तेरा भाई.................और दूसरा तेरा बाप...........

राधिका इतना सकते ही वो वही धम्म से ज़मीन पर गिर जाती हैं और उसकी आँखों से आँसुओ का सैलाब निकल पड़ता हैं- ये नहीं हो सकता. तुम झूट बोल रहे हो.ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरे भैया और बापू ऐसा कभी नहीं कर सकते. वो किसी का कतल नहीं कर सकते.

बिहारी- मैं जानता था कि तू सपने में भी मेरी बातें पर यकीन नहीं करेगी. इसलिए मैं पूरे सबूत अपने साथ लाया हूँ. फिर बिहारी अपने जेब में से फोटोग्रॅफ्स राधिका को थमा देता हैं.

राधिका एक एक कर सारे फोटोस को देखने लगती हैं. उसमें नक़ाब में उसके बापू और कृष्णा मौजूद थे. और एक आदमी से हाथ मिलाते हुए भी कुछ फोटोस थे. उस आदमी को राधिका ने कभी नहीं देखा था. और फिर उसके हाथ में एक बॅग भी था जो एक दिन कृष्णा अपने साथ घर पर लाया था. राधिका के मूह से वो बॅग वाला बात निकल पड़ता हैं.

राधिका- ये तो वही बॅग हैं जो एक दिन भैया इसे अपने साथ लाए थे.

बिहारी अपने एक आदमी को इशारा करता हैं और वो जाकर कृष्णा के कमरे से वो बॅग उठा लता हैं और बिहारी के सामने रख देता हैं.
 
बिहारी- ये वही बॅग हैं. फिर राधिका झट से उस बॅग को खोलती हैं और जब उसके अंदर जब उस समान पर नज़र पड़ती हैं तो उसे मानो ऐसा लगता हैं जैसे किसी ने उसके शरीर से से पूरा खून निकाल लिया हो. उस बॅग में वही नक़ाब और कपड़े रखे हुए थे. साथ में दो चाकू भी थे और उस पर थोड़े खून के निशान भी थे. और फिर अंत में उसे नोटों का बंड्ल मिलता हैं. 1000 के 10 गॅडी. यानी 10 लाख रुपये... 

राधिका की आँखों से अब भी आँसू बह रहे थे. उसे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके भैया और उसके बापू ऐसा काम भी कर सकते हैं.

बिहारी- अब विश्वास हो गया ना तुझे मेरी बातो पर. बोल अब भी तू क्या पोलीस को बयान देगी ये जानते हुए भी कि मेरी पत्नी के कातिल तेरे ही बाप और भाई हैं.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन चुप चाप नीचे झुकाए रहती हैं.

बिहारी- अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं. बाकी के आधी पिक्चर भी तुझे बहुत जल्द दिखाउन्गा. हो सके तो तू अपना दिल मज़बूत किए रहना. और वैसे भी तू बहुत हिम्मत वाली लड़की हैं. कोई दूसरी होती तो ना जाने अब तक क्या कर बैठती. और हां अब तेरे परिवार की जान तेरी मुट्ठी में हैं. या तो तू इसे बचा सकती हैं या फिर चाहे तो मिटा सकती हैं. अब फ़ैसला तुझे ही करना हैं. मेरी तरफ से तू बे-फिकीर रह मैं कभी भी अपना मूह नहीं खोलूँगा. और बिहारी इतना बोलकर अपने आदमियों के साथ बाहर निकल जाता हैं.

राधिका चुप चाप वही फर्श पर बैठी हुई थी और उसकी आँखों में आँसू थे. वही सामने कृष्णा और बिरजू अपना सिर झुकाए चुप चाप खड़े थे. आज सुबेह राधिका कितनी खुश थी उसे लगा कि उसका बरसों का बिखरा परिवार आज एक हो गया मगर ये खुशी थी कुछ पल के लिए. उसे क्या पता था कि आज उसके ज़िंदगी में ऐसा तूफान आएगा कि उसकी सारी ख़ुसीयों को बहा कर ले जाएगा.

राधिका फिर उठकर कृष्णा के पास जाती हैं और एक नज़र अपने भैया को गौर से देखती हैं फिर एक ज़ोरदार थप्पड़ कृष्णा के गाल पर जड़ देती हैं. फिर एक के बाद लगातार तीन चार थप्पड़ और कृष्णा के दोनो गालों पर जड़ देती हैं. कृष्णा एक शब्द कुछ नहीं बोलता और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- क्यों किया आपने ऐसा. मैं पूछती हूँ ............क्यों???? आख़िर क्या मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम औरत को जान से मारना पड़ा. अरे कितनी विश्वास करने लगी थी मैं आप पर लेकिन आज फिर आपने मेरी विश्वास की धज़ियाँ उड़ा दी. निशा सही कहती थी काश मैने उसकी बात पहले ही मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता.

शरम आती हैं मुझे आप पर. इंसान कितना भी बदल जाए मगर अपनी फिदरत कभी नहीं बदल सकता. आज आपने ये बात भी साबित कर दी. और आज के बाद ये समझ लेना कि आपकी कोई बेहन नहीं हैं. मैं आज के बाद आपलोगों के लिए मर गयी हूँ. ना मेरा कोई इस दुनिया में बाप हैं और ना ही भाई. आज आप लोग की वजह से उस बिहारी ने मुझे ना जाने क्या क्या कहा. दुख मुझे उसकी बातो का नहीं हैं. दुख तो इस बात का हैं की मैं आपको पहचान नहीं पाई. मैं ही ग़लत थी. और राधिका वही फुट फुट कर रोने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका मैं जानता हूँ कि मैने बहुत बड़ा गुनाह किया हैं. और मैं अब माफी के हक़दार भी नहीं हूँ. तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. मैं अब कुछ नहीं कहूँगा.

राधिका- मुझे कुछ कहना लायक कहाँ छोड़ा हैं आपने. बस मैं इतना जानना चाहती हूँ कि कौन सी ऐसी मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम का खून करना पड़ा. मुझे बस इसकी वजह बता दीजिए.

कृष्णा- मैने जो भी कुछ किया हैं तेरे लिए किया हैं. अब कुछ दिन में तेरी शादी होने वाली थी तो कहाँ से मैं इतने पैसों का इंतज़ाम करता. किसके सामने अपने हाथ फैलाता. और मैं चाहता था कि तू भी हँसी खुशी रहे. ऐसे ही मैं एक दिन सोच रहा था की कैसे भी करके मुझे 2 लाख रुपए का इंतज़ाम कहीं से कर लूँ फिर तेरी शादी धूम धाम से करूँगा. फिर एक दिन एक आदमी मेरे पास आया. शायद वो अच्छे से जानता था कि मुझे इस वक़्त पैसों की शख्त ज़रूरत हैं. उसने मेरे सामने पार्वती के मर्डर करने का प्रपोज़ल रखा. पहले तो मैने सॉफ इनकार कर दिया. फिर एक दिन बापू ने भी मुझसे वही बात कही और ये भी कहा कि वो इस काम के बदले मुझे 10 लाख रुपये देगा. मैने पैसों की वजह से हां कर दी. जब मैने पार्वती को जान से मार दिया तब मुझे पता लगा कि वो आदमी बिहारी का ही था. बाद में बिहारी ने मुझसे कहा कि मैं अपना सोर्स और पवर का इस्तेमाल करके तुझे जैल से रिहा करवा दूँगा. बस इस वजह से मैं भी चुप हो गया. मैने तुझे कई बार इस बारे में बात करने की हिम्मत जुटाई मगर मैं जानता था कि तू मेरी बातो को नहीं समझेगी. बस तुझे कभी भी किसी चीज़ का कोई तकलीफ़ ना हो. मैने जो कुछ भी किया हैं बस तेरी खुशी के लिए किया हैं.

राधिका- खुशी................एक मासूम की हत्या करके मुझे खुश रखना चाहते हो आप. जानते भी हैं आपकी इस बेवकूफी की नतीजा क्या होगा. शाया आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं है मगर मैं जानती हूँ कि बिहारी अब मेरे से क्या चाहता हैं.वो इसका फ़ायदा उठाकर अब मुझे हासिल करना चाहता हैं और ये बात आप लोग अच्छे से जानते हो कि वो मुझे अपनी रखैल बनाकर रखेगा. आप ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. भैया मैं बहुत खुस थी. हम ग़रीब थे मगर मैने कभी आप से किसी भी चीज़ का कभी कोई ज़िक्र नहीं किया. मैं जैसे भी थी खुस थी मगर आपको शायद मेरी वो खुशी भी देखी नहीं गयी. मैं आपको कभी माफ़ नहीं कर सकती. और राधिका कृष्णा के सीने पर मूक्‍के मारते मारते वही उसके कदमों में बैठ जाती हैं. कृष्णा की इतनी भी हिम्मत नही थी कि वो उसे उठाए.

राधिका फिर अपने आँसू पोछती हैं. मैं इसके किए की आपको सज़ा ज़रूर दिलवाउंगी. और फिर राधिका राहुल के पास फोन करती हैं.

राहुल- हां जान बोलो कैसे याद किया.

राधिका- तुम जाना चाहते थे ना पार्वती के क़ातिलों को बारे में . मैं जानती हूँ कौन हैं उसके कातिल. तुम यहाँ पर तुरंत आ जाओ इसी वक़्त.

राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका की ऐसी बातो को सुनकर- ऑल यू ऑलराइट. कभी कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना. डॉन'ट माइन मैं अभी तुम्हारे घर पर आ रहा हूँ. और फिर राधिका फोन रख देती हैं.

कृष्णा- बस आखरी बार एक बात कहना चाहता हूँ राधिका कि मैं एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका हो सके तो मुझे भूल जाना और समझ लेना कि कृष्णा आज के बाद तेरे लिए मर गया हैं. राधिका कृष्णा की बातो को सुनकर फुट फुट कर रोने लगती हैं..
 
बिरजू भी चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था. वो तो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रहा था. आज कृष्णा की आँखों में भी आँसू थे पस्चाताप के. आब उसे लगने लगा था की उसने आज कितनी बड़ी भूल की हैं मगर आब शायद बहुत देर हो चुकी थी. थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं. साथ में ख़ान और एक हवलदार भी था.

राहुल अंदर आता हैं और अंदर का नज़ारा देखकर वो भी थितक जाता हैं. अंदर राधिका आभी भी फर्श पर बैठी हुई रो रही थी और कृष्णा और बिरजू चुप चाप वही खड़े थे. राहुल राधिका के नज़दीक जाकर उसे अपने मज़बूत हाथों से उसे सहारा देकर उठाता हैं और फिर उसके आँसू पोछता हैं.

राहुल- क्या बात हैं जान. आज तुम्हारे इन आँखों में आँसू. सब ठीक तो हैं ना. और तुम ऐसे क्यों रो रही हो.

राधिका- सब ख़तम हो गया राहुल. सब कुछ बर्बाद हो गया. और इतना कहकर राधिका राहुल के सीने से लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं.

राहुल- क्या हुवा बताओ तो सही. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं. मैं तुम्हारे इन आँखों में आँसू नहीं देख सकता.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- तुम जानना चाहते थे ना पार्वती के कातीलो के बारे में. वो देखो तुम्हारे सामने मौजूद हैं और राधिका अपने हाथों से अपने भैया और बापू की ओर इशारा करती हैं. राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका के मूह से ये सब सुनकर.

राधिका- और ये देखो सबूत फिर वो बॅग राहुल को थमा देती हैं जिसमें हथियार और नक़ाब थे और साथ में पैसे भी. राहुल एक एक कर सारे समान को देखने लगता हैं.

राहुल- ऐसा कैसे हो सकता हैं. भैया आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता. फिर राधिका जो भी बात हुई थी सारी बातें वो राहुल को बता देती हैं.

राहुल- ये सब आप लोगों ने अच्छा नही किया. इतना भी नहीं सोचा की आपके ये सब करने के बाद राधिका का क्या होगा.

राहुल- तो ये सब बिहारी की चाल थी. साला बहुत बड़ा हरामी चीज़ हैं. लेकिन वो कब तक बचेगा मुझसे. मैं उसे नहीं छोड़ूँगा. ख़ान सबसे पहले उस आदमी का पता लगाओ जिसने कृष्णा और बिरजू काका को पैसे दिए थे. अगर वो आदमी मिल गया तो बिहारी कल जैल के सलखो के पीछे होगा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. फिर मज़बूरन राहुल कृष्णा और बिरजू के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.

राहुल- मुझे अपना फ़र्ज़ तो निभाना पड़ेगा ना राधिका. चाहे इस राह में मेरा अपना ही क्यों ना आयें.
राधिका- मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी राहुल. तुम अपना फ़र्ज़ पूरा करो. ये सज़ा के ही हक़दार हैं.

कृष्णा हाथ जोड़ कर राधिका के पास आता हैं- राधिका आखरी बार मुझे हंस कर विदा कर दे. मुझे अब किसी से कोई शिकायत नहीं हैं. तू जैसे रहना खुस रहना बस उपर वाले से यही दुवा करूँगा. और कृष्णा और उसके बापू फिर घर से बाहर निकल कर पोलीस की जीप में बैठ जाते हैं. और ख़ान उन्हें लेकर पोलीस थाने की ओर चल पड़ता हैं. बस कमरे में राधिका के सिसकने की आवाज़ें आ रही थी. आज वो बिल्कुल तन्हा हो गयी थी. हर रोज़ उसे अपने भाई के लौटने का इंतेज़ार रहता था मगर शायद अब ये इंतेज़ार आब यहीं ख़तम हो गया था. वो जानती थी कि उसके भैया और बापू कम से कम 10 साल के बाद ही जैल से छूटेंगे. राहुल फिर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और ना जाने राधिका कितनी देर तक राहुल के सीने से लिपटकर रोती रहती हैं.

राहुल- एक काम करो राधिका तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो. शायद तुम्हारा यहाँ मन नहीं लगेगा. और इस वक़्त तुम बिल्कुल अकेली हो. वहीं तुम रहना और वहाँ पर रामू काका तो हैं ही वो तुम्हारी देखभाल करेंगे.

राधिका- नहीं राहुल मैं ठीक हूँ. और बस 10 दिन की तो बात हैं. फिर हमारी शादी हो जाएगी तो मैं वैसे भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी. और अगर मैं अभी तुम्हारे साथ रहूंगी तो ये दुनियावाले ना जाने क्या क्या कहेंगे.

राहुल- मुझे कोई फरक नहीं पड़ता. तुम बस मेरे साथ चलो. मैं तुम्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकता.

राधिका- मुझपर अगर कोई कीचड़ उछालेगा तो मैं बर्दास्त कर लूँगी मगर कोई तुमपर उंगली उठाएगा मैं ये नहीं से पाउन्गि. मुझे इस वक़्त अकेला रहना चाहती हूँ. प्लीज़ मुझे कुछ दिन अकेला छोड़ दो. राहुल भी कुछ कह नहीं पता और उसके माथे को चूम लेता हैं.

राहुल- ठीक हैं राधिका जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मगर अपना ख्याल रखना तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. मैं बराबर तुमसे मिलने आता रहूँगा. और इतना बोलकर राहुल भी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं.

राधिका इस वक़्त चुप चाप अपने बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. ऐसे ही बहुत देर तक वो इन्ही सब बातें को सोचती हैं फिर वो उठकर अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल लेकर आती हैं फिर पीने लगती हैं. ना जाने कितनी देर तक वो पीती रहती हैं और वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं. आब तो लगता था कि राधिका के गम का सहारा भी अब शराब मात्र थी. वो अपना गम भूलने के लिए शराब पी रही थी. दिन बा दिन उसके गम बढ़ते ही जा रहे थे.

ऐसे ही वक़्त बीतता जाता हैं. राधिका सुबेह शाम नशे ही हालत में बेसूध रहती थी. उसे तो किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता था. जब ये बात निशा को पता लगती हैं तो उसे भी बड़ा झटका लगता हैं. वो भी राधिका को बहुत समझाती है मगर राधिका उसकी एक बात नहीं सुनती. शायद अब राधिका भी पूरी तरह से टूट चुकी थी. और अब उसे कहीं से कोई उमीद नज़र नहीं आ रही थी.

दो दिन बाद..........................

राधिका करीब 10 बजे अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती हैं. आज उसके एग्ज़ॅम्स का टाइम टेबल मिलने वाला था. वो इसलिए घर से तैयार होकर निकली थी. मन तो उसे नहीं था मगर वो फिर भी कॉलेज जाती हैं. आज फिर वो उसी रास्ते से होकर जा रही थी जहाँ पर पार्वती का कतल हुआ था. जब वो उस जगह पहुचती हैं तब उसको उस दिन वाला सारी घटना उसके आँखों के सामने घूमने लगते हैं. फिर से उसकी आँखें नम हो जाती हैं मगर वो वहाँ रुकती नहीं और आगे बढ़ जाती हैं.

थोड़ा दूर जाने पर वो मुड़कर फिर से उसी जगह को देखने लगती हैं फिर वो आगे चलने लगती हैं. राधिका अभी कुछ 10 कदम ही चली थी कि उसके पीछे से एक स्कॉर्पियो कार तेज़ी से आती है. जब वो स्कॉर्पियो उसके नज़दीक आती हैं तभी उसके सामने आकर रुक जाती हैं. राधिका इसी पहले की कुछ समझती दो बदमाश स्कॉर्पियो में से तेज़ी से उतरते हैं और राधिका को उठाकर गाड़ी में डाल देते हैं. पहला बदमाश उसकी आँखों पर काली पट्टी बाँध देता हैं और दूसरा उसकी हाथों को पीछे करके उसे रस्सी से बाँध देता हैं. फिर एक कपड़ा उसके मूह में डाल कर उसके मूह को भी बंद कर देते हैं. और फिर तेज़ी से वो गाड़ी वहाँ से रवाना हो जाती हैं.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये लोग कौन हैं और उसे उठाकर ज़बरदस्ती कहाँ ले जा रहे हैं. करीब 45 मिनिट बाद वो गाड़ी एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं. फिर वो दोनो राधिका को गाड़ी से निकाल कर उसे वही सामने वाले घर में ले जाते हैं. राधिका के चेहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था. पता नहीं कौन हैं ये लोग और उसे ऐसे क्यों उठाकर लाए हैं. मगर राधिका के सारे सवालों का जवाब जल्दी ही उसे पता चलने वाला था.

थोड़ी देर के बाद वो राधिका को लेजा कर एक बड़े से हाल में बैठा देते हैं. और फिर दोनो उस कमरे को बंद करके वहाँ से बाहर निकल जाते हैं. करीब 10 मिनिट बाद फिर से उस कमरे का दरवाजा खुलता हैं और साथ में दो तीन कदमों की आहट भी सुनाई देती हैं. जैसे जैसे वो आहट की आवाज़ तेज़्ज़ होती जाती है वैसे वैसे राधिका के दिल में डर और चेहरे पर पसीने सॉफ दिखाई देने लगते हैं.

फिर पहला शख्स उसके पीछे आता हैं और उसके हाथों का रस्सी खोलता हैं. और फिर उसके आँखों पर लगा पट्टी भी हटा देता हैं. फिर वो उसके मूह पर रखा कपड़ा भी अलग कर देता हैं. जब राधिका अपनी आँख खोलती हैं और जब उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ती हैं तो वो नफ़रत से उसे देखने लगती हैं. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि बिहारी था.

राधिका- बिहारी मैं जानती थी कि तुम बहुत नीच हो. मगर तुम मुझे पाने के लिए ऐसी गिरी हुई हरकत भी करोगे ये मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. शरम आती हैं मुझे तुम पर.

बिहारी- आभी पता चल जाएगा कि मैने तुझे ऐसे यहाँ पर क्यों बुलाया हैं. याद हैं मैने तुझे कहा था कि अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं आधी बाद में दिखाउन्गा. अब तुझे वो आधी पिक्चर दिखाने का वक़्त आ गया हैं........
 
राधिका सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं. उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था. उसे तो डर लग रहा था कि कहीं बिहारी उसके साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे. राधिका के चेहरे का एक्सप्रेशन्स देखकर बिहारी समझ जाता हैं कि इस वक़्त राधिका क्या सोच रही होगी.

बिहारी- घबरा मत राधिका मैं यहाँ पर तेरा बलात्कार करने के लिए तुझे नहीं लाया हूँ. और मैं तेरा बलात्कार करूँगा भी नहीं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करेगी. ये बात बिहारी पुर दावे से कह सकता हैं.

राधिका- तुझे क्या लगता हैं कि मैं तेरे जैसे आदमी को अपना जिस्म सौपुंगी. राधिका मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसा काम कभी नहीं करेगी.

बिहारी- हः हहा हा........ ये तो कुछ देर में पता चल ही जाएगा. जब मैं तुझे आधी पिक्चर दिखाउन्गा. फिर देखता हूँ कि तू क्या फ़ैसला करती हैं. फिर बिहारी अपने सारे आदमियों को कमरे से बाहर जाने के लिए बोल देता है और बाहर से दरवाज़ा लॉक करवा देता हैं.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं. तुम किस पिक्चर की बात कर रहे हो.

बिहारी- समझ जाएगी इतनी जल्दी भी क्या हैं. चल यहीं आराम से सोफे पर बैठ जा तुझे अभी बहुत कुछ दिखाना हैं.

राधिका ना चाहते हुए भी वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. तभी बिहारी दीवार पर लगा एलसीडी टी.वी ऑन करता हैं और फिर एक पेनड्राइव उस टी.वी में इनसर्ट करता हैं. थोड़े देर के बाद कुछ फाइल्स वो सेलेक्ट करता हैं और फिर उसे प्ले कर देता हैं.

स्क्रीन पर सबसे पहले एक फोटो आता हैं वो फोटो बिरजू का था. वो उस फोटो को पॉज़ कर देता हैं.

बिहारी स्क्रीन की ओर देखते हुए बोलता हैं- ये था मेरा सबसे ख़ास वफ़ादार नौकर. यानी तेरा बाप बिरजू. सालों से मेरा यहाँ पर नौकरी किया. मेरे हर सुख दुख में मेरा साथ दिया. मगर आख़िरकार तेरी ही वजह से इसने मेरे से यानी अपने मालिक तक को छोड़ने को राज़ी हो गया. पहले तेरा बाप मेरे हर इशारों पर नाचता था मगर तेरी वजह से वो मेरे यहाँ काम तक छोड़ने का फ़ैसला कर बैठा और आज मेरे ही खिलाफ वो खड़ा हो गया. खैर कोई बात नहीं. मुझे इसका कोई गम नहीं हैं.

राधिका- लेकिन तुम ये सब मुझे क्यों बता रहे हो. इन सब से मेरा क्या लेना देना हैं.

बिहारी- तू सवाल बहुत पूछती हैं. चिंता मत कर आज तेरे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. बस चुप चाप देखती जा.

बिहारी आगे बोलना शुरू करता हैं- तेरे बाप की एक आदत मुझे बहुत पसंद थी वो कभी कुछ बोलता नहीं था जो भी मैं कुछ कह देता था वो इनकार नहीं करता था. इसलिए वो मुझे पसंद था.

बिहारी फिर टी.वी स्क्रीन पर अगला इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. अगला इमेज कृष्णा का था.

बिहारी- ये भी मेरा ख़ास नौकर था कृष्णा यानी कि तेरा भाई. बरसों से इसने भी अपने बाप की तरह ईमानदारी से मेरी हर बात मानी. मगर इसकी कमज़ोरी थी औरत. ये औरत के लिए कुछ भी कर सकता था. और इसे सबसे ज़्यादा तू पसंद थी. अगर तू इसकी बेहन नहीं होती तो ये तुझसे ही शादी कर लेता. मैने कई बार तेरे बाप से तुझसे शादी की बात कही मगर ये तेरा भाई नहीं चाहता था कि तू मेरी बीवी बने. एक दो बार तो मुझसे भी ये लड़ाई कर बैठा था तेरे कारण. खैर कोई बात नहीं इसके अंदर भी बेईमानी आ गयी थी जब से तू इसका ख्याल रखने लगी. जानती हैं ना मैं किस ख्याल की बात कर रहा हूँ. बिहारी के ऐसे पूछे गये सवाल से राधिका शरम से अपनी गर्देन नीचे कर लेती हैं.

खैर मुझे कृष्णा का भी अफ़सोस नहीं हैं. मगर इसमें कृष्णा की भी कोई ग़लती नहीं हैं. शायद मैं भी इसकी जगह होता तो यही करता. आख़िर तू हैं ही ऐसी चीज़. खैर आगे बढ़ते हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. ये वही आदमी था जो बिरजू और कृष्णा को पैसे दिया था पार्वती का मर्डर करवाने के लिए.

बिहारी- इसे तो तू नहीं जानती होगी. ये भी मेरा ही आदमी हैं. मगर ये कांट्रॅक्ट पर काम करता हैं. इसका नाम इक़बाल हैं. बहुत दिनों से पोलीस इसकी तलाश कर रही हैं. और अब ये आदमी मेरे लिए भी ख़तरा बन चुका हैं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि अगर ये राहुल के हाथ लग गया तो मेरा भी खेल ख़तम. इसलिए मैने इसका भी बंदोबस्त कर दिया हैं. ये जल्दी ही राहुल के हाथ लगेगा मगर इससे राहुल को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला. खैर आगे बढ़ते हैं.

बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं- इसे तो तू आच्छे से जानती होगी तन्या .............उर्फ मोनिका.. ये मेरी ही रखैल हैं. बेचारी किस्मत की मारी हैं. इसके पति का मौत हो चुका हैं वो ट्रक ड्राइवर था. पति के मौत के बाद इसके घर वालों ने भी इसे अपने पास रखने से इनकार कर दिया. फिर ये अपने ससुराल गयी वहाँ भी इसके ससुराल वालों ने इसे बाहर का रास्ता दिखाया. तब से ये मेरी शरण में हैं. और अब मेरे ही इशारों पर काम करती हैं. मैने ही इसे तेरे पास भेजा था कि ये तेरे बारे में मुझे सारी जानकारी बताती रहेगी. और इसने अपना काम बखूबी निभाया..

राधिका- लेकिन क्यों. क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा.???

बिहारी- बस तेरी चाहत की वजह से. मैं तुझे पाना चाहता था. बस इसी दीवानगी ने मुझे ये सब करने पर मज़बूर कर दिया.

राधिका- तुम जिस चाहत की बात कर रहे हो बिहारी वो चाहत नहीं हवस हैं. तुम्हारा चाहत बस मेरी जिस्म हैं और कुछ नहीं.

बिहारी- जिस्म जब मिलते हैं तभी तो चाहत भी पूरी होती हैं. तुझे क्या पता कि मैं तेरे लिए कितना बेचैन रहता हूँ. खैर ये तो बाद की बात हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं.

सामने राहुल का फोटो था. ये हैं तेरी मोहब्बत और मेरे लिए सबसे बड़ा काँटा. ये तो अपने फ़र्ज़ की राह पर चलना नहीं छोड़ेगा और दिन ब दिन मेरे लिए मुसीबत बनता जाएगा. मैं तो चाहता तो इसको मरवा
 
राधिका- तो इसका मतलब अब तक राहुल पर जो भी हमले हुए थे इन सब के पीछे तुम नहीं थे.

बिहारी- नहीं मेरी जान .अगर मुझे ये सब करना होता तो शायद अब तक राहुल इस दुनिया में ज़िंदा नहीं होता. हां लेकिन मैं जानता हूँ की राहुल के उपर किसने हमला करवाया था. खैर तुझे बहुत जल्द मैं उस शख्स से भी मिल्वाउन्गा. इतना समझ ले आज अगर राहुल ज़िंदा हैं तो बस तेरी वजह से. अगर तू चाहती हैं कि मैं राहुल को कोई नुकसान ना पहुन्चाऊ तो बस अब जो मैं कहूँगा तू मेरी बात मानती जाना. विश्वास कर मेरा बिहारी जान दे देगा मगर अपनी ज़ुबान से नहीं फ़िरेगा.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और चुप चाप टी.वी स्क्रीन की ओर देखने लगती हैं. नेक्स्ट इमेज में दो नकाबपोश की फोटोस थी.

इसे तू नहीं जानती ये शार्प शूटर हैं. और ये कांट्रॅक्ट लेकर मर्डर करते हैं. इनका निशाना इतना पर्फेक्ट है कि ये बस आवाज़ सुनकर भी अपने शिकार को पल भर में मार सकते हैं. और एक बात तुझे बता देता हूँ मैने राहुल को मरवाने के लिए इन्हें 5 लाख रूपीए दिए हैं. बस मेरे हां करने की देर हैं फिर तेरा राहुल इस दुनिया से ख़तम.

राधिका के दिल में डर बैठ जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी- बिल्कुल हो सकता है अब सब कुछ तेरे हाथ में हैं अब सब कुछ तेरे फ़ैसले पर निर्भर हैं. अगर तू चाहे तो राहुल बच सकता हैं नहीं तो...................

बिहारी फिर अगला फोटो फॉर्वर्ड करता हैं. सामने निशा की तस्वीर थी.

बिहारी- इसे तो तू अच्छे से जानती होगी . ये तेरी सहेली निशा हैं. तेरे ही तरह मस्त आइटम. जितनी खूबसूरत तू हैं उतनी ये भी हैं. और मैं जानता हूँ कि तू इसे अपनी जान से ज़्यादा चाहती हैं या यू कह सकता हूँ कि ये तेरी जान हैं. अगर इसे दर्द होगा तो तुझे तकलीफ़ होगी. वैसे तुम्हारी जोड़ी और दोस्ती तो कमाल की हैं. हरदम एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते हो. अगर सोच अगर यही तेरी निशा को कुछ हो गया तो तू इसके बिना कैसे रह पाएगी.

राधिका- नहीं बिहारी निशा को कुछ मत करना. भगवान के लिए मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ. उसे इन सब में मत घसीटो.

बिहारी- मैं जानता था कि तू निशा को कुछ भी बुरा होते हुए नहीं देख सकती. खैर मैं भी तेरे से उतना ही प्यार करता हूँ जितना तू निशा और राहुल से करती हैं.

राधिका- मगर तुम इन सब का फोटो मुझे क्यों दिखा रहे हो. आख़िर क्या जताना चाहते हो तुम.

बिहारी- सब्र कर मेरी जान आभी तो तुझे बहुत कुछ दिखाना हैं. थोड़ा अपने दिल और मज़बूत कर ले.

बिहारी फिर दूसरा फ़ाइल खोलता हैं और कुछ वीडियो क्लिप्स उस फोल्डर में रहता हैं वो एक एक कर उन्हें प्ले कर देता हैं. जब राधिका की नज़र उस वीडियो पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. उस वीडियो में राधिका पूरी तरह से नंगी हालत में अपने भाई से चुदवा रही थी. ये सब देखकर उसका गला सूख जाता हैं. इसी तरह वो कई सारी फिल्म्स के छोटे छोटे क्लिप्स उसे दिखाता हैं.

बिहारी थोड़ी देर तक ऐसे ही कई सारे वीडियोस प्ले करता हैं फिर वो उसे बंद कर देता हैं- अभी तो मैने बस तुझे ये तेरा ट्रेलर दिखाया हैं. तेरी ऐसी नंगी वीडियो का मेरे पास पूरा आल्बम रखा हुआ हैं. सोच अगर ये वीडियो मैं अगर राहुल को दे दिया तो या फिर इसे नेट पर डाल दिया तो........................

राधिका- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी हंसते हुए- बिल्कुल कर सकता हूँ अगर तू चाहती हैं कि मैं ये वीडियो किसी को ना दिखाऊ तो जो मैं चाहता हूँ वो तुझे करना होगा.

राधिका- तो तुम मुझे ब्लॅकमेलिंग कर रहे हो.

बिहारी- नहीं मैं ब्लॅकमेलिंग नहीं तुझसे एक डील कर रहा हूँ. और मैं जानता हूँ कि तू मेरे साथ कोओपरेट करेगी.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं???

बिहारी- तो फिर सुन- अब तक मैने जितने भी फोटोस तुझे दिखाए हैं इनका सब के साथ तेरा कनेक्षन हैं. और इन सब की ज़िंदगी भी अब तेरे ही हाथों में हैं.

राधिका- मेरे हाथों में...... मतलब???

बिहारी- अगर तू चाहती हैं कि मैं तेरे बापू और कृष्णा को जैल से आज़ाद करवा दूँ, फिर से तेरा परिवार एक हो जाए. अगर तू चाहती हैं कि तेरा राहुल ज़िंदा रहे और मैं तेरी वो नंगी वीडियोस उसे कभी ना दिखाऊ और या फिर तू ये नहीं चाहती कि अब निशा भी इस प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में ना आए तो फिर मैं जो भी चाहता हूँ तुझे वो सब मेरे लिए करना होगा. बोल मंज़ूर हैं.

राधिका- तो मुझे क्या करना होगा. क्या......... तुमसे शादी.

बिहारी- शादी नहीं तुझे मेरी रखैल बनना पड़ेगा वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए. क्यों कि तेरी जैसी मस्त आइटम के लिए एक रात तो बहुत ही छोटी हैं. मैं तुझे पूरे एक हफ्ते तक अपनी रखैल बनाकर रखना चाहता हूँ. अगर तुझे मेरी ये डील पसंद ना आए तो फिर मैं तेरी अब कोई भी मदद नहीं कर सकता.

राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.

बिहारी- एक बात तो मैं जानता हूँ कि अगर किसी को दिल से चाहो तो वो किसी भी हाल में मिल जाती हैं चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती से. और मैं अब जानता हूँ कि तू मुझे निराश नहीं करेगी. एक बात जान ले राधिका मैं तुझपर कभी भी दबाव नहीं दूँगा. मैने फ़ैसला तेरे हाथों छोड़ दिया हैं. और तू चाहे तो इन सब की ज़िंदगी बचा सकती हैं और चाहे तो मिटा सकती हैं. फ़ैसला तुझे करना हैं आगे तेरी मर्ज़ी.

राधिका- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम मुझे एक हफ्ते के बाद आज़ाद कर दोगे और राहुल निशा और मेरे भैया इन सब को छोड़ दोगे.

बिहारी- विश्वास तो तुझे मुझ पर करना ही पड़ेगा. अगर तू चाहे तो मैं एक कांट्रॅक्ट लेटर पर लिख देता हूँ तुझे इस बात की तसल्ली मिल जाएगी. अगर तेरा दिल इस बात की गवाही दे तो तू मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर सकती हैं. वरना अपनी आँखों से अपने चाहने वालों की बर्बादी देख लेना.

राधिका समझ चुकी थी कि अब चाहे जो हो जाए आब उसे बिहारी के सामने अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगानी ही पड़ेगी .आज वो बहुत बुरी तरह से फँस चुकी थी.

बिहारी- सोच क्या रही हैं राधिका अगर तुझे टाइम चाहिए तो मैं तुझे एक दो दिन की मोहलत दे सकता हूँ. खूब सोच समझ कर फ़ैसला करना. और एक बात मैं ये बात भी जानता हूँ कि तेरी ये सहेली भी अब राहुल से ही प्यार करती हैं और तू भी राहुल को ही चाहती हैं. आज तेरे पास यही एक मौका हैं अपनी दोस्ती और प्यार दोनो को बचाने का. और वैसे भी अब राहुल तुझे कभी आक्सेप्ट नहीं करेगा जब वो जान जाएगा कि तेरे भाई के साथ तेरा नाजायज़ संबंध हैं. और तू दुनिया वालों की नज़र से कितना भी छुपा ले मगर तू अपने आप से झूट कभी नहीं बोल पाएगी. तेरी आत्मा भी इस बात की कभी गवाही नहीं देगी. और हो ना हो ये बात तो राहुल को कभी ना कभी तो पता लगेगी ही. फिर सोच ले तेरा क्या हश्र होगा.

वैसे एक बात मैं कहूँगा............... गीता में भी ये बात कही गयी हैं कि अगर पृथ्वी पर यदि कोई बड़ा संकट आए तो अगर एक देश को मिटा देने से बाकी देशों को बचाया जा सकते हैं तो नीति के अनुसार हमें उस देश की कुर्बानी दे देनी चाहिए.. ठीक उसी प्रकार अगर 10 सहर को मिटा कर 40 सहर बच सकता हैं तो उन 10 सहरों को बलिदान कर देना चाहिया. ताकि वो 40 सहर सुरक्षित रहे.आज तेरे सामने भी कुछ ऐसा ही परिस्थिति हैं. अगर तेरी बलिदानी से तेरा राहुल , कृष्णा तेरा बापू और तेरी सहेली निशा इन सब की ज़िंदगी आबाद हो सकती हैं तो धरम के अनुसार तेरा बलिदान देना ही सही हैं. वरना आगे तू खुद समझदार हैं.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका की कई सारी मुश्किलों का हल तो मिल गया था मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.वो तो खुद यही चाहती थी कि वो निशा और राहुल के बीच से हमेशा के लिए हट जाए. और इसके बदले चाहे खुद को ही क्यों ना नीचे गिरना पड़े.आज शायद उसे ये मौका मिल गया था. वो इसी उधेड़ बुन में फँसी हुई थी मगर फिलहाल कोई भी फ़ैसला लेने की स्तिथि में नहीं लग रही थी.

बिहारी- आराम से सोच ले राधिका. कोई जल्दी नहीं हैं. अगर तू कहे तो मैं तुझे दो दिन का टाइम दे सकता हूँ. और हां ये सब बातें अगर तूने किसी को भी बताई तो याद रखना तू तो वैसे भी बर्बाद होगी और साथ साथ तेरे चाहने वाले भी तेरी आँखो के सामने बे-मौत मारे जाएँगे. और ये मत समझना कि तू ख़ुदकुशी कर के इन सारे प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा लेगी. अगर तूने ऐसी ग़लती की तो समझ लेना तेरे साथ साथ सब कुछ ख़तम हो जाएगा. तो अब जो भी कदम उठना सोच समझ कर उठाना.

राधिका के चेरे पर पसीने सॉफ छलक रहे थे. उसके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. मगर वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. आज उसका ये प्यार ही उसके लिए अभिशाप बन गया था. और वो ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वला समय उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं अब सब कुछ राधिका के फ़ैसले पर टिका हुआ था. देखना ये था कि राधिका के फ़ैसला से उन सब की ज़िंदगी पर इसका क्या असर होता हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--37

राधिका- मैं तुमसे दो बातें पूछना चाहती हूँ.

बिहारी- बेशक पूछो राधिका. क्या पूछना हैं??

राधिका- पहला तो ये कि जैसे तुमने बताया था कि मोनिका को तुमने ही मेरे पीछे लगाया था ताकि तुम मेरी सारी इन्फर्मेशन जान सको. तो क्या वो फोन कॉल भी मोनिका ने ही तुम्हारे कहने पर किया था जिस वक़्त मेरे भैया एक वैश्या के पास थे और मैने उनको रंगे हाथों पकड़ा था.

बुहरी- कमाल का दिमाग़ पाया हैं तुमने राधिका. तुम जो सोच रही हो वही सच हैं. वो कॉल मोनिका ने ही किया था मगर मैने उसे नहीं कहा था ये सब करने के लिए. उसने तो बस अपनी आज़ादी और जान बचाने के लिए उसने ऐसा किया होगा.

राधिका- आज़ादी..........मैं कुछ समही नहीं???

बिहारी- हां मैने ही उसके साथ डील की थी कि वो तुम्हें मेरे पास ले आएगी एक महीने के अंदर और इसके बदले मैं उसे आज़ाद कर दूँगा बस इसी वजह से उसने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हें फँसाया.

राधिका- तुम इतने भी नीचे गिर सकते हो ये मैने कभी सोचा नहीं था. मैं जानती थी कि तुम कमिने हो मगर इतने बड़े कमिने निकलोगे मुझे इसका बिल्कुल अंदाज़ा भी नहीं था.

बिहारी- अभी तुमने मेरा कमीनपन देखा ही कहाँ हैं. खैर मैने तुझे एक बार कहा था कि तुझे पाने के लिए मुझे चाहे कोई भी नीति क्यों ना अपनानी पड़े मैं तुझे किसी भी हाल में हासिल ज़रूर करूँगा. और देख आज तू मेरे सामने हैं.

राधिका- और दूसरी बात ये कि चलो मान लिया कि तुम मुझे अपनी रखैल बनाकर रखना चाहते हो वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए तो तुमने ये कैसे सोच लिया कि राहुल के होते हुए तुम ऐसा कर पाओगे. वो तो मुझसे हर रोज़ मिलने आता हैं. और अगर मैं उससे एक दिन भी नहीं मिली तो वो ये पूरा सहर छान मारेगा. फिर भला ये कैसे मुमकिन हैं.

बिहारी- उसकी चिंता तू मत कर. भले ही राहुल तुझे रोज़ क्यों ना मिलता हो पर अगर वो इस सहर में रहेगा तभी तो तुझसे मिलने आएगा. मैं उसे कहीं एक हफ्ते के लिए इस सहर से बाहर भेज दूँगा. आख़िर मैने भी इतने सालों से पॉलिटिक्स में झक नहीं मारा हैं. आख़िर मेरा भी सोर्स और पवर हैं वो किस दिन काम आएगा. बस तू अपना फ़ैसला बता दे मुझे तेरे फ़ैसले का इंतेज़ार हैं.

राधिका के चेहरे पर चिंता और गहरी हो जाती हैं. आज वो इतनी कमजोर हो गयी थी कि आज वो बिहारी के सवालो का भी जवाब नहीं दे पा रही थी. कल तक ना जाने कितनो का मूह बंद करने वाली आज खुद को बिहारी के आगे बेबस महसूस कर रही थी.

राधिका- मुझे थोडा वक़्त चाहिए बिहारी. मैं इस वक़्त कोई भी फ़ैसला नहीं ले सकती.

बिहारी- ठीक हैं मैं तुझे दो दिन की मोहलत देता हूँ. अगर इन दो दिनों में तूने अपना फ़ैसला नहीं बताया तो अपनी बर्बादी का ज़िम्मेदार तू खुद होगी. आगे तू खुद समझदार हैं. और हां जो भी फ़ैसला लेना खूब सोच समझ कर लेना. क्यों कि तेरे उस फ़ैसले पर ना जाने कितनों की ज़िंदीगियाँ टिकी हुई हैं. फिर बिहारी जाकर रूम का दरवाज़ा खोल देता हैं और अपने आदमियों से राधिका को उसके घर अपने गाड़ी से भेजवा देता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका अपने घर आती हैं और आकर तुरंत बिस्तेर पर फुट फुट कर रोने लगती हैं. वो बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाले हुई थी. ना जाने कितनी देर तक उसकी आँखों से आँसू बहते रहे.

थोड़ी देर के बाद वो फ्रेश होती हैं और फिर तैयार होकर पोलीसेस्टेशन चली जाती हैं. पोलीसेस्टेशन पहुँचने के बाद वो राहुल से मिलती हैं और राहुल की जब नज़र उसपर पड़ती है तो राधिका की हालत से अंदाज़ा लगा लेता हैं कि राधिका के दिल पर इस वक़्त क्या बीत रही होगी. वो तुरंत जाकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- राधिका इस वक़्त तुम यहाँ पर. कहो कैसे आना हुआ.

राधिका- राहुल मैं अपने भैया और बापू से मिलना चाहती हूँ इसी वक़्त मगर अकेले में. अगर तुम इसकी इज़ाज़त दो तो.

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं - ये तुम कैस बातें कर रही हो. भला आब तुम्हें मुझसे इजाज़त लेनी पड़ेगी वो भी अपने भाई और बाप से मिलने की. फिर राहुल एक हवलदार को राधिका के साथ भेज देता हैं और वो हवलदार उसे लेकर बिरजू और कृष्णा के पास ले जाता हैं. फिर एक दूसरा हवलदार जाकर कृष्णा और बिरजू को बुलाकर लता हैं.

राधिका- कैसे हो भैया.

कृष्णा- तुझसे अलग रहकर मैं कैसा हो सकता हूँ राधिका. क्या ये भी बताना पड़ेगा.
 
राधिका- भैया जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. ना जाने हमारी इन खुशियों को किसकी नज़र लग गयी. अब तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था ...मगर शायद किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका ये सब मेरी ही ग़लती से हुआ. दुख तो मुझे इस बात का हैं कि मैं एक अच्छे भाई का फ़र्ज़ अदा नही कर सका. और अब तो तेरी शादी होने वाली हैं राहुल के साथ और मैं जानता हूँ कि राहुल तुझे बहुत खुस रखेगा. आच्छा यही होगा राधिका की तू हमे भूल जाना.

राधिका- पता नहीं भैया अब तो मुझे ज़िंदगी से ही डर लगने लगा हैं. ना जाने कब क्या हो जाए. और आज मैं इस लिए आपसे मिलने आई हूँ कि मुझे खुद नहीं मालूम कि आने वाला वक़्त मुझे कहाँ ले जाएगा. पता नहीं कल को मैं आपसे दुबारा मिल पाउन्गि भी की नहीं. इसलिए सोचा मरने से पहले एक बार आपसे मिल लूँगी तो मुझे अपनी ज़िंदगी से कोई शिकवा गिला नहीं रहेगा. और इतना कहते कहते राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं. कृष्णा भी रोने लगता हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बातें कर रही हैं. तुझे कुछ नहीं होगा. अगर तुझे कुछ हो गया तो ये तेरे भाई भी इस दुनिया में नहीं रहेगा. ये कृष्णा का वादा हैं. नहीं जी पाउन्गा मैं तेरे बगैर. और भगवान के लिए ऐसी बातें मत कर. आज मैं जानता हूँ कि मैने तेरे दिल को कितना दुखाया हैं. और मैने जो किया हैं वो माफी के लायक भी नहीं. फिर भी अगर हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना.

बिरजू- बेटा कृष्णा सही कह रहा हैं. आज जो कुछ भी हुआ हैं इन सब का ज़िम्मेदार मैं हूँ. अगर मैने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत पहले अपने कंधे पर उठाया होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. हो सके बेटा तो तू मुझे माफ़ कर देना. राधिका अपने आँसू पोछती हैं और एक नज़र अपने भैया और बाप को देखती हैं फिर वो बाहर निकल जाती हैं.

राहुल- रिलॅक्स राधिका. जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी दुख हैं मगर मैं अपनी फ़र्ज़ की राह से अपना मूह तो नहीं मोड़ सकता. तुम कहो तो मैं इसी वक़्त तुम्हरे साथ अपने घर चलता हूँ इसी तुम्हारा थोड़ा मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं इस वक़्त अपने घर जाना चाहती हूँ मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ. फिर राहुल ख़ान को बुलवाकर राधिका को उसके घर तक छोड़ देता हैं.

राधिका इस वक़्त वही सब बातें सोच रही थी. उसे तो समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या. आज एक तरफ उसके भैया, बाप, उसका प्यार और दोस्ती सब कुछ दाँव पर लगा था और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. वो तो कभी नहीं चाहेगी कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो. फिर वो शराब लेकर पीने लगती हैं शायद वो अपने गम थोड़ा भुला सके. काफ़ी देर तक वो यही सब सोचती हैं और ना जाने कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता ही नहीं चलता.

दूसरे दिन.......................

करीब 3 बजे बिहारी का कॉल आता हैं राधिका के मोबाइल पर. राधिका जब बिहारी का नंबर देखती हैं तो उसकी दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसका गला सूखने लगता हैं. वो अपने काप्ते हाथों से फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो..

बिहारी- अरे मेरी जान आज तेरी आवाज़ में वो जोश नहीं हैं जो पहले था. घबरा मत मैने तेरे पास ये जानने के लिए फोन किया था कि तूने क्या फ़ैसा लिया हैं. अगर तेरा जवाब हां हैं तो मैं कल अपने आदमी भेज दूँगा 12 बजे तक तुझे लेने के लिए. और अगर नहीं हैं तो फिर तेरे घर पर 12 बजे तक तेरे चाहने वालों की लाशें पहुँच जाएगी. अब बता तू क्या चाहती हैं.

राधिका- मैने अभी ...........कुछ सोचा नहीं हैं.....मुझे एक घंटे का टाइम दो मैं तुम्हें बता दूँगी की मेरा फ़ैसला क्या हैं..

राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. आज वो कोई भी फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो बिहारी को क्या जवाब दे. एक तरफ उसके चाहने वाले और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. उसे अपनी चिंता नहीं थी वो बस राहुल को खोना नहीं चाहती थी. काफ़ी देर तक वो इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं फिर अचानक से उसके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो ये सोचकर अपने इरादे मज़बूत कर लेती हैं. थोड़े देर के बाद बिहारी का दुबारा से फोन आता हैं. राधिका वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- कुछ सोचा कि नहीं मेरी जान. या अभी तुझे और वक़्त चाहिए.

राधिका- बिहारी मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंज़ूर हैं जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी मगर...........

ये सुनकर बिहारी ख़ुसी से झूम उठता हैं- मगर क्या............

राधिका- मैं चाहती हूँ कि ये सब के बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे और मेरी जितनी भी तुमने फिल्म शूट की हैं वो सब तुम मुझे एक हफ्ते के बाद लौटा दोगे और उसके बाद तुम मुझसे ना कभी मिलोगे और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई दखल अंदाज़ी करोगे. और निशा राहुल मेरे भैया और बापू इन सब की भी ज़िंदगी में कोई हस्तक्षेप नहीं करोगे. अगर मेरी ये सारी शर्तें तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं तुम्हारे साथ वो सब करने को तैयार हूँ.

बिहारी- ठीक हैं राधिका मैं तुझे वचन देता हूँ कि मैं तेरा ये राज़ कभी किसी को नहीं बताउन्गा और एक हफ्ते के बाद तू बिल्कुल आज़ाद हैं. मुझे तेरी सारी शर्तें मंज़ूर हैं मैं कभी किसी के ज़िंदगी में कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करूँगा. और हां कल दोपहर तक मैं अपनी गाड़ी भेज दूँगा और हां मैं जो कपड़े भेजूँगा तुझे वही पहन कर मेरे पास आना हैं मुझे अब तेरा बेसब्री से इंतेज़ार हैं...और बिहारी इतना कहकर फोन रख देता हैं.
 
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